चित्रकूट। 'चित्र विचित्रो रुप दर्शनम् समग्रम यस्मिन स कूट: चित्रकूट:' वाल्मीकि रामायणम् में लिखे यह शब्द भले ही यहां पर आने वाले कथावाचकों को यहां पर कथा करने के लिये प्रेरित करते हो पर इस अद्भुद तीर्थ स्थल के विकास के नाम पर किया जाने वाला मजाक लगातार जारी है। रामघाट व परिक्रमा पथ पर तो केंद्रीय सहायता के अन्तर्गत पर्यटन विकास के नाम पर जल निगम के कन्सट्रक्शन एवं डिजायन सर्विसेज द्वारा पिछले तीन महीनों से चल रहे लीपा पोती के खेल को देखकर तो यही लगता है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जो भी कर रहे हैं ठीक काम कर रहे हैं।
गौरतलब है कि पिछले 8 अगस्त केंद्रीय सहायता के अन्तर्गत पर्यटन विभाग से मिले 440.70 लाख रुपयों से प्रारंभ किये गये तीर्थ क्षेत्र के विकास के कामों की झलक तो रामघाट पर विभाग द्वारा लगाये गये बोर्ड को ही देखकर मिल जाती है। सुन्दरीकरण के नाम पर दर्शाये गये मंदिरों का नाम विभाग के अधिकारियों के अलावा कोई नही जानता। स्थानीय स्तर पर लोगों से इन जगहों की जानकारी करने पर कोई भी बता नही पाता।
मसलन राम मंदिर कहां है या फिर राम कुंड मंदिर कहां पर स्थित है सवाल पर विभाग के अधिकारियों के उत्तर साफ नही है। विभाग द्वारा लगाये गये बोर्ड के अनुसार रामघाट की दीवारों पर पत्थर लगाने का काम, शिव जी के मंदिर का सौन्दर्यीकरण, हनुमान जी के मंदिर का सौन्दर्यीकरण, चौपड़ा तालाब का सौन्दर्यीकरण, दीवारों पर रामायण की चौपाइयों लिखा जाना, पंचकोशी परिक्रमा मार्ग पर कैनोपी का निर्माण शामिल हैं। काम प्रारंभ किये जाने की तारीख आठ अगस्त है जबकि काम को खत्म किये जाने की तारीख आठ नवम्बर 10 दिखाई गई है। विभाग के द्वारा जोर जोश से काम को प्रारंभ कराने के बाद एक निजी घर के सामने महिलाओं के कपड़े बदलने का स्थान बना देने के बाद गुलाबी गैंग के दीवार को गिरा देने के बाद काम विवादित हो चुका है। फिलहाल अभी काम के नाम पर खाना पूरी जारी है। जूनियर इंजीनियर सुरेश दुबे ने कहा कि सभी काम मानक के अनुसार ही हो रहे हैं। सभी काम तयशुदा सीमा के अन्तर्गत पूरे करा दिये जायेंगे।
एक ऐसा स्थान जो विश्व भर के लोगो के लिये किंवदंतियों कथाओं कथानकों के साथ ही यथार्थ चेतना का पुंज बना हुआ है। प्रजापति ब्रह़मा के तपोबल से उत्पन्न पयस्वनी व मां अनुसुइया के दस हजार सालों के तप का परिणाम मां मंदाकिनी के साथ ही प्रभु श्री राम के ग्यारह वर्ष छह माह और अठारह दिनों के लिये चित्रकूट प्रवास के दौरान उनकी सेवा के लिये अयोध्या से आई मां सरयू की त्रिवेणी आज भी यहां पर लोगों को आनंद देने के साथ ही पापों के भक्षण करने का काम कर रही है।
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Monday, January 18, 2010
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