चित्रकूट। भले ही मप्र ने चित्रकूट को धार्मिक नगरी घोषित कर विकास की बड़ी कवायत करनी प्रारंभ कर दी हो पर इस मामले में यहां का प्रशासन भी काफी खामोशी से काम कर रहा है। जहां एक तरफ चीफ टाउन प्लानर को 'चित्रकूट महायोजना' को बनाये जाने का प्रस्ताव भेजा जा चुका है। वहीं मुख्यालय को एक विशेष रुप से शेप देने के साथ ही विशेष तौर पर विकासात्मक कदमों की भरमार करने की योजना भी बताई जा रही है।
अपर जिलाधिकारी राजा राम बताते हैं कि वैसे तो चित्रकूट महायोजना को बनाये जाने का प्रस्ताव काफी पहले भेजा गया था पर अब मालूम चला है कि यह अपने अंतिम दौर में है। लखनऊ के चीफ टाउन प्लानर के द्वारा बनाये जाने वाले चित्रकूट मुख्यालय के नक्शे के बारे में वे कहते हैं कि अभी तक तो उन्होंने यह देखा नही है पर उम्मीद है कि इसके बनने के बाद तो चित्रकूट विकास प्राधिकरण का काम काफी बढ़ जायेगा। जहां यहां पर नई टाउनशिप बनेगी वहीं नये पार्क व धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व के स्थलों को संरक्षित करने के लिये भी विशेष कार्ययोजना का प्रस्ताव भी इसमें किया गया बताया जा रहा है।
इतना ही नही जहां प्रशासनिक स्तर पर अधिकारियों को यह उम्मीद है कि अगले वित्तीय वर्ष में चित्रकूट को भी मथुरा, काशी, इलाहाबाद, वृन्दावन की तर्ज पर महायोजना बनाकर विकसित किया जा रहा है। वैसी ही योजना की शुरुआत यहां पर शासन के स्तर पर अगले वर्ष हो सकती है। वैसे यहां पर भी अधिकारी अपने स्तर पर स्वयंसेवियों के साथ चित्रकूट के विकास की मशक्कत का काम कर रहे हैं।
एक ऐसा स्थान जो विश्व भर के लोगो के लिये किंवदंतियों कथाओं कथानकों के साथ ही यथार्थ चेतना का पुंज बना हुआ है। प्रजापति ब्रह़मा के तपोबल से उत्पन्न पयस्वनी व मां अनुसुइया के दस हजार सालों के तप का परिणाम मां मंदाकिनी के साथ ही प्रभु श्री राम के ग्यारह वर्ष छह माह और अठारह दिनों के लिये चित्रकूट प्रवास के दौरान उनकी सेवा के लिये अयोध्या से आई मां सरयू की त्रिवेणी आज भी यहां पर लोगों को आनंद देने के साथ ही पापों के भक्षण करने का काम कर रही है।
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