Monday, March 30, 2020

कोरोना नहीं भूख बनेगी मानव की बड़ी दुश्मन

- शासन व प्रशासन के द्वारा किए गए इंतजामों में आम लोगों के साथ ही एनजीओ को भी मदद करनी होगी
- भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ अन्य पार्टियों के कार्यकर्ता भी जुटने चाहिए 

संदीप रिछारिया 

कोरोना के रूप में आई वैश्विक महामारी की चपेट में लगभग पूरा विश्व आ चुका है। अब ताकतवर अमेरिका के साथ अन्य सभी विकसित देशों का हाल यह है कि वह खुद अपनी मदद के लिए भगवान की तरफ लाचारी से देख रहे हैं। हमारा 130 करोड भारतीयों वाला देश भी कोरोना की चपेट में आ चुका है। भले ही अभी कोरोना पाजिटिव के आंकड़े बहुत कम दिखाई देे रहे हैं, पर शनिवार की रात व उसके पहले के दृश्य जो दिल्ली के आनंद बिहार बसस्टैंड व सड़कों पर दिखाई दिए में दिखाई आंखें खोल देने वाले हैं। अभी तक तमाम सामथ्र्यवान लोग प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री के साथ अन्य तरह से अपनी -अपनी तरफ से मदद करने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन यह मदद कैसे व किस प्रकार की जाएगी, इसका पूरा प्लान अभी तक स्पष्ट नही हो पाया है। विचारणीय बात यह है कि इस वैष्विक महामारी से जंग की तैयारी किसी भी देश ने कभी की ही नहीं, इसका कारण भी साफ है कि अभी जक जंग केवल अपनी सामाजिक शक्ति के प्रदर्शन को लेकर ही की जाती रही है। उसकी के लिए सब इंतजाम किए जाते थे, दूसरी जंग दूसरे गृहों पर जाने को लेकर की जा रही थी। लेकिन अब अगली जंग हमें कोरोना के साथ भूख की महामारी को लेकर करनी होगी।
यहां पर यह बताना जरूरी है कि भारत कृषि प्रधान देश है। आज भी यहां की 85 फीसद आबादी गांवों में रहती है। गांवों में रोजगार की कमी के कारण लोग मौसमी या पूर्ण रूप से पलायन कर शहरों की ओर जाते हैं। ऐसे में जब लाॅक डाउन हुआ और शहरों में काम समाप्त हो गया तो वहां से गांव वापस आने का रास्ता ही लोगों के लिए बचा तो वह लोग क्या करेंगे। आनंद विहार व के साथ ही देश के लगभग हर बडे व छोटे शहर से वापसी के लिए लोग परेशान हैं। दिल्ली के हंगामें को देखकर राज्य सरकारों ने लोगों को उनके घरों में भेजने का ्रपबंध भी किया। लेकिन मामला यहीं पर नही खत्म होता, क्योंकि अभी भी देश के 90 फीसद लोग न तो सरकारी नौकरी करते हैं और न ही वह पूर्ण कालीक प्राइवेट नौकरियों में हैं। अब ऐसे में रोज कमाकर अपना पेट भरेन वालों के हाल यह है कि उन्हें सरकार ने एक हजार रूपये देने का काम किया है, लेकिन उनमें भी कितने लोग रजिस्टर्ड है , इसकी संख्या भी जान लेना जरूरी है। क्योंकि इनमें भी 80 फीसद से ज्यादा का रजिस्ट्रेशन हुआ ही नहीं। रेहडी लगाने वाले, बैठकर अपना छोटा मोटा व्यवसाय कर पेट भरने वाले लोग भी देश में भारी मात्रा में हैं। इन सभी की हालत देखी जाए तो इनके पास दो से तीन दिनों का ही भोजन घरों में होता है। अब लाॅक डाउन और जनता कफर्यू को जाड़ दिया जाए तो एक सप्ताह से उपर का समय बीत चुका है। इस समयांतर में अब इन परिवारों के पास भी राशन खत्म हो गया होगा। आने वाले समय में जब यह लोग घर से नही निकल सकते और न ही इनके पास पैसा है तो इनका परिवार कैसे जीवित रहेगा। इसकी कल्पना करके ही दिल बैठ जाता है। प्रशासन को चाहिए कि सामुदायिक रसोई के जरिए बिना किसी प्रचार के इस तरह के सभी लोगों को चिन्हित कर उनके पास प्रतिदिन दो समय का भोजन उपलब्ध कराएं जिससे कम से कम उनका जीवन भूख से तो सुरक्षित रह पाए। सामथ्र्यवान लोगों को चाहिए कि वह लोग अपनी तरफ से इस तरह के परिवारों को चिन्हित कर उनको भोजन उपलब्ध कराएं। लोगों को चाहिए कि भोजन उपलब्ध कराने वालों की सूची प्रशासन को दें ताकि प्रशासन के वालिंटियर दूसरे जरूरतमंदों को भोजन दे सकें। जिलाधिकारी को चाहिए  िकइस मामले में एक विस्तृत कार्य योजना बनाकर उसको अमल में लाएं ताकि लोगों का जीवन भूख से बच सके।
   

