Friday, November 26, 2010

शूटिंग में पदक के लिए होगी मशक्कत

धर्मनगरी की वादियों में शूटिंग रेंज स्थापित करने की पहल

चित्रकूट, संवाददाता: जल्द ही धर्मनगरी की वादियों में बंदूकों के गरजने की आवाजें आम हो जाएंगी। चौंकिये मत, यह बंदूक की आवाजें डाकुओं और पुलिस के बीच मुठभेड़ की नही बल्कि ओलंपिक का तमगा अपनी धरती पर लाने के लिये होंगी। नेशनल कैडिट कोर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के उपमहानिदेशक बिग्रेडियर आर विनायक ने चित्रकूट के शांत वातावरण को शूटिंग के अनुरुप पाकर यहां पर शूटिंग रेंज स्थापित किये जाने के प्रस्ताव पर अपनी सैद्धान्तिक मुहर लगाते हुये कहा कि उनका सपना तो अगला ओलंपिक का पदक चित्रकूट के बच्चे के हाथ में देखकर पूरा होगा।
दीन दयाल शोध संस्थान के उद्यमिता विद्या पीठ में जागरण से बात करते हुये बिग्रेडियर ने कहा कि नेशनल कैडिट कोर भविष्य बनाता नही बल्कि बच्चों को भविष्य के लिये तैयार करता है। इस समय देश भर में तेरह लाख कैडिट हैं अगले पांच सालों में दो लाख कैडिटों के लिये और भी एनसीसी में आने के अवसर बन रहे हैं। चित्रकूट के आयुर्वेदिक कालेज में भी एनसीसी की यूनिट के लिये जल्द ही सीनियर डिवीजन की एनसीसी की स्वीकृति कर दी जायेगी।
उन्होंने गर्व के साथ बताया कि मध्य प्रदेश के राज्यपाल, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री समेत सुषमा स्वराज्य, जया बच्चन, फारुक अब्दुला जैसी तमाम हस्तियां नेशनल कैडिट कोर के सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में जल्द ही 5 फेस में 10 नयी यूनिटों को खोले जाने का काम प्रारंभ किया जायेगा। इसका शुभारंभ रींवा जिले से होगा। इससे यह फायदा होगा कि जो विद्यालय एनसीसी की प्रतीक्षा सूची में चल रहे हैं उनको भी अपने छात्रों को एनसीसी का प्रशिक्षण दिलाने का मौका मिल जायेगा। रींवा संभाग के सीओ लेफ्टीनेंट कर्नल एसआर सिंह ने कहा कि सन् 1971 के बाद इतना बड़ा विस्तार पहली बार किया जा रहा है। चित्रकूट में जल्द ही फायरिंग रेंज बनाने का काम प्रारंभ कर दिया जायेगा।

एक सोच से बदल गई गांव की तस्वीर

 'हिम्मते मर्दा तो मदद-ए-खुदा' अगर धर्मस्थली से सटे हुए खुटहा गांव में नजर डाले तो आजादी के बाद काफी सालों तक यह गांव भी बुंदेलखंड के अन्य गांवों की तरह ही बदहाल था पर समय के बदलाव को अंगीकार करने के साथ ही जब खेती के विविधीकरण के प्रयोगों को धरातल पर काम जब स्व. देवी प्रसाद शुक्ला ने किया तो न केवल अपनी किस्मत के दरवाजे खोले बल्कि अपने गांव के साथ ही आसपास के गांवों की किस्मत को भी बदल दिया। आज इस गांव की कुल 200 हेक्टेयर की जमीन में से आधी जमीन सब्जी उत्पादन कर सोना उगलने का काम कर रही है। लगभग तीस साल पहले हुये हुये सब्जी उत्पादन के प्रयोग ने न केवल इस गांव मे क्रांति ला दी बल्कि आसपास के गांवों को भी मेहनत करने की एक नई राह दिखा दी।
समाजसेवी व उन्नतशील किसान शिव कुमार शुक्ला कहते हैं कि इस गांव में पहले भी खेती होती थी जो वर्षा के जल पर आधारित थी। सबसे पहले पिता जी ने कुएं पर रहट लगवाया, तो आधे गांव के खेत रहट से सींचे जाते थे उसके पास डीजल पम्प आया और बाद में जिले का पहला टयूब बेल भी उनके यहां पर ही लगा। इसके साथ ही उन्होंने हर खेत की मेड पर पक्की नालियों का निर्माण कराया। खेती के लिये बीजों को बाहर से लाकर जब अपने खेतों के साथ दूसरे किसानों को दिया तो फिर बदलाव की बयार बह चली। धीरे-धीरे एक बीघा से दस बीघा और फिर कहानी सौ हेक्टेयर तक आ पहुंची। आज गांव में हर किस्म की सब्जी, मसाले व रवी, खरीफ व जायद की सभी फसलों के साथ ही फलों का उत्पादन किया जा रहा है।
कहते हैं किसान
उन्नतशील किसान राकेश नायक कहते हैं कि सब्जी उत्पादन के साथ अन्य फसलों के उत्पादन करने का मूलमंत्र जब इस गांव के लोगों को मिला तो सबने मिलकर मेहनत की और अब इस गांव में हर कामगार के पास साल भर का काम है। एक एकड़ वाला किसान भी सब्जी उत्पादन कर अपने परिवार को अच्छी तरह से पाल रहा है। उन्नतशील किसान राम राज यादव, राम लाल, मइयादीन यादव और अशोक कुमारी कहती है कि खेती का सबसे बड़ा मूलमंत्र मेहनत है। रासायनिक खादों के भरोसे न रहकर शून्य बजट के साथ जैविक करने वाले ये किसान साफ तौर पर कृषि विविधीकरण के हर प्रयोगों को बड़ी ही बारीकी से देखकर उसे अंगीकार करने का प्रयास भी करते हैं।
कहते हैं अधिकारी
जिला कृषि अधिकारी हर नाथ सिंह कहते हैं कि खेती के प्रयोग करने का काम जिले के कई किसान कर रहे हैं। पाठा के क्षेत्र में जहां अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान ने एक नई क्रांति लाने का काम किया है वहीं धर्मस्थली के सटे खुटहा गांव में शिव कुमार शुक्ला का नि:संदेह ही स्वागत योग्य है। उनके ज्ञान का फायदा न केवल उनके गांव के लोगों को हो रहा है बल्कि आसपास के गांव वाले भी इसका फायदा उठा रहे हैं।

Monday, November 8, 2010

अब कर्वी से चित्रकूट जाना होगा आसान

चित्रकूट, संवाददाता: कर्वी से होकर धर्मनगरी जाने वालों के लिये खुशखबरी। अरसे से बदहाल सड़क के दिन बहुर गये हैं। नयागांव से डिलौरा तक की सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ हो चुका है। इससे अब कर्वी से छोटे वाहनों से बेड़ी होकर चित्रकूट जाने में चार किलोमीटर के फासले की बचत संभव हो जायेगी।

सब कुछ ठीक रहा तो आजादी के पहले जिस सड़क से होकर हमारे पुरखे धर्मनगरी जाया करते थे चार माह बाद हम उस पर गाड़ियों पर बैठकर जा सकेंगे। उत्तर प्रदेश के बाद मध्य प्रदेश ने भी अब पहल कर कर्वी से नयागांव की दूरी को कम करने का प्रयास किया है। नगर पंचायत की इस पहल का स्वागत तरौंहा, डिलौरा लोहसरिया आदि गांवों के साथ ही स्थानीय लोग कर रहे हैं। पुरानी बाजार के महिला चिकित्सालय चौराहे से होकर धर्मनगरी कुछ ही समय बाद सीधे जाने लायक हो जायेगी। इससे धर्मनगरी पहुंचने में लोगों को चार किलोमीटर का फासला कम हो जायेगा। उल्लेखनीय है कि बांदा से कर्वी होकर इलाहाबाद जाने वाली सड़क बनने के पहले राजशाही समय में धर्मनगरी की यात्रा पैदल ही हुआ करती थी। उस समय ज्यादातर लोग पैदल ही चित्रकूट जाया करते थे। यह यात्रा कर्वी के पुरानी बाजार से प्रारंभ होकर धुस मैदान, तरौंहा, डिलौरा होते हुये मध्य प्रदेश के इलाके में प्रवेश कर नयांगाव से पहुंचती थी। नयागांव से धर्मनगरी का प्रारंभ हो जाती है। वैसे इसके पूर्व उत्तर प्रदेश के जिला प्रशासन ने पहल करते हुये तरौंहा के बाद डिलौरा तक की सड़क बनाकर डामरीकरण करवा दिया था।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बनने वाली सड़क लगभग ढाई किलोमीटर की होगी और इसमें बीच में एक पुल भी बनाया जायेगा। नगर पंचायत अध्यक्ष नीलांशु चतुर्वेदी ने बताया कि अभी मध्य प्रदेश के इलाके में पड़ने वाले पुल का टेंडर हुआ है और दीपावली के बाद सड़क का भी काम प्रारंभ करा दिया जायेगा। इससे पूर्व की दिशा से आने वाले वाहनों को बेड़ी पुलिया जाने की जरुरत नही पड़ेगी। अगर उत्तर प्रदेश की तरफ से साथ मिला तो भविष्य में इसको मुख्य मार्ग में तब्दील कर दिया जायेगा।

मंदिर निर्माण को संतों ने भरी हुंकार

चित्रकूट, संवाददाता: निर्माेही अखाड़े के गोलोकवासी महंत श्री राम आसरे दास जी महाराज की द्वितीय पुण्य तिथि पर जुटे संतों ने हुंकार भरते हुए कहा कि श्री रामलला का मंदिर तो उसी जमीन पर ही बनेगा। मंदिर के बगल में मस्जिद बनने से विवाद कभी खत्म नहीं हो सकता। केंद्र सरकार को सोमनाथ मंदिर की तरह ही कानून बना भव्य मंदिर बनवाने में सहयोग करना चाहिये। निर्माेही अखाडे़ के महंत ओंकार दास महाराज ने कहा कि यह मामला हिन्दू समाज की अस्मिता का है। अभी तो मामला सौहार्द से निपटाने के प्रयास हो रहे हैं पर अगर बात न बनी तो सुप्रीम कोर्ट का रास्ता ही अपनाया जायेगा। अगर मंदिर के बगल में मस्जिद बनी तो विवाद कभी खत्म नही होगा। जब मुस्लिम भाई यह मानते हैं कि वास्तव में वही स्थान की जन्म भूमि है तो फिर बची जमीन को छोड़कर उससे दूर कहीं भी मस्जिद का निर्माण कर लें। हिंदू समाज उसमें पूरी तरह से सहयोग करेगा। विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र सिंह पंकज के विचार भी कुछ इसी तरह के थे। उन्होंने पूज्य संत राम आसरे दास को याद करते हुए उनसे जुड़े संस्मरण सुनाये। कहा कि केंद्र सरकार की मंशा राम जन्म भूमि मामले को निपटाने की कतई नहीं है। वह तो मामले को और ज्यादा लटकाना चाहती थी। इसीलिए रमेश चंद्र त्रिपाठी को एक बार फिर खड़ा किया। इस पर व्यंग्य करते हुए कहा कि जो व्यक्ति पिछले उन्नीस सालों में कोर्ट नहीं पहुंचा वह फिर से कैसे खड़ा किया गया यह तो अब सभी जान गये हैं। विहिप के केंद्रीय मंत्री उमाशंकर ने भी कहा कि वैसे तो परिषद इस मामले में नहीं जुड़ी है लेकिन वह प्रयास कर रही है कि निर्मोही अखाड़ा और श्री रामलला के सरवराकार एक साथ कोर्ट में पैरवी करें और पूरी की पूरी जमीन इनमें से किसी एक को मिले। जिससे श्री राम लला का भव्य मंदिर बने।
श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करने वालों में रामायणी कुटी के महंत राम हृदय दास, संतोषी अखाड़े के महंत राम जी दास, खाकी अखाड़े के महंत अनूप दास, डा. कौशलेंद्र दास ब्रह्मचारी, राम चंद्र दास, रुप नारायण दास व विहिप के प्रांतीय मंत्री अवध बिहारी मिश्र, धर्माचार्य संत प्रमुख अशोक तिवारी, जुगराज धर द्विवेदी जबलपुर, शैलेन्द्र त्रिपाठी भोपाल, शैलेन्द्र त्रिपाठी, प्रांतीय संयोजक बजरंग दल, अतुल द्विवेदी प्रांतीय गौरक्षा प्रमुख देवेन्द्र राठौर अयोध्या, भोले जी, मुन्ना पुजारी रहे। इसके साथ चित्रकूट परिक्षेत्र के सभी प्रमुख महंत व संत समेत तमाम सम्मानित जन मौजूद रहे।

विहिप जल्द जायेगी जनता के द्वार

जनता के सामने श्री रामलला की जमीन के ऐतिहासिक, पुरातात्विक व धार्मिक साक्ष्य रखेगी

चित्रकूट, संवाददाता: अभी तो हाईकोर्ट के माध्यम से आधे संघर्ष पर जीत हासिल की है। आगे का संघर्ष और भी ज्यादा कठिन है। लेकिन जब खुद ही राम लला अपनी पैरवी कर रहे हैं तो फिर चिंता किस बात की। लेकिन केंद्र सरकार को चाहिये कि अपना मुख और मुखौटा एक करे और हिंदुओं की जमीन को हिंदुओं को कानून बनाकर सौंप दे। जिससे पूर्व विश्व के सामने पुरुषों में सबसे उत्तम मर्यादा के स्वरूप श्री राम लला सरकार का भव्य मंदिर का निर्माण हो सके।
यह विचार गोलोकवासी निर्मोही अखाड़े के श्री महंत स्वामी राम आसरे दास जी महाराज की दूसरी पुण्य तिथि पर आये विश्व हिंदू परिषद के नेताओं ने जागरण से विशेष बातचीत में व्यक्त किये। राष्ट्रीय धर्माचार्य प्रमुख अशोक तिवारी ने सीधे तौर पर कहा कि जब श्री राम लला खुद ही अपने पक्षकार हैं तो फिर मामला गड़बड़ कैसे हो सकता है। परिषद का काम तो निर्मोही अखाड़ा व श्री राम लला की तरफ से पैरवी करने वालों को एक साथ सुप्रीम कोर्ट में खड़ा करने की है। इस दिशा में प्रयास जारी भी है। उन्होंने कहा कि अब जल्द ही जनता की अदालत के सामने हाई कोर्ट के द्वारा दिये गये फैसले के समय बताई गई पूरी सच्चाई को लाया जायेगा। जब ऐतिहासिक, धार्मिक और पुरातात्विक सभी तरह के साक्ष्य श्री राम मंदिर के समर्थन में अपनी गवाही दे रहे हैं तो फिर तैंतीस प्रतिशत जमीन को मुस्लिम समाज को देना कहां का उचित है। उन्होंने कहा कि फैसला आने के पहले विहिप और बजरंग दल के नेताओं को जेल में भेजना और नजरबंद कर देना कहां का उचित था। हिंदू की मानसिकता दंगा फैलाने या लड़ाई झगड़े की नही होती।
बजरंग दल के प्रांतीय संयोजक शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी हिंदुओं के पक्ष में ही आयेगा। सुलह समझौते का प्रयास चल रहा है पर मुस्लिम नेताओं का तो अपना ही राग है। जब कोर्ट ने उनके मामले को ही खारिज कर दिया तो अब वे जाने क्यों हल्ला मचा रहे हैं। जबलपुर से आये जुगराजधर द्विवेदी, भोपाल से आये बिहारी लाल, प्रांतीय गौरक्षा प्रमुख अतुल द्विवेदी व अवध बिहारी मिश्र ने भी अपने विचार कुछ इसी अंदाज में दिये।

आईआईएम छात्रों ने नानाजी के जीवांत मानव दर्शन को देखा

चित्रकूट, संवाददाता: एकात्म मानव दर्शन की राह पर चलकर जब नानाजी देशमुख ने गांवों के लोगों को स्वावलंबन के सहारे रास्ते पर लाने का काम किया तो हालात बदलने लगे। देखते ही देखते न केवल गांवों में खुशहाली आने लगी और लोगों का मेहनत करने के प्रति समर्पण बढ़ने लगा। इस मॉडल को देखने के लिये मंगलवार को इंदौर के आईआईएम से छात्रों के दल ने दीन दयाल शोध संस्थान के विभिन्न प्रकल्पों को देखा और खुले मन से तारीफ की।

प्रो. वैभव भदौरिया के नेतृत्व में आये छात्रों ने कृषि विज्ञान केंद्र मझगंवा, कृष्णा देवी वनवासी बालिका आवासीय विद्यालय, उद्यमिता विद्या पीठ, राम दर्शन, गुरुकुल संकुल, नन्ही दुनिया और आरोग्य धाम द्वारा आयोजित गतिविधियों को देखा।
संस्थान के प्रधान सचिव डा. भरत पाठक ने कहा कि आप लोगों की प्रबंधन की यह पढ़ाई सिर्फ पैसा कमाने का साधन न बने बल्कि समाज और राष्ट्र की चिंता करते हुये राष्ट्र के विकास में भागीदारी का माध्यम बने।
जेपी फाउंडेशन की निदेशक डा. नंदिता पाठक ने युवा शक्ति को अपने अतीत से प्रेरणा लेते हुये राष्ट्र के हितों को साधकर जुटने की बात कही।

