Thursday, April 4, 2013

राम जी करेंगे बेड़ा पार, उदासी मन काहे डरे

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा..

- कैथी गांव के शिव मंदिर में लगातार 26वें दिन जारी रही राम धुन

- सीएम के आने की चाह, जुड़ते जा रहे लोग और बढ़ रहा उत्साह

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहां विश्राम.. कहते हैं श्रीराम की कथा हो या फिर रामधुन गाई जाए इस तरह की सभी जगहों पर महाबीर अपने आप मौजूद रहते हैं। रामधुन की कुछ ऐसी ही लगन कैथी के निवासियों पर अब देखी जा रही है। उनका उत्साह न केवल रामधुन के लिए तेज हो चुका है बल्कि अब तो वह अपने मुख्यमंत्री के आगमन की प्रतीक्षा में गांव सजाने के काम को जल्द पूरा कर लेना चाहते हैं। इधर, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. रामशरण मिश्र ने शनिवार को खुद ही गांव का निरीक्षण किया और यहां स्वास्थ्य सेवाएं न होने की कमी स्वीकारी। उन्होंने स्वास्थ्य सेवाएं बढ़ाने का भरोसा दिलाया।

कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में शनिवार को लगातार 26वें दिन राम नाम का जाप व भजन जारी रहे। गांव के चौबारों के साथ ही निकास व अन्य स्थानों पर श्री राम चरित मानस की चौपाइयों व ध्वजों को लगाने का काम तो लगभग पूरा चला है जबकि मुख्यमंत्री के स्वागत व पूजा हवन करने के लिए चबूतरा, घास की कुटिया व हवन बेदिका का निर्माण के काम को अंतिम रूप देने में लोग जुटे हुए हैं।

गांव के उम्मेद सिंह कहते हैं कि कौन सो काम कठिन जग माही जो नही होय तात तुम पाहीं. कहते हैं कि राम के भक्त हनुमान तो हमारे सदा से सहायक हैं। फिर हमने रामधुन भी तो भगवान शिव के मंदिर पर रखा है। भगवान शिव का ग्यारहवां रूद्र बजरंग बली को माना जाता है। ऐसे में हमारे रामनाम महायज्ञ की पूर्णाहुति शानदार होना तय है। आसपास के गांवों से आने वाले विभिन्न धर्मो के लोग आज भी उत्साह बढ़ाने भारी संख्या में आए।

इधर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. रामशरण मिश्र ने कहा कि गांव में पहले से ही एक एएनएम की तैनाती कर दी गई है। वह खुद ही वहां की व्यवस्थाओं की जांच करने के लिए रविवार को कैथी पहुंचेंगे।

-------------------------

''इतने अच्छे लोगों के गांव में स्वास्थ्य सेवाएं न दे पाना वाकई समस्या है। केवल गांव बीहड़ में होने के कारण ऐसा हुआ है। एक एएनएम की पोस्टिंग कर दी गई है। हफ्ते में एक दिन चिकित्सक भी गांव में मौजूद रहेंगे। इसके साथ एक मेल वर्कर को भी गांव में लगाया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी एएनएम केंद्र में बैठकर लोगों को उचित सलाह देना होगा। इसके साथ ही गांव केंद्र में रंगाई और पुताई के लिए आदेश कर दिए गए हैं।''

- डॉ. रामशरण मिश्र, मुख्य चिकित्साधिकारी, हमीरपुर

राम जी की कृपा से हो रहे सब काम

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा..

- कैथी के शिव मंदिर में लगातार 27वें दिन जारी रही राम धुन

- बिजली विभाग ने दोबारा शुरू किया काम, गड़ने लगे पोल

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : राम का नाम तो पहले ही जुबां पर आया था, पर उसकी तासीर में कुछ अकुलाहट थी लेकिन अब जो राम का नाम निकलता है तो उसमें खिलखिलाहट है। प्रसन्नता तो जैसे गांव के हर शक्स के चेहरे पर दिखाई देती है। जिससे भी बात करो हर एक के मुंह से निकलता है कि भइया राम जी की कृपा से सब काम हो रहा है। सब वही करा भी रहे हैं हम तो केवल राम नाम संकीर्तन का आनंद उठा रहे हैं।

भरूआसुमेरपुर ब्लाक के कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में रविवार को लगातार 27वें दिन भी रामनाम का संकीर्तन चलता रहा। लगभग पांच लोगों का समूह राम नाम का गान करने में जुटा रहा। यहां पर न तो जाति का भेद है, न ही धार्मिक आधार पर कोई दिक्कत। हिंदू हो या मुसलमान राम का नाम सबकी जुबां पर है। हर एक व्यक्ति इस बात को लेकर काफी प्रसन्न है कि उसका गांव राम के नाम को लेकर प्रदेश व देश के स्तर पर पहुंचा तो अब वह दिन दूर नही है जब प्रदेश के मुखिया अखिलेश सिंह यादव भी उनके बीच आकर राम का नाम गुनगुनाएंगे।

एक बार फिर गड़ने लगे पोल

रामधुन की शुरूआत के तीन दिन बाद ही बिजली विभाग ने काम को प्रारंभ कराया था पर दो ही दिन बाद काम बंद हो गया। अधिशाषी अभियंता तरनवीर सिंह ने बताया कि कुछ समान उरई से आना था पर उसके आने में विलम्ब हुआ जिसके कारण यह दिक्कत हुई। अब समान दे दिया गया है। काम दोबारा प्रारंभ हो गया है। ग्रामीणों ने बताया कि आज ठेकेदार लेबर लेकर आया है और कुछ खंभे खड़े भी किए हैं।

राम जी करेंगे बेड़ा पार, उदासी मन काहे डरे

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा..

- कैथी गांव के शिव मंदिर में लगातार 25वें दिन जारी रही राम धुन

- सीएम के आने की चाह, जुड़ते जा रहे लोग और बढ़ रहा उत्साह

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : राम काज करिबे बिना मोहि कहां विश्राम. कहते हैं राम की कथा हो या फिर रामधुन गाई जाए इस तरह की सभी जगहों पर महाबीर अपने आप मौजूद रहते हैं। रामधुन की कुछ ऐसी ही लगन कैथी के निवासियों पर अब देखी जा रही है। उनका उत्साह न केवल रामधुन के लिए तेज हो चुका है बल्कि अब तो वह अपने मुख्यमंत्री के आगमन की प्रतीक्षा में गांव सजाने के काम को जल्द पूरा कर लेना चाहते हैं।

कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में शुक्रवार को करवा चौथ के दिन लगातार 25वें दिन राम नाम का जाप व भजन जारी रहे। गांव के चौबारों के साथ ही निकास व अन्य स्थानों पर श्री राम चरित मानस की चौपाइयों व ध्वजों को लगाने का काम तो लगभग पूरा चला है जबकि मुख्यमंत्री के स्वागत व पूजा हवन करने के लिए चबूतरा, घास की कुटिया व हवन बेदिका का निर्माण के काम को अंतिम रूप देने में लोग जुटे हुए हैं।

गांव के उम्मेद सिंह कहते हैं कि कौन सो काम कठिन जग माही जो नही होय तात तुम पाहीं. कहते हैं कि राम के भक्त हनुमान तो हमारे सदा से सहायक हैं। फिर हमने रामधुन भी तो भगवान शिव के मंदिर पर रखा है। भगवान शिव का ग्यारहवां रूद्र बजरंग बली को माना जाता है। ऐसे में हमारे रामनाम महायज्ञ की पूर्णाहुति शानदार होना तय है। आसपास के गांवों से आने वाले विभिन्न धर्मो के लोग आज भी उत्साह बढ़ाने भारी संख्या में आए।

इधर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. रामशरण मिश्र ने कहा कि गांव में पहले से ही एक एएनएम की तैनाती कर दी गई है। वह खुद ही वहां की व्यवस्थाओं की जांच करने के लिए रविवार को कैथी पहुंचेंगे।

..तो गांव में एक साथ मनेगी दीपावली व ईद

हाकिम नकारा, हरि हर का सहारा..

