Thursday, July 8, 2010

हितकारी चिंतन

अपने चारो ओर मंगल का फैलाव करो ताकि तुम्‍हें मंगलित करने के लिये पूरा विश्‍व तैयार हो सके।

बुंदेलखंड में रोजगार का जरिया बना सकता पलाश

चित्रकूट। योगेश्वर श्री कृष्ण की लीलाओं से सीधे सरोकार रखने वाले पलाश के पेड़ को लेकर अब शासन गंभीर हो चला है। अगर विकास विभाग की मंशा के अनुरुप काम हुआ तो आने वाले समय पलाश का पौधा भी पूरे बुंदेलखंड के ग्रामीण इलाकों के लोगों के लिए आय का एक अच्छा जरिया बन सकता है। प्रभारी मुख्य विकास अधिकारी प्रमोद कुमार श्रीवास्तव भी इन दिनों लैक कल्चर को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए पलाश के पौधों का संरक्षण करने को प्रयासरत हैं। मालूम रहे आयुर्वेद के जानकार भी इसके विभिन्न अवयवों से जटिल रोगों की औषधियों को बना रहे हैं। गौरतलब है कि होली की मस्ती बिना रंगों के अधूरी है और रंगों को पहले फूलों व पत्तियों से ही प्राप्त किया जाता था। इनमें सबसे ऊपर नाम पलाश का ही आता है। फागुन के महीने में पलाश के पौधे पर लगे सुर्ख लाल रंग के फूल लोगों को न केवल अपनी ओर आकर्षित करने का काम करते हैं बल्कि इनसे अच्छी क्वालिटी का रंग भी तैयार होता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि इसका फूल तोड़े जाने के काफी दिनों बाद भी उपयोग में लाने लायक बना रहता है। प्रभारी सीडीओ कहते हैं कि महाराष्ट्र के गोंदिया जिले में पलाश के पौधे से निकलने वाली गोंद से लाख का निर्माण होता है। जिसका प्रयोग महिलाओं के लिये चूडि़यां व कड़े बनाने में होता है। इसके साथ ही वहां पर फूलों से रंग और पत्तियों से पत्तल बनाने का काम भी होता है। यहां के साथ ही समूचे बुंदेलखंड में तो बहुतायत में पलाश का पौधा पाया जाता है। स्थानीय भाषा में इसे छिउल कहा जाता है और इसके नाम पर तो पूरा गांव छिउलहा ही बसा हुआ है।
उन्होंने कहा कि गोंदिया में तो लैक कल्चर का करोड़ों का व्यापार किया जाता है। जिससे काफी मात्रा में विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होती है। जल्द ही यहां से किसानों व समाजसेवियों के दल को गोंदिया भेजा जायेगा। जिससे वे इसका उपयोग करना सीखें और पलाश के पौधों का उपयोग करें। उधर, आरोग्यधाम की रसशाला के प्रबंधक डा. विजय प्रताप सिंह का कहना है कि पलाश के पौधे का औषधीय प्रयोग काफी समय से हो रहा है पर यहां प्रमुख रुप से कृमि रोगों की दवा इससे बनती है। साथ ही बालों में लगाये जाने वाली डाई में भी इसे इस्तेमाल किया जा रहा है।

जल्द चित्रकूट धाम कर्वी होगा आदर्श स्टेशन

चित्रकूट। धर्मनगरी के रेलवे स्टेशन को अब आदर्श स्टेशनों की तरह विकसित करने की जद्दोजहद करने में अधिकारी लगे हुये हैं। जहां एक तरफ प्लेटफार्म एक को ऊंचा बनाने के साथ ही पुराने पत्थर निकालकर कोटा स्टोन लगाये जाने का काम इन दिनों तेजी से चल रहा है वहीं प्लेटफार्म नम्बर दो को भी पूरा पक्का कराने का काम किया जा रहा है।

सहायक अभियंता निर्माण पी के श्रीवास्तव कहते हैं कि आदर्श स्टेशन बनाने के जितने मानक हैं उन सभी बिंदुओं पर यहां पर काम किया जा रहा है। जल्द ही प्लेटफार्म का नया स्वरुप सभी के सामने होगा।
उन्होंने बताया कि प्लेटफार्मो को और चौड़ा व बड़ा बनाया जा रहा है। प्लेटफार्म नम्बर एक को ऊंचा किया जा रहा है साथ ही पूरे में कोटा स्टोन लगाने का काम किया जा रहा है। एरिया का विस्तार किया जा रहा है और नये शेड़ के नीचे पूरे में कोटा स्टोन लगाया जायेगा। दो नम्बर प्लेटफार्म में भी कोटा स्टोन लगाने के साथ ही छोटे-छोटे और काम करवाये जायेंगे।

गंगा दशहरा : डुबकी लगा कमाया पुण्य

चित्रकूट। पतित पावनी मां गंगा के अवतरण दिवस पर धर्म नगरी से होकर गुजरने वाली पापभक्षणी मां मंदाकिनी में डुबकी लगाने वालों की संख्या लाखों में रही। लोगों ने महादेव की जटाओं से होकर मृत्यु लोक में आने वाली मां गंगा की आरती पूजा भी की। इस मौके पर निर्माेही अखाड़े के संतों के संयोजकतत्व में मां गंगा की स्तुति पूजन के साथ ही नावों पर बैठकर चौबीस घंटे का श्री राम नाम संकीर्तन प्रारंभ कर दिया गया।

जानकारी के मुताबिक सोमवार की सुबह से ही धर्म नगरी की मंदाकिनी नदी के रामघाट, राघव प्रयाग घाट, प्रमोद वन, जानकीकुंड, आरोग्यधाम, सिरसावन, स्फटिक शिला, अनुसुइया आश्रम, सूर्य कुंड के साथ ही मऊ व राजापुर के यमुना नदी के घाटों के साथ ही वाल्मीकि नदी पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता उमड़ पड़ा। लोग हर हर गंगे का उद्घोष करके पवित्र नदियों में डुबकियां लगा रहे थे। चित्रकूट में घाट किनारे के पुरोहित मां मंदाकिनी के महत्व को लोगों को बता रहे थे।
इसके साथ ही निर्माेही अखाड़े के संयोजकतत्व में विश्व हिंदू परिषद ने गंगा दशहरे पर हवन पूजन व मां मंदाकिनी का अभिषेक कराया। इसके साथ नावों पर बैठकर चौबीस घंटों के प्रभु नाम संकीर्तन का भी शुभारंभ कराया गया। इस मौके पर निर्मोही अखाड़े के महन्त ओंकार दास, भरत मंदिर के दिव्य जीवन दास, अनूप दास, विहिप के प्रचारक भोले जी, दयाशंकर गंगेले, भाजपा जिलाध्यक्ष दिनेश तिवारी, मनोज तिवारी ,मुन्ना पुजारी सहित भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।

राजमाता को पूर्व जन्म का भावात्मक लगाव ले आया चित्रकूट

चित्रकूट। श्री राम सांस्कृतिक शोध संस्थान न्यास के अन्तर्गत श्री राम वन पथ गमन पथ संग्रहालय का लोकार्पण करने आयी कर्नाटक प्रांत के किष्िकधा की राजमाता महारानी चंद्रकांता ने मीडिया से बात करते हुये चित्रकूट को भगवान राम की मुख्य कर्मस्थली करार देते हुये कहा कि भले ही वे यहां पहली बार आयीं हों पर हर नवरात्रि पर श्री राम चरित मानस के पाठ करने के कारण वे इस तपोभूमि से प्रत्यक्ष रुप से बचपन से जुड़ी हैं।

उन्होंने कहा कि वैसे तो श्री हनुमान का जन्म सुमेरु पर्वत पर हुआ था पर उनका यौवन और बचपन ऋषमूक पर्वत किष्किंधा पर ही बीता। यहीं पर भगवान राम और हनुमान का मिलन हुआ था। उसी स्थान पर संत व्यास राम को भगवान हनुमान ने स्वप्न देकर अपनी मूर्ति की स्थापना करवाई थी। पम्पा सरोवर पहले विषैला था पर वह श्री राम के आर्शीवाद के कारण माता शबरी के चरणों से ही स्वच्छ और निर्मल हो गया।
उन्होंने कहा कि बचपन से ही वे भगवान राम मां सीता के प्रति अगाध प्रेम व आस्था रखती आई हैं पर चित्रकूट को देखने का पहली बार सौभाग्य मिला है। यहां की सीमा में प्रवेश करते ही ऐसा लगा कि मेरा पूर्व जन्म में यहां से भावात्मक लगाव रहा है जिसके कारण वे काफी रोमांचित हैं। बताया कि वे मप्र के नरसिंहगढ़ जिले के राजा विक्रमादित्य के पवार वंश की बेटी हैं।
श्री राम सांस्कृतिक शोध संस्थान के निदेशक डा. राम अवतार शर्मा ने चित्रकूट के अपने प्रवास को अलौकिक करार देते हुये कहा कि यहां तो प्रभु राम कण-कण में विराजते हैं। इसलिये ही यहां पर संग्रहालय का संकल्प लिया। चित्रकूट से पिछले 25 सालों से किसी न किसी रुप में संबंध रहा और अब ज्यादा प्रगाढ़ हो जायेगा। उन्होंने राजमाता के बारे में बताते हुये कहा कि भले ही वे राजवंश की बहू हैं पर वे किष्किंधा में होने वाले छोटे-छोटे से छोटे भगवत आयोजन में पहुंचने के साथ ही बिना किसी संस्था के माध्यम से हर वर्ष गरीब बालिकाओं की शादी कराती हैं। कार्यक्रम संयोजक गायत्री शक्ति पीठ के व्यवस्थापक डा. राम नारायण त्रिपाठी ने जब बाहर से आये सभी अतिथियों को विराध कुंड, अमरावती, वाल्मीकी आश्रम, भरतकूप के साथ ही अन्य विलक्षण स्थानों के दर्शन करवाये तो सभी काफी भावविभोर हो गये।

अलौकिक रहस्यों की भूमि चित्रकूट

चित्रकूट। 'चित्रकूट एक औषधि सचवत करत सचेत' वैसे तो तमाम पुराणों के साथ ही महर्षि वाल्मीकि और संत शिरोमणि तुलसीदास जी महाराज ने जब श्री राम चरित मानस के माध्यम से अलौकिक तीर्थ चित्रकूट के महत्व को सामने लाने का काम किया तो विश्व भर के लोग यहां के पहाड़ों कंदराओं और जंगलों में छिपे रहस्यों को समझने का प्रयास करने लगे।

संत इब्राहिम अली 'गोविंद बाबा' ने चित्रकूट के महत्व को अपने शब्दों में परिभाषित करते हुये कहा कि इस तीर्थ का निर्माण ही सत्य को लेकर हुआ है। इसलिये यह विश्व भर में देदीप्तमान नक्षत्र की तरह चमक रहा है। यह बात और है कि यहां पर आने वाले भक्त केवल अभी बाहरी चमक दमक देख रहे हैं पर वास्तव में जल्द ही यहां के वे रहस्य भी सामने आने वाले हैं जिनके बारे में केवल पुराने ऋषियों को ही मालूम था।
उन्होंने बाबा तुलसीदास जी की लिखी चौपाई चित्रकूट एक औषधि, सचवत करत सचेत को विस्तार पूर्वक समझाते हुये कहा कि जब आडंबर का सांप लोगों को डसने के लिये खड़ा होता है तो चित्रकूट एक औषधि के समान खड़ा होकर व्यक्ति का साथ देता है और उसके अंदर के इंसान को जगाकर पुरुषार्थी के रुप में सामने लाता है। भगवान राम को जब जंगल में आना पड़ा तो चित्रकूट ने ही उन्हें इतना बलवान बनाया कि उन्होंने राक्षस राज रावण को मारकर सत्य व न्याय की रक्षा की।
उन्होंने कहा कि चित्रकूट के कण-कण में परमपिता का निवास है यहां की भूमि प्रार्थनाओं की भूमि है जहां आदिकाल से संत ऋषि प्रार्थनाओं में लीन हैं।
समाजसेवी गुलाब सिंह के आवास में उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि सत्य को न तो मारा जा सकता है न काटा जा सकता है। वह तो सूर्य के समान हमेशा चमकता ही रहेगा।

भरत मिलाप में हैं सर्वाधिक प्रमाणित चरण चिंह

चित्रकूट। 'जहं जहं चरण पड़े रघुराई' कुछ ऐसी ही इच्छा लेकर जब डा. राम अवतार शर्मा आगे बढ़े तो एक सत्संकल्प था 'राम काज कीन्हें बिना मोहीं कहां विश्राम'। लेकिन जब चित्रकूट के प्रसंगों को अयोध्या कांड में डा. शर्मा ने पढ़ा तो वे चौंक पड़े , इससे भी ज्यादा तो वे भावविभोर तब हुये जब वे खुद चित्रकूट पहुंचे।

श्री राम चरित को विश्व से परिचित कराने वाले महर्षि वाल्मीकि हों या फिर जन-जन को श्री राम के चरित्र को मर्यादा पुरुषोत्तम का स्वरुप दिलाने वाले गोस्वामी तुलसी दास दोनो ने ही प्राकृतिक सुषमा से भरी इस तीर्थ शिरोमणि स्थली के तप वैभव के बारे में काफी कुछ लिखा। बस इस बात को देखकर और भगवान श्री राम के दूसरे दौर के वन गमन पर चित्रकूट में सर्वाधिक समय व्यतीत करने को लेकर जब वे यहां पर आये तो भरत मिलाप पर भगवान के चरण-चिंह देखकर तो निश्चित ही कर बैठे कि अगर कहीं पर भगवान के वन पथ गमन का संग्रहालय बनेगा तो वह यही भूमि होगी।
डा. शर्मा बताते हैं कि विश्व भर में एक जगह पर इतने सारे विभिन्न प्रकार के चरण चिंह कहीं और नही मिलते और न ही कहीं पर प्रभु की करुणा व भाइयों का प्रेम देखकर शिलाओं के पिघल जाने का प्रमाण मिलता है। भगवान राम, मां सीता और भ्राता लक्ष्मण के चरण चिंहों से पवित्र इस भूमि के कण-कण में भगवान स्वयं विराजते हैं। आज भी उनकी ऊर्जा की स्वीकारोक्ति मिलती है। वे बताते हैं कि प्रभु के पद इस जिले में सबसे पहले मुरका पर पड़े थे आज यहां पर हनुमान मंदिर है। इसके बाद ऋषियों की तपस्थली ऋषियन गांव में जिस पहाड़ी पर वे रुके थे उसका नाम अब सीता पहाड़ी के नाम से है। इसके बाद गरौली घाट से यमुना नदी को पार किया था। यहां पर 'तेहि अवसर एक तापस आवा' वाला प्रसंग हुआ था। अगला पड़ाव रामनगर का कुमार द्वय तालाब था। भगवान ने अपनी वन यात्रा की पांचवीं रात्रि का विश्राम रैपुरा तत्कालीन नाम रैनपुरा में किया था और यहां से प्रात: चार बजे वाल्मीकी नदी में स्नान कर चैत्र शुक्ल पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में आठ बजे दिन श्री कामदगिरि पहुंचे थे। प्रभु श्री राम ने चित्रकूट परिक्षेत्र के अनुसुइया आश्रम, गुप्त गोदावरी, स्फटिक शिला, राघव प्रयाग में तो अपने चरण चिंह धरे ही साथ ही मडफा, भरतकूप, अमरावती, विराध कुंड, पुष्करिणी सरोवर, मांडकर्णी आश्रम, श्रद्धा पहाड़ जैसे तमाम और स्थानों पर जाकर वहां पर तप में लगे ऋषियों से मिले। मांड़कर्णी आश्रम के पास ही उन्होंने भीलनी शबरी के जूठे बेर भी चखे थे।
उन्होंने कहा कि श्री राम बन पथ गमन का उद्देश्य अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को जन-जन तक पहुंचाना है। जिससे लोग यह जाने कि वास्तव में श्री राम का चरित्र क्या था और हमारे लिये उसमें से ग्रहण करने योग्य क्या है।

