Monday, February 10, 2020

वेलेंटाइन विशेष- चित्रकूट: काम नहीं राम की भूमि

श्रीराम ने चित्रकूट में की थी मां जानकी की पूजा
अपने हाथों से पुष्पों के आभूषण बनाकर किया था श्रंगार व पूजन  

रां ब्रहमनाद का वह स्वर जो सृष्टि के आरंभ से भूमंडल में गुंजायमान है। इस शब्द से निकलकर जब वह म से जुड़ा तो राम हो गया। अवध के राजकुमार राम के रूप में जब वह चित्रकूट आए तो वनवासी की तरह। मां केकैई से मिली सीख की वनवास में वनवासी के साथ रहना। प्रियतमा के साथ रहकर भी प्रेम रस में न डूबना, राम ने साकार कर दिखाया। दाम्पत्य जीवन का सर्वाधिक समय चित्रकूट में बिताने के दौरान राम ने यह दिखाया कि कैसे वह अपनी पत्नी के साथ सुमधुर क्षणों का स्वर्गीय आनंद ले सकते हैं।

विदेशी संस्कृति से ओतप्रोत युवा पीढ़ी के दिमाग में गंदगी भरने के लिए कुत्सित प्रयास लगातार जारी हैं। वेलेंटाइन डे वास्तव में हमारी संस्कृति को बर्बाद करने का मैकाले जैसा प्रयास है। वेलेंटाइन को संत बताकर प्रपोज डे, हग डे, रोज डे जैसे दिन बनाकर युवाओं के दिमाग में महिला व पुरूष शरीर के प्रति गंदगी भरने की गंदी मानसिकता है। जिन देशों में पिता, पुत्र, पत्नी, पुत्री व रिश्तेदारों के पास अपनों से मिलने का समय नहीं है। एक ही घर में अजनबियों की तरह रहते हैं। एक जीवन काल में दर्जनों विवाह करते हैं। यह उन्हीं के लिए उचित है। हम अपने आराध्य को जानें समझें और उसी हिसाब से आचरण करें। हमारे आराध्य श्रीराम व मां जानकी हैं। आइये जानते हैं कि उनके प्रेम का स्वरूप क्या था। 



आदि कवि महिर्षि वाल्मीकि, संत शिरोमणि तुलसीदासजी महराज या फिर सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला‘ सभी की लेखनी इस विशेष तथ्य और घटनाक्रम पर खूब चली, इतनी चली कि सभी ने भाव विहवल होकर उन विशेष क्षणों को न केवल जीवांत किया बल्कि यह भी सिद्व कर दिया कि प्रेम एक प्रक्रिया है, जो शास्वत है और उसमें काम को कोई स्थान नहीं। यह तो हर जीवधारी के अंदर बहती है। इस प्रक्रिया को अगर कायदे से रूपांतरित कर दिया जाए तो वह रावण जैसे राक्षसराज को मारने के लिए बड़े शस्त्र के रूप में भी काम आ सकती है।
महिर्षि वाल्मीकि ने अपने भाव व्यक्त किए ,,,
 मनः शिलाया स्तिलको गण्ड पाश्र्वे निवेशितः।
त्वया प्रणष्टे तिलके तं किलस्मर्तुं मर्हसि। (वा0रा0 5/40)


कविवर सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला‘ के शब्दों में कहें तो

‘‘ मातः दशभुजा विश्व ज्योति हूं मैं, आश्रित

हो विद्व शक्ति से है खल महिषासुर मर्दित

जन रंजन चरण तल, धन्य सिंह गर्जित

यह, यह मेरा प्रतीक मातः समझा इंगित

मैं, सिंह इसी भाव से करूंगा अभिनंदित‘‘

(अनामिका)

इस दृश्य को जब महाकवि तुलसीदास जी महराज ने अपने भावों से उकेरा तो पूरी भावनाएं साफ हो गईं,,
फटिक शिला मृदु विशाल, संकुल सुरतरू तमाल
 ललित लता जाल, हरित छवि वितान की
मंदाकिनी तटिनि तीर मंजुल मृग विहंग भीर
धीर मुनि गिरा गंभीर सामगान की। 
मधुकर पिक वरहिं मुखर सुन्दर गिरि निरझर झर
जल कन धन छाॅह छन प्रभा न भान की 
 सबरितु रितुपति प्रभाउ संतत बहै त्रिविध बाउ
 जनु बिहार वाटिका नृप पंचवान की।
विरचित तहं परनशाल, अति विचित्र लखनलाल
 निवसत जॅह नित कृपाल राम जानकी
निजकर राजीव नयन पल्लव दल रचित शयन
प्यास परस्पर पीयूष प्रेम पान की।
सिय अंगलिखै धातु राग सुमननि भूषण विभाग
तिलक करनि क्यों कहउं कला निधान की 
माधुरी विलास हास गावत जस तुलसिदास
बसति हृदय जोरी प्रिय परन प्रान की। 
( गीतावलि) 
महाकवि ने इस अतभुद प्रेमरस का वर्णन मानस में किया तो आनंद की रसवर्षा का कोई ओर- छोर न रहा
‘ एक बार चुनि कुसुम सुहाए, मधुकर भूषण राम बनाए।
सीतहिं पहिराए प्रभु सादर,बैठे फटकि शिला पर संुदर।।

लगभग तीनों महान कवियों ने अपनी भावना को व्यक्त करने के लिए एक ही स्थान व कथानक चुना। यह बात और है कि तीनों के कहने का ढंग अलग-अलग है। लेकिन इसका यर्थाथ तो यही निकलता है कि शेषावतार लक्ष्मण जी की अनुपस्थिति में प्रभु श्रीराम ने श्रंगारवन से अपने हाथों से फूल चुनकर उनके आभूषण बनाएं और फिर का माताजी का श्रंगार कर पूजन किया। पैरों में महावर, अक्षत व कुंकुम से तिलक लगाने के साथ ही सिंदूर भी मांग में भरा। तुलसीदास जी ने अपने दोहों में सादर शब्द का उपयोग बहुत ही सोच समझकर किया है। वह यह बताना चाहते हैं कि चित्रकूट विश्व की आध्यात्मिक राजधानी क्यों है! इसलिए कि यहां पर श्रीराम ने मां जानकी का श्रंगार व पूजन किया तो दूसरी ओर श्रुति कहती है कि यत्रु नारयंते पूजिते, रमंते तत्र देवता और चित्रकूट की भूमि पर बाकी देवताओं की बात छोड़िए स्वयं त्रिदेवों को भी एक नहीं कई बार अवतरित होना पड़ा। अगर हम श्री हरि विष्णु के अवतारों की बात करें तो न केवल श्री राम, परशुराम, हंस भगवान ने इस धरती पर विचरण किया बल्कि श्रीकृष्ण की उत्पत्ति का सीधा कारण भी इसी भूमि पर मौजूद है। 

वैसे चित्रकूट आदि शक्ति मां जगद्जननी का भी प्राचीन स्थल है। तांत्रिक लक्ष्मी कचव में तो साफ तौर पर लिखा है ‘ सुखदा मोक्षदा देवी चित्रकूट निवासिनी। भयं हरते सदा पाषाद् भवबंधाद् विमोचयेत्। 

मोक्षदा स्त्रोत पढ़ने पर ज्ञात होता है कि चित्रकूट प्रेम की भूमि है। शांति की भूमि है, यहां की भूमि काम से राम की ओर ले जाती है। मोक्षदा देवी की आराधना का पहला मंत्र प्राणी मात्र से प्रेम करना है। 


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Saturday, February 8, 2020

काउनोमिक्सः मंदाकिनी को जीवन देने की कोशिश

गोमूत्र, गोबर व जड़़ी बूटियों से बदल रही है त्रिवेणी की सूरत
एक महीने में फर्क दिखाने का कंपनी का है दावा,
 20 दिन में ही दिख रहा है काफी फर्क 
गोयनका घाट से भरत घाट तक 500 मीटर नदी का चल रहा है उपचार 

संदीप रिछारिया 

 मृत्युशैया पर मंदाकिनी, जैसे ही लोगों को लगा कि वास्तव में मां मंदाकिनी कोमा में पहुंच चुकी है। नदी का पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ चुका है। नदी में पानी की मात्रा कम और गंदगी की मात्रा ज्यादा है। लाखों मछलियां व अन्य जीव लगातार मरते जा रहे हैं। लोग जागे काफी हो हल्ला हुआ। कुछ लोगों ने फावड़े चलाए, पोक लैंड से सफाई हुई, पर नजीता वही ढाक के तीन पात। मंदाकिनी की गंदगी लगातार बढ़ती रही। डा0 जीडी अग्रवाल, डा0 घनश्याम गुप्ता जैसे लोग रोते कलपते रहे, गाय़़त्री परिवार के स्थानीय प्रमुख डा0 रामनारायण त्रिपाठी लगातार अपनी टोली के साथ सफाई के काम में लगे रहे, पर निष्कर्ष कुछ भी न निकला।
लगातार 20 सालों के संघर्ष को अब रास्ता मिलता दिखाई दे रहा है। यमुना की सहायक नदी के तहत चयनित मंदाकिनी को वास्तविकता में बचाने का काम विधायक नीलांशु चतुर्वेदी ने किया है। नगर पंचायत अध्यक्ष व विधायक बनने के पहले नीलांशु ने डिजायर ग्रुप की स्थापना कर मंदाकिनी को पुर्नजीवन देने के लिए काफी संघर्ष किया। इस वर्ष के प्रारंभ में जैसे ही उन्हें मालूम चला कि दिल्ली की एक कंपनी वैदिक तरीके से जलाशयों व नदियों का आयुर्वेदिक दवाओं के सहारे उपचार कर साफ करने का काम करती है तो उन्होंने कंपनी के प्रतिनिधि प्रदीप द्विवेदी को बुलवाया। तय किया गया कि नदी का 500 मीटर का क्षेत्र कंपनी को दिया जाएगा। वह उस एरिया में अपना उपचार करेंगे, अगर उनका उपचार कारगर रहा तो आगे फिर उनसे बाकी की नदी साफ कराई जाएगी। कंपनी के प्रतिनिधि ने अपने उच्चाधिकारियों के साथ मिलकर नदी को साफ करने का काम 16 जनवरी से गोयनका घाट से लेकर भरतघाट के बीच शुरू किया। गोबर, गो मूत्र व अन्य आयुर्वेदिक दवाओं को पानी में मिलाकर कई स्थानों पर इसे डाला गया। धीरे-धीरे नदी की सूरत बदल रही है। जहां पहले पहली सीढ़ी के नीचे ही गंदगी का अंबार दिखाई देता था। अब रामघाट में नदी की 7 सीढ़ियों के नीचे साफ पानी दिखाई देता है।
प्रदीप द्विवेदी ने बताया कि यह पूरी तरह आयुर्वेदिक है। वास्तव में यह छिति, जल पावक व गगन, समीरा यानि पांच तत्वों पर आधारित जल उपचार प्रक्रिया है। इससे जल का पारिस्थिति तंत्र सही हो जाता है। नदी के नीचे मिटृटी से गाद साफ होती है। जिससे अपने आप मछलियां व अन्य जीव जंतु पैदा हो जाते हैं। अगर इस उपचार को पूरी नदी पर किया जाए तो लगभग एक साल में पूरी नदी को बिलकुल साफ यानि जैसा इस नदी का नाम है पयस्वनी तो दूध के समान धारा बनाया जा सकता है।उन्होंने कहा कि दूसरे पुल के बाद यह नदी उप्र के क्षेत्र में आती है। फिलहाल अभी पुल तक इस उपचार का असर दिखाई देगा। भविष्य में अगर उपचार के लिए आगे आदेश मिलेगा तो किया जाएगा।

Thursday, February 6, 2020

डाक्टर मोदी ने बताया डंडे से पिटने का इलाज है सूर्य नमस्कार

संसद लाइव,,, 


संदीप रिछारिया

 तमाम यूनीवर्सिटीज से डीलिट की उपाधि प्राप्त कर चुके प्रधानमंत्री डाक्टर नरेंद्र मोदी ने गुरूवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए डंडे से पीटे जाने का इलाज सूर्य नमस्कार को नई दवाई के रूप में देश के सामने प्रस्तुत कर दिया। उनके इस कथन पर कुछ देर तक तो राजग के सांसद भी सन्न रह गए, पर मोदी तो मोदी हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 20 साल से जैसे वह गाली सुनते सुनते गाली पू्रफ हो गए हैं, वैसे ही अब वह अपने आपको डंडा प्रूफ बना लेंगे।


मामला कुछ इस प्रकार है, सांसद राहुल गांधी ने बुधवार को एक जनसभा में कहा था कि बेरोजगारी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ नही बोलते हैंै। उनका न बोलना युवाओं को अखर रहा है, यही हालत रही तो 6 महीने में युवा उन्हें डंडों से पीटने लगेंगे। उनके इस विवादास्पद बयान के बाद किसी अन्य भाजपा नेता का बयान तो सामने नहीं आया। आज संसद में मोदीजी ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि उन्होेंने 6 महीने की समय सीमा बताकर तैयारी का वक्त दे दिया है।

 6 महीने में वह अपने सूर्य नमस्कार की संख्या को बढ़ाकर पीठ को और मजबूत कर लेंगे। उनकी पीठ भी मजबूत हो सके। हालांकि उन्होंने इस दौरान भूकंप आने का भी जिक्र किया कि देश ने भूकंप को भी लाने वालों को देखा और उसकी सच्चाई देखी। उनके इस बयान के बाद ससंद से निकलने के बाद केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने राहुल गांधी पर हमलावर होते हुए कहा कि देश उनके बाप का नही है, यह आम लोगों का है। उनको जनता से अभी कम सबक सिखाया है, जो और कुछ देखना बाकी है।




 वैसे इसके पूर्व संसद में प्रधानमंत्री ने नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस के अधीर रंजन चैधरी के बार -बार खड़े होकर बोलने पर कहा कि अब उनका सीआर सही हो गया है। जिस पर बहुत देर तक ठहाके लगते रहे।

