Thursday, April 4, 2013

अफसरों को न झकझोर पाये, न राम नाम न भोला के प्राण

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : कैथी गांव में भोला की मौत भी कमोवेश किसी को झकझोर नहीं सकी है। राम नाम से गांव में भले ही सद्भावना जागी हो, लेकिन वीआईपी व नौकरशाहों को शायद कोई फर्क नहीं पड़ा। भोला की मौत के प्रकरण की जांच करने तो कोई अब तक कैथी गांव पहुंचा नहीं, गुरुवार को मुख्यालय आयी भोला की विकलांग पत्नी का विकलांग प्रमाण पत्र बनाने में भी सीएमओ ने कायदे-कानून गिना दिये। उन्हें यह भी नहीं लगा कि उसे दुबारा आने में कितनी तकलीफ होगी।

भरुआ सुमेरपुर के कैथी गांव में राम धुन करते भोला की हालत बिगड़ने के बाद मौत हो गई। उसे दु:ख था कि अभी तक मुख्यमंत्री गांव नहीं आए। गुरुवार को भोला की विकलांग पत्नी मुन्नी देवी को लेकर उनका देवर लालमन मुख्यालय आया। जैसे ही जिलाधिकारी को देखा दौड़ पड़ा, पूरी स्थिति बताई। जिलाधिकारी ने महिला की हालत देखकर उसे तुरंत मुख्य चिकित्साधिकारी के पास विकलांग प्रमाण पत्र बनाने के लिए भेजा। पर वहां उसे घोर निराशा हुई, जब साहब ने साहबी दिखा दी और कहा कि अभी कोई डॉक्टर नही चार दिन बाद आना और फिर जांच कर प्रणाम पत्र बनाया जाएगा।

चलने-फिरने से लाचार मुन्नी को फिर से चंद्रावल नदी पार कर लगभग 50 किलोमीटर जिला मुख्यालय अपना विकलांग सर्टीफिकेट बनवाने आना पड़ेगा। मुन्नी देवी का सहयोग कर रहे कांग्रेसी नेता युगराज सिंह ने कहा कि जिलाधिकारी ने तो मिलते ही उसकी हालत देखकर सीएमओ के पास भेज दिया। लेकिन उन्होंने टरकाने वाले अंदाज में बात कर पीड़ित को वापस कर दिया। उधर, 'दैनिक जागरण' कार्यालय में आकर भोला दर्जी के भाई लालमन ने बताया कि सोमवार को उसके भाई की मृत्यु हुई थी। लेकिन आज तक भाई की मृत्यु के बाद कोई सरकारी अधिकारी जांच करने घर नही पहुंचा। कहा कि गांव में एक व्यक्ति के फोन पर नायब तहसीलदार का फोन आया था और उन्होंने उससे भाई की मौत की जानकारी ली है।

यहां बेटियों के नसीब में केवल चूल्हे का धुआ


आजादी के 6 दशक बीत गए, लेकिन जिले का एक गांव ऐसा भी है, जहां पर छह हजार की आबादी होने के बाद भी शिक्षा विभाग ने इंटर कॉलेज की बात छोड़िए, हाई सकूल भी खोलने की सोची नही है। लिहाजा बेटियां कक्षा आठ के बाद घर बैठने को मजबूर हैं। इन्हीं कारणों के चलते यहां पर बेटियां उच्च प्राथमिक शिक्षा से आगे नहीं बढ़ पा रही हैं, जिससे कन्या विद्या धन व लैपटॉप योजना जैसी सुविधाओं से वंचित हो रही है।

सुमेरपुर विकासखंड का कैथी गांव जिसकी आबादी 6 हजार से ऊपर है। लेकिन यहां पर मात्र एक उच्च प्राथमिक स्कूल शिक्षा विभाग के बड़े-बड़े दावों की पोल खोल रहा है। सैकड़ों की संख्या में छात्राएं प्राथमिक शिक्षा के बाद चूल्हे चौके तक ही सिमट कर रह जाती हैं। उनकी आगे पढ़ने की ललक दब की दबी रह जाती है। क्योंकि बीहड़ क्षेत्र होने के कारण अभिभावक उन्हें बाहर शिक्षा के लिए भेजने से कतराते हैं। ग्रामीणों ने कई बार अधिकारियों व नेताओं ने गुहार लगाई, मगर उन्हें हमेशा निराशा ही हाथ लगी।

आठवीं के बाद न पढ़ पायी

गांव की लड़कियों में पढ़ाई की ललक तो बढ़-चढ़कर है, लेकिन यहां आस-पास भी हाईस्कूल न होने के चलते आठवीं कक्षा के बाद अनेक लड़कियों को आगे पढ़ने की अपनी इच्छा दबानी पड़ी। पूजा ने बताया कि कक्षा आठ के बाद उसने आगे की शिक्षा नहीं ली, क्योंकि गांव से स्कूल दूर था। वहीं मां सावित्री का कहना था कि रास्ते में लड़की के साथ कोई घटना न हो जाए। कल्पना ने बताया कि अकेले घर वाले 15 किलो मीटर दूर जाने नहीं देते है। इस कारण पढ़ाई छोड़नी पड़ी।

ममता वर्मा व अनीता शर्मा ने कहा कि 2008 में कक्षा आठ पास की थी। इसके बाद छह माह सुमेरपुर स्थित सरकारी स्कूल भी गई लेकिन बाकी लड़कियों के ना जाने के वजह से अकेले होने के चलते उसे भी पढ़ाई छोड़नी पड़ी।

सुनीता का कहना था कि गांव में स्कूल नहीं है। रास्ता सुनसान होने के कारण अकेले जाने में डर लगता है। उसका पढ़ाने का बहुत मन था, लेकिन उसे अपनी यह तमन्ना मन में कचोट के रह गई। शशि व राजेश्वरी ने बताया कि विकास न होने का खामियाजा हमें अपनी पढ़ाई को छोड़कर चुकाना पड़ा है। अगर सरकार यहां पर पांच के आगे विद्यालय का निमार्ण कर दे तो हमें भी पढ़ाने का मौका मिल जायेगा। शिल्पी तिवारी ने बताया कि 2009 में आठवीं पास करने के बाद उन्हें पढ़ाने के लिए नहीं जाने दिया गया।

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''अगले शिक्षा सत्र में कैथी गांव को प्राथमिकता पर लेंगे और वहां हाईस्कूल खुलवाने का प्रयास करेंगे।''

- योगराज सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक, हमीरपुर

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राम-राम करते लोगों को नेता बंधा रहे ढांढस

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : राम का नाम लेकर जाते ही भोला का नाम अमर हो गया। जिस गांव कैथी में चुनाव में वोट मांगने के अलावा जनसेवक न जाते रहे हों वहां पर रात भर रूकने के बाद कांग्रेस का नेता सुबह वापस जाता है तो शाम होने के पहले ही भाजपा का कद्दावर नेता आ जाता है। गांव वाले नेताओं के आगमन को शुभ लक्षण मानकर राम राम करने में डटे हुए हैं।

भरुआ सुमेरपुर ब्लाक के कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में चल रही राम धुन बुधवार को 44वें दिन भी जारी रही। मंगलवार शाम कांग्रेस के वरिष्ठ नेता युगराज भदौरिया पहुंचे थे। उन्होंने न केवल रात गांव में गुजारी बल्कि कई घंटों तक राम का नाम भी उच्चारित किया। सुबह गांव के लोगों की प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री से बात भी कराई। श्री खत्री ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस के विधायक कैथी गांव के मुद्दे को सदन में उठाएंगे। इसके साथ ही जल्द ही दौरा करने के लिए कांग्रेस के बड़े नेता भी गांव में आ सकते हैं। श्री भदौरिया ने कहा कि भोला की पत्‍‌नी विकलांग है। बेटी विवाह योग्य है और बेटे बिना पढ़े लिखे हैं। वह अपने पास से बेटों के लिए सिलाई मशीन दे रहे हैं जिससे वह सिलाई का काम कर पेट भरने का जुगाड़ कर सकें। पत्‍‌नी को सहायता दिलाए जाने के लिए जिलाधिकारी से मिलकर बात करने का आश्वासन दिया।

इधर, शाम को भाजपा जिलाध्यक्ष मनोज गुप्ता व वरिष्ठ भाजपा नेता प्रीतम सिंह किसान गांव पहुंचे। राम नाम संकीर्तन महायज्ञ में शामिल होकर अपनी आवाज जोड़ने के बाद प्रशासन की कार्यप्रणाली की भ‌र्त्सना करते हुए कहा कि चौवालीस दिन से यहां पर लोग अपनी मूलभूत मांगों को लेकर भगवान का नाम ले रहे हैं। लेकिन कोई सुनने या देखने वाला नहीं हैं। राम राम करते मरने वाले भोला को शहीद का दर्जा देते हुए कहा कि जल्द ही भाजपा कैथी गांव के मुद्दे को ऊपर तक ले जाएगी। आगामी विधानसभा सत्र में भाजपा के विधायक इस मुद्दे को सदन में उठाएंगे।

रोशनी की तलाश में राम से आस

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : जैसे-जैसे ठंड बढ़ रही है वैसे वैसे राम के नाम के आसरे पिछले 45 दिनों से गांव के पुराने शिव मंदिर में बैठे भक्तों का उत्साह बढ़ता दिखाई दे रहा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि रात की ठंड काफी बढ़ चुकी है और मंदिर के खुले चौबारे में लगभग 75 से सौ ग्रामीण राम का नाम ले रहे हैं।

भरुआ सुमेरपुर क्षेत्र के कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में क्षेत्रीय विकास को लेकर गत 9 अक्टूबर को शुरू हुई राम धुन बृहस्पतिवार को लगातार 45वें दिन भी जारी रही। ग्राम प्रधान वासुदेव निषाद कहते हैं कि भइया जहां दिन में लोगों की भीड़ लगी रहती है। दिन में पांच सौ स्त्री और पुरुष राम का नाम लेते हैं वहीं रात में भी लोगों का उत्साह इस समय बढ़ा हुआ है। ग्रामीण उम्मेद सिंह,विकास शिवहरे, अरिमर्दन सिंह, सुदामा सिंह आदि कहते हैं कि भइया भोला के जाने के बाद तो गांव वालों ने संकल्प कर लिया है कि अब कुछ भी हो जाए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आने के पहले राम का नाम लेना बंद नही किया जाएगा। ग्रामीणों ने कहा कि वैसे तो उनकी किसी से कोई बुराई नही है पर अभी तक गांव में कांग्रेस व भाजपा के नेताओं के साथ विधायक दो बार आई है। प्रशासनिक अधिकारियों में अपर जिलाधिकारी व उप जिलाधिकारी भी आकर अपने स्तर से कार्यवाहियां कर चुके हैं पर सत्ता पक्ष का कोई भी नेता गांव में नही आया है। उन्होंने कहा कि वह सभी का सम्मान करते हैं। उन्होंने जिलाधिकारी से मांग किया कि गरीब भोला के परिवार को जल्द से जल्द मदद दिलाई जा सके जिससे उसका परिवार जिंदा रह सके।

उधर, विधायक साध्वी निरंजन ज्योति ने बताया कि आज से प्रारंभ हो रही विधानसभा में कैथी गांव की रामधुन के मुद्दे को प्रमुखता से उठाने के लिए विधान मंडल दल के नेता को पत्र भ्ेाज चुकी हैं और इस मुद्दे को वह खुद भी सदन की पटल पर रखेंगी।

भोला के बिछुड़ने का ग़म, पर लक्ष्य से न डिगेंगे हम

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : भोला की मौत की दर्दनाक घटना ने दु:ख तो बहुत दिया, पावन माहौल को मातमी भी कर दिया, लेकिन लोग अपने लक्ष्य से डिगे नहीं हैं। ग़मज़दा ग्रामीणों के बुलंद जज़्बे की बदौलत कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में मंगलवार को लगातार 43वें दिन भी राम धुन जारी रही।

गौरतलब है कि गांव में मुख्यमंत्री को बुलाने के उद्देश्य के साथ यहां बीती 9 अक्टूबर से राम धुन के पाठ का आरंभ हुआ था। इतने दिन बीतने पर भी मुख्यमंत्री नहीं आये, इस सदमे से रविवार रात यहां के निवासी भोला ने दम तोड़ दिया। हालांकि गमज़दा माहौल में ही सही, लेकिन राम धुन लगातार जारी है। गांव के उम्मेद सिंह, अरिमर्दन सिंह, विकास शिवहरे, सुदामा सिंह, राजेश यादव,जग्गू सिंह, राजेन्द्र सिंह, राजा गुप्ता, मोहन लाल, शिवम सिंह आदि का कहना है कि भोला ने साथ छोड़ दिया पर उसके जाने के बाद तो और भी तमाम भोला सामने आ गए हैं। गांव के विकास के लिए अपने प्राणों की आहुति देकर भोला ने इतिहास बनाया है। उसका साथ छोड़ना व्यर्थ नही जाएगा। उसके साथ देखे गए सपने सभी गांव के लोग पूरा करेंगे। इसकी का परिणाम है कि 43 दिन बीत गए, लेकिन राम नाम का अखंड जाप लगातार जारी है।

गांव के लोग अब एकमत हैं कि जब तक मुख्यमंत्री गांव में आकर खुद यज्ञ में अपने हाथों आहुतियां न डाल दें राम राम यज्ञ अनवरत जारी रहेगा। गांव में देर शाम पहुंचे कांग्रेसी नेता युगराज भदौरिया ने भोला के घर जाकर विपन्नता की तस्वीर देखकर कहा कि उन्होंने कभी सोचा न था कि इस आधुनिक युग में लोग ऐसे भी रहते हैं। भोला के जाने के बाद अब तो उसके घर की हालत और भी ज्यादा खराब हो गई है। निराशाजनक बात यह है कि अभी तक प्रशासन की तरफ से एक भी मदद नहीं मिली। यह निराशाजनक है।

उन्होंने कहा कि वह बुधवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, प्रदीप जैन 'आदित्य', उप्र कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल खत्री को पत्र लिखकर यहां के हालात के साथ पिछले 43 दिन से चल रही राम धुन के बारे में जानकारी देंगे व यहां आकर वास्तविकता देखने का निवेदन करेंगे।

क्या राम राम करते लखनऊ जायें?

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि: अभी लोकसभा के चुनाव के लिए घोषित प्रत्याशी को अंतिम न माने, समीक्षा के बाद प्रत्याशी बदला जा सकता है। मिशन 2014 के लिए सपा को केवल जिताऊ प्रत्याशी ही मैदान में उतारने हैं। यह बातें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव डा. राम आसरे सिंह कुशवाहा ने सपा ब्राहमण सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला के आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए कहीं।

उन्होंने कहा कि वैसे तो वह कुशवाहा शाक्य, मौर्य सम्मेलन में न्यूरिया व विवांर गांव में आए थे। लेकिन पत्रकारों से बात करना जरूरी था। उन्होंने कहा कि अगर कैथी के लोग चाहें तो वह बतौर प्रतिनिधि मंडल लखनऊ आ जाएं तो वह मुख्यमंत्री से बात करा सकते हैं। इसके अलावा उन्होंने मुख्यमंत्री से खुद भी बात कर वहां पर आने की बात कही।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार एफडीआई बिल लाने वाली है। अगर यह जनहित में न हुआ और किसान विरोधी हुआ तो सपा इस बिल का पुरजोर विरोध करेगी। उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई किसी दल विशेष से नही है बल्कि विचारों की लड़ाई है। पत्रकारों द्वारा टेक्निकल विद्यालय खोलने के सवाल पर उन्होंने सांसद जिताकर भेजने की शर्त रखी।

इस दौरान जिलाध्यक्ष ज्ञान सिंह यादव व जिला सचिव शिव प्रसाद कुशवाहा आदि लोग मौजूद रहे। इसके पूर्व श्री कुशवाहा के जिला आगमन पर जिलाध्यक्ष समेत तमाम सपाईयों ने यमुना पुल पर स्वागत कर माल्यार्पण किया।

राम का भजन यानि परमात्मा का चिंतन

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : कैथी गांव में सोमवार को अजीब दृश्य था। प्रतिदिन प्रफुल्लित होकर राम भजने वाले ग्रामीण सुबह से दु:खी थे। शिव मंदिर पर राम धुन करने पहुंचे लोग सिसकियों के साथ भगवान का नाम ले रहे थे। हर एक सांस में दिवंगत ग्रामीण भोला के लिए आह निकल रही थी।

गांव में राम धुन सोमवार को लगातार 42वें दिन भी जारी रही, लेकिन भोला की मौत के कारण उसमें लगे ग्रामीणों में खुशी की स्थान पर दु:ख झलक रहा था। गांव के उम्मेद सिंह, विकास शिवहरे, सुदामा सिंह, सुभाष, राजा भइया, दृगविजय, बल्लू, रामदास निषाद, बालेन्द्र सिंह, जयराम सिंह, हरीकृष्ण यादव, छोटे खां, राम प्रकाश गुप्ता आदि ने कहा कि शायद भगवान की यही मर्जी थी। आज नही तो कल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव गांव में आएंगे और यहां पर भी विकास की गंगा बहेगी। लेकिन बीच मझधार में भोला ने साथ छोड़ दिया। बताया कि दिन में भोला सिलाई का काम करता था और रात में दो बजे प्रतिदिन राम राम करने की अपनी 'ड्यूटी' पर मुस्तैदी से आ जाते थे। विधायक साध्वी निरंजन ज्योति भी मौके पर पहुंची। उन्होंने ग्रामीणों को बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय में गांव में चल रहे इस अनोखे राम नाम संकीर्तन महायज्ञ की जानकारी दी है।