यूं नष्ट हो रहा है चित्रकूट का पुरातात्विक वैभव

चित्रकूट। 'तत: परिप्लवं गच्छेज्तीर्थ त्रलोक्य पूजितं। अग्निष्टों मत्रि रात्रि फलं प्राप्नोति मानव:।' कुछ इस तरह से पुराने अनाम ऋषि द्वारा लिखे गये 'वृहद चित्रकूट महात्म' में प्राकृतिक सुषमा से आच्छादित मंदाकिनी की धारा से सिंचित प्रमोद वन के महत्व को दर्शाया गया है। प्रमोदवन को पारिपल्लव नाम से संबोधित करते हुये कहा गया है कि जो व्यक्ति यहां पर तीन रात्रि निवास करता है उसे अग्निहोम यज्ञ के समान फल मिलता है। यह स्थान तीनों लोकों में पूजित है।

लगभग साढ़े तीन सौ साल पहले रींवा नरेश रघुराज सिंह ने प्रमोदवन में लक्ष्मी नारायण मंदिर का निर्माण कराने के साथ ही विशाल यज्ञ करवाया था। बताया जाता है कि इस यज्ञ को करने में 300 पंडि़तों ने लगातार दो साल से त्रिकाल संध्या के माध्यम से पाठ किया था।
स्वामी राम सखेन्द्र जी महाराज बताते हैं कि वास्तव में यह कोठरियां राजा रघुराज सिंह ने पुत्र कामेष्ठि यज्ञ को पूरा करने के लिये बनवाई थी। लक्ष्मी नारायण मंदिर के प्रांगण में पुत्र कामेष्ठि वृक्ष भी हिमालय से लाकर लाया गया था।
यहां पर रहने वाले अर्चन पंडि़त कहते हैं कि पुरातात्विक महत्व के इस विशाल मंदिर के बीस कमरों पर पहले तो वृद्ध सेवा सदन ने ही अतिक्रमण कर रखा था। वैसे बेसहारा वृद्धों के रहने के कारण इसमें कोई गलत नही था पर प्रशासन ने जिस अंदाज में इस प्राचीन इमारत के बीस कमरों को गिराया है। यह गलत है। उन्होंने कहा कि पुरातात्विक महत्व की इस इमारत का जहां सरकार को संरक्षण कर इसके जीर्णोधार की बात सोचनी चाहिये वहीं इसे गिराया जाना गलत है।
महंत कौशलेन्द्र दास ब्रह्मचारी कहते हैं कि जिस प्रकार अतिक्रमण विरोधी अभियान के अन्तर्गत मंदिरों, मठों, धर्मशालाओं और पुरातात्विक महत्व की इमारतों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है लगता ही नही कि उसी पार्टी भाजपा का यहां पर राज है जिसके मुखिया ने इसे पवित्र नगरी घोषित कर मेगा डिस्टेनेशन प्लान बनाकर विकास कार्यो की झड़ी लगा रखी है। मंदाकिनी की जमीन पर जिन भूमाफियाओं ने कब्जा कर बेंचने का काम जारी कर रखा है उसको खाली कराने का काम कोई नही करता। कहा कि चित्रकूट के पुराने नक्शे को गायब करने का कुचक्र भी उन्हीं भूमाफियाओं ने रचा है।

Tuesday, March 30, 2010

चित्रकूट विकास में धन की कमी आडे़ नहीं आयेगी : शिवराज सिंह चौहान

चित्रकूट। धर्मनगरी के विकास के लिए म.प्र. के मुख्यमंत्री ने महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के प्रांगण से चित्रकूट मेगा डेस्टीनेशन परियोजना का शुभारंभ किया। इस मौके पर बोलते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि चित्रकूट के विकास में धन की कमी आडे़ नहीं आयेगी। इस दौरान उन्होंने भरत घाट से कामदगिरि मार्ग, मंदाकिनी में एक अतिरिक्त पुल के निर्माण के साथ ही सूर्यकुंड, गुप्त गोदावरी, हनुमान धारा की ग्यारह परियोजनाओं का शिलान्यास किया। म.प्र के मुख्यमंत्री ने राघव प्रयाग घाट के निर्माण की आधार शिलाएं रखते हुये भरत घाट व राघव प्रयाग घाट का लोकार्पण किया। इन परियोजनाओं के अलावा भी उन्होंने सतना जिले की अन्य परियोजनाओं का शिलान्यास भी किया।

इसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिना तालियां बटोरी साथ ही महिलाओं, कन्याओं व हाल ही में पैदा हुये बच्चों को चेक भी बांटीं। इस दौरान उन्होंने समाजसेवी नाना जी देशमुख को याद करते हुये कहा कि दीन दयाल शोध संस्थान का बोध वाक्य 'हम अपने लिये नही अपनों के लिये हैं अपने वे हैं जो उपेक्षित हैं' वास्तव में कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि तीन साल बाद इस बार गेंहू का उत्पादन अच्छा हुआ है। मध्य प्रदेश शासन ने गेंहू का समर्थन मूल्य केंद्र सरकार द्वारा तय मूल्य से अधिक रखा है। प्रदेश में बारह सौ रुपये प्रति कुंटल गेंहू खरीदा जायेगा। किसानों को कर्जा भी केवल तीन प्रतिशत ब्याज पर दिया जा रहा है। नगरीय समग्र स्वच्छता अभियान में चित्रकूट को शामिल करने के साथ ही सभी योजनाओं के अलावा पच्चीस लाख रूपये देने की घोषणा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि सभी लोग अपना कर्तव्य पूरा करें, जनप्रतिनिधि हवाला घोटाला न करें और जनता की सेवा करें। बच्चों को स्कूल भेजें, साल में एक पेड़ लगाकर उसे जिंदा रखें, गांव का पानी गांव में रोकें, नशा मुक्त गांव बनायें व सरकारी योजनाओं के सही क्रियान्वयन में सरकार को सहयोग करें।
खेलकूद, पर्यटन एवं युवा कल्याण मंत्री तुको जी राव ने कहा कि पहले चित्रकूट के विकास के लिये 6 करोड़ प्रदेश सरकार ने दिये थे जिसमें पांच करोड़ खर्च कर दिये गये हैं। एक करोड़ के काम एक महीने में पूरे हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि धर्मनगरी चित्रकूट का विकास करना सरकार की न केवल मंशा है बल्कि प्रमुख लक्ष्य है। प्रभारी मंत्री ऊर्जा, खनिज राजेन्द्र शुक्ल, सांसद गणेश सिंह व विधायक सुरेन्द्र सिंह गहरवार ने भी संबोधित किया। ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ज्ञानेन्द्र सिंह ने शाल व प्रमुख द्वार कामतानाथ मंदिर के प्रतिनिधि ने उन्हें श्री फल भेंट किया।
इसके पूर्व आरोग्य धाम परिसर में आने के बाद मुख्यमंत्री का काफिला सियाराम कुटीर पर पहुंचा। शनिवार को पहले नाना जी के मासिक श्राद्ध होने के चलते यहां पर पहुंचे मुख्यमंत्री ने उनके कमरे में जाकर अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये। यहां पर अप्रवासी भारतीय डा. नरेश शर्मा ने उनसे नाना जी की यादें बांटी। इसके बाद मुख्यमंत्री स्फटिक शिला परिसर में पहुंचे। यहां पर काफी दिनों से रुक-रुक चल रहे मंदाकिनी सफाई अभियान में हाथ बंटाने के साथ ही मंदाकिनी का पूजन-अर्चन किया। इस दौरान गायत्री परिवार के व्यवस्थापक डा. राम नारायण त्रिपाठी व भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।

सभी ने याद किया नानाजी को

चित्रकूट। चित्रकूट के विकास के लिये मील का पत्थर रहे समाजसेवी नाना जी देशमुख का प्रथम मासिक श्राद्ध मनाने महाराष्ट्र से एक विशेष ट्रेन के जरिये लगभग आठ सौ लोग शुक्रवार की देर शाम चित्रकूट पहुंचे।

उद्यमिता विद्यापीठ के परिसर में ही शनिवार की शाम को एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। जिसमें बाहर से आये सभी लोगों ने अपने विचार व्यक्त करने के बाद नाना जी को भाव भीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान नाना जी के कामों को आगे बढ़ाने की शपथ काफी लोगों ने ली।
उद्यमिता की निदेशक डा. नंदिता पाठक ने कहा कि वास्तव में नाना जी ने यहां माडल विकसित कर यह बताने का प्रयास किया है कि गांव में रहने वाले हों या फिर शहर में रहने वाले अगर सहजीवन जियें तो कभी कोई दिक्कत नही आ सकती। अगर अपना जीवन दूसरों की भलाई के लिये समर्पित करना है तो नाना जी से बड़ा कोई दूसरा उदाहरण नही हो सकता।
शनिवार को बाहर से आये सभी लोगों ने दीनदयाल शोध संस्थान के प्रकल्पों आरोग्य धाम, बनवासी आश्रम, गुरुकुल, राम दर्शन, कृषि विज्ञान केंद्र गनीवां व मझगंवा व अन्य स्थलों का अवलोकन किया।

अमावस्या पर भी जारी रही पुलिस की कमाई

चित्रकूट। इस बार की सोमवती अमावस्या के मौक पर एलआईयू काफी सक्रिय रही। जगह-जगह लोगों को रोक-रोक कर उनके सामान की जांच की गई। जिलाधिकारी विशाल राय की कड़ाई काम आ ही गई। ऐन सोमवती अमावस्या के दस दिन पहले ली गई सभी विभागों की बैठक में अमावस्या के मौके पर मेला परिक्षेत्र में व्यवस्थाओं को चौकस रखने के निर्देशों का असर यहां देखने को मिला। रोडवेज वाहनों की कमी के चलते डग्गामार वाहनों की चांदी रही। कर्वी से चित्रकूट तक चलने वाले टैंपो व टैक्सी वालों ने हद कर दी। सवारियों को बेरोकटोक बाहर लटकाकर चलते रहे।

रामघाट में यात्रियों को डूबने से बचाने के लिये गोताखोर पुलिस की टीम डटी रही। अग्निशमन विभाग अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद रहा वहीं कुछ पुलिस कर्मियों ने अमावस्या के मौके पर भी अपनी वाहन चेकिंग का काम जारी रखा। दो पहिया वाहन चालक तो परेशान किये ही गये साथ ही कुछ टैक्सी टैम्पों वालों का भी चालान कर कोतवाली पहुंचा दिया गया।

सोमवती अमावस्या : पवित्र डुबकी लग कमाया पुण्य

चित्रकूट। 'भज ले पार करइया का, भज ले पर्वत वाले का' ये कुछ ऐसे उद्धोष हैं जो रविवार की दोपहर से ही धर्म नगरी के परिक्रमा मार्ग पर लगातार सुने जा रहे हैं। ऐसे लोगों की संख्या सोमवार की शाम तक लाखों लोगों की पार कर चुकी है। लोगों का आना और जाना लगातार जारी है। सोमवती अमावस्या पर्व पर पुण्य लूटने की आस्था और समस्त कामनाओं की पूर्ति के लिये परिक्रमा पूरी करने की होड़ बुंदेलखंड के इसी अलौकिक तीर्थ में देखने को मिलती है। महिला हो या पुरुष, वृद्ध हो या जवान सभी के चेहरे की चमक लाखों लोगों की रेलम पेल में भी विश्वास की ज्योति कम नही होती। परिक्रमा पथ हो या फिर परिक्षेत्र के अन्य स्थान सभी जगहों पर कामतानाथ की जय के नारे तो जोरदारी से सुनाई ही देते हैं वहीं तेल बेचने वालों के अलावा तमाम गृह उपयोगी उत्पाद बेंचने वालों के भी प्रचारों की स्वर लहरियां उनमें मिलकर अलग ही वातावरण प्रस्तुत करती हैं।

सबसे ज्यादा आनंददायक क्षण मंदाकिनी गंगा के किनारे पर दिखाई देता है। जहां पर कड़ी चौकसी के बीच लाखों लोग रामघाट, राघव प्रयाग घाट के अलावा अन्य घाटों पर स्नान करते दिखाई देते हैं। इसके बाद लोगों में चित्रकूट के अधिष्ठाता देव स्वामी मत्स्यगयेन्द्र नाथ को जलाभिषेक करने की होड़ होती है। यहां के बाद लोग पैदल ही लगभग तीन किलोमीटर दूर स्वामी कामतानाथ के पर्वत की परिक्रमा करने के लिये निकलते हैं। तमाम श्रद्धालु तो ऐसे हैं जो लगभग चालीस-चालीस सालों से हर एक अमावस्या पर यहां पर आकर परिक्रमा लगाते हैं।
महोबा जिले के चरखारी से आये लेखपाल संतोष कुमार चौबे बताते हैं कि पिछले पैंतीस सालों से ज्यादा से वे हर अमावस्या पर वे आकर यहां परिक्रमा लगा रहे हैं।
ऐसे ही तमाम और लोग हैं जो यहां हर अमावस्या को आकर परिक्रमा करते हैं तमाम लोग तो अपने निवास स्थान से चित्रकूट तक पैदल आते हैं। कुछ की मनौती होती है तो कुछ जिंदगी को खुशहाल बनाने के लिये ऐसा करते हैं।
ग्वालियर से आये कैलाश, मीना, राजकुमार व चंद्र मोहन ने कहा कि भले ही वे लोग अपने घरों से पैदल न आ पाते हो पर वे चित्रकूट धाम कर्वी के रेलवे स्टेशन से तो पैदल ही स्वामी कामतानाथ के दरबार में जाते हैं।

सोमवती अमावस्या : तपती धूप पर भारी पड़ी आस्था

चित्रकूट। तपती धूप पर एक बार फिर आस्था भारी पड़ गयी। विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल चित्रकूट की पवित्र मंदाकिनी में लाखों श्रद्धालुओं ने डुबकी मारने के साथ ही स्वामी कामतानाथ की परिक्रमा लगाई। स्वामी कामतानाथ की परिक्रमा के साथ ही हनुमानधारा, जानकीकुंड, स्फटिक शिला, राम शैया के साथ ही आसपास के अन्य तीथरें पर भी लोगों का काफी जमावड़ा रहा। मंगलवार से नवरात्रि के प्रारंभ होने के कारण काफी बड़ी संख्या में लोगों का रुख मैहर के मां शारदा मंदिर का भी रहा।