चकनाचूर हो रहे हैं सेक्यूलरों के बनाए फाल्स नैरेटिव

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श्रीकृष्‍ण जन्‍मभूमि व बाबा विश्‍वनाथ जी के साथ 5000 मंदिरों को खाली कराने की तैयारी
- 2020 की चैत्र नवमी होगी खास, श्री रामजन्‍म भूमि मंदिर रामलला के भव्‍यतम मंदिर की तैयारी 

संदीप रिछारिया 

नौमी  तिथि मधुमास पुनीता, चैत्र रामनवमी यानि प्रभु श्री राम के अवतरण का दिन। अब 2020 की नवमी तिथि वास्तव में खास बनाने की तैयारी भाजपा सरकार कर रही है। दूरदृष्टि, पक्का इरादा और कर्मठता के साथ मेहनत भाजपा की यही पुरानी पूंजी रही है। राम मंदिर आंदोलन के समय नारा दिया गया था, रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे तो विरोधियों यानि सेक्यूलर जमात के चिंटुओं ने इसमें जोड़ा कि तारीख नहीं बताएंगे। अटलजी की सरकार के साथ मोदीजी पार्ट वन में भी इस नारे को लेकर सेक्यूलर खूब हल्ला मचाते रहे। भाजपा के शीर्षस्थ नेता कहते रहे अदालत का फैसला सर्वोपरि है। यूपी में बसपा शासन काल में हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि जमीन के तीन बराबर हिस्से कर दिए जाएं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मामले को आइनेे की तरह साफ कर दिया। विद्वान अधिवक्ता के पराशरन के तर्कों के सामने जहरयाव जिलानी सहित अन्य सेक्यूलर वकील पानी मांग गए। उनके तथ्य, साक्ष्य और तर्कों के सामने किसी की नहीं चली। अंततः फैसला सबके आया। हां, इस दौरान कोर्ट ने सुलह समझौता का भी रास्ता निकाला। कभी बाबा रामदेव, तो कभी श्रीश्री रविशंकर जैसे तमाम नाम अपने आपको हिंदू समाज में स्थापित करने का प्रयास करते रहे। इस दौरान तमाम जगद्गुरू भी अपने आपको संघ व विहिप का खास बताकर रेवडियां लूटने में आगे लगे रहे। लेकिन जब रेवडियां बटने की बारी आई तो वह मुंह टापते दिखाई दिए। अयोध्या में चल रहा संतों का विरोध जायज है। इसमें कुछ संतों को शामिल रकने व अयोध्या के प्रमुख संतों की भागीदारी की जगह विहिप के लोगों को अधिक मात्रा में लेने से नाराजगी है।
अब वैसे यह न्यू इंडिया, विजनरी इंडिया है। ये मोदी का बनाया नया इंडिया है। जिस इंडिया में वर्ष 2014 के पहले राम का नाम लेना पाप समझा जाता था, भाजपा का समर्थक पापी माना जाता था। हिंदू आतंकवाद की नई परिभाषाएं गढ़ी जाती रहीं, और तो और औरंगजेब इनके लिए देवता और राम काल्पनिक चरित्र होते थे। मंदिरों से टैक्स व मस्जिदों के इमा के पेंशन दी जाती रही। केवल कांग्रेस ही नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी, बसपा और अन्य गिरोहबंद राजनैतिक पार्टियों व उनके पालित मीडिया के चिंटुओं ने राष्ट्रवाद के जनक के तौर पर गांधी व नेहरू परिवार को पोषित करने के लिए तमाम कहानियां बनाई। वो तो भला हो शिवसेना के सुप्रीम बाल ठाकरे व हिंदूवादी नेता सुब्रमणियम स्वामी का, जिन्होंने हिंदुत्व, हिंदू व हिंदुस्तान की सही अवधारणा सामने लाए। वैसे बाल ठाकरे ने भय बिनु होय न प्रीत वाली कहावत को सिद्व किया। एनआरसी को लेकर मुसलमानों की चिंता को नजर अंदाज किया जाना उचित नही है, अच्छा होगा इसका निर्णय लेने का अधिकार सुब्रमणियम स्वामी व के पाराशरन को सौंप दे। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के बाद श्री कृष्ण जन्म भूमि, बाबा विश्वनाथ के साथ पांच हजार मंदिरों को मुसलमानों के कब्जे से मुक्त कराने की लड़ाई वह कर रहे हैं।
फिलहाल अब इस बात को लेकर हिंदू जनमानस में इस बात की खुशी दिखाई देती है कि जो नैरेटिव गलत तथ्यों के सहारे आम लोगों के अंदर सेट करने का काम कांग्रेस व उसके पालित तथाकथित साहित्यकारों, इतिहासकारों,कवियों व पत्रकारों ने किया, अ बवह टूटता नजर आ रहा है। जल्द ही
आने वाले समय में आगे के और भी नैरेटिव टूटते रहेंगे।


Wednesday, February 5, 2020

राम मंदिर का रास्ता साफ हुआ, ट्रस्ट बनाकर निर्माण की योजना सौंपने की तैयारी में सरकार

 शंकराचार्यों को मिली जगह, रामानंदाचार्यों से किनारा
 अखाड़ों के महंत व केंद्र व राज्य सरकार के प्रतिनिधि भी होंगे ट्रस्ट के कर्ताधर्ता  

संदीप रिछारिया 

सौगंध राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे और अब इस नारे के पूरा होने का समय नजदीक भी आ गया है। तमाम संतों की राय सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने भी राम मंदिर निर्माण की शुरूआत के लिए रामनवती की तिथि तय करने का मंसूबा बना लिया है।
केंद्र सरकार ने अदालत द्वारा दी गई तारीख के चार दिन पहले बुधवार को ही राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट का गठन कर दिया। सुप्रीम को कोर्ट ने 9 नवंबर को अपने आदेश में तीन महीने में ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया था। अब यही ट्रस्ट राम का निर्माण करेगा। ट्रस्ट का पंजीकरण दिल्ली में होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ध्यान में रखते हुए कैबिनेट की बैठक में कई अहम फैसले किए गए। सरकार ने राम मंदिर निर्माण के लिए अहम फैसले के बड़ी योजना बनाई है। सरकार ने राम जन्म भूमि तीर्थ ट्रस्ट गठन का प्रस्ताव किया है। यह ट्रस्ट अयोध्या में राम जन्म भूमि पर मंदिर निर्माण के लिए उत्तरदायी होगा। कहा कि पांच एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने के लिए उप्र सरकार ने अनुरोध किया है, जिसे प्रदेश सरकार ने मान लिया है।
67 एकड जमीन में बनेंगा भव्य राम मंदिर 
एक्ट के तहत अधिग्रहित की गई 67 एकड भूमि पर राम मंदिर का निर्माण होगा। इसकी कार्ययोजना पूरी तरह से बना ली गई है। योगी कैबिनेट पांच एकड़ जमीन के आवंटन का पत्र भी बोर्ड को देगी। संभावना जताई जा रही हेै कि अयोध्या के पास लखनउ हाइवे पर रौनाही के धन्नीपुर में चिहिंन्त 5 एकड भूमि वक्फ बोर्ड को दी जाए।
चार शंकराचार्य ट्रस्ट में शामिल, निर्माेही अखाड़े को भी मिला सम्मान 
उच्च पदस्त सूत्रों के मुताबिक आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चारो पीठों के शंकराचार्यों को ट्रस्ट में स्थान दिया गया है। इसके साथ ही अयोध्या के महंत नृत्य गोपाल दास, दिगंबर अनी अखाड़े के महंत सुरेश दास, निर्माेही अखाड़े के महंत दीनेंद्र दास, गोरक्षपीठ गोरखपुर के प्रतिनिधि, कर्नाटक के उडूपी पेजावर पीठ के प्रतिनिधि, विहिप से ओम प्रकाश सिंहल, उपाध्यक्ष चंपक राय, विहिप के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष व अयोध्या आंदोलन के जनक स्व0 अशोक सिंहल के भतीजे सलिल डालमिया, दिवंगत विष्णु हरि डालमिया के परिवार से पुनीत डालमिया, एक दलित प्रतिनिधि व एक महिला प्रतिनिधि शामिल होंगी। केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी, प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि के रूप में अयोध्या के डीएम को शामिल किया जा सकता है।


Tuesday, February 4, 2020

डिफेंस एस्पोः भविष्य का बुंदेलखंड

डिफेंस काॅरीडोर के लिए चयनित हैं झांसी व चित्रकूट 


 संदीप रिछारिया 


 बडे़ लडईया महुबे वाले इनसे हार गई तलवार। देश में जब बुंदेलखंड की बात आती है तो यहां के शौर्य की चर्चा जरूर होती है! दो नाम अपने आप जुबा पर आ जाते हैं एक महोबा व दूसरा झांसी। रानी लक्ष्मी बाई और आल्हा उदल की धरती। लेकिन एक सबसे प्रमुख बात तब छिपती दिखाई देती है कि आखिर भाजपा के थिंक टैंक ने रक्षा उपकरणों के निर्माण के लिए झांसी के साथ चित्रकूट को क्यों चुना। चित्रकूट में रक्षा उपकरणों के निर्माण के बारे में विचार करने के लिए हमें अपने टाइम स्केल को पीछे ले जाना होगा। टाइम स्केल सेट करना होगा श्री राम के जमाने में। राजकुमार राम चित्रकूट आते हैं अपनी भार्या सीता व भाई लक्ष्मण के साथ। वह यहां पर तत्कालीन ऋषियों से मिलते हैं। ज्ञान और भक्ति की बातें करते हैं, उनका आर्शीवाद लेते हैं। तभी एक घटना महिर्षि सरभंग व सुतीक्षण आश्रम के पास ऐसी घटती है। सरभंग ऋषि के आश्रम से सुतीक्षण ऋषि के आश्रम जाते समय उन्होंने एक अस्थियों का पर्वत दिखाई देता है। साथ में चलने वाले ऋषि कुमार उन्हें बताते हैं कि यह पर्वत संतों व ऋषियों की अस्थियों का है। राक्षस उन्हें मारकर खा जाते हैं और उनकी अस्थियों का ढेर लगाकर उसे पर्वत के रूप में एकत्र कर दिया है। दंडकारण्य की इस सीमा पर ऋषियों व तप करने वालों को यज्ञ आदि की अनुमति नही है। वह यह सुनते ही रघुकुल नंदन अपनी भुजा उठाकर प्रण लेते हैं कि ‘ निशिचर हीन करौं महि‘। श्री राम चरित मानस में वर्णित है कि श्री राम ने सिद्वा पहाड़ पर ऋषि व संतों की अस्थियों के ढेर देखकर प्रण किया वह धरती से राक्षसों की संतति का विनाश कर देंगे। उस समय सीता जी व लक्ष्मण जी उनके साथ थे। अब सवाल उठता है कि कि आखिर इस स्टोरी के पीछे चित्रकूट में स्थापित होने जा रहे रक्षा आयुध उपकरणों की फैक्ट्रियों से क्या संबंध है। संबंध तो है ही और पूरा है। चित्रकूट परिक्षेत्र भले ही तप और वैराग्य से भरा रहा हो। हजारों संत यहां पर आदि काल से तपस्या में रत रहे हों, लेकिन वास्तविकता यह है कि वे संत कोई मामूली नही थे। जहां उनके तप में धर्म और आध्यात्म अपनी पराकाष्ठा तक पहुंचा। वाल्मीकि जी आदि कवि थे तो सुतीक्षण, सरभंग, अगस्त, गौतम, सहित दर्जनों ऐसे ऋषि थे, जिनके पास अग्नेयास्त्र व प्रक्षेपास्त्र का भंडार था। राम को सुदर्शन चक्र व अपना धनुष भी इसी परिक्षेत्र में प्राप्त हुआ। अग्निबाण,खरबाण सहित अन्य आयुध और रक्षा करने के अन्य उपकरण यहां पर प्राप्त हुए। माता सीता को मां अनुसूइया ने अक्षय पात्र के साथ ही कभी मलीन न होने वाले वस्त्र भविष्य की योजना के अनुसार ही प्रदान किए थे। इतना ही नहीं राम जी को महिर्षि अत्रि के पुत्र आत्रेय ने आयुर्वेद का ज्ञान भी प्राप्त कराया था। उनकी चिकित्सा से बेसुध हुई सेना उठकर खडी हो जाती थी। मंगलवार से लखनउ में हो रहे डिफेंस एक्पो में विश्व भर से रक्षा उपकरण बनाने वाले कंपनियों में कितनी कंपनियां चित्रकूट में अपना कारखाना लगाने का काम करेंगी, यह तो भविष्य की बात है, पर भाजपा सरकार ने 3000 हेक्टेयर भूमि की व्यवस्था तो उनके लिए कर ही दी है। वैसे गैर सरकारी रिपोर्ट में मुताबिक पूर्व में 36 कंपनियों ने चित्रकूट में अपनी फैक्ट्री लगाने के लिए सहमति जताई थी। फ्रांस, कनाड़ा, बिट्रेन व अमेरिका, जापान जैसे देशों की कंपनियों के यहां पर आने की बात सामने आ रही थी, अब देखना यह होगा कि पांच दिनों के इस आयुध मेले का फल चित्रकूट या बुंदेलखंड को क्या मिलता है। पौराणिक आख्यान वाल्मीकि रामायण में महिर्षि अगस्त द्वारा श्री राम को शस्त्र यौंपने का वर्णन हुछ इस प्रकार मिलता है। इसमें प्रमुख रूप से भगवान विष्णु का धनुष सौंपने की बात कही जाती है। इदं दिव्यं महच्चापं हेम वजं विभूषितम।् वैष्णवं पुरूष व्याघ्र निर्मितं विश्वकर्मणा ।। अनेन धनुषा राम हत्या संख्ये महासुरान। तद्वनुस्तौ च तूर्णा च शरं खडं च मानद्।। (वारा 3ः12ः32ः35ः36) अर्थातः- पुरूष सिंह। यह विश्वकर्मा द्वारा निर्मित स्वर्णाकिंत हीरों से सुसज्जित विशालतम भगवान विष्णु का दिव्य धनुष है। इस धनुष के द्वारा संग्राम मेें भयावह असुरों का संहार कर देवताओं की लक्ष्मी लौटा लाओ। मानद! तुम इस धनुष इन दो तूणीरों को बाण व तलवार से विजय के लिए स्वीकार करो। श्री राम को महिर्षि अगस्त द्वारा शारंग धनुष सौंपने के कारण पन्ना जिले में इस गांव का नाम सारंग पड़ गया। वैसे मिथला में भी जिस स्थान पर भगवान राम ने अजगव का खंडन किया था, उस जिले का नाम ही धनुषा है। वैसे वाल्मीकि रामायण के युद्व कांड के 108 श्लोक में साफ तौर पर वर्णित है कि जब भगवान राम को रावण से युद्व करते काफी समय बीत गया तो देवराज इंद्र के सारथी मातुल ने उन्हें स्मरण कराया कि आप इस पर ब्रहृमास्त्र का प्रयोग करें। श्री राम ने उनके वाक्य पर ब्रहमास्त्र का प्रयोग किया और सर्प के समान फुफकारते हुए वाण ने रावण का संहार कर दिया। महिर्षि अगस्त द्वारा दिए गए दो बाणों में एक ब्रहमास्त्र भी था।

