चित्रकूट। पतित पावनी मां गंगा के अवतरण दिवस पर धर्म नगरी से होकर गुजरने वाली पापभक्षणी मां मंदाकिनी में डुबकी लगाने वालों की संख्या लाखों में रही। लोगों ने महादेव की जटाओं से होकर मृत्यु लोक में आने वाली मां गंगा की आरती पूजा भी की। इस मौके पर निर्माेही अखाड़े के संतों के संयोजकतत्व में मां गंगा की स्तुति पूजन के साथ ही नावों पर बैठकर चौबीस घंटे का श्री राम नाम संकीर्तन प्रारंभ कर दिया गया।
जानकारी के मुताबिक सोमवार की सुबह से ही धर्म नगरी की मंदाकिनी नदी के रामघाट, राघव प्रयाग घाट, प्रमोद वन, जानकीकुंड, आरोग्यधाम, सिरसावन, स्फटिक शिला, अनुसुइया आश्रम, सूर्य कुंड के साथ ही मऊ व राजापुर के यमुना नदी के घाटों के साथ ही वाल्मीकि नदी पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता उमड़ पड़ा। लोग हर हर गंगे का उद्घोष करके पवित्र नदियों में डुबकियां लगा रहे थे। चित्रकूट में घाट किनारे के पुरोहित मां मंदाकिनी के महत्व को लोगों को बता रहे थे।
इसके साथ ही निर्माेही अखाड़े के संयोजकतत्व में विश्व हिंदू परिषद ने गंगा दशहरे पर हवन पूजन व मां मंदाकिनी का अभिषेक कराया। इसके साथ नावों पर बैठकर चौबीस घंटों के प्रभु नाम संकीर्तन का भी शुभारंभ कराया गया। इस मौके पर निर्मोही अखाड़े के महन्त ओंकार दास, भरत मंदिर के दिव्य जीवन दास, अनूप दास, विहिप के प्रचारक भोले जी, दयाशंकर गंगेले, भाजपा जिलाध्यक्ष दिनेश तिवारी, मनोज तिवारी ,मुन्ना पुजारी सहित भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।
एक ऐसा स्थान जो विश्व भर के लोगो के लिये किंवदंतियों कथाओं कथानकों के साथ ही यथार्थ चेतना का पुंज बना हुआ है। प्रजापति ब्रह़मा के तपोबल से उत्पन्न पयस्वनी व मां अनुसुइया के दस हजार सालों के तप का परिणाम मां मंदाकिनी के साथ ही प्रभु श्री राम के ग्यारह वर्ष छह माह और अठारह दिनों के लिये चित्रकूट प्रवास के दौरान उनकी सेवा के लिये अयोध्या से आई मां सरयू की त्रिवेणी आज भी यहां पर लोगों को आनंद देने के साथ ही पापों के भक्षण करने का काम कर रही है।
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Thursday, July 8, 2010
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