Sunday, March 10, 2024

डीएम जगन्नाथ सिंह ने देखा था चित्रकूट में जहाज उतारने का सपना




साकार हो रहा है पूर्व डीएम का स्वप्न 

- भारत रत्न नाना जी देशमुख ने योजना को खुद पूरा करने के लिए बढाये थे कदम

-24 साल लगे देवांगना पहाड़ के उपर हवाई जहाज उतरने में
- बसपा ने कैंसिल किया था तो अखिलेश यादव ने लगाये थे पंख
- पूर्व डीएम जगन्नाथ सिंह के साथ भरत पाठक, बसंत पंडित ने की थी मशक्कत  

संदीप रिछारिया

चित्रकूट। साल 2010 की सर्दियों का समय था, भारत रत्न नानाजी देशमुख के पास चित्रकूट डीएम जगन्नाथ सिंह पहुचते है। नानाजी बहुत मधुर स्वर में कहते हैं कलेक्टर साहब,,,,,,क्या हाल है, क्या समस्या है, मैं आपके लिए क्या कर सकता हूं। डीएम कहते हैं कि मेरा स्वप्न चित्रकूट की ख्याति को विश्व व्यापी स्वरूप में देखने का है। आप इस आईडिये को सुनिये और निर्णय लीजिये। चित्रकूट में शिक्षा,स्वास्थ्य सेवाओं व स्वावलंबन का काम करने के लिए आप आयेें हैं, यह आपकी पूर्ण कर्म भूमि है। पीड़ित मानवता की सेवा के लिए धन की बड़ी जरूरत है, इसलिए देश के बड़े उद्योगपतियों को उनके मिलाना बहुत जरूरी होता है। जब वह वनवासियों को देखेंगे तो निश्चित तौर पर मदद करेंगे। अब चित्रकूट में रतन टाटा, महेंद्र महेंन्द्रा, नुरूली वाडिया, वेणु श्री निवासन, विवेक गोयनका, डालमियां परिवार, बजाज परिवार सहित अन्य लोग आने लगे हैं। इनको प्रयागराज या खजुराहो से हेलीकाप्टर के जरिए चित्रकूट लाया जा रहा है, इसमें धन, श्रम और समय लगाता है। अगर चित्रकूट में हवाई पट्टी का निर्माण हो जाए तो यहां पर सीधे विमान उतरेगा और धन, श्रम और समय बचेगा। यह भारत रत्न नाना जी देशमुख के साथ पूर्व जिलाधिकारी जगन्नाथ सिंह द्वारा चित्रकूट में हवाई अड्डा बनाने के लिए किया गया पहला संवाद था।

