हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : कहते हैं कि जहां अनवरत राम का नाम गूंजता है, वहां अशांति समाप्त हो जाती है। भरुआ सुमेरपुर क्षेत्र के कैथी ग्राम में शिव मंदिर आइये, अपने आप अनुभव हो जाएगा कि राम के नाम के उच्चारण करने मात्र से प्रभाव क्या होते हैं।
यहां के शिव मंदिर के ओसारे पर बैठकर भक्तों को राम के नाम को गाते गुरुवार को 31 दिन पूरे हो गए, लेकिन 'राम काज कीन्हे बिनु, मोहि कहां विश्राम..' की तर्ज पर गांव के लोग राम का नाम लेने में जुटे हुए हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि पिछले इकतीस दिनों से गांव में किसी से किसी की तू तू मै मैं भी नही हुई। इतना ही नही गांव में बनी अस्थाई चौकी के सिपाही भी दिन में कई बार मंदिर में बैठकर राम नाम संकीर्तन कर रहे हैं।
गांव के महेन्द्र सिंह, बालेन्द्र सिंह, शिव विशाल सिंह, पहलवान सिंह कहते हैं कि राम के नाम के आसरे इतने दिन लड़ाई लड़ी है। आजादी के बाद मूलभूत सुविधाओं को पाने की जद्दोजहद में अधिकारियों और नेताओं के इतने ज्यादा चक्कर लगाए कि हम लोग खुद ही घनचक्कर बन गए। कितना पैसा और समय बर्बाद हुआ इसकी कोई गिनती नही। अब क्या किया जाता। जब कोई सुनने वाला नहीं और गाल बजाने को सब तैयार हैं तो फिर दाता से ही मांग करनी उचित समझी गई। गांव में शिव मंदिर में राम का नाम लेने बैठ गए और आज इकतीस दिन हो गए हैं। मुख्यमंत्री के आए बिना यह राम नाम यज्ञ बंद नही होगा।
वैसे अभी तक के बिजली के काम को देखकर लग रहा है कि जल्द ही गांव के अंदर बिजली का करंट दौड़ेगा। नदी के दूसरे पाट तक खंभे गड़ने के साथ ही बिजली की तार दौड़ गई है। साथ ही गांव में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने भी काम जारी रखा।
यहां के शिव मंदिर के ओसारे पर बैठकर भक्तों को राम के नाम को गाते गुरुवार को 31 दिन पूरे हो गए, लेकिन 'राम काज कीन्हे बिनु, मोहि कहां विश्राम..' की तर्ज पर गांव के लोग राम का नाम लेने में जुटे हुए हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि पिछले इकतीस दिनों से गांव में किसी से किसी की तू तू मै मैं भी नही हुई। इतना ही नही गांव में बनी अस्थाई चौकी के सिपाही भी दिन में कई बार मंदिर में बैठकर राम नाम संकीर्तन कर रहे हैं।
गांव के महेन्द्र सिंह, बालेन्द्र सिंह, शिव विशाल सिंह, पहलवान सिंह कहते हैं कि राम के नाम के आसरे इतने दिन लड़ाई लड़ी है। आजादी के बाद मूलभूत सुविधाओं को पाने की जद्दोजहद में अधिकारियों और नेताओं के इतने ज्यादा चक्कर लगाए कि हम लोग खुद ही घनचक्कर बन गए। कितना पैसा और समय बर्बाद हुआ इसकी कोई गिनती नही। अब क्या किया जाता। जब कोई सुनने वाला नहीं और गाल बजाने को सब तैयार हैं तो फिर दाता से ही मांग करनी उचित समझी गई। गांव में शिव मंदिर में राम का नाम लेने बैठ गए और आज इकतीस दिन हो गए हैं। मुख्यमंत्री के आए बिना यह राम नाम यज्ञ बंद नही होगा।
वैसे अभी तक के बिजली के काम को देखकर लग रहा है कि जल्द ही गांव के अंदर बिजली का करंट दौड़ेगा। नदी के दूसरे पाट तक खंभे गड़ने के साथ ही बिजली की तार दौड़ गई है। साथ ही गांव में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने भी काम जारी रखा।
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