मंदाकिनी की गोद झिलमिलाने लगे तारे

- स्वामी कामतानाथ बने साक्षी

चित्रकूट, संवाददाता : आसमान के तारों को देखें या फिर मां मंदाकिनी के जल में दोनों में तैरते झिलमिल दीपकों को, लगता है कि मानों काली अमावस्या की रात को खुद ही तारे जमीन पर उतर कर झिलमिलाने लगे हों। यह नजारा है तीर्थ स्थल चित्रकूट में दीपावली के मौके पर दीपदान का। इस नजारे को देखकर यहां पर इस मौके पर आने वाले लाखों श्रद्धालु इन क्षणों को अपने जीवन की अनमोल यादगार बनाते नजर आये। दीपदान करने के लिये इस पवित्र नगरी में आये श्रद्धालुओं के लिये दीपक ही कम पड़ गये। श्रद्धालुओं ने मां मंदाकिनी और स्वामी कामतानाथ में दीपदान करने का तरीका भी खोज लिया। मिट्टी की दिउलिया की जगह आटे की लोई पर देउलिया बना कर उस पर देशी घी की बाती लगाकर उसे मंदाकिनी के पवित्र जल में प्रवाहित किया। यही काम श्रद्धालुओं ने स्वामी कामतानाथ के पर्वत पर भी किया। मां मंदाकिनी का रामघाट हो या फिर राघव प्रयाग, भरतघाट या फिर आमोदवन, प्रमोदवन या फिर जानकीकुंड सती अनुसुइया के घाट सभी जगह जलराशि में तैरते दीपक अपनी मद्धिम रोशनी से लड़ते दिखाई दे रहे थे। इसी बीच दुल्हन की तरह सजे मठ मंदिरों और राजप्रसादों व नैसर्गिक सुषमा से सजे स्वामी कामतानाथ के पर्वत पर जलते दिये मानों अंधकार से प्रकाश की ओर मानव को ले जाने की अगुवाई कर रहे थे। दीवारी नर्तकों की टेर हो या फिर परिक्रमा करते श्रद्धालुओं के मुंह से निकलने वाला भज ले पार करइया का.., भज ले पर्वत वाले का उस आस्था की पराकाष्ठा की कहानी कह रहे हैं। दीपावली से ठीक एक दिन पहले यह मेला सदियों से होता आ रहा है। दीपावली की काली अंधेरी रात में मंदाकिनी के जल के साथ ही भगवान कामतानाथ में उतराते दीपक मानव को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने की प्रेरणा से भर देते हैं।

मन्नतों के दीप जला मांगी खुशहाली

दीपावली अमावस्या मेला


- विदेशी भी वैदिक संस्कृति के सोपानों से परिचित हो रहे
चित्रकूट, संवाददाता: श्री कामदगिरि पर्वत की कोई जगह व मां मंदाकिनी का कोई घाट बांकी न रहा, आस्था में डूबे लोगों ने हर जगह दीये रोशन कर सबकी खुशहाली की मन्नत मांगी। धर्म और आस्था के पांच दिनों तक चलने वाले दीप महोत्सव में जहां देश भर के आस्थावान अपना शीश नवाने भगवान कामतानाथ स्वामी के दरबार में पहुंच रहे हैं वहीं विदेशी भी वैदिक संस्कृति के सोपानों से परिचित होने का काम कर रहे हैं।
पुरानी वैदिक मान्यताओं के हिसाब से श्री कामदगिरि पर्वत के नीचे क्षीर सागर पर भगवान श्री विष्णु शेषशैया पर विश्राम करते हैं और मां लक्ष्मी उनकी सेवा में रहती हैं। दीपावली की रात मां अपने भक्तों को धन और धान्य से पूरित होने का आर्शीवाद देने बाहर निकलती हैं और श्री कामदगिरि के प्रमुख चार द्वारों से उनका आगमन भक्तों के दर्शनों के लिये होता है। इस मान्यता के चलते जहां पिछले तीन दिनों के अंदर उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश क्षेत्र से आने वाले लाखों श्रद्धालु भगवान कामतानाथ के दरबार में दीप प्रज्वलित कर अपनी हाजिरी लगा चुके हैं वहीं भक्तों का रेला और भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। यही हाल मां मंदाकिनी के विभिन्न घाटों पर देखा जा रहा है। श्रद्धालुओं के इस पौराणिक तौर स्थल पर आने के लिये उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में बसों, ट्रेनों की अतिरिक्त व्यवस्था होने के कारण लोगों को सुगमता हो रही है। इसके साथ ही यात्री कर्वी, शिवरामपुर, भरतकूप से लोग पैदल भी चित्रकूट की यात्रा कर रहे हैं। टेंपो व टैक्सी को रामायण मेला परिसर तक जाने व वापस आने के लिये शिवरामपुर का रास्ता देने के कारण यातायात में भी नियंत्रण बना हुआ है। वैसे उत्तर प्रदेश में भीड़-भाड़ वाली मुख्य पांच जगहों पर सीसीटीवी कैमरों के होने व मध्य प्रदेश में भी चार स्थानों पर सीसीटीवी होने के कारण मेले की हर गतिविधि पर अधिकारियों को नजर रखने में सहूलियत हो रही है।
अपर जिलाधिकारी राजाराम, पुलिस अधीक्षक डा. तहसीलदार सिंह, एसडीएम कर्वी गुलाब चंद्र लगातार मेला क्षेत्र में भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने का काम कर रहे हैं। इसके साथ ही सेक्टर मजिस्ट्रेट व नगर पालिका परिषद के अधिशाषी अधिकारी जीतेन्द्र आनंद व मुख्य खाद्य निरीक्षक चंद्रशेखर मिश्र लगातार मेला क्षेत्र में गस्त करते दिखाई दिये।
इनसेट
नहीं दिखी लटकी सवारी
सर्तक प्रशासन ने इस बार पहले से ही चाक चौबंद प्रबंध कर रखे थे। टैक्सी टैंपों वालों को कड़ी हिदायत देने का फायदा यह मिला कि उत्तर प्रदेश क्षेत्र में कहीं पर भी वाहनों से बाहर लटकी सवारियां नही दिखाई दी। रोडवेज व प्राइवेट बसें भी मेला क्षेत्र से काफी दूर पार्क कराने के कारण मेले में न तो जाम लगने की स्थिति दिखाई दी और न ही कहीं भगदड़ जैसी स्थिति मिली। वैसे मेला का क्षेत्रफल अधिक होने व लगातार श्रद्धालुओं के चलते रहने के परिणाम स्वरूप मेले में एक जगह पर भीड़ जमा होने की गुंजाइश कम होने का फायदा भी अधिकारियों व कर्मियों को मिलता है।
भारी मात्रा में पैदल पहुंचे श्रद्धालु
जहां एक तरफ तीर्थ स्थल वाहनों से पहुंचने वालों की भारी संख्या थी वहीं दीपदान का पुण्य लाभ उठाने वालों में काफी संख्या में पैदल यात्री भी शामिल रहे। कर्वी से तरौंहा, डिलौरा, लोहसरिया, नयागांव होकर पैदल यात्रियों के लिये सबसे ज्यादा सुगम और जल्द पहुंचाने वाला रास्ता रहा तो बेड़ी पुलिया क्रासिंग पर ट्रेनों के अमावस्या पर स्टापेज होने का फायदा भी श्रद्धालुओं को मिला। इसके साथ ही कर्वी रेलवे स्टेशन, शिवरामपुर व भरतकूप से भी काफी लोग धर्म नगरी पहुंचे। भरतकूप रेलवे स्टेशन उतरने वालों ने धर्मनगरी पहुंचने के लिये दो रास्ते चुने। पहला रास्ता माडव्य ऋषि की तपस्थली मडफा से गुप्त गोदावरी होते हुए तीर्थ नगरी का रूख किया तो दूसरा रास्ता भरतकूप मंदिर से रामशैया होते हुए पीलीकोठी वाला रास्ता रहा। कर्वी से सोनेपुर, पम्पासर हनुमान धारा वाला रास्ता भी लोगों की पसंद बना।
मौनियों ने तोड़ा मौन वृत
हर साल की तरह इस साल भी बुंदेलखंड व बघेलखंड क्षेत्र के हजारों मौनियों ने अपना मौन वृत श्री कामदगिरि की परिक्रमा के बाद तोड़ा। पौराणिक मान्यता के अनुसार गौ पालन का श्री कृष्ण दिया हुआ मंत्र लेकर साल भर मौन गाय चराने वाले यह मौनिया रोज एक एक मोर का पंख लेकर उसी के सहारे गायों को चराने का काम करते हैं। साल भर मोर पंखों को इकट्ठा करने के बाद उसको गाय की पूंछ की रस्सी से बांधकर उसका पूजन व अर्चन करते हैं। दीपावली के मौके पर मां मंदाकिनी में मोरपंखों को स्नान कराने के साथ ही भगवान कामतानाथ में अपना मौन वृत तोड़ने के बाद मौनिया ढोलक की थापों पर श्री कृष्ण व श्री राम को समर्पित भजनों को गाते व नाचते हैं।
व्यवस्था में डटे रहे कर्मचारी
नगर पालिका परिषद के कर्मचारियों की फौज हर मुख्य मोर्चे पर डटी दिखाई दी तो पुलिस के जवान हर जगह मौजूद दिखाई दिए। गोताखोर पुलिस, घुड़सवार पुलिस, डाग स्क्वायड के साथ ही बिजली विभाग के कर्मचारी व जल संस्थान के कर्मचारी अपने काम में लगे दिखाई दिये।

साढ़े तीस हजार में बिका गधा

चित्रकूट, संवाददाता: एक गधे की कीमत घोड़े से अधिक? चौकिए मत तीर्थनगरी के पावन मंदाकिनी तट पर गधा मेला प्रारंभ होने से पहले ही एक गधे ने सबसे बड़ी कीमत अपने मालिक को दिलवाई है। यह कीमत है तीस हजार पांच सौ रुपए की। काफी दिनों से मेले का काम देख रहे मुन्ना लाल मिश्र बताते हैं कि इस बार तो भइया गजब हो गया। मेला प्रारंभ होने के पहले ही इलाहाबाद के भरवारी से आये नरोत्तम का गधा तीस हजार पांच सौ रुपए कीमत देकर मध्य प्रदेश टीकमगढ़ के पप्पू ने खरीद लिया।

नयागांव नगर पंचायत के द्वारा पिछले पैतीस सालों से मंदाकिनी के किनारे इस गधा मेला का आयोजन दीपावली में रात बारह दीपदान करने के बाद होता है। इस बार शुक्रवार सुबह भरवरी से आये नरोत्तम का गधा टीमकगढ़ के पप्पू को भा गया और इस गधे ने मेले के पिछले सभी रिकार्डो को ध्वस्त कर अपनी सबसे ज्यादा कीमत अपने मालिक को दिलवाई। वैसे अभी तक इस मेले में लगभग साढ़े पांच सौ गधे आ चुके हैं। मेले के आयोजकों ने बताया कि हर साल इस मेले का स्वरूप बढ़ता जा रहा है।

नानाजी के आठवें मासिक श्राद्ध में विदेशी भी जुटे

चित्रकूट, संवाददाता: युगऋषि नाना जी का आठवां मासिक श्राद्ध तीर्थ क्षेत्र के लिए एक नजीर सा बनता दिखाई दिया। मानो पूरा तीर्थ क्षेत्र सियाराम कुटीर में समाया जा रहा था। जिसे जहां पर जगह मिली पंगत में बैठता गया और प्रसाद चखता गया। यहां पर न तो कोई भेदभाव दिखा और ना ही कोई अपने पराये की भावना। दीन दयाल शोध संस्थान के कार्यकर्ता भी खुद को सभी को प्रसाद खिला कर आनंदित हो रहे थे। इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी खास बात यह रही कि एक ओर जहां विशेष लोग इस कार्यक्रम में आकर नाना जी के चित्र पर पुष्प पर अर्पित कर रहे थे वहीं तमाम विदेशी भी इस मौके पर इस मौके पर आकर अपने आपको धन्य महसूस कर रहे थे।

भंडारे के दौरान सभी का ख्याल रख रही उद्यमिता विद्या पीठ की निदेशक डा. नंदिता पाठक ने कहा कि नाना जी का कार्यक्रम है। सभी की श्रद्धा उनके प्रति है। यहां पर हर आने वाले का ध्यान दिया जा रहा है। प्रधान सचिव डा. भरत पाठक व संस्थान के अन्य कार्यकर्ता सभी का ध्यान रख रहे थे।
वैसे सुबह से ही लोगों के आने का क्रम जारी हो गया था। उत्तर प्रदेश के सपा के पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह के साथ ही अन्य नेताओं ने भंडारे का प्रसाद चखा वहीं मध्य प्रदेश के संघ व भाजपा के तमाम नेताओं ने इस मौके पर आकर भंडारे का प्रसाद चखा।
बंदरों ने भी छका प्रसाद
चित्रकूट : जहां एक ओर भंडारे में लोगों को खिलाने के लिये संस्थान के कार्यकर्ता लगे हुए थे वहीं एक कार्यकर्ता की ड्यूटी चित्रकूट की शान और नाना जी अत्यंत प्रिय वानरराजों को खिलाने का काम एक कार्यकर्ता सियाराकुटीर के पीछे गोयनका घाट पर कर रहा था। उसके पूड़ी डालते ही अचानक बंदरों की संख्या बढ़ती जा रही थी। हजारों बंदर देखते ही देखते आ गये और भंडारे का प्रसाद चखने लगे।

सहानुभूति या समानुभूति

चित्रकूट, संवाददाता: एक दृष्टिहीन अपने रास्ते जा रहा है सामने एक खंभा है। अस्थि विकलांग, मूकबधिर एक साथ दौड़ लगा देते हैं। दृष्टिहीन को संभालते और आगे का सही रास्ता बता देते हैं। ऐसे दृश्य जगदगुरु राम भद्राचार्य विकलांग विश्व विद्यालय में आम हैं। भले ही ये आम लोगों के लिये दया का पात्र हों पर यहां पर की जाने वाली दया को सहानुभूति का नाम नही दिया जा सकता, वास्तव में यह समानुभूति है। क्योंकि एक ही बीमारी के बीमार तो यहां पर सभी हैं। किसी को दिखाई नही देता तो किसी को सुनाई नही देता तो कोई पैरों से लाचार तो कोई हाथों से लाचार।

कहीं रीता गिर न जाये, कहीं गौरव की सायकिल पलट न जाये। ऐसे जुमले यहां पर आम हैं। भले ही जगदगुरु स्वामी राम भद्राचार्य सार्वजनिक रूप से कहते रहे हों कि उनको छात्रों को दया का पात्र न समझा जाये पर हर दिन यहां का नजारा कुछ और होता है। विवि के भोजनालय तुष्टि में तो नजारा कुछ अलग ही होता है यहां पर अधिकतर छात्र गु्रप में ही जाते हैं और इनमें भी अगर दो दृष्टिहीन हैं तो दो अस्थि विकलांग या मूक बधिर।
सचिव डा. गीता देवी कहती हैं कि वास्तव में इनको दूसरों की मदद के लिये किसी ने कहा नहीं है। अंत:प्रेरणा से ही यह एक दूसरे की खूब मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि किसी दूसरे के पैरों का कांटा निकालकर देखो तो तुम्हें अपने पैरों में कांटे की चुभन महसूस होगी। कुछ इसी प्रकार से यह एक दूसरे की मदद करते हैं।

अब कर्वी से चित्रकूट जाना होगा आसान

चित्रकूट, संवाददाता: कर्वी से होकर धर्मनगरी जाने वालों के लिये खुशखबरी। अरसे से बदहाल सड़क के दिन बहुर गये हैं। नयागांव से डिलौरा तक की सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ हो चुका है। इससे अब कर्वी से छोटे वाहनों से बेड़ी होकर चित्रकूट जाने में चार किलोमीटर के फासले की बचत संभव हो जायेगी।