Monday, February 3, 2020

मंदाकिनी गंगा आरती पर विवाद

वृन्दावन से आए संत ने लगाया पारंपरिक तरीका खत्म करने का आरोप कहा कि, यह मंदाकिनी की नहीं अपितु गंगा की आरती
चित्रकूट के रामघाट पर तुलसी चबूतरे के नीचे 8 नवंबर से शुरू हुई मंदाकिनी गंगा आरती के आयोजन पर एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है। शनिवार को वृन्दावन से आए संत रामदास जी ने काशी की तर्ज पर वहीं से लाई गई रिकार्डिंग के आधार पर की जा रही भव्य आरती पर प्रश्नचिंह खड़े करते हुए इसे फिल्मी आरती कहा था। उन्होंने तर्क दिया था कि आरती को पारंपरिक घंटा व घडियालों के माध्यम से ही कराया जाना चाहिए। आरती गंगा की नहीं बल्कि मंदाकिनी, पनयस्वनी व सरयू की हो। बाबा भोलेनाथ की स्तुति रावणकृत न होकर संत तुलसीदास कृत रामचरित मानस वाली होनी चाहिए। रविवार की शाम भी मंदाकिनी गंगा आरती के पूर्व उन्होंने विवाद खड़ा कर आरती को प्रारंभ नहीं होने दिया। आयोजक काफी देर तक हाथ पैर मारते रहे, फिर भरत मंदिर के महंत व मंदाकिनी गंगा आयोजन समिति के कोषाध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे चुके महंत दिव्यजीवन दास नीचे आए और उन्होंने काफी देर तक महंत रामदास को समझाने का काम किया। इसी दौरान आयोजकों ने राममोहल्ला से प्रमुख द्वार के अधिकारी मदन गोपाल दास को भी बुलवा दिया। दोनों महंतों के समझाने के बाद रविवार को महंत रिकार्डिंग से आरती करवाने को राजी हुए। रविवार को आरती लगभग आधा घंटा देर से प्रारंभ हुई। आरती के बाद भी काफी देर तक विवाद की स्थिति बनी रही। आयोजकों ने रामदास जी को मनाने का बहुत प्रयास किया। अंत में रामदास जी ने घोषणा किया कि सोमवार को वह स्वयं ही पारंपरिक तरीके से आरती करवायेंगे। जिलाधिकारी शेषमणि पांडेय ने कहा कि यह आरती चित्रकूट के संतों ने प्रारंभ की है। महंत रामदास जी हमारे अतिथि हैं। सभी लोग उनका सम्मान करते हैं। उनको भी यहां के संतों का सम्मान करना चाहिए। गौरतलब है कि मंदाकिनी गंगा आरती के प्रारंभ से ही विवाद जुड़े रहे हैं। कभी स्थानीय पंडा समाज द्वारा जमीन को लेकर विवाद रहा तो कभी उत्तर प्रदेश की आरती में मध्य प्रदेश के संतों की भागीदारी को लेकर विवाद रहा। समय समय पर लोग इसका विरोध जताते भी रहे।

Thursday, January 30, 2020

श्री राम ने ही नहीं सीता ने भी की थी चित्रकूट में शक्ति की आराधना



कामदगिरि पर मौजूद  हैं माता के पीठ

संदीप रिछारिया


वेद कहते हैं कि राम के आगमन से पूर्व सतयुग के प्रारंभ से चित्रकूट एक बहुत सुंदर देवी पीठ था। श्रीराम व मां जानकी ने यहां पर देवी की आराधना की और शक्तियां अर्जित कीं। तंत्र चूडामणि, ज्ञानार्णव दाक्षायणी तंत्र, योगिनी हृदय तंत्र व शिव चरित्र सहित अनेक ग्रंथ यहां पर शक्तिपीठ होने की पूर्ण पुष्टि करते हैं। ग्रंथ इसे पीठों में सर्वोत्त्म पीठ होने की संज्ञा देते हैं। तंत्र चूडामणि रामगिरौ स्तेनान्यं च परिभाषित करता है तो देवी भागवत व मत्‍स्‍य पुराण में चित्रकूटे तथा सीता विन्‍ध्‍यै  विंध्यैवासिनी की पुष्टि‍ करता है । तांत्रिक लक्ष्मी कवच तो सीधे तौर पर सुखदा मोक्षदा देवी चित्रकूट निवासिनी। भयं हरते् सदा पायाद् भव बंधनात् विमुच्यदते।। घोषित करता है। 


 चित्रकूट का नाम सामने आते ही लोगों को याद आते हैं राम । याद आती हैं चित्रकूट की वो शिलाएं जो भाईयों के प्रेम को देखकर पिघल गईं थी। लेकिन उससे बडा एक सच यह भी है कि आखिर भारद्धाज मुनि ने श्रीराम को चित्रकूट ही क्यों भेजा। वह चाहते तो एक बार फिर श्रीराम को महर्षि विश्वामित्र के पास भेज सकते थे या फिर ऋषि वाल्मीकि के पास ही चौदह साल रहने का निर्देश दे देते । श्रीराम का चित्रकूट में साढे ग्यारह साल से ज्यादा का समय गुजारना सब कुछ देवताओं व ऋषियों की योजना के अनुसार हुआ । वास्तव में ऋषि अगस्तं अंगिरा सरभंग सुतीक्षण सहित अन्य ऋषियों से उन्हें  राक्षसराज रावण को मारने के लिए आयुध प्राप्त तो करने ही थे साथ ही यहां पर मां मोक्षदा से उन्हें शक्तियां भी अर्जित करनी थी। वेद कहते हैं कि राम के आगमन से पूर्व सतयुग के प्रारंभ से यह स्थान एक बहुत सुंदर देवी पीठ था। यहा पर मां मोक्षदा देवी का पीठ तो पहले से ही था, इसके साथ श्रीराम व मां जानकी ने यहां पर देवी की आराधना की और शक्तियां अर्जित कीं। तंत्र चूडामणि, ज्ञानार्णव दाक्षायणी तंत्र, योगिनी हृदय तंत्र व शिव चरित्र सहित अनेक ग्रंथ यहां पर शक्तिपीठ होने की पूर्ण पुष्टि करते हैं। ग्रंथ इसे पीठों में सर्वोत्तम पीठ होने की संज्ञा देते हैं। तंत्र चूडामणि रामगिरौ स्‍तन्‍यां च  परिभाषित करता है तो देवी भागवत व मत्‍स्‍य पुराण में  चित्रकूटे च सीता विन्‍ध्‍ये  विंध्यवासिनी की पुष्टि‍ करता है । 

