Sunday, January 26, 2020

प्लान, बैठक और निर्देशों में सिमट रहा चित्रकूट का विकास

 फिर जिलाधिकारी ने दिए तीन दिन में अतिक्रमण हटाने के निर्देश 
- पहली बार 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने परिक्रमा पथ का अतिक्रमण हटाने के दिए थे निर्देश 
- दिन भर दो पहिया व चार पहिया वाहनों के परिक्रमा पथ पर दौड़ने से श्रद्वालुओं को होती है परेशानी 
संदीप रिछारिया
 भविष्य के विकसित पर्यटन क्षेत्र के विकास का ताना बाना अब तेजी से बुना जा रहा है। प्रधानमंत्री का कार्यक्रम बार-बार चित्रकूट आने का बनता और कैंसिल हो रहा है। भाजपा के मंत्रियों और नेताओं के मुंह से लगातार मोदी और योगी की यह तारीफ निकल रही है कि चित्रकूट का उन्हें ध्यान है, इसका विकास सर्वोपरि है। पिछले तीन सालों से डिफकेंस काम्रीडोर व एक्सप्रेस वे का हल्ला है। भारत माला प्रोजेक्ट, रामवन पथ गमन का भी शोर बहुत किया गया, पर अभी तक किसी भी प्रोजेक्ट का प्रारंभ जमीन पर नही हो सका। अलबत्ता अधिकारियों व नेताओं के मुंह से जमीन खरीदने की बात जरूर सुनी और सुनाई जाती है।
चित्रकूट के वास्तविकता में विकास की बात की जाए तो यह काम सबसे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने किया था। पांच दिवसीय चित्रकूट प्रवास के पहले ही उन्होंने तमाम ऐसेे काम 2005 में करवा दिए थे जिसकी कल्पना भी उस समय करना बेमानी थी। इसके बाद विकास के तमाम सोपानों को आगे बढाने का काम उनके पुत्र अखिलेश यादव ने किया। वर्तमान परिक्रमा पथ का स्वरूप मुलायम सिंह यादव का है, जबकि रोप वे व शिवरामपुर, बेडीपुलिया व भरतकूप से आने वाली सुन्दर फोन लेन सड़कें बनाने काम अखिलेश यादव ने किया था। यह बात दीगर है कि अब उन्हीं कामों को योगी जी अपना बताकर वाहवाही लूट रहे हैं।
वैसे चित्रकूट को और ज्यादा मनोरम बनाने का दावा मुख्यमंत्री जी का है, वे लगातार प्रयास कर भी रहे हैं। लखनउ के अधिकारी भी लगातार बैठकें कर निर्देश देकर अपने नंबर बढवाने का काम कर भी देते हैं, स्थानीय स्तर पर भी अधिकारियों ने यही काम करने का इरादा कर रखा है। लगातार बैठक, निर्देश का क्रम चल रहा है, पर कहीं पर भी वास्तविकता में काम होता नही दिखाई दे रहा है। यही हाल पुलिस व्यवस्था का है। अमावस्या पर दुकानदारों को हडकाने के अलावा पुलिस के पास कोई काम नही है। दिन ीार परिक्रमा पथ पर चार पहिया वदो पहिया वाहन दौड़ते रहते हैं। लोगों व बंदरों को घायल करते रहते हैं। रविवार की सुबह रानीपुर भटट में मिनरल वाटर सप्लाई करने वाली एक गाड़ी ने बरहा के हनुमान जी के समीप परिक्रमा पथ पर एक अंधे साधू व चार महिलाओं को घायल करने का काम किया। इस दौरान जब भागकर वहा पर प्रधानपति अरूण त्रिपाठी पहुंचे और उन्होंने उससे कहा कि आप परिक्रमा पथ के अंदर अपनी चार पहिया गाड़ी लेकर कैसे आए तो उन्होंने एक पूर्व सांसद का नाम लेकर धौस दिखाने का प्रयास किया। काफी देर की बतरसी के बाद जब पूर्व सांसद को फोन लगाया गया तो उन्होंने उसको पहचानने से इंकार कर दिया।
परिक्रमा पथ के अतिक्रमण को हटाने के नाम पर कई बार नोटिस जारी की गई। अस्थायी नोटिस जारी करने के नाम पर परिक्रमा पथ पर ब्रेंचों में छोटा मोटा सामान रखकर बेंचने वालों को पुलिस व राजस्व कर्मियों की प्रताडना का शिकार लगातार होना पड़ रहा है। परिक्रमा पथ के किनारे लगातार अवैध रूप से पक्के निर्माण हो रहे हैं उन पर किसी का भी ध्यान नही जाता। जलेबी वाली गली हो या फिर खोही के अंदर की रोड पक्के निर्माणों से रास्ता संकरा होता जा रहा है। सफाई की व्यवस्था भी लचर है। सूरज उगने के बाद ही सफाई कर्मी काम पर आतेे और साफ करते हैं।
अधिकारियों से बात करने पर निर्देश देने की बात सामने आती है। हैरत की बात यह है कि राज्य मंत्री लोक निर्माण विभाग चित्रकूट होने पर प्रतिदिन परिक्रमा लगाते हैं और तमाम ऐसी समस्याएं उन्हें दिखाई नही देती। इसको लेकर स्थानीय जनसमुदाय का रूख उनके प्रति अच्छा नही है। संत त्यागी जी महराज कहते हैं कि परिक्रमा पथ पर वाहन किसी भी हालत में चलने नही देना चाहिए। यहां पर बाजारीवाद बहुत बढ़ गया है। चार पहिया व दो पहिया से परिक्रमा लगाने के लिए अलग से पथ का निर्माण कराना चाहिए। पुलिस को चाहिए कि हर 100 मीटर में एक जवान की डयूटी लगाए और वह जवान दो पहिया व चार पहिया वाहन चालकों का चालान करने के साथ ही वाहनों को जब्त करने का भी काम करे। इस नियम का कड़ाई से पालन करने पर ही परिेक्रमा पथ पर वाहनों का प्रवेश बंद हो पाएगा।





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