सब कुछ ठीक रहा तो आजादी के पहले जिस सड़क से होकर हमारे पुरखे धर्मनगरी जाया करते थे चार माह बाद हम उस पर गाड़ियों पर बैठकर जा सकेंगे। उत्तर प्रदेश के बाद मध्य प्रदेश ने भी अब पहल कर कर्वी से नयागांव की दूरी को कम करने का प्रयास किया है। नगर पंचायत की इस पहल का स्वागत तरौंहा, डिलौरा लोहसरिया आदि गांवों के साथ ही स्थानीय लोग कर रहे हैं। पुरानी बाजार के महिला चिकित्सालय चौराहे से होकर धर्मनगरी कुछ ही समय बाद सीधे जाने लायक हो जायेगी। इससे धर्मनगरी पहुंचने में लोगों को चार किलोमीटर का फासला कम हो जायेगा। उल्लेखनीय है कि बांदा से कर्वी होकर इलाहाबाद जाने वाली सड़क बनने के पहले राजशाही समय में धर्मनगरी की यात्रा पैदल ही हुआ करती थी। उस समय ज्यादातर लोग पैदल ही चित्रकूट जाया करते थे। यह यात्रा कर्वी के पुरानी बाजार से प्रारंभ होकर धुस मैदान, तरौंहा, डिलौरा होते हुये मध्य प्रदेश के इलाके में प्रवेश कर नयांगाव से पहुंचती थी। नयागांव से धर्मनगरी का प्रारंभ हो जाती है। वैसे इसके पूर्व उत्तर प्रदेश के जिला प्रशासन ने पहल करते हुये तरौंहा के बाद डिलौरा तक की सड़क बनाकर डामरीकरण करवा दिया था।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बनने वाली सड़क लगभग ढाई किलोमीटर की होगी और इसमें बीच में एक पुल भी बनाया जायेगा। नगर पंचायत अध्यक्ष नीलांशु चतुर्वेदी ने बताया कि अभी मध्य प्रदेश के इलाके में पड़ने वाले पुल का टेंडर हुआ है और दीपावली के बाद सड़क का भी काम प्रारंभ करा दिया जायेगा। इससे पूर्व की दिशा से आने वाले वाहनों को बेड़ी पुलिया जाने की जरुरत नही पड़ेगी। अगर उत्तर प्रदेश की तरफ से साथ मिला तो भविष्य में इसको मुख्य मार्ग में तब्दील कर दिया जायेगा।

बुद्धिप्रदाता और धन-धान्यदायिनी को गढ़ने वाले बदहाल

चित्रकूट, संवाददाता : बेसिन की संधि के बाद तीर्थ नगरी में आये मराठा पेशवाओं ने जहां इस धरती को सजाने और संवारने के लिये अठारह बागों के साथ गणेश बाग और तमाम कुओं और बावड़ियों का निर्माण कराया वहीं कुछ हुनरमंद जातियों को लाकर यहां पर बसाया और उन जातियों के लोगों ने अपने हुनर का ऐसा जलवा दिखाया कि चित्रकूट की बनी हुई वस्तुयें इस समय तीन प्रदेशों में बिक रही हैं। इनमें से एक है दीपावली के मौके पर बिकने वाली श्री गणेश लक्ष्मी और खिलौने वाली मूर्तियां। राजप्रश्रय में जहां इन कारीगरों को भरपूर सम्मान मिला वहीं आज यह मेहनतकश कौम सरकारी उपेक्षा के कारण बदहाल जिंदगी जीती नशे की गिरफ्त में है। इनका कुछ हाल इस तरह है साल के महीने का काम और फिर छह महीने तक उस कमाई को खाना, बाद के दिनों में फांकाकशी के साथ मौसमी मजदूरी से अपनी जिंदगी काटना है। भले ही यह शहर के निवासी हो पर शिक्षा के नाम पर अधिकतर बच्चे कक्षा पांच और आठ के बाद शायद ही स्कूल का मुंह देख पाते हों और जुआं, स्मैक व शराब की लत इन्हें जवान होने से पहले ही बूढ़ा बना रही है।

जहां एक ओर कुम्हार जाति के यह लोग देश के चार त्योहारों में सबसे बड़े माने जाने वाले त्योहार दीपावली पर दूसरों के घरों में उजाला करने के लिये दियों के साथ धन और धान्य के साथ बुद्धि के प्रदाता श्री लक्ष्मी व श्री गणेश की बेहतरीन मूर्तियों को अपने हाथों से बनाने का काम करके लोगों से तारीफ पाते हैं, वहीें दूसरी ओर शिक्षा, स्वास्थ्य की दिक्कतों के साथ ही स्थानीय प्रशासन से भी इन्हें उपेक्षा ही मिलती है। लाल फीताशाही और कमीशनखोरी के कारण न तो इन्हें अनुदान या त्रृण मिलता है और न ही कभी इनको किसी महोत्सव या मेले में अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने की अनुमति अधिकारी देते हैं।
गौर करने लायक बात यह है कि जहां महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के ललित कला संकाय से कई लोग कर्वी के मिट्टी की मूर्तियों के उद्योग को लेकर पीएचडी कर चुके हैं वहीं आज तक किसी भी समाजसेवा की संस्था के द्वारा न तो इनके मुहल्ले में कोई जागरुकता का कार्यक्रम चलाया गया और न ही किसी मंच के माध्यम से इनके हुनर की तारीफ कर इनको आगे बढ़ाने का काम किया गया। मूर्तियों को बनाने में सिद्ध हस्त सुखलाल प्रजापति कहते हैं कि साल में तीन महीने मूर्तियां बनाने के साथ ही वे बाकी दिनों में पौधों को ढेले पर ले जाकर बेंचने का व्यवसाय करते हैं तभी गृहस्थी की गाड़ी चल पाती है। नशे की लत के कारण बदहाल होती जिंदगियों के बारे में कहते हैं कि जब ज्ञान नही है तो आसान है नशे की गिरफ्त में आना। अगर हाथों को लगातार काम मिले तो कौन नशा करेगा और कौन अपने बच्चों को सही ढंग से न पढ़ायेगा।
ताराचंद्र प्रजापति साल में एक महीने मूर्तियां बनाने के अलावा मौसमी मजदूरी करते हैं वे कहते हैं कि नेता तो यहां पर हमें अपना वोट बैंक मानकर अधिकार पूर्वक वोट मांगने आ जाते हैं पर आज तक हमारी भलाई की सोचने का किसी के पास समय नही है।

नानाजी की याद के साथ गूंजा रामधुन

चित्रकूट, संवाददाता: शरदोत्सव के ठीक बाद नाना जी का निवास स्थान सियाराम कुटीर एक बार फिर श्री राम जय राम जय जय राम की धुन से गूंज उठा। मौका था युगऋषि नाना जी देशमुख के आठवें मासिक श्राद्ध का। दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव डा. भरत पाठक ने पूजा पाठ के साथ ही नाना जी के आठवें मासिक श्राद्ध कार्यक्रम का प्रारंभ किया। मंगलवार की सुबह से ही सियाराम कुटीर प्रांगण में वटवृक्ष के नीचे श्री राम दरबार के साथ नाना जी को याद करने का माध्यम श्री राम जय राम जय जय राम की मधुर धुन को प्रारंभ करने से पहले वेद मंत्रों के साथ पूजा पाठ करने के बाद यह चौबीस घंटों के लिये धुन छेड़ दी गई। संस्थान परिवार के कार्यकर्ताओं के अलावा, क्षेत्र के गणमान्य नागरिक, संत महंत भी संगीतमयी रामधुन में साथ देने के लिये लगातार आ रहे हैं। डा. पाठक ने बताया कि बुधवार को दोपहर बारह बजे से पूजा पाठ के बाद भंडारे का आयोजन होगा। संस्थान के सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिये मप्र शासन के कुछ मंत्री व संघ के बड़े ओहदों वाले लोग आ सकते हैं।

खूब याद आये नानाजी

चित्रकूट, संवाददाता: शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी रात और आसमान से बरसते अमृत के बीच रामनाथ गोयनका घाट पर बैठकर हजारों श्रोता यह तय नहीं कर पा रहे थे वे सितारों को मंच पर देख रहे हैं या फिर मंदाकिनी के जल में। युगऋर्षि नानाजी देशमुख की जयंती सियारामकुटीर के प्रागण में उसी पुराने अंदाज में हजारों लोगों को खीर खिलाकर मनायी गयी। बस एक कमी थी तो वह कि हर बार कि तरह यहां पर कुशल क्षेम पूंछने वाले प्यारे नानाजी नहीं थे।

वैसे दीन दयाल शोध संस्थान, जिला प्रशासन और संस्कृति संचालनालय मध्य प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित शरद पूर्णिमा की रात को मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा, संस्कृति एवं सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री लक्ष्मी कांत शर्मा ने जब शरदोत्सव का शुभारंभ किया तो उनकी आंखे नम थी। उन्होंने कहा कि वैसे तो शरदोत्सव हर साल होता रहा है पर आज नानाजी के न होने पर उनकी कमी खल रही है। संस्थान के प्रधान सचिव डा. भरत पाठक हों या फिर संगठन सचिव अभय महाजन या फिर उद्यमिता विद्यापीठ की निदेशक डा. नंदिता पाठक सभी के चेहरों पर मुस्कुराहट के बीच एक अलग किस्म की वेदना दिखाई दे रही थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे इनकी आंखों के आंसू अब नानाजी की याद में बह चलेंगे।
सांसद गणेश सिंह, विधायक सुरेंद्र सिंह गहरवार, नगर पंचायत अध्यक्ष नीलांशु चतुर्वेदी, अखिलेख शर्मा, डा. अनिल कुमार मिश्र, हरे श्याम, कौशल, अशोक मिश्र, राजू बाबा, सतीश मालवीय सभी ने स्वीकार किया कि आज यहां पर सबसे बड़ी कमी अगर है तो वह है अपने नानाजी जो हम सब के बीच नहीं हैं।

नाना जी का जाना सूर्यास्त के समान

चित्रकूट, संवाददाता: मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा, संस्कृति व जनसंपर्कमंत्री ने कहा कि आज नाना जी भले ही स्थूल रूप में न हो पर उनका चिंतन, प्रेरणा और विचार सदैव मानवता का मार्गदर्शन करते रहेंगे। वे राष्ट्रऋषि नाना जी देशमुख के जन्म दिन शरदपूर्णिमा के मौके पर महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के अर्मत्यसेन सभागार में पद्मविभूषण नाना जी देशमुख स्मृति व्याख्यान माला के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जो बीत चुका उसे भूलना ही बेहतर है अब आगे की ओर देखकर सबको मिलकर नाना जी के सपनों को साकार करना चाहिये। आने वाले समय में नाना जी और दीन दयाल शोध संस्थान के कार्यो से प्रेरणा लेकर राष्ट्र को परम वैभव शिखर ही ओर ले जा सकते हैं।

डा. भरत पाठक ने कहा कि सांस्कृतिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा को चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत बरसाता है। नाना जी हमें शरद पूर्णिमा के दिन अमृत बूंदों के रूप में मिले। वे जीवन की सोलह कलाओं से विभूषित थे। उन्होंने उनके जीवन की आरंभिक कठिनाइयों का उल्लेख करते हुये कहा कि जमींदार परिवार में जन्म लेने के बाद भी उनकी आर्थिक स्थिति अत्यंत साधारण थी। स्वयं के साधनों से अर्जित धन से उन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने जीवन के विविध क्षेत्रों में सफलता अर्जित की। वे स्वयं कला के पारखी और बेहतरीन कलाकार थे। पिलानी ग्राम में दसवीं कक्षा में पुरस्कार प्राप्त किया गया उनका चित्र आज भी धरोहर के रूप में विद्यमान है। दूसरी कला प्रकाशक, संपादक और पत्रकार के रूप में थी। उन्होंने राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और स्वदेश के प्रकाशन में भरपूर सहयोग दिया। तीसरी कला के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दिया। चौथी कला मूल्य परक बेसिक शिक्षा के लिये सरस्वती शिशु मंदिरों का प्रारंभ किया इसकी आज बीस हजार शाखायें देश भर में हैं। पांचवी कला के रूप में कुशल राजनीति के रूप में जय प्रकाश नारायण की अगुवाई में समग्र क्रांति के आंदोलन में अपनी सहभागिता दिखाई। इसके साथ ही उन्होंने राजनीति के चरम शिखर को छूने के साथ ही साठ साल की आयु में स्वैछिक रूप से विरत हो जाने के बाद दीन दयाल शोध संस्थान की स्थापना कर गोंडा व चित्रकूट में विभिन्न प्रकल्पों को जीवंत रूप देकर मानव निर्माण करने का काम किया।
ग्रामोदय के कुलपति प्रो. कृष्ण बिहारी पांडेय ने कहा कि नाना जी विश्वविद्यालय के शास्वत प्रेरणास्रोत हैं। नाना जी के आदर्शो पर चलकर ही विश्वविद्यालय परिवार समाज में अपने योगदान को प्रस्तुत करना चाहता है। कहा कि नाना जी का जाना सूर्यास्त के जैसा है। क्षेत्रीय विधायक सुरेन्द्र सिंह गहरवार, तुलसी शोध संस्थान के निदेशक अवधेश पांडेय, अनुसुइया आश्रम के प्रमुख चोला बाबा, कुलसचिव डा. बीएल बुनकर, डा. शिवराज ंिसह सेंगर, केपी मिश्र, डा. आरसी सिंह, डा. कमलेश थापक मौजूद रहे। संचालन डा. वीरेन्द्र कुमार व्यास ने किया।

धार्मिक आस्था के साथ स्वास्थ्य लाभ

- शरद पूर्णिमा को जुटते हैं लाखों दमा और श्वांस के रोगी
चित्रकूट, संवाददाता: पारस पीपल की जड़ी के सहारे शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी रात में दमा और श्वांस की बीमारी से ग्रसित होने वाले लोगों का मेला आज की रात चित्रकूट के कामदगिरि परिक्रमा के प्रमुख द्वार के साथ ही अन्य स्थानों पर लगेगा। पिछले दस सालों से लगभग एक दर्जन से ज्यादा लोग दमा और श्वांस की बीमारी से निजात पाने का रास्ता शरद पूर्णिमा पर चित्रकूट में आकर देखते हैं। लगभग हर जगह नि:शुल्क रूप से बांटी जाने वाली आयुर्वेदिक दवा का वितरण रात बारह बजे के बाद होता है। हर जगह पर स्वयंसेवक अपने हाथों में दवा का प्रसाद लेकर निकलते हैं और रोगी का बिना चेहरा देखे खुले में बनाई गई खीर में दवा डालते चले जाते हैं। मान्यता है कि अगर यह दवा साधारण तौर पर ही चख ली जाये तो आगे दमा और श्वांस की बीमारी होने की संभावना काफी कम हो जाती है।



गौरतलब है कि पिछले सैकड़ों सालों से श्री कामदगिरि के राम मोहल्ला में बाबा उधौ प्रसाद के पारिवारिक जन शरद पूर्णिमा की रात को यह दवा रोगियों को निशुल्क रूप से देते हैं। राम की नगरी में जिझौतिया ब्राहमण परिवार द्वारा स्थापित गोपाल जी मंदिर का यह प्रसाद अभी तक लाखों लोगों को दवा का प्रभाव दिखा चुका है।



दवा बांटने का काम करने वाले नंदू भइया कहते हैं कि यह तो उनके पुरखों द्वारा बताई गई दवा है। कुछ लोग इसे पारस पीपल का नाम देते हैं और कुछ लोग अन्य चीजें बताते हैं। लेकिन वास्तव में यह स्वामी कामतानाथ का प्रसाद है। दवा शरद पूर्णिमा की रात निशुल्क रूप से वितरित की जाती है।



प्रमुख द्वार के बाहर प्रसाद की दुकान करने वाले चंद्र भान गुप्ता, बड़ा भइया कहते हैं कि इस प्रसाद को पाने के लिये लोग शाम से ही यहां पर आना प्रारंभ हो जाते हैं। सामने के मैदान के साथ ही पूरे परिक्रमा पथ पर लोग खुले आसमान के नीचे अमृत की बूदों को अपनी पत्तल में समेटने के लिये रात भर इंतजार करते हैं। सुबह चार बजे प्रसाद को चखने के बाद स्वामी कामतानाथ की परिक्रमा करने के बाद रोग से मुक्त होने की कामना के साथ वापस घर चले जाते हैं।

