जनता के सामने श्री रामलला की जमीन के ऐतिहासिक, पुरातात्विक व धार्मिक साक्ष्य रखेगी
चित्रकूट, संवाददाता: अभी तो हाईकोर्ट के माध्यम से आधे संघर्ष पर जीत हासिल की है। आगे का संघर्ष और भी ज्यादा कठिन है। लेकिन जब खुद ही राम लला अपनी पैरवी कर रहे हैं तो फिर चिंता किस बात की। लेकिन केंद्र सरकार को चाहिये कि अपना मुख और मुखौटा एक करे और हिंदुओं की जमीन को हिंदुओं को कानून बनाकर सौंप दे। जिससे पूर्व विश्व के सामने पुरुषों में सबसे उत्तम मर्यादा के स्वरूप श्री राम लला सरकार का भव्य मंदिर का निर्माण हो सके।
यह विचार गोलोकवासी निर्मोही अखाड़े के श्री महंत स्वामी राम आसरे दास जी महाराज की दूसरी पुण्य तिथि पर आये विश्व हिंदू परिषद के नेताओं ने जागरण से विशेष बातचीत में व्यक्त किये। राष्ट्रीय धर्माचार्य प्रमुख अशोक तिवारी ने सीधे तौर पर कहा कि जब श्री राम लला खुद ही अपने पक्षकार हैं तो फिर मामला गड़बड़ कैसे हो सकता है। परिषद का काम तो निर्मोही अखाड़ा व श्री राम लला की तरफ से पैरवी करने वालों को एक साथ सुप्रीम कोर्ट में खड़ा करने की है। इस दिशा में प्रयास जारी भी है। उन्होंने कहा कि अब जल्द ही जनता की अदालत के सामने हाई कोर्ट के द्वारा दिये गये फैसले के समय बताई गई पूरी सच्चाई को लाया जायेगा। जब ऐतिहासिक, धार्मिक और पुरातात्विक सभी तरह के साक्ष्य श्री राम मंदिर के समर्थन में अपनी गवाही दे रहे हैं तो फिर तैंतीस प्रतिशत जमीन को मुस्लिम समाज को देना कहां का उचित है। उन्होंने कहा कि फैसला आने के पहले विहिप और बजरंग दल के नेताओं को जेल में भेजना और नजरबंद कर देना कहां का उचित था। हिंदू की मानसिकता दंगा फैलाने या लड़ाई झगड़े की नही होती।
बजरंग दल के प्रांतीय संयोजक शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी हिंदुओं के पक्ष में ही आयेगा। सुलह समझौते का प्रयास चल रहा है पर मुस्लिम नेताओं का तो अपना ही राग है। जब कोर्ट ने उनके मामले को ही खारिज कर दिया तो अब वे जाने क्यों हल्ला मचा रहे हैं। जबलपुर से आये जुगराजधर द्विवेदी, भोपाल से आये बिहारी लाल, प्रांतीय गौरक्षा प्रमुख अतुल द्विवेदी व अवध बिहारी मिश्र ने भी अपने विचार कुछ इसी अंदाज में दिये।
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