चित्रकूट। भले ही गुजरता वक्त किसी की परवाह न करे और हौले हौले 2009 के कदम 2010 तक पहुंच गये हो पर नयी उम्मीदों का यह साल हर अच्छा काम करने वाले व्यक्ति के जीवन में वह क्षण लाये जो उसे आनंदित कर सकें। समाज के हितों में काम करने वाले अधिकतर लोगों के यही विचार हैं।
महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ज्ञानेन्द्र सिंह ने इस अलौकिक स्थान को विश्व पटल पर स्थापित करने के उद्देश्य से एक बड़ा कदम उठाया है। यूनिवर्सिटी आफ थर्ड एज की ओर से यहां फरवरी माह में होने वाले कार्यक्रम में लगभग सौ देशों के विद्वान जुटेंगे। इससे जहां यहां के पर्यटन को बढ़ावा मिलने की दिशा में काफी सार्थक प्रयास होंगे वहीं चित्रकूट का नाम ग्लोबल स्तर पर और ज्यादा ख्याति अर्जित करेगा।
भागवत कथा आचार्य नवलेश दीक्षित कहते हैं कि हर व्यक्ति को एक लक्ष्य बना कर ही योजनाबद्ध तरीके से काम करना चाहिये। लक्ष्यहीन व्यक्ति को कभी सफलता नही मिलती है। शिक्षा, खेल और समाजसेवा के क्षेत्र में काम करने वालों को पहचान कर पुरस्कार देना मानवता है।
शिक्षक आनंद राव तैलंग कहते हैं कि हर विद्यार्थी अपने जीवन के चरमोत्कर्ष को प्राप्त करे यही अभिलाषा है। उन्होंने कहा कि भले ही पुरस्कार व्यक्ति के जीवन के आनंद में वृद्धि करते हो पर कहीं यह क्षण सफलता की अगली सीढ़ी के बाधक न बन जायें इसलिये व्यक्ति को आगे बढ़ते रहना चाहिये। व्यापारी राजेश सोनी आशा जताते हैं कि यहां साल नई उम्मीदें लेकर आयेगा।
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