- कैथी गाँव के प्राचीन शिव मंदिर में लगातार 24वें दिन जारी रही राम धुन

- मुख्यमंत्री के आगमन पर होगा जश्न, 'प्रसाद' में चढ़ेगा सिंवई व लड्डू

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : चौक पुराओ. माटी रंगाओ. आज प्रिया मेरे घर आएंगे. कुछ ऐसे अंदाज अब कैथी गांव में देखी जा रही है। पिछले 24 दिनों से राम धुन के माध्यम से प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव को पूर्णाहुति करने का निमंत्रण दे चुके ग्रामीणों का उत्साह अब अपने पूरे चरम पर है।

अनोखे रामधुन महायज्ञ के कारण देश-प्रदेश में चर्चा का स्थान पा चुके भरुआ सुमेरपुर ब्लाक के कैथी गांव के लोग इस बात को लेकर काफी संजीदा और चौकन्ने हैं कि पता नही कब उनके गांव में मुख्यमंत्री का उड़नखटोला उतर जाए। जहां एक तरफ गांव के लोग जाति धर्म की सीमाओं को लांघकर राम का नाम जप रहे हैं, वहीं उनके पास से एक ऐसा संदेश आया है, जिसे सुनकर फिरकापरस्तों को चिढ़ हो सकती है। कैथी गाँव के प्राचीन शिव मंदिर में बृहस्पतिवार को इस अखंड राम धुन का 24वाँ दिन था।

गांव के उम्मेद सिंह, अरिमर्दन सिंह, विकास शिवहरे,लाल जी पाल,सतीश चंद्र शिवहरे, चंद्रशेखर आदि कहते हैं कि इससे कोई फर्क नही पड़ता कि मुख्यमंत्री कब आते हैं पर इतना साफ है कि उनके आने पर हम दीपावली जरूर मनाएंगे। शाम को पटाखे फोड़ने के साथ ही शाम को घरों के बाहर शुद्ध देशी घी के दिए जाए जाएगें। उधर मुसीबत खां, नफीस, फिरोज, रमजान आदि कहते हैं कि ईद भले ही बीत गई हो पर मुख्यमंत्री के आने पर हम ंिसंवई से उनका मुंह मीठा कराएंगे और ईद जैसा ही स्वागत करेंगे।

सपा ब्राह्मण सभा ने ली मुख्यमंत्री को लाने की जिम्मेदारी

सपा ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार पांडेय को जब इस बात की जानकारी हुई कि यहां पर कैथी गांव में लोग केवल मुख्यमंत्री के दर्शन की आस में पिछले 24 दिनों से राम राम का जप कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि वह कल लखनऊ पहुंच रहे हैं और जैसे ही उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री से होगी वैसे ही उन्हें कैथी का हाल बताकर यहां पर लाने का समय लेंगे और साथ में भी आएंगे।

राम के आसरे राम के सहारे

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा..

- शिव मंदिर में 21वें दिन भी जारी रही राम धुन

- मउहर से कैथी तक गूंज रहा है राम का नाम

- आसपास के ग्रामीण भी ले रहे उत्साह से भाग

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : मंगल भवन अमंगलहारी. जय सियाराम. श्री राम जय राम जय जय राम और जय श्री राम. यह केवल भगवान का नाम नहीं बल्कि उस इबारत का नाम है जो अब पूरे बुंदेलखंड में रामधुन के कारण मशहूर हो चुके कैथी गांव के हर घर पर लिखी दिखाई देती है। राम के नाम का प्रभाव अब कैथी के निवासियों को केवल इक्कीस दिनों में ही साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। न तो गांव में किसी का किसी से विवाद हो रहा है और न ही कोई ऊँची आवाज में बात करता दिखाई देता है।

गांव के बुजुर्ग कहते हैं कि सकारात्मक तरीके से प्रारंभ किए गए प्रभु के नाम जप आंदोलन के प्रभाव से गांव में लोगों के अंदर की वैमस्यता समाप्त होती दिखाई दे रही है। नशेबाजी भी लगभग गायब हो चुकी है। बच्चों के अंदर संस्कारों का उदय हो चुका है।

वैसे इस समय बोवाई का समय चल रहा है और दिन के समय गांव के तमाम स्त्री व पुरूष खेतों पर होते हैं। लेकिन उनके भी सुर बदल चुके हैं पहले जहां उनके मुंह से फिल्मी गीतों के सुर निकलते थे, वहीं अब वह रघुपति राघव राजा राम गाते दिखाई दे रहे हैं। इसके साथ ही आपस के अभिवादन का स्वर भी राम राम ही सुने जा रहे हैं। राम के नाम का प्रभाव कुछ ऐसा है कि बच्चे भी स्कूल में नमस्ते व उपस्थित की जगह राम राम करते दिखाई देते हैं।

उधर जहां गांव के शिव मंदिर पर राम नाम संकीर्तन सोमवार को 21वें दिन भी जारी रहा। लगातार यहां बांदा जिले के कुछ गांवों व इस जनपद के तमाम गांवों के लोग आकर राम राम महायज्ञ में भाग लेकर अपने जीवन को कृतार्थ करने का काम कर रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री के आगमन की आहट पर हवन वेदिका व कुटिया के निर्माण का काम भी अंतिम चरण में हैं। मैदान पर बल्लियां गाड़कर उसमें कांसे की कुटिया बनाए जाने की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

गांव के लोग कहते हैं कि अब वह लोग कैथी से लेकर मउहर तक राम के नाम का विस्तार करेंगे और मउहर से भरूआ तक लोगों को उनकी दीवालों में राम राम लिखने के लिए प्रेरित भी करने का काम करेंगे।

राम नाम के सहारे सीएम को पुकारें

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : कहते हैं राम से बड़ा राम का नाम . कुछ ऐसे ही नजारे रामधुन के लिए विख्यात हो चुके कैथी गांव में आम तौर पर दिखाई दे रहे हैं। मुख्यमंत्री के आगमन की आस संजोए कैथी गांव में चंद्रावल नदी पार करते ही जैसे ही कानों में राम राम की धुन कानों में गूंजती है, आगे बढ़ने के बाद घरों के बाहर यहां से निकले जो नर नारी सबको सीताराम हमारी और मंगल भवन अमंगल हरी द्रबहु सो दशरथ अजिर बिहारी लिखी इबारत लोगों के अंदर पवित्रता का भाव बढ़ाती नजर आती है। इतना ही नहीं जहां घरों के ऊपर नजर जाती है तो ओम लिखी हुई धर्मध्वजाएं अपना प्रभाव छोड़ती नजर आती हैं।

तीन सप्ताह पूर्व जन सुविधाओं की कमी और समस्याओं की भरमार से क्षुब्ध लोगों ने अपनी बात सुनाने के लिए राम धुन का आंदोलन शुरू किया था। इसके बाद से गांव का माहौल कुछ इस कदर बदला है कि कैथी के रहने वाले खुद ही विश्वास नहीं कर पा रहे हैं। हरिहर तिवारी, झंडू सिंह, बालेन्द्र सिंह, कल्लू, रणविजय सिंह, समता निषाद, सदला कुटार, ब्रज किशोर कुशवाहा, भारत यादव, बुद्दी लाल वर्मा, शिव शरण सेंगर को तो विश्वास हो चला है कि जब भगवान के नाम बोलने मात्र से इतनी ऊर्जा, शांति और लोगों से अपनापन मिल रहा है तो फिर आने वाले दिन वास्तव में मंगलकारी ही होंगे।

मंगलित वातावरण को तैयार करने का काम करने के काम में लगे कैथी गांव के युवा अरिमर्दन सिंह, विकास शिवहरे कहते हैं कि भइया अब तो हमारा गांव बदल गया, गुटबाजी तो समाप्त हुई ही साथ ही अब सभी अपने आपको अपना ही मानने लगे। कलियुग में जीत का सूत्र है कि संघे शक्ति कलियुगे और यह हमारे गांव में परिलक्षित हो रहा है। राम के नाम के सहारे और सभी गांव के लोग मिलकर अब गांव को विकास के उस सोपान पर ले जाएंगें जहां से इस गांव को लोग जिले ही नहीं प्रदेश में आदर्श के रूप में जान सकें।

उधर अपर जिलाधिकारी रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि सेतु निर्माण निगम को पुल में मिट्टी भरने के काम के लिए पहले पत्र लिखा गया था। बुधवार को रिमांडर भेजने के साथ ही प्रमुख सचिव से बात की जाएगी। इसक साथ ही अधिशाषी अभियंता पावर कारपोरेशन से बात हो गई है। उरई स्टोर से समान मंगाकर वह एक दो दिन में ठेकेदार को नई लाइन बनाने के लिए दे देंगे। गांव में एएनएम की पोस्टिंग कर दी गई है। एक-दो दिन में वह ज्वॉइन कर लेगी।

राम की लगन में हुए मगन तो भूले गम

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा..