आज से रामनाथ गोयनका घाट पर होगी विशेष प्रस्तुतियां

- विनोद राठौर, सुधा चंद्रन का नृत्य होगा आकर्षण का केंद्र

चित्रकूट, संवाददाता: पहली बार धर्मनगरी के लोग युगऋषि नाना जी देशमुख का जन्म उनके बिना सियाराम कुटीर में मनायेंगे। धवल चांदनी रात में हर बार की तरह चावल की खीर का प्रसाद होगा पर अपने नाना नही होगें।
शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी रात में धर्मनगरी के सियाराम कुटीर के राम नाथ गोयनका घाट की सीढि़यों व नावों के द्वारा नदी में बनाये गये रज्जू मार्ग व घाट के दूसरी तरफ मंच पर अपनी कला बिखेरते देशी कलाकारों को देखने का आनंद एक बार फिर मिलेगा। तीन दिनों तक चलने वाले इस विशेष आयोजन के लिये तीन अलग-अलग विशेष हस्तियों को कार्यक्रम का शुभारंभ करने को आमंत्रित किया गया है।
जिला प्रशासन सतना, दीनदयाल शोध संस्थान व संस्कृति संचालनालय मध्य प्रदेश द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार 22 अक्टूबर को शाम साढे सात बजे मध्य प्रदेश के संस्कृति, जनसंपर्क, उच्च शिक्षा, तकनीकि शिक्षा एवं प्रशिक्षण धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग शुभारंभ करेंगे। शुक्रवार की शाम के कार्यक्रमों की शुरुआत सुप्रसिद्ध भजन गायक गोबिंद भार्गव करेगे। इसके साथ ही मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध लोक नृत्य बैगा, अहिराई व मटकी के साथ ही गोवा के घोड़ा मोड़नी, जम्मू कश्मीर के सैफ व डोगरी व आसाम के बिहू, सत्रिया व बोड़ो का प्रर्दशन भी होगा। इस दिन कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मध्य क्षेत्र संचालक श्री कृष्ण माहेश्वरी करेंगे। जबकि विशिष्ठ अतिथि के रूप मे सांसद सतना गणेश सिंह व विधायक चित्रकूट सुरेन्द्र सिंह बघेल होगे।
23 अक्टूबर को सुप्रसिद्ध फिल्मी पाश्‌र्र्व गायक विनोद राठौर गायन प्रस्तुत करेंगे जबकि इस दिन के कार्यक्रमों का शुभारंभ करने के लिये मध्य प्रदेश के राज्य मंत्री किसान कल्याण एवं कृषि विकास बृजेन्द्र प्रताप सिंह आयेंगे। इस दिन के कार्यक्रम की अध्यक्षता दीन दयाल शोध संस्थान के उपाध्यक्ष शंकर प्रसाद ताम्रकार करेंगे। इसी रात को शास्त्रीय समूह नृत्य गंगा अवतरण की प्रस्तुति देवलीना पाल लखनऊ के साथ ही कोलकाता की डोना गांगुली ओडसी नृत्य प्रस्तुत करेंगी।
शरदोत्सव की तीसरी रात का आकर्षण दुर्गा समूह नृत्य की प्रस्तुति मुम्बई से आ रही सुप्रसिद्ध नृत्यांगना सुधा चंद्रन की होगी। इस रात के कार्यक्रम की शुरूआत राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार ऊर्जा, खनिज साधन, राजेन्द्र शुक्ला होगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता दीन दयाल शोध संस्थान के अध्यक्ष वीरेन जीत सिंह करेंगे। रात में मांगणियार गायन भंगूर खां और साथी प्रस्तुत करेंगे।

Sunday, September 12, 2010

सूर्य का उपहार

चित्रकूट के पास एक जगह है सूरज कुंड, जहां लोग साधना करने जाते हैं।
एक समय की बात है। महर्षि भगुनंदनजमदग्निधनुष-बाण से खेल रहे थे। वे किसी खाली स्थान पर बार-बार बाण चला रहे थे। उनकी पत्नी रेणुका बार-बार बाण लाकर दे रही थीं, लेकिन जेठ माह के तपते सूर्य ने उन्हें परेशान कर दिया। इस वजह से उन्हें बाण लाने में देरी भी हो जाती। महर्षि ने उनसे इसकी वजह पूछी। उन्होंने जवाब दिया कि सूर्य की तेज रोशनी न केवल हमारे सिर को तपा रही है, बल्कि पैर भी जला रही है। इतना सुनते ही महर्षि क्रोधित हो गए और कहा-देवी जिस सूर्य ने तुम्हें कष्ट पहुंचाया, उसे मैं अपने अग्निअस्त्र से गिरा दूंगा। जैसे ही उन्होंने धनुष पर बाण चढाया, भयभीत होकर भगवान सूर्य ने ब्राह्मण का वेश धारण कर लिया और उनके सामने प्रकट हो गए। उन्होंने उनसे विनती की कि मुझे अपनी गलती का अहसास हो गया है।
साथ ही, उन्होंने एक जोडी पादुका और एक छत्र महर्षि को उपहार स्वरूप प्रदान कर दिए। उन्होंने कहा कि यह छत्र सिर पर पडने वाली किरणों से आपका बचाव करेगा और पादुकाएं तपती जमीन पर पैर रखने में सहायता करेंगे। मान्यता है कि यह घटना चित्रकूट से दस किलोमीटर की दूरी पर सूरजकुंड में हुई थी। महाभारत में भी इस घटना का उल्लेख मिलता है। भक्त मानते हैं कि यह स्थान प्रकृति का अनमोल वरदान है। इसलिए यह कई ऋषि-मुनियों की तपस्थलीभी है। आज भी लोग साधना और ध्यान के लिए सूरजकुंड जाते हैं।
मान्यता है कि वहां जाने के बाद न केवल हमारे सभी बुरे संस्कार समाप्त हो जाते हैं, बल्कि हमारा अंतस भी पवित्र हो जाता है। संभवत:यही संस्कार परमात्मा के नजदीक जाने के लिए आवश्यक कारक बनते हैं।
-[संदीप रिछारिया]  धर्ममार्ग जागरण से साभार

 

Thursday, July 8, 2010

हितकारी चिंतन

अपने चारो ओर मंगल का फैलाव करो ताकि तुम्‍हें मंगलित करने के लिये पूरा विश्‍व तैयार हो सके।

बुंदेलखंड में रोजगार का जरिया बना सकता पलाश

चित्रकूट। योगेश्वर श्री कृष्ण की लीलाओं से सीधे सरोकार रखने वाले पलाश के पेड़ को लेकर अब शासन गंभीर हो चला है। अगर विकास विभाग की मंशा के अनुरुप काम हुआ तो आने वाले समय पलाश का पौधा भी पूरे बुंदेलखंड के ग्रामीण इलाकों के लोगों के लिए आय का एक अच्छा जरिया बन सकता है। प्रभारी मुख्य विकास अधिकारी प्रमोद कुमार श्रीवास्तव भी इन दिनों लैक कल्चर को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए पलाश के पौधों का संरक्षण करने को प्रयासरत हैं। मालूम रहे आयुर्वेद के जानकार भी इसके विभिन्न अवयवों से जटिल रोगों की औषधियों को बना रहे हैं। गौरतलब है कि होली की मस्ती बिना रंगों के अधूरी है और रंगों को पहले फूलों व पत्तियों से ही प्राप्त किया जाता था। इनमें सबसे ऊपर नाम पलाश का ही आता है। फागुन के महीने में पलाश के पौधे पर लगे सुर्ख लाल रंग के फूल लोगों को न केवल अपनी ओर आकर्षित करने का काम करते हैं बल्कि इनसे अच्छी क्वालिटी का रंग भी तैयार होता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि इसका फूल तोड़े जाने के काफी दिनों बाद भी उपयोग में लाने लायक बना रहता है। प्रभारी सीडीओ कहते हैं कि महाराष्ट्र के गोंदिया जिले में पलाश के पौधे से निकलने वाली गोंद से लाख का निर्माण होता है। जिसका प्रयोग महिलाओं के लिये चूडि़यां व कड़े बनाने में होता है। इसके साथ ही वहां पर फूलों से रंग और पत्तियों से पत्तल बनाने का काम भी होता है। यहां के साथ ही समूचे बुंदेलखंड में तो बहुतायत में पलाश का पौधा पाया जाता है। स्थानीय भाषा में इसे छिउल कहा जाता है और इसके नाम पर तो पूरा गांव छिउलहा ही बसा हुआ है।
उन्होंने कहा कि गोंदिया में तो लैक कल्चर का करोड़ों का व्यापार किया जाता है। जिससे काफी मात्रा में विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होती है। जल्द ही यहां से किसानों व समाजसेवियों के दल को गोंदिया भेजा जायेगा। जिससे वे इसका उपयोग करना सीखें और पलाश के पौधों का उपयोग करें। उधर, आरोग्यधाम की रसशाला के प्रबंधक डा. विजय प्रताप सिंह का कहना है कि पलाश के पौधे का औषधीय प्रयोग काफी समय से हो रहा है पर यहां प्रमुख रुप से कृमि रोगों की दवा इससे बनती है। साथ ही बालों में लगाये जाने वाली डाई में भी इसे इस्तेमाल किया जा रहा है।

जल्द चित्रकूट धाम कर्वी होगा आदर्श स्टेशन

चित्रकूट। धर्मनगरी के रेलवे स्टेशन को अब आदर्श स्टेशनों की तरह विकसित करने की जद्दोजहद करने में अधिकारी लगे हुये हैं। जहां एक तरफ प्लेटफार्म एक को ऊंचा बनाने के साथ ही पुराने पत्थर निकालकर कोटा स्टोन लगाये जाने का काम इन दिनों तेजी से चल रहा है वहीं प्लेटफार्म नम्बर दो को भी पूरा पक्का कराने का काम किया जा रहा है।

सहायक अभियंता निर्माण पी के श्रीवास्तव कहते हैं कि आदर्श स्टेशन बनाने के जितने मानक हैं उन सभी बिंदुओं पर यहां पर काम किया जा रहा है। जल्द ही प्लेटफार्म का नया स्वरुप सभी के सामने होगा।
उन्होंने बताया कि प्लेटफार्मो को और चौड़ा व बड़ा बनाया जा रहा है। प्लेटफार्म नम्बर एक को ऊंचा किया जा रहा है साथ ही पूरे में कोटा स्टोन लगाने का काम किया जा रहा है। एरिया का विस्तार किया जा रहा है और नये शेड़ के नीचे पूरे में कोटा स्टोन लगाया जायेगा। दो नम्बर प्लेटफार्म में भी कोटा स्टोन लगाने के साथ ही छोटे-छोटे और काम करवाये जायेंगे।

गंगा दशहरा : डुबकी लगा कमाया पुण्य

चित्रकूट। पतित पावनी मां गंगा के अवतरण दिवस पर धर्म नगरी से होकर गुजरने वाली पापभक्षणी मां मंदाकिनी में डुबकी लगाने वालों की संख्या लाखों में रही। लोगों ने महादेव की जटाओं से होकर मृत्यु लोक में आने वाली मां गंगा की आरती पूजा भी की। इस मौके पर निर्माेही अखाड़े के संतों के संयोजकतत्व में मां गंगा की स्तुति पूजन के साथ ही नावों पर बैठकर चौबीस घंटे का श्री राम नाम संकीर्तन प्रारंभ कर दिया गया।

जानकारी के मुताबिक सोमवार की सुबह से ही धर्म नगरी की मंदाकिनी नदी के रामघाट, राघव प्रयाग घाट, प्रमोद वन, जानकीकुंड, आरोग्यधाम, सिरसावन, स्फटिक शिला, अनुसुइया आश्रम, सूर्य कुंड के साथ ही मऊ व राजापुर के यमुना नदी के घाटों के साथ ही वाल्मीकि नदी पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता उमड़ पड़ा। लोग हर हर गंगे का उद्घोष करके पवित्र नदियों में डुबकियां लगा रहे थे। चित्रकूट में घाट किनारे के पुरोहित मां मंदाकिनी के महत्व को लोगों को बता रहे थे।
इसके साथ ही निर्माेही अखाड़े के संयोजकतत्व में विश्व हिंदू परिषद ने गंगा दशहरे पर हवन पूजन व मां मंदाकिनी का अभिषेक कराया। इसके साथ नावों पर बैठकर चौबीस घंटों के प्रभु नाम संकीर्तन का भी शुभारंभ कराया गया। इस मौके पर निर्मोही अखाड़े के महन्त ओंकार दास, भरत मंदिर के दिव्य जीवन दास, अनूप दास, विहिप के प्रचारक भोले जी, दयाशंकर गंगेले, भाजपा जिलाध्यक्ष दिनेश तिवारी, मनोज तिवारी ,मुन्ना पुजारी सहित भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।

राजमाता को पूर्व जन्म का भावात्मक लगाव ले आया चित्रकूट

चित्रकूट। श्री राम सांस्कृतिक शोध संस्थान न्यास के अन्तर्गत श्री राम वन पथ गमन पथ संग्रहालय का लोकार्पण करने आयी कर्नाटक प्रांत के किष्िकधा की राजमाता महारानी चंद्रकांता ने मीडिया से बात करते हुये चित्रकूट को भगवान राम की मुख्य कर्मस्थली करार देते हुये कहा कि भले ही वे यहां पहली बार आयीं हों पर हर नवरात्रि पर श्री राम चरित मानस के पाठ करने के कारण वे इस तपोभूमि से प्रत्यक्ष रुप से बचपन से जुड़ी हैं।

उन्होंने कहा कि वैसे तो श्री हनुमान का जन्म सुमेरु पर्वत पर हुआ था पर उनका यौवन और बचपन ऋषमूक पर्वत किष्किंधा पर ही बीता। यहीं पर भगवान राम और हनुमान का मिलन हुआ था। उसी स्थान पर संत व्यास राम को भगवान हनुमान ने स्वप्न देकर अपनी मूर्ति की स्थापना करवाई थी। पम्पा सरोवर पहले विषैला था पर वह श्री राम के आर्शीवाद के कारण माता शबरी के चरणों से ही स्वच्छ और निर्मल हो गया।
उन्होंने कहा कि बचपन से ही वे भगवान राम मां सीता के प्रति अगाध प्रेम व आस्था रखती आई हैं पर चित्रकूट को देखने का पहली बार सौभाग्य मिला है। यहां की सीमा में प्रवेश करते ही ऐसा लगा कि मेरा पूर्व जन्म में यहां से भावात्मक लगाव रहा है जिसके कारण वे काफी रोमांचित हैं। बताया कि वे मप्र के नरसिंहगढ़ जिले के राजा विक्रमादित्य के पवार वंश की बेटी हैं।
श्री राम सांस्कृतिक शोध संस्थान के निदेशक डा. राम अवतार शर्मा ने चित्रकूट के अपने प्रवास को अलौकिक करार देते हुये कहा कि यहां तो प्रभु राम कण-कण में विराजते हैं। इसलिये ही यहां पर संग्रहालय का संकल्प लिया। चित्रकूट से पिछले 25 सालों से किसी न किसी रुप में संबंध रहा और अब ज्यादा प्रगाढ़ हो जायेगा। उन्होंने राजमाता के बारे में बताते हुये कहा कि भले ही वे राजवंश की बहू हैं पर वे किष्किंधा में होने वाले छोटे-छोटे से छोटे भगवत आयोजन में पहुंचने के साथ ही बिना किसी संस्था के माध्यम से हर वर्ष गरीब बालिकाओं की शादी कराती हैं। कार्यक्रम संयोजक गायत्री शक्ति पीठ के व्यवस्थापक डा. राम नारायण त्रिपाठी ने जब बाहर से आये सभी अतिथियों को विराध कुंड, अमरावती, वाल्मीकी आश्रम, भरतकूप के साथ ही अन्य विलक्षण स्थानों के दर्शन करवाये तो सभी काफी भावविभोर हो गये।

अलौकिक रहस्यों की भूमि चित्रकूट

चित्रकूट। 'चित्रकूट एक औषधि सचवत करत सचेत' वैसे तो तमाम पुराणों के साथ ही महर्षि वाल्मीकि और संत शिरोमणि तुलसीदास जी महाराज ने जब श्री राम चरित मानस के माध्यम से अलौकिक तीर्थ चित्रकूट के महत्व को सामने लाने का काम किया तो विश्व भर के लोग यहां के पहाड़ों कंदराओं और जंगलों में छिपे रहस्यों को समझने का प्रयास करने लगे।

संत इब्राहिम अली 'गोविंद बाबा' ने चित्रकूट के महत्व को अपने शब्दों में परिभाषित करते हुये कहा कि इस तीर्थ का निर्माण ही सत्य को लेकर हुआ है। इसलिये यह विश्व भर में देदीप्तमान नक्षत्र की तरह चमक रहा है। यह बात और है कि यहां पर आने वाले भक्त केवल अभी बाहरी चमक दमक देख रहे हैं पर वास्तव में जल्द ही यहां के वे रहस्य भी सामने आने वाले हैं जिनके बारे में केवल पुराने ऋषियों को ही मालूम था।
उन्होंने बाबा तुलसीदास जी की लिखी चौपाई चित्रकूट एक औषधि, सचवत करत सचेत को विस्तार पूर्वक समझाते हुये कहा कि जब आडंबर का सांप लोगों को डसने के लिये खड़ा होता है तो चित्रकूट एक औषधि के समान खड़ा होकर व्यक्ति का साथ देता है और उसके अंदर के इंसान को जगाकर पुरुषार्थी के रुप में सामने लाता है। भगवान राम को जब जंगल में आना पड़ा तो चित्रकूट ने ही उन्हें इतना बलवान बनाया कि उन्होंने राक्षस राज रावण को मारकर सत्य व न्याय की रक्षा की।
उन्होंने कहा कि चित्रकूट के कण-कण में परमपिता का निवास है यहां की भूमि प्रार्थनाओं की भूमि है जहां आदिकाल से संत ऋषि प्रार्थनाओं में लीन हैं।
समाजसेवी गुलाब सिंह के आवास में उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि सत्य को न तो मारा जा सकता है न काटा जा सकता है। वह तो सूर्य के समान हमेशा चमकता ही रहेगा।