सोमवती अमावस्या के चलते यहां वैसे तो रविवार की दोपहर से ही भक्तों का आना जारी हो चुका था। लोगों ने यहां पर आकर अमावस्या पर्व का इंतजार न करके मंदाकिनी में स्नान करने के साथ ही स्वामी कामतानाथ की परिक्रमा करना प्रारंभ कर दिया था। पैदल परिक्रमा करने वालों के साथ ही भारी मात्रा में महिलायें और बच्चे भी दंडवती साढ़े पांच किलोमीटर की परिक्रमा लगा रहे थे। उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के प्रशासन ने बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिये व्यवस्थायें कर रखी थी। दोनो ही तरफ खोया पाया केंद्रों पर लगातार उद्धोषणायें की जा रही थी। बिछड़े लोग उनके परिजनों से लगातार मिलाये जा रहे थे। कई स्थानों पर स्वास्थ्य विभाग की टीमें मोबाइल एम्बुलेंस के साथ खड़ी लोगों को दवायें देने का काम कर रही थी। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. आरडी राम ने बताया कि रात के समय तो अधिकतर लोग पेट दर्द की शिकायतें लेकर आये जबकि दिन के समय तेज धूप में परिक्रमा लगाने की वजह से चक्कर आने की शिकायत करने वालों की तादाद ज्यादा रही।
मुख्यालय के रेलवे स्टेशन के साथ ही खोह, शिवरामपुर, भरतकूप के अलावा सभी बस स्टैंडों पर जहां प्रशासनिक अधिकारियों को सेक्टर मजिस्ट्रेट के रुप लगाया गया था। वहीं बाहर से आयी व स्थानीय पुलिस फोर्स के सहारे कड़ी चौकसी होती दिखाई दे रही थी। बेड़ीपुलिया से पर्यटक तिराहे तक मार्ग को वन वे रविवार की रात से ही कर दिया गया था। मेला क्षेत्र पर कई जगहों पर कई सामाजिक और धार्मिक संस्थायें यात्रियों को भोजन व चाय नास्ते का मुफ्त वितरण करती दिखाई दी। जिलाधिकारी विशाल राय, पुलिस अधीक्षक वीर बहादुर सिंह, अपर जिलाधिकरी राजाराम, एसडीएम गुलाब चंद्र, तहसीलदार अश्विनी कुमार श्रीवास्तव के अलावा अपर पुलिस अधीक्षक विपिन कुमार मिश्र व सीओ सदर उदय शंकर लगातार मेला क्षेत्र पर भ्रमण करते दिखाई दिये।

नाना जी को याद कर नम होती रहीं आंखें

चित्रकूट। पहली बार नाना जी के बिना हुई संस्थान की बैठक में मौजूद सभी सदस्यों की आंखें एक दो बार नहीं बल्कि कई बार भरीं। कुछ तो इतने भावुक हुये कि उनकी आंखों से जल की धारा रुकने का नाम ही नही ले रही थी।

पद्म विभूषण नाना जी देशमुख के त्रयोदशाह के बाद शनिवार को सिया राम कुटीर के बंद कमरे हुई दीनदयाल शोध संस्थान के प्रबंध मंडल की बैठक में सभी ने नाना जी से संबंधित जब अपने संस्मरण सुनाये तो धीरे-धीरे करके सभी की आंखें भर आयी।
नाना जी के साथ सर्वाधिक 64 साल का समय व्यतीत करने वाले देवेन्द्र स्वरुप अपने संस्मरण सुनाते कई बार भावुक हुये पर बाद में उन्होंने कहा कि नाना जी के प्राण चित्रकूट में ही बसते हैं। वे कहीं गये नही बल्कि अब वे समाज की पुनर्रचना के कामों को और भी तेजी से आगे बढ़ाने का काम करेगें।
प्रबंध मंडल की बैठक तो बंद कमरे में हुई और कार्यवाही पूरी तरह गोपनीय रही पर युगानुकूल सामाजिक पुनर्रचना सहयोगी कार्यकर्ता सम्मेलन में जब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सर कार्यवाह सुरेश सोनी ने अपना संबोधन शुरु किया तो उन्होंने सुबह हुई प्रबंध मंडल की बैठक का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि संस्थान की बैठक में नाना जी के एकात्म मानव दर्शन के आधार पर उनके द्वारा चयनित किये गये पांच सौ गांवों में और भी बेहतर तरीकों से समाज के अंतिम व्यक्ति की खुशहाली के लिये काम किया जायेगा।
संस्थान के प्रबंध मंडल की बैठक में संरक्षक मदन सिंह देवी, अध्यक्ष वीरेन्द्र जीत सिंह, संगठन सचिव अभय महाजन, प्रधान सचिव डा. भरत पाठक, उपाध्यक्ष प्रभाकर राव मुंडले, उपाध्यक्ष नितिन सांवले, शंकर प्रसाद ताम्रकार सहित अन्य सदस्य मौजूद रहे।

नाना जी की समाजसेवा को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का संकल्प

चित्रकूट। उद्यमिता विद्या पीठ में जुटे समाजसेवियों ने युगानुकूल सामाजिक पुनर्रचना सहयोगी कार्यकर्ता सम्मेलन के समापन पर दीन दयाल शोध संस्थान के संरक्षक व राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मदन दास देवी ने कहा कि नाना जी तो अब हमारे बीच नहीं रहे पर उनके विचार हमेशा जागृत रहेंगे और उनको लेकर हम सब आगे बढ़ने का काम करेंगे।

उन्होंने कहा कि भौतिक उन्नति से ज्यादा जरूरी लोगों में परस्पर सहभागिता की भावना को जागृत करना है जिससे लोग सहजीवी होकर जी सकें। दीन दयाल शोध संस्थान सबसे निचली पंक्ति के व्यक्ति की शैक्षणिक, आर्थिक, स्वास्थ्य और उन्नति के लिए जो कार्य कर रहा है, उसे सीख कर अपने क्षेत्रों में फैलाने में जुट जायें यही नाना जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
संस्थान के प्रधान सचिव डा. भरत पाठक ने कहा कि वैसे तो नाना जी से प्रेरणा लेकर काम करने वालों की सूची काफी बड़ी है पर सुरभि शोध संस्थान वाराणसी के भानु भाई जालान, ज्ञान प्रबोधनी महाराष्ट्र के सुभाष पांडे, गोवमुखी सेवा धाम के बनवारी लाल, जबलपुर के दीप शंकर बनर्जी, मोक्षदायिनी सेवा समिति के प्रदीप पांडे, ग्रामीण स्वाभिमान संस्था नागौर, मैत्री फाउंडेशन ट्रस्ट के साथ ही अनेकों लोगों ने शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी प्रबंध, गो प्रबंधन, कृषि व ग्रामीण विकास के विभिन्न ग्रामों में नाना जी से प्रेरणा लेकर आज काफी अच्छा कार्य कर रहे हैं।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सुरेश सोनी ,अध्यक्ष वीरेन्द्र जीत सिंह, संगठन सचिव अभय महाजन , संस्थान के उपाध्यक्ष प्रभाकर राव मुंडले, नितिन सांवले, उद्यमिता विद्या पीठ की निदेशक डा. नंदिता पाठक, क्षेत्रीय संघ चालक श्री कृष्ण माहेश्वरी, मप्र के कैबिनेट मंत्री विजय शाह, कृषि राज्य मंत्री ब्रजेन्द्र सिंह, राज्य सभा सांसद प्रभात झा तथा कर्नाटक से आये विधायक नागेश के साथ ही देश के हर प्रांत से आये सामाजिक क्षेत्र के कार्यकर्ता मौजूद रहे।

अपनों के लिये भी है बेगाना अद्वितीय शिल्प का नमूना गणेश बाग

चित्रकूट। इस परिक्षेत्र का आध्यात्मिक, धार्मिक के साथ ही सांस्कृतिक वैभव अपने आपमें अनूठा है। धर्म नगरी का दर्शन जहां शांति और वैराग्य का संदेश देता है वहीं कर्वी नगर में स्थापत्य कला पर धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के स्वरुप दिखाई देते हैं। ऐसा ही एक स्थान जिला मुख्यालय से लगे सोनेपुर गांव के समीप 'गणेश बाग' है। भले ही अभी भी इस विशिष्ट स्थान पर देशी और विदेशी पर्यटकों की आवक उतनी न बन पाई हो जितनी की उम्मीद की जाती है पर इतना तो साफ है कि सांस्कृतिक विरासत का धनी स्थान अपने आपमें काफी विशिष्टतायें समेटे हुये है। भले ही इस स्थान का नाम गणेश बाग हो पर यहां पर श्री गणेश की स्थापित एक भी मूर्ति नही है। मूर्ति चोरों की बुरी नजर का परिणाम श्री गणेश की प्रतिमा ही नही बल्कि अन्य विशेष स्थापत्य कला की मूर्तियां बाहर जा चुकी है।

जिला चिकित्सालय के ठीक पीछे को कोटि तीर्थ जाने के मार्ग पर स्थित गणेश बाग के बनने की कहानी भी कम रोचक नही है। मराठा राजवंश की बहू जय श्री जोग बताती हैं कि उनका खानदान प्लासी के युद्ध के बाद बेसिन की संधि में यह क्षेत्र में मिलने के बाद यहां पर आया था। उनके पुरखे पेशवा अमृत राव को कुआं तालाब बाबड़ी आदि बनवाने का काफी शौक था। वैसे उस समय इस शहर का नाम अमृत नगर हुआ करता था। पानी की विशेष दिक्कत होने के कारण भी पानी की व्यवस्था सुचारु रूप से किये जाने के प्रबंध किये गये थे।
महाराष्ट्र से लाल्लुक रखने के कारण श्री गणेश की आराधना उनके खानदान में होती थी। यहां पर इस मंदिर के साथ ही तालाब व बावड़ी का निर्माण कराने के साथ ही विशाल अस्तबल का भी निर्माण कराया गया था।
महात्मा गांधी चित्रकूट गांधी विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डा. कमलेश थापक कहते हैं कि बेसिन की संधि के बाद मराठों ने बांदा और चित्रकूट में आकर अपना साम्राज्य स्थापित किया। उनके आने से जहां कुछ नई परंपरायें समाप्त हुयी वहीं मंदिरों, कुओं, तालाबों व बाबडियों का भी निर्माण हुआ।
गणेश बाग भी स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। यहां पर स्थापित मूर्तियां खजुराहो शिल्प की तरह ही हैं। पांच मंदिरों के समूह के साथ ही तालाब व अन्य भवन कभी अपने वैभव रहने की की कहानी कहते हैं, पर समय बदलने और आधुनिकता का रंग चढ़ने पर आज यह विशेष स्थान दुर्दशा को प्राप्त हो रहा है। सरकारी स्तर पर किये गये प्रयास नाकाफी है और किसी भी जन प्रतिनिधि को यहां के सांस्कृतिक गौरवों के उत्थान की याद ही नही आती।
सामाजिक चिंतक आलोक द्विवेदी कहते हैं कि सरकार के पास पैसा बेकार के कामों के लिये बहाने को तो है पर गणेश बाग के विकास के लिये शायद नही है।
भारतीय पुरातत्व विभाग का एक बोर्ड और चंद चौकीदार ही इसके संरक्षण और संर्वधन के जिम्मेदार बने हुये हैं। सरकारी योजनायें इसके उत्थान के लिये तो बनी पर उनसे गणेश बाग की दशा और दिशा के साथ ही पर्यटकों की आवक नही बढ़ सकी। अगर वास्तव में सही मंशा से गणेश बाग का विकास किया जाये तो पर्यटक यहां पर भी आकर आनंदित महसूस करेंगे। खजुराहो शिल्प की तरह ही इस मंदिर का इतिहास अपने आपमें स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानी चंद्र शेखर आजाद के यहां पर कई बार रहने का भी गवाह है, पर दुर्भाग्य इस बात का है कि कभी भी किसी ने इस तरह का जिक्र गणेश बाग की इमारत के अंदर बोर्ड लगाकर किया ही नही। पेशवाओं के बनवाये तमाम मकान खंडहर होते रहे और पर्यटक विभाग भी मूक दर्शक की भांति अपनी कार्य कुशलता सिद्ध करता रहा।
वैसे फरवरी के महीने में महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के प्रांगण मे आयोजित विश्व यू 3 ए कांफ्रेंस का समापन गणेश बाग में आयोजित कर आयुष्मान ग्रुप ने यहां पर देशी और विदेशी पर्यटकों को लाकर पर्यटकों की आमद बढ़ाने का प्रयास किया था।

Sunday, March 28, 2010

जंगल में मंगल:एक कर्मयोगी की तप साधना

चित्रकूट। अब शायद ही उनका नाम कोई भरत दास के नाम से जानता हो क्योंकि धर्म और आध्यात्म के साथ पर्यावरण संतुलन को सुधारने जो बीड़ा उन्होंने बीस साल पहले उठाया था उसकी वजह से लोग उन्हें अब 'हरियाली वाले बाबा' के नाम से जानते हैं।

मानिक पुर कस्बे से लगभग सात किलोमीटर दूर काली घाटी में बाबा भरत दास ने रहना शुरु किया तो सहसा किसी ने विश्वास ही नही किया कि शायद इस बियावान जंगल में कोई एक रात भी रह पायेगा पर पथरीली जमीन की कोख से जब उन्होंने पौधों की कोंपलें निकलवायी तो जैसे आश्चर्य ही हो गया। लोगों ने समझा कि शायद बाबा मायावी है पर ऐसा कुछ भी नही था। लगभग तीन सौ से ज्यादा पेड़ों को पुष्पित और पल्लवित करने के पीछे बाबा की मेहनत की वह तासीर छिपी है जिसकी बदौलत आम तो क्या अन्य पेड़ अपने फल लोगों को खिला रहे हैं। इतना ही नही जब इलाके के असरदार लोगों की नजर इस जगह पर पड़ी तो फिर सामंतशाही अंदाज में व्यवस्था के लिये पूंछतांछ प्रारंभ हुई। लिहाजा बाबा ने स्थान बदल दिया और काली घाटी से एक किलोमीटर दूर जब पहुंचे तो वहां पर पानी के झरने देखकर प्रफुल्लित हो उठे। दो ही साल के अंतराल में बाबा ने वहां पर भी आंवला पीपल और अन्य पौधों को रोपकर उन्हें तैयार भी कर डाला।
बाबा भरत दास बताते हैं कि वे मूलत: कानपुर के नवाबगंज के गुरु निर्मलदास के शिष्य हैं। उनके गुरु जी कर्वी में बनकट के पास पम्प कैनाल के मंदिर में रहकर तप किया करते थे। लगभग बीस साल पहले वे गुरु की आज्ञा से काली घाटी आये। जब यहां पर आये तो सामने की कोल बस्ती के साथ ही सरैंया में रहने वाले लोगों का काफी साथ मिला। पेड़ पौधे मानव का मन प्रफुल्लित रखते और जीवन जीने में सहायता करते है, अपने गुरु की इस बात को अंगीकार कर पौधों का रोपण करने लगे और देखते ही देखते काली घाटी में हरियाली दिखाई देने लगी। आम के लगभग डेढ़ सौ पेड़ों के साथ ही महुवा, जामुन, नींबू, अमरुद, करौंदा, आंवला, अनार, आंस, सेधा, तेंदू, नीम, सिरसा व बेर जैसे तमाम पेड़ों में हरियाली दिखा दी। इसके साथ ही यहां पर लगे गुलाब, गेंदा आदि के पौधे भी अपना खूबसूरती कहानी स्वयं कहते हैं। वे बताते हैं कि पहले से मां काली, हनुमान जी, शंकर जी, भैरम बाबा की मूर्तियां थी वर्ष 2005 में स्थानीय लोगों के सहयोग से मां अम्बे की विशालकाय प्रतिमा की स्थापना कराई गई। इसके बाद जब इस स्थान पर वैभव दिखाई देने लगा तो कुछ दबंगों ने उन्हें परेशान करना प्रारंभ कर दिया तो वे स्थान को छोड़कर एक किलोमीटर आगे चले गये। वहां पर गुफा के साथ ही पहाड़ों के बीच से रिसता हुआ पानी देखा तो उत्साह चरम पर पहुंचा। यहां पर नर्मदा के किनारे से लाकर शिवलिंग व चित्रकूट से लाकर हनुमान जी की स्थापना की। यहां पर भी पीपल, बेल, आंवला के साथ ही पचासो किस्म के पौधे रोप डाले। फिर जनप्रतिनिधि और सरकारी स्तर पर प्रयास किया तो ब्लाक प्रमुख विनोद द्विवेदी व खंड विकास अधिकारी ने कई बार आकर स्थान को देखा। वे बताते हैं कि श्री द्विवेदी ने आश्वासन दिया है कि यहां पर निकलने वाले सभी जल स्रोतों को एक कर तालाब का रुप देने के साथ ही आगे पहाड़ पर ही बांध का निर्माण किया जायेगा। जिससे इस क्षेत्र में हरियाली की बयार और दिखाई देगी। बाबा भरत दास बताते हैं कि उन्होंने अब संकल्प लिया है कि काली घाटी से लेकर नये आश्रम तक सड़क के किनारे दोनो तरफ पौधों का रोपण कर सरकारी नुमाइंदो को दिखायेगे कि किस तरह से पौधों को तैयार किया जाता है। इसके लिये उन्होंने स्थानीय लोगों से भी बात करने की बात कही है। यह काम बिना किसी सरकारी सहयोग से किये जाने की बात करते हैं।

