चित्रकूट। साल भर प्रसव पीड़ा को लेकर महिलायें अस्पतालों की दस्तक तो देती रही पर उन्हें अपना इलाज पूरी तरह से कहीं नही मिला यह बात दीगर है कि कभी स्थानांतरित होती चिकित्सकों के कारण तो कभी हालिया बनाये गये मेडिकल केयर यूनिट में तैनात महिला चिकित्सकों की झिड़कियों के कारण उनकी परेशानियां बढ़ती ही रही। स्वास्थ्य महकमें के लिये आने वाला साल एक्सीडेंटल मरीजों के साथ ही महिलाओं के लिये खास होगा क्योंकि अभी आबादी व बीमारी के हिसाब से महिला चिकित्सकों की संख्या जिले में काफी कम है। जिसके कारण महिलाओं को भारी दिक्कतें हैं।
गौरतलब है कि कभी जिला संयुक्त चिकित्सालय में ही महिला चिकित्सालय भी संचालित किया गया था। पुराने जिला अस्पताल की बिल्डिंग में काफी जगह खाली होने के कारण पूर्व सीएमओ डा. आरके निरंजन ने काफी प्रयास कर मेडिकल केयर यूनिट की स्थापना करवाकर यहां पर महिलाओं के लिये अस्पताल खुलवा दिया था। इसके बाद यहां पर कुछ महिला डाक्टरों की नियुक्ति हुई। तीन महिला डाक्टरों में से एक भी महिला डाक्टर पूर्ण कालिक नियुक्त नही हुई। स्वास्थ्य महकमे के काफी प्रयासों के बाद तीन डाक्टर संविदा पर मिली। जिनमें से एक डाक्टर को पिछड़े मोहल्लों के छोटे अस्पताल मे काम करने के लिये लगाया गया। लगभग डेढ़ लाख की आबादी के जिला मुख्यालय और जिले भी के गांवों से आने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी केवल इन्हीं महिला डाक्टरों पर है। अब ऐसे में मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा शासन से बार-बार मांग किये जाने के बाद भी सृजित पदों के सापेक्ष महिला डाक्टरों की तैनाती न होने के कारण लोगों को भारी निराशा है।
मुख्य चिकित्साधिकारी डा. आरडी राम कहते हैं कि हमारे पास महिला चिकित्सक नही हैं फिर भी हम महिलाओं को बेहतर इलाज देने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने आशा जताई कि आने वाले साल में और भी महिला चिकित्सक मिलेगी जिससे महिला मरीजों को भी सुविधा होगी। उधर नसबंदी कार्यक्रम के बारे में पूछे जाने पर कहा कि जहां महिलायें नसबंदी कराने के लिये हर साल आगे आती है इस बार विभाग के प्रचार प्रसार का फायदा पुरुष नसबंदी पर हो रहा है। हालिया पांच कैंम्पों में लगभग पांच दर्जन पुरुषों की नसबंदी इस बात का प्रमाण है।
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