भरत मिलाप में हैं सर्वाधिक प्रमाणित चरण चिंह

चित्रकूट। 'जहं जहं चरण पड़े रघुराई' कुछ ऐसी ही इच्छा लेकर जब डा. राम अवतार शर्मा आगे बढ़े तो एक सत्संकल्प था 'राम काज कीन्हें बिना मोहीं कहां विश्राम'। लेकिन जब चित्रकूट के प्रसंगों को अयोध्या कांड में डा. शर्मा ने पढ़ा तो वे चौंक पड़े , इससे भी ज्यादा तो वे भावविभोर तब हुये जब वे खुद चित्रकूट पहुंचे।

श्री राम चरित को विश्व से परिचित कराने वाले महर्षि वाल्मीकि हों या फिर जन-जन को श्री राम के चरित्र को मर्यादा पुरुषोत्तम का स्वरुप दिलाने वाले गोस्वामी तुलसी दास दोनो ने ही प्राकृतिक सुषमा से भरी इस तीर्थ शिरोमणि स्थली के तप वैभव के बारे में काफी कुछ लिखा। बस इस बात को देखकर और भगवान श्री राम के दूसरे दौर के वन गमन पर चित्रकूट में सर्वाधिक समय व्यतीत करने को लेकर जब वे यहां पर आये तो भरत मिलाप पर भगवान के चरण-चिंह देखकर तो निश्चित ही कर बैठे कि अगर कहीं पर भगवान के वन पथ गमन का संग्रहालय बनेगा तो वह यही भूमि होगी।
डा. शर्मा बताते हैं कि विश्व भर में एक जगह पर इतने सारे विभिन्न प्रकार के चरण चिंह कहीं और नही मिलते और न ही कहीं पर प्रभु की करुणा व भाइयों का प्रेम देखकर शिलाओं के पिघल जाने का प्रमाण मिलता है। भगवान राम, मां सीता और भ्राता लक्ष्मण के चरण चिंहों से पवित्र इस भूमि के कण-कण में भगवान स्वयं विराजते हैं। आज भी उनकी ऊर्जा की स्वीकारोक्ति मिलती है। वे बताते हैं कि प्रभु के पद इस जिले में सबसे पहले मुरका पर पड़े थे आज यहां पर हनुमान मंदिर है। इसके बाद ऋषियों की तपस्थली ऋषियन गांव में जिस पहाड़ी पर वे रुके थे उसका नाम अब सीता पहाड़ी के नाम से है। इसके बाद गरौली घाट से यमुना नदी को पार किया था। यहां पर 'तेहि अवसर एक तापस आवा' वाला प्रसंग हुआ था। अगला पड़ाव रामनगर का कुमार द्वय तालाब था। भगवान ने अपनी वन यात्रा की पांचवीं रात्रि का विश्राम रैपुरा तत्कालीन नाम रैनपुरा में किया था और यहां से प्रात: चार बजे वाल्मीकी नदी में स्नान कर चैत्र शुक्ल पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में आठ बजे दिन श्री कामदगिरि पहुंचे थे। प्रभु श्री राम ने चित्रकूट परिक्षेत्र के अनुसुइया आश्रम, गुप्त गोदावरी, स्फटिक शिला, राघव प्रयाग में तो अपने चरण चिंह धरे ही साथ ही मडफा, भरतकूप, अमरावती, विराध कुंड, पुष्करिणी सरोवर, मांडकर्णी आश्रम, श्रद्धा पहाड़ जैसे तमाम और स्थानों पर जाकर वहां पर तप में लगे ऋषियों से मिले। मांड़कर्णी आश्रम के पास ही उन्होंने भीलनी शबरी के जूठे बेर भी चखे थे।
उन्होंने कहा कि श्री राम बन पथ गमन का उद्देश्य अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को जन-जन तक पहुंचाना है। जिससे लोग यह जाने कि वास्तव में श्री राम का चरित्र क्या था और हमारे लिये उसमें से ग्रहण करने योग्य क्या है।

यूं नष्ट हो रहा है चित्रकूट का पुरातात्विक वैभव

चित्रकूट। 'तत: परिप्लवं गच्छेज्तीर्थ त्रलोक्य पूजितं। अग्निष्टों मत्रि रात्रि फलं प्राप्नोति मानव:।' कुछ इस तरह से पुराने अनाम ऋषि द्वारा लिखे गये 'वृहद चित्रकूट महात्म' में प्राकृतिक सुषमा से आच्छादित मंदाकिनी की धारा से सिंचित प्रमोद वन के महत्व को दर्शाया गया है। प्रमोदवन को पारिपल्लव नाम से संबोधित करते हुये कहा गया है कि जो व्यक्ति यहां पर तीन रात्रि निवास करता है उसे अग्निहोम यज्ञ के समान फल मिलता है। यह स्थान तीनों लोकों में पूजित है।

लगभग साढ़े तीन सौ साल पहले रींवा नरेश रघुराज सिंह ने प्रमोदवन में लक्ष्मी नारायण मंदिर का निर्माण कराने के साथ ही विशाल यज्ञ करवाया था। बताया जाता है कि इस यज्ञ को करने में 300 पंडि़तों ने लगातार दो साल से त्रिकाल संध्या के माध्यम से पाठ किया था।
स्वामी राम सखेन्द्र जी महाराज बताते हैं कि वास्तव में यह कोठरियां राजा रघुराज सिंह ने पुत्र कामेष्ठि यज्ञ को पूरा करने के लिये बनवाई थी। लक्ष्मी नारायण मंदिर के प्रांगण में पुत्र कामेष्ठि वृक्ष भी हिमालय से लाकर लाया गया था।
यहां पर रहने वाले अर्चन पंडि़त कहते हैं कि पुरातात्विक महत्व के इस विशाल मंदिर के बीस कमरों पर पहले तो वृद्ध सेवा सदन ने ही अतिक्रमण कर रखा था। वैसे बेसहारा वृद्धों के रहने के कारण इसमें कोई गलत नही था पर प्रशासन ने जिस अंदाज में इस प्राचीन इमारत के बीस कमरों को गिराया है। यह गलत है। उन्होंने कहा कि पुरातात्विक महत्व की इस इमारत का जहां सरकार को संरक्षण कर इसके जीर्णोधार की बात सोचनी चाहिये वहीं इसे गिराया जाना गलत है।
महंत कौशलेन्द्र दास ब्रह्मचारी कहते हैं कि जिस प्रकार अतिक्रमण विरोधी अभियान के अन्तर्गत मंदिरों, मठों, धर्मशालाओं और पुरातात्विक महत्व की इमारतों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है लगता ही नही कि उसी पार्टी भाजपा का यहां पर राज है जिसके मुखिया ने इसे पवित्र नगरी घोषित कर मेगा डिस्टेनेशन प्लान बनाकर विकास कार्यो की झड़ी लगा रखी है। मंदाकिनी की जमीन पर जिन भूमाफियाओं ने कब्जा कर बेंचने का काम जारी कर रखा है उसको खाली कराने का काम कोई नही करता। कहा कि चित्रकूट के पुराने नक्शे को गायब करने का कुचक्र भी उन्हीं भूमाफियाओं ने रचा है।

Tuesday, March 30, 2010

चित्रकूट विकास में धन की कमी आडे़ नहीं आयेगी : शिवराज सिंह चौहान

चित्रकूट। धर्मनगरी के विकास के लिए म.प्र. के मुख्यमंत्री ने महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के प्रांगण से चित्रकूट मेगा डेस्टीनेशन परियोजना का शुभारंभ किया। इस मौके पर बोलते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि चित्रकूट के विकास में धन की कमी आडे़ नहीं आयेगी। इस दौरान उन्होंने भरत घाट से कामदगिरि मार्ग, मंदाकिनी में एक अतिरिक्त पुल के निर्माण के साथ ही सूर्यकुंड, गुप्त गोदावरी, हनुमान धारा की ग्यारह परियोजनाओं का शिलान्यास किया। म.प्र के मुख्यमंत्री ने राघव प्रयाग घाट के निर्माण की आधार शिलाएं रखते हुये भरत घाट व राघव प्रयाग घाट का लोकार्पण किया। इन परियोजनाओं के अलावा भी उन्होंने सतना जिले की अन्य परियोजनाओं का शिलान्यास भी किया।

इसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिना तालियां बटोरी साथ ही महिलाओं, कन्याओं व हाल ही में पैदा हुये बच्चों को चेक भी बांटीं। इस दौरान उन्होंने समाजसेवी नाना जी देशमुख को याद करते हुये कहा कि दीन दयाल शोध संस्थान का बोध वाक्य 'हम अपने लिये नही अपनों के लिये हैं अपने वे हैं जो उपेक्षित हैं' वास्तव में कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि तीन साल बाद इस बार गेंहू का उत्पादन अच्छा हुआ है। मध्य प्रदेश शासन ने गेंहू का समर्थन मूल्य केंद्र सरकार द्वारा तय मूल्य से अधिक रखा है। प्रदेश में बारह सौ रुपये प्रति कुंटल गेंहू खरीदा जायेगा। किसानों को कर्जा भी केवल तीन प्रतिशत ब्याज पर दिया जा रहा है। नगरीय समग्र स्वच्छता अभियान में चित्रकूट को शामिल करने के साथ ही सभी योजनाओं के अलावा पच्चीस लाख रूपये देने की घोषणा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि सभी लोग अपना कर्तव्य पूरा करें, जनप्रतिनिधि हवाला घोटाला न करें और जनता की सेवा करें। बच्चों को स्कूल भेजें, साल में एक पेड़ लगाकर उसे जिंदा रखें, गांव का पानी गांव में रोकें, नशा मुक्त गांव बनायें व सरकारी योजनाओं के सही क्रियान्वयन में सरकार को सहयोग करें।
खेलकूद, पर्यटन एवं युवा कल्याण मंत्री तुको जी राव ने कहा कि पहले चित्रकूट के विकास के लिये 6 करोड़ प्रदेश सरकार ने दिये थे जिसमें पांच करोड़ खर्च कर दिये गये हैं। एक करोड़ के काम एक महीने में पूरे हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि धर्मनगरी चित्रकूट का विकास करना सरकार की न केवल मंशा है बल्कि प्रमुख लक्ष्य है। प्रभारी मंत्री ऊर्जा, खनिज राजेन्द्र शुक्ल, सांसद गणेश सिंह व विधायक सुरेन्द्र सिंह गहरवार ने भी संबोधित किया। ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ज्ञानेन्द्र सिंह ने शाल व प्रमुख द्वार कामतानाथ मंदिर के प्रतिनिधि ने उन्हें श्री फल भेंट किया।
इसके पूर्व आरोग्य धाम परिसर में आने के बाद मुख्यमंत्री का काफिला सियाराम कुटीर पर पहुंचा। शनिवार को पहले नाना जी के मासिक श्राद्ध होने के चलते यहां पर पहुंचे मुख्यमंत्री ने उनके कमरे में जाकर अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये। यहां पर अप्रवासी भारतीय डा. नरेश शर्मा ने उनसे नाना जी की यादें बांटी। इसके बाद मुख्यमंत्री स्फटिक शिला परिसर में पहुंचे। यहां पर काफी दिनों से रुक-रुक चल रहे मंदाकिनी सफाई अभियान में हाथ बंटाने के साथ ही मंदाकिनी का पूजन-अर्चन किया। इस दौरान गायत्री परिवार के व्यवस्थापक डा. राम नारायण त्रिपाठी व भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।

सभी ने याद किया नानाजी को

चित्रकूट। चित्रकूट के विकास के लिये मील का पत्थर रहे समाजसेवी नाना जी देशमुख का प्रथम मासिक श्राद्ध मनाने महाराष्ट्र से एक विशेष ट्रेन के जरिये लगभग आठ सौ लोग शुक्रवार की देर शाम चित्रकूट पहुंचे।

उद्यमिता विद्यापीठ के परिसर में ही शनिवार की शाम को एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। जिसमें बाहर से आये सभी लोगों ने अपने विचार व्यक्त करने के बाद नाना जी को भाव भीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान नाना जी के कामों को आगे बढ़ाने की शपथ काफी लोगों ने ली।
उद्यमिता की निदेशक डा. नंदिता पाठक ने कहा कि वास्तव में नाना जी ने यहां माडल विकसित कर यह बताने का प्रयास किया है कि गांव में रहने वाले हों या फिर शहर में रहने वाले अगर सहजीवन जियें तो कभी कोई दिक्कत नही आ सकती। अगर अपना जीवन दूसरों की भलाई के लिये समर्पित करना है तो नाना जी से बड़ा कोई दूसरा उदाहरण नही हो सकता।
शनिवार को बाहर से आये सभी लोगों ने दीनदयाल शोध संस्थान के प्रकल्पों आरोग्य धाम, बनवासी आश्रम, गुरुकुल, राम दर्शन, कृषि विज्ञान केंद्र गनीवां व मझगंवा व अन्य स्थलों का अवलोकन किया।

अमावस्या पर भी जारी रही पुलिस की कमाई

चित्रकूट। इस बार की सोमवती अमावस्या के मौक पर एलआईयू काफी सक्रिय रही। जगह-जगह लोगों को रोक-रोक कर उनके सामान की जांच की गई। जिलाधिकारी विशाल राय की कड़ाई काम आ ही गई। ऐन सोमवती अमावस्या के दस दिन पहले ली गई सभी विभागों की बैठक में अमावस्या के मौके पर मेला परिक्षेत्र में व्यवस्थाओं को चौकस रखने के निर्देशों का असर यहां देखने को मिला। रोडवेज वाहनों की कमी के चलते डग्गामार वाहनों की चांदी रही। कर्वी से चित्रकूट तक चलने वाले टैंपो व टैक्सी वालों ने हद कर दी। सवारियों को बेरोकटोक बाहर लटकाकर चलते रहे।

रामघाट में यात्रियों को डूबने से बचाने के लिये गोताखोर पुलिस की टीम डटी रही। अग्निशमन विभाग अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद रहा वहीं कुछ पुलिस कर्मियों ने अमावस्या के मौके पर भी अपनी वाहन चेकिंग का काम जारी रखा। दो पहिया वाहन चालक तो परेशान किये ही गये साथ ही कुछ टैक्सी टैम्पों वालों का भी चालान कर कोतवाली पहुंचा दिया गया।

सोमवती अमावस्या : पवित्र डुबकी लग कमाया पुण्य

चित्रकूट। 'भज ले पार करइया का, भज ले पर्वत वाले का' ये कुछ ऐसे उद्धोष हैं जो रविवार की दोपहर से ही धर्म नगरी के परिक्रमा मार्ग पर लगातार सुने जा रहे हैं। ऐसे लोगों की संख्या सोमवार की शाम तक लाखों लोगों की पार कर चुकी है। लोगों का आना और जाना लगातार जारी है। सोमवती अमावस्या पर्व पर पुण्य लूटने की आस्था और समस्त कामनाओं की पूर्ति के लिये परिक्रमा पूरी करने की होड़ बुंदेलखंड के इसी अलौकिक तीर्थ में देखने को मिलती है। महिला हो या पुरुष, वृद्ध हो या जवान सभी के चेहरे की चमक लाखों लोगों की रेलम पेल में भी विश्वास की ज्योति कम नही होती। परिक्रमा पथ हो या फिर परिक्षेत्र के अन्य स्थान सभी जगहों पर कामतानाथ की जय के नारे तो जोरदारी से सुनाई ही देते हैं वहीं तेल बेचने वालों के अलावा तमाम गृह उपयोगी उत्पाद बेंचने वालों के भी प्रचारों की स्वर लहरियां उनमें मिलकर अलग ही वातावरण प्रस्तुत करती हैं।

सबसे ज्यादा आनंददायक क्षण मंदाकिनी गंगा के किनारे पर दिखाई देता है। जहां पर कड़ी चौकसी के बीच लाखों लोग रामघाट, राघव प्रयाग घाट के अलावा अन्य घाटों पर स्नान करते दिखाई देते हैं। इसके बाद लोगों में चित्रकूट के अधिष्ठाता देव स्वामी मत्स्यगयेन्द्र नाथ को जलाभिषेक करने की होड़ होती है। यहां के बाद लोग पैदल ही लगभग तीन किलोमीटर दूर स्वामी कामतानाथ के पर्वत की परिक्रमा करने के लिये निकलते हैं। तमाम श्रद्धालु तो ऐसे हैं जो लगभग चालीस-चालीस सालों से हर एक अमावस्या पर यहां पर आकर परिक्रमा लगाते हैं।
महोबा जिले के चरखारी से आये लेखपाल संतोष कुमार चौबे बताते हैं कि पिछले पैंतीस सालों से ज्यादा से वे हर अमावस्या पर वे आकर यहां परिक्रमा लगा रहे हैं।
ऐसे ही तमाम और लोग हैं जो यहां हर अमावस्या को आकर परिक्रमा करते हैं तमाम लोग तो अपने निवास स्थान से चित्रकूट तक पैदल आते हैं। कुछ की मनौती होती है तो कुछ जिंदगी को खुशहाल बनाने के लिये ऐसा करते हैं।
ग्वालियर से आये कैलाश, मीना, राजकुमार व चंद्र मोहन ने कहा कि भले ही वे लोग अपने घरों से पैदल न आ पाते हो पर वे चित्रकूट धाम कर्वी के रेलवे स्टेशन से तो पैदल ही स्वामी कामतानाथ के दरबार में जाते हैं।