- कैथी गांव के शिव मंदिर में 19 दिनों से जारी है रामधुन

- मुख्यमंत्री के आने की तैयारी

करने में जुटे हुए हैं लोग

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : अब तो ऐसा लगाता है कि मानो स्वयं राम ही कैथी की जमीं पर उतर आए हों। जहां शाम होते ही लोग घर बंद कर कैद हो जाया करते थे, वहां की रातें अब गुलजार हो रही हैं। पुरुष हो या महिला रात को भी गांव की गलियों में टहलती और रामधुन का आनंद लेते दिखाई देती हैं। वैसे तो जिले के हर गांव में रोज ही शाम होती है पर कैथी गांव में तो शाम का आनंद ही कुछ और होता है। गांव के बुजुर्ग बच्चों को न केवल रामधुन में बैठने के लिए प्रेरित करते दिखाई देते हैं बल्कि उन्हें श्री राम चरित मानस की चौपाईयों से अंताक्षरी खेलना भी सिखा रहे हैं।

गांव की महिलाएं कमला कुशवाहा,रानी यादव, माया शिवहरे, साधना सिंह, वंदना, भुलिया आदि कहती है कि ऐसा माहौल जब से ब्याह के आई देखा नही। सुबह हो या शाम भगवान के नाम जप की चर्चा। उन्होंने कहा कि आज तो हमारा गांव अयोध्या या चित्रकूट सा दिखाई देता है। जहां पर हर क्षण केवल भगवान की न केवल चर्चा होती है बल्कि कानों में भी भगवान का नाम रस घोलता रहता है। बड़े ही गर्व से कहती हैं कि अब हमारे गांव में सास बहू की बुराई का पुराण खत्म हो चुका है।

 उधर गांव के बुजुर्ग उम्मेद सिंह, पूर्व प्रधान राम प्रकाश निषाद, पूर्व प्रधान काशी प्रसाद गुप्ता, पूर्व प्रधान अजय पाल सिंह,बलराम सिंह, जागेश्वर खरे, क्षेत्र पंचायत सदस्य शिव चरण कुशवाहा, चंदा कुशवाहा, बृज किशोर, राम पाल श्रीवास आदि लोगों ने कहा कि अब कोई चिंता नही है। गांव की पीढ़ी को सुधारने का इससे अच्छा कोई जरिया नही हो सकता। अब तो गांव के छोटे बच्चे भी श्री राम चरित मानस की कथा के बारे में पूंछतांछ करने लगे हैं। यह हमारे लिए बड़े सौभाग्य की बात है।

उधर मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर गांव में तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। घरों में लाल रंग के झंडे व दीवारों पर रामायण की चौपाइयां लोग अपने आप लिख रहे हैं। अरिमर्दन सिंह व विकास शिवहरे कहते हैं कि इस समय पूरा गांव उत्साह में हैं। इसलिए गांव का हर व्यक्ति अपने प्रिय मुख्यमंत्री के आगमन की बाट जोह कर उनका स्वागत अपने अंदाज में करना चाहता है।

अखिलेश की यादों को मुद्दतों सहेजकर रखने की तैयारी

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा..

- कैथी गांव के शिव मंदिर में 18 दिनों से जारी है रामधुन

- मुख्यमंत्री के हाथों पीपल का पौधा लगवाने की ख्वाहिश

संदीप रिछारिया, हमीरपुर : भरुआ सुमेरपुर ब्लाक के ग्राम कैथी व उसके आस-पास बसे मजरों की लगभग छह हजार आबादी को 18 दिन राम जपते राम के नाम की ऐसी धुन लग गई है कि अब वह मंदिर में जाकर तो राम राम तो जप ही रहे हैं साथ ही बोवाई करते समय भी उनके मुंह में राम का ही नाम रहता है। इतना ही नही अब तो कैथी व आसपास के गावों में अभिवादन का तरीका भी बदल गया है। पहले लोग आपस में मिलने पर नमस्कार व नमस्ते का उपयोग करते थे पर अब वह जय राम जी की कहकर एक दूसरे को संबोधित करते हैं। गांव के बदले माहौल से जहां कैथी का हर एक शक्स फिदा है वहीं उन्हें इस बात की खुशी है कि आसपास गांव पंधरी, पारा, बिलखेरा, अकरैया, मौहर, धंधुपुर, किसवाही के साथ ही बांदा के जिले के गड़रिया जैसे गांवों के दर्जनों लोग शिव जी मंदिर पर आकर घंटों राम का नाम लेते हैं। सबसे हैरानी वाली बात तो यह है कि पहले जितना विश्वास मुख्यमंत्री के आने का कैथी के ग्रामीणों को था अब बाहर के गांवों से आने वालों के कारण विश्वास में और ज्यादा इजाफा होता दिखाई दे रहा है। मुख्यमंत्री के आगमन की तैयारी हो गई पूरी, बृहमदेव को रोपित करवाने की मंशा जताते हुए गांव की प्रधान सरस्वती के पति वासदेव निषाद कहते हैं कि मुख्यमंत्री हमारे गांव में आएंगे। यह हमारा सौभाग्य होगा। हम उनके हाथों अपने गांव में पीपल का पौधा रोपित करवाएंगे जिससे उनके यहां पर आने की याद युगों युगों तक जीवित रहे।

गांव के उम्मेद सिंह व विकास शिवहरे कहते हैं कि मुख्यमंत्री की व्यवस्थाएं अलग से की जा रही हैं। कुटिया तैयार हो गई है। इसमें चौबीस घंटे राम राम करने के लिए एक व्यक्ति तैनात होगा। इसके साथ ही यहां पर ही एक पीपल का पेड़ उनके हाथों से लगवाया जाएगा। उसकी पूरा गांव सेवा करेगा और उनके आने की तारीख युगों तक याद रखी जाएगी।

इधर रामधुन तो उधर देवी के जयकारे

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा..

- दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है कैथी गांव

- प्राचीन शिव मंदिर में 16 दिनों से जारी है राम धुन

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : भरुआ सुमेरपुर ब्लाक के कैथी गांव के लोगों का उत्साह चरम पर है। भगवान राम की कृपा के साथ ही देवी की कृपा भी उनके साथ जुट चुकी है। दशहरा के रोज बुधवार को देर शाम गांव में देवी प्रतिमा के समक्ष हवन पूजन हुआ। इसके साथ ही दिन भर कार्यकर्ता सामने की जमीन को चौरस करने व साफ करने के काम में जुटे रहे। यहां के प्राचीन शिव मंदिर में गुरुवार को लगातार 16वें दिन भी राम धुन जारी रही।

इधर गांव की हर दीवार पर श्री राम चरित मानस की चौपाइयां व जय श्री राम के नारे लिख दिये गए हैं। कई घरों में पताकाएं भी फहराती दिखाई दे रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अब उनकी राम राम की गूंज की अनुगूंज उन्हें साफ तौर पर सुनाई दे रही है। जल्द ही उनके बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आएंगे और वह कृतार्थ होंगे।

इस बीच एक ग्रामीण के फोन पर बिजली विभाग के ठेकेदार ने फोन कर अधिशासी अभियंता पर आरोप लगाया कि वह गांव में लगाने के लिए समान नही दे रहे हैं और कह रहे हैं कि यह समान उन्हें उरई से लाना होगा। जिस पर ग्रामीण ने जवाब दिया कि गांव में बिजली के काम से उसे मतलब नही है क्योंकि अब पूरा गांव राम मय हो चुका है। इस समस्या पर बात अधिकारियों से करो।

फिलहाल छह-छह घंटे की शिफ्ट में गांव के शिव मंदिर में चल रही राम धुन में भीड़ जुट रही है। गांव की महिलाएं और बालिकाएं दिन में कई बार आकर रामधुन में भाग ले रही हैं।

अखिलेश के आगमन को तैयार हो रहा कैथी

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : भले ही सरकारी अमले को इस बात का भान न हो कि कैथी गांव के निवासियों ने समस्याओं से समाधान की ओर बढ़ने के पन्द्रह दिन और रात के पड़ाव पार कर लिए हों लेकिन ग्रामीण तो यह पूरी तरह से मान चुके हैं कि अब वह दिन दूर नही जब सूबे के मुखिया अखिलेश यादव उनके बीच होंगे। अखिलेश को राम और अपने आपको शबरी मानने वाले कैथी के ग्रामीणों ने इसके लिए पलक पांवड़े बिछाकर तैयारियां भी करनी प्रारंभ कर दी हैं। जहां पुराने शिव मंदिर में रामधुन लगातार जारी है वहीं दूसरी तरफ मां अम्बे का आर्शीवाद भी उन्हें लगातार मिल रहा है। इसी बीच मंगलवार की दोपहर गांव के बुजुर्ग, नौजवानों की एक बैठक सम्पन्न हुई। इसमें ग्राम प्रधान ने कहा कि पन्द्रह दिन बीत गए और गांव की समस्याओं को जानने का प्रयास अपर जिलाधिकारी रमेश चंद्र श्रीवास्तव व उप जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने किया और अपने स्तर पर समस्याओं के निस्तारण का प्रयास भी किया। इसके साथ ही विधायक निरंजन ज्योति ने भी गांव में आकर अपनी सफाई दी।