हम तो हमारे राम जी के, राम जी हमारे हैं

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : राम नाम के आसरे पिछले 41 दिनों से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को गांव में बुलाने की आशा में बैठे भरुआ सुमेरपुर ब्लाक के कैथी गांव के बाशिंदों को रात में प्रारंभ हो चुकी तेज ठंड हौसला डिगा नहीं पा रही है। आश्चर्य की बात यह है कि दिन से ज्यादा लोग राम का नाम लेने रात में जुट रहे हैं। ग्राम प्रधान के साथ ही गांव के लोग अलाव की व्यवस्था के साथ दो तीन बार चाय की भी व्यवस्था कर रहे हैं।

भरुआ सुमेरपुर क्षेत्र के कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में रविवार को लगातार 41वें दिन भी राम धुन जारी रही। गांव की महिलाएं जहां इस अनोखे आंदोलन से उत्साहित हैं वहीं गांव का बच्चा बच्चा इस समय राम का नाम बोलता दिखाई दे रहा है। तभी तो इतने दिन बीतने के बाद गांव का हर बच्चा दूसरे बच्चे से कहता है, 'राम जी करेंगे बेड़ा पार उदासी मन काहे को डरे।' उधर गांव के बुजुर्गो ने बच्चों को हनुमान चालीसा व राम चालीसा के बारे में भी बताना प्रारंभ कर दिया है। गांव के कई लोग हनुमान बाहुक, शिव चालीसा का पाठ भी करते दिखाई देते हैं। उधर मस्जिद में भी मुसलमान भाई नमाज के बाद शुक्राना की नमाज के बाद गांव में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के जल्द आने की दुआ मांगते हैं। इसके साथ ही मुसलमान भाई मंदिर में बैठकर प्रतिदिन राम का नाम भी रोज लेते दिखाई देते हैं। उम्मेद सिंह, विकास शिवहरे, अरिमर्दन सिंह, खुशी राम आदि कहते हैं कि भइया वक्त कितना लग जाए पर जब तक मुख्यमंत्री गांव में नही आएंगे तब तक राम धुन अनवरत जारी रहेगी।

विकास के यज्ञ में प्राणों की आहुति

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : भरुआ सुमेरपुर क्षेत्र के कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में क्षेत्रीय जन समस्याओं के विरोध में राम धुन के रूप में शुरू हुए अनूठे लेकिन पावन आंदोलन में स्याह रंग लग गया। गत 41 दिन से लगातार जारी राम धुन में लीन रहे एक ग्रामीण की गत रात्रि मृत्यु हो गयी। बताते हैं कि वह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गांव में न आने से क्षुब्ध था और शाम से ही 'इतने दिन बीत गये इंतजार करते हुए, लेकिन अखिलेश नहीं आए, अखिलेश नहीं आए..' कह रहा था। रात में सीने में दर्द होने के बाद उसके प्राण निकल गये। अंदेशा है कि हृदयाघात से उसकी मौत हुई।

जानकारी के मुताबिक भरुआ सुमेरपुर ब्लाक के कैथी गांव निवासी भोला अपनी पत्नी मुन्नी देवी व पांच बच्चों के साथ रहते थे। परिवार का पेट पालने के लिए वह दर्जीगिरी करते थे। उनकी एक बेटी विवाह योग्य और बाकी नाबालिग हैं। क्षेत्रीय जन समस्याओं को लेकर गांव के प्राचीन शिव मंदिर में गत 9 अक्टूबर से चल रही राम धुन में वह भी सहभाग कर रहा था। इस आंदोलन का उद्देश्य सूबे के मुखिया अखिलेश यादव को गांव बुलाना बन चुका है। यहां अनवरत राम धुन के लिए कुछ घंटों की पाली की व्यवस्था की गयी है। रविवार देर शाम से वह लोगों से कहते घूम रहे थे कि, 'इतने दिन बीत गए। गांधी राम भजन कर अंग्रेजों को झुका लेते थे पर लगता है कि हमारे द्वारा चुनी गई सरकार के मुख्यमंत्री के कानों तक गुहार नहीं पहुंच रही है।' भोला राम धुन करने रविवार रात 2 बजे की पाली में भी आए। घंटा भर बाद लगभग 3 बजे उनके सीने में अचानक दर्द उठा और बोले कि, 'दिल घबरा रहा है। जल्दी घर ले चलो।'

राम धुन में लगे विकास शिवहरे व जीतेन्द्र सिंह उन्हें घर लेकर जा रहे थे तभी वह तीन-चार बार बोले कि, 'लगता है मुख्यमंत्री आएंगे नहीं।' दोनों लोग उनको घर पहुंचकर वापस रामधुन स्थल शिव जी के मंदिर में आ गए। थोड़ी देर बाद खबर आई कि भोला के सांसों की डोर टूट गई है। इसके बाद कोहराम मच गया। ग्रामीण भोला के घर दौड़ पड़े। भोला की पत्‍‌नी मुन्नी देवी ने कहा कि उनकी संतानें अनाथ हो गए। ग्रामीणों ने पुरोहितों की सलाह पर सोमवार दोपहर 2 बजे के बाद केवन नदी के गढ़ा घाट में जल दाह कर दिया। भोला की मौत से गांव में मातम का माहौल है।

'राजनाथ आयेंगे, होगा बड़ा आंदोलन'

दोपहर बाद गांव पहुंचीं विधायक साध्वी निरंजन ज्योति ने पीड़ित परिवार को हरसंभव मदद करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि भोला गांव के विकास के नाम पर शहीद हुए हैं। उनकी शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। उन्होंने लोगों को सांत्वना देते हुए तेरहवीं में आर्थिक मदद देने का आश्वासन देते हुए कहा कि जल्द ही गांव में भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह आएंगे और बड़ा आंदोलन किया जाएगा। वरिष्ठ कांग्रेस नेता युगराज सिंह ने कहा कि उन्हें भोला की मौत का दु:ख है। वह मंगलवार को गांव में जाकर हालत देखेंगे और फिर वरिष्ठ नेताओं से बात करेंगे। अपर जिलाधिकारी रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि उन्होंने गांव में टीम भेज दी है। रिपोर्ट मिलने पर पीड़ित परिवार की मदद की जाएगी।

राम के आसरे ही चल रही है राम धुन

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : न किसी से गिला है न किसी से शिकवा। जब हमारा भाग्य ही हमसे रूठा है तो हम किसे दोष दें?.. कुछ इस तरह के शब्द निकलते हैं भरुआ सुमेरपुर ब्लाक के कैथी गांव के निवासियों के।

गांव के लोग बिगड़ी नियति का सहारा हरि हर को मानकर उन्हीं का नाम लेने बैठने के बाद अब साफ शब्दों में कहते हैं कि हमें किसी से कोई दिक्कत नहीं। सरकार के द्वारा चलाई जाने वाली कल्याणकारी योजनाएं हमारे पास पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देती हैं। आखिर आजाद भारत में ऐसा क्यों होता है। शिक्षा के लिए कक्षा पांच से ज्यादा का स्कूल नही, लिहाजा बच्चों को या तो बाहर भेजो या फिर घर में बैठाकर बखर हंकवाओ। खैर आज नही तो कल भगवान को भी सुधि आएगी ही और विकास की रोशनी गांव में आएगी। तब शायद हमारा भाग्य सुधरे। वैसे गांव में चल रही अखंड राम धुन को शुक्रवार को 39 दिन बीत गए हैं, और इससे गांव के माहौल में आशातीत परिवर्तन हुआ है। कल तक नशे की गिरफ्त में रहने वाले युवा आज राम नाम का तप करते सड़कों व गलियों पर दिखते हैं।

ग्राम प्रधान वासुदेव निषाद, उम्मेद सिंह, अरिमर्दन सिंह, विकास शिवहरे, रामवती, मौजी लाल, शिव मूरत, राम लाल आदि कहते हैं कि भइया राम जी के सहारे हम बैठे हैं और उसी राम की पूजा तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी करते हैं अब उनको कब इस गांव की याद आएगी। यह तो वही जानते हैं पर इतना साफ है कि आज नही तो कल वह यहां पर आएंगे और राम नाम यज्ञ में भाग लेकर कृतार्थ करेंगे।

मंजि़ल की ओर बढ़ रहे हैं अनथके कदम

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : नवरात्रि बीती, दशहरा गया, दीपावली भी निकल गई, पर पता नही कब चेतेंगे हुक्मरान? जी हां, अब इसी तरह की बातें न केवल मौहर व अन्य आसपास के गांवों के लोगों के मुंह से निकल रही हैं बल्कि भरुआ सुमेरपुर ब्लाक के कैथी गांव में राम धुन करने वालों के पास आसपास के दर्जनों गांवों के लोग हौसला बढ़ाने प्रतिदिन पहुंच रहे हैं। कैथी गाँव के प्राचीन शिव मंदिर में राम धुन बृहस्पतिवार को भैया दूज पर लगातार 38वें दिन भी जारी रही।

मौहर गांव के श्याम हो फिर भरुआ सुमेरपुर के भवानी प्रसाद सभी के मुंह से इस हिदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक राम नाम उच्चारण महायज्ञ के प्रति साधुवाद ही निकलता है। गंभीर बात यह है कि जहां गांवों के आम लोग कैथी के लोगों की तारीफ करते नहीं अघाते वहीं हुक्मरानों व नौकरशाहों को कोसने का भी काम करते हैं। लोगों में सबसे ज्यादा गुस्सा बिजली विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर है। गांवों के लोग कहते हैं कि जहां प्रशासनिक अधिकारियों ने तेजी दिखाकर निर्देश दिए और सबसे बढि़या काम स्वास्थ्य विभाग ने किया वहीं सेतु निर्माण निगम व बिजली विभाग के अधिकारी तो पता नही किस मिट्टी के बने हैं। भगवान राम का भजन कर रहे कैथी में तो अब राम राज्य के दर्शन हो रहे हैं यहां के लोगों के अहिंसक अनोखे आंदोलन से बाकी लोगों को सबक लेना चाहिए। लेकिन दीपावली के पहले गांव में बिजली जला कर देने वाली बात करने वाले अधिकारी पता नही किस मिट्टी के बने हैं जो इनके कान में जूं नही रेंग रही है। ग्राम प्रधान वासुदेव निषाद कहते हैं केवल राम राम के सहारे नैया पार हो जाएगी। सर्दी, गर्मी व बरसात की परवाह नही है, बस हमें अपनी मंजिल यानि अखिलेश भैया का इंतजार है।

अब माला फेरकर राम नाम का जप

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : न कोई रंज है न ही कोई शिकवा, राम के सहारे बस गांव की समस्याओं के निदान की आस है। भरुआ सुमेरपुर ब्लॉक के कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में जहां मंगलवार को दीपावली पर्व पर लगातार 36वें दिन राम का नाम लेकर एक ओर हिंदू और मुसलमान राम का नाम लेने में डटे रहे, वहीं घास-फूस की कुटी में पांच लोगों ने पूरे विधि-विधान के साथ राम नाम का जप प्रारंभ कर दिया है।

मंगलवार की सुबह दीपावली के पुण्य मुहूर्त में ग्रामीणों ने यज्ञ वेदी का विधिवत पूजन कर भगवान राम का नाम लेकर राम नाम का जप माला के सहारे प्रारंभ कर दिया। इस दौरान प्रधान वासुदेव निषाद ने बताया कि वह पुराने शिव मंदिर में राम नाम का सुमिरन करते 35 दिन बीत गए, गांव वालों में भगवान का नाम सुमिरन करने के लिए और भी ज्यादा उत्साह को देखते हुए सामने के मैदान को साफ कराकर उसमें कांसे की कुटिया के साथ यज्ञवेदी का निर्माण करा दिया गया है। इस यज्ञ वेदी में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा हवन करने के बाद ही यज्ञ की पूर्णाहुति होगी। पांच लोग हर समय यहां पर राम नाम का माला फेरने का काम करेंगे। इसके साथ ही मंदिर में भी राम नाम का जप चलता रहेगा। उन्होंने बताया कि पांच पांच लोगों की ड्यूटी इस काम में लगाई गई है। सभी लोग प्रसन्नचित मन से इस काम में सहभाग कर रहे हैं।

गांव के उम्मेद सिंह, अरिमर्दन सिंह, विकास शिवहरे आदि ने बताया कि अब तो सीधे तौर पर राम जी से यही विनती है कि वह हनुमान जी को भेजकर हमारी समस्याओं का निदान करें। गांव में 10 से 15 परिवार मुसलमानों के रहते हैं और वह भी इस महायज्ञ में पूरी तरह से सहयोग कर रहे हैं।

अब कैथी में होगा राम नाम का दूसरा आंदोलन

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : अभी तक तो केवल माइक लगाकर ऊँचे स्वर में ही राम नाम का संकीर्तन करने का काम कैथी में चल रहा था पर दीपावली के दिन श्री गणेश मां लक्ष्मी के पूजन के पहले राम नाम के जप का भी आंदोलन प्रारंभ हो गया। रणनीति पूरी फाइनल हो चुकी है, बस चार चार घंटे की डयूटी कर राम नाम की माला फेरने वालों के नाम फाइनल करना बांकी है।

अब तो इस अनोखे आंदोलन में व्यवस्था देख रहे लोग इस बात को लेकर परेशान हैं कि नाम ज्यादा है और समय कम तो कैसे सभी के हाथों में माला देकर राम नाम का जाप करवाया जाए।

राम धुन के आसरे समस्याओं से समाधान की ओर बढ़ते भरुआ सुमेरपुर ब्लाक के कैथी गांव में लोगों को शिव मंदिर के ओसारे पर बैठे रविवार को 34 दिन बीत गए। इधर तो राम धुन में ग्रामीणों के साथ ही बाहर से आने वालों की तादाद को देखते हुए मंदिर में समुचित प्रबंध किए गए हैं। इसके साथ ही ग्राम प्रधान के नेतृत्व में लोगों ने मंदिर के सामने की जमीन को साफ कर एक कांसे की कुटिया का निर्माण करने के साथ ही यहां पर एक यज्ञ वेदी का निर्माण किया है।

ग्रामीणों की मानें तो दीपावली की दोपहर बाद यहां पर संकीर्तन के साथ ही कुटिया के अंदर पांच भक्त राम नाम माला फेरने का आंदोलन प्रारंभ कर देंगे। इसके लिए पांच पांच लोगों की चार चार घंटे की डयूटी लगाई जाएगी। ग्राम प्रधान वासुदेव निषाद कहते हैं कि वह खुद इस बात को लेकर आश्चर्यचकित हैं कि गांव के लोग माला फेरने के लिए अति उत्साह दिखा रहे हैं। अभी तक सैकड़ों लोग इस काम के लिए अपनी सहभागिता दर्ज करा चुके हैं। उन्होंने कहा कि दीपावली के बाद तो रामधुन में और भी ज्यादा लोगों की सहभागिता हो जाएगी क्योंकि उस समय तक खेती किसानी का समय खत्म हो जाएगा और घरों में चल रही लिपाई और पुताई का काम भी समाप्त हो चुका होगा।

द्वापरकाल से जारी है अनूठी परंपरा 'दीवारी'

संदीप रिछारिया, हमीरपुर

'सावन सजी कजिलिया, भादौं सजी पुछार, कातिक सजै मौनिया, धरे गऊ की पूंछ..' इस तरह की कूंकियों वाली आवाजें जिले के हर गांव व पुरवों में सुनाई दे रही हैं। भादौं की पंचमी को नैकेश्वर बाबा की पूजा व दशहरे की रात लाठियों को पूजने के बाद अब रातों रात दीवारी खेलकर मौनिये तैयार हो रहे हैं। श्री चित्रकूट धाम में बाबा कामतानाथ के दरवाजे हाजिरी लगाने के बाद फिर यह शहर और गांव की गलियों में अपना उल्लास भरा हुड़दंग बिखेरते खिचड़ी तक दिखेंगे।

कहते हैं कि द्वापर में कालिया के मर्दन के बाद ग्वालों ने श्री कृष्ण का असली रूप देख लिया था। श्री कृष्ण ने उन्हें गीता का ज्ञान भी छुटपन में दे दिया था। गो पालकों को दिया गया ज्ञान वास्तव में गाय की सेवा के साथ शरीर को मजबूत करना था। श्री कृष्ण ने उन्हें समझाया कि इस लोक व उस लोक को तारने वाली गाय माता की सेवा से न केवल दुख दूर होते हैं बल्कि आर्थिक सम्बृद्धि का आधार भी यही है। इसमें गाय को 13 वर्ष तक मौन चराने की परंपरा है। आज भी यादव (अहीर) और पाल (गड़रिया) जाति के लोग गाय को न सिर्फ मौन चराने का काम करते हैं, बल्कि दीवारी भी खूब खेलते हैं।

लोकध्वनि के सचिव डॉ. राम भजन सिंह कहते हैं कि बुंदेली लोकसंगीत का नायाब नमूना है दीवारी नृत्य और गायन। वैसे आज हमारी दीवारी भाषा और रागों की सीमा से परे होकर देश और विदेश में विचरण कर रही है। लेकिन सच्चाई यह है कि भले ही बुंदेली जन राम के उपासक हों पर वास्तव में वैष्णव भक्ति की दूसरी धारा कृष्ण की भक्ति यहां गांव- गांव में बहती है। इसका परिणाम है कि बुंदेलखंड के हर गांव में दीवारी की कम से कम एक टीम जरूर मिल जाती है। वह कहते हैं कि दीवारी के नृत्य में पैरों व कमर में बंधे घुंघरुओं की रुनझुन के साथ लाठियों की लड़ाई में शरीर में लोच, फुर्ती और चतुराई को बढ़ाती है वही इसका गायन चेहरे के ओज की वृद्धि करने वाला है।