जिसको पंख लगाने का काम डीएम जगन्नाथ सिंह ने चार पांच जमीन दिखाने के बाद देवांगना के उपर की जमीन को मूर्त रूप देने के लिए प्रस्तावित किया। इस जमीन में वन विभाग की जमीन का कुछ हिस्सा आने के कारण उसे भौरी गांव के पास जंगल की ड्योढी राजस्व की जमीन देकर मामले को निपटाया गया और शासन पक्ष से बात कर सरकार ने पहली बार प्रयास पूरे रूप में शुरू किया। इसमें सबसे बड़ी बात यह थी कि नाना जी इस काम में डीआरआई को किसी भी तरह का फायदा नही चाहते थे। नानाजी की मित्र मंडली के कई उद्योगपतियों ने मिट्टी, गिट्टी और सीमेंट लेबर जैसी अन्य व्यवस्थाओं के लिए धन दिया तो इस काम को देखने की पूरी जिम्मेदारी डीआरआई के पूर्व प्रधान महासचिव डा0भरत पाठक व बसंत पंडित को मिली। राइट्स कपंनी को सरकार ने काम पर लगाया तो धन जुटाने की व्यवस्था डीआरआई के पास रही। काम शुरू हुआ और कुछ दिनों बाद डकैत छोटा पटेल द्वारा अडंगा डालने के बाद उसे बंद करना पड़ा। सीआरपीएफ लगाई गई, फिर काम शुरू हुआ, लेकिन कुछ दिनों बाद फिर काम बंद हुआ, यह सिलसिला कई बार चला। एक बार प्रोजेक्ट मैनेजर बिटृटू का अपहरण होने के बाद ज बवह छूटा तो समान छोड़कर भाग गया। इसके बाद हवाई पटृटी सपना बनकर रह गई। वक्त गुजरता रहा, मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी। सितम्बर 2005 में चित्रकूट में उन्होंने पांच दिवसीय राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक की। नानाजी से मिलने के बाद उन्होंने मंच से चित्रकूट में हवाई अड्डा को सरकार द्वारा बनाने की घोषणा की। कुछ काम आगे बढा। लेकिन मामला पूरी तरह से बन नही पाया। इसके बाद बहन मायावती की सरकार आई। बांदा चित्रकूट से तीन कैबिनेट मंत्री बने। नसीमुद्दीन सिद्वीकी व बाबू सिंह कुशवाहा ने चित्रकूट में हवाई अड्डा कैंसिल कराने का पूरा प्रयास कर अतर्रा के पास हवाई अड्डा ले जाने का प्रयास किया। लेकिन मामला जम नही पाया। इसके बाद प्रदेश में सपा की सरकार फिर से आई और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बने, उन्होंन चित्रकूट के विकास के लिए काफी काम किया। उन्होंने सीधे सैधांतिक तौर पर चित्रकूट में बनने वाले यात्री हवाई अड्डे के निर्माण की स्वीकृति के लिए दिल्ली से पूरा प्रस्ताव तैयार कर पास कराया। बस स्टाप की स्थापना, चारो ओर सीमेंटेड फोन लेन रोड़, परिक्रमा पथ निर्माण व टीन शेड, रामघाट का सौंदर्यीकरण के साथ अन्य बड़े काम रहे। लेकिन देखा जाए तो उन्होंने घोषणाएं और प्रस्ताव तो बहुत किये, पर धन आंवटन की स्थिति बहुत कम रही। लिहाजा काम कुछ हुआ ही नहीं। योगी सरकार के आने के बाद चित्रकूट में विकास के पंख लगे और धीरे धीरे लगभग सभी बड़े काम पूरे हो गये। आज जब चित्रकूट में हवाई अड्े पर पहला विमान उतरेगा तो नाना जीे देशमुख की आत्मा को काफी प्रसन्नता का अनुभव होगा।
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नाना जी अपना सबकुछ दोड़कर चित्रकूट आये, लेकिन उनकी तपस्या का माध्यम पीड़ित वंचितों की सेवा था, वह श्री राम को पहला समाजसेवी कहा करते थे। नानाजी के साथ हम इस काम में सहभागी बने यह हमारा सौभाग्य है। हवाई पटृटी के लिए पहली बार जब जमीन देखने गये थे और आज 24 साल बाद इस स्थिति में इसे देख रहे हैं कि जमीन पर यात्री जहाज उतर रहा है तो असीम खुशी का अनुभव हो रहा है।


डा0 भरत पाठक, राष्ट्रीय संयोजक, गंगा विचार मंच
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जब चित्रकूट गया तो वह नया जिला था। चित्रकूट के दर्शन दो स्वरूपों में हुये। पहला स्वरूप पूर्ण रूप से धार्मिक था, तो दूसरा स्वरूप पूर्ण रूप से वनवासियों की करूण स्थिति वाला था। गावों व जंगलों में प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर प्रपात, पहाड़ जगल और अन्य स्थान थे, पूरा प्लान बनाकर काम किया गया। इस दौरान नाना जी का सहयोग लगभग हर काम में मिला। वह युगदृष्टा थे। हर अच्छे काम में पूरा समर्थन देते थे। हवाई पटटी का आइडिया सुनते ही उत्साहित होकर खुद जिम्मेदारी ले ली थी। आज वास्तव में चित्रकूट का नाम जब विश्व के इवाई मानचित्र में देखकर मन को सुकून मिल रहा है।



जगन्नाथ सिंह
रिटायर्ड आईएएस

             
 

Saturday, March 9, 2024

वेद पाठियों ने की राम कथा रसिक बजरंगी की दिव्य स्तुति




राष्ट्रीय रामायण मेला दूसरा दिन 


  -विविध आयोजनों के जरिए बह रही है रामभक्ति की बयार
- सांस्कृतिक कार्यक्रम देखनेे को उमड़ रही है भीड़  