गांव के उम्मेद सिंह ने कहा कि वास्तव में हमारी कोई मांग ही नही है। हां एक अभिलाषा है कि गांव में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आएं और यहां पर चल रहे श्री राम नाम संकीर्तन महायज्ञ में भाग लें। लेकिन अब जब सरकारी अमला पूरी तरह से अपना काम करने में लगा है तो हमें भी गांव को पूरी तरह से राममय ही बनाना होगा। इस बात पर सभी ने अपना हाथ उठाकर ऐसा करने के लिए वचन दिया। तय किया गया कि गांव के हर घर में श्री राम चरित मानस की चौपाईयां लिखी जाएंगी व हर घर के ऊपर राम नाम के झंडे लगाए जाएंगे। इसके साथ ही मंदिर के पास की जमीन को साफ कर वहां पर एक यज्ञ शाला का निर्माण किया जाएगा और वहां पर वेदिका बनाकर दिन रात एक व्यक्ति राम नाम का जाप करेगा। इस काम के लिए गांव की महिलाओं व बच्चियों ने भी सहभागिता देने की बात कही।

कैथी पहुंचीं विधायक ने राम के समक्ष दी सफाई

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा..

- कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में लगातार 14वें दिन जारी रही राम धुन

- विधायक पर दो माह में बिजली दिलाने का वादा न पूरा करने का आरोप

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : धृष्टताओं का नमन पर आवरन, मंदिरों तक आ गए मैले चरन, मन कहां तक मूंद कर रखे नयन . कुछ इस तरह के अंदाज अब राम राम करते चौदह दिन बिताने वाले ग्राम कैथी के लोगों ने विधायक साध्वी निरंजन ज्योति को सामने देखकर दिखाए। उन्होंने विधायक से साफ तौर पर कहा कि वह तो अब अधिकारी और नेताओं को समस्याएं सुनाने से ऊपर हो गए हैं। अब उन्हें किसी को जरूरत नही है क्योंकि आप जिसका नाम लेकर जनसेवा कर रही हैं, हम भी उसी से अपने गांव की न केवल समस्याएं बल्कि आने वाले समय में गांव के विकास की गुहार लगा रहे हैं।

ग्रामीणों ने विधायक को चुनाव के समय किया गया वादा याद दिलाते हुए कहा कि आपने इसी मंदिर में खड़े होकर कहा था कि जीतने के बाद दो महीने में गांव के हर घर में बिजली जलेगी, पर ऐसा हुआ नही। हमें हर दर पर जाकर दस्तक देनी पड़ी। इसके चक्कर में लाखों रूपए तो बर्बाद हुए ही साथ ही काफी समय भी खराब हुआ। अब हाल यह है कि हम अपनी समस्याओं से मानसिक रूप से निजात पा चुके हैं और केवल भगवान के आसरे हैं। हां केवल एक अभिलाषा यह है कि हम अपने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को एक बार गांव में देखना चाहते हैं। आप विधायक हैं और उनसे आपकी मुलाकात होती है, अगर आप उनको गांव में ला सकें तो बात बन सकती है वर्ना हम तो भगवान का नाम ले ही रहे हैं। सोमवार को देर शाम पहुंची विधायक ने ग्रामीणों को पत्र दिखाते हुए कहा कि जीतने के बाद 18 जून को कैथी गांव की बिजली व सड़क मुद्दा विधानसभा में उठाया था। इसके बाद तीन जून को पहली बार उनका बजट आया जिसमें कैथी की 6 किलोमीटर सड़क बनाए जाने का प्रस्ताव दिया। बेचारगी जाहिर करते हुए कहा कि सपा के राज में अधिकारी नही सुनते तो क्या करूं। उन्होनें ग्रामीणों को बीमार होने का हवाला देते हुए कहा कि वह पहले ही गांव में आ जाती, पर वे काफी दिनों से बीमार हैं और पैर में भी चोट लगी है। ग्रामीणों ने कहा कि आपके कागज आपको मुबारक हों हम तो गांव की जमीन पर काम होता देखना चाहते हैं। वैसे गांव में सबके सामने विधायक ने अधिशाषी अभियंता विद्युत से बात कर एक की जगह दो ट्रासंफार्मर लगवाए जाने की बात कही।

इधर, अपर जिलाधिकारी रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि ग्राम कैथी की समस्याओं के निस्तारण के लिए लोक निर्माण विभाग, सेतु निर्माण निगम, बिजली विभाग के साथ ही मुख्य चिकित्साधिकारी को पत्र लिखा गया था। बिजली का काम प्रारंभ हो गया है। सेतु निर्माण निगम जल्द ही काम प्रारंभ कर देगा। पैमाइश हो गई है। इसके बाद लोक निर्माण विभाग भी सड़क बनाने का काम करेगा। स्वास्थ्य विभाग ने गांव में एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता की नियुक्ति कर दी है साथ ही संविदा के अन्तर्गत नियुक्त किए गए चिकित्सक की भी तैनाती किए जाने की बात चल रही है।

राम नाम का प्रभाव, होगा बिजली का 'प्रादुर्भाव'

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा.. - कैथी गांव के शिव मंदिर में 12वें दिन लगातार जारी रही राम धुन

- गड़ने लगे बिजली के पोल, लोगों के दिलों में उछलीं बल्लियां

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : राम के नाम को महामंत्र यूं ही नहीं कहा जाता। पिछले बारह दिनों से राम नाम महामंत्र का सस्वर जाप कर रहे कैथी गांव के लोगों ने जैसे ही बिजली के खंभों को जमीन पर गाड़े जाते देखा दिल बल्लियों उछल गया। उम्मेद सिंह के साथ ही दर्जनों ग्रामीणों के मुंह से निकला कि भैया यह तो स्वामी कामतानाथ जी का प्रभाव है। उनका नाम लेकर राम का नाम लेने बैठे थे और अब आशा बलवती हो चली है कि आने वाली दीवाली अंधेरे में नही बीतेगी।

अब कैथी गांव की क्या आसपास के दर्जनों गांवों के लोग आकर राम नाम महामंत्र का जाप शिव मंदिर पर कर रहे हैं। लोग खुद ही कहते हैं कि जिस दिशा में कैथी गांव चल पड़ा है उसकी तरक्की होना सुनिश्चित है। ग्रामीण भी कहते हैं कि भले ही गांव की समस्याओं को लेकर हम भगवान का नाम लेने के लिए एक हो गए हैं पर अब आगे गांव से पार्टी बंदी का नामो निशान मिटा दिया जाएगा। हिंसा के लिए गांव में कोई जगह नही होगी। आपस के झगड़े गांव में ही सुलझाए जाएंगे। गांव के नवयुवकों ने कहा कि बड़ों का आदर व छोटों को प्यार हमारी परंपरा के अंग हैं। अब किसी को भी इसे तोड़ने की इजाजत नही दी जाएगी और बिना किसी सरकारी सहायता के इस गांव को व्यसन मुक्त के साथ आदर्श गांव बनाने की पहल की जाएगी।

महारुद्र के चौबारे पर राम नाम की गूंज

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा.. - कैथी गांव के शिव मंदिर में लगातार 11वें दिन जारी रही राम धुन

- बिजली के तार गांव में पड़े, जल्द पोल लगा आपूर्ति देने की चर्चा

- पीडब्लूडी के जेई ने दिया सड़क का काम शुरू करने का आश्वासन

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : महाकाल के मंदिर में बैठे रामभक्तों की रामधुन की गूंज अब पूरी तरह से रवानी पर है। जहां एक तरफ इस मामले में पूरा गांव एक जुट है वहीं दूसरे गांव के लोग भी ग्रामीणों के इस राम नाम महायज्ञ की तारीफ करते नही अघाते हैं। फिलहाल कैथी गांव के शिव मंदिर में चौबीसों घंटे चलने वाले राम नाम संकीर्तन महायज्ञ में ग्रामीणों का बढ़ते उत्साह से आासपास के लोग भौचक हैं।

11 दिन बीतने के बाद भी कैथी के निवासियों के अनथके कदम आगे की ओर बढ़ रहे हैं। वैसे शुक्रवार को गांव में बिजली के तार विभाग ने पहुंचा दिए हैं। विभागीय सूत्र कहते हैं कि शायद एक दो दिन में पोल पहुंचने के बाद काम प्रारंभ कर पहले चरण में तीन किलोमीटर की लाइन दौड़ा कर बिजली की सप्लाई प्रारंभ कर दी जाएगी। जबकि दूसरे चरण में तीन किलोमीटर फिर नई लाइन बनाई जाएगी। लोक निर्माण विभाग के अधिकारी भी ग्रामीणों को बार बार फोन कर बता रहे हैं कि एक दो दिन में चंद्रावल नदी पर बने पुल पर बनने वाली सड़क का काम प्रारंभ करा दिया जाएगा। लेकिन ग्रामीण इस बात पर एक राय हैं कि चाहे कुछ भी हो जाए वह तो केवल अब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अपने गांव में देखना चाहते हैं।

गांव के विकास शिवहरे ने बताया कि सुमेरपुर से उनके पास लोक निर्माण विभाग के जूनियर इंजीनियर का फोन आया था। उनका कहना था कि अब कैथी गांव की उनकी सड़क जल्द ही बना दी जाएगी। एक दो दिन में काम प्रारंभ होने की उम्मीद जताई। अरिमर्दन सिंह ने बताया कि गांव में बिजली की तार तो लाकर डाल दी गई है। विभागीय अधिकारी गांव में आकर कह रहे थे कि कल परसों में खंभे भी आ जाएंगे और लाइन खींच दी जाएगी।

जानकी बल्लभ तुम्हें प्रणाम!

