दीपावली अमावस्या मेला
- विदेशी भी वैदिक संस्कृति के सोपानों से परिचित हो रहे
चित्रकूट, संवाददाता: श्री कामदगिरि पर्वत की कोई जगह व मां मंदाकिनी का कोई घाट बांकी न रहा, आस्था में डूबे लोगों ने हर जगह दीये रोशन कर सबकी खुशहाली की मन्नत मांगी। धर्म और आस्था के पांच दिनों तक चलने वाले दीप महोत्सव में जहां देश भर के आस्थावान अपना शीश नवाने भगवान कामतानाथ स्वामी के दरबार में पहुंच रहे हैं वहीं विदेशी भी वैदिक संस्कृति के सोपानों से परिचित होने का काम कर रहे हैं।
पुरानी वैदिक मान्यताओं के हिसाब से श्री कामदगिरि पर्वत के नीचे क्षीर सागर पर भगवान श्री विष्णु शेषशैया पर विश्राम करते हैं और मां लक्ष्मी उनकी सेवा में रहती हैं। दीपावली की रात मां अपने भक्तों को धन और धान्य से पूरित होने का आर्शीवाद देने बाहर निकलती हैं और श्री कामदगिरि के प्रमुख चार द्वारों से उनका आगमन भक्तों के दर्शनों के लिये होता है। इस मान्यता के चलते जहां पिछले तीन दिनों के अंदर उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश क्षेत्र से आने वाले लाखों श्रद्धालु भगवान कामतानाथ के दरबार में दीप प्रज्वलित कर अपनी हाजिरी लगा चुके हैं वहीं भक्तों का रेला और भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। यही हाल मां मंदाकिनी के विभिन्न घाटों पर देखा जा रहा है। श्रद्धालुओं के इस पौराणिक तौर स्थल पर आने के लिये उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में बसों, ट्रेनों की अतिरिक्त व्यवस्था होने के कारण लोगों को सुगमता हो रही है। इसके साथ ही यात्री कर्वी, शिवरामपुर, भरतकूप से लोग पैदल भी चित्रकूट की यात्रा कर रहे हैं। टेंपो व टैक्सी को रामायण मेला परिसर तक जाने व वापस आने के लिये शिवरामपुर का रास्ता देने के कारण यातायात में भी नियंत्रण बना हुआ है। वैसे उत्तर प्रदेश में भीड़-भाड़ वाली मुख्य पांच जगहों पर सीसीटीवी कैमरों के होने व मध्य प्रदेश में भी चार स्थानों पर सीसीटीवी होने के कारण मेले की हर गतिविधि पर अधिकारियों को नजर रखने में सहूलियत हो रही है।
अपर जिलाधिकारी राजाराम, पुलिस अधीक्षक डा. तहसीलदार सिंह, एसडीएम कर्वी गुलाब चंद्र लगातार मेला क्षेत्र में भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने का काम कर रहे हैं। इसके साथ ही सेक्टर मजिस्ट्रेट व नगर पालिका परिषद के अधिशाषी अधिकारी जीतेन्द्र आनंद व मुख्य खाद्य निरीक्षक चंद्रशेखर मिश्र लगातार मेला क्षेत्र में गस्त करते दिखाई दिये।
इनसेट
नहीं दिखी लटकी सवारी
सर्तक प्रशासन ने इस बार पहले से ही चाक चौबंद प्रबंध कर रखे थे। टैक्सी टैंपों वालों को कड़ी हिदायत देने का फायदा यह मिला कि उत्तर प्रदेश क्षेत्र में कहीं पर भी वाहनों से बाहर लटकी सवारियां नही दिखाई दी। रोडवेज व प्राइवेट बसें भी मेला क्षेत्र से काफी दूर पार्क कराने के कारण मेले में न तो जाम लगने की स्थिति दिखाई दी और न ही कहीं भगदड़ जैसी स्थिति मिली। वैसे मेला का क्षेत्रफल अधिक होने व लगातार श्रद्धालुओं के चलते रहने के परिणाम स्वरूप मेले में एक जगह पर भीड़ जमा होने की गुंजाइश कम होने का फायदा भी अधिकारियों व कर्मियों को मिलता है।
भारी मात्रा में पैदल पहुंचे श्रद्धालु
जहां एक तरफ तीर्थ स्थल वाहनों से पहुंचने वालों की भारी संख्या थी वहीं दीपदान का पुण्य लाभ उठाने वालों में काफी संख्या में पैदल यात्री भी शामिल रहे। कर्वी से तरौंहा, डिलौरा, लोहसरिया, नयागांव होकर पैदल यात्रियों के लिये सबसे ज्यादा सुगम और जल्द पहुंचाने वाला रास्ता रहा तो बेड़ी पुलिया क्रासिंग पर ट्रेनों के अमावस्या पर स्टापेज होने का फायदा भी श्रद्धालुओं को मिला। इसके साथ ही कर्वी रेलवे स्टेशन, शिवरामपुर व भरतकूप से भी काफी लोग धर्म नगरी पहुंचे। भरतकूप रेलवे स्टेशन उतरने वालों ने धर्मनगरी पहुंचने के लिये दो रास्ते चुने। पहला रास्ता माडव्य ऋषि की तपस्थली मडफा से गुप्त गोदावरी होते हुए तीर्थ नगरी का रूख किया तो दूसरा रास्ता भरतकूप मंदिर से रामशैया होते हुए पीलीकोठी वाला रास्ता रहा। कर्वी से सोनेपुर, पम्पासर हनुमान धारा वाला रास्ता भी लोगों की पसंद बना।
मौनियों ने तोड़ा मौन वृत
हर साल की तरह इस साल भी बुंदेलखंड व बघेलखंड क्षेत्र के हजारों मौनियों ने अपना मौन वृत श्री कामदगिरि की परिक्रमा के बाद तोड़ा। पौराणिक मान्यता के अनुसार गौ पालन का श्री कृष्ण दिया हुआ मंत्र लेकर साल भर मौन गाय चराने वाले यह मौनिया रोज एक एक मोर का पंख लेकर उसी के सहारे गायों को चराने का काम करते हैं। साल भर मोर पंखों को इकट्ठा करने के बाद उसको गाय की पूंछ की रस्सी से बांधकर उसका पूजन व अर्चन करते हैं। दीपावली के मौके पर मां मंदाकिनी में मोरपंखों को स्नान कराने के साथ ही भगवान कामतानाथ में अपना मौन वृत तोड़ने के बाद मौनिया ढोलक की थापों पर श्री कृष्ण व श्री राम को समर्पित भजनों को गाते व नाचते हैं।
व्यवस्था में डटे रहे कर्मचारी
नगर पालिका परिषद के कर्मचारियों की फौज हर मुख्य मोर्चे पर डटी दिखाई दी तो पुलिस के जवान हर जगह मौजूद दिखाई दिए। गोताखोर पुलिस, घुड़सवार पुलिस, डाग स्क्वायड के साथ ही बिजली विभाग के कर्मचारी व जल संस्थान के कर्मचारी अपने काम में लगे दिखाई दिये।
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