सहज किनारा मिलेगा जरूर

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : कैथी गांव के लोगों को राम का नाम लेते शनिवार को 33 दिन बीत गये हैं, लेकिन लोगों को उम्मीद है कि सहज किनारा जरूर मिल जाएगा। सूबे के मुखिया अखिलेश सिंह यादव गांव में जरूर आकर न केवल दस मिनट राम राम करेंगे बल्कि यज्ञवेदी में आहुतियां भी डालकर रामधुन को विश्राम देंगे।

गांव के प्राचीन शिव मंदिर समेत आस-पास राम धुन में मगन ग्रामीणों की चर्चा के स्वर बदल चुके हैं। राममय वातावरण में लोग आत्मविश्वास से लबरेज हैं। दीपावली के दिन से मंदिर के सामने के मैदान में कांसे की कुटिया पर पांच भक्त राम नाम की माला फेरेंगे। साथ ही बगल में हवन वेदिका बनाई जा रही है, जिसमें मुख्यमंत्री हवन करेंगे। तभी इस राम नाम यज्ञ की पूर्णाहुति होगी।

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'भैया, राम धुन से गांव पवित्र हो गया है। यहां लोग आपस में प्रेम करना सीख गए हैं। बड़ों का आदर, छोटो को प्यार और आपसी सहकार की भावना लोगों में पनपी है, वह आनंदित करती है। मैं भी रात में 8 बजे से लेकर 2 बजे तक रामधुन में शामिल होकर सबका उत्साह बढ़ाता हूँ।'

- वासदेव निषाद, ग्राम प्रधान

भटककर आये उड़नखटोले से ग्रामीणों में बढ़ा उत्साह

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : गांव की समस्याओं के निजात दिलाने के लिए राम से विनती कर रहे ग्रामीणों का उत्साह उस समय चरम पर पहुंच गया जब कैथी गांव के ऊपर से उड़ता हुआ एक हेलीकाप्टर निकला। सुखद बात यह रही कि इस हेलीकाप्टर ने कैथी गांव के उस मंदिर के ऊपर भी चक्कर मारा जहां पर रामधुन पिछले 32 दिनों से गायी जा रही है।

आसमान में दूर से आते हेलीकाप्टर को देखकर कैथी ही क्या आसपास के मउहर व अन्य गांवों में उत्साह छा गया। दस मिनट के अंदर ही रामधुन स्थल पर हजारों लोग जमा होकर जय श्री राम के जयकारे लगाने लगे। अचानक बदले माहौल से वहां पर राम धुन गा रहे लोग भी आनंदित हो सठे। फिर क्या था जवाबी जय श्री राम गूंज उठा। ग्रामीणों को लगा कि हेलीकाप्टर में मुख्यमंत्री आए हैं। लगभग आधे घंटे के बाद जब पूरी तस्वीर साफ हुई तो समझ में आया कि यह हेलीकाप्टर कहीं से भटक कर आ गया था।

फिलहाल गांव के उम्मेद सिंह, अरिमर्दन सिंह, विकास शिवहरे आदि ने कहा कि आज भले ही हेलीकाप्टर भटक कर आया है पर राम जी के प्रताप से वह दिन भी दूर नही जब हेलीकाप्टर पर बैठकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव गांव में आएंगे और राम राम के चार बोल बोलकर आनंदित करेंगे।

फिलहाल इस घटना के बाद न केवल कैथी के निवासी बल्कि भरुआसुमेरपुर व मौदहा के निवासियों के साथ जिले में इस बात की चर्चा सुनाई दे रही है कि दीपावली के बाद किसी भी दिन मुख्यमंत्री कैथी आ सकते हैं।

समस्याओं को भुला माहौल हुआ राममय

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : कहते हैं कि जहां अनवरत राम का नाम गूंजता है, वहां अशांति समाप्त हो जाती है। भरुआ सुमेरपुर क्षेत्र के कैथी ग्राम में शिव मंदिर आइये, अपने आप अनुभव हो जाएगा कि राम के नाम के उच्चारण करने मात्र से प्रभाव क्या होते हैं।

यहां के शिव मंदिर के ओसारे पर बैठकर भक्तों को राम के नाम को गाते गुरुवार को 31 दिन पूरे हो गए, लेकिन 'राम काज कीन्हे बिनु, मोहि कहां विश्राम..' की तर्ज पर गांव के लोग राम का नाम लेने में जुटे हुए हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि पिछले इकतीस दिनों से गांव में किसी से किसी की तू तू मै मैं भी नही हुई। इतना ही नही गांव में बनी अस्थाई चौकी के सिपाही भी दिन में कई बार मंदिर में बैठकर राम नाम संकीर्तन कर रहे हैं।

गांव के महेन्द्र सिंह, बालेन्द्र सिंह, शिव विशाल सिंह, पहलवान सिंह कहते हैं कि राम के नाम के आसरे इतने दिन लड़ाई लड़ी है। आजादी के बाद मूलभूत सुविधाओं को पाने की जद्दोजहद में अधिकारियों और नेताओं के इतने ज्यादा चक्कर लगाए कि हम लोग खुद ही घनचक्कर बन गए। कितना पैसा और समय बर्बाद हुआ इसकी कोई गिनती नही। अब क्या किया जाता। जब कोई सुनने वाला नहीं और गाल बजाने को सब तैयार हैं तो फिर दाता से ही मांग करनी उचित समझी गई। गांव में शिव मंदिर में राम का नाम लेने बैठ गए और आज इकतीस दिन हो गए हैं। मुख्यमंत्री के आए बिना यह राम नाम यज्ञ बंद नही होगा।

वैसे अभी तक के बिजली के काम को देखकर लग रहा है कि जल्द ही गांव के अंदर बिजली का करंट दौड़ेगा। नदी के दूसरे पाट तक खंभे गड़ने के साथ ही बिजली की तार दौड़ गई है। साथ ही गांव में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने भी काम जारी रखा।

रामहिं केवल प्रेम पियारा, सुमिर सुमिर नर उतरहिं पारा

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : समस्याओं से निदान के लिए अनूठा आंदोलन कर रहे भरुआ सुमेरपुर ब्लॉक के कैथी गांव में राम नाम का जप करते बुधवार को तीस दिन हो गए। गांव में बिजली कब आएगी, सड़क कब बनेगी इस बात से बेपरवाह कैथी के ग्रामीण इस समय केवल एक ही चिंता में दिखते हैं और वह है अनवरत राम का नाम कैसे लें!

भले ही गांव में गुंजायमान हो रही रामधुन को एक महीना बीत चुका हो पर गांव के लोग कहते हैं कि भइया हमें तो ऐसा लगता है कि हमने कल ही राम का नाम लेना प्रारंभ किया है।

गांव के उम्मेद सिंह हों या विकास शिवहरे कहते हैं 'जिंदगी जब तक रहेगी, फुरसत न होगी काम से कुछ समय ऐसा निकालो, प्रेम कर लो श्री राम से' जब यह बात बुजुर्ग कह गए हैं और राम जी ने ही हमें यह सौभाग्य दे दिया है तो फिर हम क्यों चूकें।

गांव के अरिमर्दन सिंह,खुशी राम, राजेन्द्र सिंह, राम पाल, पहलवान, शरीफ खान, शकीर खान, मुसीबत खां, कमला कुशवाहा, रानी यादव, वंदना, भुलिया, साधना सिंह, छेदी वर्मा कहते हैं कि भइया हमारे गांव के तो भाग्य खुल गए। शंकर जी के मंदिर में चल रही राम धुन को एक महीना बीत गया और पता नही चला। शायद ही ऐसा अनुष्ठान किसी और गांव के लोगों ने अपनी समस्याओं से निजात पाने के लिए किया हो। हम तो इस आंदोलन से काफी प्रसन्न है। अब जब तक हमारे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हमारे पास आकर मंदिर में बैठकर राम राम नही करते यह राम नाम महायज्ञ अनवरत जारी रहेगी।

उधर अपर जिलाधिकारी रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि गांव का एएनएम सेंटर खुल रहा है। रंगाई पुताई भी करा दी गई है। स्कूल के सर्वे की रिपोर्ट आ गई है। जल्द ही प्रस्ताव बनाकर अतिरिक्त कक्ष बनाया जाएगा। इसके साथ ही गांव में बिजली दीपावली के पहले जलेगी। वैसे अभी तक दो रिमाइंडर भेजे जाने के बाद भी सेतु निर्माण निगम की तरफ से कोई जवाब नही आया है। उच्चाधिकारियों से बात कर समस्या का समाधान कराया जाएगा। एसडीएम आईएएस आशुतोष निरंजन ने कहा कि वह खुद भी सेतु निर्माण निगम के अधिकारियों से बात कर समस्या का समाधान करने का प्रयास करेंगे।

श्री राम राम के उद्घोष से मंगलित होता कैथी

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : राम के नाम का प्रभाव केवल कैथी ही नहीं, अपितु आस-पास के क्षेत्र में भी दिख रहा है। पिछले महीने जिलाधिकारी व अन्य अधिकारियों को ज्ञापन देकर सरकारी कार्यक्रमों का बहिष्कार करने वाले गांव कैथी के लोगों ने केवल तीन दिन में ही शत प्रतिशत बच्चों को पल्स पोलियो की खुराक पिला डाली। राम के प्रभाव में आए इस गांव के लोग अब न केवल सरकार की चलाई जाने वाली योजनाओं के प्रति जागरुक दिखाई देते हैं बल्कि अब नए नियम और कानूनों के प्रति भी जानकारी कर रहे हैं।

मंगलवार को 29वें दिन भी कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर पर राम के नाम का उच्चारण जारी रहा। महिला-पुरुष और हिंदू-मुस्लिम सभी 'श्री राम जय राम जय जय राम' का संगीतमय उच्चारण करने के काम में लगे दिखाई दे रहे थे। मुख्यमंत्री के आगमन के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुके कैथी गांव में लोग इस समय इतने प्रसन्न दिखाई देते हैं कि वह अब अपनी दिक्कतों के बारे में बात नही करते। कहते हैं कि भइया राम जी की कृपा से तो सब काम हो रहे हैं। जब हमने अपनी पूरी चिंताएं राम जी को सौंप दी हैं तो फिर हमें किस बात की चिंता।

गांव के सतीश चंद्र शिवहरे, लाल जी पाल, राम भवन, राम बिलास सिंह, अशोक खरे, शरीफ खान, शकीर खान, जसवंत सिंह आदि कहते हैं कि अब तो गांव में एएनएम आ गई हैं। गांव की महिलाएं दिन भर उनके पास जाकर अपनी समस्याओं के बारे में बातें करती हैं। वह उन्हें दवाएं देती हैं। इसके साथ ही गांव की आशा और आंगनबाड़ी भी बच्चों को न केवल पल्स पोलियो पिलाने में बल्कि अन्य टीका लगवाने में मदद करती हैं। उन्होंने कहा कि जहां कभी जानवर बंधा करते थे अब वहां पर रंगाई-पुताई के बाद दवाएं मिल रही हैं। इससे ज्यादा बढ़कर खुशी की हमारे लिए दूसरी क्या बात हो सकती है।

विश्वास फलीभूत होने से बढ़ रहा उत्साह

हमीरपुर कार्यालय : इसे राम नाम की माया कहे या विश्वास का फल जिसे जप कर मानव भव सागर पार उतर जाता है। वही राम नाम कैथी के लोगों का सहारा बना हुआ है। स्वास्थ्य एवं बिजली विभाग जहां अपने काम को अंजाम दे रहे हैं वहीं विधायक का साथ भी लोगों में विश्वास पैदा कर रहा है।

भरुआ सुमेरपुर क्षेत्र के कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में सोमवार को लगातार 28वें दिन रामधुन व आरती प्रसाद का सिलसिला जारी है। खेतों पर काम करने के बाद आसपास के गांवों के किसान मंदिर में एकत्र हो जाते हैं जिससे संख्या भी सैकड़ा पार करने लगी हैं। विद्युत विभाग का काम तार व खंभों का नदी किनारे तक लग पहुंच चुका है। नदी के आरपार तार लोहे के खंभों के लगाने की बावत ग्रामीणों ने विधायक साध्वी निरंजन ज्योति को बताया कि सीमेंट के खंभे जल्द टूट जाते हैं, यदि लोहे के खंभे लगा दिए जाएं तो तारों का भार भी सहन कर सकेंगे व टिकाऊ रहेंगे। साध्वी ने अधिशासी अभियंता हमीरपुर को फोन कर लोहे के खंभों के संबंध में बात की जिस पर उन्होंने जो खंभे उपलब्ध हैं लगवाने व बाकी उपलब्ध हो जाने पर बदलवाने का आश्वासन उन्हें दिया। जिससे ग्रामीणों का उत्साह चरम पर पहुंच चुका है।

चमकाया जा रहा है एएनएम सेंटर

स्वास्थ्य विभाग द्वारा एएनएम की नियुक्ति होने के बाद से सैकड़ों मरीजों ने सेंटर पर दवा आदि प्राप्त की। पल्स पोलियो अभियान अंतर्गत दवा पिलाने का क्रम बराबर जारी रहा। ग्रामीण राम सजीवन ने बताया इससे पहले बच्चों को पोलियो की दवा ही नहीं पिलाई गई। सेंटर की रंगाई पुताई के चलते ग्रामीण खुश हो बड़े उत्साह से अपने मुख्यमंत्री का इंतजार कर रहे हैं।

राम जी करेंगे बेड़ा पार, उदासी मन काहे डरे

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा..

- कैथी गांव के शिव मंदिर में लगातार 26वें दिन जारी रही राम धुन

- सीएम के आने की चाह, जुड़ते जा रहे लोग और बढ़ रहा उत्साह

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहां विश्राम.. कहते हैं श्रीराम की कथा हो या फिर रामधुन गाई जाए इस तरह की सभी जगहों पर महाबीर अपने आप मौजूद रहते हैं। रामधुन की कुछ ऐसी ही लगन कैथी के निवासियों पर अब देखी जा रही है। उनका उत्साह न केवल रामधुन के लिए तेज हो चुका है बल्कि अब तो वह अपने मुख्यमंत्री के आगमन की प्रतीक्षा में गांव सजाने के काम को जल्द पूरा कर लेना चाहते हैं। इधर, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. रामशरण मिश्र ने शनिवार को खुद ही गांव का निरीक्षण किया और यहां स्वास्थ्य सेवाएं न होने की कमी स्वीकारी। उन्होंने स्वास्थ्य सेवाएं बढ़ाने का भरोसा दिलाया।

कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में शनिवार को लगातार 26वें दिन राम नाम का जाप व भजन जारी रहे। गांव के चौबारों के साथ ही निकास व अन्य स्थानों पर श्री राम चरित मानस की चौपाइयों व ध्वजों को लगाने का काम तो लगभग पूरा चला है जबकि मुख्यमंत्री के स्वागत व पूजा हवन करने के लिए चबूतरा, घास की कुटिया व हवन बेदिका का निर्माण के काम को अंतिम रूप देने में लोग जुटे हुए हैं।

गांव के उम्मेद सिंह कहते हैं कि कौन सो काम कठिन जग माही जो नही होय तात तुम पाहीं. कहते हैं कि राम के भक्त हनुमान तो हमारे सदा से सहायक हैं। फिर हमने रामधुन भी तो भगवान शिव के मंदिर पर रखा है। भगवान शिव का ग्यारहवां रूद्र बजरंग बली को माना जाता है। ऐसे में हमारे रामनाम महायज्ञ की पूर्णाहुति शानदार होना तय है। आसपास के गांवों से आने वाले विभिन्न धर्मो के लोग आज भी उत्साह बढ़ाने भारी संख्या में आए।

इधर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. रामशरण मिश्र ने कहा कि गांव में पहले से ही एक एएनएम की तैनाती कर दी गई है। वह खुद ही वहां की व्यवस्थाओं की जांच करने के लिए रविवार को कैथी पहुंचेंगे।

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''इतने अच्छे लोगों के गांव में स्वास्थ्य सेवाएं न दे पाना वाकई समस्या है। केवल गांव बीहड़ में होने के कारण ऐसा हुआ है। एक एएनएम की पोस्टिंग कर दी गई है। हफ्ते में एक दिन चिकित्सक भी गांव में मौजूद रहेंगे। इसके साथ एक मेल वर्कर को भी गांव में लगाया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी एएनएम केंद्र में बैठकर लोगों को उचित सलाह देना होगा। इसके साथ ही गांव केंद्र में रंगाई और पुताई के लिए आदेश कर दिए गए हैं।''

- डॉ. रामशरण मिश्र, मुख्य चिकित्साधिकारी, हमीरपुर

राम जी की कृपा से हो रहे सब काम

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा..