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : भरुआ सुमेरपुर विकास खंड के कैथी गांव के उत्सवी माहौल की छटा देखने गुरुवार को उप जिलाधिकारी सदर आई एएस आशुतोष निरंजन पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों से बात कर उनका दर्द जाना और फिर कार्यक्रम के रजिस्टर पर अपने अलफाज उकेर दिए। लिखा कि वास्तव में यहां पर पुल पर सड़क, बिजली और अस्पताल में चिकित्सक व स्टाफ की जरुरत है।

उन्होंने भरोसा दिलाया कि जल्द ही इन समस्याओं का निदान करा दिया जाएगा। वैसे ग्रामीणों ने जहां गांव पहुंचने पर उनका स्वागत कर समस्याओं को देखने के लिए आभार व्यक्त किया वहीं राम नाम के संकीर्तन पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। उधर पावर कारपोरेशन के अधिशाषी अभियंता ने अपने चिर परिचित अंदाज में गांव में तीन किलोमीटर डाली जाने वाली लाइन के काम को एक दो टरकाने की बात कही। कहा कि अभी लेबर की समस्या है। एक दो दिन में काम लगा दिया जाएगा।

दोपहर को बारह बजे के बाद कैथी गांव के पुराने शिव मंदिर पर चल रहे राम नाम संकीर्तन स्थल पर पहुंचे आईएएस आशुतोष निरंजन ने पहले तो ग्रामीणों से सभी समस्याओं पर बातचीत की और उसके बाद फिर उन्हें खुद के द्वारा लिखे गए पत्रों को दिखाया। उन्होंने मुख्य चिकित्साधिकारी से गांव में डाक्टर व स्टाफ तैनात करने, अधिशाषी अभियंता पावर कारपोरेशन से बिजली लाइन डलवाकर गांव में बिजली जलवाने व अधिशाषी अभियंता लोक निर्माण विभाग से चंद्रावल नदी पर बने पुल में सड़क बनाने के लिए लिखे गए पत्रों को दिखाया। ग्रामीणों कहा कि अब लगता है कि समस्याओं को निदान हो जाएगा। यह तो सब राम जी की कृपा से हो रहा है। इसके अलावा ग्रामीणों ने कहा कि उनकी अब कोई मांग है ही नही वह तो केवल गांव में एक बार अपने प्रिय मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के दर्शन करना चाहते हैं।

विकास के वास्ते राम के रास्ते

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : राम का नाम लेते हुए गुरुवार को कैथीवासियों नवां दिन भी गुजर गया। न चेहरे पर थकान, न चिंता और न ही किसी तरह का दुराव, हा अगर कुछ यहां पर दिखाई दे रहा है तो वह आत्मविश्वास से भरे ओज भरे वह चेहरे जिनको अब पूरा भरोसा है कि आज नहीं तो कल अखिलेश भैया जरुर गांव के शिव मंदिर पर बैठकर राम राम करेंगे।

उत्साहित गांव के लोग बताते हैं कि गांव की रिश्तेदारियां प्रदेश के तमाम जिलों व बाहर भी हैं। देश के अन्य इलाकों व देश से बाहर से गांव के निवासियों के पास अब फोन आने प्रारंभ हो गए हैं। फोन करने वाला हर एक शक्स केवल एक ही बात करता है कि भइया राम का नाम लेते रहना। गांव में न केवल अखिलेश आएंगे बल्कि गांव की सड़क और बिजली भी आएगी। जिसके बाद गांव का विकास अपने आप हो जाएगा।

गांव के अरिमर्दन सिंह, विकास शिवहरे,रज्जन आदि लोग कहते हैं कि गांव का विकास चाहे जब हो पर एक बात तो साफ हो गई है कि इस राम राम यज्ञ ने लोगों के दिलों के अंदर की खाईयों को पाटने का काम किया है। सामूहिकता की जो भावना गांव में जन्मी है वह आने वाले समय के लिए अच्छी शुरूआत है। उन्होंने कहा कि गांव का विकास तो मुद्दा सर्वोपरि है और अब उस पर काम भी सरकारी अमले ने करना प्रारंभ कर दिया है। कहा कि जानकारी मिली है कि एसडीएम सदर आशुतोष निरंजन भी गुरुवार को गांव में आकर समस्याओं को देखने का काम करेंगे। कहा कि गांव में आकर समस्याओं को देखने की सरकारी अधिकारियों की पहल एक अच्छी प्रक्रिया है पर वादों और दावों के बाद जब गांव के विकास के काम हो जाएं तब समझ में आए। उन्होंने कहा कि कोई आए कोई जाए इससे अब कोई फर्क नही पड़ता क्योंकि सभी ग्रामीणों का संकल्प केवल अखिलेश भैया को गांव में बुलाने का है और सभी को विश्वास है कि वह एक दिन गांव जरूर आएंगे।

विधायक ने किया फोन

सदर विधायक साध्वी निरंजन ज्योति ने गांव में बुधवार की देर रात चल रही रामधुन के बारे में जानकारी ली। उन्होंने कहा कि अभी उनकी तबियत खराब है और वह मूसानगर में हैं। वैसे गांव में बिजली जलवाने के लिए अपनी निधि से इस्टीमेट बनवाकर वह जुलाई के महीने में ही विभाग को भेज चुकी हैं। जल्द स्वस्थ होने पर वह गांव में पहुंचकर गांव की समस्याओं को लेकर जनता का साथ देंगी।

जय रघुनंदन जय सियाराम

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा..

- कैथी गांव के शिव मंदिर में आठवें दिन भी जारी रहा राम भजन

- बिजली का काम प्रारंभ होने की उम्मीद, सड़क भी जल्दी बनेगी

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : राम राम जपने में लगे कैथी गांव के लोगों का उत्साह जहां इस समय चरम पर दिखाई दे रहा है, वहीं सरकारी अमला भी अब आठ दिनों बाद सक्रियता दिखाता नजर आता है। केवल सक्रियता दिखाने का काम सरकारी अमला ही नही कर रहा है, बल्कि विधायक निरंजन ज्योति ने भी दो दिन के अंदर बिजली का काम प्रारंभ न होने पर गांव पहुंचकर भजन करने के लिए बैठने की घोषणा कर दी है।

अधिशाषी अभियंता विद्युत तरुण वीर सिंह ने कहा कि तीन किलोमीटर लाइन नई बनाने की स्वीकृति आ गई है। काम बुधवार की शाम गुरुवार की सुबह से प्रारंभ किया जा सकता है। इधर सुबह से ही गांव का वातावरण अत्यंत उल्लिसित दिखाई दिया। गांव के प्राचीन शिव मंदिर में ग्रामीण बड़े ही मनोयोग से राम का नाम सस्वर में गायन करने का काम कर रहे थे। बच्चियां व बूढ़ों के अंदर भी इस समय गांव में अजीब किस्म की ऊर्जा का संचार देखा जा रहा है। आज तो भोले बाबा के मंदिर के समीप ही मां अम्बे की झांकी की स्थापना भी कर दी गई है। जिसमें महिलाएं मंगलगीत गाती नजर आ रहीं थी। महिलाओं का कहना है कि भइया जब से पैदा हुए तब से गांव में किसी भी काम को लेकर इतना उत्साह नही देखा गया। इस काम में तो शायद गांव का एक भी ऐसा घर नही है जो अपना सक्रिय योगदान न दे रहा हो।

