Saturday, January 13, 2024

रामनगरी के राजा से मिलने आए राम के दूत



- यूनाइडेड नेशनं के वर्ड पीस एबेंसडर डा0 परविंदर सिंह की अगुवाई में आया थाईदल

- थाईलैंड की सरकार ने सांस्कृतिक केंद्र के लिए राजा से मांगी जमीन

संदीप रिछारिया

अयोध्या। श्रीहरी विष्णु के वाहन गरूण के पुजारी और श्रीराम के नाम के राज करने वाले थाईलैंड ने एक बार फिर अपने पुराने रिश्तों को और मजबूत करने की दिशा में कदम उठाया है। यूनाइडेड नेशंश से वर्ड पीस अंबेस्डर डा0 परविंदर सिंह की अगुवाई में आये थाई भिक्षुओं ने अयोध्या के राज परिवार के सदस्य एवं श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य विमलेंद्र मोहन प्रताप सिंह ने मुलाकात कर सांस्कृतिक केंद्र खोलने के लिए जमीन की मांग का प्रस्ताव दिया। श्री सिंह ने उनके प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार कर कहा कि जल्द ही इसके लिए अगली कार्यवाही की जाएगी।
शुक्रवार की दोपहर गया से सारनाथ होते हुए थाई प्रतिनिधियों का दल अयोध्या पहुंचा। यहां पर सर्वप्रथम उन्होंने श्री राम लला के दर्शन किये।
इस दौरान हिस हाईनेस डा0 परविंदर सिंह ने बताया कि भगवान राम एक ऐसे आदर्श पुरूष थे जिनके आर्दशो को थाई लैंड सदियों पहले आत्मसात कर चुका है। थाईलैंड में श्री राम के नाम पर ही राजा राज करते हैं। वर्तमान समय राम 10 का शासन चल रहा है। उन्होंने बताया कि थाईलैंड मे रामायण के प्रसंगों को रामलीला के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। वहां पर संवाद संप्रेषण के साथ मुखौटों व मुखाकृति के द्वारा ंविशेष प्रस्तुति दी जाती है। हमारा लक्ष्य भारत और थाईलैंड के पारस्परिक संबंधों को और भी ज्यादा मजबूती देना हैै
इसके बाद थाईदल राज सदन पहुंचा। जहां पर उनका स्वागत विमलेंद्र मोहन प्रताप सिंह व स्थानीय साहित्यकार यतीन्द्र मिश्रा ने जोरदार तरीके से किया। यहां पर डा0 सिंह ने थाईलैंड की ओर से उन्हें अयोध्या में एक सांस्कृतिक केद्र खोलने का प्रस्ताव दिया। इस दौरान डा0 सिंह ने कहा कि भगवान राम की जन्मभूमि थाईलैंडवासियों के दिलों में विशेष स्थान रखती है। इसको ध्यान में रखते हुए हम लोग उत्तर प्रदेश में वाट फ्राराम अयोध्या, संस्कृति मंत्रालय एक कला और सांस्कृतिक केंद्र के विकास एवं स्थापना को लेकर कृतसंकल्पित है। वाट फ्रा राम अयोध्या का लक्ष्य अयोध्या शहर के समग्र विकास में योगदान देना है। इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए जमीन की तलाश है। इसके बनाने के पीछे का लक्ष्य भौतिक प्रगति के साथ ही सांस्कृतिक और सामाजिक समरसता को और भी ज्यादा प्रभावी, एकात्म मानववाद से उत्प्रेरित करना है। यह संस्कृति मंत्रालय न केवल समुदायों के बीच बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर संस्कृति के आदान प्रदान में सहभागी बनेगा। यह  कला और सांस्कृतिक केंद्र भारतीय नागरिकों व वैश्विक पर्यटकों के बीच सुलभ कला प्रदान करने के अवसर प्रदान करेगा। यह केद्र कलात्मक अभिव्यक्ति, अयोध्या की विविध सांस्कृतिक परंपरा को प्रदर्शित करने और रचनात्मकता को बढाने का केंद्र होगा। यह थाई भारतीय सहयोग के लिए एक बड़ा प्रकाशस्तम्भ के रूप में काम करेगा।
उन्होंने कहा कि 22 जनवरी को भारत के हर गांव में उत्सव मनाया जाने के लिए तैयारियां चल रही हैं, ऐसे ही थाईलैंड में भी हर तरफ उत्साह का माहौल है। हर गांव गांव में सांस्कृतिक व सामाजिक तौर पर लोग इस बड़े आयोजन के साभ्श्रल्न्थ जुडकर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उनके साथ थाई बौधभिक्षु फ्रापलाड नारोंग मौजूद रहे।