तांत्रिक लक्ष्मी  कवच तो सीधे तौर पर ष्सुखदा मोक्षदा देवी चित्रकूट निवासिनी। भयं हरते् सदा पायाद् भव बंधनात् विमुच्यधते।।  परिभाषित करता है।
वैसे चित्रकूट में शक्तिपीठ होने की कथा भी बहुत ही पौराणिक हैा श्रीमद् भागवत में उल्लखित है कि सतयुग के प्रारंभ में प्रजापति दक्ष ने कनखल के समीप सौनिक तीर्थ में ब्रहस्प‍ति सब नामक यज्ञ किया। इस यज्ञ में भगवान भोलेनाथ को छोडकर सभी देवताओं व ऋषियों को निमंत्रण दिया गया। माता सती ने सभी देवताओं के विमान कैलास से दूसरी दिशा की ओर जाते देख महादेव से इसका कारण पूंछा भगवान ने उन्हें उनके पिता द्वारा यज्ञ के आयोजन के बारे में बताया । माता ने वहां पर जाने का अनुरोध किया तो भोलेनाथ कहा कि बेटी का घर विवाह होने के पूर्व तक पिता का होता है। विवाह के पश्चाात उसका घर पति का होता है अतएव उनका वहां पर जाना उचित नहीं होगा। माता ने पिता के घर में अपने अधिकार होने की बात कह कर भोले नाथ से जाने की अनुमति प्राप्ति कर ली। भोले नाथ ने अपने गण वीरभद्र के साथ उन्हें  जाने की आज्ञा दी। वहां पर जाकर जब माता ने अपने पति का हवि भाग व बैठने का स्थान न पाया तो वह कोधाग्नि से भडक उठीं और अपने आपको हवनकुंड में जलाकर नष्टं करने का प्रयास किया। इसी दौरान वीरभद्र और भगवान भोलेनाथ ने पहुंचकर यज्ञ को नष्ट कर डाला। राजा दक्ष का सिर काटकर यज्ञ कुंड में डाल दिया। महादेव माता का जला हुआ मृत शरीर लेकर ब्रह़मांड में करूण विलाप करते हुए विचरण करने लगेा तभी देवताओं की मंत्रणा के बाद श्रीहरि विष्णुु ने अपने सुदर्शन चक्र को आदेश दिया कि वह माता के अंगों को काट दे ताकि महादेव के अंदर से मोह का निवारण हो सके और सृष्टि का क्रम चल सके । चक्र ने जैसे ही अंग काटे वह धरती पर गिरकर पाषाण में परिवर्तित हो गए । भूतल पर उन्हें महातीर्थ मुक्तिक्षेत्र व शक्तिपीठों की संज्ञा प्राप्त हुई । जहां पर कमर के उपर के अंग गिरे उन्हें दक्षिणमार्गी शक्ति पीठ व नीचे के अंग गिरने के स्थानों को वाममार्गी शक्तिपीठ कहा जाने लगा । यहां पर शक्ति भैरव व बीज मंत्रों का प्रादुर्भाव हुआ । तंत्र चूडामणि ज्ञानार्णव दाक्षायणी तंत्र योगिनी हृदय तंत्र एवं शिव चरित्र में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है । देवी भागवत मत्‍स्‍यपुराण में उप पीठों सहित 108 का वर्णन है। देवी गीता में 72 का और कालिका पुराण में 26 पीठों का वर्णन मिलता हैा 51 शक्तिपीठों में 9 पीठ पहले से ही पडोसी राष्ट्रों  में हैं । श्रीलंकाए पाकिस्तांनए तिब्‍बत में एक-एक नेपाल में दो व बांग्ला देश में चार शक्तिपीठ मौजूद हैं । आज के भारत में केवल 42 शक्तिपीठ की बताए जाते हैं ।   
वैसे इसके अलावा भी चित्रकूट की धरती पर और भी अलग तरह के शक्तिपीठ होने के तर्क दिए जाते हैं।
 कैवल्योनपनिषद में  सा सीता भवति मूल प्रकृति संज्ञिता। उत्पत्ति स्थिति संहार करणी सर्व देहि नाम।। शक्ति शक्तिमान श्रीसीता जी और श्रीरामजी ही जगत के स्रष्टाि नियामक एवं संहार करने में समर्थ बताए गए हैं। माता सीताजी को ही परा अपरा व चित्तं शक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है ।
चित्रकूट के प्रसिद्व संत राम सखेन्द्र  जी महराज की लिखी श्रीमन्न नृत्यराघव मिलन में इस बात का प्रमाण है कि  कामद जनक लली कर रूपा चित्रकूट रघुनाथ स्वमरूपा में पूर्ण रूप से मिलता है । प्रमोदवन के रहने वाले संत स्‍व0 श्री लखन शरण महराज ने  श्री जानकी धाम पदए बंदौं बारंबार। जाकी कृपा प्रताप तें मिल्यौ  संत दरबार।। वैसे रामाज्ञा प्रश्न में गोस्वामी तुलसीदास जी भी सीधे तौर पर चित्रकूट धाम को पीठ घोषित करते हैं।  पय पावनी वन भूमि भलि शैल सुहावन पीठ। रागिहिं सीठ विशेषि थलुए विषय विरागिहि मीठ।।
वह एक तर्क और देते है कि किसी भी रामतीर्थ में बलि का कोई प्रावधान नहीं है । लेकिन चित्रकूट में नारियल के रूप में बलि का प्रावधान किया गया है । श्रीकामदगिरि पर्वत में मौजूद कामतानाथ जी के चार द्वारों पर नारियल की बलि स्वीदकार की जाती है । बलि तो शाक्तन परंपरा के अनुसार प्रमुख प्रसाद है । यहां पीठ होने के कारण यहां पर ऐसा होता है । इसके साथ ही देवी के सामने माथा रगडने पर ही वह मनोकामनाओं को पूर्ण करती है । इसलिए यहां पर लोग अपना माथा रगड. रगड कर मनौतियां पूरी करने के लिए गुहार लगाते हैं । वैसे एक दृष्टां त और भी देखने योग्यर है । वृहद चित्रकूट महात्मन के अनुसार माता सीता ने भी यहां पर देवी की स्थापना की थी । दुर्गा भगवती माया सीताया स्था पिताेघ। तताश्रमं च तं विद्वि दुर्गा पर्वतमुत्मम् ।। इसका अर्थ है कि माता सीता ने दुर्गा पर्वत पर माता दुर्गा की स्‍थापना की थी और पूजा की थी ।
वही चित्रकूट वृहद महात्म में भी पीठानाम् परम पीठं पर्वतानां च पर्वतम्। धर्माभिलाष बुद्विनां धर्मराशिकरम्प रम् । अर्थानामार्थं दातारं परमार्थ प्रकाशकम् । कामिनां कामदातारं मुमुक्षूणां च मोक्षदम्। सवर्त्र श्रूयते तस्या महिमा द्विज सत्तमम्।।
 वैसे श्री कामदगिरि के कई नाम हैं। इसे रामगिरि व श्रीगिरि भी कहा जाता हैा अलग- अलग पुराणों में इसका उल्लेम अलग नामों से किया गया हैा वृहद चित्रकूट महात्मप में इसे रामगिरि या श्री गिरि ही उल्लखित किया गया है । श्री गिरि का तात्पर्य श्री हरि विष्णु‍ की पहली पत्नीै श्रीसीता जी से हैा उन्हें केवल श्री से भी संबोधित किया जाता है । वैसे शुक्ल यजुर्वेद में  श्रीश्चय ते लक्ष्मी पत्‍न्‍यौ  साफ तौर पर लिखा है।
ऋग्वेेद का पंचम आत्रेय मंडल के नाम से विख्यात हैा इसके मंत्रदृष्टा‍ अत्रि ऋषि हैं। जिसमे अति प्रसिद्व अत्रि सूत्रों सहित आर्चाप्राण ष् श्री सूत्र  तक समाहित हैं। यही श्रीसूत्र मां जानकी का यशोगान है । दूसरी ओर भ्रगुवंश के तपोनिष्ठ पुराण प्रवक्ता  मारकंडेय ऋषि ने तेरह अध्यायों में वॉछा कल्पैतरू दुर्गासप्तशती इन्हीं भगवती का यशोगान किया है । तीसरी ओर श्रीजी की उपासना सरभंग त्रषि ने बहुत ही मनोयोग से की थी। भुशुंडि रामायणकार कहते हैं सुतीक्षण वंदिता पूज्या  सरभंगाश्रमवासिनी । इसलिए चित्रकूट सीता शक्तिपीठ एवं श्री धाम होने के नाते सीता तीर्थ के नाम से सुविख्यात हो गया । अठारवीं शताब्दीे में रामघाट से उत्तर के इलाके को महंत चरणदास ने इसे सीतापुरष् नाम से प्रतिष्ठित किया जो आज भी लोगों द्वारा लिया जाता है । वैसे तुलसीदास जी के काल में श्रीकामदगिरि की तलहटी पर श्रीपुर नामक गांव का उल्लेख मिलता है ।
सीतोपनिषद में सीधे तौर पर चित्रकूट में दीपमालिका का पर्व मुख्य पर्व होने की मान्‍यता को पुष्ट कर देता है । अर्थवेदीय कौशिक सूत्र सहित वृहद चित्रकूट महात्म अमावस्या  व पूर्णमासी को यहां के पर्व घोषित करते हैं। 
वैसे एक अन्य प्रमाण के अनुसार श्री कामदगिरि परिक्रमा में ही साक्षी गोपाल मंदिर पर स्थापित नौ देवी की प्रतिमाओं को भी मां जानकी के द्वारा स्थापित बताया जाता है । वैसे दक्षिणमुखी यह प्रतिमा भी बहुत ही ज्यादा प्राचीन व पवित्र मानी जाती हैए इसी मंदिर के उत्तर मुख पर गोपाल जी मौजूद हैं । मान्यता के अनुसार गोपाल जी श्री कामदगिरि परिक्रमा करने वाले प्रत्येक व्यक्ति जो मंदिर के खंभों पर साक्ष्यर के रूप में उंगली से सीताराम लिखते हैं तो वह साक्ष्य‍ के रूप में दर्ज हो जाता हैा
इसके अलावा भी चित्रकूट परिक्षेत्र में शक्ति की उपासना के तमाम केंद्र हैं। हनुमान धारा रोड पर स्थित वन देवी के मंदिर के बारे में मान्यता है कि यह अयोध्या  राजवंश की कुलदेवी हैं। जबकि कुछ मत इन्हें  भी शक्तिपीठ मानते हैं वैसे यहां पर माता सीता के स्पष्ट रूप से चरण चिंह मौजूद हैं। इसी प्रकार अनुसुइया आश्रम व गुप्त गोदावरी भी देवी अर्चना के स्थान हैं। अनुसुइया आश्रम में चौसठ योगिनी की शिला अपने आपमें अतभुद है ।
वैसे जहां एक ओर भगवान राम पर आरोप लगाते हैं कि उन्होंने माता सीता की अग्नि परीक्षा ली और एक धोवी के कहने पर उन्हें वन में भेज दिया वहीं दूसरी ओर चित्रकूट ऐसा स्था न है जहां पर श्री राम ने माता सीता का पूजन भी किया है। इस बात का प्रमाण स्वयं संत तुलसीदासजी श्रीरामचरित मानस में देते हैं।  एक बार चुनि कुसुम सुहाएए मधुकर भूषण राम बनाए ।  सीतहिं पहिराए प्रभु सादर बैठे फटकि शिला पर सुंदर। यहां पर संत ने श्रीराम के द्वारा माता को आभूषण पहनाने का जिक्र सादर के रूप में किया है । सादर शब्दर का अतभुद प्रयोग अपने आपमें अनुपम है। व्य क्ति जब किसी की पूजा करता है तो उसे सादर रूप में ही कुछ वस्तु‍ अर्पित करता है। इसलिए उन्होंने जगतजननी मां सीता श्रंगार बहुत ही प्रेम पूर्वक श्रद्वा के साथ किया है । इसलिए चित्रकूट को काम की नहीं अपितु राम की भूमि कहते हैं । जिस स्था्न पर पत्नी को पति सादर रूप में आभूषण अर्पित करे तो वह पूज्यनीय है। 
वैसे अन्य  प्रमाणों के अनुसार यह भी सिद्व होता है कि वास्तव में कामदा नाम माता सीता का ही है।  दुर्गा संकट नाशन स्त्रोहत में कामाख्यां कामदा श्या्मां काम रूपां मनोरमाम का उल्लेख आया है । इसी तरह के अर्थ मुंडमाला तंत्र पदमपुराण के संकटा स्त्रोत्र देवी भागवत लक्ष्मी सहत्रनाम ब्रह़मपुराण के ललितोपाख्या न में  बगला सहत्रनाम सहित अन्य् ग्रंथों में मिलते हैं। अतएव हम यह भी मान सकते हैं कि कामदनाथ ही मां सीता का स्वरूप हैं ।
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पर्णकूुटी में भी स्‍थापित है मां दुर्गा की मूर्ति
द़ष्‍टांत है कि पर्णकुटी पर ही कोल भीलों द्वारा भगवान राम ने आकर पहली बार विश्राम किया थाा यहा पर भगवान राम व भरत की का मंदिर है, तथा दुसरा मंदिर केवल लक्ष्‍मण जी का हैा मंदिर के पुजारी का दावा है कि राम और भरत के साथ लक्ष्‍मण जी का मंदिर पूरे विश्‍व में केवल चित्रकूट में ही हैा यहां पर भी एक दुर्गा देवी की प्रतिमा स्‍थापित हैा

       

पाक साफ संतों की ‘नापाक‘ हरकत

श्री कामदगिरि की परिक्रमा का अतिक्रमण साफ करने का दावा करने वाले प्रशासन की बिरजाकुंड के पास प्राचीन बीहर पर कब्जा करने वाले को क्लीन चिट 

संदीप रिछारिया

सीएम योगीजी के आदेश व श्रद्वालुओं की बढ़ती संख्या को लेकर प्रशासन ने अब श्रीकामदगिरि परिक्रमा पथ पर बसी खोही बस्ती की जमीन को खाली कराकर चौड़ीकरण कराने के लिए पूरी तरह से कमर कस ली है। राजस्व व वन विभाग ने लगभग एक सैकड़ा लोगों को नोटिस देकर दस दिनों में जमीन खाली करने के आदेश दिए हैं। जिलाधिकारी की बैठक के बाद जहां एक
ओर जमीनों पर रह रहे लोग परेशान हैं, वहीं तमाम अतिक्रमण किए हुए स्थानों पर संत समाज द्वारा अतिक्रमण किए जाने को लेकर स्थानीय लोगों में तीखी नाराजगी भी है। वैसे पर्वत की तरफ अस्थायी व स्थायी निर्माण कर रहने वाले लोगों के भी दो मत हैं। पट्टों की जमीन पर भूमिधरी होने के बाद तमाम लोग अदालतों के आदेश लेकर मुआवजा की मांग कर रहे हैं तो बहुत से लोग इस कार्यवाही को गलत बता रहे हैं।
परिक्रमा मार्ग पर दुकान लगाकर गुजर बसर करने वाली अंशु, दादू, पप्पू जैसे तमाम दुकानदार कहते हैं कि हमारा अतिक्रमण तो सामने प्रशासन को दिखाई दे रहा है, पर संत समाज का अतिक्रमण नहीं दिखाई दे रहा है। बिरजा कुंड के पास निर्मोही अखाड़ा ने कब्जा कर पहले छोटी कुटिया बनाई और धीरे धीरे रामधुन बैठाकर मंहिदर का निर्माण किया। चाहद्दी बनाकर पर्यटन विभाग के दो शेडों को अपने सीमा के अंदर कर पूरी तरह से कब्जा कर लिया और राजाओं की बनाई पुरानी बेशकीमती चार मंजिला बीहर को पूरी तरह से गायब करने के लिए बाहर कमरे इत्यादि बना दिए। पट्टे की जमीन को भूमिधरी और फिर उस जमीन पर प्राचीन बनी बीहर का कब्जा प्रशासन को केवल इसलिए नहीं दिखाई दे रहा है क्योंकि वहां से जुड़े एक महंत प्रशासन के बहुत नजदीकी हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यह प्रशासन की दोगली नीति नही चल पाएगी। इसको लेकर आंदोलन किया जाएगा व कोर्ट की शरण ली जाएगी। जब प्रशासन कहता है कि हजार साल पुराना पट्टा भी अवैध है तो फिर इस पट्टे को क्यों नही खारिज किया जा रहा है। क्यों प्राचीन बीहर व पर्यटन विभाग द्वारा बनवाए गए शेडों को यात्रियों की सुविधा के लिए खोला जा रहा है।
 उप जिलाधिकारी कर्वी ने बताया कि प्राचीन बीहर होने जानकारी मिली है। इसकी पूरी जांच कराकर विधिक कार्यवाही की जाएगी। 

Tuesday, January 28, 2020

ब्रह्मपुरी,,,,,मानव जन्म का पहला स्थल चित्रकूट,,,,,भाग दो

पुराणों में स्वर्ग से भी ज्यादा सुंदर स्थान बताया गया है
संदीप रिछारिया
चित्रकूट के स्थानों में ब्रह्मपुरी का प्रधान स्थान है । सैकड़ों चित्रकूट वासी श्रद्धालु ब्रह्मपुरी की प्रतिदिन प्रदक्षिणा करते है । वृहद् रामायण तो यहाँ तक कहती है -
नार्यावर्त समादेशो न बह्म सदृशी पुरी ।
न राघव समोदेवः क्वापि ब्रह्माण्डगोलके ।।
अर्थात- इस ब्रह्माण्ड में न तो आर्यावर्त जैसा देश है, न ब्रह्मपुरी जैसी पुरी है, न श्री राम जैसा देवता ही है ।
स्वर्गलोकादधिकं रम्यं नास्ति ब्रह्माण्ड गोलोके
स्वर्गलोक से रम्य कोई भी स्थान नहीं होता पर यह ब्रह्मपुरी स्वर्ग से भी अधिक रम्य है । वर्णन है -
स्वर्गलोकाद्रमणीय च पुरी ब्रह्म प्रतिष्ठिता
अधिक क्या  जब प्रभु श्री राम ने पर्णशाला का निर्माण
इसी पुरी के मध्य किया तब उससे रमणीय होगा ही क्या...... 
निर्वाणी अखाड़े के महंत स्वामी सत्यप्रकाश दास जी स्पस्ट रूप से इस तथ्य को कहते है कि चित्रकूट में यज्ञ वेदी मन्दिर में स्थित ब्रह्मा जी द्वारा बनाया गया हवनकुंड सतयुग से लेकर आज भी जाग्रत अवस्था में है। यहाँ पर आकर दर्शन करने वालो के पापो का नाश होता है व सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

Monday, January 27, 2020

चित्रकूट में मौजूद है सृष्टि के आरंभ का स्‍थान ब्रह़मपुरी -- भाग एक

आइये हम आपको परिचित कराते हैं आपके डीएनए से 

- चित्रकूट में बना था मानव का पहला डीएनए
- सप्तऋषियों के साथ वेद, पुराण, निगम, आगम व देवी सरस्वती को उत्पन्न किया था प्रजापति ब्रहमा जी ने