संदीप रिछारिया 


चित्रकूट। महादेव व मां गौरा के विवाह के साथ राष्ट्रीय रामायण मेला का प्रारंभ ऐसा आभास दे रहा है कि राम भक्ति की बयार सम्पूर्ण चित्रकूट धाम परिक्षेत्र में बह रही है। आयोजन के दूसरे दिन की दोपहर एक नई प्रस्तुति मंच से दिखाई दी। स्वामी जयेन्द्र सरस्वती वेद पाठशाला के सैकड़ा भर छा़त्रों ने मंच से एक साथ जब सुंदर कांड का पाठ किया तो भक्तों के अंदर का उत्साह देखते ही बन रहा था। जय बजरंग सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन उपाध्याय व राष्ट्रीय प्रभारी अर्चना उपाध्याय के द्वारा प्र्रायोजित इस कार्यक्रम का संचालन डा0 रामलाल द्विवेेदी प्र्राणेश ने किया। कार्यक्रम के उपरांत मिष्ठान वितरण के साथ ही सभी को मंच से गमलोें में लगे पौधे देकर पर्यावरण की सुरक्षा व संरक्षा पाठ भी पढ़ाया गया। श्री उपाध्याय व उनकी पत्नी राष्ट्रीय प्रभारी अर्चना उपाध्याय इन दिनो रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कराने की मुहिम में जुटे हुए हैं।   


विद्वत गोष्ठी का संचालन करते हुए डा. चन्द्रिका प्रसाद दीक्षित ललित ने श्रीराम की लंका विजय पर विशेष प्र्रकाश डालते हुए कहा कि चित्रकूट की धरती पर ही माता सीता ने लक्ष्मण जी को व्यूह रचना और उसको तोड़ने की शिक्षा दी थी। यह तथ्य अरण्य प्रिया काव्य में है। मप्र भिडं के प्रवक्ता देवेन्द्र चैहान रामायणी ने भरत जी की महिमा का वर्णन करते हुए प्रश्न किया कि सीप से सागर को खाली किया जा सकता है। उन्होंने मानस के अनुसार प्रमाण देते हुए कहा कि भरत के अंदर आठ महासागर है। जिनमें भरत शील गुण विनय बड़ाई, भाईप भगति भरोस भलाई। कहत शारदहु कर मत हीचे, सागर सीप जाएं उलीचें। प्रत्येक महासागर का वर्णन अलग-अलग प्रकार से किया गया है। भरत जी का शील उनकी विनम्रता, गुण, बड़ाई, भ्रातृत्व प्रेम और भगति, भरोसा, भलाई हैं। 