- कैथी के शिव मंदिर में लगातार 27वें दिन जारी रही राम धुन

- बिजली विभाग ने दोबारा शुरू किया काम, गड़ने लगे पोल

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : राम का नाम तो पहले ही जुबां पर आया था, पर उसकी तासीर में कुछ अकुलाहट थी लेकिन अब जो राम का नाम निकलता है तो उसमें खिलखिलाहट है। प्रसन्नता तो जैसे गांव के हर शक्स के चेहरे पर दिखाई देती है। जिससे भी बात करो हर एक के मुंह से निकलता है कि भइया राम जी की कृपा से सब काम हो रहा है। सब वही करा भी रहे हैं हम तो केवल राम नाम संकीर्तन का आनंद उठा रहे हैं।

भरूआसुमेरपुर ब्लाक के कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में रविवार को लगातार 27वें दिन भी रामनाम का संकीर्तन चलता रहा। लगभग पांच लोगों का समूह राम नाम का गान करने में जुटा रहा। यहां पर न तो जाति का भेद है, न ही धार्मिक आधार पर कोई दिक्कत। हिंदू हो या मुसलमान राम का नाम सबकी जुबां पर है। हर एक व्यक्ति इस बात को लेकर काफी प्रसन्न है कि उसका गांव राम के नाम को लेकर प्रदेश व देश के स्तर पर पहुंचा तो अब वह दिन दूर नही है जब प्रदेश के मुखिया अखिलेश सिंह यादव भी उनके बीच आकर राम का नाम गुनगुनाएंगे।

एक बार फिर गड़ने लगे पोल

रामधुन की शुरूआत के तीन दिन बाद ही बिजली विभाग ने काम को प्रारंभ कराया था पर दो ही दिन बाद काम बंद हो गया। अधिशाषी अभियंता तरनवीर सिंह ने बताया कि कुछ समान उरई से आना था पर उसके आने में विलम्ब हुआ जिसके कारण यह दिक्कत हुई। अब समान दे दिया गया है। काम दोबारा प्रारंभ हो गया है। ग्रामीणों ने बताया कि आज ठेकेदार लेबर लेकर आया है और कुछ खंभे खड़े भी किए हैं।

राम जी करेंगे बेड़ा पार, उदासी मन काहे डरे

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा..

- कैथी गांव के शिव मंदिर में लगातार 25वें दिन जारी रही राम धुन

- सीएम के आने की चाह, जुड़ते जा रहे लोग और बढ़ रहा उत्साह

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : राम काज करिबे बिना मोहि कहां विश्राम. कहते हैं राम की कथा हो या फिर रामधुन गाई जाए इस तरह की सभी जगहों पर महाबीर अपने आप मौजूद रहते हैं। रामधुन की कुछ ऐसी ही लगन कैथी के निवासियों पर अब देखी जा रही है। उनका उत्साह न केवल रामधुन के लिए तेज हो चुका है बल्कि अब तो वह अपने मुख्यमंत्री के आगमन की प्रतीक्षा में गांव सजाने के काम को जल्द पूरा कर लेना चाहते हैं।

कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में शुक्रवार को करवा चौथ के दिन लगातार 25वें दिन राम नाम का जाप व भजन जारी रहे। गांव के चौबारों के साथ ही निकास व अन्य स्थानों पर श्री राम चरित मानस की चौपाइयों व ध्वजों को लगाने का काम तो लगभग पूरा चला है जबकि मुख्यमंत्री के स्वागत व पूजा हवन करने के लिए चबूतरा, घास की कुटिया व हवन बेदिका का निर्माण के काम को अंतिम रूप देने में लोग जुटे हुए हैं।

गांव के उम्मेद सिंह कहते हैं कि कौन सो काम कठिन जग माही जो नही होय तात तुम पाहीं. कहते हैं कि राम के भक्त हनुमान तो हमारे सदा से सहायक हैं। फिर हमने रामधुन भी तो भगवान शिव के मंदिर पर रखा है। भगवान शिव का ग्यारहवां रूद्र बजरंग बली को माना जाता है। ऐसे में हमारे रामनाम महायज्ञ की पूर्णाहुति शानदार होना तय है। आसपास के गांवों से आने वाले विभिन्न धर्मो के लोग आज भी उत्साह बढ़ाने भारी संख्या में आए।

इधर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. रामशरण मिश्र ने कहा कि गांव में पहले से ही एक एएनएम की तैनाती कर दी गई है। वह खुद ही वहां की व्यवस्थाओं की जांच करने के लिए रविवार को कैथी पहुंचेंगे।

..तो गांव में एक साथ मनेगी दीपावली व ईद

हाकिम नकारा, हरि हर का सहारा..

- कैथी गाँव के प्राचीन शिव मंदिर में लगातार 24वें दिन जारी रही राम धुन

- मुख्यमंत्री के आगमन पर होगा जश्न, 'प्रसाद' में चढ़ेगा सिंवई व लड्डू

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : चौक पुराओ. माटी रंगाओ. आज प्रिया मेरे घर आएंगे. कुछ ऐसे अंदाज अब कैथी गांव में देखी जा रही है। पिछले 24 दिनों से राम धुन के माध्यम से प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव को पूर्णाहुति करने का निमंत्रण दे चुके ग्रामीणों का उत्साह अब अपने पूरे चरम पर है।

अनोखे रामधुन महायज्ञ के कारण देश-प्रदेश में चर्चा का स्थान पा चुके भरुआ सुमेरपुर ब्लाक के कैथी गांव के लोग इस बात को लेकर काफी संजीदा और चौकन्ने हैं कि पता नही कब उनके गांव में मुख्यमंत्री का उड़नखटोला उतर जाए। जहां एक तरफ गांव के लोग जाति धर्म की सीमाओं को लांघकर राम का नाम जप रहे हैं, वहीं उनके पास से एक ऐसा संदेश आया है, जिसे सुनकर फिरकापरस्तों को चिढ़ हो सकती है। कैथी गाँव के प्राचीन शिव मंदिर में बृहस्पतिवार को इस अखंड राम धुन का 24वाँ दिन था।

गांव के उम्मेद सिंह, अरिमर्दन सिंह, विकास शिवहरे,लाल जी पाल,सतीश चंद्र शिवहरे, चंद्रशेखर आदि कहते हैं कि इससे कोई फर्क नही पड़ता कि मुख्यमंत्री कब आते हैं पर इतना साफ है कि उनके आने पर हम दीपावली जरूर मनाएंगे। शाम को पटाखे फोड़ने के साथ ही शाम को घरों के बाहर शुद्ध देशी घी के दिए जाए जाएगें। उधर मुसीबत खां, नफीस, फिरोज, रमजान आदि कहते हैं कि ईद भले ही बीत गई हो पर मुख्यमंत्री के आने पर हम ंिसंवई से उनका मुंह मीठा कराएंगे और ईद जैसा ही स्वागत करेंगे।

सपा ब्राह्मण सभा ने ली मुख्यमंत्री को लाने की जिम्मेदारी

सपा ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार पांडेय को जब इस बात की जानकारी हुई कि यहां पर कैथी गांव में लोग केवल मुख्यमंत्री के दर्शन की आस में पिछले 24 दिनों से राम राम का जप कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि वह कल लखनऊ पहुंच रहे हैं और जैसे ही उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री से होगी वैसे ही उन्हें कैथी का हाल बताकर यहां पर लाने का समय लेंगे और साथ में भी आएंगे।

राम के आसरे राम के सहारे

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा..

- शिव मंदिर में 21वें दिन भी जारी रही राम धुन

- मउहर से कैथी तक गूंज रहा है राम का नाम

- आसपास के ग्रामीण भी ले रहे उत्साह से भाग

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : मंगल भवन अमंगलहारी. जय सियाराम. श्री राम जय राम जय जय राम और जय श्री राम. यह केवल भगवान का नाम नहीं बल्कि उस इबारत का नाम है जो अब पूरे बुंदेलखंड में रामधुन के कारण मशहूर हो चुके कैथी गांव के हर घर पर लिखी दिखाई देती है। राम के नाम का प्रभाव अब कैथी के निवासियों को केवल इक्कीस दिनों में ही साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। न तो गांव में किसी का किसी से विवाद हो रहा है और न ही कोई ऊँची आवाज में बात करता दिखाई देता है।

गांव के बुजुर्ग कहते हैं कि सकारात्मक तरीके से प्रारंभ किए गए प्रभु के नाम जप आंदोलन के प्रभाव से गांव में लोगों के अंदर की वैमस्यता समाप्त होती दिखाई दे रही है। नशेबाजी भी लगभग गायब हो चुकी है। बच्चों के अंदर संस्कारों का उदय हो चुका है।

वैसे इस समय बोवाई का समय चल रहा है और दिन के समय गांव के तमाम स्त्री व पुरूष खेतों पर होते हैं। लेकिन उनके भी सुर बदल चुके हैं पहले जहां उनके मुंह से फिल्मी गीतों के सुर निकलते थे, वहीं अब वह रघुपति राघव राजा राम गाते दिखाई दे रहे हैं। इसके साथ ही आपस के अभिवादन का स्वर भी राम राम ही सुने जा रहे हैं। राम के नाम का प्रभाव कुछ ऐसा है कि बच्चे भी स्कूल में नमस्ते व उपस्थित की जगह राम राम करते दिखाई देते हैं।

उधर जहां गांव के शिव मंदिर पर राम नाम संकीर्तन सोमवार को 21वें दिन भी जारी रहा। लगातार यहां बांदा जिले के कुछ गांवों व इस जनपद के तमाम गांवों के लोग आकर राम राम महायज्ञ में भाग लेकर अपने जीवन को कृतार्थ करने का काम कर रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री के आगमन की आहट पर हवन वेदिका व कुटिया के निर्माण का काम भी अंतिम चरण में हैं। मैदान पर बल्लियां गाड़कर उसमें कांसे की कुटिया बनाए जाने की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

गांव के लोग कहते हैं कि अब वह लोग कैथी से लेकर मउहर तक राम के नाम का विस्तार करेंगे और मउहर से भरूआ तक लोगों को उनकी दीवालों में राम राम लिखने के लिए प्रेरित भी करने का काम करेंगे।

राम नाम के सहारे सीएम को पुकारें

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : कहते हैं राम से बड़ा राम का नाम . कुछ ऐसे ही नजारे रामधुन के लिए विख्यात हो चुके कैथी गांव में आम तौर पर दिखाई दे रहे हैं। मुख्यमंत्री के आगमन की आस संजोए कैथी गांव में चंद्रावल नदी पार करते ही जैसे ही कानों में राम राम की धुन कानों में गूंजती है, आगे बढ़ने के बाद घरों के बाहर यहां से निकले जो नर नारी सबको सीताराम हमारी और मंगल भवन अमंगल हरी द्रबहु सो दशरथ अजिर बिहारी लिखी इबारत लोगों के अंदर पवित्रता का भाव बढ़ाती नजर आती है। इतना ही नहीं जहां घरों के ऊपर नजर जाती है तो ओम लिखी हुई धर्मध्वजाएं अपना प्रभाव छोड़ती नजर आती हैं।

तीन सप्ताह पूर्व जन सुविधाओं की कमी और समस्याओं की भरमार से क्षुब्ध लोगों ने अपनी बात सुनाने के लिए राम धुन का आंदोलन शुरू किया था। इसके बाद से गांव का माहौल कुछ इस कदर बदला है कि कैथी के रहने वाले खुद ही विश्वास नहीं कर पा रहे हैं। हरिहर तिवारी, झंडू सिंह, बालेन्द्र सिंह, कल्लू, रणविजय सिंह, समता निषाद, सदला कुटार, ब्रज किशोर कुशवाहा, भारत यादव, बुद्दी लाल वर्मा, शिव शरण सेंगर को तो विश्वास हो चला है कि जब भगवान के नाम बोलने मात्र से इतनी ऊर्जा, शांति और लोगों से अपनापन मिल रहा है तो फिर आने वाले दिन वास्तव में मंगलकारी ही होंगे।

मंगलित वातावरण को तैयार करने का काम करने के काम में लगे कैथी गांव के युवा अरिमर्दन सिंह, विकास शिवहरे कहते हैं कि भइया अब तो हमारा गांव बदल गया, गुटबाजी तो समाप्त हुई ही साथ ही अब सभी अपने आपको अपना ही मानने लगे। कलियुग में जीत का सूत्र है कि संघे शक्ति कलियुगे और यह हमारे गांव में परिलक्षित हो रहा है। राम के नाम के सहारे और सभी गांव के लोग मिलकर अब गांव को विकास के उस सोपान पर ले जाएंगें जहां से इस गांव को लोग जिले ही नहीं प्रदेश में आदर्श के रूप में जान सकें।

उधर अपर जिलाधिकारी रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि सेतु निर्माण निगम को पुल में मिट्टी भरने के काम के लिए पहले पत्र लिखा गया था। बुधवार को रिमांडर भेजने के साथ ही प्रमुख सचिव से बात की जाएगी। इसक साथ ही अधिशाषी अभियंता पावर कारपोरेशन से बात हो गई है। उरई स्टोर से समान मंगाकर वह एक दो दिन में ठेकेदार को नई लाइन बनाने के लिए दे देंगे। गांव में एएनएम की पोस्टिंग कर दी गई है। एक-दो दिन में वह ज्वॉइन कर लेगी।

राम की लगन में हुए मगन तो भूले गम

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा..

- कैथी गांव के शिव मंदिर में 19 दिनों से जारी है रामधुन

- मुख्यमंत्री के आने की तैयारी

करने में जुटे हुए हैं लोग

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : अब तो ऐसा लगाता है कि मानो स्वयं राम ही कैथी की जमीं पर उतर आए हों। जहां शाम होते ही लोग घर बंद कर कैद हो जाया करते थे, वहां की रातें अब गुलजार हो रही हैं। पुरुष हो या महिला रात को भी गांव की गलियों में टहलती और रामधुन का आनंद लेते दिखाई देती हैं। वैसे तो जिले के हर गांव में रोज ही शाम होती है पर कैथी गांव में तो शाम का आनंद ही कुछ और होता है। गांव के बुजुर्ग बच्चों को न केवल रामधुन में बैठने के लिए प्रेरित करते दिखाई देते हैं बल्कि उन्हें श्री राम चरित मानस की चौपाईयों से अंताक्षरी खेलना भी सिखा रहे हैं।

गांव की महिलाएं कमला कुशवाहा,रानी यादव, माया शिवहरे, साधना सिंह, वंदना, भुलिया आदि कहती है कि ऐसा माहौल जब से ब्याह के आई देखा नही। सुबह हो या शाम भगवान के नाम जप की चर्चा। उन्होंने कहा कि आज तो हमारा गांव अयोध्या या चित्रकूट सा दिखाई देता है। जहां पर हर क्षण केवल भगवान की न केवल चर्चा होती है बल्कि कानों में भी भगवान का नाम रस घोलता रहता है। बड़े ही गर्व से कहती हैं कि अब हमारे गांव में सास बहू की बुराई का पुराण खत्म हो चुका है।

 उधर गांव के बुजुर्ग उम्मेद सिंह, पूर्व प्रधान राम प्रकाश निषाद, पूर्व प्रधान काशी प्रसाद गुप्ता, पूर्व प्रधान अजय पाल सिंह,बलराम सिंह, जागेश्वर खरे, क्षेत्र पंचायत सदस्य शिव चरण कुशवाहा, चंदा कुशवाहा, बृज किशोर, राम पाल श्रीवास आदि लोगों ने कहा कि अब कोई चिंता नही है। गांव की पीढ़ी को सुधारने का इससे अच्छा कोई जरिया नही हो सकता। अब तो गांव के छोटे बच्चे भी श्री राम चरित मानस की कथा के बारे में पूंछतांछ करने लगे हैं। यह हमारे लिए बड़े सौभाग्य की बात है।

उधर मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर गांव में तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। घरों में लाल रंग के झंडे व दीवारों पर रामायण की चौपाइयां लोग अपने आप लिख रहे हैं। अरिमर्दन सिंह व विकास शिवहरे कहते हैं कि इस समय पूरा गांव उत्साह में हैं। इसलिए गांव का हर व्यक्ति अपने प्रिय मुख्यमंत्री के आगमन की बाट जोह कर उनका स्वागत अपने अंदाज में करना चाहता है।

अखिलेश की यादों को मुद्दतों सहेजकर रखने की तैयारी

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा..

- कैथी गांव के शिव मंदिर में 18 दिनों से जारी है रामधुन

- मुख्यमंत्री के हाथों पीपल का पौधा लगवाने की ख्वाहिश

संदीप रिछारिया, हमीरपुर : भरुआ सुमेरपुर ब्लाक के ग्राम कैथी व उसके आस-पास बसे मजरों की लगभग छह हजार आबादी को 18 दिन राम जपते राम के नाम की ऐसी धुन लग गई है कि अब वह मंदिर में जाकर तो राम राम तो जप ही रहे हैं साथ ही बोवाई करते समय भी उनके मुंह में राम का ही नाम रहता है। इतना ही नही अब तो कैथी व आसपास के गावों में अभिवादन का तरीका भी बदल गया है। पहले लोग आपस में मिलने पर नमस्कार व नमस्ते का उपयोग करते थे पर अब वह जय राम जी की कहकर एक दूसरे को संबोधित करते हैं। गांव के बदले माहौल से जहां कैथी का हर एक शक्स फिदा है वहीं उन्हें इस बात की खुशी है कि आसपास गांव पंधरी, पारा, बिलखेरा, अकरैया, मौहर, धंधुपुर, किसवाही के साथ ही बांदा के जिले के गड़रिया जैसे गांवों के दर्जनों लोग शिव जी मंदिर पर आकर घंटों राम का नाम लेते हैं। सबसे हैरानी वाली बात तो यह है कि पहले जितना विश्वास मुख्यमंत्री के आने का कैथी के ग्रामीणों को था अब बाहर के गांवों से आने वालों के कारण विश्वास में और ज्यादा इजाफा होता दिखाई दे रहा है। मुख्यमंत्री के आगमन की तैयारी हो गई पूरी, बृहमदेव को रोपित करवाने की मंशा जताते हुए गांव की प्रधान सरस्वती के पति वासदेव निषाद कहते हैं कि मुख्यमंत्री हमारे गांव में आएंगे। यह हमारा सौभाग्य होगा। हम उनके हाथों अपने गांव में पीपल का पौधा रोपित करवाएंगे जिससे उनके यहां पर आने की याद युगों युगों तक जीवित रहे।

गांव के उम्मेद सिंह व विकास शिवहरे कहते हैं कि मुख्यमंत्री की व्यवस्थाएं अलग से की जा रही हैं। कुटिया तैयार हो गई है। इसमें चौबीस घंटे राम राम करने के लिए एक व्यक्ति तैनात होगा। इसके साथ ही यहां पर ही एक पीपल का पेड़ उनके हाथों से लगवाया जाएगा। उसकी पूरा गांव सेवा करेगा और उनके आने की तारीख युगों तक याद रखी जाएगी।

इधर रामधुन तो उधर देवी के जयकारे

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा..

- दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है कैथी गांव

- प्राचीन शिव मंदिर में 16 दिनों से जारी है राम धुन

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : भरुआ सुमेरपुर ब्लाक के कैथी गांव के लोगों का उत्साह चरम पर है। भगवान राम की कृपा के साथ ही देवी की कृपा भी उनके साथ जुट चुकी है। दशहरा के रोज बुधवार को देर शाम गांव में देवी प्रतिमा के समक्ष हवन पूजन हुआ। इसके साथ ही दिन भर कार्यकर्ता सामने की जमीन को चौरस करने व साफ करने के काम में जुटे रहे। यहां के प्राचीन शिव मंदिर में गुरुवार को लगातार 16वें दिन भी राम धुन जारी रही।

इधर गांव की हर दीवार पर श्री राम चरित मानस की चौपाइयां व जय श्री राम के नारे लिख दिये गए हैं। कई घरों में पताकाएं भी फहराती दिखाई दे रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अब उनकी राम राम की गूंज की अनुगूंज उन्हें साफ तौर पर सुनाई दे रही है। जल्द ही उनके बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आएंगे और वह कृतार्थ होंगे।

इस बीच एक ग्रामीण के फोन पर बिजली विभाग के ठेकेदार ने फोन कर अधिशासी अभियंता पर आरोप लगाया कि वह गांव में लगाने के लिए समान नही दे रहे हैं और कह रहे हैं कि यह समान उन्हें उरई से लाना होगा। जिस पर ग्रामीण ने जवाब दिया कि गांव में बिजली के काम से उसे मतलब नही है क्योंकि अब पूरा गांव राम मय हो चुका है। इस समस्या पर बात अधिकारियों से करो।

फिलहाल छह-छह घंटे की शिफ्ट में गांव के शिव मंदिर में चल रही राम धुन में भीड़ जुट रही है। गांव की महिलाएं और बालिकाएं दिन में कई बार आकर रामधुन में भाग ले रही हैं।

अखिलेश के आगमन को तैयार हो रहा कैथी

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : भले ही सरकारी अमले को इस बात का भान न हो कि कैथी गांव के निवासियों ने समस्याओं से समाधान की ओर बढ़ने के पन्द्रह दिन और रात के पड़ाव पार कर लिए हों लेकिन ग्रामीण तो यह पूरी तरह से मान चुके हैं कि अब वह दिन दूर नही जब सूबे के मुखिया अखिलेश यादव उनके बीच होंगे। अखिलेश को राम और अपने आपको शबरी मानने वाले कैथी के ग्रामीणों ने इसके लिए पलक पांवड़े बिछाकर तैयारियां भी करनी प्रारंभ कर दी हैं। जहां पुराने शिव मंदिर में रामधुन लगातार जारी है वहीं दूसरी तरफ मां अम्बे का आर्शीवाद भी उन्हें लगातार मिल रहा है। इसी बीच मंगलवार की दोपहर गांव के बुजुर्ग, नौजवानों की एक बैठक सम्पन्न हुई। इसमें ग्राम प्रधान ने कहा कि पन्द्रह दिन बीत गए और गांव की समस्याओं को जानने का प्रयास अपर जिलाधिकारी रमेश चंद्र श्रीवास्तव व उप जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने किया और अपने स्तर पर समस्याओं के निस्तारण का प्रयास भी किया। इसके साथ ही विधायक निरंजन ज्योति ने भी गांव में आकर अपनी सफाई दी।

गांव के उम्मेद सिंह ने कहा कि वास्तव में हमारी कोई मांग ही नही है। हां एक अभिलाषा है कि गांव में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आएं और यहां पर चल रहे श्री राम नाम संकीर्तन महायज्ञ में भाग लें। लेकिन अब जब सरकारी अमला पूरी तरह से अपना काम करने में लगा है तो हमें भी गांव को पूरी तरह से राममय ही बनाना होगा। इस बात पर सभी ने अपना हाथ उठाकर ऐसा करने के लिए वचन दिया। तय किया गया कि गांव के हर घर में श्री राम चरित मानस की चौपाईयां लिखी जाएंगी व हर घर के ऊपर राम नाम के झंडे लगाए जाएंगे। इसके साथ ही मंदिर के पास की जमीन को साफ कर वहां पर एक यज्ञ शाला का निर्माण किया जाएगा और वहां पर वेदिका बनाकर दिन रात एक व्यक्ति राम नाम का जाप करेगा। इस काम के लिए गांव की महिलाओं व बच्चियों ने भी सहभागिता देने की बात कही।

कैथी पहुंचीं विधायक ने राम के समक्ष दी सफाई

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा..

- कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में लगातार 14वें दिन जारी रही राम धुन

- विधायक पर दो माह में बिजली दिलाने का वादा न पूरा करने का आरोप

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : धृष्टताओं का नमन पर आवरन, मंदिरों तक आ गए मैले चरन, मन कहां तक मूंद कर रखे नयन . कुछ इस तरह के अंदाज अब राम राम करते चौदह दिन बिताने वाले ग्राम कैथी के लोगों ने विधायक साध्वी निरंजन ज्योति को सामने देखकर दिखाए। उन्होंने विधायक से साफ तौर पर कहा कि वह तो अब अधिकारी और नेताओं को समस्याएं सुनाने से ऊपर हो गए हैं। अब उन्हें किसी को जरूरत नही है क्योंकि आप जिसका नाम लेकर जनसेवा कर रही हैं, हम भी उसी से अपने गांव की न केवल समस्याएं बल्कि आने वाले समय में गांव के विकास की गुहार लगा रहे हैं।

ग्रामीणों ने विधायक को चुनाव के समय किया गया वादा याद दिलाते हुए कहा कि आपने इसी मंदिर में खड़े होकर कहा था कि जीतने के बाद दो महीने में गांव के हर घर में बिजली जलेगी, पर ऐसा हुआ नही। हमें हर दर पर जाकर दस्तक देनी पड़ी। इसके चक्कर में लाखों रूपए तो बर्बाद हुए ही साथ ही काफी समय भी खराब हुआ। अब हाल यह है कि हम अपनी समस्याओं से मानसिक रूप से निजात पा चुके हैं और केवल भगवान के आसरे हैं। हां केवल एक अभिलाषा यह है कि हम अपने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को एक बार गांव में देखना चाहते हैं। आप विधायक हैं और उनसे आपकी मुलाकात होती है, अगर आप उनको गांव में ला सकें तो बात बन सकती है वर्ना हम तो भगवान का नाम ले ही रहे हैं। सोमवार को देर शाम पहुंची विधायक ने ग्रामीणों को पत्र दिखाते हुए कहा कि जीतने के बाद 18 जून को कैथी गांव की बिजली व सड़क मुद्दा विधानसभा में उठाया था। इसके बाद तीन जून को पहली बार उनका बजट आया जिसमें कैथी की 6 किलोमीटर सड़क बनाए जाने का प्रस्ताव दिया। बेचारगी जाहिर करते हुए कहा कि सपा के राज में अधिकारी नही सुनते तो क्या करूं। उन्होनें ग्रामीणों को बीमार होने का हवाला देते हुए कहा कि वह पहले ही गांव में आ जाती, पर वे काफी दिनों से बीमार हैं और पैर में भी चोट लगी है। ग्रामीणों ने कहा कि आपके कागज आपको मुबारक हों हम तो गांव की जमीन पर काम होता देखना चाहते हैं। वैसे गांव में सबके सामने विधायक ने अधिशाषी अभियंता विद्युत से बात कर एक की जगह दो ट्रासंफार्मर लगवाए जाने की बात कही।

इधर, अपर जिलाधिकारी रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि ग्राम कैथी की समस्याओं के निस्तारण के लिए लोक निर्माण विभाग, सेतु निर्माण निगम, बिजली विभाग के साथ ही मुख्य चिकित्साधिकारी को पत्र लिखा गया था। बिजली का काम प्रारंभ हो गया है। सेतु निर्माण निगम जल्द ही काम प्रारंभ कर देगा। पैमाइश हो गई है। इसके बाद लोक निर्माण विभाग भी सड़क बनाने का काम करेगा। स्वास्थ्य विभाग ने गांव में एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता की नियुक्ति कर दी है साथ ही संविदा के अन्तर्गत नियुक्त किए गए चिकित्सक की भी तैनाती किए जाने की बात चल रही है।

राम नाम का प्रभाव, होगा बिजली का 'प्रादुर्भाव'

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा.. - कैथी गांव के शिव मंदिर में 12वें दिन लगातार जारी रही राम धुन

- गड़ने लगे बिजली के पोल, लोगों के दिलों में उछलीं बल्लियां

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : राम के नाम को महामंत्र यूं ही नहीं कहा जाता। पिछले बारह दिनों से राम नाम महामंत्र का सस्वर जाप कर रहे कैथी गांव के लोगों ने जैसे ही बिजली के खंभों को जमीन पर गाड़े जाते देखा दिल बल्लियों उछल गया। उम्मेद सिंह के साथ ही दर्जनों ग्रामीणों के मुंह से निकला कि भैया यह तो स्वामी कामतानाथ जी का प्रभाव है। उनका नाम लेकर राम का नाम लेने बैठे थे और अब आशा बलवती हो चली है कि आने वाली दीवाली अंधेरे में नही बीतेगी।

अब कैथी गांव की क्या आसपास के दर्जनों गांवों के लोग आकर राम नाम महामंत्र का जाप शिव मंदिर पर कर रहे हैं। लोग खुद ही कहते हैं कि जिस दिशा में कैथी गांव चल पड़ा है उसकी तरक्की होना सुनिश्चित है। ग्रामीण भी कहते हैं कि भले ही गांव की समस्याओं को लेकर हम भगवान का नाम लेने के लिए एक हो गए हैं पर अब आगे गांव से पार्टी बंदी का नामो निशान मिटा दिया जाएगा। हिंसा के लिए गांव में कोई जगह नही होगी। आपस के झगड़े गांव में ही सुलझाए जाएंगे। गांव के नवयुवकों ने कहा कि बड़ों का आदर व छोटों को प्यार हमारी परंपरा के अंग हैं। अब किसी को भी इसे तोड़ने की इजाजत नही दी जाएगी और बिना किसी सरकारी सहायता के इस गांव को व्यसन मुक्त के साथ आदर्श गांव बनाने की पहल की जाएगी।

महारुद्र के चौबारे पर राम नाम की गूंज

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा.. - कैथी गांव के शिव मंदिर में लगातार 11वें दिन जारी रही राम धुन

- बिजली के तार गांव में पड़े, जल्द पोल लगा आपूर्ति देने की चर्चा

- पीडब्लूडी के जेई ने दिया सड़क का काम शुरू करने का आश्वासन

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : महाकाल के मंदिर में बैठे रामभक्तों की रामधुन की गूंज अब पूरी तरह से रवानी पर है। जहां एक तरफ इस मामले में पूरा गांव एक जुट है वहीं दूसरे गांव के लोग भी ग्रामीणों के इस राम नाम महायज्ञ की तारीफ करते नही अघाते हैं। फिलहाल कैथी गांव के शिव मंदिर में चौबीसों घंटे चलने वाले राम नाम संकीर्तन महायज्ञ में ग्रामीणों का बढ़ते उत्साह से आासपास के लोग भौचक हैं।

11 दिन बीतने के बाद भी कैथी के निवासियों के अनथके कदम आगे की ओर बढ़ रहे हैं। वैसे शुक्रवार को गांव में बिजली के तार विभाग ने पहुंचा दिए हैं। विभागीय सूत्र कहते हैं कि शायद एक दो दिन में पोल पहुंचने के बाद काम प्रारंभ कर पहले चरण में तीन किलोमीटर की लाइन दौड़ा कर बिजली की सप्लाई प्रारंभ कर दी जाएगी। जबकि दूसरे चरण में तीन किलोमीटर फिर नई लाइन बनाई जाएगी। लोक निर्माण विभाग के अधिकारी भी ग्रामीणों को बार बार फोन कर बता रहे हैं कि एक दो दिन में चंद्रावल नदी पर बने पुल पर बनने वाली सड़क का काम प्रारंभ करा दिया जाएगा। लेकिन ग्रामीण इस बात पर एक राय हैं कि चाहे कुछ भी हो जाए वह तो केवल अब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अपने गांव में देखना चाहते हैं।

गांव के विकास शिवहरे ने बताया कि सुमेरपुर से उनके पास लोक निर्माण विभाग के जूनियर इंजीनियर का फोन आया था। उनका कहना था कि अब कैथी गांव की उनकी सड़क जल्द ही बना दी जाएगी। एक दो दिन में काम प्रारंभ होने की उम्मीद जताई। अरिमर्दन सिंह ने बताया कि गांव में बिजली की तार तो लाकर डाल दी गई है। विभागीय अधिकारी गांव में आकर कह रहे थे कि कल परसों में खंभे भी आ जाएंगे और लाइन खींच दी जाएगी।

जानकी बल्लभ तुम्हें प्रणाम!

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : भरुआ सुमेरपुर विकास खंड के कैथी गांव के उत्सवी माहौल की छटा देखने गुरुवार को उप जिलाधिकारी सदर आई एएस आशुतोष निरंजन पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों से बात कर उनका दर्द जाना और फिर कार्यक्रम के रजिस्टर पर अपने अलफाज उकेर दिए। लिखा कि वास्तव में यहां पर पुल पर सड़क, बिजली और अस्पताल में चिकित्सक व स्टाफ की जरुरत है।

उन्होंने भरोसा दिलाया कि जल्द ही इन समस्याओं का निदान करा दिया जाएगा। वैसे ग्रामीणों ने जहां गांव पहुंचने पर उनका स्वागत कर समस्याओं को देखने के लिए आभार व्यक्त किया वहीं राम नाम के संकीर्तन पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। उधर पावर कारपोरेशन के अधिशाषी अभियंता ने अपने चिर परिचित अंदाज में गांव में तीन किलोमीटर डाली जाने वाली लाइन के काम को एक दो टरकाने की बात कही। कहा कि अभी लेबर की समस्या है। एक दो दिन में काम लगा दिया जाएगा।

दोपहर को बारह बजे के बाद कैथी गांव के पुराने शिव मंदिर पर चल रहे राम नाम संकीर्तन स्थल पर पहुंचे आईएएस आशुतोष निरंजन ने पहले तो ग्रामीणों से सभी समस्याओं पर बातचीत की और उसके बाद फिर उन्हें खुद के द्वारा लिखे गए पत्रों को दिखाया। उन्होंने मुख्य चिकित्साधिकारी से गांव में डाक्टर व स्टाफ तैनात करने, अधिशाषी अभियंता पावर कारपोरेशन से बिजली लाइन डलवाकर गांव में बिजली जलवाने व अधिशाषी अभियंता लोक निर्माण विभाग से चंद्रावल नदी पर बने पुल में सड़क बनाने के लिए लिखे गए पत्रों को दिखाया। ग्रामीणों कहा कि अब लगता है कि समस्याओं को निदान हो जाएगा। यह तो सब राम जी की कृपा से हो रहा है। इसके अलावा ग्रामीणों ने कहा कि उनकी अब कोई मांग है ही नही वह तो केवल गांव में एक बार अपने प्रिय मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के दर्शन करना चाहते हैं।

विकास के वास्ते राम के रास्ते

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : राम का नाम लेते हुए गुरुवार को कैथीवासियों नवां दिन भी गुजर गया। न चेहरे पर थकान, न चिंता और न ही किसी तरह का दुराव, हा अगर कुछ यहां पर दिखाई दे रहा है तो वह आत्मविश्वास से भरे ओज भरे वह चेहरे जिनको अब पूरा भरोसा है कि आज नहीं तो कल अखिलेश भैया जरुर गांव के शिव मंदिर पर बैठकर राम राम करेंगे।

उत्साहित गांव के लोग बताते हैं कि गांव की रिश्तेदारियां प्रदेश के तमाम जिलों व बाहर भी हैं। देश के अन्य इलाकों व देश से बाहर से गांव के निवासियों के पास अब फोन आने प्रारंभ हो गए हैं। फोन करने वाला हर एक शक्स केवल एक ही बात करता है कि भइया राम का नाम लेते रहना। गांव में न केवल अखिलेश आएंगे बल्कि गांव की सड़क और बिजली भी आएगी। जिसके बाद गांव का विकास अपने आप हो जाएगा।

गांव के अरिमर्दन सिंह, विकास शिवहरे,रज्जन आदि लोग कहते हैं कि गांव का विकास चाहे जब हो पर एक बात तो साफ हो गई है कि इस राम राम यज्ञ ने लोगों के दिलों के अंदर की खाईयों को पाटने का काम किया है। सामूहिकता की जो भावना गांव में जन्मी है वह आने वाले समय के लिए अच्छी शुरूआत है। उन्होंने कहा कि गांव का विकास तो मुद्दा सर्वोपरि है और अब उस पर काम भी सरकारी अमले ने करना प्रारंभ कर दिया है। कहा कि जानकारी मिली है कि एसडीएम सदर आशुतोष निरंजन भी गुरुवार को गांव में आकर समस्याओं को देखने का काम करेंगे। कहा कि गांव में आकर समस्याओं को देखने की सरकारी अधिकारियों की पहल एक अच्छी प्रक्रिया है पर वादों और दावों के बाद जब गांव के विकास के काम हो जाएं तब समझ में आए। उन्होंने कहा कि कोई आए कोई जाए इससे अब कोई फर्क नही पड़ता क्योंकि सभी ग्रामीणों का संकल्प केवल अखिलेश भैया को गांव में बुलाने का है और सभी को विश्वास है कि वह एक दिन गांव जरूर आएंगे।

विधायक ने किया फोन

सदर विधायक साध्वी निरंजन ज्योति ने गांव में बुधवार की देर रात चल रही रामधुन के बारे में जानकारी ली। उन्होंने कहा कि अभी उनकी तबियत खराब है और वह मूसानगर में हैं। वैसे गांव में बिजली जलवाने के लिए अपनी निधि से इस्टीमेट बनवाकर वह जुलाई के महीने में ही विभाग को भेज चुकी हैं। जल्द स्वस्थ होने पर वह गांव में पहुंचकर गांव की समस्याओं को लेकर जनता का साथ देंगी।

जय रघुनंदन जय सियाराम

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा..