उधर दैनिक जागरण कार्यालय पर पहुंचकर विधायक साध्वी निरंजन ज्योति ने बताया कि उन्होंने जुलाई के महीने में ही अपनी निधि से गांव में बिजली लाइन डलवाने के लिए स्वीकृति पत्र दिया था। विभाग ने उसे बांदा कार्यालय में भेज दिया था, पर इतना काम इतना सुस्त है कि अब क्या किया जाए। उन्होंने वहीं से मोबाइल पर जब अधिशाषी अभियंता तरन बीर सिंह से बात कराई तो उन्होंने कहा कि चीफ इंजीनियर कार्यालय से स्वीकृति आ चुकी है और तीन किलोमीटर लाइन को बनाने का काम कल या परसों से प्रारंभ करा दिया जाएगा। विधायक ने कहा कि अगर काम एक दो दिन में नही लगता है तो वह खुद जाकर गांव वालों के साथ भजन करने बैठ जाएंगी।

उधर गांव कैंथी में आज लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने जाकर ग्रामीणों से कहा कि उन्हें सड़क बनाने के आदेश 12 अक्टूबर को मिल गए हैं। एक दो दिन में सड़क बनाने का काम प्रारंभ कर दिया जाएगा। इसलिए अब राम राम आंदोलन को विराम दें दें। ग्रामीणों ने कहा कि आपका काम सड़क बनाना है। आप सड़क बनाएं न बनाएं। हम तो अखिलेश भइया को बुलाने के लिए राम राम करने के लिए संघर्षरत हैं। हमें किसी से बुराई या भलाई नही है।

एक नहीं तीन गांवों के हालात कैथी जैसे

- चित्रकूट आ रहे मुख्यमंत्री से जगी उम्मीदें

- सपा ने ही दी थी पुल बनाने की स्वीकृति

हमीरपुर कार्यालय : भले ही भरुआ सुमेरपुर ब्लाक का गांव कैथी रामधुन के जरिए मुख्यमंत्री के आने की आस लगाए बैठा हो, पर आज चित्रकूट की हवाई पट्टी का उद्घाटन करने आ रहे मुख्यमंत्री की नजरें अगर इस जिले में इनायत हो जाए तो कम से कम तीन और बने पड़े पुलों का भाग्य बदल सकता है। गंभीर बात तो यह है कि लगभग सभी पुलों पर सेतु निर्माण निगम ने अपना काम लगभग समाप्त कर दिया है। अब बारी एप्रोच मार्ग बनाने की है लोक निर्माण विभाग की है। लेकिन अपनी लचर कार्यशैली के मशहूर इस विभाग के अधिकारियों को शायद जिले में किसी बड़े आंदोलन का इंतजार है।

वैसे तो राम के नाम का सहारा लेकर कैथी गांव के लोग बैठे ही हैं। उन्हें आशा ही नही बल्कि अब पूरा विश्वास हो चला है कि अखिलेश भइया तक उनकी बात जरूर पहुंचेगी और वह गांव में आकर राम-राम करेंगे।

बताते चलें कि पूर्व सपा शासनकाल में जिले के विकास के लिए तीन पुलों की स्वीकृति प्रदान की गयी थी, जो आज भी अधूरे पड़े हैं। वर्ष 2006 में जिले को सपा सरकार ने तीन नए पुलों की सौगात दी थी। यह तीनों पुल बेतवा, यमुना और चन्द्रावल नदी पर बनाए जाने थे। इन पुलों का निर्माण कार्य 2010-2011 में खत्म होना था लेकिन यह सभी आज भी आधे-अधूरे पड़े हैं। इन पुलों के बन जाने से आवागमन की दूरी तो घटेगी ही जिले का विकास भी तेज हो जाएगा। जहां मनकी पुल से आवागमन की दूरी करीब 40 किलोमीटर घट जाएगी, वहीं कैंथी व जलालपुर के आसपास के गांवों के ग्रामीणों को तैरकर नगर नहीं आना पड़ेगा।

विदित है कि पूर्व में कानपुर-सागर मार्ग पर बने यमुना पुल के क्षतिग्रस्त होने के कारण यातायात बाधित रहा, लोगों को कुरारा, जोल्हूपुर मोड़ कालपी होते हुए कानपुर यात्रा करनी पड़ती थी। वर्तमान में कुरारा से मूसानगर वाया हमीरपुर होकर जाने पर दूरी करीब 65 किमी पड़ती पड़ती है। पुल बन जाने पर यह घटकर 25 किमी ही रह जाएगी।

नहीं किसी का आसरा, केवल राम का सहारा

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : भज लो सीताराम. भज लो सीताराम. ढोलक में बैठी मां शारदा. जी हां अब कैथी गांव की रामधुन का स्वरूप बढ़ता जा रहा है। जहां एक रामधुन विशुद्ध शास्त्रीय तरीके से चल रही है। वहीं यहां पर लोक संगीत की बहार भी देखी जा रही है।

कैथी गांव के प्राचीन शिव मंदिर में जन समस्याओं को लेकर गत मंगलवार लोगों द्वारा शुरू की गयी राम धुन शनिवार को निर्बाध गति से पाँचवें दिन भी जारी रही। राम भजन में लोगों का उत्साह बढ़ता ही जा रहा है। हारमोनियम और ढोलक की सहायता से विभिन्न राग रागिनियों के साथ ग्रामीण अपने ही अंदाज में देवता को मनाने के प्रयास में जुटे दिखाई दे रहे हैं। वैसे भी बुंदेलखंडी लोक संगीत के मामले में काफी संबृद्ध माना जाता है। यहां पर हर काम की शुरूआत भगवान को मनाने व आमंत्रण देने के साथ ही जाती है। लोक संगीत के लगभग हर गीत में राम, कृष्ण और देवी को मनाने के स्वर सुने और सुनाए जाते हैं।

प्रभाती के साथ शयन में हैं मधुर स्वर

सुबह 6 बजे से 10 बजे तक महिलाओं और बच्चियों की राग रागिनियां जहां गांव के वातावरण में रस घोलने का काम करते दिखाई देते हैं, वहीं शाम छह बजे से दस बजे तक उनके स्वरों से ऐसा प्रतीत होता है कि वह लोरियां गा रही हों। गांव के लोग कहते हैं कि मां जब घर से नहा धोकर आकर राम भजन करने लगती है तो ऐसा लगाता है कि वह प्रभाती गाकर बच्चों को जगा रही है और शाम को गाने के स्वर लोरियों जैसे सुनाई देते हैं।

बुजुर्गो में है उत्साह

गांव के बुजुर्गो में इन दिनों भारी उत्साह है। उनका कहना है कि अब उनके कानों में हर क्षण परमेश्वर के नाम का उच्चारण पड़ता है। ऐसा लगता है कि मानो स्वर्ग का सुख यहीं मिल रहा है।

राम भजन से शायद हमारे भी दिन बहुरें

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा..

- कैथी गांव में चौथे दिन भी जारी रही रामधुन, दूसरे गांव के लोग भी आ रहे साथ देने

- चार चार घंटे की पाली में होता है भजन, आठ घंटे हैं महिलाओं के लिए आरक्षित

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : हरि हर का नाम चौबीसों घंटे जप रहे भरुआ सुमेरपुर ब्लाक के गांव कैथी के निवासियों का उत्साह अब और बढ़ता दिखाई दे रहा है। क्योंकि अब उनका साथ देने के लिए गाव के मुखिया तो सामने आ ही चुके हैं साथ ही आसपास के गांवों के लोग इसलिए आ रहे हैं कि शायद इस गांव के बाद उनका भी नम्बर लग जाए। गांव की समस्याओं को लेकर कैथी में चल रहे इस अनोखे आंदोलन को देखने के साथ ही सहभाग करने का काम किसवाही, मौहार व धुंधपुर के लोग कर रहे हैं।

दूसरे गांव के ग्रामीणों का कहना है कि इस आंदोलन में सहभाग करने के दो फायदे हैं। समस्याओं का निस्तारण तो राम जी कर ही देंगे साथ ही आगे की लड़ाई के लिए ऊर्जा भी उन्हीं से मिलेगी।

ग्राम प्रधान वासुदेव निषाद भी पिछले दो दिन से राम भजन करने में लगे हैं। उनका कहना है कि उनके बूते में जो है वह तो कर ही रहे हैं। कई बार बिजली विभाग के अधिकारियों के साथ ही पीडब्लूडी व अन्य विभागीय अधिकारियों के साथ बात की, पर हर जगह आश्वासन के अलावा कुछ नही मिला। अब जब गांव के मंदिर में राम राम चालू ही हो गई है तो फिर पीछे क्यों रहा जाए। सबके साथ मिलकर ही गांव की समस्याओं का निदान भगवान की शरण में जाकर ढूंढा जा रहा है।

