हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : भज लो सीताराम. भज लो सीताराम. ढोलक में बैठी मां शारदा. जी हां अब कैथी गांव की रामधुन का स्वरूप बढ़ता जा रहा है। जहां एक रामधुन विशुद्ध शास्त्रीय तरीके से चल रही है। वहीं यहां पर लोक संगीत की बहार भी देखी जा रही है।
कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में जन समस्याओं को लेकर गत मंगलवार लोगों द्वारा शुरू की गयी राम धुन शनिवार को निर्बाध गति से पाँचवें दिन भी जारी रही। राम भजन में लोगों का उत्साह बढ़ता ही जा रहा है। हारमोनियम और ढोलक की सहायता से विभिन्न राग रागिनियों के साथ ग्रामीण अपने ही अंदाज में देवता को मनाने के प्रयास में जुटे दिखाई दे रहे हैं। वैसे भी बुंदेलखंडी लोक संगीत के मामले में काफी संबृद्ध माना जाता है। यहां पर हर काम की शुरूआत भगवान को मनाने व आमंत्रण देने के साथ ही जाती है। लोक संगीत के लगभग हर गीत में राम, कृष्ण और देवी को मनाने के स्वर सुने और सुनाए जाते हैं।
प्रभाती के साथ शयन में हैं मधुर स्वर
सुबह 6 बजे से 10 बजे तक महिलाओं और बच्चियों की राग रागिनियां जहां गांव के वातावरण में रस घोलने का काम करते दिखाई देते हैं, वहीं शाम छह बजे से दस बजे तक उनके स्वरों से ऐसा प्रतीत होता है कि वह लोरियां गा रही हों। गांव के लोग कहते हैं कि मां जब घर से नहा धोकर आकर राम भजन करने लगती है तो ऐसा लगाता है कि वह प्रभाती गाकर बच्चों को जगा रही है और शाम को गाने के स्वर लोरियों जैसे सुनाई देते हैं।
बुजुर्गो में है उत्साह
गांव के बुजुर्गो में इन दिनों भारी उत्साह है। उनका कहना है कि अब उनके कानों में हर क्षण परमेश्वर के नाम का उच्चारण पड़ता है। ऐसा लगता है कि मानो स्वर्ग का सुख यहीं मिल रहा है।
कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में जन समस्याओं को लेकर गत मंगलवार लोगों द्वारा शुरू की गयी राम धुन शनिवार को निर्बाध गति से पाँचवें दिन भी जारी रही। राम भजन में लोगों का उत्साह बढ़ता ही जा रहा है। हारमोनियम और ढोलक की सहायता से विभिन्न राग रागिनियों के साथ ग्रामीण अपने ही अंदाज में देवता को मनाने के प्रयास में जुटे दिखाई दे रहे हैं। वैसे भी बुंदेलखंडी लोक संगीत के मामले में काफी संबृद्ध माना जाता है। यहां पर हर काम की शुरूआत भगवान को मनाने व आमंत्रण देने के साथ ही जाती है। लोक संगीत के लगभग हर गीत में राम, कृष्ण और देवी को मनाने के स्वर सुने और सुनाए जाते हैं।
प्रभाती के साथ शयन में हैं मधुर स्वर
सुबह 6 बजे से 10 बजे तक महिलाओं और बच्चियों की राग रागिनियां जहां गांव के वातावरण में रस घोलने का काम करते दिखाई देते हैं, वहीं शाम छह बजे से दस बजे तक उनके स्वरों से ऐसा प्रतीत होता है कि वह लोरियां गा रही हों। गांव के लोग कहते हैं कि मां जब घर से नहा धोकर आकर राम भजन करने लगती है तो ऐसा लगाता है कि वह प्रभाती गाकर बच्चों को जगा रही है और शाम को गाने के स्वर लोरियों जैसे सुनाई देते हैं।
बुजुर्गो में है उत्साह
गांव के बुजुर्गो में इन दिनों भारी उत्साह है। उनका कहना है कि अब उनके कानों में हर क्षण परमेश्वर के नाम का उच्चारण पड़ता है। ऐसा लगता है कि मानो स्वर्ग का सुख यहीं मिल रहा है।
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