Saturday, March 9, 2024

वेद पाठियों ने की राम कथा रसिक बजरंगी की दिव्य स्तुति




राष्ट्रीय रामायण मेला दूसरा दिन 


  -विविध आयोजनों के जरिए बह रही है रामभक्ति की बयार
- सांस्कृतिक कार्यक्रम देखनेे को उमड़ रही है भीड़  

संदीप रिछारिया 


चित्रकूट। महादेव व मां गौरा के विवाह के साथ राष्ट्रीय रामायण मेला का प्रारंभ ऐसा आभास दे रहा है कि राम भक्ति की बयार सम्पूर्ण चित्रकूट धाम परिक्षेत्र में बह रही है। आयोजन के दूसरे दिन की दोपहर एक नई प्रस्तुति मंच से दिखाई दी। स्वामी जयेन्द्र सरस्वती वेद पाठशाला के सैकड़ा भर छा़त्रों ने मंच से एक साथ जब सुंदर कांड का पाठ किया तो भक्तों के अंदर का उत्साह देखते ही बन रहा था। जय बजरंग सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन उपाध्याय व राष्ट्रीय प्रभारी अर्चना उपाध्याय के द्वारा प्र्रायोजित इस कार्यक्रम का संचालन डा0 रामलाल द्विवेेदी प्र्राणेश ने किया। कार्यक्रम के उपरांत मिष्ठान वितरण के साथ ही सभी को मंच से गमलोें में लगे पौधे देकर पर्यावरण की सुरक्षा व संरक्षा पाठ भी पढ़ाया गया। श्री उपाध्याय व उनकी पत्नी राष्ट्रीय प्रभारी अर्चना उपाध्याय इन दिनो रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कराने की मुहिम में जुटे हुए हैं।   


विद्वत गोष्ठी का संचालन करते हुए डा. चन्द्रिका प्रसाद दीक्षित ललित ने श्रीराम की लंका विजय पर विशेष प्र्रकाश डालते हुए कहा कि चित्रकूट की धरती पर ही माता सीता ने लक्ष्मण जी को व्यूह रचना और उसको तोड़ने की शिक्षा दी थी। यह तथ्य अरण्य प्रिया काव्य में है। मप्र भिडं के प्रवक्ता देवेन्द्र चैहान रामायणी ने भरत जी की महिमा का वर्णन करते हुए प्रश्न किया कि सीप से सागर को खाली किया जा सकता है। उन्होंने मानस के अनुसार प्रमाण देते हुए कहा कि भरत के अंदर आठ महासागर है। जिनमें भरत शील गुण विनय बड़ाई, भाईप भगति भरोस भलाई। कहत शारदहु कर मत हीचे, सागर सीप जाएं उलीचें। प्रत्येक महासागर का वर्णन अलग-अलग प्रकार से किया गया है। भरत जी का शील उनकी विनम्रता, गुण, बड़ाई, भ्रातृत्व प्रेम और भगति, भरोसा, भलाई हैं। 