पश्चिम बंगाल दार्जलिंग सिलीगुडी के महाकवि मोहन दुकुन ने प्रभु श्रीराम और भगवान शिव के बारे में बताया कि जब पृथ्वी, आकाश, जीव नहीं था तब नांद व बिन्दु रूप में शिव जी रहे। पहली बार शिव हंसे तो अपना रूप ले लिया। इसके बाद ब्रह्मांड को तैयार किया। दाहिने हाथ से ब्रह्मा जी को तैयार किया। बांए हाथ से हरि की उत्पत्ति की। धीरे-धीरे जीवात्मा की रचना की। इसके बाद ब्राह्मा, विष्णु और शिव ने सिर्फ बेटा को पैदा, लेकिन बेटी नहीं बनाया। जब तीनो देवो को यह महसूस हुआ कि नारी की जरूरत है तो ओंकार शब्द बोलकर शिव जी ने अर्द्धनारेश्वर का रूप लिया। इसके बाद अपने ही शरीर को दो भागों में विभाजित कर नर और नारी की उत्पत्ति की जो शिव और जगदम्बा बने। तब जाकर संसार का स्रजन हुआ। मानव कल्याण के लिए देवी व देवताओं को जिम्मेदारी दी गई। जैसे सरस्वती को ज्ञान, शारदा को विद्या, लक्ष्मी को धन, जीवो के स्रजन के लिए ब्रह्मा, पालन पोषण में विष्णु, रक्षा के लिए शिव को दायित्व दिए गए। इसी प्रकार अन्य देवो-देवीयो को अलग-अलग कार्य सौपे। उन्होंने बताया कि समस्त ब्रह्मांड शिवमय है। श्री दुकुन ने शिवाधीन नाम से महाकाव्य लिखा, जिसमें संपूर्ण वर्णन किया। 
बबेरू बांदा से पधारे पं लक्ष्मी प्रसाद शर्मा मानस मर्मज्ञ ने भगवान श्रीराम के नाम के प्रभाव पर चर्चा करते हुए कहा कि राम नाम कर अमित प्रभावा, राम नाम अभिमत कलदाता, हित परलोक लोक पितु माता। भगवान श्रीराम का नाम इस लोक में माता-पिता की तरह रक्षा करता है और उस लोक में भी हितकारी है। भगवान शिव का वाहन बैल, माता पार्वती का वाहन सिंह, गणेश जी का वाहन चूहा, भगवान शिव के गले में सर्प तथा मयूर कार्तिकेय जी का वाहन है जो जन्मजात एक दूसरे के दुश्मन है, परन्तु राम नाम के प्रभाव से सभी एक जगह बड़े प्रेम के साथ रहते हैं। हमें भी मानव शरीर पाने के पश्चात भगवान के पावन नाम का जाप करके अपने जीवन को कृतार्थ करना चाहिए। राष्ट्रीय रामायण मेला चित्रकूट की पावन धरा से यह संकल्प लेकर जाएं कि 24 घंटे में से कुछ समय निकाल कर भगवान के नाम का स्मरण अवश्य करें। यही हमारे जीवन का अंतिम लक्ष्य है। भक्त प्रहलाद ने केवल राम नाम के प्रभाव, जप से सभी विषम परिस्थितियों में कमल की भांति खिले रहे। उनका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सका है। अस्तु भगवान के भजन के द्वारा ही जीवन का कल्याण होता है।
मुम्बई से पधारे वीरेन्द्र प्रसाद शास्त्री ने मानस के अंतर्गत जनक जी के प्रसंग में विषयानन्द, ब्रह्मानन्द, परमानन्द के बारे में विवेचन करते हुए बताया कि परमानन्द का जो आनन्द है वह सर्वोपरि है। यह आनन्द निराकार ब्रह्म सगुण रूप में भक्त के सामने प्रकट होता है। उससे जो आनन्द उत्पन्न होता है वही परमानन्द है जो आनन्द सभी से परे है। उन्होंने श्रोताओं को समझाते हुए बताया कि आप सभी को परमानन्द की स्थिति में रहना चाहिए। 
छिंदवाड़ा के सीताराम शरण रामायणी ने कहा कि असु स्वभाव कहु सुनहु न देखेउ, केहि खगेश रघुपति सम लेखउ। उमा राम सुभाउ जेहि जाना, ताहि भजन तज भाव न आना। प्रभु राम का भक्तो से अति प्रेम करने का स्वभाव ही है। खंडवा के रमेश तिवारी ने कहा कि भगवान राम अति दयालु हैं। जयंत द्वारा घनघोर अपराध करने के बाद भी उसके शरण में आने पर उसे एक नैन कर तजा भवानी की ही सजा दी थी। इसी क्रम में ही वृंदावन के कृष्णानन्द शास्त्री, वसधुंरा रामायणी छिंदवाडा ने रामकथा पर अपने प्रवचन किए। कार्यकारी अध्यक्ष प्रशांत करवरिया, महामंत्री करुणा शंकर द्विवेदी, शिवमंगल शास्त्री, विनोद मिश्रा, राजाबाबू पांडेय, डा घनश्याम अवस्थी, मो यूसुफ, ज्ञानचन्द्र गुप्ता, राम प्रकाश श्रीवास्तव, इम्त्यिाज उर्फ लाला, सत्येन्द्र पांडेय, हेमंत मिश्रा, विकास आदि मौजूद रहे।