Monday, March 23, 2020

जल्द ही चित्रकूट में भी हो सकता है लॉक डाउन,तैयारियां पूरी


चित्रकूट। जिलाधिकारी शेषमणि पांडे की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट स्थित सभागार में कोरोना वायरस की रोकथाम एवं बचाव के संबंध में डॉक्टर एसोसिएशन के साथ  बैठक हुई।

जिलाधिकारी ने प्राइवेट डॉक्टरों से कहा कि इस कोरोना वायरस को देखते हुए आप लोग जनपद में अधिक से अधिक व्यवस्था रखें। कहां कि हमारी सरकारी टीमें रेलवे स्टेशनों बस स्टॉप आदि जगह -जगह पर तैनात होकर कार्य कर रही हैं और बाहर से आने वाले लोगों की लगातार जांच जारी है सीएमओ से कहा कि गांव में आशा एएनएम को लगाकर जागरूक कराएं तथा जो बाहर से लोग आ रहे हैं उनको गांव में ही वाच करते रहें तथा बाहर से जो लोग आ रहे हैं उनके घरों में एक लिखकर चस्पा करें। इनसे 14 दिन तक कोई नहीं मिलेगा यह अपने घर पर ही रहे। चिकित्सकों ने जिलाधिकारी से जनपद को लाक डाउन घोषित कराए जाने की भी मांग की।
 इस पर डीएम ने अपर जिलाधिकारी से कहा जनपद की सीमा को सील कराने वहां मजिस्ट्रेट व पुलिस की व्यवस्था कराने तथा लाकडाउन आदि की भी तैयारी कर ली जाए। उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी से कहा कि 200 सैया अस्पताल पर सभी व्यवस्थाओं के लिए शासन को पत्र मेरी ओर से भेजा जाए ताकि वहां पर स्टाफ आदि सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित हो सके। और निजी संस्थानों के चिकित्सकों के साथ एक बैठक करके सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करा ले। एसोसिएशन के चिकित्सकों से कहा कि बाहर के जनपदों सेसर्जन व फिजीशियन से वार्ता कर ले ताकि आवश्यकता पड़ने पर जनपद में उन्हें बुलाया जा सके और उनकी सेवाएं ली जा सके। तथा कोई भी मरीज इस वायरस से ग्रसित पाया जाए तो उसकी सूचना तत्काल मुख्य चिकित्सा अधिकारी को उपलब्ध कराएं जिससे कि उसकी इलाज की संपूर्ण व्यवस्था कराई जा सके। उन्होंने सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट जानकीकुंड के चिकित्सक से कहा कि वेंटिलेटर वाले कितने बेड हैं उसकी एक लिखित में सूचना दें और टेक्नीशियन आदि की भी व्यवस्था कराएं।
बैठक में अपर जिलाधिकारी  जी पी सिंह उप जिलाधिकारी कर्वी  अश्वनी कुमार पांडे मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ विनोद कुमार निजी संस्थानों के चिकित्सक डॉ सुरेंद्र अग्रवाल डॉक्टर महेंद्र गुप्ता डॉक्टर सुधीर अग्रवाल डॉक्टर प्रबोध अग्रवाल आदि विभिन्न चिकित्सक तथा संबंधित अधिकारी मौजूद रहे।