- कैथी गांव के शिव मंदिर में आठवें दिन भी जारी रहा राम भजन

- बिजली का काम प्रारंभ होने की उम्मीद, सड़क भी जल्दी बनेगी

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : राम राम जपने में लगे कैथी गांव के लोगों का उत्साह जहां इस समय चरम पर दिखाई दे रहा है, वहीं सरकारी अमला भी अब आठ दिनों बाद सक्रियता दिखाता नजर आता है। केवल सक्रियता दिखाने का काम सरकारी अमला ही नही कर रहा है, बल्कि विधायक निरंजन ज्योति ने भी दो दिन के अंदर बिजली का काम प्रारंभ न होने पर गांव पहुंचकर भजन करने के लिए बैठने की घोषणा कर दी है।

अधिशाषी अभियंता विद्युत तरुण वीर सिंह ने कहा कि तीन किलोमीटर लाइन नई बनाने की स्वीकृति आ गई है। काम बुधवार की शाम गुरुवार की सुबह से प्रारंभ किया जा सकता है। इधर सुबह से ही गांव का वातावरण अत्यंत उल्लिसित दिखाई दिया। गांव के प्राचीन शिव मंदिर में ग्रामीण बड़े ही मनोयोग से राम का नाम सस्वर में गायन करने का काम कर रहे थे। बच्चियां व बूढ़ों के अंदर भी इस समय गांव में अजीब किस्म की ऊर्जा का संचार देखा जा रहा है। आज तो भोले बाबा के मंदिर के समीप ही मां अम्बे की झांकी की स्थापना भी कर दी गई है। जिसमें महिलाएं मंगलगीत गाती नजर आ रहीं थी। महिलाओं का कहना है कि भइया जब से पैदा हुए तब से गांव में किसी भी काम को लेकर इतना उत्साह नही देखा गया। इस काम में तो शायद गांव का एक भी ऐसा घर नही है जो अपना सक्रिय योगदान न दे रहा हो।

उधर दैनिक जागरण कार्यालय पर पहुंचकर विधायक साध्वी निरंजन ज्योति ने बताया कि उन्होंने जुलाई के महीने में ही अपनी निधि से गांव में बिजली लाइन डलवाने के लिए स्वीकृति पत्र दिया था। विभाग ने उसे बांदा कार्यालय में भेज दिया था, पर इतना काम इतना सुस्त है कि अब क्या किया जाए। उन्होंने वहीं से मोबाइल पर जब अधिशाषी अभियंता तरन बीर सिंह से बात कराई तो उन्होंने कहा कि चीफ इंजीनियर कार्यालय से स्वीकृति आ चुकी है और तीन किलोमीटर लाइन को बनाने का काम कल या परसों से प्रारंभ करा दिया जाएगा। विधायक ने कहा कि अगर काम एक दो दिन में नही लगता है तो वह खुद जाकर गांव वालों के साथ भजन करने बैठ जाएंगी।

उधर गांव कैंथी में आज लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने जाकर ग्रामीणों से कहा कि उन्हें सड़क बनाने के आदेश 12 अक्टूबर को मिल गए हैं। एक दो दिन में सड़क बनाने का काम प्रारंभ कर दिया जाएगा। इसलिए अब राम राम आंदोलन को विराम दें दें। ग्रामीणों ने कहा कि आपका काम सड़क बनाना है। आप सड़क बनाएं न बनाएं। हम तो अखिलेश भइया को बुलाने के लिए राम राम करने के लिए संघर्षरत हैं। हमें किसी से बुराई या भलाई नही है।

एक नहीं तीन गांवों के हालात कैथी जैसे

- चित्रकूट आ रहे मुख्यमंत्री से जगी उम्मीदें

- सपा ने ही दी थी पुल बनाने की स्वीकृति

हमीरपुर कार्यालय : भले ही भरुआ सुमेरपुर ब्लाक का गांव कैथी रामधुन के जरिए मुख्यमंत्री के आने की आस लगाए बैठा हो, पर आज चित्रकूट की हवाई पट्टी का उद्घाटन करने आ रहे मुख्यमंत्री की नजरें अगर इस जिले में इनायत हो जाए तो कम से कम तीन और बने पड़े पुलों का भाग्य बदल सकता है। गंभीर बात तो यह है कि लगभग सभी पुलों पर सेतु निर्माण निगम ने अपना काम लगभग समाप्त कर दिया है। अब बारी एप्रोच मार्ग बनाने की है लोक निर्माण विभाग की है। लेकिन अपनी लचर कार्यशैली के मशहूर इस विभाग के अधिकारियों को शायद जिले में किसी बड़े आंदोलन का इंतजार है।

वैसे तो राम के नाम का सहारा लेकर कैथी गांव के लोग बैठे ही हैं। उन्हें आशा ही नही बल्कि अब पूरा विश्वास हो चला है कि अखिलेश भइया तक उनकी बात जरूर पहुंचेगी और वह गांव में आकर राम-राम करेंगे।

बताते चलें कि पूर्व सपा शासनकाल में जिले के विकास के लिए तीन पुलों की स्वीकृति प्रदान की गयी थी, जो आज भी अधूरे पड़े हैं। वर्ष 2006 में जिले को सपा सरकार ने तीन नए पुलों की सौगात दी थी। यह तीनों पुल बेतवा, यमुना और चन्द्रावल नदी पर बनाए जाने थे। इन पुलों का निर्माण कार्य 2010-2011 में खत्म होना था लेकिन यह सभी आज भी आधे-अधूरे पड़े हैं। इन पुलों के बन जाने से आवागमन की दूरी तो घटेगी ही जिले का विकास भी तेज हो जाएगा। जहां मनकी पुल से आवागमन की दूरी करीब 40 किलोमीटर घट जाएगी, वहीं कैंथी व जलालपुर के आसपास के गांवों के ग्रामीणों को तैरकर नगर नहीं आना पड़ेगा।

विदित है कि पूर्व में कानपुर-सागर मार्ग पर बने यमुना पुल के क्षतिग्रस्त होने के कारण यातायात बाधित रहा, लोगों को कुरारा, जोल्हूपुर मोड़ कालपी होते हुए कानपुर यात्रा करनी पड़ती थी। वर्तमान में कुरारा से मूसानगर वाया हमीरपुर होकर जाने पर दूरी करीब 65 किमी पड़ती पड़ती है। पुल बन जाने पर यह घटकर 25 किमी ही रह जाएगी।

नहीं किसी का आसरा, केवल राम का सहारा

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : भज लो सीताराम. भज लो सीताराम. ढोलक में बैठी मां शारदा. जी हां अब कैथी गांव की रामधुन का स्वरूप बढ़ता जा रहा है। जहां एक रामधुन विशुद्ध शास्त्रीय तरीके से चल रही है। वहीं यहां पर लोक संगीत की बहार भी देखी जा रही है।

कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में जन समस्याओं को लेकर गत मंगलवार लोगों द्वारा शुरू की गयी राम धुन शनिवार को निर्बाध गति से पाँचवें दिन भी जारी रही। राम भजन में लोगों का उत्साह बढ़ता ही जा रहा है। हारमोनियम और ढोलक की सहायता से विभिन्न राग रागिनियों के साथ ग्रामीण अपने ही अंदाज में देवता को मनाने के प्रयास में जुटे दिखाई दे रहे हैं। वैसे भी बुंदेलखंडी लोक संगीत के मामले में काफी संबृद्ध माना जाता है। यहां पर हर काम की शुरूआत भगवान को मनाने व आमंत्रण देने के साथ ही जाती है। लोक संगीत के लगभग हर गीत में राम, कृष्ण और देवी को मनाने के स्वर सुने और सुनाए जाते हैं।

प्रभाती के साथ शयन में हैं मधुर स्वर

सुबह 6 बजे से 10 बजे तक महिलाओं और बच्चियों की राग रागिनियां जहां गांव के वातावरण में रस घोलने का काम करते दिखाई देते हैं, वहीं शाम छह बजे से दस बजे तक उनके स्वरों से ऐसा प्रतीत होता है कि वह लोरियां गा रही हों। गांव के लोग कहते हैं कि मां जब घर से नहा धोकर आकर राम भजन करने लगती है तो ऐसा लगाता है कि वह प्रभाती गाकर बच्चों को जगा रही है और शाम को गाने के स्वर लोरियों जैसे सुनाई देते हैं।

बुजुर्गो में है उत्साह

गांव के बुजुर्गो में इन दिनों भारी उत्साह है। उनका कहना है कि अब उनके कानों में हर क्षण परमेश्वर के नाम का उच्चारण पड़ता है। ऐसा लगता है कि मानो स्वर्ग का सुख यहीं मिल रहा है।

राम भजन से शायद हमारे भी दिन बहुरें

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा..

- कैथी गांव में चौथे दिन भी जारी रही रामधुन, दूसरे गांव के लोग भी आ रहे साथ देने

- चार चार घंटे की पाली में होता है भजन, आठ घंटे हैं महिलाओं के लिए आरक्षित

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : हरि हर का नाम चौबीसों घंटे जप रहे भरुआ सुमेरपुर ब्लाक के गांव कैथी के निवासियों का उत्साह अब और बढ़ता दिखाई दे रहा है। क्योंकि अब उनका साथ देने के लिए गाव के मुखिया तो सामने आ ही चुके हैं साथ ही आसपास के गांवों के लोग इसलिए आ रहे हैं कि शायद इस गांव के बाद उनका भी नम्बर लग जाए। गांव की समस्याओं को लेकर कैथी में चल रहे इस अनोखे आंदोलन को देखने के साथ ही सहभाग करने का काम किसवाही, मौहार व धुंधपुर के लोग कर रहे हैं।

दूसरे गांव के ग्रामीणों का कहना है कि इस आंदोलन में सहभाग करने के दो फायदे हैं। समस्याओं का निस्तारण तो राम जी कर ही देंगे साथ ही आगे की लड़ाई के लिए ऊर्जा भी उन्हीं से मिलेगी।

ग्राम प्रधान वासुदेव निषाद भी पिछले दो दिन से राम भजन करने में लगे हैं। उनका कहना है कि उनके बूते में जो है वह तो कर ही रहे हैं। कई बार बिजली विभाग के अधिकारियों के साथ ही पीडब्लूडी व अन्य विभागीय अधिकारियों के साथ बात की, पर हर जगह आश्वासन के अलावा कुछ नही मिला। अब जब गांव के मंदिर में राम राम चालू ही हो गई है तो फिर पीछे क्यों रहा जाए। सबके साथ मिलकर ही गांव की समस्याओं का निदान भगवान की शरण में जाकर ढूंढा जा रहा है।

गांव के अरिमर्दन सिंह ने बताया कि भजन करने के लिए चार चार घंटे सभी ने बांट रखें हैं। सुबह के चार घंटे व शाम के चार घंटे महिलाओं की जिम्मेदारी रहती है, व दिन भर गांव के लोग राम राम करते हैं। बताया कि एक बार में पचास से पचहत्तर लोग जुटते हैं। प्रभारी जिलाधिकारी रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि कैथी गांव में राम धुन गूंज रही है। इसकी उन्हें सूचना है। गांव में पीडब्लूडी के अधिकारियों को भेजकर सड़क का सर्वे करा लिया गया है। बिजली विभाग के अलावा राजस्व व अन्य अधिकारी भी गांव में जल्द जाकर समस्याओं के चिह्नीकरण करने का काम करेंगे।

बेपरवाहों से मोह भंग, व्यथा की चर्चा राम संग

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : कल तक कौतूहल था पर आज उनके लिए सबसे बड़ा खेल का मैदान गांव का शिव मंदिर हो चला है। बाबा, पिता और माता जी को मंदिर में कातर स्वर में रामधुन का उद्घोष करते देख छोटे छोटे बच्चों के अंदर भी उत्साह अपने आप उमड़ पड़ता है और फिर खेलने के समय को वह राम राम करने में बिता रहे हैं।

बताते चलें कि जिले के भरुआ सुमेरपुर के कैथी गांव में बिजली-सड़कें न होने, पेयजल संकट व अन्य समस्याओं पर अब तक नेता व अधिकारी नहीं चेते हैं, जिससे यहां जन समस्याएं बरकरार हैं। इससे आजिज लोगों ने मंगलवार को यहां के प्राचीन शिव मंदिर में राम नाम का जाप शुरू कर दिया है। इन्होंनें ने 50-50 लोगों के समूह बना रखे हैं। इसके चलते बारी-बारी से लोग राम नाम का जाप करते रहते हैं, जिससे तीन दिन से राम धुन अखंड रूप में गूंज रही है। गुरुवार को यहां तीसरा दिन था। लोगों की मांग है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव यहां आकर उनके साथ राम धुन गुनगुनायें। हालांकि इस भक्ति आंदोलन में अब तक कोई खास या वीआईपी शख्स नहीं आया है।

बच्चों की तोतली भाषा और उनकी तालियों की गड़गड़ाहट जब माइक पर गूंजती हैं तो उनकी माएं व दादियां बलाएं लेने के लिए चल देती हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि गांव के विकास के इस यज्ञ का हमराही कोई एक व्यक्ति नही है। बल्कि साथी हाथ बढ़ाना की तर्ज पर सभी लोग जुट रहे हैं।

गांव के बुजुर्गो ने अपना समय भोर के साथ ही दोपहर व देर शाम का तय कर रखा है तो महिलाएं दोपहर को चूल्हा चौका से निजात पाकर भगवान का नाम लेने चली आती हैं। रात को गांव के नौजवानों की पूरी टीम राम का नाम लेती है साथ ही शाम का समय गांव की किशोरियों और छोटे बच्चों के हवाले रहता है।

बदल रहा है गांव का माहौल

गांव के अरिमर्दन सिंह बताते हैं कि अब उनके गांव का माहौल बदलता दिखाई दे रहा है। इसे ईश भक्ति का चमत्कार कहें या फिर कुछ और जो कल तक बेगानों जैसा व्यवहार कर रहे थे वह भी आज आकर रामधुन करते दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब तो गंगा का डेरा, राम शरण का डेरा, रघुराज का डेरा व अन्य डेरों से लोग रामधुन करने आ रहे हैं। बल्कि आस पास के गांवों से लोग भी आकर उनकी इस मुहिम का साथ देकर हौसला बढ़ा रहे हैं। कहा कि यहां तक कि गांव में आने वाले रिश्तेदार भी इस यज्ञ में अपनी आहुतियां डालकर अपने आप को कृतार्थ कर रहे हैं।

बच्चों में है भारी उत्साह

रामू, कल्लू, सोनू, राम नरेश, गुड़िया, रानी आदि ने बताया कि भगवान का नाम लेने में अच्छा लगता है। अगर गांव में बिजली जली तो और भी ज्यादा खुशी मिलेगी। बिजली के आने से हम लोग पढ़ाई तो कम से कम कर सकेंगे। कहा कि अभी गांव से शहर में मेला देखने जाने के लिए पैदल ही जाना पड़ता है। पुल पर सड़क बन जाने के बाद कम से कम पैदल तो नही जाना पड़ेगा।

बदलती बयार लाएगी क्रांति

गांव की कमला कुशवाहा, रानी यादव, वंदना, मुलिया, माया शिवहरे आदि इस बदली फिजा से काफी प्रसन्न हैं। उन्होंने कहा कि लगातार तीन दिनों से गांव में रामधुन गूंज रही है। राम के नाम में बड़ी शक्ति है। इससे गांव का विकास तो होगा ही साथ ही अगर गांव में अखिलेश भैया आए तो हम सब लोग कृतार्थ हो जाएंगे।

कैथी गांव में जारी रही राम धुन

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा.. - लगातार दूसरे दिन भी उत्साह से भरे रहे वृद्ध, महिलाएं व बच्चे

- पुल के दोनों ओर सड़क बनाने के लिए सर्वेक्षण का काम प्रारंभ

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : समस्याओं से आजिज आकर भगवान की शरण में गए कैथी गांव व उसके मजरों के निवासी दूसरे दिन भी भोले बाबा के प्राचीन मंदिर में रामधुन करने में लगे रहे। गांव के बुजुर्ग नवजवानों में कीर्तन की लगन को देखकर प्रसन्नता से भरे हुए हैं, वहीं महिलाएं व बच्चे भी राम धुन गाने में पीछे नहीं है।

बुजुर्ग उम्मेद सिंह कहते हैं कि समस्याओं से निदान यह तरीका सबसे उत्तम है। कहा कि केवल भारत की नही देश से चित्रकूट में स्वामी कामतानाथ भगवान के दर्शनों के लिए लोग आते हैं। भगवान कामतानाथ को समस्याओं से समाधान का केंद्र बिंदु मानने वाला हर बुंदेलखंडी वहां का भक्त है। भगवान राम ने भी चित्रकूट में बारह साल निवास कर रावण का संहार करने के लिए ऊर्जा एकत्र की थी। कहा कि हमने भी अपनी समस्याओं से निजात के लिए उसी भगवान राम से गुहार लगाई है।