- मनु व सतरूपा थे पहले पुरूष व स्त्री 

संदीप रिछारिया 
डीएनए यानि डी-आक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल, यह अब ऐसा शब्द है जिससे लगभग सभी लोग परिचित हो चुके हैं। वास्तव में यह हमारे उन गुणसूत्रों का पता देता है कि हमारी जड़े कहां से जुड़ी हैं और हमारी मूल आदतें क्या हैं। आधुनिक विज्ञान की यह खोज 1953 में अंग्रेजी वैज्ञानिक जेम्स वाॅटसन और फ्रान्सिस क्रिक ने की। लेकिन हम आपको यह बताते हैं कि आपकी जड़े मूलरूप कैसे और कहां से जुड़ी हैं। कहां है आपकी पितृधरती और कौन है आपके गुणसूत्रों के प्रथम संवाहक। अगर आप हिंदू धर्म को मानने वाले हैं तो आपको थोड़ा सजगता के साथ याद करना होगा। किसी भी पूजा या अनुष्ठान में संकल्प करते समय जब पुरोहित आपसे आपका नाम लेने के लिए बोलते हैं तो साथ में गोत्र का उच्चारण करने के लिए भी आदेश देते हैं। वास्तव में यह गोत्र रूपी शब्द ही आपके डीएनए का पहला श्रोत है। गोत्र का मतलब आप सप्त में से किसी एक उस ऋषि के वंशज हैं, जिन्हें प्रजापिता ने धरती पर अवतरित किया था।
अब सवाल उठता है कि परमपिता ने उन्हें कहां और किसी प्रकार उत्पन्न किया था। इसका जवाब यह है कि त्रिदेवों (ब्रहमा, विष्णु व महेश ) द्वारा पूजित यह धरती सृष्टि आरंभ के पूर्व से ही अपने आपमें अनोखी रही है। त्रिदेवों ने मंत्रणा कर जब सृष्टि के आरंभ के लिए योजना बनाई तो निर्णय लिया गया कि इसकी शुरूआत चित्रकूट की पावन धरती से ही होगी। क्योंकि आने वाले समय में यही एक मात्र ऐसी धरती होगी, जहां पर स्वयं महादेव के राज में ब्रहमा व विष्णु की पूजा होगी। ब्रहमाजी ने योेजना के अनुसार श्री हरि विष्णु के चरण कमलों से विश्व की पहली नदी पयस्वनी ( दूध के समान ) को प्रकट किया और स्वयं रामार्चा रूपी यज्ञ में लग गए। समयानांतर के बाद मन से मारीच, नेत्रों से अत्रि, मुख से अंगिरा, कान से पुलस्त, नाभि से तुलह, हाथ से कृतु, त्वचा से भ्रगु, प्राण से वशिष्ठ, अंगूठे से दक्ष तथा गोद से नारद उत्पन्न हुए। इसी प्रकार दाएं स्तन से धर्म, पीठ से अधर्म, हृदय से काम, दोनों भौहों के बीच से क्रोध, मुख से सरस्वती, नीचे के होठ से लोभ, लिंग से समुद्र, छाया से कर्दम ऋषि, प्रकट हुए। उनके पूर्व मुख से ऋग्वेद, दक्षिण से यजुर्वेद, पश्चिम से सामवेद और उत्तर मुख से अथर्ववेद की ऋचाएं निकलीं। इसके बाद उन्होंने आयुर्वेद, धनुर्वेद, गन्धर्ववेद तथा स्थापत्व आदि उप वेदों की रचना की। उन्होंने अपने मुख से इतिहास पुराण उत्पन्न किया और फिर योग विद्या, दान, तप, सत्य, धर्म की रचना की। उनके हृदय से ओंकार,अन्य अंगों से वर्ण,स्वर, छंद आदि क्रीडा के सात स्वर निकले। इसके बाद ब्रहमा जी को लगा कि सृष्टि में वृद्वि नहीं हो रही है तो उन्होंने अपने शरीर को दो भागों में विभक्त कर दिया। जिसका नाम का औैर या हुए। का से पुरूष व या से स्त्री की उत्पत्ति हुई। पुरूष का नाम मनु व स्त्री का नाम सतरूपा रखा गया। 
आज के परिवेश में चित्रकूट में ब्रहमा जी का वह मंदिर यज्ञवेदी के रूप् में रामघाट के उपर विद्यमान है। यहां पर उनका बनाया हवन कुंड भी है। चित्रकूट के अलावा ब्रहमा जी की पूजा पुष्कर में होती है। इसके पीछे भी तमाम अंर्तकथाएं हैं। कोई अंर्तकथा शिव जी के श्राप को बताती है तो कोई अंर्तकथा विष्णु के श्राप को। लेकिन सार्वभौमिक सत्य यह है कि हर एक व्यक्ति का पहला डीएनए चित्रकूट की धरती पर आज भी विद्यमान है।
कैसे खोजें अपना डीएनए 
डीएनए को पता लगाने के संदर्भ में आचार्य नवलेश दीक्षित जी आसान सा जवाब देते हैं। लगभग हर हिंदू जब पूजा पाठ में बैठता है तो उससे पुरोहित नाम व गोत्र का उच्चारण करने को बोलते हैं। गोत्र ही उनके डीएनए का मुख्य बिंदु है। आपको अपने डीएनए की सत्यता पता लगानी है तो अपने गोत्र के ऋषि व उनके वंशजों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी करें, उनके आदतों व लक्षणों को देखकर आप अपने आप ही सत्य से भिज्ञ हो जाएंगे। 

Sunday, January 26, 2020

प्लान, बैठक और निर्देशों में सिमट रहा चित्रकूट का विकास

 फिर जिलाधिकारी ने दिए तीन दिन में अतिक्रमण हटाने के निर्देश 
- पहली बार 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने परिक्रमा पथ का अतिक्रमण हटाने के दिए थे निर्देश 
- दिन भर दो पहिया व चार पहिया वाहनों के परिक्रमा पथ पर दौड़ने से श्रद्वालुओं को होती है परेशानी 
संदीप रिछारिया
 भविष्य के विकसित पर्यटन क्षेत्र के विकास का ताना बाना अब तेजी से बुना जा रहा है। प्रधानमंत्री का कार्यक्रम बार-बार चित्रकूट आने का बनता और कैंसिल हो रहा है। भाजपा के मंत्रियों और नेताओं के मुंह से लगातार मोदी और योगी की यह तारीफ निकल रही है कि चित्रकूट का उन्हें ध्यान है, इसका विकास सर्वोपरि है। पिछले तीन सालों से डिफकेंस काम्रीडोर व एक्सप्रेस वे का हल्ला है। भारत माला प्रोजेक्ट, रामवन पथ गमन का भी शोर बहुत किया गया, पर अभी तक किसी भी प्रोजेक्ट का प्रारंभ जमीन पर नही हो सका। अलबत्ता अधिकारियों व नेताओं के मुंह से जमीन खरीदने की बात जरूर सुनी और सुनाई जाती है।
चित्रकूट के वास्तविकता में विकास की बात की जाए तो यह काम सबसे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने किया था। पांच दिवसीय चित्रकूट प्रवास के पहले ही उन्होंने तमाम ऐसेे काम 2005 में करवा दिए थे जिसकी कल्पना भी उस समय करना बेमानी थी। इसके बाद विकास के तमाम सोपानों को आगे बढाने का काम उनके पुत्र अखिलेश यादव ने किया। वर्तमान परिक्रमा पथ का स्वरूप मुलायम सिंह यादव का है, जबकि रोप वे व शिवरामपुर, बेडीपुलिया व भरतकूप से आने वाली सुन्दर फोन लेन सड़कें बनाने काम अखिलेश यादव ने किया था। यह बात दीगर है कि अब उन्हीं कामों को योगी जी अपना बताकर वाहवाही लूट रहे हैं।
वैसे चित्रकूट को और ज्यादा मनोरम बनाने का दावा मुख्यमंत्री जी का है, वे लगातार प्रयास कर भी रहे हैं। लखनउ के अधिकारी भी लगातार बैठकें कर निर्देश देकर अपने नंबर बढवाने का काम कर भी देते हैं, स्थानीय स्तर पर भी अधिकारियों ने यही काम करने का इरादा कर रखा है। लगातार बैठक, निर्देश का क्रम चल रहा है, पर कहीं पर भी वास्तविकता में काम होता नही दिखाई दे रहा है। यही हाल पुलिस व्यवस्था का है। अमावस्या पर दुकानदारों को हडकाने के अलावा पुलिस के पास कोई काम नही है। दिन ीार परिक्रमा पथ पर चार पहिया वदो पहिया वाहन दौड़ते रहते हैं। लोगों व बंदरों को घायल करते रहते हैं। रविवार की सुबह रानीपुर भटट में मिनरल वाटर सप्लाई करने वाली एक गाड़ी ने बरहा के हनुमान जी के समीप परिक्रमा पथ पर एक अंधे साधू व चार महिलाओं को घायल करने का काम किया। इस दौरान जब भागकर वहा पर प्रधानपति अरूण त्रिपाठी पहुंचे और उन्होंने उससे कहा कि आप परिक्रमा पथ के अंदर अपनी चार पहिया गाड़ी लेकर कैसे आए तो उन्होंने एक पूर्व सांसद का नाम लेकर धौस दिखाने का प्रयास किया। काफी देर की बतरसी के बाद जब पूर्व सांसद को फोन लगाया गया तो उन्होंने उसको पहचानने से इंकार कर दिया।
परिक्रमा पथ के अतिक्रमण को हटाने के नाम पर कई बार नोटिस जारी की गई। अस्थायी नोटिस जारी करने के नाम पर परिक्रमा पथ पर ब्रेंचों में छोटा मोटा सामान रखकर बेंचने वालों को पुलिस व राजस्व कर्मियों की प्रताडना का शिकार लगातार होना पड़ रहा है। परिक्रमा पथ के किनारे लगातार अवैध रूप से पक्के निर्माण हो रहे हैं उन पर किसी का भी ध्यान नही जाता। जलेबी वाली गली हो या फिर खोही के अंदर की रोड पक्के निर्माणों से रास्ता संकरा होता जा रहा है। सफाई की व्यवस्था भी लचर है। सूरज उगने के बाद ही सफाई कर्मी काम पर आतेे और साफ करते हैं।
अधिकारियों से बात करने पर निर्देश देने की बात सामने आती है। हैरत की बात यह है कि राज्य मंत्री लोक निर्माण विभाग चित्रकूट होने पर प्रतिदिन परिक्रमा लगाते हैं और तमाम ऐसी समस्याएं उन्हें दिखाई नही देती। इसको लेकर स्थानीय जनसमुदाय का रूख उनके प्रति अच्छा नही है। संत त्यागी जी महराज कहते हैं कि परिक्रमा पथ पर वाहन किसी भी हालत में चलने नही देना चाहिए। यहां पर बाजारीवाद बहुत बढ़ गया है। चार पहिया व दो पहिया से परिक्रमा लगाने के लिए अलग से पथ का निर्माण कराना चाहिए। पुलिस को चाहिए कि हर 100 मीटर में एक जवान की डयूटी लगाए और वह जवान दो पहिया व चार पहिया वाहन चालकों का चालान करने के साथ ही वाहनों को जब्त करने का भी काम करे। इस नियम का कड़ाई से पालन करने पर ही परिेक्रमा पथ पर वाहनों का प्रवेश बंद हो पाएगा।





Thursday, January 23, 2020

चमत्कार: बिना पार्किंग के खड़ी होती है हजारों गाड़ियां







विश्व प्रसिद्व धार्मिकस्थल चित्रकूट का तेजी से गौरव बढ़ाने का काम अब सरकार कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा घोषित व बिड कराई गई फोर लेन सड़कें लगभग तैयार हो चुकी हैं। हैरत की बात यह है कि चित्रकूट महायोजना 2020 में जहां बेडीपुलिया से लेकर सीतापुर पर्यटक तिराहे तक के क्षेत्र को होटलों व लाॅजों के लिए घोषित किया गया था, वहीं होटल व लाॅजों के चलाने के लिए कुछ नियमन भी तय किए गए थे। इनमें सबसे प्रमुख नियम पार्किंग का था। 


 लेकिन सदियों से चित्रकूट में आने वाले यात्रियों के वाहन खड़े करने के लिए प्रशासन ने कभी भी वाहन पार्किंग स्टैंड के लिए विचार नही किया। पिछले दस सालों में चित्रकूट में होटलों व लाॅजों की संख्या में तो तेजी से वृद्वि हुई है, पर किसी भी होटल या लाॅज वाले ने पार्किंग का निर्माण सही रूप में नही करवाया है। चित्रकूट में प्रतिदिन आने वाले सैकड़ों चार पहिया व छह पहिया वाहन सडक के किनारे और सड़कों पर ही पार्क होते दिखाई देते हैं। हैरत की बात यह है कि 6 मई 1997 को चित्रकूट के जिला बनने के बाद अभी तक दर्जनों जिलाधिकारी आकर चले गए और किसी ने भी उप्र क्षेत्र में पार्किंग के विषय में नही सोचा और न ही प्रस्ताव किया। 
गौरतलब है कि साल की 12 अमावस्या में लगभग 10 अमावस्या भारी भीड वाली होती है। जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्वालु आते हैं और हजारों की संख्या में वाहन, इन वाहनों को मठ मंदिर या होटल लाॅजों के बाहर खडा होता आराम से देखा जा सकता है। वैसे अब तो रामायण मेला परिसर के पास व अन्य स्थानों पर यात्रियों के द्वारा की जाने वाली अराजकता को आराम से देखा जा सकता है, ज बवह बीच सडक पर ही कब्जा कर खाना इत्यादि बनाना प्रारंभ कर देते हैं। प्रशासन मेला के समय एक दो दिन के लिए लोगों के खेतों पर अस्थायी तौर पर स्टैंडों का निर्माण करा देता है, लेकिन यह व्यवस्था लगातार होनी चाहिए। सूत्रों बताते हैं कि चित्रकूट में अभी तक तमाम जमीनें ग्राम समाज व सरकारी पड़ी हैं, जिन पर अवैध कब्जे हैं। लेकिन भूमाफियाओं के चलते उन पर कभी भी किसी निर्माण के लिए प्रशासनिक अधिकारी तैयार नही हुए।

कानपुर से आए अनुज दीक्षित, राजू सराफ आदि लोगों ने कहा कि होटलों में रूकने के बाद भी पार्किंग की व्यवस्था न होना अत्यंत दुखदायी है। कामदगिरि मुख्य द्वार पर तो मध्य प्रदेश की नगर पंचायत के लोग सड़क पर वाहन खडा कराकर पार्किंग शुल्क वसूल लेते हैं। ऐसा नही होना चाहिए। लोगों ने कहा कि मप्र में कामतानाथ, अनुसुइया, गुप्त गोदावरी, स्फटिक शिला में हर जगह अलग -अलग पार्किंग का पैसा लिया जा रहा है। यह भी गलत है। लोगों ने चित्रकूट जैसे अलौकिक आभा वाले धार्मिक पर्यटन क्षेत्र को दो प्रदेशों में बंटा होना भी गलत बताया। कहा कि इसे मुक्त क्षेत्र घोषित होना चाहिए। 

Sunday, January 19, 2020

राहू के प्रकोप से ग्रसित है धर्मनगरी की कुंडली

 ! 

