चित्रकूट। एक ऐसा सम्मेलन जो वास्तव में चित्रकूट को ऐसा उपहार दे सकने में समर्थ हो सकता था जिसकी कल्पना किसी ने की नही होगी। बात ज्यादा पुरानी नही है जिला बनने के बाद ही इस पावन स्थल को विश्व के पर्यटन मानचित्र में शामिल करने के लिये जिला स्तर पर लिखा पढ़ी की गई थी। वेवसाइट भी बनी, चित्रकूट महोत्सव भी हुआ पर मामला ठाक के तीन पात ही रहा। बीच के वर्षो में कांग्रेस, भाजपा और सपा ने राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठकें कर इसको चर्चा में लाने का काम किया। पिछले साल तो सवा पांच करोड़ शिवलिंग निर्माण ने फिल्मी सितारों के यहां पर आने से लोगों में उत्सुकता जगी कि अब शायद बाहर से आने वाले पर्यटकों में इजाफा हो जाये। ऐसा नही है कि यहां पर पर्यटक विदेशों से आते नही, वे आते तो हैं पर उनकी संख्या खजुराहो और बनारस की तुलना में काफी कम है, पर अब 8 से 10 फरवरी के मध्य विश्व यूनिवर्सिटी आफ थर्ड एज की कांफ्रेस यहां पर आयोजित होने से न सिर्फ महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति और प्राध्यापक बल्कि क्षेत्र की स्वयंसेवी संस्थायें व आम जन इस बात को लेकर काफी आशान्वित हैं कि एक बार पचास देशों के प्रतिनिधियों के एक साथ चित्रकूट आने के बाद जो माहौल बनेगा वह वास्तव में इस स्थान को अनोखी ख्याति दिलायेगा।
ग्रामोदय के कुलपति प्रो. ज्ञानेन्द्र सिंह कहते हैं कि उनका काम तो कर्तव्य का निर्वहन करना है। चित्रकूट अपने आपमें अलौकिक स्थल है। यहां पर बैठकर पचास देशों के साथ ही अपने देश के काफी प्रदेशों के प्रतिनिधि जब दर्शन, आध्यात्मा और धर्म के साथ ही नये-नये विषयों की चर्चा करेंगे तो भला चित्रकूट का ही होगा। योग और आयुर्वेद का धनी यह क्षेत्र बाहर से आने वाले प्रतिभागियों व इंटरनेट के माध्यम से इस विशेष आयोजन को देखने वाले लोगों के लिये चित्रकूट भी विशेष स्थान बनेगा। विवेकानंद सभागार के साथ ही अमर्त्यसेन सभागार में कार्यक्रमों को आयोजित करने के लिये तैयारियां प्रारंभ कर दी गई हैं।
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