Saturday, February 6, 2010

यू थ्री ए सम्मेलन: जोर शोर से चल रही हैं तैयारियां

चित्रकूट। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के प्रांगण में इन दिनों यू 3 ए सम्मेलन की तैयारियां जोर शोर से चल रही है। जहां एक तरफ देशी के साथ ही विदेशी मेहमानों के आने को लेकर उत्साह का माहौल है वहीं व्यवस्था समितियों के प्रभारी भी अपने-अपने कामों में जुटे दिखाई दे रहे हैं।

विवि. के कुलपति प्रो. ज्ञानेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में आयोजित बैठक के बाद 8 फरवरी से लेकर 10 फरवरी तक आयोजित होने वाले सम्मेलन के सभी कार्यक्रमों की समय वार घोषणा कर दी। सम्मेलन संयोजक डा. आरसी सिंह ने बताया कि 8 फरवरी को प्रात: 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक उद्घाटन सत्र होगा। इसके बाद माइंड एंड मैटर थीम पर तकनीकी सत्र तथा एक्ज्यूकेटिव कमेटी एवं जनरल बाड़ी की बैठक होगी। 9 फरवरी को टेक्नोलाजी थीम और होलिस्टिक हेल्थ थीम पर तकनीकी सत्र होंगे। इसके बाद यू 3 ए बैठक होगी। 8 व 9 की शाम को 6.30 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। 10 फरवरी को यू 3 ए स्टोरीज थीम पर तकनीकी सत्र एवं अपराह्न 12 बजे से समापन सत्र होगा। चित्रकूट के दर्शनीय स्थलों के अवलोकन के साथ ही रुरल यू 3 ए का गठन 10 फरवरी को मिनी खजुराहो 'गणेश बाग' कर्वी में किया जायेगा।
सम्मेलन के सचिव द्वय डा. वीरेन्द्र कुमार व्यास व डा. आशुतोष उपाध्याय ने बताया कि सम्मेलन में आने वाले प्रतिभागियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। न्यूजीलैंड, स्काटलैंड, इंग्लैंड, साउथ अफ्रीका, सिंगापुर, नेपाल व बांग्लादेश आदि देशों से लगभग पचास व देश के तमाम राज्यों से लगभग 450 प्रतिभागियों के सम्मिलित होने की सूचना प्राप्त हो चुकी है। इस दौरान विवि परिसर में ग्राहक सेवा के तत्वावधान में ग्रामीण उत्पादों की प्रदर्शनी विभिन्न विकास एजेन्सियों द्वारा लगाई जायेगी।

अगले साल तक जमीन पर काम कर सकती है चित्रकूट महायोजना

चित्रकूट। भले ही मप्र ने चित्रकूट को धार्मिक नगरी घोषित कर विकास की बड़ी कवायत करनी प्रारंभ कर दी हो पर इस मामले में यहां का प्रशासन भी काफी खामोशी से काम कर रहा है। जहां एक तरफ चीफ टाउन प्लानर को 'चित्रकूट महायोजना' को बनाये जाने का प्रस्ताव भेजा जा चुका है। वहीं मुख्यालय को एक विशेष रुप से शेप देने के साथ ही विशेष तौर पर विकासात्मक कदमों की भरमार करने की योजना भी बताई जा रही है।

अपर जिलाधिकारी राजा राम बताते हैं कि वैसे तो चित्रकूट महायोजना को बनाये जाने का प्रस्ताव काफी पहले भेजा गया था पर अब मालूम चला है कि यह अपने अंतिम दौर में है। लखनऊ के चीफ टाउन प्लानर के द्वारा बनाये जाने वाले चित्रकूट मुख्यालय के नक्शे के बारे में वे कहते हैं कि अभी तक तो उन्होंने यह देखा नही है पर उम्मीद है कि इसके बनने के बाद तो चित्रकूट विकास प्राधिकरण का काम काफी बढ़ जायेगा। जहां यहां पर नई टाउनशिप बनेगी वहीं नये पार्क व धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व के स्थलों को संरक्षित करने के लिये भी विशेष कार्ययोजना का प्रस्ताव भी इसमें किया गया बताया जा रहा है।
इतना ही नही जहां प्रशासनिक स्तर पर अधिकारियों को यह उम्मीद है कि अगले वित्तीय वर्ष में चित्रकूट को भी मथुरा, काशी, इलाहाबाद, वृन्दावन की तर्ज पर महायोजना बनाकर विकसित किया जा रहा है। वैसी ही योजना की शुरुआत यहां पर शासन के स्तर पर अगले वर्ष हो सकती है। वैसे यहां पर भी अधिकारी अपने स्तर पर स्वयंसेवियों के साथ चित्रकूट के विकास की मशक्कत का काम कर रहे हैं।

मेले को यादगार बनाने को हर संभव प्रयास

चित्रकूट। समाजवादी चिंतक डा. राम मनोहर लोहिया द्वारा परिकल्पित राष्ट्रीय रामायण मेले को सैतीसवें वर्ष आयोजित करने के लिये तैयारियों को अंतिम रुप दिया जा रहा है।

तीर्थ नगरी के राष्ट्रीय रामायण मेला भवनम के लोहिया सभागार में मेले के कार्यकारी अध्यक्ष गोपाल कृष्ण करवरिया, मंत्री आचार्य बाबू लाल गर्ग, प्रचार मंत्री डा. करुणा शंकर द्विवेदी,डा.श्याम मोहन त्रिपाठी व देवी दयाल यादव ने पत्रकारों से बात करते हुये बताया कि राष्ट्रीय रामायण मेले का उद्घाटन 12 फरवरी को सूबे के श्रम मंत्री कुंवर बादशाह सिंह करेंगे।
उन्होंने बताया कि देश भर के रामायण के विद्वानों, कथाव्यासों, रंगकर्मियों व राजनेताओं के साथ ही राम लीला मंडलों व रामकथा की विभिन्न तरीकों से प्रस्तुतियां देने वाले दलों व कलाकारों को आमंत्रित किया गया था। अभी तक तमिलनाडु डा. एम शेषन, डा. सुन्दरम, आंध्रप्रदेश से डा. आर एस त्रिपाठी, डा. एन जी देवकी, उप्र से सूर्य प्रकाश दीक्षित, डा. जीतेन्द्र नाथ पांडेय, डा. यतीन्द्र त्रिपाठी, डा. चंद्रिका प्रसाद दीक्षित, डा. कामता कमलेश, डा. राम अवध शास्त्री हरियाणा से डा. ओम प्रकाश शर्मा आदि विद्वानों के आने की स्वीकृतियां मिल चुकी हैं। बिहार, झारखंड, मप्र, राजस्थान, दिल्ली आदि प्रदेशों से भी तमाम विद्वानों के आने की सूचनायें प्राप्त हो रही हैं। विभिन्न प्रांतों के सांस्कृतिक दलों व वृन्दावन की रास लीला सहित रास लीला, सृजन आर्ट एंड कल्चर नई दिल्ली का बैले ग्रुप, कलाकार डांस इन्टीट्यूट मुंबई, पूर्णिमा और सखियों का नृत्य, रत्नेश का गायन, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के क्षेत्रीय निदेशालय का दल, पवन तिवारी निवाड़ी, रामाधीन आर्य एंड पार्टी मऊरानीपुर, जुगुल किशोर शर्मा लोक नृत्य, रघुवीर सिंह यादव लोकनृत्य झांसी, ललित त्रिपाठी गायन आदि कलाकारों के आने की स्वीकृतियां प्राप्त हो चुकी रहे हैं। इसके अतिरिक्त आकाशवाणी इलाहाबाद, छतरपुर, रींवा, श्री राम कला केंद्र नई दिल्ली, रमा वैद्यनाथन भरतनाट्यम आदि के आने की संभावना है।
आयोजकों ने बताया कि समारोह में जगद्गुरु शंकराचार्य बद्रिकाश्रम स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, जगद्गुरु स्वामी राम भद्राचार्य, संत फलाहारी दास महाराज अयोध्या व चित्रकूट स्थित सभी अखाड़ों के संत महन्त मौजूद रहेंगे। राम कथा के व्यासों में स्वामी राजेश्वरानंद सरस्वती, गुप्तेश्वरी देवी, मानस मंजरी, रघुराज शरण, पुष्पा गौतम, मीरा दुबे, आदि के आने की स्वीकृतियां आ चुकी हैं। इसके साथ ही परिसर में लगने वाली प्रदर्शनियां भी आकर्षण का केंद्र रहेंगी। संस्कृति विभाग उप्र, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, केन्द्रीय हथकरघा विभाग, दीन दयाल शोध संस्थान सहित मंडल व जनपद के सभी विभागों की विकासात्मक कार्यो की प्रदर्शनियां लगाई जायेगी।

Wednesday, February 3, 2010

सूखे से जंग जीत मुनव्वर बने धरती के लाल

चित्रकूट। मौसम की मार से परेशान बुंदेलखंड के न जाने कितने किसान पिछले सात सालों में सल्फास खाकर या फांसी लगाकर जान दे चुके हैं। पर इस तस्वीर से उलट एक ऐसा वीर किसान भी है जो भले ही कभी स्कूल न गया हो मगर उसके खेत कभी खाली नहीं रहे। फसलों में वो हमेशा अव्वल रहा।

कभी दूसरों के खेत को किराये पर लेकर खेती करने वाले जनपद के रामपुर तरौंहा गांव के 70 वर्षीय मुनव्वर अली कहते हैं कि उन्होंने जमीन में मेहनत करने को ही अल्लाह की इबारत माना और आज पचास बीघा खेती उसकी ही नियामत है। एक साल में तीन से चार फसलें पैदा करने और खेतों को कभी खाली न रखने वाले मुनव्वर अली उन किसानों के लिए मिसाल बन चुके हैं जो सूखे से परेशान हैं। वे जिले के एक मात्र ऐसे किसान भी हैं जिनके खेतों में पैदा होने वाले आलू इस जिले में बिकते ही नही बल्कि बाहर जाते हैं। इलाहाबाद में कोल्ड स्टोरेज में आलू रखने के बाद अच्छी कीमत में बेंचने की बात करने वाले श्री अली कहते हैं कि भइया तीस साल हो गये एक भी खेत कभी खाली नही रहा और ऐसी कोई फसल नही जो उन्होंने पैदा ही की। बताते हैं कि वे ही अपने ब्लाक के पहले किसान हैं जिसके खेत में पहली बार रिंग बोर से पानी निकला था। चार-चार ट्यूब बेलों के साथ ही खेती की सभी उन्नतशील तरीके ग्रहण किये। इस दौरान उनका साथ सभी अधिकारियों ने भी खूब दिया।
लगभग बीस बीघा खेत पर आलू की फसल दिखाते हुए उन्होंने कहाकि लगभग 800 क्विंटल आलू हो ही जायेगा। इस समय उनके खेतों में जहां गेंहू, चना, अरहर, सरसों की फसलें लहलहा रही हैं वहीं धनिया, मिर्च, प्याज, आलू, जीरा, बैगन, टमाटर व पालक भी अच्छी मात्रा में लगे दिखे। लगभग पचास लोगों के कुनबे के मुखिया श्री अली ने बताया कि रवी, खरीफ और जायद में तो फसलें वे सभी ले ही लेते हैं। इसके साथ ही जानवरों के लिये बरसीम को भी उगा लेते हैं।
उनकी खेती के तौर तरीके देखने पहुंचे उप निदेशक कृषि मो. आरिफ सिद्दीकी व जिला कृषि अधिकारी एच एन सिंह ने जब सवाल किया कि दवा और खाद का प्रयोग किस तरह और कौन सी कर रहे हैं तो उनका जवाब था कि वो जैविक खेती के हिमायती हैं पर समय की मांग के अनुसार थोड़ा बहुत रासायनिक खाद इस्तेमाल करते हैं। नये-नये प्रयोगों के शौकीन मुनव्वर अली कहते हैं कि एक बार नारियल, छुहारा व बादाम के पेड़ भी लगाये थे पर कामयाबी नहीं मिली। उन्होंने कहा कि अगर बुंदेली किसान अपनी मेहनत की ताकत को पहचान लें और अपनी मिट्टी में मेहनत करें तो उन्हें कमाने के लिए बाहर जाने की जरुरत नहीं है।

राजेश्वर ने खोजा गिट्टी व मौरम में लोहा

चित्रकूट। बांदा के ग्राम कालींजर स्थित 'श्री पर्वत' के शिलाखंड में एल्यूमिनियम होने की जानकारी देने के बाद अब चित्रकूट के एक रसायन शास्त्री ने मौरम व गिंट्टी में लौह अयस्क होने का दावा किया है। हालांकि चित्रकूट इंटर कालेज के रसायन विज्ञान के प्रवक्ता राजेश्वर प्रसाद फिलहाल यह नहीं बता सके कि मौरम या गिट्टी के एक किलोग्राम अयस्क में कितना लोहा निकलेगा मगर उनका यह कहना कि 'जीर्ण शीर्ण हो चुकी प्रयोगशाला में यह प्रयोग ही कर लेना बड़ी बात है' महत्वपूर्ण है।

श्री प्रसाद ने बताया कि कालींजर पर्वत पर एल्यूमिनियम होने की खबर पढ़कर बांदा के केसीएनआईटी में बी टेक कर रहे उनके पुत्र प्रवीण दत्त नामदेव ने शंका व्यक्त किया कि गिट्टी और मौरम पर प्रयोग किया जाये तो इनमें लौह अयस्क की अच्छी मात्रा हो सकती है। इस बात को सुनकर उन्होंने प्रयोगशाला में मौरम और गिट्टी को लेकर उनका चूरा बनाकर अम्लराज के साथ गर्म किया। फिर उसे पानी के साथ तनुकृत किया। तत्पश्चात उसमें ठोस अमोनियम क्लोराइड डालकर अमोनियम हाइड्राक्साइड मिलाकर उसमें पोटेशियम फेरो साइनाइड मिलाया। इस विलयन के बाद नीले रंग का अवक्षेप प्राप्त हुआ। जिससे मौरम और आरसीसी गिट्टी में आयरन तत्व की उपस्थिति निश्चित तौर पर होना मिला।
उन्होंने कहा कि भले ही पहाड़ों से पत्थर लेकर उसे छोटा कर गिट्टी के रुप में मकानों के उपयोग के लिये बेंचा जा रहा हो पर अगर इसका प्रयोग लौह अयस्क निकालने के लिये किया जाये तो सरकार को ज्यादा मात्रा में राजस्व मिल सकता है। यही बात उन्होंने मौंरम के लिये भी कही।
कालेज के प्रबंधक हरिश्चंद्र गुप्त व कार्यवाहक प्रधानाचार्य चन्द्रिका प्रसाद मिश्र जहां इस शोध से प्रसन्न हैं। वहीं उन्होंने सरकार से अपेक्षा भी किया कि इस क्षेत्र के पर्वतों में अविलम्ब पत्थर निकालने का काम बंद कर इनका शोध व सर्वे का काम किया जाये। इससे और भी स्थानों पर मिलने वाली धातुओं से सरकार के राजस्व की वृद्धि और आम लोगों को रोजगार के रुप लाभ मिल सके।