- प्रधानमंत्री बनने के बाद एक बार भी मोदी नहीं आए चित्रकूट
- पिछले साल दो बार कैंसिल हो चुके हैं केंद्रीय मंत्रियों के कार्यक्रम 

संदीप रिछारिया 

गौरतलब है कि पिछली एनडीए सरकार में चित्रकूट को विकसित बनाने के लिए रक्षा कोॅरीडोर व बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे की सौगात दी गई थी। घोषणा की गई थी कि यहां पर गोली से लेकर गोला तक का निर्माण करने के लिए रक्षा की इकाइयां लगेगीं। पहाडी के पास 3000 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण भी कर लिया गया। इसी प्रकार बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे को चित्रकूट जनपद के भरतकूप से प्रारंभ होकर बांदा, महोबा, हमीरपुर, उरई होते हुए औरैया जनपद में लखनउ- दिल्ली एक्सप्रेस वे से मिलना था। इसके लिए भी जमीन का अधिग्रहण होने के बाद 4 कंपनियों को बिड भी हो चुकी है।
वैसे तो प्रधानमंत्री का कार्यक्रम चित्रकूट की धरती पर आने का पिछले लगभग एक साल से बन रहा है, लेकिन शायद यह धर्मनगरी का दुर्भाग्य है कि उनका आना यहां पर अभी तक नहीं हो पाया है।
                                                                                                                                                                   
जगदगुरू रामभद्राचार्य जी महराज के उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास जी महराज कहते हैं कि चित्रकूट की कुंडली में कोई दोष नही है। तिथि, वार, लग्‍न और नक्षत्र जब तक पूर्ण रूप से ि‍किसी के साथ नही होते, तब तक कोई मंगल कार्य नही होता।
जब तक किसी व्यक्ति का भाग्य का उदय नही होता, तब तक चित्रकूट उसे नही बुलाता। जब तिथि, वार, ग्रह, नक्षत्र आदि सब अनुकूल होंगे तो प्रधानमंत्री जी हों या फिर अन्य विशेष महानुभाव चित्रकूट अवश्य आएंगे।

श्री कामदगिरि प्रमुख द्वार के संत मदनदास महराज कहते हैं कि  वैसे तो चित्रकूट का दोहा है कि जेहि पर विपदा
 परत है, सो आवत यहि देश। लेकिन देश काल रीति के हिसाब से दोहों का अर्थ बदल जाता है। हम दूसरे मायने में यहभी कह सकते हैं कि चित्रकूट और मोदी जी के ग्रह आपस में नही मिल पा रहे हैं, जिससे उनका आना यहां पर हो सके। हमारी इच्छा है कि जल्द ही उनके चित्रकूट आने का संयोग बनेगा और यहां का विकास तेजी से होगा। हम तो यही आशा कर सकते हैं कि वह यहां पर जल्‍द आएं और धर्मनगरी के विकास की इबारत बडे स्‍तर पर लिखने की शुरूआत हो। हमारी मंगलकामना है ि‍कि जल्‍द ही इस तरह का सुयोग हो और श्री मोदी जी यहां पर पधारें।
 
जिलाधिकारी शेषमणि पांडेय कहते हैं कि ये तो संयोग है। वह देश के सर्वोच्च पद पर बैठे राजनेता है । कार्यक्रम की मौखिक सूचना आई थी। हमने तैयारियां भी की थीं। इसके लिए भरतकूप क्षेत्र में तैयारियां भी कर ली गईं थी। लेकिन औपचारिक सूचना नही आने पर तैयारियां को रोक दिया गया। जब भी उनका कार्यक्रम बनेगा, फिर से सूचना आएगी और उनके स्‍वागत के लिए पूरा प्रबंध किया जाएगा।

Tuesday, November 14, 2017

शास्‍त्र ही नहीं शस्‍त्र की धनी भी है यह धरती,, हनुमानधारा में शहीद हुए थे हजारों संत

आदिकाल से धर्म की ध्वजा को विश्व में फैलाने वाला 'चित्रकूट' खुद में अबूझ पहेली है। तप और वैराग्य के साथ स्वतंत्रता की चाह में अपने प्राण का न्योछावर करने वालों के लिये यह आदर्श भूमि सिद्ध होती है। राम-राम की माला जपने वाले साधुओं ने वैराग्य की राह में रहते हुये मातृभूमि का कर्ज चुकाने के लिये अंग्रेजों की सेना के साथ दो-दो हाथ कर लड़ते-लड़ते मरना पसंद किया। लगभग तीन हजार साधुओं के रक्त के कण आज भी हनुमान धारा के पहाड़ में उस रक्तरंजित क्रांति की गवाह हैं।
बात 1857 की है। पूरे देश में अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल बज चुका था। यहां पर तो क्रांति की ज्वाला की पहली लपट 57 के 13 साल पहले 6 जून को मऊ कस्बे में छह अंग्रेज अफसरों के खून से आहुति ले चुकी थी।
एक अप्रैल 1858 को मप्र के रीवा जिले की मनकेहरी रियासत के जागीरदार ठाकुर रणमत सिंह ने लगभग तीन सौ साथियों को लेकर नागौद में अंग्रेजों की छावनी में आक्रमण कर दिया। मेजर केलिस को मारने के साथ वहां पर कब्जा जमा लिया। इसके बाद 23 मई को सीधे अंग्रेजों की तत्कालीन बड़ी छावनी नौगांव का रुख किया। पर मेजर कर्क की तगड़ी व्यूह रचना के कारण यहां पर वे सफल न हो सके। रानी लक्ष्मीबाई की सहायता को झांसी जाना चाहते थे पर उन्हें चित्रकूट का रुख करना पड़ा। यहां पर पिंडरा के जागीरदार ठाकुर दलगंजन सिंह ने भी अपनी 1500 सिपाहियों की सेना को लेकर 11 जून को 1958 को दो अंग्रेज अधिकारियों की हत्या कर उनका सामान लूटकर चित्रकूट का रुख किया। यहां के हनुमान धारा के पहाड़ पर उन्होंने डेरा डाल रखा था, जहां उनकी सहायता साधु-संत कर रहे थे। लगभग तीन सौ से ज्यादा साधु क्रांतिकारियों के साथ अगली रणनीति पर काम कर रहे थे। तभी नौगांव से वापसी करती ठाकुर रणमत सिंह भी अपनी सेना लेकर आ गये। इसी समय पन्ना और अजयगढ़ के नरेशों ने अंग्रेजों की फौज के साथ हनुमान धारा पर आक्रमण कर दिया। तत्कालीन रियासतदारों ने भी अंग्रेजों की मदद की। सैकड़ों साधुओं ने क्रांतिकारियों के साथ अंग्रेजों से लोहा लिया। तीन दिनों तक चले इस युद्ध में क्रांतिकारियोंको मुंह की खानी पड़ी। ठाकुर दलगंजन सिंह यहां पर वीरगति को प्राप्त हुये जबकि ठाकुर रणमत सिंह गंभीर रूप से घायल हो गये। करीब तीन सौ साधुओं के साथ क्रांतिकारियों के खून से हनुमानधारा का पहाड़ लाल हो गया।
महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग के अधिष्ठाता डा. कमलेश थापक कहते हैं कि वास्तव में चित्रकूट में हुई क्रांति असफल क्रांति थी। यहां पर तीन सौ से ज्यादा साधु शहीद हो गये थे। साक्ष्यों में जहां ठाकुर रणमत ंिसह के साथ ही ठाकुर दलगंजन सिंह के अलावा वीर सिंह, राम प्रताप सिंह, श्याम शाह, भवानी सिंह, सहामत खां, लाला लोचन सिंह, भोला बारी, कामता लोहार, तालिब बेग आदि के नामों को उल्लेख मिलता है वहीं साधुओं की मूल पहचान उनके निवास स्थान के नाम से अलग हो जाने के कारण मिलती नहीं है। उन्होंने कहा कि वैसे इस घटना का पूरा जिक्र आनंद पुस्तक भवन कोठी से विक्रमी संवत 1914 में राम प्यारे अग्निहोत्री द्वारा लिखी गई पुस्तक 'ठाकुर रणमत सिंह' में मिलता है।
भाइयो यह पुरानी स्‍टोरी है जो मैं आप सभी की विशेष जानकारी के लिए पोस्‍ट कर रहा हूं। आगे भी इस तरह की पुरानी स्‍टोरियां आप सभी को मिलती रहेंगी।

Thursday, April 4, 2013

राम नामी के दौरान गांव में आया विद्युत ट्रांसफार्मर

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : भरुआ सुमेरपुर ब्लाक के कैथी गांव में सोमवार का दिन खुशियों भरा रहा। गांव में पूर्व में बिजली के तार दौड़ने के बाद इस दिन ट्रांसफार्मर भी पहुंच गया। वहीं गांव के प्राचीन शिव मंदिर में लगातार 56वें दिन भी श्री राम नाम संकीर्तन जारी रहा।

हालांकि प्रधान पति वासुदेव निषाद ने यहां लाये गये ट्रांसफार्मर को खंभों पर रखवाने का पहले जूनियर इंजीनियर से विरोध किया और कहा कि गांव में एक ट्रांसफार्मर से काम नहीं चलेगा, यहां दो ट्रांसफार्मरों की जरूरत है। जूनियर इंजीनियर के बताने पर एक्सईएन ने मामला अपर जिलाधिकारी को बताया। एडीएम ने प्रधानपति से बात कर कहा कि गांव में कनेक्शनों की संख्या के हिसाब से ट्रांसफार्मर दिया जा रहा है। ट्रांसफार्मर रखने के बाद गांव में कैंप लगाकर बिजली का कनेक्शन चाहने वालों की संख्या जांचने के बाद जितने ट्रांसफार्मर की आवश्यकता होगी लगवा दिए जाएंगे। इधर, श्री राम नाम संकीर्तन में गडरिया गांव के शिव राज सिंह अपने दल-बल के साथ पहुंचे और उन्होंने लगभग तीन घंटों तक संकीर्तन में भाग लिया।

अन्य गांवों के लोग बढ़ा रहे उत्साह

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : भले ही क्षेत्रीय जन समस्याओं को लेकर राम नामी आंदोलन चला रहे कैथी वासियों की राम जप पर कोई खास काम नहीं हुआ और सत्ता में बैठे लोगों पर भी इसका असर नहीं पड़ रहा, पर लोगों के उत्साह में कमी नहीं दिख रही। उनकी आवाज़ों के दम से आसपास के गांवों से भारी संख्या में लोग प्रतिदिन उत्साह बढ़ाने पहुंच रहे हैं।

भरुआ सुमेरपुर क्षेत्र के कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में रविवार को लगातार 55वें दिन राम धुन जारी रही। इस दिन गडरिया और गढ़ा गांवों से कई लोगों ने पहुंचकर न केवल रामधुन कर रहे लोगों का उत्साह बढ़ाया बल्कि खुद भी पांच से छह घंटे श्री राम नाम संकीर्तन महायज्ञ में अपनी आहुतियां डालीं। गांव के बुजुर्ग उम्मेद सिंह कहते हैं कि बाहर से आए लोगों का उत्साह देखकर आंखे छलक जाती हैं। बाहर से आने वाला हर व्यक्ति भोला के घर भी जाकर सांत्वना देता है। इससे भोला का परिवार गर्व से भर उठता है और यह हमारे गांव के लिए भी गौरव की बात है। सभी समुदायों के लोग दिन और रात में रामधुन में अपना सहयोग दर्ज करा रहे हैं।

राम धुन से विस्तारित हो रही है आंतरिक चेतना

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : न दंगा न फसाद और न ही मरने की धमकी, हम तो जिसके वंशज हैं उसके सामने अपनी समस्याओं का रोना रोते हैं। कुछ इस तरह के अंदाज लिए पिछले तिरपन दिनों से भगवान शिव के पुराने मंदिर पर उनके आराध्य देव विष्णु अवतार भगवान राम का नाम सुनाते समस्याओं के निदान की गुहार लगाने के साथ ही मुख्यमंत्री के गांव में दर्शन करने की आस से बैठे कैथी के ग्रामीण अब इस बात से बेपरवाह हैं कि कल क्या होगा बस वह तो इसी में मगन हैं कि कैथी एक ऐसा गांव बन चुका है जहां पर अब बिना निमंत्रण दिए लोग आ रह हैं और गांव में बैठकर राम राम कर रहे हैं।

भरुआ सुमेरपुर क्षेत्र के गांव कैथी के प्राचीन शिव मंदिर में राम धुन शुक्रवार को लगातार 53वें दिन भी जारी रही। इस दिन शाम को 4 बजे गांव में किसवाही गांव के पूर्व प्रधान प्रकाश सिंह अपने साथियों के साथ पहुंचे। लगभग दो घंटो तक राम धुन में भाग लेने के बाद कहा कि वास्तव में यह अनोखे किस्म का आंदोलन है। इस तरह के आंदोलन तो हर एक गांव में होने चाहिए। इस तरह से आंदोलन से न केवल आंतरिक चेतना विस्तारित होती है बल्कि प्रभु का नाम लेने से वातावरण भी शुद्ध होता है। गांव के उम्मेद सिंह, अरिमर्दन सिंह, विकास शिवहरे, सुदामा सिंह, महेन्द्र सिंह, बालेन्द्र सिंह आदि ने बताया कि प्रतिदिन दूसरे गांवों से लोग आते हैं व रामधुन में भाग लेते हैं। वह अपनी तरफ से रामधुन में सहयोग करने के लिए पेशकश भी करते हैं। तो उनसे कहा जाता है कि गांव की समस्त जातियों ने रात की जिम्मेदारी ले रखी है। वह जब भी चाहें आएं और राम नाम जप महायज्ञ में अपना सहभाग दर्ज करा सकते हैं।

भोला की तेरहवीं आज, दिन भर हुई तैयारी

हर आंख में आंसू हैं, पर काम करने में तेजी। कुछ ऐसा नजारा भोला के घर के आसपास दिखाई दिया। रामधुन करने वाले प्रत्येक व्यक्ति ने भोला के परिवार की गरीबी को देखते हुए न केवल आर्थिक मदद दी बल्कि अनाज व अन्य समान भी उपलब्ध कराया। भोला की तेरहवीं शनिवार को होगी।

बहरी सरकार को सुनाने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है राम धुन'