कोरोना से बचने के लिए डीएम चित्रकूट शेषमणि पांडेय ने की मार्मिक अपीलG


चित्रकूट। डीएम शेषमणि पांडेय ने वीडियो अपील जारी कर कहा कि अमावश्या के पर्व पर चित्रकूट न आये,अपने घर पर ही रहकर भगवान का स्मरण करें। यही काम नवरात्रि की परमा और नवमी को करे।
उन्होंने चित्रकूट जनपदवासियों से कहा कि अत्यंत जरूरी होने पर ही घरों से बाहर निकले।जिससे हम खुद को व दुसरो को कोरोना से बचाए रखे। कोरोना की जंग में हर एक व्यक्ति सैनिक है।उसे राष्ट्रहित में इस लड़ाई से लड़कर जल्द जीत हासिल करना है।

Tuesday, March 10, 2020

इंद्रदेव का कोरोना पर ‘वार‘ होरियारे मायूस


अजब तेरी माया, अजब तेरे खेल छछूदर के सिर पर चमेली का तेल, कुछ ऐसा हाल चीन से निकले और इटली में सबसे ज्यादा कहर बरपाने वाले कोरोना के यहां पर हो रहे हैं। वैश्विक स्तर पर डर के माहौल के बीच प्रधानमंत्री से लेकर अभिनेता अभिभावदन में हाथ मिलाने की जगह नमस्ते करने की सलाह दे रहे हैं।

होली पर दूर से रंग फेंकने की सलाह भी खूब जारी की गई। खांसने व छीकने तक के लिए एडवाइजरी जरी कर मुंह में मास्क लगाने की अपील लगातार जारी की जा रही है। मीडिया भी लगातार कोरोना का मरीज यहां मिला, वहां मिला। होलिका दहन में कपूर व लौंग का प्रयोग के साथ ही तमाम तरह के निवेदन सोशल मीडिया पर लगातार छाए हुए हैं। 
लेकिन हम जिस देश के वासी हैं। वहां पर तो 33 कोटि के देवता कुछ ऐसा कर देते हैं कि अपील एडवाइजरी कुछ नहीं मायूने नहीं रखती यहां पर सीधे तौर पर एक फरमान आता है तो सब मामला निपट जाता है।
होली की मस्ती करने को आतुर होरियारों को यह होली ताजिंदगी याद रखने की व्यवस्था इंद्र देव ने कर दी। सुबह सात बजे से ही चित्रकूट में रूक रूक कर बारिश हो रही है। जिससे वातावरण में हल्की गर्मी की जगह ठंड बढ गई। स्वेटर व जैकेट के साथ लोग होली की आग को अला समझ कर ताप रहे हैं। बरसात की बूंदे उसको धीमा करने का प्रयास कर रही है। जिससे न केवल होली की आग बुझती नजर आ रही है। लोग होली खेलने की जगह उस आग से अपने आपको तापकर गर्म करने का प्रयास कर रहे हैं। इस तरह से होली का मजा तो किरकिरा हो रहा है, साथ ही लाखों रूपये लगातार होली खेलने के लिए लाए गए रंग, गुलाल , पिचकारी की दुकानें भी ठंडी पड़ी दिखाई दे रही हैं। बच्चों को भी घरों में रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है। मां बाप खुश हैं कि कम से कम अब बच्चों के मुंह में लगा रंग व गुलाल उन्हें साफ करने के लिए श्रम नही करना होगा। एक दूसरे से छीना झपटी के बीच अभिभावकों के बीच कोरोना वायरस का डर भी नही सता रहा है।

Monday, March 2, 2020

चित्रकूट की धरती पर मौजूद हैं जलश्रोतों के लुटेरे, संतों की हरकत देख व्यापारियों ने भी डाला डाका


