चित्रकूट। नवीन विचारों की बयार जब बहती है तो लोग खद-ब-खुद ही खिचे चले आते है। चित्रकूट संसद भी एक ऐसी ही ताजी हवा का झोंका है जो अब प्रदेशों की सीमाओं को लाघ रहा है। जिसका उदाहरण है कि चित्रकूट संसद के हमकदम बनने के लिए अब मध्य प्रदेश के सतना जिले के सांसद गणेश सिंह व चित्रकूट विधायक सुरेन्द्र सिंह गहरवार के साथ नगर पंचायत नयागांव के अध्यक्ष नीलांशु चतुर्वेदी आतुर हैं। तीनों नेता इस बात पर एकमत हैं कि उप्र और मप्र की सीमाओं में बंटे 'चित्रकूट' का विकास हर दशा में होना चाहिये।
संसद के कार्यक्रम संयोजक अर्चन ने बताया कि शुक्रवार को जब समाजसेवी गोपाल भाई ने इन तीनों नेताओं से बात की तो वे इस कार्यक्रम को समय देने के लिये सहर्ष तैयार हो गये। उन्होंने यह भी कहा कि नेताओं ने आश्वासन दिया कि चित्रकूट के विकास के मुद्दे पर वे साथ हैं। अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान द्वारा बनवाया गया सात पन्नों का 21 सूत्रीय करणीय पत्रक चर्चा का विषय बन चुका है। वहीं चौराहों पर इसके बिंदु बहस का मुद्दा बनते जा रहे हैं। सदर विधायक दिनेश मिश्र का कहना है कि आर्थिक, शैक्षणिक, पर्यटकीय, पर्यावरणीय व धार्मिक विकास के मुददें पर आम लोगों के साथ विशेष लोग भी चिंतन और मनन कर रहे हैं। मानिकपुर ब्लाक प्रमुख विनोद द्विवेदी ने सुझाव पत्रक पढ़ने के बाद इस पहल का स्वागत किया। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के शिक्षाविदों के बीच पत्रक को भरने की होड़ सी लगी दिखाई दे रही है। इसके साथ ही तमाम विद्यालयों में इस पत्रक के सवालों के आधार पर प्रतियोगितायें कराने की तैयारियां भी प्रारंभ हो चुकी हैं।
एक ऐसा स्थान जो विश्व भर के लोगो के लिये किंवदंतियों कथाओं कथानकों के साथ ही यथार्थ चेतना का पुंज बना हुआ है। प्रजापति ब्रह़मा के तपोबल से उत्पन्न पयस्वनी व मां अनुसुइया के दस हजार सालों के तप का परिणाम मां मंदाकिनी के साथ ही प्रभु श्री राम के ग्यारह वर्ष छह माह और अठारह दिनों के लिये चित्रकूट प्रवास के दौरान उनकी सेवा के लिये अयोध्या से आई मां सरयू की त्रिवेणी आज भी यहां पर लोगों को आनंद देने के साथ ही पापों के भक्षण करने का काम कर रही है।
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Monday, January 18, 2010
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