गांव के अरिमर्दन सिंह ने बताया कि भजन करने के लिए चार चार घंटे सभी ने बांट रखें हैं। सुबह के चार घंटे व शाम के चार घंटे महिलाओं की जिम्मेदारी रहती है, व दिन भर गांव के लोग राम राम करते हैं। बताया कि एक बार में पचास से पचहत्तर लोग जुटते हैं। प्रभारी जिलाधिकारी रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि कैथी गांव में राम धुन गूंज रही है। इसकी उन्हें सूचना है। गांव में पीडब्लूडी के अधिकारियों को भेजकर सड़क का सर्वे करा लिया गया है। बिजली विभाग के अलावा राजस्व व अन्य अधिकारी भी गांव में जल्द जाकर समस्याओं के चिह्नीकरण करने का काम करेंगे।

बेपरवाहों से मोह भंग, व्यथा की चर्चा राम संग

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : कल तक कौतूहल था पर आज उनके लिए सबसे बड़ा खेल का मैदान गांव का शिव मंदिर हो चला है। बाबा, पिता और माता जी को मंदिर में कातर स्वर में रामधुन का उद्घोष करते देख छोटे छोटे बच्चों के अंदर भी उत्साह अपने आप उमड़ पड़ता है और फिर खेलने के समय को वह राम राम करने में बिता रहे हैं।

बताते चलें कि जिले के भरुआ सुमेरपुर के कैथी गांव में बिजली-सड़कें न होने, पेयजल संकट व अन्य समस्याओं पर अब तक नेता व अधिकारी नहीं चेते हैं, जिससे यहां जन समस्याएं बरकरार हैं। इससे आजिज लोगों ने मंगलवार को यहां के प्राचीन शिव मंदिर में राम नाम का जाप शुरू कर दिया है। इन्होंनें ने 50-50 लोगों के समूह बना रखे हैं। इसके चलते बारी-बारी से लोग राम नाम का जाप करते रहते हैं, जिससे तीन दिन से राम धुन अखंड रूप में गूंज रही है। गुरुवार को यहां तीसरा दिन था। लोगों की मांग है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव यहां आकर उनके साथ राम धुन गुनगुनायें। हालांकि इस भक्ति आंदोलन में अब तक कोई खास या वीआईपी शख्स नहीं आया है।

बच्चों की तोतली भाषा और उनकी तालियों की गड़गड़ाहट जब माइक पर गूंजती हैं तो उनकी माएं व दादियां बलाएं लेने के लिए चल देती हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि गांव के विकास के इस यज्ञ का हमराही कोई एक व्यक्ति नही है। बल्कि साथी हाथ बढ़ाना की तर्ज पर सभी लोग जुट रहे हैं।

गांव के बुजुर्गो ने अपना समय भोर के साथ ही दोपहर व देर शाम का तय कर रखा है तो महिलाएं दोपहर को चूल्हा चौका से निजात पाकर भगवान का नाम लेने चली आती हैं। रात को गांव के नौजवानों की पूरी टीम राम का नाम लेती है साथ ही शाम का समय गांव की किशोरियों और छोटे बच्चों के हवाले रहता है।

बदल रहा है गांव का माहौल

गांव के अरिमर्दन सिंह बताते हैं कि अब उनके गांव का माहौल बदलता दिखाई दे रहा है। इसे ईश भक्ति का चमत्कार कहें या फिर कुछ और जो कल तक बेगानों जैसा व्यवहार कर रहे थे वह भी आज आकर रामधुन करते दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब तो गंगा का डेरा, राम शरण का डेरा, रघुराज का डेरा व अन्य डेरों से लोग रामधुन करने आ रहे हैं। बल्कि आस पास के गांवों से लोग भी आकर उनकी इस मुहिम का साथ देकर हौसला बढ़ा रहे हैं। कहा कि यहां तक कि गांव में आने वाले रिश्तेदार भी इस यज्ञ में अपनी आहुतियां डालकर अपने आप को कृतार्थ कर रहे हैं।

बच्चों में है भारी उत्साह

रामू, कल्लू, सोनू, राम नरेश, गुड़िया, रानी आदि ने बताया कि भगवान का नाम लेने में अच्छा लगता है। अगर गांव में बिजली जली तो और भी ज्यादा खुशी मिलेगी। बिजली के आने से हम लोग पढ़ाई तो कम से कम कर सकेंगे। कहा कि अभी गांव से शहर में मेला देखने जाने के लिए पैदल ही जाना पड़ता है। पुल पर सड़क बन जाने के बाद कम से कम पैदल तो नही जाना पड़ेगा।

बदलती बयार लाएगी क्रांति

गांव की कमला कुशवाहा, रानी यादव, वंदना, मुलिया, माया शिवहरे आदि इस बदली फिजा से काफी प्रसन्न हैं। उन्होंने कहा कि लगातार तीन दिनों से गांव में रामधुन गूंज रही है। राम के नाम में बड़ी शक्ति है। इससे गांव का विकास तो होगा ही साथ ही अगर गांव में अखिलेश भैया आए तो हम सब लोग कृतार्थ हो जाएंगे।

कैथी गांव में जारी रही राम धुन

हाकिम नकारा, हरि हर सहारा.. - लगातार दूसरे दिन भी उत्साह से भरे रहे वृद्ध, महिलाएं व बच्चे

- पुल के दोनों ओर सड़क बनाने के लिए सर्वेक्षण का काम प्रारंभ

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : समस्याओं से आजिज आकर भगवान की शरण में गए कैथी गांव व उसके मजरों के निवासी दूसरे दिन भी भोले बाबा के प्राचीन मंदिर में रामधुन करने में लगे रहे। गांव के बुजुर्ग नवजवानों में कीर्तन की लगन को देखकर प्रसन्नता से भरे हुए हैं, वहीं महिलाएं व बच्चे भी राम धुन गाने में पीछे नहीं है।

बुजुर्ग उम्मेद सिंह कहते हैं कि समस्याओं से निदान यह तरीका सबसे उत्तम है। कहा कि केवल भारत की नही देश से चित्रकूट में स्वामी कामतानाथ भगवान के दर्शनों के लिए लोग आते हैं। भगवान कामतानाथ को समस्याओं से समाधान का केंद्र बिंदु मानने वाला हर बुंदेलखंडी वहां का भक्त है। भगवान राम ने भी चित्रकूट में बारह साल निवास कर रावण का संहार करने के लिए ऊर्जा एकत्र की थी। कहा कि हमने भी अपनी समस्याओं से निजात के लिए उसी भगवान राम से गुहार लगाई है।

गांव के सतीश चंद्र शिवहरे, लाल जी पाल, राम बिलास सिंह, राकेश विश्वकर्मा आदि लोगों ने कहा कि गांधी जी ने तो रघुपति राघव राजा राम, सबको सन्मति दे भगवान का जाप कर देश को आजादी दिला दी थी। हम तो अपने गांव को उजाले की ओर ले जाने के लिए राम के नाम का जप कर रहे हैं। अब तो जब गांव में जब मुख्यमंत्री के चरण पडे़ंगे तभी इस यज्ञ की पूर्णाहुति होगी।

होने लगी सड़क की नाप

हमीरपुर : मंगलवार को दोपहर जैसे ही गांव के लोग राम-राम का कीर्तन करने बैठे ठीक उसके दो घंटे बाद हव तड़के लोक निर्माण विभाग के कर्मचारी गांव पहुंच गए। उन्होंने चंद्रावल नदी पर सेतु निर्माण निगम द्वारा बनाए गए पुल की लम्बाई नापने के साथ ही दोनो तरफ की सड़क नापने का काम किया। ग्रामीणों का कहना है कि यह तो राम जी का प्रताप है, वह क्या क्या न करवा दें।

अपने नकारा, अब 'हरिहर' सहारा

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : 'दाता एक राम भिखारी सारी दुनिया..' से प्रेरणा लेकर भरुआ सुमेरपुर के कैथी गांव के लोगों ने अपनी समस्याओं का पुलिंदा अब 'भोले बाबा' के मंदिर में विधिवत हवन पूजन कर 'राम' को सौंप दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि अब इस राम नाम उद्घोष यज्ञ की पूर्णाहुति तभी होगी, जब सूबे के मुखिया अखिलेश सिंह यादव आकर मंदिर के ओसारे पर उनके साथ बैठकर राम-राम करेंगे।