पश्चिम बंगाल दार्जलिंग सिलीगुडी के महाकवि मोहन दुकुन ने प्रभु श्रीराम और भगवान शिव के बारे में बताया कि जब पृथ्वी, आकाश, जीव नहीं था तब नांद व बिन्दु रूप में शिव जी रहे। पहली बार शिव हंसे तो अपना रूप ले लिया। इसके बाद ब्रह्मांड को तैयार किया। दाहिने हाथ से ब्रह्मा जी को तैयार किया। बांए हाथ से हरि की उत्पत्ति की। धीरे-धीरे जीवात्मा की रचना की। इसके बाद ब्राह्मा, विष्णु और शिव ने सिर्फ बेटा को पैदा, लेकिन बेटी नहीं बनाया। जब तीनो देवो को यह महसूस हुआ कि नारी की जरूरत है तो ओंकार शब्द बोलकर शिव जी ने अर्द्धनारेश्वर का रूप लिया। इसके बाद अपने ही शरीर को दो भागों में विभाजित कर नर और नारी की उत्पत्ति की जो शिव और जगदम्बा बने। तब जाकर संसार का स्रजन हुआ। मानव कल्याण के लिए देवी व देवताओं को जिम्मेदारी दी गई। जैसे सरस्वती को ज्ञान, शारदा को विद्या, लक्ष्मी को धन, जीवो के स्रजन के लिए ब्रह्मा, पालन पोषण में विष्णु, रक्षा के लिए शिव को दायित्व दिए गए। इसी प्रकार अन्य देवो-देवीयो को अलग-अलग कार्य सौपे। उन्होंने बताया कि समस्त ब्रह्मांड शिवमय है। श्री दुकुन ने शिवाधीन नाम से महाकाव्य लिखा, जिसमें संपूर्ण वर्णन किया। 
बबेरू बांदा से पधारे पं लक्ष्मी प्रसाद शर्मा मानस मर्मज्ञ ने भगवान श्रीराम के नाम के प्रभाव पर चर्चा करते हुए कहा कि राम नाम कर अमित प्रभावा, राम नाम अभिमत कलदाता, हित परलोक लोक पितु माता। भगवान श्रीराम का नाम इस लोक में माता-पिता की तरह रक्षा करता है और उस लोक में भी हितकारी है। भगवान शिव का वाहन बैल, माता पार्वती का वाहन सिंह, गणेश जी का वाहन चूहा, भगवान शिव के गले में सर्प तथा मयूर कार्तिकेय जी का वाहन है जो जन्मजात एक दूसरे के दुश्मन है, परन्तु राम नाम के प्रभाव से सभी एक जगह बड़े प्रेम के साथ रहते हैं। हमें भी मानव शरीर पाने के पश्चात भगवान के पावन नाम का जाप करके अपने जीवन को कृतार्थ करना चाहिए। राष्ट्रीय रामायण मेला चित्रकूट की पावन धरा से यह संकल्प लेकर जाएं कि 24 घंटे में से कुछ समय निकाल कर भगवान के नाम का स्मरण अवश्य करें। यही हमारे जीवन का अंतिम लक्ष्य है। भक्त प्रहलाद ने केवल राम नाम के प्रभाव, जप से सभी विषम परिस्थितियों में कमल की भांति खिले रहे। उनका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सका है। अस्तु भगवान के भजन के द्वारा ही जीवन का कल्याण होता है।
मुम्बई से पधारे वीरेन्द्र प्रसाद शास्त्री ने मानस के अंतर्गत जनक जी के प्रसंग में विषयानन्द, ब्रह्मानन्द, परमानन्द के बारे में विवेचन करते हुए बताया कि परमानन्द का जो आनन्द है वह सर्वोपरि है। यह आनन्द निराकार ब्रह्म सगुण रूप में भक्त के सामने प्रकट होता है। उससे जो आनन्द उत्पन्न होता है वही परमानन्द है जो आनन्द सभी से परे है। उन्होंने श्रोताओं को समझाते हुए बताया कि आप सभी को परमानन्द की स्थिति में रहना चाहिए। 
छिंदवाड़ा के सीताराम शरण रामायणी ने कहा कि असु स्वभाव कहु सुनहु न देखेउ, केहि खगेश रघुपति सम लेखउ। उमा राम सुभाउ जेहि जाना, ताहि भजन तज भाव न आना। प्रभु राम का भक्तो से अति प्रेम करने का स्वभाव ही है। खंडवा के रमेश तिवारी ने कहा कि भगवान राम अति दयालु हैं। जयंत द्वारा घनघोर अपराध करने के बाद भी उसके शरण में आने पर उसे एक नैन कर तजा भवानी की ही सजा दी थी। इसी क्रम में ही वृंदावन के कृष्णानन्द शास्त्री, वसधुंरा रामायणी छिंदवाडा ने रामकथा पर अपने प्रवचन किए। कार्यकारी अध्यक्ष प्रशांत करवरिया, महामंत्री करुणा शंकर द्विवेदी, शिवमंगल शास्त्री, विनोद मिश्रा, राजाबाबू पांडेय, डा घनश्याम अवस्थी, मो यूसुफ, ज्ञानचन्द्र गुप्ता, राम प्रकाश श्रीवास्तव, इम्त्यिाज उर्फ लाला, सत्येन्द्र पांडेय, हेमंत मिश्रा, विकास आदि मौजूद रहे।

