चित्रकूट। भले ही इस बार सूर्यग्रहण पूरा न रहा हो पर खग्रास सूर्यग्रहण को लेकर लोगों में भारी उत्साह रहा। पुराणों में सूर्य देव द्वारा तप किये जाने वाले स्थान सूर्य कुंड पर जहां आस्थावानों ने ग्रहण के दौरान तप कर सिद्धियों को प्राप्त करने का काम किया। वहीं लोगों ने अपने घरों में केतु द्वारा भगवान सूर्य को ग्रसित करते वक्त प्रभु नाम का स्मरण किया। ग्रहण काल के बाद लोगों का हुजूम मां मंदाकिनी के साथ ही पवित्र सरोवरों की तरफ दौड़ पड़ा। स्नान के बाद शाम चार बजे के आसपास घरों के साथ ही मंदिरों में भी भगवान की पूजा व अर्चना हो सकी।
वैसे सुबह से ही सूर्य ग्रहण को लेकर सभी लोगों में भारी उत्साह था पर बादलों के कारण लोग इस बात को लेकर संशकित भी रहे कि शायद यह दुर्लभ अवसर वे देखने से वंचित न रह जायें पर ठीक साढ़े बारह बजे ही बादलों के छट जाने के साथ लोगों ने स्पष्ट तौर पर इसे देखा। जहां बड़े लोग चश्मों का सहारा ले रहे थे वहीं छोटे-छोटे बच्चे एक्सरे फिल्म के काले भाग पर सूर्य ग्रहण को देखकर उत्साहित हो रहे थे।
सूर्यग्रहण के दौरान लोग घरों में बैठकर भगवान के नाम का स्मरण कर रहे थे। ग्रहण के बाद श्रद्धालुओं का रुख मां मंदाकिनी की तरफ हो गया। इसमें महिलाओं की संख्या काफी ज्यादा थी। स्नान करने के बाद लोगों ने घरों में भगवान की पूजा की और फिर इसके बाद ही खाना खाया।
एक ऐसा स्थान जो विश्व भर के लोगो के लिये किंवदंतियों कथाओं कथानकों के साथ ही यथार्थ चेतना का पुंज बना हुआ है। प्रजापति ब्रह़मा के तपोबल से उत्पन्न पयस्वनी व मां अनुसुइया के दस हजार सालों के तप का परिणाम मां मंदाकिनी के साथ ही प्रभु श्री राम के ग्यारह वर्ष छह माह और अठारह दिनों के लिये चित्रकूट प्रवास के दौरान उनकी सेवा के लिये अयोध्या से आई मां सरयू की त्रिवेणी आज भी यहां पर लोगों को आनंद देने के साथ ही पापों के भक्षण करने का काम कर रही है।
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Monday, January 18, 2010
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