यूनिवर्सिटी आफ थर्ड एज: चित्रकूट को विश्व पर्यटन मानचित्र में लाये जाने का एक अभिनव प्रयास

चित्रकूट। एक ऐसा सम्मेलन जो वास्तव में चित्रकूट को ऐसा उपहार दे सकने में समर्थ हो सकता था जिसकी कल्पना किसी ने की नही होगी। बात ज्यादा पुरानी नही है जिला बनने के बाद ही इस पावन स्थल को विश्व के पर्यटन मानचित्र में शामिल करने के लिये जिला स्तर पर लिखा पढ़ी की गई थी। वेवसाइट भी बनी, चित्रकूट महोत्सव भी हुआ पर मामला ठाक के तीन पात ही रहा। बीच के वर्षो में कांग्रेस, भाजपा और सपा ने राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठकें कर इसको चर्चा में लाने का काम किया। पिछले साल तो सवा पांच करोड़ शिवलिंग निर्माण ने फिल्मी सितारों के यहां पर आने से लोगों में उत्सुकता जगी कि अब शायद बाहर से आने वाले पर्यटकों में इजाफा हो जाये। ऐसा नही है कि यहां पर पर्यटक विदेशों से आते नही, वे आते तो हैं पर उनकी संख्या खजुराहो और बनारस की तुलना में काफी कम है, पर अब 8 से 10 फरवरी के मध्य विश्व यूनिवर्सिटी आफ थर्ड एज की कांफ्रेस यहां पर आयोजित होने से न सिर्फ महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति और प्राध्यापक बल्कि क्षेत्र की स्वयंसेवी संस्थायें व आम जन इस बात को लेकर काफी आशान्वित हैं कि एक बार पचास देशों के प्रतिनिधियों के एक साथ चित्रकूट आने के बाद जो माहौल बनेगा वह वास्तव में इस स्थान को अनोखी ख्याति दिलायेगा।

ग्रामोदय के कुलपति प्रो. ज्ञानेन्द्र सिंह कहते हैं कि उनका काम तो कर्तव्य का निर्वहन करना है। चित्रकूट अपने आपमें अलौकिक स्थल है। यहां पर बैठकर पचास देशों के साथ ही अपने देश के काफी प्रदेशों के प्रतिनिधि जब दर्शन, आध्यात्मा और धर्म के साथ ही नये-नये विषयों की चर्चा करेंगे तो भला चित्रकूट का ही होगा। योग और आयुर्वेद का धनी यह क्षेत्र बाहर से आने वाले प्रतिभागियों व इंटरनेट के माध्यम से इस विशेष आयोजन को देखने वाले लोगों के लिये चित्रकूट भी विशेष स्थान बनेगा। विवेकानंद सभागार के साथ ही अम‌र्त्यसेन सभागार में कार्यक्रमों को आयोजित करने के लिये तैयारियां प्रारंभ कर दी गई हैं।

Monday, January 18, 2010

लोगों को ही नही मालूम कि कहां पर होना है विकास

चित्रकूट। 'चित्र विचित्रो रुप दर्शनम् समग्रम यस्मिन स कूट: चित्रकूट:' वाल्मीकि रामायणम् में लिखे यह शब्द भले ही यहां पर आने वाले कथावाचकों को यहां पर कथा करने के लिये प्रेरित करते हो पर इस अद्भुद तीर्थ स्थल के विकास के नाम पर किया जाने वाला मजाक लगातार जारी है। रामघाट व परिक्रमा पथ पर तो केंद्रीय सहायता के अन्तर्गत पर्यटन विकास के नाम पर जल निगम के कन्सट्रक्शन एवं डिजायन सर्विसेज द्वारा पिछले तीन महीनों से चल रहे लीपा पोती के खेल को देखकर तो यही लगता है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जो भी कर रहे हैं ठीक काम कर रहे हैं।

गौरतलब है कि पिछले 8 अगस्त केंद्रीय सहायता के अन्तर्गत पर्यटन विभाग से मिले 440.70 लाख रुपयों से प्रारंभ किये गये तीर्थ क्षेत्र के विकास के कामों की झलक तो रामघाट पर विभाग द्वारा लगाये गये बोर्ड को ही देखकर मिल जाती है। सुन्दरीकरण के नाम पर दर्शाये गये मंदिरों का नाम विभाग के अधिकारियों के अलावा कोई नही जानता। स्थानीय स्तर पर लोगों से इन जगहों की जानकारी करने पर कोई भी बता नही पाता।
मसलन राम मंदिर कहां है या फिर राम कुंड मंदिर कहां पर स्थित है सवाल पर विभाग के अधिकारियों के उत्तर साफ नही है। विभाग द्वारा लगाये गये बोर्ड के अनुसार रामघाट की दीवारों पर पत्थर लगाने का काम, शिव जी के मंदिर का सौन्दर्यीकरण, हनुमान जी के मंदिर का सौन्दर्यीकरण, चौपड़ा तालाब का सौन्दर्यीकरण, दीवारों पर रामायण की चौपाइयों लिखा जाना, पंचकोशी परिक्रमा मार्ग पर कैनोपी का निर्माण शामिल हैं। काम प्रारंभ किये जाने की तारीख आठ अगस्त है जबकि काम को खत्म किये जाने की तारीख आठ नवम्बर 10 दिखाई गई है। विभाग के द्वारा जोर जोश से काम को प्रारंभ कराने के बाद एक निजी घर के सामने महिलाओं के कपड़े बदलने का स्थान बना देने के बाद गुलाबी गैंग के दीवार को गिरा देने के बाद काम विवादित हो चुका है। फिलहाल अभी काम के नाम पर खाना पूरी जारी है। जूनियर इंजीनियर सुरेश दुबे ने कहा कि सभी काम मानक के अनुसार ही हो रहे हैं। सभी काम तयशुदा सीमा के अन्तर्गत पूरे करा दिये जायेंगे।

मंदाकिनी के तट पर उमड़ा आस्था का सैलाब

चित्रकूट। माघी आस्थावानों का हुजूम विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल पर उमड़ पड़ा। यह बात और थी कि सूर्यग्रहण का सूतक काल गुरुवार की रात बारह बजे से प्रारंभ हो चुका था और सभी मंदिरों के पट शुक्रवार की शाम चार बजे के बाद ही खुल पाये। हर एक श्रद्धालु के मुंह पर हाड़कपा देने वाली सर्दी की जगह प्रभु के नाम का स्मरण के साथ ही मां मंदाकिनी में डुबकी मारने का उत्साह साफ दिखाई दे रहा था। कड़कड़ाती ठंड व पिछले पखवारे से चल रही शीतलहरी की परवाह किये बगैर लाखों श्रद्धालुओं ने मंदाकिनी में स्नान कर श्री कामदगिरि की परिक्रमा की। श्रद्धालुओं की भीड को देखते हुये प्रशासन ने पर्याप्त व्यवस्थायें की थी।

वैसे गुरुवार देर शाम से ही श्रद्धालुओं का आना इस तीर्थ पर प्रारंभ हो गया था। लोग बसों, ट्रेनों और प्राइवेट वाहनों से यहां पर आ रहे थे। काफी लोग ट्रेनों से उतर कर रामघाट के लिये पैदल ही जा रहे थे तो काफी लोग टैक्सियों से।
मंदाकिनी में स्नान के बाद लाखों श्रद्धालु स्वामी मत्स्यगयेन्द्र नाथ मंदिर पर जलाभिषेक करने के बाद कामदगिरि परिक्रमा की तरफ बढ़े। यहां पर स्वामी कामतानाथ के दर्शनों के बाद 'आस्थावान भज ले पार करइया का' 'भज ले मुरली वाले का' के जयकारे लगाते हुये परिक्रमा कर रहे थे। आस्थावानों में बड़ी संख्या में महिलायें व बच्चे भी शामिल थे। इस बार की अमावस्या की सबसे बड़ी बात यह रही कि लोग ग्रहण काल में भी स्नान व पूजन करते देखे गये। वैसे काफी लोग घाटों के किनारे बैठकर प्रभु के नाम का स्मरण कर रहे थे। रामघाट पर स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सा शिविर लगाया था जहां पर लोग जाकर अपना इलाज करा रहे थे। मेला क्षेत्र में अधिकारियों की आमद भी लगातार बनी रही।

सूर्यग्रहण : सूर्यकुंड पर हुई साधना

चित्रकूट। भले ही इस बार सूर्यग्रहण पूरा न रहा हो पर खग्रास सूर्यग्रहण को लेकर लोगों में भारी उत्साह रहा। पुराणों में सूर्य देव द्वारा तप किये जाने वाले स्थान सूर्य कुंड पर जहां आस्थावानों ने ग्रहण के दौरान तप कर सिद्धियों को प्राप्त करने का काम किया। वहीं लोगों ने अपने घरों में केतु द्वारा भगवान सूर्य को ग्रसित करते वक्त प्रभु नाम का स्मरण किया। ग्रहण काल के बाद लोगों का हुजूम मां मंदाकिनी के साथ ही पवित्र सरोवरों की तरफ दौड़ पड़ा। स्नान के बाद शाम चार बजे के आसपास घरों के साथ ही मंदिरों में भी भगवान की पूजा व अर्चना हो सकी।

वैसे सुबह से ही सूर्य ग्रहण को लेकर सभी लोगों में भारी उत्साह था पर बादलों के कारण लोग इस बात को लेकर संशकित भी रहे कि शायद यह दुर्लभ अवसर वे देखने से वंचित न रह जायें पर ठीक साढ़े बारह बजे ही बादलों के छट जाने के साथ लोगों ने स्पष्ट तौर पर इसे देखा। जहां बड़े लोग चश्मों का सहारा ले रहे थे वहीं छोटे-छोटे बच्चे एक्सरे फिल्म के काले भाग पर सूर्य ग्रहण को देखकर उत्साहित हो रहे थे।
सूर्यग्रहण के दौरान लोग घरों में बैठकर भगवान के नाम का स्मरण कर रहे थे। ग्रहण के बाद श्रद्धालुओं का रुख मां मंदाकिनी की तरफ हो गया। इसमें महिलाओं की संख्या काफी ज्यादा थी। स्नान करने के बाद लोगों ने घरों में भगवान की पूजा की और फिर इसके बाद ही खाना खाया।

विकास की मंशा से मप्र के राजनेता भी सामने जुड़े

चित्रकूट। नवीन विचारों की बयार जब बहती है तो लोग खद-ब-खुद ही खिचे चले आते है। चित्रकूट संसद भी एक ऐसी ही ताजी हवा का झोंका है जो अब प्रदेशों की सीमाओं को लाघ रहा है। जिसका उदाहरण है कि चित्रकूट संसद के हमकदम बनने के लिए अब मध्य प्रदेश के सतना जिले के सांसद गणेश सिंह व चित्रकूट विधायक सुरेन्द्र सिंह गहरवार के साथ नगर पंचायत नयागांव के अध्यक्ष नीलांशु चतुर्वेदी आतुर हैं। तीनों नेता इस बात पर एकमत हैं कि उप्र और मप्र की सीमाओं में बंटे 'चित्रकूट' का विकास हर दशा में होना चाहिये।

संसद के कार्यक्रम संयोजक अर्चन ने बताया कि शुक्रवार को जब समाजसेवी गोपाल भाई ने इन तीनों नेताओं से बात की तो वे इस कार्यक्रम को समय देने के लिये सहर्ष तैयार हो गये। उन्होंने यह भी कहा कि नेताओं ने आश्वासन दिया कि चित्रकूट के विकास के मुद्दे पर वे साथ हैं। अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान द्वारा बनवाया गया सात पन्नों का 21 सूत्रीय करणीय पत्रक चर्चा का विषय बन चुका है। वहीं चौराहों पर इसके बिंदु बहस का मुद्दा बनते जा रहे हैं। सदर विधायक दिनेश मिश्र का कहना है कि आर्थिक, शैक्षणिक, पर्यटकीय, पर्यावरणीय व धार्मिक विकास के मुददें पर आम लोगों के साथ विशेष लोग भी चिंतन और मनन कर रहे हैं। मानिकपुर ब्लाक प्रमुख विनोद द्विवेदी ने सुझाव पत्रक पढ़ने के बाद इस पहल का स्वागत किया। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के शिक्षाविदों के बीच पत्रक को भरने की होड़ सी लगी दिखाई दे रही है। इसके साथ ही तमाम विद्यालयों में इस पत्रक के सवालों के आधार पर प्रतियोगितायें कराने की तैयारियां भी प्रारंभ हो चुकी हैं।

चित्रकूट को फ्री जोन घोषित करने की जरुरत -प्रदीप

चित्रकूट। गौरव, वैभव व शौर्य का प्रतीक बुंदेलखंड अब सूखा-तबाही और भुखमरी का प्रतीक बन गया है। इस अनोखे तीर्थ क्षेत्र में स्वयंसेवी संगठनों द्वारा समाज के हितों को साधकर चलाई जा रही मुहिम प्रशंसनीय है।

एक दिवसीय दौरे में आये ग्रामीण विकास राज्य मंत्री प्रदीप जैन 'आदित्य' ने कहा कि चित्रकूट के विकास के लिए इसे दो राज्यों की सीमाओं में बांधा नहीं जाना चाहिये। यहां पर पर्यटन का विकास तभी हो सकता है जब इसे 'फ्री जोन' घोषित कर दिया जाये। उन्होंने सूचना का अधिकार कानून को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की नसीहत दी। महंगाई के मुद्दे पर अपने ही कृषि मंत्री शरद पवार पर शब्दबाण छोड़ते हुये कहा कि दस दिनों में महंगाई कम करने का पता नही कौन सा फार्मूला उन्होंने ईजाद कर लिया है। बुंदेलखंड की तरक्की के लिये जहां केंद्र सरकार ने राहुल गांधी की विशेष पहल पर एक पैकेज दिया वहीं एक नई योजना पुराने तालाब बावडि़यों और कुंओं की सफाई, कब्जों से मुक्त कराने और उनका सुन्दरीकरण करके विकास के लिये सामने आ चुकी है। इसका नाम आर.आर.आर योजना दिया गया है। अपनी धर्मपत्नी स्नेहलता जैन के साथ चित्रकूट दौरे पर आये केन्द्रीय मंत्री ने जानकी कुंड चिकित्सालय व आरोग्य धाम देखने के साथ ही दृष्टि संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के साथ ही जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य से आर्शीवाद लिया। यहां पर उन्होंने नगर पंचायत नयांगॉव के नव निर्वाचित अध्यक्ष नीलांशु चतुर्वेदी को शपथ दिलवाने के बाद पद्म श्री नाना जी देशमुख से भेंट करने सियाराम कुटीर पहुंचे। बाद में कामतानाथ मंदिर में पहंचकर मत्था टेका।