उल्लास और उमंग से सराबोर रही शाम की प्रस्तुतियां 
सांस्कृतिक कार्यक्रमों में की श्रंखला में स्वरात्मिका इंस्टीट्यूट आफ डांस एण्ड म्यूजिक के कलाकारों ने एक से बढ़कर एक मनोहारी प्रस्तुतियां दी। मंजू देवी, पिंकी सरोज और अर्चना ने गणेश वंदना, शिव स्तुति और देवी गीत पर नृत्य कर दर्शकों का मन मोह लिया। इन कलाकारों ने मिर्जापुर की मशहूर कजरी विधा पर भी मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। जब से पीएम नरेन्द्र मोदी ने 22 जनवरी को अयोध्या में श्री राम के नए नवेले भव्य मंदिर में भगवान श्रीराम के प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की है तब से पूरे देश में राम भक्तों का उल्लास आसमान छू रहा है। जब पूरा देश राममय हो तब भला रामायण मेला के मंच से रामोत्सव की धूम नजर न आए यह कैसे हो सकता है। लखनऊ से आए कलाकारों के दल ने मंच से भगवान राम के जन्म की लीलाओं को लेकर नृत्य प्रस्तुत किया तो पूरा पांडाल दर्शकों की तालियों से गूंज उठा। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की अगली कड़ी में प्रयागराज से आई पूजा अग्रवाल ने कथक नृत्य के माध्यम से अपनी कला का बेजोड नमूना प्रस्तुत किया। कथक नृत्य की विधा का बखूबी प्रदर्शन करते हुए पूजा अग्रवाल दर्शको को बांधे रखने में सफल रहीं। एक के बाद एक कभी एकल तो कभी सामूहिक कथक नृत्य का लोगों को भावविभोर कर दिया। पूजा अग्रवाल भारतीय प्रयाग संगीत समिति में प्रोफेसर हैं और देश-विदेश में इन्होंने अपनी नृत्य की प्रस्तुतियां दी है।
शनिवार को सुबह मेले के कार्यकारी अध्यक्ष प्रशांत करवरिया व राजाबाबू पांडेय ने आरती कर रामलीला का शुभारंभ कराया। प्रभु श्रीराम का माल्र्यापण किया गया। इसके पूर्व शुक्रवार की रात श्री बृज कृष्णलीला रामलीला संस्था के द्वारा रामायण मेला के मंच पर प्रभु श्रीराम के जन्म की लीला का सजीव मंचन किया गया। पूरे तीन घंटे तक पांडाल भगवान राम के जन्म के उल्लास में डूबा रहा। वृंदावन से आए साधक कलाकारों के सजीव अभिनय ने लोगों का मन मोह लिया। भगवान राम की बाल लीलाओं की प्रस्तुति इतनी सुंदर और मनमोहक थी कि लोग सांस थामे श्रीराम लीलाओं का रसस्वादन करते रहे। रामलीला के बीच-बीच में प्रभु श्रीराम के भजन दर्शकों को रामभक्ति में गोते लगाने पर विवश करते रहे। इस दौरान कार्यकारी अध्यक्ष को गमला भेंटकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर महामंत्री करुणा शंकर द्विवेदी, शिवमंगल शास्त्री, जितेन्द्र करवरिया, सुधीर अग्रवाल, अभिमन्यु सिंह आदि मौजूद रहे। 


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