उल्लास और उमंग से सराबोर रही शाम की प्रस्तुतियां 
सांस्कृतिक कार्यक्रमों में की श्रंखला में स्वरात्मिका इंस्टीट्यूट आफ डांस एण्ड म्यूजिक के कलाकारों ने एक से बढ़कर एक मनोहारी प्रस्तुतियां दी। मंजू देवी, पिंकी सरोज और अर्चना ने गणेश वंदना, शिव स्तुति और देवी गीत पर नृत्य कर दर्शकों का मन मोह लिया। इन कलाकारों ने मिर्जापुर की मशहूर कजरी विधा पर भी मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। जब से पीएम नरेन्द्र मोदी ने 22 जनवरी को अयोध्या में श्री राम के नए नवेले भव्य मंदिर में भगवान श्रीराम के प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की है तब से पूरे देश में राम भक्तों का उल्लास आसमान छू रहा है। जब पूरा देश राममय हो तब भला रामायण मेला के मंच से रामोत्सव की धूम नजर न आए यह कैसे हो सकता है। लखनऊ से आए कलाकारों के दल ने मंच से भगवान राम के जन्म की लीलाओं को लेकर नृत्य प्रस्तुत किया तो पूरा पांडाल दर्शकों की तालियों से गूंज उठा। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की अगली कड़ी में प्रयागराज से आई पूजा अग्रवाल ने कथक नृत्य के माध्यम से अपनी कला का बेजोड नमूना प्रस्तुत किया। कथक नृत्य की विधा का बखूबी प्रदर्शन करते हुए पूजा अग्रवाल दर्शको को बांधे रखने में सफल रहीं। एक के बाद एक कभी एकल तो कभी सामूहिक कथक नृत्य का लोगों को भावविभोर कर दिया। पूजा अग्रवाल भारतीय प्रयाग संगीत समिति में प्रोफेसर हैं और देश-विदेश में इन्होंने अपनी नृत्य की प्रस्तुतियां दी है।
शनिवार को सुबह मेले के कार्यकारी अध्यक्ष प्रशांत करवरिया व राजाबाबू पांडेय ने आरती कर रामलीला का शुभारंभ कराया। प्रभु श्रीराम का माल्र्यापण किया गया। इसके पूर्व शुक्रवार की रात श्री बृज कृष्णलीला रामलीला संस्था के द्वारा रामायण मेला के मंच पर प्रभु श्रीराम के जन्म की लीला का सजीव मंचन किया गया। पूरे तीन घंटे तक पांडाल भगवान राम के जन्म के उल्लास में डूबा रहा। वृंदावन से आए साधक कलाकारों के सजीव अभिनय ने लोगों का मन मोह लिया। भगवान राम की बाल लीलाओं की प्रस्तुति इतनी सुंदर और मनमोहक थी कि लोग सांस थामे श्रीराम लीलाओं का रसस्वादन करते रहे। रामलीला के बीच-बीच में प्रभु श्रीराम के भजन दर्शकों को रामभक्ति में गोते लगाने पर विवश करते रहे। इस दौरान कार्यकारी अध्यक्ष को गमला भेंटकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर महामंत्री करुणा शंकर द्विवेदी, शिवमंगल शास्त्री, जितेन्द्र करवरिया, सुधीर अग्रवाल, अभिमन्यु सिंह आदि मौजूद रहे। 


Friday, March 8, 2024

राष्ट्रीय रामायण मेला के शुभारंभ में गूंजी मंत्रों की ध्वनियां

धर्मो रक्षति रक्षतः,,,,,,,,


- गोवर्धन पीठाधीश्वर जगदगुरू अधोक्षजानन्द देवतीर्थ पुरी महाराज ने किया शुभारंभ
- हनुमान गढी के महंत राजूदास ने कहा, श्री रामचरितममानस को फाडने की बात करने वाले को जीने का अधिकार नहीं
- चित्रकूट के सभी अखाड़ों ने निकाली विशाल शोभायात्रा
- जय बजरंग सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन उपाध्याय व राष्ट्रीय प्रभारी अर्चना उपाध्याय रहे विशिष्ट अतिथि


