चित्रकूट । जिस स्थान के बारे में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री भगवान राम के चरित्र को सारे विश्व के सामने लाने वाले महर्षि वाल्मीकि ने रामायणम् में लिख दिया हो 'चित्र विचित्रो रुप दर्शनम् समग्रम यस्मिन स कूट: चित्रकूट' और इस बात को सभी स्वीकारते भी हों पर विकास के नाम पर कुछ ही स्थानों पर आने और जाने के साधन बन सके हैं। ज्यादातर जगहों के बारे में ग्रामीणों के अलावा कोई जानता ही नही है।
वैसे अगर पुराने ग्रंथों के पन्नों को पलटा जाये तो इस चौरासी कोस के परिक्षेत्र में काफी ऐसे अद्भुद स्थान हैं जो वक्त के बेरहम हाथों पर पड़़कर अपने अस्तित्व के लिये ही संघर्ष कर रहे हैं। चर गांव का सोमनाथ का मंदिर हो या फिर मडफा पहाड़ पर स्थित पंचमुखी शंकर जी का मंदिर या फिर कलवलिया का शिव मंदिर।
भागवत कथा आचार्य पं. नवलेश दीक्षित कहते हैं कि यह तो चित्रकूट की महिमा है कि जहां शिव, शक्ति और राम को पूजने वाले वैष्णव एक साथ रहते हैं और किसी भी प्रकार का मतान्तर नही है। सुबह का सूरज महाराजाधिराज स्वामी मत्स्यगयेन्द्र नाथ के दर्शन से उगता है तो दोपहर की परिक्रमा कामतानाथ के विग्रह की होती है शाम की आरती लोग वन देवी की करते हैं। द्वैत और अद्वैत वाद से विलग इस अनोखे तीर्थ पर पर आज भी काफी पुराने ऋषि तपस्या रत हैं। इसी प्रकार से यहां के पर्वतों व जंगलों में विशेष आराधना के स्थल है। जिनमें अधिकतर तो लोगों को पता ही नही। यह बात अलग है कि सीतापुर और आसपास के स्थानों के बारे में लोगों को जानकारी है पर शबरी प्रपात, राम प्रपात, गणेश बाग, बांके सिद्ध, कोटितीर्थ, देवांगना, सीता रसोई, पंपासर, वन देवी, हंस तीर्थ, सिरसावन, पंचप्रयाग, फलकी वन, रामशैया, व्यास कुंड, सूर्य कुंड, मडफा, बाल्मीकि आश्रम, सरभंग आश्रम, धारकुंडी, सारंग तीर्थ, ऋषियन, ब्रहस्पति कुंड, विराध कुंड, अमरावती, भरतकूप, पुष्करिणी,माण्डकर्णी आश्रम के साथ ही तमाम ऐसे स्थान हैं जहां पर अभी भी पर्यटक नही जाते हैं।
वे कहते हैं कि अगर इन स्थानों पर लोगों के आवागमन के लिये सड़क, बिजली, पानी और सुरक्षा की व्यवस्था हो जाये तो लोग जाने लगेंगे। इससे इन स्थानों का विकास होने के साथ ही स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
जिला विद्यालय निरीक्षक मंशा राम कहते हैं कि अभी पिछले दिनों उन्होंने राजकीय इंटर कालेज घुरेटनपुर के निरीक्षण के समय मड़फा के शिव मंदिर का दर्शन किया। उन्होंने बताया कि यही पर एक कोठरी में राम- राम लिखा हुआ भी काफी विशेष था। कहा कि अभी डाकुओं के डर से पर्यटक वहां पर नही जा पाते और इतनी विलक्षण जगहों का प्रचार प्रसार भी नही है। अगर इन स्थानों का प्रचार-प्रसार सही तरीके से हो तो निश्चित तौर पर पर्यटक जायेंगे और आनंदित होगे।
एक ऐसा स्थान जो विश्व भर के लोगो के लिये किंवदंतियों कथाओं कथानकों के साथ ही यथार्थ चेतना का पुंज बना हुआ है। प्रजापति ब्रह़मा के तपोबल से उत्पन्न पयस्वनी व मां अनुसुइया के दस हजार सालों के तप का परिणाम मां मंदाकिनी के साथ ही प्रभु श्री राम के ग्यारह वर्ष छह माह और अठारह दिनों के लिये चित्रकूट प्रवास के दौरान उनकी सेवा के लिये अयोध्या से आई मां सरयू की त्रिवेणी आज भी यहां पर लोगों को आनंद देने के साथ ही पापों के भक्षण करने का काम कर रही है।
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Wednesday, January 13, 2010
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