सोमवती अमावस्या : तपती धूप पर भारी पड़ी आस्था

चित्रकूट। तपती धूप पर एक बार फिर आस्था भारी पड़ गयी। विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल चित्रकूट की पवित्र मंदाकिनी में लाखों श्रद्धालुओं ने डुबकी मारने के साथ ही स्वामी कामतानाथ की परिक्रमा लगाई। स्वामी कामतानाथ की परिक्रमा के साथ ही हनुमानधारा, जानकीकुंड, स्फटिक शिला, राम शैया के साथ ही आसपास के अन्य तीथरें पर भी लोगों का काफी जमावड़ा रहा। मंगलवार से नवरात्रि के प्रारंभ होने के कारण काफी बड़ी संख्या में लोगों का रुख मैहर के मां शारदा मंदिर का भी रहा।

सोमवती अमावस्या के चलते यहां वैसे तो रविवार की दोपहर से ही भक्तों का आना जारी हो चुका था। लोगों ने यहां पर आकर अमावस्या पर्व का इंतजार न करके मंदाकिनी में स्नान करने के साथ ही स्वामी कामतानाथ की परिक्रमा करना प्रारंभ कर दिया था। पैदल परिक्रमा करने वालों के साथ ही भारी मात्रा में महिलायें और बच्चे भी दंडवती साढ़े पांच किलोमीटर की परिक्रमा लगा रहे थे। उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के प्रशासन ने बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिये व्यवस्थायें कर रखी थी। दोनो ही तरफ खोया पाया केंद्रों पर लगातार उद्धोषणायें की जा रही थी। बिछड़े लोग उनके परिजनों से लगातार मिलाये जा रहे थे। कई स्थानों पर स्वास्थ्य विभाग की टीमें मोबाइल एम्बुलेंस के साथ खड़ी लोगों को दवायें देने का काम कर रही थी। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. आरडी राम ने बताया कि रात के समय तो अधिकतर लोग पेट दर्द की शिकायतें लेकर आये जबकि दिन के समय तेज धूप में परिक्रमा लगाने की वजह से चक्कर आने की शिकायत करने वालों की तादाद ज्यादा रही।
मुख्यालय के रेलवे स्टेशन के साथ ही खोह, शिवरामपुर, भरतकूप के अलावा सभी बस स्टैंडों पर जहां प्रशासनिक अधिकारियों को सेक्टर मजिस्ट्रेट के रुप लगाया गया था। वहीं बाहर से आयी व स्थानीय पुलिस फोर्स के सहारे कड़ी चौकसी होती दिखाई दे रही थी। बेड़ीपुलिया से पर्यटक तिराहे तक मार्ग को वन वे रविवार की रात से ही कर दिया गया था। मेला क्षेत्र पर कई जगहों पर कई सामाजिक और धार्मिक संस्थायें यात्रियों को भोजन व चाय नास्ते का मुफ्त वितरण करती दिखाई दी। जिलाधिकारी विशाल राय, पुलिस अधीक्षक वीर बहादुर सिंह, अपर जिलाधिकरी राजाराम, एसडीएम गुलाब चंद्र, तहसीलदार अश्विनी कुमार श्रीवास्तव के अलावा अपर पुलिस अधीक्षक विपिन कुमार मिश्र व सीओ सदर उदय शंकर लगातार मेला क्षेत्र पर भ्रमण करते दिखाई दिये।

नाना जी को याद कर नम होती रहीं आंखें

चित्रकूट। पहली बार नाना जी के बिना हुई संस्थान की बैठक में मौजूद सभी सदस्यों की आंखें एक दो बार नहीं बल्कि कई बार भरीं। कुछ तो इतने भावुक हुये कि उनकी आंखों से जल की धारा रुकने का नाम ही नही ले रही थी।

पद्म विभूषण नाना जी देशमुख के त्रयोदशाह के बाद शनिवार को सिया राम कुटीर के बंद कमरे हुई दीनदयाल शोध संस्थान के प्रबंध मंडल की बैठक में सभी ने नाना जी से संबंधित जब अपने संस्मरण सुनाये तो धीरे-धीरे करके सभी की आंखें भर आयी।
नाना जी के साथ सर्वाधिक 64 साल का समय व्यतीत करने वाले देवेन्द्र स्वरुप अपने संस्मरण सुनाते कई बार भावुक हुये पर बाद में उन्होंने कहा कि नाना जी के प्राण चित्रकूट में ही बसते हैं। वे कहीं गये नही बल्कि अब वे समाज की पुनर्रचना के कामों को और भी तेजी से आगे बढ़ाने का काम करेगें।
प्रबंध मंडल की बैठक तो बंद कमरे में हुई और कार्यवाही पूरी तरह गोपनीय रही पर युगानुकूल सामाजिक पुनर्रचना सहयोगी कार्यकर्ता सम्मेलन में जब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सर कार्यवाह सुरेश सोनी ने अपना संबोधन शुरु किया तो उन्होंने सुबह हुई प्रबंध मंडल की बैठक का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि संस्थान की बैठक में नाना जी के एकात्म मानव दर्शन के आधार पर उनके द्वारा चयनित किये गये पांच सौ गांवों में और भी बेहतर तरीकों से समाज के अंतिम व्यक्ति की खुशहाली के लिये काम किया जायेगा।
संस्थान के प्रबंध मंडल की बैठक में संरक्षक मदन सिंह देवी, अध्यक्ष वीरेन्द्र जीत सिंह, संगठन सचिव अभय महाजन, प्रधान सचिव डा. भरत पाठक, उपाध्यक्ष प्रभाकर राव मुंडले, उपाध्यक्ष नितिन सांवले, शंकर प्रसाद ताम्रकार सहित अन्य सदस्य मौजूद रहे।

नाना जी की समाजसेवा को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का संकल्प

चित्रकूट। उद्यमिता विद्या पीठ में जुटे समाजसेवियों ने युगानुकूल सामाजिक पुनर्रचना सहयोगी कार्यकर्ता सम्मेलन के समापन पर दीन दयाल शोध संस्थान के संरक्षक व राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मदन दास देवी ने कहा कि नाना जी तो अब हमारे बीच नहीं रहे पर उनके विचार हमेशा जागृत रहेंगे और उनको लेकर हम सब आगे बढ़ने का काम करेंगे।

उन्होंने कहा कि भौतिक उन्नति से ज्यादा जरूरी लोगों में परस्पर सहभागिता की भावना को जागृत करना है जिससे लोग सहजीवी होकर जी सकें। दीन दयाल शोध संस्थान सबसे निचली पंक्ति के व्यक्ति की शैक्षणिक, आर्थिक, स्वास्थ्य और उन्नति के लिए जो कार्य कर रहा है, उसे सीख कर अपने क्षेत्रों में फैलाने में जुट जायें यही नाना जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
संस्थान के प्रधान सचिव डा. भरत पाठक ने कहा कि वैसे तो नाना जी से प्रेरणा लेकर काम करने वालों की सूची काफी बड़ी है पर सुरभि शोध संस्थान वाराणसी के भानु भाई जालान, ज्ञान प्रबोधनी महाराष्ट्र के सुभाष पांडे, गोवमुखी सेवा धाम के बनवारी लाल, जबलपुर के दीप शंकर बनर्जी, मोक्षदायिनी सेवा समिति के प्रदीप पांडे, ग्रामीण स्वाभिमान संस्था नागौर, मैत्री फाउंडेशन ट्रस्ट के साथ ही अनेकों लोगों ने शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी प्रबंध, गो प्रबंधन, कृषि व ग्रामीण विकास के विभिन्न ग्रामों में नाना जी से प्रेरणा लेकर आज काफी अच्छा कार्य कर रहे हैं।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सुरेश सोनी ,अध्यक्ष वीरेन्द्र जीत सिंह, संगठन सचिव अभय महाजन , संस्थान के उपाध्यक्ष प्रभाकर राव मुंडले, नितिन सांवले, उद्यमिता विद्या पीठ की निदेशक डा. नंदिता पाठक, क्षेत्रीय संघ चालक श्री कृष्ण माहेश्वरी, मप्र के कैबिनेट मंत्री विजय शाह, कृषि राज्य मंत्री ब्रजेन्द्र सिंह, राज्य सभा सांसद प्रभात झा तथा कर्नाटक से आये विधायक नागेश के साथ ही देश के हर प्रांत से आये सामाजिक क्षेत्र के कार्यकर्ता मौजूद रहे।

अपनों के लिये भी है बेगाना अद्वितीय शिल्प का नमूना गणेश बाग

चित्रकूट। इस परिक्षेत्र का आध्यात्मिक, धार्मिक के साथ ही सांस्कृतिक वैभव अपने आपमें अनूठा है। धर्म नगरी का दर्शन जहां शांति और वैराग्य का संदेश देता है वहीं कर्वी नगर में स्थापत्य कला पर धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के स्वरुप दिखाई देते हैं। ऐसा ही एक स्थान जिला मुख्यालय से लगे सोनेपुर गांव के समीप 'गणेश बाग' है। भले ही अभी भी इस विशिष्ट स्थान पर देशी और विदेशी पर्यटकों की आवक उतनी न बन पाई हो जितनी की उम्मीद की जाती है पर इतना तो साफ है कि सांस्कृतिक विरासत का धनी स्थान अपने आपमें काफी विशिष्टतायें समेटे हुये है। भले ही इस स्थान का नाम गणेश बाग हो पर यहां पर श्री गणेश की स्थापित एक भी मूर्ति नही है। मूर्ति चोरों की बुरी नजर का परिणाम श्री गणेश की प्रतिमा ही नही बल्कि अन्य विशेष स्थापत्य कला की मूर्तियां बाहर जा चुकी है।

जिला चिकित्सालय के ठीक पीछे को कोटि तीर्थ जाने के मार्ग पर स्थित गणेश बाग के बनने की कहानी भी कम रोचक नही है। मराठा राजवंश की बहू जय श्री जोग बताती हैं कि उनका खानदान प्लासी के युद्ध के बाद बेसिन की संधि में यह क्षेत्र में मिलने के बाद यहां पर आया था। उनके पुरखे पेशवा अमृत राव को कुआं तालाब बाबड़ी आदि बनवाने का काफी शौक था। वैसे उस समय इस शहर का नाम अमृत नगर हुआ करता था। पानी की विशेष दिक्कत होने के कारण भी पानी की व्यवस्था सुचारु रूप से किये जाने के प्रबंध किये गये थे।
महाराष्ट्र से लाल्लुक रखने के कारण श्री गणेश की आराधना उनके खानदान में होती थी। यहां पर इस मंदिर के साथ ही तालाब व बावड़ी का निर्माण कराने के साथ ही विशाल अस्तबल का भी निर्माण कराया गया था।
महात्मा गांधी चित्रकूट गांधी विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डा. कमलेश थापक कहते हैं कि बेसिन की संधि के बाद मराठों ने बांदा और चित्रकूट में आकर अपना साम्राज्य स्थापित किया। उनके आने से जहां कुछ नई परंपरायें समाप्त हुयी वहीं मंदिरों, कुओं, तालाबों व बाबडियों का भी निर्माण हुआ।
गणेश बाग भी स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। यहां पर स्थापित मूर्तियां खजुराहो शिल्प की तरह ही हैं। पांच मंदिरों के समूह के साथ ही तालाब व अन्य भवन कभी अपने वैभव रहने की की कहानी कहते हैं, पर समय बदलने और आधुनिकता का रंग चढ़ने पर आज यह विशेष स्थान दुर्दशा को प्राप्त हो रहा है। सरकारी स्तर पर किये गये प्रयास नाकाफी है और किसी भी जन प्रतिनिधि को यहां के सांस्कृतिक गौरवों के उत्थान की याद ही नही आती।
सामाजिक चिंतक आलोक द्विवेदी कहते हैं कि सरकार के पास पैसा बेकार के कामों के लिये बहाने को तो है पर गणेश बाग के विकास के लिये शायद नही है।
भारतीय पुरातत्व विभाग का एक बोर्ड और चंद चौकीदार ही इसके संरक्षण और संर्वधन के जिम्मेदार बने हुये हैं। सरकारी योजनायें इसके उत्थान के लिये तो बनी पर उनसे गणेश बाग की दशा और दिशा के साथ ही पर्यटकों की आवक नही बढ़ सकी। अगर वास्तव में सही मंशा से गणेश बाग का विकास किया जाये तो पर्यटक यहां पर भी आकर आनंदित महसूस करेंगे। खजुराहो शिल्प की तरह ही इस मंदिर का इतिहास अपने आपमें स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानी चंद्र शेखर आजाद के यहां पर कई बार रहने का भी गवाह है, पर दुर्भाग्य इस बात का है कि कभी भी किसी ने इस तरह का जिक्र गणेश बाग की इमारत के अंदर बोर्ड लगाकर किया ही नही। पेशवाओं के बनवाये तमाम मकान खंडहर होते रहे और पर्यटक विभाग भी मूक दर्शक की भांति अपनी कार्य कुशलता सिद्ध करता रहा।
वैसे फरवरी के महीने में महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के प्रांगण मे आयोजित विश्व यू 3 ए कांफ्रेंस का समापन गणेश बाग में आयोजित कर आयुष्मान ग्रुप ने यहां पर देशी और विदेशी पर्यटकों को लाकर पर्यटकों की आमद बढ़ाने का प्रयास किया था।

Sunday, March 28, 2010

जंगल में मंगल:एक कर्मयोगी की तप साधना

चित्रकूट। अब शायद ही उनका नाम कोई भरत दास के नाम से जानता हो क्योंकि धर्म और आध्यात्म के साथ पर्यावरण संतुलन को सुधारने जो बीड़ा उन्होंने बीस साल पहले उठाया था उसकी वजह से लोग उन्हें अब 'हरियाली वाले बाबा' के नाम से जानते हैं।

मानिक पुर कस्बे से लगभग सात किलोमीटर दूर काली घाटी में बाबा भरत दास ने रहना शुरु किया तो सहसा किसी ने विश्वास ही नही किया कि शायद इस बियावान जंगल में कोई एक रात भी रह पायेगा पर पथरीली जमीन की कोख से जब उन्होंने पौधों की कोंपलें निकलवायी तो जैसे आश्चर्य ही हो गया। लोगों ने समझा कि शायद बाबा मायावी है पर ऐसा कुछ भी नही था। लगभग तीन सौ से ज्यादा पेड़ों को पुष्पित और पल्लवित करने के पीछे बाबा की मेहनत की वह तासीर छिपी है जिसकी बदौलत आम तो क्या अन्य पेड़ अपने फल लोगों को खिला रहे हैं। इतना ही नही जब इलाके के असरदार लोगों की नजर इस जगह पर पड़ी तो फिर सामंतशाही अंदाज में व्यवस्था के लिये पूंछतांछ प्रारंभ हुई। लिहाजा बाबा ने स्थान बदल दिया और काली घाटी से एक किलोमीटर दूर जब पहुंचे तो वहां पर पानी के झरने देखकर प्रफुल्लित हो उठे। दो ही साल के अंतराल में बाबा ने वहां पर भी आंवला पीपल और अन्य पौधों को रोपकर उन्हें तैयार भी कर डाला।
बाबा भरत दास बताते हैं कि वे मूलत: कानपुर के नवाबगंज के गुरु निर्मलदास के शिष्य हैं। उनके गुरु जी कर्वी में बनकट के पास पम्प कैनाल के मंदिर में रहकर तप किया करते थे। लगभग बीस साल पहले वे गुरु की आज्ञा से काली घाटी आये। जब यहां पर आये तो सामने की कोल बस्ती के साथ ही सरैंया में रहने वाले लोगों का काफी साथ मिला। पेड़ पौधे मानव का मन प्रफुल्लित रखते और जीवन जीने में सहायता करते है, अपने गुरु की इस बात को अंगीकार कर पौधों का रोपण करने लगे और देखते ही देखते काली घाटी में हरियाली दिखाई देने लगी। आम के लगभग डेढ़ सौ पेड़ों के साथ ही महुवा, जामुन, नींबू, अमरुद, करौंदा, आंवला, अनार, आंस, सेधा, तेंदू, नीम, सिरसा व बेर जैसे तमाम पेड़ों में हरियाली दिखा दी। इसके साथ ही यहां पर लगे गुलाब, गेंदा आदि के पौधे भी अपना खूबसूरती कहानी स्वयं कहते हैं। वे बताते हैं कि पहले से मां काली, हनुमान जी, शंकर जी, भैरम बाबा की मूर्तियां थी वर्ष 2005 में स्थानीय लोगों के सहयोग से मां अम्बे की विशालकाय प्रतिमा की स्थापना कराई गई। इसके बाद जब इस स्थान पर वैभव दिखाई देने लगा तो कुछ दबंगों ने उन्हें परेशान करना प्रारंभ कर दिया तो वे स्थान को छोड़कर एक किलोमीटर आगे चले गये। वहां पर गुफा के साथ ही पहाड़ों के बीच से रिसता हुआ पानी देखा तो उत्साह चरम पर पहुंचा। यहां पर नर्मदा के किनारे से लाकर शिवलिंग व चित्रकूट से लाकर हनुमान जी की स्थापना की। यहां पर भी पीपल, बेल, आंवला के साथ ही पचासो किस्म के पौधे रोप डाले। फिर जनप्रतिनिधि और सरकारी स्तर पर प्रयास किया तो ब्लाक प्रमुख विनोद द्विवेदी व खंड विकास अधिकारी ने कई बार आकर स्थान को देखा। वे बताते हैं कि श्री द्विवेदी ने आश्वासन दिया है कि यहां पर निकलने वाले सभी जल स्रोतों को एक कर तालाब का रुप देने के साथ ही आगे पहाड़ पर ही बांध का निर्माण किया जायेगा। जिससे इस क्षेत्र में हरियाली की बयार और दिखाई देगी। बाबा भरत दास बताते हैं कि उन्होंने अब संकल्प लिया है कि काली घाटी से लेकर नये आश्रम तक सड़क के किनारे दोनो तरफ पौधों का रोपण कर सरकारी नुमाइंदो को दिखायेगे कि किस तरह से पौधों को तैयार किया जाता है। इसके लिये उन्होंने स्थानीय लोगों से भी बात करने की बात कही है। यह काम बिना किसी सरकारी सहयोग से किये जाने की बात करते हैं।