चित्रकूट। धर्मो रक्षति रक्षतः, जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। जल्द ही अखंड भारत का सपना पूरा होने वाला है, भारत की संसद ने इसको करके दिखा दिया है। यह सदी सनातन की है। क्योंकि कुशल नेतृत्व के कारण सनातन को वैश्विक मान्यता मिलती दिखाई दे रही है। यह बातें गोर्वधन पीठ के जगद्गुरू अधोक्षानंद देवतीर्थ पुरी जी महराज ने राष्ट्रीय रामायण मेला के 51 वें सस्करण का शुभारंभ करते हुये कहीं।
उन्होंने कहा कि वह पिछले तीन साल से अखंड भारत के वृत को लेकर अखंड भारत के सभी धर्मस्थलों में जाकर धर्म का प्रचार कर रहे हैं। बांग्लादेश, म्यामार, सहित एक दर्जन देशों की यात्रा की जा चुकी है, जबकि जल्द ही पाकिस्तान जाकर माता हिंगलाज की पूजा करना है।
भगवान श्री राम की तपस्थली आज देश के विशिष्ट संतो ंके चरणों को पाकर धन्य हो गई। राष्ट्रीय रामायण मेला के 51 वें संस्करण का शुभारंभ गोवर्धन पीठ के जगदगुरू स्वामी अधोक्षानंद देवतीर्थ पुरी जी महराज व अयोध्या की हनुमान गढी के महंत राजूदास ने वेद की ऋचाओं के बीच दीप प्रज्जवलित कर किया।  
डदृघाटन के पूर्व निर्माेही तिराहे से चित्रकूट धाम के सभी सात अखाड़ों के निशानों के साथ विशिष्ट संतों की उपस्थित में हाथी घोड़ों के साथ विशाल शोभायात्रा निकाली गई। जिसका स्वागत कई स्थानों पर होने के साथ ही रामायण मेला सभागार के बाहर कार्यकारी अध्यक्ष प्रशांत करवरिया, महामंत्री डा0 करूणाशंकर द्विवेदी ने किया। उनका सहयोग मनोज गर्ग, राजा बाबू पांडेय, पप्पू श्रीवास्तव आदि ने किया। रामायण मेला की औपचारिक शुरूआत के पूर्व स्वामी जयेन्द्र सरस्वती वेद पाठशाला व श्री राम संस्कृत महाविद्यालय के छात्रों ने स्वस्ति वाचन मंगलाचरण किया। इसके बाद मेले के कार्यकारी अध्यक्ष व महामंत्री व अन्य पदाधिकारियों ने विशिष्ट अतिथियों का स्वागत माल्यापर्ण, मानस व श्री फल भेंट कर किया।  कार्यक्रम के प्रारंभ में जगद्गुरू रामभद्राचार्य दिव्यंाग विश्वविद्यालय के संगीत विभाग के प्रमुख डा0 विशेष नारायण मिश्र व महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के राजा पांडेय ने गणेश वंदना प्रस्तुत की। अयोध्या हनुमान गढी से आये महंत राजू दास ने कहा कि जिस व्यक्ति ने मानस का अपमान कर उसे जलाने व फेंकने की बात कही है, उसे जीने का कोई अधिकार नहीं हैं। हिंदू सहिषुण्य है तभी वह जिंदा है, नही तो एक देश में छोटा सा कार्टून बनाने पर 8 पत्रकारों को मौत के घाट उतार दिया गया था। उन्होंने राम जन्म भूमि आंदोलन के तमाम वृतांत प्रस्तुत किये। पूर्व सांसद भैरों प्रसाद मिश्र ने सभी आमंत्रित लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि हमारा अगला लक्ष्य रामायण मेले को विश्व रामायण मेला बनाना है। हम इस दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। इस दौरान महामंत्री डा0 करूणाशंकर द्विवेदी ने डा0 लोहिया द्वारा रामायण मेले की परिकल्पना के समय कहे गये उद्गारों को बताया। उन्होंने कहा कि मेले को मूर्त रूप प्राप्त करने में 13 वर्ष का समय लगा, लेकिन वास्तव में यह ऐसा आयोजन है जिसका मूल उद्देश्य विशिष्टिता से भरा है। आनंद, दृष्टि, रससंचार और हिंदुस्तानी को बढ़ावा देने के का सपना डा0 लोहिया ने देखा था। इसकी पूर्ति लगातार मेला का आयोजन कर रहा है। दिगंबर अखाडे के महंत दिव्य जीवन दास जी ने कहा कि वास्तव में रामायण मेला के आयोजन ने चित्रकूट के विकास के लिए मील का पत्थर स्थापित किया है। 50 आयोजन का मतलब यहां पर पांच दिनों तक लगातार देश व विदेश के गणमान्यों का मेला लगा रहना और उनके यहां से जाने के बाद चित्रकूट का प्रचार यहां के विकास का एक बड़ा कारक रहा है।
डा0 चंद्रिका प्रसाद दीक्षित ने कहा कि चित्रकूट राम की वह भूमि हैं, जहां पर राम नाम हमेशा गुंजायमान रहता है। भले ही तुलसी व वाल्मीकि के राम का अवतरण त्रेता में हुआ हो, पर यहां पर तो सतयुग में स्वयं परम पिता ब्रहमा ने रामार्चा कर राम की भक्ति की शुरूअंात की थी। इस दौरान जय बजरंग सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन उपाध्याय, राष्ट्रीय प्रभारी अर्चना उपाध्याय, पूर्व मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय, निर्वाणी अखाड़े के महंत सत्य प्रकाशदास जी, कामदगिरि पीठम के महंत मदन गोपाल दास, निर्माेही अखाड़े के अधिकारी दीन दयाल दास महराज सहित अन्य लोग मौजूद रहे।