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : 'अगर देश में कैथी जैसे सभी गांव हो जाएं तो फिर देश को सम्पन्नता के शिखर के साथ ही विश्व की सबसे बड़ी महाशक्ति बनने से कोई रोक नहीं सकता।' यह बातें भाजपा किसान मोर्चो के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश सिंह ने गुरुवार को भरुआ सुमेरपुर ब्लाक के कैथी गांव में श्री राम नाम संकीर्तन महायज्ञ अपना सहभाग दर्ज कराने के बाद कही।

गांव के प्राचीन शिव मंदिर में बृहस्पतिवार को लगातार 52वें दिन भी हर्ष व उल्लास के साथ राम धुन जारी रही। यहां लगभग दो घंटे राम धुन करने के बाद भाजपा नेता राजेश सिंह ने कहा कि बहरी सरकार को अपनी समस्याएं सुनाने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम राम धुन कैथी के ग्रामीणों ने चुना है। आज के दौरान में जब छोटी छोटी बातों पर लोग सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं, वहीं इस गांव के लोगों ने भगवान के नाम के सहारे सरकार के मुखिया को संवेदित करने के लिए अचूक मंत्र राम का नाम इस्तेमाल किया है। इसलिए इस गांव के लोग वंदनीय हैं। आज के दौरान में भले ही लोग राम नाम के जप की महिमा को भली भांति न समझते हों पर इतना साफ है कि आने वाले दिनों में दुनिया इसका प्रभाव कैथी के माध्यम से देखेगी। सोया हुआ प्रशासन और शासन एक बार जाएगा और फिर कैथी में चमन बरसेगा।

राम धुन करने के पश्चात वे श्री राम नाम महायज्ञ के योद्धा भोला के घर भी गए। परिजनों से मिलकर उनका दुख बटाने का प्रयास किया और फिर आर्थिक मदद भी दी। उन्होंने कहा कि जल्द ही पूर्व मुख्यमंत्री और चरखारी से विधायक साध्वी उमा भारती का दौरा महोबा जिले में होने वाला है। वह प्रयास करेंगे कि दीदी यहां पर भी आकर रामधुन में भाग लें। गांव के उम्मेद सिंह, विकास शिवहरे, रानी यादव, प्रधानपति वासुदेव निषाद आदि ने कहा कि इस तरह से गांव में जननेताओं का आना उनके उत्साह की वृद्धि करता है। मुख्यमंत्री कब आएंगे यह तो तय नही हैं पर इतना साफ है कि एक न एक दिन उन्हें गांव आकर राम धुन में भाग लेना ही पड़ेगा। रामधुन करते हुए शहीद हो गए भोला की कल तेरहवीं हैं और उसकी याद को अनेकों वर्षो तक संजोने के लिए भी प्लान बनाया जा रहा है। जल्द ही इसकी घोषणा की जाएगी।

अफसरों को न झकझोर पाये, न राम नाम न भोला के प्राण

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : कैथी गांव में भोला की मौत भी कमोवेश किसी को झकझोर नहीं सकी है। राम नाम से गांव में भले ही सद्भावना जागी हो, लेकिन वीआईपी व नौकरशाहों को शायद कोई फर्क नहीं पड़ा। भोला की मौत के प्रकरण की जांच करने तो कोई अब तक कैथी गांव पहुंचा नहीं, गुरुवार को मुख्यालय आयी भोला की विकलांग पत्नी का विकलांग प्रमाण पत्र बनाने में भी सीएमओ ने कायदे-कानून गिना दिये। उन्हें यह भी नहीं लगा कि उसे दुबारा आने में कितनी तकलीफ होगी।

भरुआ सुमेरपुर के कैथी गांव में राम धुन करते भोला की हालत बिगड़ने के बाद मौत हो गई। उसे दु:ख था कि अभी तक मुख्यमंत्री गांव नहीं आए। गुरुवार को भोला की विकलांग पत्नी मुन्नी देवी को लेकर उनका देवर लालमन मुख्यालय आया। जैसे ही जिलाधिकारी को देखा दौड़ पड़ा, पूरी स्थिति बताई। जिलाधिकारी ने महिला की हालत देखकर उसे तुरंत मुख्य चिकित्साधिकारी के पास विकलांग प्रमाण पत्र बनाने के लिए भेजा। पर वहां उसे घोर निराशा हुई, जब साहब ने साहबी दिखा दी और कहा कि अभी कोई डॉक्टर नही चार दिन बाद आना और फिर जांच कर प्रणाम पत्र बनाया जाएगा।

चलने-फिरने से लाचार मुन्नी को फिर से चंद्रावल नदी पार कर लगभग 50 किलोमीटर जिला मुख्यालय अपना विकलांग सर्टीफिकेट बनवाने आना पड़ेगा। मुन्नी देवी का सहयोग कर रहे कांग्रेसी नेता युगराज सिंह ने कहा कि जिलाधिकारी ने तो मिलते ही उसकी हालत देखकर सीएमओ के पास भेज दिया। लेकिन उन्होंने टरकाने वाले अंदाज में बात कर पीड़ित को वापस कर दिया। उधर, 'दैनिक जागरण' कार्यालय में आकर भोला दर्जी के भाई लालमन ने बताया कि सोमवार को उसके भाई की मृत्यु हुई थी। लेकिन आज तक भाई की मृत्यु के बाद कोई सरकारी अधिकारी जांच करने घर नही पहुंचा। कहा कि गांव में एक व्यक्ति के फोन पर नायब तहसीलदार का फोन आया था और उन्होंने उससे भाई की मौत की जानकारी ली है।

यहां बेटियों के नसीब में केवल चूल्हे का धुआ


आजादी के 6 दशक बीत गए, लेकिन जिले का एक गांव ऐसा भी है, जहां पर छह हजार की आबादी होने के बाद भी शिक्षा विभाग ने इंटर कॉलेज की बात छोड़िए, हाई सकूल भी खोलने की सोची नही है। लिहाजा बेटियां कक्षा आठ के बाद घर बैठने को मजबूर हैं। इन्हीं कारणों के चलते यहां पर बेटियां उच्च प्राथमिक शिक्षा से आगे नहीं बढ़ पा रही हैं, जिससे कन्या विद्या धन व लैपटॉप योजना जैसी सुविधाओं से वंचित हो रही है।

सुमेरपुर विकासखंड का कैथी गांव जिसकी आबादी 6 हजार से ऊपर है। लेकिन यहां पर मात्र एक उच्च प्राथमिक स्कूल शिक्षा विभाग के बड़े-बड़े दावों की पोल खोल रहा है। सैकड़ों की संख्या में छात्राएं प्राथमिक शिक्षा के बाद चूल्हे चौके तक ही सिमट कर रह जाती हैं। उनकी आगे पढ़ने की ललक दब की दबी रह जाती है। क्योंकि बीहड़ क्षेत्र होने के कारण अभिभावक उन्हें बाहर शिक्षा के लिए भेजने से कतराते हैं। ग्रामीणों ने कई बार अधिकारियों व नेताओं ने गुहार लगाई, मगर उन्हें हमेशा निराशा ही हाथ लगी।

आठवीं के बाद न पढ़ पायी

गांव की लड़कियों में पढ़ाई की ललक तो बढ़-चढ़कर है, लेकिन यहां आस-पास भी हाईस्कूल न होने के चलते आठवीं कक्षा के बाद अनेक लड़कियों को आगे पढ़ने की अपनी इच्छा दबानी पड़ी। पूजा ने बताया कि कक्षा आठ के बाद उसने आगे की शिक्षा नहीं ली, क्योंकि गांव से स्कूल दूर था। वहीं मां सावित्री का कहना था कि रास्ते में लड़की के साथ कोई घटना न हो जाए। कल्पना ने बताया कि अकेले घर वाले 15 किलो मीटर दूर जाने नहीं देते है। इस कारण पढ़ाई छोड़नी पड़ी।

ममता वर्मा व अनीता शर्मा ने कहा कि 2008 में कक्षा आठ पास की थी। इसके बाद छह माह सुमेरपुर स्थित सरकारी स्कूल भी गई लेकिन बाकी लड़कियों के ना जाने के वजह से अकेले होने के चलते उसे भी पढ़ाई छोड़नी पड़ी।

सुनीता का कहना था कि गांव में स्कूल नहीं है। रास्ता सुनसान होने के कारण अकेले जाने में डर लगता है। उसका पढ़ाने का बहुत मन था, लेकिन उसे अपनी यह तमन्ना मन में कचोट के रह गई। शशि व राजेश्वरी ने बताया कि विकास न होने का खामियाजा हमें अपनी पढ़ाई को छोड़कर चुकाना पड़ा है। अगर सरकार यहां पर पांच के आगे विद्यालय का निमार्ण कर दे तो हमें भी पढ़ाने का मौका मिल जायेगा। शिल्पी तिवारी ने बताया कि 2009 में आठवीं पास करने के बाद उन्हें पढ़ाने के लिए नहीं जाने दिया गया।

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''अगले शिक्षा सत्र में कैथी गांव को प्राथमिकता पर लेंगे और वहां हाईस्कूल खुलवाने का प्रयास करेंगे।''

- योगराज सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक, हमीरपुर

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राम-राम करते लोगों को नेता बंधा रहे ढांढस

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : राम का नाम लेकर जाते ही भोला का नाम अमर हो गया। जिस गांव कैथी में चुनाव में वोट मांगने के अलावा जनसेवक न जाते रहे हों वहां पर रात भर रूकने के बाद कांग्रेस का नेता सुबह वापस जाता है तो शाम होने के पहले ही भाजपा का कद्दावर नेता आ जाता है। गांव वाले नेताओं के आगमन को शुभ लक्षण मानकर राम राम करने में डटे हुए हैं।

भरुआ सुमेरपुर ब्लाक के कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में चल रही राम धुन बुधवार को 44वें दिन भी जारी रही। मंगलवार शाम कांग्रेस के वरिष्ठ नेता युगराज भदौरिया पहुंचे थे। उन्होंने न केवल रात गांव में गुजारी बल्कि कई घंटों तक राम का नाम भी उच्चारित किया। सुबह गांव के लोगों की प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री से बात भी कराई। श्री खत्री ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस के विधायक कैथी गांव के मुद्दे को सदन में उठाएंगे। इसके साथ ही जल्द ही दौरा करने के लिए कांग्रेस के बड़े नेता भी गांव में आ सकते हैं। श्री भदौरिया ने कहा कि भोला की पत्‍‌नी विकलांग है। बेटी विवाह योग्य है और बेटे बिना पढ़े लिखे हैं। वह अपने पास से बेटों के लिए सिलाई मशीन दे रहे हैं जिससे वह सिलाई का काम कर पेट भरने का जुगाड़ कर सकें। पत्‍‌नी को सहायता दिलाए जाने के लिए जिलाधिकारी से मिलकर बात करने का आश्वासन दिया।

इधर, शाम को भाजपा जिलाध्यक्ष मनोज गुप्ता व वरिष्ठ भाजपा नेता प्रीतम सिंह किसान गांव पहुंचे। राम नाम संकीर्तन महायज्ञ में शामिल होकर अपनी आवाज जोड़ने के बाद प्रशासन की कार्यप्रणाली की भ‌र्त्सना करते हुए कहा कि चौवालीस दिन से यहां पर लोग अपनी मूलभूत मांगों को लेकर भगवान का नाम ले रहे हैं। लेकिन कोई सुनने या देखने वाला नहीं हैं। राम राम करते मरने वाले भोला को शहीद का दर्जा देते हुए कहा कि जल्द ही भाजपा कैथी गांव के मुद्दे को ऊपर तक ले जाएगी। आगामी विधानसभा सत्र में भाजपा के विधायक इस मुद्दे को सदन में उठाएंगे।

रोशनी की तलाश में राम से आस

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : जैसे-जैसे ठंड बढ़ रही है वैसे वैसे राम के नाम के आसरे पिछले 45 दिनों से गांव के पुराने शिव मंदिर में बैठे भक्तों का उत्साह बढ़ता दिखाई दे रहा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि रात की ठंड काफी बढ़ चुकी है और मंदिर के खुले चौबारे में लगभग 75 से सौ ग्रामीण राम का नाम ले रहे हैं।

भरुआ सुमेरपुर क्षेत्र के कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में क्षेत्रीय विकास को लेकर गत 9 अक्टूबर को शुरू हुई राम धुन बृहस्पतिवार को लगातार 45वें दिन भी जारी रही। ग्राम प्रधान वासुदेव निषाद कहते हैं कि भइया जहां दिन में लोगों की भीड़ लगी रहती है। दिन में पांच सौ स्त्री और पुरुष राम का नाम लेते हैं वहीं रात में भी लोगों का उत्साह इस समय बढ़ा हुआ है। ग्रामीण उम्मेद सिंह,विकास शिवहरे, अरिमर्दन सिंह, सुदामा सिंह आदि कहते हैं कि भइया भोला के जाने के बाद तो गांव वालों ने संकल्प कर लिया है कि अब कुछ भी हो जाए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आने के पहले राम का नाम लेना बंद नही किया जाएगा। ग्रामीणों ने कहा कि वैसे तो उनकी किसी से कोई बुराई नही है पर अभी तक गांव में कांग्रेस व भाजपा के नेताओं के साथ विधायक दो बार आई है। प्रशासनिक अधिकारियों में अपर जिलाधिकारी व उप जिलाधिकारी भी आकर अपने स्तर से कार्यवाहियां कर चुके हैं पर सत्ता पक्ष का कोई भी नेता गांव में नही आया है। उन्होंने कहा कि वह सभी का सम्मान करते हैं। उन्होंने जिलाधिकारी से मांग किया कि गरीब भोला के परिवार को जल्द से जल्द मदद दिलाई जा सके जिससे उसका परिवार जिंदा रह सके।

उधर, विधायक साध्वी निरंजन ज्योति ने बताया कि आज से प्रारंभ हो रही विधानसभा में कैथी गांव की रामधुन के मुद्दे को प्रमुखता से उठाने के लिए विधान मंडल दल के नेता को पत्र भ्ेाज चुकी हैं और इस मुद्दे को वह खुद भी सदन की पटल पर रखेंगी।

भोला के बिछुड़ने का ग़म, पर लक्ष्य से न डिगेंगे हम

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : भोला की मौत की दर्दनाक घटना ने दु:ख तो बहुत दिया, पावन माहौल को मातमी भी कर दिया, लेकिन लोग अपने लक्ष्य से डिगे नहीं हैं। ग़मज़दा ग्रामीणों के बुलंद जज़्बे की बदौलत कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में मंगलवार को लगातार 43वें दिन भी राम धुन जारी रही।

