श्री कामदगिरि की परिक्रमा का अतिक्रमण साफ करने का दावा करने वाले प्रशासन की बिरजाकुंड के पास प्राचीन बीहर पर कब्जा करने वाले को क्लीन चिट
संदीप रिछारिया
सीएम योगीजी के आदेश व श्रद्वालुओं की बढ़ती संख्या को लेकर प्रशासन ने अब श्रीकामदगिरि परिक्रमा पथ पर बसी खोही बस्ती की जमीन को खाली कराकर चौड़ीकरण कराने के लिए पूरी तरह से कमर कस ली है। राजस्व व वन विभाग ने लगभग एक सैकड़ा लोगों को नोटिस देकर दस दिनों में जमीन खाली करने के आदेश दिए हैं। जिलाधिकारी की बैठक के बाद जहां एकओर जमीनों पर रह रहे लोग परेशान हैं, वहीं तमाम अतिक्रमण किए हुए स्थानों पर संत समाज द्वारा अतिक्रमण किए जाने को लेकर स्थानीय लोगों में तीखी नाराजगी भी है। वैसे पर्वत की तरफ अस्थायी व स्थायी निर्माण कर रहने वाले लोगों के भी दो मत हैं। पट्टों की जमीन पर भूमिधरी होने के बाद तमाम लोग अदालतों के आदेश लेकर मुआवजा की मांग कर रहे हैं तो बहुत से लोग इस कार्यवाही को गलत बता रहे हैं।
परिक्रमा मार्ग पर दुकान लगाकर गुजर बसर करने वाली अंशु, दादू, पप्पू जैसे तमाम दुकानदार कहते हैं कि हमारा अतिक्रमण तो सामने प्रशासन को दिखाई दे रहा है, पर संत समाज का अतिक्रमण नहीं दिखाई दे रहा है। बिरजा कुंड के पास निर्मोही अखाड़ा ने कब्जा कर पहले छोटी कुटिया बनाई और धीरे धीरे रामधुन बैठाकर मंहिदर का निर्माण किया। चाहद्दी बनाकर पर्यटन विभाग के दो शेडों को अपने सीमा के अंदर कर पूरी तरह से कब्जा कर लिया और राजाओं की बनाई पुरानी बेशकीमती चार मंजिला बीहर को पूरी तरह से गायब करने के लिए बाहर कमरे इत्यादि बना दिए। पट्टे की जमीन को भूमिधरी और फिर उस जमीन पर प्राचीन बनी बीहर का कब्जा प्रशासन को केवल इसलिए नहीं दिखाई दे रहा है क्योंकि वहां से जुड़े एक महंत प्रशासन के बहुत नजदीकी हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यह प्रशासन की दोगली नीति नही चल पाएगी। इसको लेकर आंदोलन किया जाएगा व कोर्ट की शरण ली जाएगी। जब प्रशासन कहता है कि हजार साल पुराना पट्टा भी अवैध है तो फिर इस पट्टे को क्यों नही खारिज किया जा रहा है। क्यों प्राचीन बीहर व पर्यटन विभाग द्वारा बनवाए गए शेडों को यात्रियों की सुविधा के लिए खोला जा रहा है।
उप जिलाधिकारी कर्वी ने बताया कि प्राचीन बीहर होने जानकारी मिली है। इसकी पूरी जांच कराकर विधिक कार्यवाही की जाएगी।
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