संस्था के लिए जमीन दान देना अनुकरणीय पहल

चित्रकूट। आज के इस दौर में जहां मनुष्य जमीन के लिए खून बहा रहा है, वहीं संस्था के लिए जमीन दान कर देना एक अनुकरणीय पहल है।

यह बात आरोग्य धाम परिसर के बगल में नव निर्मित दृष्टि संस्था के ब्रेल उपकरण बैंक व ब्रेल पुस्तकालय के शुभारंभ व नेत्रहीन महिला शिक्षण और प्रशिक्षण केंद्र के शिलान्यास के मौके पर केंद्रीय राज्य मंत्री प्रदीप जैन ने कहीं। उन्होंने दृष्टि संस्था के संरक्षक कृष्ण गोपाल गुप्ता को साधुवाद देते हुए कहा कि उनके द्वारा साढ़े सत्रह बीघा जमीन विकलांगों के कल्याण के लिए दान देना अनुकरणीय कार्य है। उन्होंने कहा कि मरने के बाद जो नाम जाता है वह केवल ऐसे ही धर्मार्थ के कामों के कारण जाता है। दृष्टि के निदेशक विराग गुप्ता ने कहा कि आने वाले समय में संस्था ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को देखते हुए चित्रकूट क्षेत्र में पर्यावरण सुधार की एक बड़ी योजना प्रारंभ करेगी। इस योजना में भारी मात्रा में पौधरोपण के साथ ही मंदाकिनी की सफाई का अभियान चलेगा। केंद्रीय मंत्री की पत्नी स्नेहलता जैन, जानकीकुंड चिकित्सालय के सीएमओ डा. बीके जैन, नगर पंचायत अध्यक्ष नीलांशु चतुर्वेदी, ग्रामोदय विवि. के डा.अजय चौरे, डा. नीलम चौरे, सुखदेव शर्मा आदि मौजूद रहे। सभा का संचालन शंकर लाल गुप्ता ने किया।

पृथक राज्य के मुद्दे पर गोलमाल जबाव दे गये मंत्री जी

चित्रकूट। पृथक बुंदेलखंड राज्य के मुद्दे को केंद्रीय मंत्री ने अपना मुद्दा बताते हुए कहा सरकार में रहने के कारण काफी बातें सोच समझकर बोलनी पड़ती है। उन्होंने बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा व बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी के साथ ही बुंदेलखंड की मांग करने वालों को उचित ढंग से बात उठाने की नसीहत दी। प्रदीप जैन ने कहा कि पृथक राज्य बनाने के लिए अभी और भी ज्यादा जन जागरुकता की आवश्यकता है। साथ ही बरगढ़ से पावर प्लांट के स्थानांतरण के सवाल पर मंत्री ने कहा कि इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। केंद्रिय मंत्री ने चित्रकूट को विलक्षण तीर्थ स्थान बताते हुये कहा कि यह स्थान बुंदेलखंड की नाक है और इसका विकास सभी को साथ मिलकर करना पड़ेगा।

पर्यटन विकास को चित्रकूट हो फ्री जोन

चित्रकूट। ग्रामीण विकास राज्य मंत्री प्रदीप जैन 'आदित्य' ने कहा कि कभी गौरव, वैभव व शौर्य का प्रतीक रहा बुंदेलखंड अब सूखा-तबाही और भुखमरी का प्रतीक बन गया है। इस अनोखे तीर्थ क्षेत्र चित्रकूट में स्वयंसेवी संगठनों द्वारा समाज हितों को साधकर चलायी जा रही मुहिम प्रशंसनीय है। चित्रकूट के विकास के लिए उन्होंने कहा कि इसे दो राज्यों की सीमाओं में बांधा नहीं जाना चाहिये। यहां पर पर्यटन का विकास तभी हो सकता है जब इसे 'फ्री जोन' घोषित कर दिया जाये।

एक दिवसीय दौरे पर आये केंद्रीय राज्य मंत्री ने सूचना का अधिकार कानून को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की नसीहत दी। महंगाई के मुद्दे पर अपने ही कृषि मंत्री शरद पवार पर टिप्पणी की कि दस दिनों में महंगाई कम करने का पता नही कौन सा फार्मूला उन्होंने ईजाद कर लिया है। बुंदेलखंड की तरक्की के लिए जहां केंद्र सरकार ने राहुल गांधी की विशेष पहल पर एक पैकेज दिया वहीं एक नई योजना पुराने तालाब बावडि़यों और कुंओं की सफाई, कब्जों से मुक्त कराने और उनका सुन्दरीकरण करके विकास के लिए सामने आ चुकी है। इसका नाम आरआरआर योजना दिया गया है। पत्नी स्नेहलता जैन के साथ चित्रकूट दौरे पर आये केन्द्रीय मंत्री ने जानकी कुंड चिकित्सालय व आरोग्य धाम देखने के साथ ही दृष्टि संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेकर स्वामी रामभद्राचार्य से आशीर्वाद लिया।

स्वावलंबन को चल रहे कार्य से प्रदीप उत्साहित

चित्रकूट। केंद्रिय मंत्री ने सद्गुरु सेवा संघ के सेवा कार्यो को देखा फिर आरोग्यधाम की गौशाला गये। उन्होंने जानकीकुंड चिकित्सालय में लेप्रोकोन कार्यशाला के दौरान मरीजों के आपरेशन के दृश्य देखकर कहा कि उन्होंने अस्पताल के सीएमओ डा. वीके जैन से झांसी में भी यहां की तरह सेवा कार्य के विस्तार करने को कहा। इस काम के लिये उन्हें झांसी आने का न्योता भी दिया।

नई पीढ़ी के हाथ सुरक्षित भविष्य : प्रदीप

चित्रकूट। चित्रकूट नगर पंचायत की नवनिर्वाचित कमेटी को शपथ ग्रहण करवाने पहुंचे केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री प्रदीप जैन 'आदित्य' ने कहा कि जिस माटी पर भगवान राम के साथ ही संतो का आर्शीवाद हमेशा बरसता हो उस भूमि पर जो भी होता है अच्छे के लिये ही होता है। अपने आपको बुंदेली माटी का बेटा बताते हुये कहा कि यहां का इतिहास संघर्ष और समर्पण का रहा है। भले ही यहां की रियासतें छोटी-छोटी रही हो पर रानी लक्ष्मी बाई, आल्हा, उदल और राजा छत्रशाल का नाम तो बच्चों की जुबान पर सुनाई देता है। उन्होंने कहा कि चित्रकूट के विकास के लिये वे अपने स्तर से भी हरसंभव प्रयास करेंगे।

इस दौरान अपर जिलाधिकारी सतना प्रदीप गुप्ता ने नव निर्वाचित नगर पंचायत अध्यक्ष नीलांशु चतुर्वेदी व सभी पन्द्रह सभासदों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इसके पूर्व कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे कें द्रीय मंत्री व नीलांशु चतुर्वेदी ने परिक्षेत्र से पधारे साधु संतों का आर्शीवाद लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे स्वामी राजगुरु संकषर्णाचार्य प्रपन्नाचार्य महाराज ने चाणक्य और राजनीति का तात्विक विवेचन कर कहा कि धर्म आधारित राजनीति से ही देश सही दिशा में जायेगी। इसकी पुष्टि पुराण करते हैं।
इस अवसर पर द्वारिकेश पटैरिया, चौबे तेज भान सिंह, हेमराज राज चौबे, नंदिता पाठक, डा. वीके जैन, कर्नाटक वाली माता जी, कु. गीता देवी, मु. रसीद उर्फ चीनी, प्यारे भाई व रमादत्त मिश्र सहित भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।

चित्रकूट संसद : अपनी मिंट्टी, अपने लोग और अपना विकास

चित्रकूट। 'अपनी मिट्टी अपने लोग' अपना विकास अब खुद अपने दम पर कुछ ऐसे ही अरमान लेकर जब चित्रकूट संसद की परिकल्पना की गई तो सबके भाव सामने आने लगे। चित्रकूट संसद को लेकर शनिवार को सूचना विभाग के सभागार में कोर ग्रुप की बैठक समाजसेवी गोपाल भाई की अध्यक्षता में हुई।

संवाद के क्रम में तमाम नये विचार आये। उप्र और मप्र के राजनेताओं की सहमति के बाद सभी पार्टियों के जिलाध्यक्षों के साथ स्वयंसेवी संगठनों के साथ आने की सहमति की बात सामने आई। इस दौरान कार्यक्रम संयोजक अर्चन ने बताया कि अभी तक 21 सूत्रीय आठ पत्रक भरकर समिति को प्राप्त हो चुके हैं। जिनमें काफी उपयोगी सुझाव हैं।
बताया कि महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के डा. आर सी सिंह, डा. रघुवंश प्रसाद बाजपेयी, लक्ष्मण प्रसाद गर्ग, गुरु प्रसाद शुक्ल, समाजसेवी आलोक द्विवेदी, भारतीय साहित्यकार परिषद के निदेशक बलबीर सिंह के साथ ही पत्रकार अमर दीप भट्ट ने सुझाव पत्रकों को जमा करने का काम किया है।
बताया कि समिति ने विपक्ष और पक्ष सभी पार्टियों के नेताओं के साथ ही लगभग सौ लोगों के पास पत्रकों को भेजा है। इस अवसर पर केशव शिवहरे,समाजसेवी आलोक द्विवेदी बसपा के जिला उपाध्यक्ष राम सागर चतुर्वेदी व समाजसेवी पंकज अग्रवाल भी मौजूद रहे।

Wednesday, January 13, 2010

अभी बांकी है और भी मानवता के क्रंदक

चित्रकूट। जहां एक तरफ यहां आध्यात्म और धर्म की गंगा इस जिले में बहती हैं वही दूसरी ओर असलहा की संस्कृति भी अपने चरम पर भी यहां पर ही दिखाई देती है। डाकुओं का इतिहास यहां काफी पुराना है। कभी डाकू आत्मसमर्पण करते गये तो कभी भगवे के रंग में अपने आपको रंगते गये। आज के हालातों में भले ही डाकू ददुवा और ठोकिया भगवान को प्यारे हो चुके हो और डाकू खड्गसिंह उर्फ मुन्नी लाल यादव जेल की हवा खा रहे हो पर अभी भी इस जिले स अपराध की इबारत को आगे बढ़ाने में लगे डाकू अपना खूनी खेल खेल रहे हैं।

डाकू संजय यादव, डाकू रागिया उर्फ सुन्दर पटेल, डाकू बलखडिया उर्फ स्वदेश, डाकू राजू कोल जैसे कुछ नाम हैं जो पुलिस के लिये लगातार चुनौतियां पेश कर रहे हैं। डाकू राजा खान भी ऐसा नाम है जो लगातार ठेकेदारों के साथ वन कर्मियों के लिये परेशानियां उत्पन्न रहा है।
बसपा का शासन आने पर जस अंदाज में भयमुक्त समाज की परिकल्पना को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से एसटीएफ ने डाकू ददुवा को गिरोह समेत व डाकू ठोकिया को मारा व उसके बाद डाकू खड्ग सिंह व गौरी यादव को जेल के सीखचों के पीछे डाला, पर अभी भी लगभ आधा दर्जन से ज्यादा डाकुओं के गिरोह मानवता को क्रंदित करने का काम कर रहे हैं।
पिछले महीने डाकू संजय यादव ने तो एक दम से पत्थर की खदानों पर हमला कर अपने मंसूबे स्पष्ट कर पुलिस को खुली चुनौती दी थी। गौर करने लायक बात तो इसमें यह थी कि पुलिस की कांबिंग वहीं पर प्रारंभ थी और एक किलोमीटर के अंतर में गिरोह ने दूसरी वारदात कर दी थी। फिलहाल अभी पुलिस के पास डाकुओं को समाप्त करने की कोई फूल फ्रूफ व्यवस्था नही समझ में आती।
रिटायर्ड पुलिस इंसपेक्टर रंग नाथ शुक्ला कहते हैं कि यहां की गरीबी ही डकैती की जनक है। गरीब को बंदूक के माध्यम से पैसा कमाना ज्यादा आसान लगता है। अगर वास्तव में यहां से डकैती की समस्या का अंत करना है तो उसके लिये सरकारी योजनाओं को क्रियान्वयन गांवों में गरीबों के बीच होना चाहिये।

लोगों की राह तकते ये अनोखे तीर्थ व पर्यटक स्थल

चित्रकूट । जिस स्थान के बारे में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री भगवान राम के चरित्र को सारे विश्व के सामने लाने वाले महर्षि वाल्मीकि ने रामायणम् में लिख दिया हो 'चित्र विचित्रो रुप दर्शनम् समग्रम यस्मिन स कूट: चित्रकूट' और इस बात को सभी स्वीकारते भी हों पर विकास के नाम पर कुछ ही स्थानों पर आने और जाने के साधन बन सके हैं। ज्यादातर जगहों के बारे में ग्रामीणों के अलावा कोई जानता ही नही है।

वैसे अगर पुराने ग्रंथों के पन्नों को पलटा जाये तो इस चौरासी कोस के परिक्षेत्र में काफी ऐसे अद्भुद स्थान हैं जो वक्त के बेरहम हाथों पर पड़़कर अपने अस्तित्व के लिये ही संघर्ष कर रहे हैं। चर गांव का सोमनाथ का मंदिर हो या फिर मडफा पहाड़ पर स्थित पंचमुखी शंकर जी का मंदिर या फिर कलवलिया का शिव मंदिर।
भागवत कथा आचार्य पं. नवलेश दीक्षित कहते हैं कि यह तो चित्रकूट की महिमा है कि जहां शिव, शक्ति और राम को पूजने वाले वैष्णव एक साथ रहते हैं और किसी भी प्रकार का मतान्तर नही है। सुबह का सूरज महाराजाधिराज स्वामी मत्स्यगयेन्द्र नाथ के दर्शन से उगता है तो दोपहर की परिक्रमा कामतानाथ के विग्रह की होती है शाम की आरती लोग वन देवी की करते हैं। द्वैत और अद्वैत वाद से विलग इस अनोखे तीर्थ पर पर आज भी काफी पुराने ऋषि तपस्या रत हैं। इसी प्रकार से यहां के पर्वतों व जंगलों में विशेष आराधना के स्थल है। जिनमें अधिकतर तो लोगों को पता ही नही। यह बात अलग है कि सीतापुर और आसपास के स्थानों के बारे में लोगों को जानकारी है पर शबरी प्रपात, राम प्रपात, गणेश बाग, बांके सिद्ध, कोटितीर्थ, देवांगना, सीता रसोई, पंपासर, वन देवी, हंस तीर्थ, सिरसावन, पंचप्रयाग, फलकी वन, रामशैया, व्यास कुंड, सूर्य कुंड, मडफा, बाल्मीकि आश्रम, सरभंग आश्रम, धारकुंडी, सारंग तीर्थ, ऋषियन, ब्रहस्पति कुंड, विराध कुंड, अमरावती, भरतकूप, पुष्करिणी,माण्डकर्णी आश्रम के साथ ही तमाम ऐसे स्थान हैं जहां पर अभी भी पर्यटक नही जाते हैं।
वे कहते हैं कि अगर इन स्थानों पर लोगों के आवागमन के लिये सड़क, बिजली, पानी और सुरक्षा की व्यवस्था हो जाये तो लोग जाने लगेंगे। इससे इन स्थानों का विकास होने के साथ ही स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
जिला विद्यालय निरीक्षक मंशा राम कहते हैं कि अभी पिछले दिनों उन्होंने राजकीय इंटर कालेज घुरेटनपुर के निरीक्षण के समय मड़फा के शिव मंदिर का दर्शन किया। उन्होंने बताया कि यही पर एक कोठरी में राम- राम लिखा हुआ भी काफी विशेष था। कहा कि अभी डाकुओं के डर से पर्यटक वहां पर नही जा पाते और इतनी विलक्षण जगहों का प्रचार प्रसार भी नही है। अगर इन स्थानों का प्रचार-प्रसार सही तरीके से हो तो निश्चित तौर पर पर्यटक जायेंगे और आनंदित होगे।