Saturday, February 6, 2010

यू थ्री ए सम्मेलन: जोर शोर से चल रही हैं तैयारियां

चित्रकूट। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के प्रांगण में इन दिनों यू 3 ए सम्मेलन की तैयारियां जोर शोर से चल रही है। जहां एक तरफ देशी के साथ ही विदेशी मेहमानों के आने को लेकर उत्साह का माहौल है वहीं व्यवस्था समितियों के प्रभारी भी अपने-अपने कामों में जुटे दिखाई दे रहे हैं।

विवि. के कुलपति प्रो. ज्ञानेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में आयोजित बैठक के बाद 8 फरवरी से लेकर 10 फरवरी तक आयोजित होने वाले सम्मेलन के सभी कार्यक्रमों की समय वार घोषणा कर दी। सम्मेलन संयोजक डा. आरसी सिंह ने बताया कि 8 फरवरी को प्रात: 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक उद्घाटन सत्र होगा। इसके बाद माइंड एंड मैटर थीम पर तकनीकी सत्र तथा एक्ज्यूकेटिव कमेटी एवं जनरल बाड़ी की बैठक होगी। 9 फरवरी को टेक्नोलाजी थीम और होलिस्टिक हेल्थ थीम पर तकनीकी सत्र होंगे। इसके बाद यू 3 ए बैठक होगी। 8 व 9 की शाम को 6.30 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। 10 फरवरी को यू 3 ए स्टोरीज थीम पर तकनीकी सत्र एवं अपराह्न 12 बजे से समापन सत्र होगा। चित्रकूट के दर्शनीय स्थलों के अवलोकन के साथ ही रुरल यू 3 ए का गठन 10 फरवरी को मिनी खजुराहो 'गणेश बाग' कर्वी में किया जायेगा।
सम्मेलन के सचिव द्वय डा. वीरेन्द्र कुमार व्यास व डा. आशुतोष उपाध्याय ने बताया कि सम्मेलन में आने वाले प्रतिभागियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। न्यूजीलैंड, स्काटलैंड, इंग्लैंड, साउथ अफ्रीका, सिंगापुर, नेपाल व बांग्लादेश आदि देशों से लगभग पचास व देश के तमाम राज्यों से लगभग 450 प्रतिभागियों के सम्मिलित होने की सूचना प्राप्त हो चुकी है। इस दौरान विवि परिसर में ग्राहक सेवा के तत्वावधान में ग्रामीण उत्पादों की प्रदर्शनी विभिन्न विकास एजेन्सियों द्वारा लगाई जायेगी।

अगले साल तक जमीन पर काम कर सकती है चित्रकूट महायोजना

चित्रकूट। भले ही मप्र ने चित्रकूट को धार्मिक नगरी घोषित कर विकास की बड़ी कवायत करनी प्रारंभ कर दी हो पर इस मामले में यहां का प्रशासन भी काफी खामोशी से काम कर रहा है। जहां एक तरफ चीफ टाउन प्लानर को 'चित्रकूट महायोजना' को बनाये जाने का प्रस्ताव भेजा जा चुका है। वहीं मुख्यालय को एक विशेष रुप से शेप देने के साथ ही विशेष तौर पर विकासात्मक कदमों की भरमार करने की योजना भी बताई जा रही है।

अपर जिलाधिकारी राजा राम बताते हैं कि वैसे तो चित्रकूट महायोजना को बनाये जाने का प्रस्ताव काफी पहले भेजा गया था पर अब मालूम चला है कि यह अपने अंतिम दौर में है। लखनऊ के चीफ टाउन प्लानर के द्वारा बनाये जाने वाले चित्रकूट मुख्यालय के नक्शे के बारे में वे कहते हैं कि अभी तक तो उन्होंने यह देखा नही है पर उम्मीद है कि इसके बनने के बाद तो चित्रकूट विकास प्राधिकरण का काम काफी बढ़ जायेगा। जहां यहां पर नई टाउनशिप बनेगी वहीं नये पार्क व धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व के स्थलों को संरक्षित करने के लिये भी विशेष कार्ययोजना का प्रस्ताव भी इसमें किया गया बताया जा रहा है।
इतना ही नही जहां प्रशासनिक स्तर पर अधिकारियों को यह उम्मीद है कि अगले वित्तीय वर्ष में चित्रकूट को भी मथुरा, काशी, इलाहाबाद, वृन्दावन की तर्ज पर महायोजना बनाकर विकसित किया जा रहा है। वैसी ही योजना की शुरुआत यहां पर शासन के स्तर पर अगले वर्ष हो सकती है। वैसे यहां पर भी अधिकारी अपने स्तर पर स्वयंसेवियों के साथ चित्रकूट के विकास की मशक्कत का काम कर रहे हैं।

मेले को यादगार बनाने को हर संभव प्रयास

चित्रकूट। समाजवादी चिंतक डा. राम मनोहर लोहिया द्वारा परिकल्पित राष्ट्रीय रामायण मेले को सैतीसवें वर्ष आयोजित करने के लिये तैयारियों को अंतिम रुप दिया जा रहा है।

तीर्थ नगरी के राष्ट्रीय रामायण मेला भवनम के लोहिया सभागार में मेले के कार्यकारी अध्यक्ष गोपाल कृष्ण करवरिया, मंत्री आचार्य बाबू लाल गर्ग, प्रचार मंत्री डा. करुणा शंकर द्विवेदी,डा.श्याम मोहन त्रिपाठी व देवी दयाल यादव ने पत्रकारों से बात करते हुये बताया कि राष्ट्रीय रामायण मेले का उद्घाटन 12 फरवरी को सूबे के श्रम मंत्री कुंवर बादशाह सिंह करेंगे।
उन्होंने बताया कि देश भर के रामायण के विद्वानों, कथाव्यासों, रंगकर्मियों व राजनेताओं के साथ ही राम लीला मंडलों व रामकथा की विभिन्न तरीकों से प्रस्तुतियां देने वाले दलों व कलाकारों को आमंत्रित किया गया था। अभी तक तमिलनाडु डा. एम शेषन, डा. सुन्दरम, आंध्रप्रदेश से डा. आर एस त्रिपाठी, डा. एन जी देवकी, उप्र से सूर्य प्रकाश दीक्षित, डा. जीतेन्द्र नाथ पांडेय, डा. यतीन्द्र त्रिपाठी, डा. चंद्रिका प्रसाद दीक्षित, डा. कामता कमलेश, डा. राम अवध शास्त्री हरियाणा से डा. ओम प्रकाश शर्मा आदि विद्वानों के आने की स्वीकृतियां मिल चुकी हैं। बिहार, झारखंड, मप्र, राजस्थान, दिल्ली आदि प्रदेशों से भी तमाम विद्वानों के आने की सूचनायें प्राप्त हो रही हैं। विभिन्न प्रांतों के सांस्कृतिक दलों व वृन्दावन की रास लीला सहित रास लीला, सृजन आर्ट एंड कल्चर नई दिल्ली का बैले ग्रुप, कलाकार डांस इन्टीट्यूट मुंबई, पूर्णिमा और सखियों का नृत्य, रत्नेश का गायन, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के क्षेत्रीय निदेशालय का दल, पवन तिवारी निवाड़ी, रामाधीन आर्य एंड पार्टी मऊरानीपुर, जुगुल किशोर शर्मा लोक नृत्य, रघुवीर सिंह यादव लोकनृत्य झांसी, ललित त्रिपाठी गायन आदि कलाकारों के आने की स्वीकृतियां प्राप्त हो चुकी रहे हैं। इसके अतिरिक्त आकाशवाणी इलाहाबाद, छतरपुर, रींवा, श्री राम कला केंद्र नई दिल्ली, रमा वैद्यनाथन भरतनाट्यम आदि के आने की संभावना है।
आयोजकों ने बताया कि समारोह में जगद्गुरु शंकराचार्य बद्रिकाश्रम स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, जगद्गुरु स्वामी राम भद्राचार्य, संत फलाहारी दास महाराज अयोध्या व चित्रकूट स्थित सभी अखाड़ों के संत महन्त मौजूद रहेंगे। राम कथा के व्यासों में स्वामी राजेश्वरानंद सरस्वती, गुप्तेश्वरी देवी, मानस मंजरी, रघुराज शरण, पुष्पा गौतम, मीरा दुबे, आदि के आने की स्वीकृतियां आ चुकी हैं। इसके साथ ही परिसर में लगने वाली प्रदर्शनियां भी आकर्षण का केंद्र रहेंगी। संस्कृति विभाग उप्र, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, केन्द्रीय हथकरघा विभाग, दीन दयाल शोध संस्थान सहित मंडल व जनपद के सभी विभागों की विकासात्मक कार्यो की प्रदर्शनियां लगाई जायेगी।

Wednesday, February 3, 2010

सूखे से जंग जीत मुनव्वर बने धरती के लाल

चित्रकूट। मौसम की मार से परेशान बुंदेलखंड के न जाने कितने किसान पिछले सात सालों में सल्फास खाकर या फांसी लगाकर जान दे चुके हैं। पर इस तस्वीर से उलट एक ऐसा वीर किसान भी है जो भले ही कभी स्कूल न गया हो मगर उसके खेत कभी खाली नहीं रहे। फसलों में वो हमेशा अव्वल रहा।

कभी दूसरों के खेत को किराये पर लेकर खेती करने वाले जनपद के रामपुर तरौंहा गांव के 70 वर्षीय मुनव्वर अली कहते हैं कि उन्होंने जमीन में मेहनत करने को ही अल्लाह की इबारत माना और आज पचास बीघा खेती उसकी ही नियामत है। एक साल में तीन से चार फसलें पैदा करने और खेतों को कभी खाली न रखने वाले मुनव्वर अली उन किसानों के लिए मिसाल बन चुके हैं जो सूखे से परेशान हैं। वे जिले के एक मात्र ऐसे किसान भी हैं जिनके खेतों में पैदा होने वाले आलू इस जिले में बिकते ही नही बल्कि बाहर जाते हैं। इलाहाबाद में कोल्ड स्टोरेज में आलू रखने के बाद अच्छी कीमत में बेंचने की बात करने वाले श्री अली कहते हैं कि भइया तीस साल हो गये एक भी खेत कभी खाली नही रहा और ऐसी कोई फसल नही जो उन्होंने पैदा ही की। बताते हैं कि वे ही अपने ब्लाक के पहले किसान हैं जिसके खेत में पहली बार रिंग बोर से पानी निकला था। चार-चार ट्यूब बेलों के साथ ही खेती की सभी उन्नतशील तरीके ग्रहण किये। इस दौरान उनका साथ सभी अधिकारियों ने भी खूब दिया।
लगभग बीस बीघा खेत पर आलू की फसल दिखाते हुए उन्होंने कहाकि लगभग 800 क्विंटल आलू हो ही जायेगा। इस समय उनके खेतों में जहां गेंहू, चना, अरहर, सरसों की फसलें लहलहा रही हैं वहीं धनिया, मिर्च, प्याज, आलू, जीरा, बैगन, टमाटर व पालक भी अच्छी मात्रा में लगे दिखे। लगभग पचास लोगों के कुनबे के मुखिया श्री अली ने बताया कि रवी, खरीफ और जायद में तो फसलें वे सभी ले ही लेते हैं। इसके साथ ही जानवरों के लिये बरसीम को भी उगा लेते हैं।
उनकी खेती के तौर तरीके देखने पहुंचे उप निदेशक कृषि मो. आरिफ सिद्दीकी व जिला कृषि अधिकारी एच एन सिंह ने जब सवाल किया कि दवा और खाद का प्रयोग किस तरह और कौन सी कर रहे हैं तो उनका जवाब था कि वो जैविक खेती के हिमायती हैं पर समय की मांग के अनुसार थोड़ा बहुत रासायनिक खाद इस्तेमाल करते हैं। नये-नये प्रयोगों के शौकीन मुनव्वर अली कहते हैं कि एक बार नारियल, छुहारा व बादाम के पेड़ भी लगाये थे पर कामयाबी नहीं मिली। उन्होंने कहा कि अगर बुंदेली किसान अपनी मेहनत की ताकत को पहचान लें और अपनी मिट्टी में मेहनत करें तो उन्हें कमाने के लिए बाहर जाने की जरुरत नहीं है।

राजेश्वर ने खोजा गिट्टी व मौरम में लोहा

चित्रकूट। बांदा के ग्राम कालींजर स्थित 'श्री पर्वत' के शिलाखंड में एल्यूमिनियम होने की जानकारी देने के बाद अब चित्रकूट के एक रसायन शास्त्री ने मौरम व गिंट्टी में लौह अयस्क होने का दावा किया है। हालांकि चित्रकूट इंटर कालेज के रसायन विज्ञान के प्रवक्ता राजेश्वर प्रसाद फिलहाल यह नहीं बता सके कि मौरम या गिट्टी के एक किलोग्राम अयस्क में कितना लोहा निकलेगा मगर उनका यह कहना कि 'जीर्ण शीर्ण हो चुकी प्रयोगशाला में यह प्रयोग ही कर लेना बड़ी बात है' महत्वपूर्ण है।

श्री प्रसाद ने बताया कि कालींजर पर्वत पर एल्यूमिनियम होने की खबर पढ़कर बांदा के केसीएनआईटी में बी टेक कर रहे उनके पुत्र प्रवीण दत्त नामदेव ने शंका व्यक्त किया कि गिट्टी और मौरम पर प्रयोग किया जाये तो इनमें लौह अयस्क की अच्छी मात्रा हो सकती है। इस बात को सुनकर उन्होंने प्रयोगशाला में मौरम और गिट्टी को लेकर उनका चूरा बनाकर अम्लराज के साथ गर्म किया। फिर उसे पानी के साथ तनुकृत किया। तत्पश्चात उसमें ठोस अमोनियम क्लोराइड डालकर अमोनियम हाइड्राक्साइड मिलाकर उसमें पोटेशियम फेरो साइनाइड मिलाया। इस विलयन के बाद नीले रंग का अवक्षेप प्राप्त हुआ। जिससे मौरम और आरसीसी गिट्टी में आयरन तत्व की उपस्थिति निश्चित तौर पर होना मिला।
उन्होंने कहा कि भले ही पहाड़ों से पत्थर लेकर उसे छोटा कर गिट्टी के रुप में मकानों के उपयोग के लिये बेंचा जा रहा हो पर अगर इसका प्रयोग लौह अयस्क निकालने के लिये किया जाये तो सरकार को ज्यादा मात्रा में राजस्व मिल सकता है। यही बात उन्होंने मौंरम के लिये भी कही।
कालेज के प्रबंधक हरिश्चंद्र गुप्त व कार्यवाहक प्रधानाचार्य चन्द्रिका प्रसाद मिश्र जहां इस शोध से प्रसन्न हैं। वहीं उन्होंने सरकार से अपेक्षा भी किया कि इस क्षेत्र के पर्वतों में अविलम्ब पत्थर निकालने का काम बंद कर इनका शोध व सर्वे का काम किया जाये। इससे और भी स्थानों पर मिलने वाली धातुओं से सरकार के राजस्व की वृद्धि और आम लोगों को रोजगार के रुप लाभ मिल सके।

यूनिवर्सिटी आफ थर्ड एज: चित्रकूट को विश्व पर्यटन मानचित्र में लाये जाने का एक अभिनव प्रयास

