चित्रकूट। माघी आस्थावानों का हुजूम विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल पर उमड़ पड़ा। यह बात और थी कि सूर्यग्रहण का सूतक काल गुरुवार की रात बारह बजे से प्रारंभ हो चुका था और सभी मंदिरों के पट शुक्रवार की शाम चार बजे के बाद ही खुल पाये। हर एक श्रद्धालु के मुंह पर हाड़कपा देने वाली सर्दी की जगह प्रभु के नाम का स्मरण के साथ ही मां मंदाकिनी में डुबकी मारने का उत्साह साफ दिखाई दे रहा था। कड़कड़ाती ठंड व पिछले पखवारे से चल रही शीतलहरी की परवाह किये बगैर लाखों श्रद्धालुओं ने मंदाकिनी में स्नान कर श्री कामदगिरि की परिक्रमा की। श्रद्धालुओं की भीड को देखते हुये प्रशासन ने पर्याप्त व्यवस्थायें की थी।
वैसे गुरुवार देर शाम से ही श्रद्धालुओं का आना इस तीर्थ पर प्रारंभ हो गया था। लोग बसों, ट्रेनों और प्राइवेट वाहनों से यहां पर आ रहे थे। काफी लोग ट्रेनों से उतर कर रामघाट के लिये पैदल ही जा रहे थे तो काफी लोग टैक्सियों से।
मंदाकिनी में स्नान के बाद लाखों श्रद्धालु स्वामी मत्स्यगयेन्द्र नाथ मंदिर पर जलाभिषेक करने के बाद कामदगिरि परिक्रमा की तरफ बढ़े। यहां पर स्वामी कामतानाथ के दर्शनों के बाद 'आस्थावान भज ले पार करइया का' 'भज ले मुरली वाले का' के जयकारे लगाते हुये परिक्रमा कर रहे थे। आस्थावानों में बड़ी संख्या में महिलायें व बच्चे भी शामिल थे। इस बार की अमावस्या की सबसे बड़ी बात यह रही कि लोग ग्रहण काल में भी स्नान व पूजन करते देखे गये। वैसे काफी लोग घाटों के किनारे बैठकर प्रभु के नाम का स्मरण कर रहे थे। रामघाट पर स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सा शिविर लगाया था जहां पर लोग जाकर अपना इलाज करा रहे थे। मेला क्षेत्र में अधिकारियों की आमद भी लगातार बनी रही।
एक ऐसा स्थान जो विश्व भर के लोगो के लिये किंवदंतियों कथाओं कथानकों के साथ ही यथार्थ चेतना का पुंज बना हुआ है। प्रजापति ब्रह़मा के तपोबल से उत्पन्न पयस्वनी व मां अनुसुइया के दस हजार सालों के तप का परिणाम मां मंदाकिनी के साथ ही प्रभु श्री राम के ग्यारह वर्ष छह माह और अठारह दिनों के लिये चित्रकूट प्रवास के दौरान उनकी सेवा के लिये अयोध्या से आई मां सरयू की त्रिवेणी आज भी यहां पर लोगों को आनंद देने के साथ ही पापों के भक्षण करने का काम कर रही है।
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Monday, January 18, 2010
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