गौरतलब है कि गांव में मुख्यमंत्री को बुलाने के उद्देश्य के साथ यहां बीती 9 अक्टूबर से राम धुन के पाठ का आरंभ हुआ था। इतने दिन बीतने पर भी मुख्यमंत्री नहीं आये, इस सदमे से रविवार रात यहां के निवासी भोला ने दम तोड़ दिया। हालांकि गमज़दा माहौल में ही सही, लेकिन राम धुन लगातार जारी है। गांव के उम्मेद सिंह, अरिमर्दन सिंह, विकास शिवहरे, सुदामा सिंह, राजेश यादव,जग्गू सिंह, राजेन्द्र सिंह, राजा गुप्ता, मोहन लाल, शिवम सिंह आदि का कहना है कि भोला ने साथ छोड़ दिया पर उसके जाने के बाद तो और भी तमाम भोला सामने आ गए हैं। गांव के विकास के लिए अपने प्राणों की आहुति देकर भोला ने इतिहास बनाया है। उसका साथ छोड़ना व्यर्थ नही जाएगा। उसके साथ देखे गए सपने सभी गांव के लोग पूरा करेंगे। इसकी का परिणाम है कि 43 दिन बीत गए, लेकिन राम नाम का अखंड जाप लगातार जारी है।

गांव के लोग अब एकमत हैं कि जब तक मुख्यमंत्री गांव में आकर खुद यज्ञ में अपने हाथों आहुतियां न डाल दें राम राम यज्ञ अनवरत जारी रहेगा। गांव में देर शाम पहुंचे कांग्रेसी नेता युगराज भदौरिया ने भोला के घर जाकर विपन्नता की तस्वीर देखकर कहा कि उन्होंने कभी सोचा न था कि इस आधुनिक युग में लोग ऐसे भी रहते हैं। भोला के जाने के बाद अब तो उसके घर की हालत और भी ज्यादा खराब हो गई है। निराशाजनक बात यह है कि अभी तक प्रशासन की तरफ से एक भी मदद नहीं मिली। यह निराशाजनक है।

उन्होंने कहा कि वह बुधवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, प्रदीप जैन 'आदित्य', उप्र कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल खत्री को पत्र लिखकर यहां के हालात के साथ पिछले 43 दिन से चल रही राम धुन के बारे में जानकारी देंगे व यहां आकर वास्तविकता देखने का निवेदन करेंगे।

क्या राम राम करते लखनऊ जायें?

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि: अभी लोकसभा के चुनाव के लिए घोषित प्रत्याशी को अंतिम न माने, समीक्षा के बाद प्रत्याशी बदला जा सकता है। मिशन 2014 के लिए सपा को केवल जिताऊ प्रत्याशी ही मैदान में उतारने हैं। यह बातें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव डा. राम आसरे सिंह कुशवाहा ने सपा ब्राहमण सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला के आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए कहीं।

उन्होंने कहा कि वैसे तो वह कुशवाहा शाक्य, मौर्य सम्मेलन में न्यूरिया व विवांर गांव में आए थे। लेकिन पत्रकारों से बात करना जरूरी था। उन्होंने कहा कि अगर कैथी के लोग चाहें तो वह बतौर प्रतिनिधि मंडल लखनऊ आ जाएं तो वह मुख्यमंत्री से बात करा सकते हैं। इसके अलावा उन्होंने मुख्यमंत्री से खुद भी बात कर वहां पर आने की बात कही।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार एफडीआई बिल लाने वाली है। अगर यह जनहित में न हुआ और किसान विरोधी हुआ तो सपा इस बिल का पुरजोर विरोध करेगी। उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई किसी दल विशेष से नही है बल्कि विचारों की लड़ाई है। पत्रकारों द्वारा टेक्निकल विद्यालय खोलने के सवाल पर उन्होंने सांसद जिताकर भेजने की शर्त रखी।

इस दौरान जिलाध्यक्ष ज्ञान सिंह यादव व जिला सचिव शिव प्रसाद कुशवाहा आदि लोग मौजूद रहे। इसके पूर्व श्री कुशवाहा के जिला आगमन पर जिलाध्यक्ष समेत तमाम सपाईयों ने यमुना पुल पर स्वागत कर माल्यार्पण किया।

राम का भजन यानि परमात्मा का चिंतन

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : कैथी गांव में सोमवार को अजीब दृश्य था। प्रतिदिन प्रफुल्लित होकर राम भजने वाले ग्रामीण सुबह से दु:खी थे। शिव मंदिर पर राम धुन करने पहुंचे लोग सिसकियों के साथ भगवान का नाम ले रहे थे। हर एक सांस में दिवंगत ग्रामीण भोला के लिए आह निकल रही थी।

गांव में राम धुन सोमवार को लगातार 42वें दिन भी जारी रही, लेकिन भोला की मौत के कारण उसमें लगे ग्रामीणों में खुशी की स्थान पर दु:ख झलक रहा था। गांव के उम्मेद सिंह, विकास शिवहरे, सुदामा सिंह, सुभाष, राजा भइया, दृगविजय, बल्लू, रामदास निषाद, बालेन्द्र सिंह, जयराम सिंह, हरीकृष्ण यादव, छोटे खां, राम प्रकाश गुप्ता आदि ने कहा कि शायद भगवान की यही मर्जी थी। आज नही तो कल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव गांव में आएंगे और यहां पर भी विकास की गंगा बहेगी। लेकिन बीच मझधार में भोला ने साथ छोड़ दिया। बताया कि दिन में भोला सिलाई का काम करता था और रात में दो बजे प्रतिदिन राम राम करने की अपनी 'ड्यूटी' पर मुस्तैदी से आ जाते थे। विधायक साध्वी निरंजन ज्योति भी मौके पर पहुंची। उन्होंने ग्रामीणों को बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय में गांव में चल रहे इस अनोखे राम नाम संकीर्तन महायज्ञ की जानकारी दी है।

हम तो हमारे राम जी के, राम जी हमारे हैं

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : राम नाम के आसरे पिछले 41 दिनों से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को गांव में बुलाने की आशा में बैठे भरुआ सुमेरपुर ब्लाक के कैथी गांव के बाशिंदों को रात में प्रारंभ हो चुकी तेज ठंड हौसला डिगा नहीं पा रही है। आश्चर्य की बात यह है कि दिन से ज्यादा लोग राम का नाम लेने रात में जुट रहे हैं। ग्राम प्रधान के साथ ही गांव के लोग अलाव की व्यवस्था के साथ दो तीन बार चाय की भी व्यवस्था कर रहे हैं।

भरुआ सुमेरपुर क्षेत्र के कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में रविवार को लगातार 41वें दिन भी राम धुन जारी रही। गांव की महिलाएं जहां इस अनोखे आंदोलन से उत्साहित हैं वहीं गांव का बच्चा बच्चा इस समय राम का नाम बोलता दिखाई दे रहा है। तभी तो इतने दिन बीतने के बाद गांव का हर बच्चा दूसरे बच्चे से कहता है, 'राम जी करेंगे बेड़ा पार उदासी मन काहे को डरे।' उधर गांव के बुजुर्गो ने बच्चों को हनुमान चालीसा व राम चालीसा के बारे में भी बताना प्रारंभ कर दिया है। गांव के कई लोग हनुमान बाहुक, शिव चालीसा का पाठ भी करते दिखाई देते हैं। उधर मस्जिद में भी मुसलमान भाई नमाज के बाद शुक्राना की नमाज के बाद गांव में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के जल्द आने की दुआ मांगते हैं। इसके साथ ही मुसलमान भाई मंदिर में बैठकर प्रतिदिन राम का नाम भी रोज लेते दिखाई देते हैं। उम्मेद सिंह, विकास शिवहरे, अरिमर्दन सिंह, खुशी राम आदि कहते हैं कि भइया वक्त कितना लग जाए पर जब तक मुख्यमंत्री गांव में नही आएंगे तब तक राम धुन अनवरत जारी रहेगी।

विकास के यज्ञ में प्राणों की आहुति

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : भरुआ सुमेरपुर क्षेत्र के कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में क्षेत्रीय जन समस्याओं के विरोध में राम धुन के रूप में शुरू हुए अनूठे लेकिन पावन आंदोलन में स्याह रंग लग गया। गत 41 दिन से लगातार जारी राम धुन में लीन रहे एक ग्रामीण की गत रात्रि मृत्यु हो गयी। बताते हैं कि वह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गांव में न आने से क्षुब्ध था और शाम से ही 'इतने दिन बीत गये इंतजार करते हुए, लेकिन अखिलेश नहीं आए, अखिलेश नहीं आए..' कह रहा था। रात में सीने में दर्द होने के बाद उसके प्राण निकल गये। अंदेशा है कि हृदयाघात से उसकी मौत हुई।

जानकारी के मुताबिक भरुआ सुमेरपुर ब्लाक के कैथी गांव निवासी भोला अपनी पत्नी मुन्नी देवी व पांच बच्चों के साथ रहते थे। परिवार का पेट पालने के लिए वह दर्जीगिरी करते थे। उनकी एक बेटी विवाह योग्य और बाकी नाबालिग हैं। क्षेत्रीय जन समस्याओं को लेकर गांव के प्राचीन शिव मंदिर में गत 9 अक्टूबर से चल रही राम धुन में वह भी सहभाग कर रहा था। इस आंदोलन का उद्देश्य सूबे के मुखिया अखिलेश यादव को गांव बुलाना बन चुका है। यहां अनवरत राम धुन के लिए कुछ घंटों की पाली की व्यवस्था की गयी है। रविवार देर शाम से वह लोगों से कहते घूम रहे थे कि, 'इतने दिन बीत गए। गांधी राम भजन कर अंग्रेजों को झुका लेते थे पर लगता है कि हमारे द्वारा चुनी गई सरकार के मुख्यमंत्री के कानों तक गुहार नहीं पहुंच रही है।' भोला राम धुन करने रविवार रात 2 बजे की पाली में भी आए। घंटा भर बाद लगभग 3 बजे उनके सीने में अचानक दर्द उठा और बोले कि, 'दिल घबरा रहा है। जल्दी घर ले चलो।'

राम धुन में लगे विकास शिवहरे व जीतेन्द्र सिंह उन्हें घर लेकर जा रहे थे तभी वह तीन-चार बार बोले कि, 'लगता है मुख्यमंत्री आएंगे नहीं।' दोनों लोग उनको घर पहुंचकर वापस रामधुन स्थल शिव जी के मंदिर में आ गए। थोड़ी देर बाद खबर आई कि भोला के सांसों की डोर टूट गई है। इसके बाद कोहराम मच गया। ग्रामीण भोला के घर दौड़ पड़े। भोला की पत्‍‌नी मुन्नी देवी ने कहा कि उनकी संतानें अनाथ हो गए। ग्रामीणों ने पुरोहितों की सलाह पर सोमवार दोपहर 2 बजे के बाद केवन नदी के गढ़ा घाट में जल दाह कर दिया। भोला की मौत से गांव में मातम का माहौल है।

'राजनाथ आयेंगे, होगा बड़ा आंदोलन'

दोपहर बाद गांव पहुंचीं विधायक साध्वी निरंजन ज्योति ने पीड़ित परिवार को हरसंभव मदद करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि भोला गांव के विकास के नाम पर शहीद हुए हैं। उनकी शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। उन्होंने लोगों को सांत्वना देते हुए तेरहवीं में आर्थिक मदद देने का आश्वासन देते हुए कहा कि जल्द ही गांव में भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह आएंगे और बड़ा आंदोलन किया जाएगा। वरिष्ठ कांग्रेस नेता युगराज सिंह ने कहा कि उन्हें भोला की मौत का दु:ख है। वह मंगलवार को गांव में जाकर हालत देखेंगे और फिर वरिष्ठ नेताओं से बात करेंगे। अपर जिलाधिकारी रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि उन्होंने गांव में टीम भेज दी है। रिपोर्ट मिलने पर पीड़ित परिवार की मदद की जाएगी।

राम के आसरे ही चल रही है राम धुन

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : न किसी से गिला है न किसी से शिकवा। जब हमारा भाग्य ही हमसे रूठा है तो हम किसे दोष दें?.. कुछ इस तरह के शब्द निकलते हैं भरुआ सुमेरपुर ब्लाक के कैथी गांव के निवासियों के।

गांव के लोग बिगड़ी नियति का सहारा हरि हर को मानकर उन्हीं का नाम लेने बैठने के बाद अब साफ शब्दों में कहते हैं कि हमें किसी से कोई दिक्कत नहीं। सरकार के द्वारा चलाई जाने वाली कल्याणकारी योजनाएं हमारे पास पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देती हैं। आखिर आजाद भारत में ऐसा क्यों होता है। शिक्षा के लिए कक्षा पांच से ज्यादा का स्कूल नही, लिहाजा बच्चों को या तो बाहर भेजो या फिर घर में बैठाकर बखर हंकवाओ। खैर आज नही तो कल भगवान को भी सुधि आएगी ही और विकास की रोशनी गांव में आएगी। तब शायद हमारा भाग्य सुधरे। वैसे गांव में चल रही अखंड राम धुन को शुक्रवार को 39 दिन बीत गए हैं, और इससे गांव के माहौल में आशातीत परिवर्तन हुआ है। कल तक नशे की गिरफ्त में रहने वाले युवा आज राम नाम का तप करते सड़कों व गलियों पर दिखते हैं।

ग्राम प्रधान वासुदेव निषाद, उम्मेद सिंह, अरिमर्दन सिंह, विकास शिवहरे, रामवती, मौजी लाल, शिव मूरत, राम लाल आदि कहते हैं कि भइया राम जी के सहारे हम बैठे हैं और उसी राम की पूजा तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी करते हैं अब उनको कब इस गांव की याद आएगी। यह तो वही जानते हैं पर इतना साफ है कि आज नही तो कल वह यहां पर आएंगे और राम नाम यज्ञ में भाग लेकर कृतार्थ करेंगे।