Tuesday, December 29, 2009

याद ए इमाम हुसैन :जब अंगारे बन जाते हैं फूल

चित्रकूट। राजा यजीद की क्रूरता की कहानी एक बार फिर दोहराई गई। कौम की सलामती के लिये संघर्ष करने वाले इमाम हुसैन को याद कर अकीकतमंदों ने जलने की परवाह न करते हुये अंगारों को फूलों की मानिंद हवा में उछाला। कर्वी के साथ ही तरौंहा, सीतापुर, बरगढ़, मानिकपुर, मऊ के आसपास के क्षेत्रों में इस तरह के मजमें को देखने के लिये रात भर लोग सड़कों पर रहे। मुख्यालय के पुरानी बाजार में ही लगभग आधा दर्जन इमाम बाड़ों के बाहर इस तरह के दृश्य नंगी आंखों के गवाह बने।

रविवार देर रात से शुरु हुआ यह मातमी अलम अलसुबह तक जारी रहा। रात एक बजे के बाद अलावों में आग लगा दी गई। अकीकतमंद नहा धोकर मातमी ढोल और ताशों की आवाजों के साथ इमाम बाडों से निकले और हजारों के हुजूम के सामने जलती हुई आग में अपने जौहर दिखाने के लिये कूद पड़े।
सांसद आरके पटेल बांदा से मुहर्रम मिलकर जैसे ही कर्वी आये। पुरानी बाजार चौराहे पर बज रहे मातमी ढोल की आवाजों से खुद को अलग नही कर पाये। उन्होंने मुस्लिम समुदाय के लोगों को बधाई भी दी।
जियारत करने के लिये लोग टूट पड़े
अलाव के बाद इमाम बाड़ों से निकले ताजियों को देखने के लिये लोग टूट पड़े। कर्वी, तरौंहा व सीतापुर में हजारों लोग ताजियों के नीचे अपने बच्चों को लेकर निकल रहे थे। काफी लोग रेवडि़यों का प्रसाद भी चढ़ा रहे थे। ताजियों के आसपास लगे हुजूम में नेजा व सवारियां अपने करतब ढोल की आवाजों पर करतब दिखा रहे थे। नाथ बाबा की सवारी में मन्नत मांगने वालों का तांता लगा रहा। सोमवार को दोपहर पुरानी बाजार व तरौंहा के साथ ही अन्य जगहों से उठे ताजिये शाम को धुस के मैदान में मिलाप के बाद सुपुर्दे आव कर दिये गये।

बीता वर्ष:सड़क पर कराहती रही गर्भवती महिलायें

चित्रकूट। भले ही स्वास्थ्य मंत्रालय हो हल्ला मचाकर परिवार कल्याण के कार्यक्रमों की रीढ़ नसबंदी के साथ ही गर्भनिरोधकों के प्रयोग को मुख्य मानकर जनसंख्या नियंत्रण के प्रयास में लगा हो। वहीं दूसरी तरफ सुरक्षित मातृत्व के लिये जननी सुरक्षा योजना के तहत गर्भवती माता को स्वास्थ्य केंद्रो पर प्रसव के लिये पैसे भी देता हो पर सरकारी अस्पतालों में चलने वाला यह कार्य अलग ही शक्ल में दिखाई देता रहा। गर्भवती मातायें सड़कों, अस्पताल के गेट पर कराहती बच्चा जनती रहीं और उनकी कराहें जिम्मेदारों के कान तक नही पहुंची। इस साल तो जनसंख्या को घटाने के ज्यादा से ज्यादा प्रयास स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जनसंख्या को बढ़ाते दिखे।
गौरतलब है कि सरकारी आंकड़े वर्ष 2001 में जिले की चित्रकूट। भले ही स्वास्थ्य मंत्रालय हो हल्ला मचाकर परिवार कल्याण के कार्यक्रमों की रीढ़ नसबंदी के साथ ही गर्भनिरोधकों के प्रयोग को मुख्य मानकर जनसंख्या नियंत्रण के प्रयास में लगा हो। वहीं दूसरी तरफ सुरक्षित मातृत्व के लिये जननी सुरक्षा योजना के तहत गर्भवती माता को स्वास्थ्य केंद्रो पर प्रसव के लिये पैसे भी देता हो पर सरकारी अस्पतालों में चलने वाला यह कार्य अलग ही शक्ल में दिखाई देता रहा। गर्भवती मातायें सड़कों, अस्पताल के गेट पर कराहती बच्चा जनती रहीं और उनकी कराहें जिम्मेदारों के कान तक नही पहुंची। इस साल तो जनसंख्या को घटाने के ज्यादा से ज्यादा प्रयास स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जनसंख्या को बढ़ाते दिखे।




गौरतलब है कि सरकारी आंकड़े वर्ष 2001 में जिले की जनसंख्या 8 लाख एक हजार नौ सौ सन्तावन थी। सरकारी लिहाज से जनसंख्या वृद्धि दर 34.33 प्रतिशत होने पर प्रतिवर्ष बढ़ी जनसंख्या के हिसाब से इस समय यह संख्या तेरह लाख पार कर चुकी है। वर्ष 01 में लिंग का अनुपात एक हजार पुरुषों पर 898 महिला था जो कि निराशाजनक है पर आल्ट्रासाउंड सेंटरों पर की गई सख्ती का परिणाम अब कारगर रुप में दिखाई देने लगा है। सरकारी सूत्र इस बात की पुष्टि करते हैं कि अब जिले में 935 से ऊपर महिलाओं की जनसंख्या है।



वैसे इस समय जिले में स्वास्थ्य विभाग के वास्तविक हालातों को देखा जाये तो लगातार जांचों के बाद महकमें में हडकंप की स्थिति है। डब्लू एच ओ के साथ ही सुरक्षित मातृत्व व बच्चों के पोषण के लिये स्वयंसेवियों के हस्तक्षेप के बाद ग्रामीण स्तर पर काफी काम इस साल हुआ है। फिर भी जिला स्तर पर चिकित्सकों की कमी और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी व एएनएम व नर्सो की संख्या कम होने से लोगों को स्वास्थ्य सुविधायें पूरे तौर पर नही मिल पा रही हैं।



जिले में कम से कम तीन बार प्रसव पीडा से जूझती गर्भवती महिलाओं की कराहें सड़कों पर सुनी गई। मुख्यालय के पुरानी बाजार और इलाहाबाद रोड़ बैरियल पर दो महिलाओं ने बच्चे जने। जिसमें एक को तो जिला चिकित्सालय से वापस कर दिया गया था। राम नगर में तो सड़क पर बच्चा जनने पर काफी बवाल हुआ था। आक्रोशित लोगों ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तोड़फोड कर जाम लगा दिया था। जिलाधिकारी के हस्तक्षेप और लापरवाही बरतने के आरोप में डाक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया था। नसबंदी की बात की जाये तो नवंबर तक महिलाओं ने डेढ़ हजार व पचास पुरुषों ने कराये।



वैसे विभागीय आंकड़े चाहे जो कुछ भी कहे पर वास्तव में भारत सरकार द्वारा जनसंख्या नियंत्रण के लिये चलाया जाने वाला यह कार्यक्रम जनसामान्य के साथ ही अधिकारियों के खाने कमाने का जरिया साबित हो रहा है। जननी सुरक्षा योजना में तो घालमेल को लेकर तमाम शिकायतें तहसील दिवसों पर आती रहती हैं।
लाख एक हजार नौ सौ सन्तावन थी। सरकारी लिहाज से जनसंख्या वृद्धि दर 34.33 प्रतिशत होने पर प्रतिवर्ष बढ़ी जनसंख्या के हिसाब से इस समय यह संख्या तेरह लाख पार कर चुकी है। वर्ष 01 में लिंग का अनुपात एक हजार पुरुषों पर 898 महिला था जो कि निराशाजनक है पर आल्ट्रासाउंड सेंटरों पर की गई सख्ती का परिणाम अब कारगर रुप में दिखाई देने लगा है। सरकारी सूत्र इस बात की पुष्टि करते हैं कि अब जिले में 935 से ऊपर महिलाओं की जनसंख्या है।
वैसे इस समय जिले में स्वास्थ्य विभाग के वास्तविक हालातों को देखा जाये तो लगातार जांचों के बाद महकमें में हडकंप की स्थिति है। डब्लू एच ओ के साथ ही सुरक्षित मातृत्व व बच्चों के पोषण के लिये स्वयंसेवियों के हस्तक्षेप के बाद ग्रामीण स्तर पर काफी काम इस साल हुआ है। फिर भी जिला स्तर पर चिकित्सकों की कमी और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी व एएनएम व नर्सो की संख्या कम होने से लोगों को स्वास्थ्य सुविधायें पूरे तौर पर नही मिल पा रही हैं। जिले में कम से कम तीन बार प्रसव पीडा से जूझती गर्भवती महिलाओं की कराहें सड़कों पर सुनी गई। मुख्यालय के पुरानी बाजार और इलाहाबाद रोड़ बैरियल पर दो महिलाओं ने बच्चे जने। जिसमें एक को तो जिला चिकित्सालय से वापस कर दिया गया था। राम नगर में तो सड़क पर बच्चा जनने पर काफी बवाल हुआ था। आक्रोशित लोगों ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तोड़फोड कर जाम लगा दिया था। जिलाधिकारी के हस्तक्षेप और लापरवाही बरतने के आरोप में डाक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया था। नसबंदी की बात की जाये तो नवंबर तक महिलाओं ने डेढ़ हजार व पचास पुरुषों ने कराये।
वैसे विभागीय आंकड़े चाहे जो कुछ भी कहे पर वास्तव में भारत सरकार द्वारा जनसंख्या नियंत्रण के लिये चलाया जाने वाला यह कार्यक्रम जनसामान्य के साथ ही अधिकारियों के खाने कमाने का जरिया साबित हो रहा है। जननी सुरक्षा योजना में तो घालमेल को लेकर तमाम शिकायतें तहसील दिवसों पर आती रहती हैं।

नये साल में मिल जायें और भी महिला चिकित्सक

चित्रकूट। साल भर प्रसव पीड़ा को लेकर महिलायें अस्पतालों की दस्तक तो देती रही पर उन्हें अपना इलाज पूरी तरह से कहीं नही मिला यह बात दीगर है कि कभी स्थानांतरित होती चिकित्सकों के कारण तो कभी हालिया बनाये गये मेडिकल केयर यूनिट में तैनात महिला चिकित्सकों की झिड़कियों के कारण उनकी परेशानियां बढ़ती ही रही। स्वास्थ्य महकमें के लिये आने वाला साल एक्सीडेंटल मरीजों के साथ ही महिलाओं के लिये खास होगा क्योंकि अभी आबादी व बीमारी के हिसाब से महिला चिकित्सकों की संख्या जिले में काफी कम है। जिसके कारण महिलाओं को भारी दिक्कतें हैं।
गौरतलब है कि कभी जिला संयुक्त चिकित्सालय में ही महिला चिकित्सालय भी संचालित किया गया था। पुराने जिला अस्पताल की बिल्डिंग में काफी जगह खाली होने के कारण पूर्व सीएमओ डा. आरके निरंजन ने काफी प्रयास कर मेडिकल केयर यूनिट की स्थापना करवाकर यहां पर महिलाओं के लिये अस्पताल खुलवा दिया था। इसके बाद यहां पर कुछ महिला डाक्टरों की नियुक्ति हुई। तीन महिला डाक्टरों में से एक भी महिला डाक्टर पूर्ण कालिक नियुक्त नही हुई। स्वास्थ्य महकमे के काफी प्रयासों के बाद तीन डाक्टर संविदा पर मिली। जिनमें से एक डाक्टर को पिछड़े मोहल्लों के छोटे अस्पताल मे काम करने के लिये लगाया गया। लगभग डेढ़ लाख की आबादी के जिला मुख्यालय और जिले भी के गांवों से आने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी केवल इन्हीं महिला डाक्टरों पर है। अब ऐसे में मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा शासन से बार-बार मांग किये जाने के बाद भी सृजित पदों के सापेक्ष महिला डाक्टरों की तैनाती न होने के कारण लोगों को भारी निराशा है।
मुख्य चिकित्साधिकारी डा. आरडी राम कहते हैं कि हमारे पास महिला चिकित्सक नही हैं फिर भी हम महिलाओं को बेहतर इलाज देने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने आशा जताई कि आने वाले साल में और भी महिला चिकित्सक मिलेगी जिससे महिला मरीजों को भी सुविधा होगी। उधर नसबंदी कार्यक्रम के बारे में पूछे जाने पर कहा कि जहां महिलायें नसबंदी कराने के लिये हर साल आगे आती है इस बार विभाग के प्रचार प्रसार का फायदा पुरुष नसबंदी पर हो रहा है। हालिया पांच कैंम्पों में लगभग पांच दर्जन पुरुषों की नसबंदी इस बात का प्रमाण है।

Wednesday, December 23, 2009

मानव बने रहना ही सबसे बड़ा पुरस्कार

चित्रकूट। भले ही गुजरता वक्त किसी की परवाह न करे और हौले हौले 2009 के कदम 2010 तक पहुंच गये हो पर नयी उम्मीदों का यह साल हर अच्छा काम करने वाले व्यक्ति के जीवन में वह क्षण लाये जो उसे आनंदित कर सकें। समाज के हितों में काम करने वाले अधिकतर लोगों के यही विचार हैं।

महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ज्ञानेन्द्र सिंह ने इस अलौकिक स्थान को विश्व पटल पर स्थापित करने के उद्देश्य से एक बड़ा कदम उठाया है। यूनिवर्सिटी आफ थर्ड एज की ओर से यहां फरवरी माह में होने वाले कार्यक्रम में लगभग सौ देशों के विद्वान जुटेंगे। इससे जहां यहां के पर्यटन को बढ़ावा मिलने की दिशा में काफी सार्थक प्रयास होंगे वहीं चित्रकूट का नाम ग्लोबल स्तर पर और ज्यादा ख्याति अर्जित करेगा।
भागवत कथा आचार्य नवलेश दीक्षित कहते हैं कि हर व्यक्ति को एक लक्ष्य बना कर ही योजनाबद्ध तरीके से काम करना चाहिये। लक्ष्यहीन व्यक्ति को कभी सफलता नही मिलती है। शिक्षा, खेल और समाजसेवा के क्षेत्र में काम करने वालों को पहचान कर पुरस्कार देना मानवता है।
शिक्षक आनंद राव तैलंग कहते हैं कि हर विद्यार्थी अपने जीवन के चरमोत्कर्ष को प्राप्त करे यही अभिलाषा है। उन्होंने कहा कि भले ही पुरस्कार व्यक्ति के जीवन के आनंद में वृद्धि करते हो पर कहीं यह क्षण सफलता की अगली सीढ़ी के बाधक न बन जायें इसलिये व्यक्ति को आगे बढ़ते रहना चाहिये। व्यापारी राजेश सोनी आशा जताते हैं कि यहां साल नई उम्मीदें लेकर आयेगा।