- श्री कामदगिरि की परिक्रमा का अतिक्रमण साफ करने का दावा करने वाले प्रशासन की बिरजाकुंड के पास प्राचीन बीहर पर कब्जा करने वाले को क्लीन चिट
- जगद्गुरू रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय के बाहर मौजूद है बेशकीमती बीहर  


संदीप रिछारिया

समय बदलने के साथ ही हम आदिम युग से निकलकर सभ्य युग तक आ गए। प्रकृति को पूजने वाले हम लोग पत्थर के भगवानों में सिमट आए हैं। भले ही प्राकृतिक भगवान हमारी जरूरतों को पूरा करने का काम करें, पर हमे उन्हें अपवित्र करने और उनको जड़मूल से उखाड़ने का कोई भी मौका नही छोड़ते। राममंदिर निर्माण के लिए फैसला आने के बाद खुशी का इजहार एक महीने की आधा दर्जन कथावाचकों के साथ रामकथा के द्वारा

श्रीकामदगिरि परिक्रमा मार्ग के बिरजाकुंड पर किया जाता है, वही राम-राम का जाप करने के साथ ही अनवरत चलने वाली रामायण का पाठ किया जाता है, और वहीं पर राजाओं की बनाई बेशकीमती बीहर ( सप्तदल वाले विशाल कुआं) पर खुले आम कब्जा भी कर लिया जाता है। हैरत की बात यह है कि उनका कद प्रशासन भी इतना उपर हो चुका है कि जिलाधिकारी स्वयं उस स्थान को देखते हैं कि कैसे उनके पर्यटन विभाग द्वारा बनवाए गए विशालकाय दो शेडों व बावली पर एक धर्माधिकारी ने कब्जा कर रखा है और वह कुछ नही बोलते हैं। आम लोग जब सवाल खड़े करते हैं तो योगी की सरकार और उन पर योगी की कत्रपा का हौवा बताकर उन्हें शांत कर दिया जाता है।
वैसे बिरजाकुंड स्थित बीहर की बात करें तो यहां पर राजस्व विभाग व धर्माधिकारियों की जुगलबंदी साफ दिखाई देती है। लगभग 35 साल पहले यहां पर बीहर के साथ आंवले के पेड़ लगे हुआ करते थे। इच्छा नवमी या आंवला नवमी को श्रद्वालु आंवले के नीचे भोजन कर पुण्य अर्पित किया करते थे। वहीं एक छोटे से विशाल बरगद के नीचे एक धर्माधिकारी की नजर पड़ी। अपने चार चेलों को रामधुन के साथ प्रतिस्थापित कर दिया। रामधुन का स्वरूप् बढा तो कमरे बनने लगे। सरकारी जमीन का स्वरूप बदलकर सरकारी अभिलेखों में उसे महंत व अखाड़े के नाम पर दर्ज करने में प्रशासन ने अपनी भूमिका का निर्वहन किया। धीरे-धीरे बेशकीमती बीहर पर धर्माचार्य का कब्जा हो गया। अब यहां पर एक नही दो धर्माचार्य अपना- अपना दावा कर रहे हैं। हैरत की बात यह है कि हाल में एक धर्माचार्य को जलशक्ति मंत्रालय ने दिल्ली में बुलाकर मंदाकिनी को बचाने के लिए पोस्टर, बैनर व भाषण देने के लिए पुरस्कार भी दिया है। वैसे यह आश्रम राजनेताओं व अधिकारियों के साथ बड़े लोगों को नारियल का गोला देकर व शाल उड़ाकर अपने आपको पीठम का दर्जा दे चुका है।

दूसरा कब्जे वाला बीहर सीतापुर - बेडीपुलिया मार्ग पर जगद्गुरू रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय के समीप मेन रोड पर है। मोदी के स्वच्छता दूत जगद्गुरू ने कई बार मंदाकिनी के लिए आवाज उठाई, पर आज तक उनकी नजर इस बीहर पर नहीं पड़ी। सबसे हैरत की बात तो यही है खुद जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह भी इस बीहर पर कब्जे को कई बार आंखों से देख चुके हैं लेकिन उन्होंने भी अपनी प्रतिक्रिया कभी इस मामले में नही दी।
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ते क्या कर सकता है शासन