गांव के सतीश चंद्र शिवहरे, लाल जी पाल, राम बिलास सिंह, राकेश विश्वकर्मा आदि लोगों ने कहा कि गांधी जी ने तो रघुपति राघव राजा राम, सबको सन्मति दे भगवान का जाप कर देश को आजादी दिला दी थी। हम तो अपने गांव को उजाले की ओर ले जाने के लिए राम के नाम का जप कर रहे हैं। अब तो जब गांव में जब मुख्यमंत्री के चरण पडे़ंगे तभी इस यज्ञ की पूर्णाहुति होगी।

होने लगी सड़क की नाप

हमीरपुर : मंगलवार को दोपहर जैसे ही गांव के लोग राम-राम का कीर्तन करने बैठे ठीक उसके दो घंटे बाद हव तड़के लोक निर्माण विभाग के कर्मचारी गांव पहुंच गए। उन्होंने चंद्रावल नदी पर सेतु निर्माण निगम द्वारा बनाए गए पुल की लम्बाई नापने के साथ ही दोनो तरफ की सड़क नापने का काम किया। ग्रामीणों का कहना है कि यह तो राम जी का प्रताप है, वह क्या क्या न करवा दें।

अपने नकारा, अब 'हरिहर' सहारा

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : 'दाता एक राम भिखारी सारी दुनिया..' से प्रेरणा लेकर भरुआ सुमेरपुर के कैथी गांव के लोगों ने अपनी समस्याओं का पुलिंदा अब 'भोले बाबा' के मंदिर में विधिवत हवन पूजन कर 'राम' को सौंप दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि अब इस राम नाम उद्घोष यज्ञ की पूर्णाहुति तभी होगी, जब सूबे के मुखिया अखिलेश सिंह यादव आकर मंदिर के ओसारे पर उनके साथ बैठकर राम-राम करेंगे।

छह हजार की आबादी वाले बड़े गांव कैथी में अब तक बिजली लापता है तो सड़कें भी नदारद हैं। गांव के रहने वाले अरिमर्दन सिंह कहते हैं कि भइया आजादी के बाद से गांव से समस्याओं को खत्म कर शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, बिजली, सड़क और अन्य सुविधाओं को दिए जाने की गुहार छह हजार की आबादी वाले ग्राम सभा के हर ग्रामीण में हर एक अधिकारी की चौखट पर लगाई है, पर किसी का दिल नहीं पसीजा। नेताओं से चुनाव के समय आश्वासनों की चासनी मिली तो अधिकारी भी उसी अंदाज के मिले। कभी किसी अधिकारी से गांव आकर समस्याएं देखने का आश्वासन मिला तो उसका स्थानांतरण हो गया। अब गांव की दूसरी व तीसरी पीढ़ी इस आजाद भारत में अंधेरे में पैदा हो रही है। तो क्या करें, अब तो उसी दाता का आसरा है इसलिए अब सभी गांव वालों ने मिलकर यह निर्णय लिया है कि हमें किसी से भी गिला शिकवा या शिकायत नही है। मंदिर में राम बहादुर यादव, विकास शिवहरे, अवधेश, राम विलास सिंह, जितेन्द्र सिंह चौहान, उम्मेद सिंह, वासुदेव निषाद, रामदास कुटार, खुशी राम, शिव चरन ने कहा कि हमें अब अपने भगवान से मतलब है। हमारी पूरी शिकायत अब उस पैदा करने वाले से हैं कि क्या हमारा गांव दूसरे गांवों जैसा नहीं है। जब अन्न यहां पर उपजता है और हैंडपम्प पानी देते हैं तो सड़क पर चलने का अधिकार हमारा नहीं है या फिर हमारे बच्चों को सही ढंग से पढ़ने इलाज कराने और बिजली से गांव रोशन होने से वंचित क्यों किया है।

अब नीचे वाले नहीं, ऊपर वाले भगवान से करेंगे फरियाद

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : अकल्पनीय पर बिलकुल सच. छह हजार की आबादी वाले भरूआ सुमेरपुर ब्लाक के गांव कैथी व उसके छह मजरों ने आजादी के बाद से अब तक घरों में बिजली के बल्ब एक बार 28 साल पहले जलते देखा है। इतना ही नहीं बच्चे भी यहां अस्पताल में कम जर्जर सड़क पर ज्यादा पैदा होते हैं। गांव के हालात ऐसे कि लगता नहीं कि यहां के निवासी आजाद देश के नागरिक हों। गांव के लिए लेखपाल, सचिव ही सबसे बड़े अधिकारी बने हैं। स्कूल में एक अध्यापक के ऊपर पांच सौ बच्चों की जिम्मेदारी है तो विद्यालय की इमारत में ही पुलिस ने चौकी खोल डाली है। छह साल पहले गांव में जाने के लिए चंद्रावल नदी पर पुल का निर्माण प्रारंभ हुआ तो ग्रामीणों को लगा कि चलो अब सड़क बन जाने से मुश्किलें आसान होंगी पर ऐसा हो न सका। विकास की किरण के इस गांव तक पहुंचने से पहले ही समय रथ में फंसकर वह दम तोड़ देती है। इसलिए अब ग्रामीणों ने अपनी राह खुद चुन ली है। उन्होंने स्थानीय स्तर के अधिकारियों से गुहार लगाने से तौबा करने के बाद कहा कि अब वे सीधे ऊपर वाले से बात करेंगे। गांव के अरिमर्दन सिंह कहते हैं कि जब कहावत है कि 'हारे को हरिनाम' तो अब हम सिस्टम से लड़कर हार चुके हैं। अब हमारे सामने भगवान का नाम लेने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं है। भगवान का नाम लेने के पीछे की मंशा स्पष्ट करते हुए वह कहते हैं कि संघर्ष पिछले दो दशक से ज्यादा समय से सुविधाओं को पाने के लिए जिलास्तरीय अधिकारियों के साथ चल रहा है। अब गांव के पुराने मंदिर में सभी स्त्री पुरुष मिलकर राम धुन गाएंगे और यह मंगल कामना करते हैं कि जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हमारे यज्ञ की पूर्णाहुति करेंगे तभी हम उठेंगे। कहा कि मुख्यमंत्री से भी उनकी कोई मांग नहीं है। वह तो मुख्यमंत्री को केवल अपना गांव दिखाना चाहते हैं।

रविवार को गांव के मंदिर में सैकड़ों लोगों ने हाथ उठाकर शपथ ली कि जब तक मुख्यमंत्री यहां पर आकर रामधुन में साथ नहीं देंगे वह लोग नहीं उठेंगे। मंदिर में राम बहादुर यादव, विकास शिवहरे, अवधेश, राम विलास सिंह, जितेन्द्र सिंह चौहान, उम्मेद सिंह, वासुदेव निषाद, रामदास कुटार, खुशी राम, शिव चरन आदि लोग मौजूद रहे।

गांव की प्रमुख समस्याएं

खंभे व तार खिंचे होने के बाद बिजली 28 साल से नहीं

अधूरा बना पुल

गांव के लिए सड़क ही नहीं

विद्यालय में 500 बच्चों पर केवल एक अध्यापक

अस्पताल में ताला बंद

पग पग चले बन गया कारवां..

हमीरपुर : कभी भी हमीरपुर जिला मुख्यालय हिन्दुस्तान के नक्शे से गायब हो सकता है। यह आशंका विधायक साध्वी निरंजन ज्योति ने दैनिक जागरण द्वारा आयोजित मिनी फोरम के दौरान महिला महाविद्यालय के ऑडीटोरियम में व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि मौरंग माफिया बेतवा की मौरंग को इतनी गहराई से जाकर खोद रहे हैं कि यहां कभी भी भूकंप आ सकता है। सुझाव देते हुए कहा कि सरकार को जिला मुख्यालय से 15 किमी. दूरी तक के स्थान पर खनन से रोक लगा देनी चाहिए। सड़कों की बदहाली पर प्रहार करते हुए कहा कि सड़कें ऐसी हैं कि बच्चे अस्पताल पहुंचने के पहले पैदा हो रहे हैं।

लोग जिम्मेदारी बखूबी निभाएं

जिलाधिकारी बी चंद्रकला ने कहा कि समाज के हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह सामाजिक जीवन में हर काम संजीदगी से करें। सामूहिक बातचीत के द्वारा विकास के रास्ते खोजे जा सकते हैं, इससे 80 प्रतिशत समस्याओं का समाधान अपने आप हो जाएगा।

पुलिस अधीक्षक रतन कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि मूलभूत आवश्यकताओं का चिन्हांकन जरूरी है। विश्लेषण करें और उसके बाद अपनी योजना बनाएं तो परिवार, गांव, समाज, देश प्रगति के रास्ते पर अग्रसर होगा।

अपर जिलाधिकारी रमेश चन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है, गांवों में जागरूकता का अभाव है वहां समस्याएं भी हैं, पीड़ित लोग जानकारी व जागरूकता के अभाव में चक्कर लगाकर थक जाता है और हताश होकर घर बैठ जाता है पर मीडिया के लोग गांव में घुसकर सटीक सूचनाएं लाते हैं और उनके प्रकाशित होने के बाद उन तक सही सूचनाएं पहुंच पाती हैं जिससे उन समस्याओं के समाधान में प्रशासन निराकरण में सहयोगी बनता है।

महिला महाविद्यालय के प्राचार्य राज कुमार ने कहा कि एक तरफ तो अध्यापकों की कमी है तो दूसरी तरफ शिक्षकों को शिक्षण के अलावा दूसरे काम में डयूटी लगाई जा रही है। जिसके कारण शिक्षा का स्तर गिर रहा है। छात्रा स्वातिका परिहार ने भी अपने विचार रखे।

भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष ब्रज किशोर गुप्त ने संकल्प ले आने वाले कल को बेहतर बनाने में जनसमस्याओं में सहयोग की बात दोहरायी। आभार प्रदर्शन व स्वागत करने का काम दैनिक जागरण के ब्यूरो प्रमुख संदीप रिछारिया ने किया। संचालन समर्थ फाउंडेशन के देवेन्द्र गांधी ने किया।

विकास की चाह में गुम हुए बेरी और कैथी

संदीप रिछारिया,हमीरपुर: समस्याओं को लेकर इस साल जिले के दो विकास खंडों के गांवों में हुए आंदोलनों ने प्रशासन को हिला कर रख दिया।

कुरारा ब्लाक में कुरारा से लेकर बेरी तक की लगभग 14 किलोमीटर सड़क का हाल पिछले दस सालों से खराब है। इस सड़क को लेकर चुनाव में भाग्य अजमाने वाले हर प्रत्याशी ने बनवाने का वादा किया, जो चुनावी जीत तक सीमित रहा। इस बार के विधानसभा चुनाव के दौरान सड़क नहीं तो वोट नहीं का नारा दे ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार की घोषणा कर दी, तो प्रशासन के हाथ पैर फूल गए। प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और आश्वासन दे किसी तरह ग्रामीणों को मनाया। अफसोस रहा कि विधायक साध्वी निरंजन ज्योति ने विधानसभा में समस्या को लेकर प्रश्न उठाया व सपा जिलाध्यक्ष ज्ञान सिंह ने सरकार से गुजारिश की तो सड़क की स्वीकृति होने के साथ रकम भी मिल गई, लेकिन अभी तक टेंडर नहीं निकाले जा सके हैं।

इधर कैथी गांव का हाल तो और बुरा था। केन और चंद्रावल नदी के दोआबा में बसा 6 हजार आबादी का गांव प्रशासनिक लापरवाही का नमूना है। ग्रामीण पिछले पांच दशकों से हर नेता के वादे सुनते और वोट देकर यह सोचते कि शायद अबकी कुछ उद्धार हो जाए, पर बात बनी नही। हार थक कर वह गांव के शिव मंदिर में राम का नाम लेने बैठ गए। अधिकारी पहुंचे, भाजपा व कांग्रेस के नेता पहुंचे। आधे गांव को बिजली मिली, भैंस बांधे जाने वाले अस्पताल को नर्स मिली पर नही मिल सकी ,चंद्रावल नदी में नंगे खड़े पुल को सड़क, हां इस आंदोलन की एक प्रमुख बात भोला दर्जी की कुर्बानी भी रही। जिसे पूरा गांव श्री राम नाम संकीर्तन आंदोलन का शहीद पूरा गांव मानता है।

क्या कहते हैं जन नेता

कैथी व बेरी की समस्या को विधानसभा में उठाने के साथ ही लगातार इन समस्याओं को सुलझाने की लड़ाई लड़ती रहूंगी।

विधायक साध्वी निरंजन ज्योति।

बेरी की सड़क के लिए तमाम लिखा पढ़ी कर सड़क निर्माण की रकम मंगवाई है। कैथी गांव अभी तक व्यस्तता के कारण नहीं जा सका। अब कैथी में प्रभारी मंत्री को लेकर जाउंगा और गांव वालों की समस्या का निदान करुंगा।

ज्ञान सिंह यादव, सपा जिलाध्यक्ष।

दोनों स्थानों की समस्याओं को सुलझाने का प्रयास लगातार जारी है। जल्द ही बेरी गांव की सड़क के टेंडर आ जाएंगे, व कैथी के मार्ग के लिए भी शासन से स्वीकृति आ जाएगी।

रमेश चंद्र श्रीवास्तव, अपर जिलाधिकारी।

Wednesday, April 3, 2013

दिन ललित बसंती आनै लगे.

संदीप रिछारिया,महोबा: अज्ञानता से हमें तार दे मां . से बढ़ती हुई बात जब देश के हृदय स्थल बुंदेलखंड में आती है तो फिर कवि का हृदय यहां की भाषा को भी सर्वोपरि कुछ इस प्रकार बना देता है 'हिंदी के माथे की बिंदी बुंदेली की धर गए.ईसुरी जग में जो जस कर गए, फागुन में जस भर गए'। ज्ञान की देवी की आराधना करने के लिए तो सभी आतुर रहते हैं, पर झांसी जिले के मऊरानीपुर कस्बे के समीप मेंढ़की गांव में जन्में पं. ईसुरी प्रसाद की आराधना अलग ही तरह की थी। ज्ञान की देवी की आराधना का मुख्य आधार प्रेम की उपासना करने को मानने वाले इस सुकवि ने बुंदेली धरा पर स्थानीय भाषा में जिन चौकड़ियों को इजाद किया वह आज आम जन मानस के लिए उपासना का माध्यम बनी हुई हैं। फागुन मास का आरंभ बसंत पंचमी से होने के कारण इस जनकवि आशुकवि की अभिव्यक्ति मां सरस्वती के प्रति कुछ इस तरह से सामने आती है 'मईया लाज राख ले मेरी, सुमिरत होय न देरी, बल बुद्धि विद्या मोहै दीजे, शरण पड़ा मैं तेरी, भूले बरन मिला दे दुर्गा, सुनो दीन की टेरी, ईसुर पड़ो चरनन में तेरे, जिन पे हाथ धरैं री '। आशुकवि के उल्लास भरे गीतों की उपासना करने वाले स्थानीय गायक छेदा लाल यादव बताते हैं कि उनकी रचित लगभग पचास हजार चौकड़ियों का संग्रह उनके पास है। यह सभी रचनाएं जीवन की हर विधा को समर्पित हैं। वैसे ईसुरी फागों (होली गीत) के सर्वमान्य कवि हैं। बुंदेलखंड के उप्र व मध्य प्रदेश के इलाके में बसंत हो या फिर होली बिना ईसुरी की फाग के त्यौहार पूरा ही नही होता। बताया कि उनका जन्म मेंढ़की, जिला झांसी में दुर्गा प्रसाद अड़जरिया के घर हुआ था। उनका विवाह सीगोंन जिला महोबा में हुआ था, पर उनकी मुख्य कर्मभूमि रही इसी जिले का गांव बधौरा। यहां पर वह जमींदार के पास कारिंदा के रूप में रहे। उन्होंने अधिकतर रचनाएं यहीं पर की थीं।

वह बताते हैं कि 'अब रिपु आई बसंत बहारन, पान फूल फल डारन, हारन हद्द पहारन पारन,धावल धाम जल ढारन'। वह नई पीढ़ी द्वारा अब अपने ईसुरी को बिसरा देने के कारण वह चिंतित हैं। कहते हैं कि जहां लाखों रूपए प्रतिवर्ष विकास के तमाम कामों के लिए सरकार खर्च कर रही है। वहीं बुंदेली फागों के इस अमिट हस्ताक्षर का नाम कोई नही लेता। कहा कि उन्हें इस बात का सुकूं हमेशा रहेगा कि उन्होंने राष्ट्रपति भवन में केवल ईसुरी की फाग गाने के कारण जाने का मौका मिला और वह नए बच्चों को इससे परिचित कराने का काम भी कर रहे हैं। लेकिन अब नई पीढ़ी को हमारे पुराने इस कवि के जानने और समझने के लिए जिला प्रशासन के साथ ही अन्य समाजसेवियों को पहल करनी चाहिए।