Friday, December 11, 2009

बुंदेलखंडी संगीत को आगे ले जाने की ख्वाहिश

चित्रकूट। इंडियन आइडियल के टाप टेन में पहुंचकर बुंदेलखंड का नाम रोशन कर चुके गायक कुलदीप सिंह चौहान का मानना है कि शास्त्रीय संगीत ही संगीत की जड़ है। बगैर इसके किसी भी विधा में गाया जाने वाला गीत सफल हो ही नहीं सकता। जिस संगीत में अपने घरों की खुशबू न हो उसका मतलब भी कुछ नही होता। इसलिए अब वे बुंदेलखंड के संगीत को विश्व स्तर पर ले जाने का प्रयास करेंगे।




मंगलवार को एक कार्यक्रम में आये बांदा निवासी कुलदीप सिंह चौहान ने बातचीत में कहा कि बढ़ती पश्चिमी सभ्यता के चलते पाश्चात्य संगीत हावी होता जा रहा है। आधुनिक पीढ़ी इसे ज्यादा पसंद करती है परंतु यह शौक स्थायी नहीं होता। किसी भी गायक व संगीतकार को शास्त्रीय संगीत की मदद लेनी ही पड़ती है। शास्त्रीय संगीत किसी भी संगीत की प्राइमरी पाठशाला है। बगैर इसमें पढ़े कोई भी तरक्की नहीं कर सकता। कुलदीप ने बताया कि वह संगीत में पीएचडी करने के बाद बुंदेलखंड के गीत संगीत को विश्व स्तर पर लोकप्रिय बनाने के लिए काम करेंगे।

Wednesday, August 12, 2009

सूर्य का उपहार

चित्रकूट के पास एक जगह है सूरज कुंड, जहां लोग साधना करने जाते हैं।
एक समय की बात है। महर्षि भगुनंदनजमदग्निधनुष-बाण से खेल रहे थे। वे किसी खाली स्थान पर बार-बार बाण चला रहे थे। उनकी पत्नी रेणुका बार-बार बाण लाकर दे रही थीं, लेकिन जेठ माह के तपते सूर्य ने उन्हें परेशान कर दिया। इस वजह से उन्हें बाण लाने में देरी भी हो जाती। महर्षि ने उनसे इसकी वजह पूछी। उन्होंने जवाब दिया कि सूर्य की तेज रोशनी न केवल हमारे सिर को तपा रही है, बल्कि पैर भी जला रही है। इतना सुनते ही महर्षि क्रोधित हो गए और कहा-देवी जिस सूर्य ने तुम्हें कष्ट पहुंचाया, उसे मैं अपने अग्निअस्त्र से गिरा दूंगा। जैसे ही उन्होंने धनुष पर बाण चढाया, भयभीत होकर भगवान सूर्य ने ब्राह्मण का वेश धारण कर लिया और उनके सामने प्रकट हो गए। उन्होंने उनसे विनती की कि मुझे अपनी गलती का अहसास हो गया है।
साथ ही, उन्होंने एक जोडी पादुका और एक छत्र महर्षि को उपहार स्वरूप प्रदान कर दिए। उन्होंने कहा कि यह छत्र सिर पर पडने वाली किरणों से आपका बचाव करेगा और पादुकाएं तपती जमीन पर पैर रखने में सहायता करेंगे। मान्यता है कि यह घटना चित्रकूट से दस किलोमीटर की दूरी पर सूरजकुंड में हुई थी। महाभारत में भी इस घटना का उल्लेख मिलता है। भक्त मानते हैं कि यह स्थान प्रकृति का अनमोल वरदान है। इसलिए यह कई ऋषि-मुनियों की तपस्थलीभी है। आज भी लोग साधना और ध्यान के लिए सूरजकुंड जाते हैं।
मान्यता है कि वहां जाने के बाद न केवल हमारे सभी बुरे संस्कार समाप्त हो जाते हैं, बल्कि हमारा अंतस भी पवित्र हो जाता है। संभवत:यही संस्कार परमात्मा के नजदीक जाने के लिए आवश्यक कारक बनते हैं।
-[संदीप रिछारिया]

Wednesday, July 29, 2009

..यहीं पर लिखा गया था अयोध्या कांड

 चित्रकूट [संदीप रिछारिया]। आज का 'रामबोला' कल गोस्वामी तुलसीदास बन श्री राम कथा का अमर गायक बन पूरे विश्व में आदर का पात्र बन जायेगा, यह राजापुर के निवासियों ने कभी सोचा भी न था। यह बात और थी कि यह विलक्षण योगी स्वामी नरहरिदास को राजापुर के ही समीप हरिपुर के पास एक पेड़ के नीचे मिल गया और वे उसे उठाकर अपने साथ ले गये। मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम व उनकी महिमा से परिचित कराने के साथ ही उन्होंने राम बोला को संस्कार व काशी ले जाकर शिक्षा दी तब वह गोस्वामी तुलसीदास बन सके। तुलसी पीठाधीश्वर जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य बताते हैं कि वैसे तो संत तुलसीदास चित्रकूट में अपने गुरु स्थान नरहरिदास आश्रम पर कई वर्षो तक रहे और यहां पर उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम राम व भ्राता लक्ष्मण के दो बार साक्षात् दर्शन भी किये। उन्होंने यहीं पर रहकर रामचरित मानस का पूरा अयोध्या कांड व विनय पत्रिका पूर्वाद्ध भी लिखा। अभी तक ज्यादातर लोग सिर्फ यही जानते हैं कि तुलसीदास की हस्तलिखित रामचरित मानस की प्रति सिर्फ राजापुर में है पर इस दुर्लभ प्रति को चित्रकूट परिक्रमा मार्ग स्थित नरहरिदास आश्रम में देखा जा सकता है। यही स्थान गोस्वामी तुलसीदास जी का गुरु स्थान है, इसे महल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर पिछले चालीस वर्षो से मंदिर की व्यवस्था का काम देखने वाले स्वामी रघुवर दास बताते हैं कि स्वामी नरहरिदास ने अपने जीवन काल का अधिकांश समय चित्रकूट में ही व्यतीत किया। गोस्वामी जी चित्रकूट में ही पले व बडे़ हुए। वह हमेशा अपने गुरु स्थान पर आते रहे और यहां पर भी वे रामचरित मानस के साथ ही अन्य ग्रंथों की रचना में तल्लीन रहते थे। उन्होंने रामचरित मानस की एक मूल हस्तलिखित प्रति दिखाते हुए कहा कि यह गोस्वामी जी के हाथ की लिखी गयी प्रति है। इसके लगभग पांच सौ पेज अभी भी सुरक्षित हैं जिसमें सभी कांडों के थोड़े-थोड़े पन्ने हैं। आर्थिक अभावों के चलते वे इसका संरक्षण कराने में अपने आपको असमर्थ बताते हैं। कहा कि न तो मंदिर में आमदनी का कोई स्रोत है और न ही उनके पास किसी तरह की मदद आती है। उन्होंने बताया कि संत तुलसीदास का लगाया गया पीपल का पेड़ भी यहीं पर है जो उचित संरक्षण के अभाव में गिरने के कगार पर है। चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बाबा तुलसी दास का लगाया पेड़ तो सबकी नजरों के सामने ही है पर उसके संरक्षण और संवर्धन का कोई प्रयास नही करता।

Wednesday, May 27, 2009

स्वर्ग से आयी स्वर्ण गंगा है मंदाकिनी

May 27, 02:08 am
चित्रकूट। चित्रकूट की धरती के गौरव राम का परिचय परमात्मा राम के रूप में आम आदमी से परिचय कराने वाले गोस्वामी तुलसीदास ने अपनी अमर कृति श्री राम चरित मानस में जब यह पंक्तियां लिखी थी तभी उनके पास इस बात के पूरे प्रमाण मौजूद थे कि यह मां अनुसुइया के दस हजार सालों के कठोर तप से निकली मंदाकिनी कोई साधारण नदी नही हैं। मां मंदाकिनी की स्तुतियां हर एक वेद में हैं मिलती है। यह तो सीधे स्वर्ग से अवतरित होकर आई स्वर्ण गंगा है।
मंदाकिनी के स्वर्ण गंगा होने की पुष्टि श्री मद् भागवत के पंचम स्कंध में हो जाती है। उनके अनुसार जब राजा बलि तीन पग पृथ्वी नाप रहे थे तो उनका बायां पैर स्वर्ग पहुंच गया और उस पैर की स्वर्ण रज को तरल रूप में सृष्टि के निर्माता प्रजापति ब्रह्मा ने अपने कमंडल में ले लिया। इसकी तीन धारायें बनी। पहली गंगा दूसरी भागीरथी और तीसरी मंदाकिनी। यह तीनों नदियां तीनों भुवनों से प्रकट की गई। स्वर्ग से मंदाकिनी, पृथ्वी से गंगा तो पाताल से प्रभावती प्रकट हुई। राजा भागीरथ ने भागीरथ प्रयास कर गंगा को अपने पूर्वजों को तारने के लिये अवतरित कराया तो प्रभावती भूलोक में भागीरथी के नाम से प्रकट हुई।
चित्रकूटांचल में प्रवाहित मां मंदाकिनी को सीधे स्वर्ग से अत्रिप्रिया मां अनुसुइया ने स्वर्ण गंगा का प्रार्दूभूत किया। इसका प्रमाण वेद भी देते हैं 'मंदाकिनी वियद् गंगा इत्यभरे' अर्थात मंदाकिनी ही स्वर्ण गंगा है। इसलिये तमाम वेदों और पुराणों ने मंदाकिनी की स्तुति गायी है और भगवान श्री राम ने खुद ही इस पर स्नान किया व अपने पिता का पिंड दान किया।
क्षेत्र के पुराने महात्मा राम लोचन दास बताते हैं कि भागीरथी गंगा जहां लोगों के पापों को धोती है वहीं मंदाकिनी गंगा लोगों के पापों का भक्षण करती है। देवलोक से आई इस विशेष स्वर्ण गंगा में स्नान कर देवता भी अपने अहोभाग्य समझते हैं। इसलिये मंदाकिनी गंगा से भी श्रेष्ठ है।

Monday, May 25, 2009

चिलचिलाती धूप में श्रद्धालुओं ने मंदाकिनी में लगाई डुबकी

May 25, 02:18 am
चित्रकूट। चिलचिलाती धूप भी श्रद्धालुओं की आस्था डिगा न सकी। ज्येष्ठ मास की अमावस्या के मौके पर लाखों श्रद्धालुओं ने मंदाकिनी में डुबकी लगायी और फिर भगवान मत्स्यगजयेंद्र नाथ का जलाभिषेक कर भगवान कामतानाथ की परिक्रमा की। वट सावित्री अमावस्या होने से सुहागिनों ने अपने पति के दीर्घायु की कामना के साथ वट वृक्ष की पूजा अर्चना की।
भीषण गर्मी के बावजूद अमावस्या में पूरे दिन श्रद्धालुओं की भीड़ धर्मनगरी में दिखी। दोपहर में परिक्रमा मार्ग में कुछ कम भीड़ दिखी, परंतु शाम होते ही श्रद्धालुओं का फिर से तांता लग गया। सैकड़ों लोगों ने लेटी परिक्रमा भी की। रामघाट के बाद कामतानाथ प्रमुख द्वार में भीड़ का सर्वाधिक दबाव देखा गया। परिक्रमा करने के बाद श्रद्धालुओं ने हनुमान धारा, स्फटिक शिला, सती अनुसूइया व गुप्त गोदावरी पहुंचकर दर्शन किये। परिक्रमा मार्ग व मेला क्षेत्र में प्रशासन ने पेयजल व्यवस्था की थी। हालांकि मुख्यालय के बस स्टैड व शिवरामपुर रेलवे स्टेशन पर यात्री पानी के लिये भटकते दिखे। कर्वी रेलवे स्टेशन में श्रीनाथ सेवा समिति ने यात्रियों को पेयजल पिलाया। जिसमें डा. प्रकाश दीनानाथ, आनंद राव तैलंग व लल्लूराम शुक्ल आदि मौजूद रहे। तीर्थ यात्रियों के आवागमन के लिये दो मेला स्पेशल ट्रेन व एक दर्जन अतिरिक्त परिवहन निगम की बसें संचालित की गई। जिन्हे ठसाठस भरकर आते जाते देखा गया।
सुहागिनों ने पूजा वट वृक्ष
ज्येष्ठ अमावस्या पर ही सुहागिनें अपने पति की दीर्घायु के लिये बरगद के वृक्ष की पूजा अर्चना की। मुख्यालय में सुबह से ही महिलाओं ने पूजा की थाल सजाकर बरगद वृक्ष के पास पहुंची। पूरे विधिविधान से पूजा करने के बाद महिलाओं ने सावित्री सत्यवान की कथा का श्रवण किया। कई महिलाओं ने परिवार सहित बरगद के नीचे बैठकर खाना बनाकर भी खाया।
टैक्सी वालों ने काटी चांदी
भीषण गर्मी में पैदल चलना मुश्किल था इससे लोग टैपो टैक्सी से आ जा रहे थे। श्रद्धालुओं की मजबूरी का टैक्सी चालकों ने जमकर फायदा उठाया। रामघाट से स्टेशन तक 15 रुपये सवारी तक वसूला गया। कई जगह इन गाड़ियों ने जाम लगाया मगर पुलिस वालों ने इन्हे हटाना गवारा नहीं समझा

Saturday, May 23, 2009

रावण के वंशजों ने किया लंकेश का श्राद्ध

जोधपुर। जोधपुर शहर में लंकाधिपति रावण के वंशजों ने बुधवार को श्राद्ध पक्ष की दशमी को रावण का श्राद्ध किया तथा अमरनाथ मंदिर परिसर में उसकी मूर्ति की विशेष पूजा अर्चना की।
अक्षय ज्योति अनुसंधान केंद्र के सचिव अजय दवेके अनुसार दवे,गोधा एवं श्रीमाली समाज के लोगों ने गत वर्ष स्थापित रावण मंदिर में पूजा-अर्चना की तथा बाद में हमेकरणनाडी पर तर्पण एवं पिंडदान किया। इसके बाद रावण की प्रतिमा एवं उसकी कुलदेवीमां खारानाको खीर, पूडी का भोग लगाया तथा ब्राह्माणों को भोजन कराया।
उन्होंने बताया कि श्रीलंका में राम-रावण युद्ध में रावण के मारे जाने पर उसके वंशज यहां जोधपुर आकर बस गए थे और ये लोग रावण को प्रकांड पंडित एवं विद्वान मानते हुए उसमें अटूट आस्था रखते हैं। हर साल रावण का श्राद्ध भी किया जाता हैं। दशहरा के पर्व पर जहां खुशी मनाई जाती हैं तथा रावण दहन किया जाता हैं वहीं हमारे समाज के लोग इस दिन को सूतक मानते हुए स्नान करते हैं।
श्री दवेने कहा कि लंकाधिपति की सुसराल भी जोधपुर मानी जाती हैं तथा उनकी रानी मंदोदरी का संबंध यहां की राजधानी मंडोरसे माना जाता हैं। उन्होंने कहा कि रावण के प्रति इसी आस्था के कारण ही गत वर्ष अमरनाथ मंदिर परिसर में रावण के मंदिर का निर्माण कराया गया और उसकी पूजा अर्चना की जाती है।