मोदी जी अपना वादा निभाया, जल शक्ति मंत्रालय बनाया, लेकिन सरकार के साथ ही समाज के जिम्मेदारी भी जलश्रोतों को संरक्षित रखने की है। अगर हमें अपना जीवन चाहिए तो जलश्रोतों नदी, तालाब, बीहर, कुंओं, चोहड़ों को संरक्षित व सुरक्षित करने के लिए बड़े प्रावधान बनाने होंगे। इसके लिए पुलिस की एक अलग विंग स्थापित करनी होगी। जलश्रोतों पर अतिक्रमण या गंदा करने वालों के अंदर कानून का डर पैदा करना होगा। इसकी मानीटरिंग के लिए कई स्तर पर जांच करनी चाहिए।
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सीएम योगीजी के आदेश व श्रद्वालुओं की बढ़ती संख्या को लेकर प्रशासन ने अब श्रीकामदगिरि परिक्रमा पथ पर बसी खोही बस्ती की जमीन को खाली कराकर चैड़ीकरण कराने के लिए काफी हो हल्ले के बाद मामला शांत हो गया है। राजस्व व वन विभाग ने लगभग एक सैकड़ा लोगों को नोटिस देकर दस दिनों में जमीन खाली करने के आदेश दिए थे। जिलाधिकारी की बैठक के बाद कब्जेदार रात-रात भर सोए नहीं, वहीं तमाम अतिक्रमण किए हुए स्थानों पर संत समाज द्वारा अतिक्रमण किए जाने को लेकर स्थानीय लोगों में तीखी नाराजगी भी है। वैसे पर्वत की तरफ अस्थायी व स्थायी निर्माण कर रहने वाले लोगों के भी दो मत हैं। पट्टों की जमीन पर भूमिधरी होने के बाद तमाम लोग अदालतों के आदेश लेकर मुआवजा की मांग कर रहे हैं तो बहुत से लोग इस कार्यवाही को गलत बता रहे हैं।
परिक्रमा मार्ग पर दुकान लगाकर गुजर बसर करने वाली अंशु, दादू, पप्पू जैसे तमाम दुकानदार कहते हैं कि हमारा अतिक्रमण तो सामने प्रशासन को दिखाई दे रहा है, पर संत समाज का अतिक्रमण नहीं दिखाई दे रहा है। बिरजा कुंड के पास निर्मोही अखाड़ा ने कब्जा कर पहले छोटी कुटिया बनाई और धीरे धीरे रामधुन बैठाकर मंदिर का निर्माण किया। चैहद्दी बनाकर पर्यटन विभाग के दो शेडों को अपने सीमा के अंदर कर पूरी तरह से कब्जा कर लिया और राजाओं की बनाई पुरानी बेशकीमती चार मंजिला बीहर को पूरी तरह से गायब करने के लिए बाहर कमरे इत्यादि बना दिए। पट्टे की जमीन को भूमिधरी और फिर उस जमीन पर प्राचीन बनी बीहर का कब्जा प्रशासन को केवल इसलिए नहीं दिखाई दे रहा है क्योंकि वहां से जुड़े एक महंत प्रशासन के बहुत नजदीकी हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यह प्रशासन की दोगली नीति नही चल पाएगी। इसको लेकर आंदोलन किया जाएगा व कोर्ट की शरण ली जाएगी। जब प्रशासन कहता है कि हजार साल पुराना पट्टा भी अवैध है तो फिर इस पट्टे को क्यों नही खारिज किया जा रहा है। क्यों प्राचीन बीहर व पर्यटन विभाग द्वारा बनवाए गए शेडों को यात्रियों की सुविधा के लिए खोला जा रहा है।
 उप जिलाधिकारी कर्वी ने बताया कि प्राचीन बीहर होने जानकारी मिली है। इसकी पूरी जांच कराकर विधिक कार्यवाही की जाएगी।