चित्रकूट। एक ऐसा सम्मेलन जो वास्तव में चित्रकूट को ऐसा उपहार दे सकने में समर्थ हो सकता था जिसकी कल्पना किसी ने की नही होगी। बात ज्यादा पुरानी नही है जिला बनने के बाद ही इस पावन स्थल को विश्व के पर्यटन मानचित्र में शामिल करने के लिये जिला स्तर पर लिखा पढ़ी की गई थी। वेवसाइट भी बनी, चित्रकूट महोत्सव भी हुआ पर मामला ठाक के तीन पात ही रहा। बीच के वर्षो में कांग्रेस, भाजपा और सपा ने राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठकें कर इसको चर्चा में लाने का काम किया। पिछले साल तो सवा पांच करोड़ शिवलिंग निर्माण ने फिल्मी सितारों के यहां पर आने से लोगों में उत्सुकता जगी कि अब शायद बाहर से आने वाले पर्यटकों में इजाफा हो जाये। ऐसा नही है कि यहां पर पर्यटक विदेशों से आते नही, वे आते तो हैं पर उनकी संख्या खजुराहो और बनारस की तुलना में काफी कम है, पर अब 8 से 10 फरवरी के मध्य विश्व यूनिवर्सिटी आफ थर्ड एज की कांफ्रेस यहां पर आयोजित होने से न सिर्फ महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति और प्राध्यापक बल्कि क्षेत्र की स्वयंसेवी संस्थायें व आम जन इस बात को लेकर काफी आशान्वित हैं कि एक बार पचास देशों के प्रतिनिधियों के एक साथ चित्रकूट आने के बाद जो माहौल बनेगा वह वास्तव में इस स्थान को अनोखी ख्याति दिलायेगा।

ग्रामोदय के कुलपति प्रो. ज्ञानेन्द्र सिंह कहते हैं कि उनका काम तो कर्तव्य का निर्वहन करना है। चित्रकूट अपने आपमें अलौकिक स्थल है। यहां पर बैठकर पचास देशों के साथ ही अपने देश के काफी प्रदेशों के प्रतिनिधि जब दर्शन, आध्यात्मा और धर्म के साथ ही नये-नये विषयों की चर्चा करेंगे तो भला चित्रकूट का ही होगा। योग और आयुर्वेद का धनी यह क्षेत्र बाहर से आने वाले प्रतिभागियों व इंटरनेट के माध्यम से इस विशेष आयोजन को देखने वाले लोगों के लिये चित्रकूट भी विशेष स्थान बनेगा। विवेकानंद सभागार के साथ ही अम‌र्त्यसेन सभागार में कार्यक्रमों को आयोजित करने के लिये तैयारियां प्रारंभ कर दी गई हैं।

Monday, January 18, 2010

लोगों को ही नही मालूम कि कहां पर होना है विकास

चित्रकूट। 'चित्र विचित्रो रुप दर्शनम् समग्रम यस्मिन स कूट: चित्रकूट:' वाल्मीकि रामायणम् में लिखे यह शब्द भले ही यहां पर आने वाले कथावाचकों को यहां पर कथा करने के लिये प्रेरित करते हो पर इस अद्भुद तीर्थ स्थल के विकास के नाम पर किया जाने वाला मजाक लगातार जारी है। रामघाट व परिक्रमा पथ पर तो केंद्रीय सहायता के अन्तर्गत पर्यटन विकास के नाम पर जल निगम के कन्सट्रक्शन एवं डिजायन सर्विसेज द्वारा पिछले तीन महीनों से चल रहे लीपा पोती के खेल को देखकर तो यही लगता है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जो भी कर रहे हैं ठीक काम कर रहे हैं।

गौरतलब है कि पिछले 8 अगस्त केंद्रीय सहायता के अन्तर्गत पर्यटन विभाग से मिले 440.70 लाख रुपयों से प्रारंभ किये गये तीर्थ क्षेत्र के विकास के कामों की झलक तो रामघाट पर विभाग द्वारा लगाये गये बोर्ड को ही देखकर मिल जाती है। सुन्दरीकरण के नाम पर दर्शाये गये मंदिरों का नाम विभाग के अधिकारियों के अलावा कोई नही जानता। स्थानीय स्तर पर लोगों से इन जगहों की जानकारी करने पर कोई भी बता नही पाता।
मसलन राम मंदिर कहां है या फिर राम कुंड मंदिर कहां पर स्थित है सवाल पर विभाग के अधिकारियों के उत्तर साफ नही है। विभाग द्वारा लगाये गये बोर्ड के अनुसार रामघाट की दीवारों पर पत्थर लगाने का काम, शिव जी के मंदिर का सौन्दर्यीकरण, हनुमान जी के मंदिर का सौन्दर्यीकरण, चौपड़ा तालाब का सौन्दर्यीकरण, दीवारों पर रामायण की चौपाइयों लिखा जाना, पंचकोशी परिक्रमा मार्ग पर कैनोपी का निर्माण शामिल हैं। काम प्रारंभ किये जाने की तारीख आठ अगस्त है जबकि काम को खत्म किये जाने की तारीख आठ नवम्बर 10 दिखाई गई है। विभाग के द्वारा जोर जोश से काम को प्रारंभ कराने के बाद एक निजी घर के सामने महिलाओं के कपड़े बदलने का स्थान बना देने के बाद गुलाबी गैंग के दीवार को गिरा देने के बाद काम विवादित हो चुका है। फिलहाल अभी काम के नाम पर खाना पूरी जारी है। जूनियर इंजीनियर सुरेश दुबे ने कहा कि सभी काम मानक के अनुसार ही हो रहे हैं। सभी काम तयशुदा सीमा के अन्तर्गत पूरे करा दिये जायेंगे।

मंदाकिनी के तट पर उमड़ा आस्था का सैलाब

चित्रकूट। माघी आस्थावानों का हुजूम विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल पर उमड़ पड़ा। यह बात और थी कि सूर्यग्रहण का सूतक काल गुरुवार की रात बारह बजे से प्रारंभ हो चुका था और सभी मंदिरों के पट शुक्रवार की शाम चार बजे के बाद ही खुल पाये। हर एक श्रद्धालु के मुंह पर हाड़कपा देने वाली सर्दी की जगह प्रभु के नाम का स्मरण के साथ ही मां मंदाकिनी में डुबकी मारने का उत्साह साफ दिखाई दे रहा था। कड़कड़ाती ठंड व पिछले पखवारे से चल रही शीतलहरी की परवाह किये बगैर लाखों श्रद्धालुओं ने मंदाकिनी में स्नान कर श्री कामदगिरि की परिक्रमा की। श्रद्धालुओं की भीड को देखते हुये प्रशासन ने पर्याप्त व्यवस्थायें की थी।

वैसे गुरुवार देर शाम से ही श्रद्धालुओं का आना इस तीर्थ पर प्रारंभ हो गया था। लोग बसों, ट्रेनों और प्राइवेट वाहनों से यहां पर आ रहे थे। काफी लोग ट्रेनों से उतर कर रामघाट के लिये पैदल ही जा रहे थे तो काफी लोग टैक्सियों से।
मंदाकिनी में स्नान के बाद लाखों श्रद्धालु स्वामी मत्स्यगयेन्द्र नाथ मंदिर पर जलाभिषेक करने के बाद कामदगिरि परिक्रमा की तरफ बढ़े। यहां पर स्वामी कामतानाथ के दर्शनों के बाद 'आस्थावान भज ले पार करइया का' 'भज ले मुरली वाले का' के जयकारे लगाते हुये परिक्रमा कर रहे थे। आस्थावानों में बड़ी संख्या में महिलायें व बच्चे भी शामिल थे। इस बार की अमावस्या की सबसे बड़ी बात यह रही कि लोग ग्रहण काल में भी स्नान व पूजन करते देखे गये। वैसे काफी लोग घाटों के किनारे बैठकर प्रभु के नाम का स्मरण कर रहे थे। रामघाट पर स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सा शिविर लगाया था जहां पर लोग जाकर अपना इलाज करा रहे थे। मेला क्षेत्र में अधिकारियों की आमद भी लगातार बनी रही।

सूर्यग्रहण : सूर्यकुंड पर हुई साधना

चित्रकूट। भले ही इस बार सूर्यग्रहण पूरा न रहा हो पर खग्रास सूर्यग्रहण को लेकर लोगों में भारी उत्साह रहा। पुराणों में सूर्य देव द्वारा तप किये जाने वाले स्थान सूर्य कुंड पर जहां आस्थावानों ने ग्रहण के दौरान तप कर सिद्धियों को प्राप्त करने का काम किया। वहीं लोगों ने अपने घरों में केतु द्वारा भगवान सूर्य को ग्रसित करते वक्त प्रभु नाम का स्मरण किया। ग्रहण काल के बाद लोगों का हुजूम मां मंदाकिनी के साथ ही पवित्र सरोवरों की तरफ दौड़ पड़ा। स्नान के बाद शाम चार बजे के आसपास घरों के साथ ही मंदिरों में भी भगवान की पूजा व अर्चना हो सकी।

वैसे सुबह से ही सूर्य ग्रहण को लेकर सभी लोगों में भारी उत्साह था पर बादलों के कारण लोग इस बात को लेकर संशकित भी रहे कि शायद यह दुर्लभ अवसर वे देखने से वंचित न रह जायें पर ठीक साढ़े बारह बजे ही बादलों के छट जाने के साथ लोगों ने स्पष्ट तौर पर इसे देखा। जहां बड़े लोग चश्मों का सहारा ले रहे थे वहीं छोटे-छोटे बच्चे एक्सरे फिल्म के काले भाग पर सूर्य ग्रहण को देखकर उत्साहित हो रहे थे।
सूर्यग्रहण के दौरान लोग घरों में बैठकर भगवान के नाम का स्मरण कर रहे थे। ग्रहण के बाद श्रद्धालुओं का रुख मां मंदाकिनी की तरफ हो गया। इसमें महिलाओं की संख्या काफी ज्यादा थी। स्नान करने के बाद लोगों ने घरों में भगवान की पूजा की और फिर इसके बाद ही खाना खाया।

विकास की मंशा से मप्र के राजनेता भी सामने जुड़े

चित्रकूट। नवीन विचारों की बयार जब बहती है तो लोग खद-ब-खुद ही खिचे चले आते है। चित्रकूट संसद भी एक ऐसी ही ताजी हवा का झोंका है जो अब प्रदेशों की सीमाओं को लाघ रहा है। जिसका उदाहरण है कि चित्रकूट संसद के हमकदम बनने के लिए अब मध्य प्रदेश के सतना जिले के सांसद गणेश सिंह व चित्रकूट विधायक सुरेन्द्र सिंह गहरवार के साथ नगर पंचायत नयागांव के अध्यक्ष नीलांशु चतुर्वेदी आतुर हैं। तीनों नेता इस बात पर एकमत हैं कि उप्र और मप्र की सीमाओं में बंटे 'चित्रकूट' का विकास हर दशा में होना चाहिये।

संसद के कार्यक्रम संयोजक अर्चन ने बताया कि शुक्रवार को जब समाजसेवी गोपाल भाई ने इन तीनों नेताओं से बात की तो वे इस कार्यक्रम को समय देने के लिये सहर्ष तैयार हो गये। उन्होंने यह भी कहा कि नेताओं ने आश्वासन दिया कि चित्रकूट के विकास के मुद्दे पर वे साथ हैं। अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान द्वारा बनवाया गया सात पन्नों का 21 सूत्रीय करणीय पत्रक चर्चा का विषय बन चुका है। वहीं चौराहों पर इसके बिंदु बहस का मुद्दा बनते जा रहे हैं। सदर विधायक दिनेश मिश्र का कहना है कि आर्थिक, शैक्षणिक, पर्यटकीय, पर्यावरणीय व धार्मिक विकास के मुददें पर आम लोगों के साथ विशेष लोग भी चिंतन और मनन कर रहे हैं। मानिकपुर ब्लाक प्रमुख विनोद द्विवेदी ने सुझाव पत्रक पढ़ने के बाद इस पहल का स्वागत किया। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के शिक्षाविदों के बीच पत्रक को भरने की होड़ सी लगी दिखाई दे रही है। इसके साथ ही तमाम विद्यालयों में इस पत्रक के सवालों के आधार पर प्रतियोगितायें कराने की तैयारियां भी प्रारंभ हो चुकी हैं।

चित्रकूट को फ्री जोन घोषित करने की जरुरत -प्रदीप

चित्रकूट। गौरव, वैभव व शौर्य का प्रतीक बुंदेलखंड अब सूखा-तबाही और भुखमरी का प्रतीक बन गया है। इस अनोखे तीर्थ क्षेत्र में स्वयंसेवी संगठनों द्वारा समाज के हितों को साधकर चलाई जा रही मुहिम प्रशंसनीय है।

एक दिवसीय दौरे में आये ग्रामीण विकास राज्य मंत्री प्रदीप जैन 'आदित्य' ने कहा कि चित्रकूट के विकास के लिए इसे दो राज्यों की सीमाओं में बांधा नहीं जाना चाहिये। यहां पर पर्यटन का विकास तभी हो सकता है जब इसे 'फ्री जोन' घोषित कर दिया जाये। उन्होंने सूचना का अधिकार कानून को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की नसीहत दी। महंगाई के मुद्दे पर अपने ही कृषि मंत्री शरद पवार पर शब्दबाण छोड़ते हुये कहा कि दस दिनों में महंगाई कम करने का पता नही कौन सा फार्मूला उन्होंने ईजाद कर लिया है। बुंदेलखंड की तरक्की के लिये जहां केंद्र सरकार ने राहुल गांधी की विशेष पहल पर एक पैकेज दिया वहीं एक नई योजना पुराने तालाब बावडि़यों और कुंओं की सफाई, कब्जों से मुक्त कराने और उनका सुन्दरीकरण करके विकास के लिये सामने आ चुकी है। इसका नाम आर.आर.आर योजना दिया गया है। अपनी धर्मपत्नी स्नेहलता जैन के साथ चित्रकूट दौरे पर आये केन्द्रीय मंत्री ने जानकी कुंड चिकित्सालय व आरोग्य धाम देखने के साथ ही दृष्टि संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के साथ ही जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य से आर्शीवाद लिया। यहां पर उन्होंने नगर पंचायत नयांगॉव के नव निर्वाचित अध्यक्ष नीलांशु चतुर्वेदी को शपथ दिलवाने के बाद पद्म श्री नाना जी देशमुख से भेंट करने सियाराम कुटीर पहुंचे। बाद में कामतानाथ मंदिर में पहंचकर मत्था टेका।

संस्था के लिए जमीन दान देना अनुकरणीय पहल

चित्रकूट। आज के इस दौर में जहां मनुष्य जमीन के लिए खून बहा रहा है, वहीं संस्था के लिए जमीन दान कर देना एक अनुकरणीय पहल है।

यह बात आरोग्य धाम परिसर के बगल में नव निर्मित दृष्टि संस्था के ब्रेल उपकरण बैंक व ब्रेल पुस्तकालय के शुभारंभ व नेत्रहीन महिला शिक्षण और प्रशिक्षण केंद्र के शिलान्यास के मौके पर केंद्रीय राज्य मंत्री प्रदीप जैन ने कहीं। उन्होंने दृष्टि संस्था के संरक्षक कृष्ण गोपाल गुप्ता को साधुवाद देते हुए कहा कि उनके द्वारा साढ़े सत्रह बीघा जमीन विकलांगों के कल्याण के लिए दान देना अनुकरणीय कार्य है। उन्होंने कहा कि मरने के बाद जो नाम जाता है वह केवल ऐसे ही धर्मार्थ के कामों के कारण जाता है। दृष्टि के निदेशक विराग गुप्ता ने कहा कि आने वाले समय में संस्था ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को देखते हुए चित्रकूट क्षेत्र में पर्यावरण सुधार की एक बड़ी योजना प्रारंभ करेगी। इस योजना में भारी मात्रा में पौधरोपण के साथ ही मंदाकिनी की सफाई का अभियान चलेगा। केंद्रीय मंत्री की पत्नी स्नेहलता जैन, जानकीकुंड चिकित्सालय के सीएमओ डा. बीके जैन, नगर पंचायत अध्यक्ष नीलांशु चतुर्वेदी, ग्रामोदय विवि. के डा.अजय चौरे, डा. नीलम चौरे, सुखदेव शर्मा आदि मौजूद रहे। सभा का संचालन शंकर लाल गुप्ता ने किया।

पृथक राज्य के मुद्दे पर गोलमाल जबाव दे गये मंत्री जी

चित्रकूट। पृथक बुंदेलखंड राज्य के मुद्दे को केंद्रीय मंत्री ने अपना मुद्दा बताते हुए कहा सरकार में रहने के कारण काफी बातें सोच समझकर बोलनी पड़ती है। उन्होंने बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा व बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी के साथ ही बुंदेलखंड की मांग करने वालों को उचित ढंग से बात उठाने की नसीहत दी। प्रदीप जैन ने कहा कि पृथक राज्य बनाने के लिए अभी और भी ज्यादा जन जागरुकता की आवश्यकता है। साथ ही बरगढ़ से पावर प्लांट के स्थानांतरण के सवाल पर मंत्री ने कहा कि इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। केंद्रिय मंत्री ने चित्रकूट को विलक्षण तीर्थ स्थान बताते हुये कहा कि यह स्थान बुंदेलखंड की नाक है और इसका विकास सभी को साथ मिलकर करना पड़ेगा।