Monday, March 28, 2011

खुद अपने हाथों लिख रहे मेहनतकश अपनी तकदीर

क्रासर- सूखी सिंघन नदी में निकला पानी


चित्रकूट, संवाददाता: भय, भूख और भ्रष्टाचार को सहने की बेबसी से जब ग्रामाणों ने आगे निकलकर सोचा तो एक नई इबारत लिख डाली। मानव और पशुओं की सूखती काया को जीवनदान देने का काम खुद अपने ही हाथों कर डाला। बरगढ़ के पास गांव सत्यनारायण नगर के भौंटी कैमहाई के पास सूखी पड़ी सिंघन नदी को एक बार फिर जिंदा कर दिया गया। लगभग साठ मीटर दूरी पर तीन फिट गहरी व सोलह फिट दूरी की नदी को बहते देख जितनी प्रसन्नता गांव वालों को हो रही है उससे ज्यादा प्रसन्नता वहां पर पहुंचे पुलिस अधीक्षक डा. तहसीलदार सिंह को हुई। वे अपने आपको रोक न पाये और खुद ही फावड़ा लेकर श्रमदान करने के लिये जुट गये। इस दौरान काम कर रहे ग्रामीणों में भी काफी उत्साह आ गया और वे भी प्रेरणा गीत गाकर उमंग के साथ काम में जुट गये। इसके बाद पुलिस अधीक्षक ने वहीं पर चौपाल लगाकर ग्रामीणों के साथ बातचीत की। ग्रामीणों ने उन्हें जानकारी दिया कि विकास खंड के छितैनी गांव में पिछले तीन माह से फ्रांस के अलेक्सिस व अमेरिका के जैफ फ्री मैन बरसात के पानी की एक-एकबूंद को बचाने के लिये ग्रामीणों को समझाने का काम कर रहे हैं। वे यहां पर सर्वोदय सेवा आश्रम द्वारा लाये गये हैं। पिछले दिनों जब पानी की कमी के कारण दिक्कतें बढ़ी और पलायन होने लगा तो आश्रम के अभिमन्यु सिंह ने जलपुरूष राजेन्द्र सिंह द्वारा पानी की कमी वाले राजस्थान में सूखी नदी को जिंदा करने की कथा सुनाई। ग्रामीणों में उत्साह भरा कि अगर वे चाहे तो यहां पर भी ऐसा हो सकता है। पानी की कमी के कारण बेबसी का सामना करने वाले मेहनतकशों ने कमर कसी और फावड़ा लेकर नदी में खुदाई प्रारंभ कर दी। देखते ही देखते नदी की सिल्ट हटी और जलस्रोत फूटने लगे। ग्रामीणों के साथ ही सर्वोदय सेवा आश्रम के संतोष, अखिलेश, कमलेश, रीतू, बबलू व भीमसेन आदि तो खुशी के मारे नाचने लगे। ग्रामीणों ने बताया कि पांच गांवों के लोग इस नदी से कभी पानी पीने आया करते थे अब फिर से पशुओं व सिंचाई के लिये पानी मिल सकेगा।
सर्वोदय सेवा आश्रम के मंत्री अभिमन्यु सिंह ने बताया कि अभी तो यह शुरुआत है अब जनसहयोग से बरगढ़ क्षेत्र की नेवादा, कितहाई, मेडना, मौना व मादा नदी को पुर्नजीवित करने का काम किया जायेगा। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी ने सभी नदियों में खुदाई के काम को मनरेगा से करवाने के आदेश दिये है। इससे तो सभी ग्रामीणों में बड़ी आशा का संचार हुआ है पर यहां पर तो पिछले पन्द्रह दिनों में ग्रामीणों ने लगभग साठ मीटर नदी खोद डाली है पर बीडीओ के आने के बाद भी ग्राम प्रधान ने इसे प्रस्ताव में शामिल नही किया है। बल्कि रविवार को ही ग्राम प्रधान काम कर रहे मजदूरों को लालच देकर सड़क बनाने के काम के लिये ले गये हैं।

जल्द ही जिले की हर नदी में होगा पानी

चित्रकूट, संवाददाता: बरदहा, ओहन, गेडुवा व बाल्मीकि के साथ ही जिले की अन्य सभी नदियों पर एक बार फिर सिंघन नदी की तरह ही पानी आने की प्रबल संभावना का जन्म हो चुका है। जहां बरगढ़ इलाके में नेबादा, कितहाई, मेडना, मौना आदि नदियों पर तो लोग खुद ही पहल कर अपने मेहनतकश हाथों से पानी निकालने का काम प्रारंभ करने वाले हैं वहीं जिलाधिकारी ने भी अपनी ओर से सभी नदियों और नालों को पुर्नजीवन देने के लिये मनरेगा से उन्हें मजदूरी दिये जाने के आदेश जारी कर दिये हैं।

हो सकता है कि आने वाली गर्मी में बंधोईन के आगे दम तोड़ चुकी मंदाकिनी को पुर्नजीवन मिल जाये। जिलाधिकारी दलीप कुमार गुप्ता द्वारा मंदाकिनी सहित जिले कीअन्य सभी नदियों और नालों को मनरेगा के द्वारा खुदाई व सफाई कराने के सभी खंड विकास अधिकारियों को दिये गये आदेश के बाद तो लोगों में खुशी का संचार हुआ है।
वैसे एक नहीं लगभग आधा दर्जन नदियों और दर्जनों नालों वाले इस जिले में इधर गर्मी ने दस्तक दी तो उधर गंभीर जल संकट ने अपने पैर फैलाने प्रारंभ कर दिये हैं। लेकिन पेयजल को लेकर हाहाकार मचे इसके पहले ही जिलाधिकारी ने खुद बढ़कर ऐसी पहल कर डाली है जिससे आने वाले में जल संकट को न केवल दूर किया जायेगा बल्कि पेयजल की उपलब्धता को लेकर जिले की दशा और दिशा दोनो बदल सकती है।
मामला जिले के प्रमुख नदी मंदाकिनी के साथ ही अन्य नदियों और नालों की जल धाराओं के टूटने का है। जिलाधिकारी दलीप कुमार गुप्ता ने इसका उपाय सरकारी और
गैरसरकारी दोनो स्तरों पर खोज लिया है। उन्होंने जिले के समस्त खंड विकास अधिकारियों को बैठक कर आने वाले दिनों में पाठा के साथ ही पूरे जिले में आने वाले जल संकट की भयावहता से परिचित कराते हुये कहा कि वे लोग अपने -अपने इलाकों की नदियों और नालों पर मजदूरों से खुदाई करवाना प्रारंभ करवा दें जिससे नदी की सिल्ट के साफ होने के साथ ही दबे पड़े जल स्रोत भी सामने आ सकें।
जिलाधिकारी ने जागरण से बातचीत में कहा कि नदियां जीवनदायिनी हैं। इसलिये ही इन्हें भारतीय संस्कृति में मां का दर्जा दिया गया है। अगर समय रहते इन पर ध्यान नही दिया गया तो ये गंदगी की आगोश में आकर विलुप्त हो सकती हैं। जिलाधिकारी कहते हैं कि मंदाकिनी सहित सभी नदियों और नालों पर खुदाई का काम करवाया जायेगा। सिल्ट साफ होने पर लगभग हर नदी में जलस्रोत अपने आप खुल जायेगे और इलाके से पानी की कमी दूर होगी।







Sunday, March 6, 2011

केंद्र सरकार से चित्रकूट का वैभव बचाने की अपील

 राष्ट्रीय रामायण मेले के 38 वें संस्करण के शाम की विद्वत गोष्ठी विद्वानों ने चित्रकूट को ही समर्पित कर इसके अलग स्वायत्तशाषी राज्य बनाये जाने की वकालत की।

बांदा से आये हिंदी के विद्वान डा. चंद्रिका प्रसाद दीक्षित ललित ने कहा कि चित्रकूट की संस्कृति तो सिंधु घाटी की सभ्यता से पुरानी है। इसे काल के अंतराल में बांटने का काम कोई कर ही नही सकता। आवश्कता तो इस क्षेत्र में अभी और उत्खनन के कार्य करके पुराने रहस्यों को उजागर करने की है। उन्होंने अद्भुत, अनोखे और अलौकिक इस परिक्षेत्र को राज्यों की मांग के बीच पिसने के कारण बर्बादी की कगार पर पहुंचने की बात कहते हुये कहा कि चित्रकूट में उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश है चित्रकूट सबका है। इसे सबका रहने दिया जाये। केंद्र सरकार इसे सीधे अपने संरक्षण में लेकर इसका समुचित विकास करे तभी पूरे विश्व को यहां के बारे में सही जानकारी मिल सकेगी व उसका फायदा मिलेगा।
उन्होंने कविता के रूप में परिभाषित करते हुये कहा कि 'ऋषि राम रहीम जहां पर पैयस्वनी का जल है, संस्कृतियों के संगम वाला चित्रकूट स्थल है।' यह सृष्टि का सार्वभौमिक महत्व का अरण्य तीर्थ है। इसकी प्राकृतिक संपदा इसकी सौन्दर्य छवियां विश्व में सर्वाधिक मनोहारी है। चित्रकूट की संस्कृति जनवादी लोक व्यापी एवं त्याग तपस्या पर आधारित रही है। सिंधु घाटी की सभ्यता से प्राचीन पयस्वनी घाटी की सभ्यता या चित्रकूट की सभ्यता अनुसंधान का विषय है। यहां की आग्नेय घाटी ज्वालामुखी, जल उद्गम्य श्रोत, पर्वतों से निकलने वाली जल धारायें झरने सभी कुछ आदिम और नैसर्गिक रूप को अभी भी सुरक्षित हैं। ऐसे में आवश्यकता है चित्रकूट को स्वायत्तशाषी क्षेत्र बना देने की। जो राजनीति से सर्वथा मुक्त हो। जिसका भूगोल, इतिहास, संस्कृति, भाषाई सौहार्द एवं इस धरती में आने वाले विभिन्न संप्रदायों एवं मत-मतान्तरों से ऊपर उठकर एक सर्वव्यापी संस्कृति का स्वर प्राणवान हो सके। चित्रकू ट की संस्कृति जोड़ने वाली है तोड़ने वाली नही, राम राज्य की मूल परिकल्पना लोक तंत्र की अवधारणा के बीच सबसे पहले इस धरती पर अवतरित हुई। जहां राज सत्ता पर चरित्र की विजय हुई जहां राम राज्य मुकुट उतारकर नंगे पांव परिभ्रमण करते हैं जहां आकांक्षाओं के अनुरूप दलितों, नारियों और वनवासियों की पीड़ा को अपनत्व प्रदान करते हैं। यही वह संस्कृति का स्थान है जो चित्रकूट को विश्व के सबसे प्रथम स्वतंत्र और सर्वोपरि महत्व प्रदान करती है।
अयोध्या से पधारे संत फलाहारी महराज ने कहा कि राम दलितों और निर्धनों के सम्बल बनकर चित्रकूट में आये। रामायण मेला के आयोजन के लिये डा. लोहिया ने चित्रकूट को इसलिये चुना कि वे यहां से एक लोक संस्कृति का नया संदेश दे सकें। जब तक जनता का मनोबल ऊंचा नहीं होगा और शोषण से मुक्ति नही मिलेगी तब तक हमारा प्रयास चलता रहेगा।
मेरठ के डा. सुधाकराचार्य ने कहा कि रामेश्वरम की स्थापना में जिन पत्थरों के तैरने का प्रसंग आता है वे वास्तव में पत्थरों को काट-काट कर बीच में पोला कर करके पम्पन पुल के रूप में बनाया गया था। जहा पर बीच में शिलाओं को जोड़कर बनाया गया।
अमरोहा के डा. राम अवध शास्त्री ने कहा कि राम कथा का नया संदर्भ ग्रहण किया जाना चाहिये। लखनऊ की विद्या विदुषी ने लोक गाथाओं में फैले हुये मां सीता के चरित्र को रेखांकित करते हुये कहा कि सीता ने कई बार राम का प्रतिरोध करने का मन बनाया। जब तक नारियों और बेटियों को समान दर्जा नही दिया जाता तब तक रामायण की कथा का कोई मूल्य नही है। अयोध्या से आये डा. हरि प्रसाद दुबे, गौहाटी से डा. देवेन्द्र चंद्र दास, तिरूपति से आये डा. आर उस त्रिपाठी, भागलपुर से आयी डा. राधा सिंह, बांदा के डा. सीताराम विश्वबंधु, बांदा से आये रस नायक, आगरा से डा. सरोज गुप्ता, डा. ओम प्रकाश शर्मा, ग्वालियर श्री लाल पचौंरी, भोपाल से अवधेश कुमार शुक्ला आदि विद्वानों ने अपने विचार रखे।
एक दूसरी विद्वत गोष्ठी में वृन्दावन से आये दामोदर शर्मा, कानपुर से आये डा. यतीन्द्र तिवारी, मेरठ के नरेन्द्र कुमार, चित्रकूट की डा. कुसुम सिंह, डा. प्रज्ञा मिश्र, डा. मानस मुक्ता यशुमति ने भी श्री राम चरित मानस के नायक राम के विभिन्न स्वरूपों को सामने लाने का प्रयास किया।
संचालन डा. सीताराम विश्वबंधु ने किया।



डा. लोहिया की परिकल्पना से भटक गया रामायण मेला

संदीप रिछारिया, चित्रकूट : धर्म दीर्घकालीन राजनीति है। राजनीति अल्प कालीन धर्म। धर्म का काम है अच्छा करें और उसकी स्तुति करें। राजनीति का काम है बुराई से लड़े और उसकी निंदा करे। किंतु जब धर्म अच्छाई न कर केवल स्तुति भर करता है तो वह निष्प्राण हो जाता है और राजनीति जब बुराई से लड़ती नही तो वह कलंकित हो जाती है। पर यह सही है कि धर्म और राजनीति का अविवेकी मिलन दोनो को भ्रष्ट कर देता है। किसी एक धर्म को किसी एक राजनीति से नही मिलना चाहिये। इससे संप्रदायिक कट्टरता पनपती है। यह बातें चित्रकूट में रामायण मेला की कल्पना करने वाले समाजवादी आंदोलन के नायक डा. राम मनोहर लोहिया ने अपने घोषणा पत्र में लिखी थी। घोषणा पत्र में भले ही डा. लोहिया ने इसे राजनीति से सर्वथा अलग बताते हुये साफ तौर पर लिखा था कि रामायण मेले की पृष्ठभूमि में कोई राजनीतिक चाल नहीं है।

उनके शब्द थे कि 'मैं एक बात और स्पष्ट कर दूं कि चित्रकू ट के इस रामायण मेला से दल विशेष का संबंध नही है और न ही मेरी पार्टी सोसलिस्ट पार्टी से। हां सोसलिस्ट कार्यकर्ता जनहित का काम समझकर वैयक्तिक रूप में इसमें विशेष कार्य करें, उसी प्रकार वैयक्तिक रूप में कांग्रेस, कम्युनिष्ट व जनसंघ आदि पार्टियों से सम्बद्ध व्यक्ति भी रामायण मेला को कार्यान्वित करने में रूचि लें और सहयोग करें।'
कम्युनिष्टों से आज तक मेले में सहयोग लेने की कभी जरूरत नहीं समझी गई जबकि यहां के
सांसद और विधायक के पद पर कई बार भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी के लोग विद्यमान रहे। जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी के विपरीत जिसकी सरकार उसकी खुशामद के रूप मे यहां मामला चलता रहा। कांग्रेस के बाद भाजपा, सपा और बसपा के नेताओं को सरकारों के हिसाब से वरीयता दी गई। पिछले तीन सालों में रामायण मेला बसपा मय ही रहा। कुछ इसी तरह का हाल इस साल भी रहा। उद्घाटन सत्र पर पूर्व स्वागताध्यक्ष पूर्व सांसद भीष्म देव दुबे के पुत्र प्रदुम्न दुबे के अलावा मंच पर बसपा के अलावा किसी दूसरी पार्टी का कोई नेता नजर नहीं आया।
राष्ट्रीय रामायण मेले के 38 साल के सफरनामे पर भी नजर डाली जाये जो इस बात की पुष्टि होती है कि एक बार प्रधानमंत्री के रूप में मोरार जी देसाई तो विदेश मंत्री के रूप में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के अलावा राज्यपालों व राज्यमंत्रियों, कुलपतियों ने समय-समय पर उद्घाटन और समापन किया। जबकि सत्ता से अलग रही दूसरी पार्टियों के राजनेताओं और जिला स्तर के नेताओं को भी इस विशेष सम्मेलन में वरीयता नही दी गई। इस बार के आयोजन में उद्घाटन सत्र से लेकर अभी तक के कार्यक्रमों में बसपा नेताओं के अलावा सपा व भाजपा के नेताओं की मौजूदगी उस महामहोत्सव के दौरान बिल्कुल नहीं दिखी जिसे चित्रकूट का विकास का पर्याय माना जाता है।
गौरतलब है कि जब डा. लोहिया ने राष्ट्रीय रामायण मेला का पूरा कार्यक्रम तैयार कर घोषणा पत्र इसके आयोजकों को समर्पित किया था उनके जेहन में इस बात को लेकर बात साफ थी कि आने वाला समय चित्रकूट का होगा। रामायण मेला अगर उत्तरोत्तर प्रगति करता गया तो इससे चित्रकूट का विकास होगा। भौतिक संसाधन बढे़गे और यहां की गरीबी भी दूर होगी। पर क्या वास्तविकता में ऐसा हो पाया है?
सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष राजबहादुर यादव, कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष पुष्पेन्द्र सिंह, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष लवकुश चतुर्वेदी व सपा नेता कमल सिंह मौर्या इस मुद्दे पर एक राय होकर कहते हैं कि रामायण मेला से वास्तव में चित्रकूट को एक नई पहचान मिली है पर यह तो अब पूरी तरह से वंशवाद का अखाड़ा बन गया है। यहां साल भर में शादियों, राम व भागवत कथाओं व अन्य आयोजनों के जरिये लाखों की आमदनी होने के बावजूद इसके संचालकों द्वारा मेले के आयोजन के लिये धनाभाव या सरकार की ओर से अनुदान कम मिलने की बात कहना हास्यास्पद लगता है। आयोजक धनाभाव बताकर अच्छे कार्यक्रम निरस्त कर लोगों की भावनाओं पर तुषाराघात कर रहे हैं।