छह हजार की आबादी वाले बड़े गांव कैथी में अब तक बिजली लापता है तो सड़कें भी नदारद हैं। गांव के रहने वाले अरिमर्दन सिंह कहते हैं कि भइया आजादी के बाद से गांव से समस्याओं को खत्म कर शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, बिजली, सड़क और अन्य सुविधाओं को दिए जाने की गुहार छह हजार की आबादी वाले ग्राम सभा के हर ग्रामीण में हर एक अधिकारी की चौखट पर लगाई है, पर किसी का दिल नहीं पसीजा। नेताओं से चुनाव के समय आश्वासनों की चासनी मिली तो अधिकारी भी उसी अंदाज के मिले। कभी किसी अधिकारी से गांव आकर समस्याएं देखने का आश्वासन मिला तो उसका स्थानांतरण हो गया। अब गांव की दूसरी व तीसरी पीढ़ी इस आजाद भारत में अंधेरे में पैदा हो रही है। तो क्या करें, अब तो उसी दाता का आसरा है इसलिए अब सभी गांव वालों ने मिलकर यह निर्णय लिया है कि हमें किसी से भी गिला शिकवा या शिकायत नही है। मंदिर में राम बहादुर यादव, विकास शिवहरे, अवधेश, राम विलास सिंह, जितेन्द्र सिंह चौहान, उम्मेद सिंह, वासुदेव निषाद, रामदास कुटार, खुशी राम, शिव चरन ने कहा कि हमें अब अपने भगवान से मतलब है। हमारी पूरी शिकायत अब उस पैदा करने वाले से हैं कि क्या हमारा गांव दूसरे गांवों जैसा नहीं है। जब अन्न यहां पर उपजता है और हैंडपम्प पानी देते हैं तो सड़क पर चलने का अधिकार हमारा नहीं है या फिर हमारे बच्चों को सही ढंग से पढ़ने इलाज कराने और बिजली से गांव रोशन होने से वंचित क्यों किया है।

अब नीचे वाले नहीं, ऊपर वाले भगवान से करेंगे फरियाद

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : अकल्पनीय पर बिलकुल सच. छह हजार की आबादी वाले भरूआ सुमेरपुर ब्लाक के गांव कैथी व उसके छह मजरों ने आजादी के बाद से अब तक घरों में बिजली के बल्ब एक बार 28 साल पहले जलते देखा है। इतना ही नहीं बच्चे भी यहां अस्पताल में कम जर्जर सड़क पर ज्यादा पैदा होते हैं। गांव के हालात ऐसे कि लगता नहीं कि यहां के निवासी आजाद देश के नागरिक हों। गांव के लिए लेखपाल, सचिव ही सबसे बड़े अधिकारी बने हैं। स्कूल में एक अध्यापक के ऊपर पांच सौ बच्चों की जिम्मेदारी है तो विद्यालय की इमारत में ही पुलिस ने चौकी खोल डाली है। छह साल पहले गांव में जाने के लिए चंद्रावल नदी पर पुल का निर्माण प्रारंभ हुआ तो ग्रामीणों को लगा कि चलो अब सड़क बन जाने से मुश्किलें आसान होंगी पर ऐसा हो न सका। विकास की किरण के इस गांव तक पहुंचने से पहले ही समय रथ में फंसकर वह दम तोड़ देती है। इसलिए अब ग्रामीणों ने अपनी राह खुद चुन ली है। उन्होंने स्थानीय स्तर के अधिकारियों से गुहार लगाने से तौबा करने के बाद कहा कि अब वे सीधे ऊपर वाले से बात करेंगे। गांव के अरिमर्दन सिंह कहते हैं कि जब कहावत है कि 'हारे को हरिनाम' तो अब हम सिस्टम से लड़कर हार चुके हैं। अब हमारे सामने भगवान का नाम लेने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं है। भगवान का नाम लेने के पीछे की मंशा स्पष्ट करते हुए वह कहते हैं कि संघर्ष पिछले दो दशक से ज्यादा समय से सुविधाओं को पाने के लिए जिलास्तरीय अधिकारियों के साथ चल रहा है। अब गांव के पुराने मंदिर में सभी स्त्री पुरुष मिलकर राम धुन गाएंगे और यह मंगल कामना करते हैं कि जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हमारे यज्ञ की पूर्णाहुति करेंगे तभी हम उठेंगे। कहा कि मुख्यमंत्री से भी उनकी कोई मांग नहीं है। वह तो मुख्यमंत्री को केवल अपना गांव दिखाना चाहते हैं।

रविवार को गांव के मंदिर में सैकड़ों लोगों ने हाथ उठाकर शपथ ली कि जब तक मुख्यमंत्री यहां पर आकर रामधुन में साथ नहीं देंगे वह लोग नहीं उठेंगे। मंदिर में राम बहादुर यादव, विकास शिवहरे, अवधेश, राम विलास सिंह, जितेन्द्र सिंह चौहान, उम्मेद सिंह, वासुदेव निषाद, रामदास कुटार, खुशी राम, शिव चरन आदि लोग मौजूद रहे।

गांव की प्रमुख समस्याएं

खंभे व तार खिंचे होने के बाद बिजली 28 साल से नहीं

अधूरा बना पुल

गांव के लिए सड़क ही नहीं

विद्यालय में 500 बच्चों पर केवल एक अध्यापक

अस्पताल में ताला बंद

पग पग चले बन गया कारवां..

हमीरपुर : कभी भी हमीरपुर जिला मुख्यालय हिन्दुस्तान के नक्शे से गायब हो सकता है। यह आशंका विधायक साध्वी निरंजन ज्योति ने दैनिक जागरण द्वारा आयोजित मिनी फोरम के दौरान महिला महाविद्यालय के ऑडीटोरियम में व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि मौरंग माफिया बेतवा की मौरंग को इतनी गहराई से जाकर खोद रहे हैं कि यहां कभी भी भूकंप आ सकता है। सुझाव देते हुए कहा कि सरकार को जिला मुख्यालय से 15 किमी. दूरी तक के स्थान पर खनन से रोक लगा देनी चाहिए। सड़कों की बदहाली पर प्रहार करते हुए कहा कि सड़कें ऐसी हैं कि बच्चे अस्पताल पहुंचने के पहले पैदा हो रहे हैं।

लोग जिम्मेदारी बखूबी निभाएं

जिलाधिकारी बी चंद्रकला ने कहा कि समाज के हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह सामाजिक जीवन में हर काम संजीदगी से करें। सामूहिक बातचीत के द्वारा विकास के रास्ते खोजे जा सकते हैं, इससे 80 प्रतिशत समस्याओं का समाधान अपने आप हो जाएगा।

पुलिस अधीक्षक रतन कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि मूलभूत आवश्यकताओं का चिन्हांकन जरूरी है। विश्लेषण करें और उसके बाद अपनी योजना बनाएं तो परिवार, गांव, समाज, देश प्रगति के रास्ते पर अग्रसर होगा।

अपर जिलाधिकारी रमेश चन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है, गांवों में जागरूकता का अभाव है वहां समस्याएं भी हैं, पीड़ित लोग जानकारी व जागरूकता के अभाव में चक्कर लगाकर थक जाता है और हताश होकर घर बैठ जाता है पर मीडिया के लोग गांव में घुसकर सटीक सूचनाएं लाते हैं और उनके प्रकाशित होने के बाद उन तक सही सूचनाएं पहुंच पाती हैं जिससे उन समस्याओं के समाधान में प्रशासन निराकरण में सहयोगी बनता है।

महिला महाविद्यालय के प्राचार्य राज कुमार ने कहा कि एक तरफ तो अध्यापकों की कमी है तो दूसरी तरफ शिक्षकों को शिक्षण के अलावा दूसरे काम में डयूटी लगाई जा रही है। जिसके कारण शिक्षा का स्तर गिर रहा है। छात्रा स्वातिका परिहार ने भी अपने विचार रखे।

भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष ब्रज किशोर गुप्त ने संकल्प ले आने वाले कल को बेहतर बनाने में जनसमस्याओं में सहयोग की बात दोहरायी। आभार प्रदर्शन व स्वागत करने का काम दैनिक जागरण के ब्यूरो प्रमुख संदीप रिछारिया ने किया। संचालन समर्थ फाउंडेशन के देवेन्द्र गांधी ने किया।

विकास की चाह में गुम हुए बेरी और कैथी

संदीप रिछारिया,हमीरपुर: समस्याओं को लेकर इस साल जिले के दो विकास खंडों के गांवों में हुए आंदोलनों ने प्रशासन को हिला कर रख दिया।

कुरारा ब्लाक में कुरारा से लेकर बेरी तक की लगभग 14 किलोमीटर सड़क का हाल पिछले दस सालों से खराब है। इस सड़क को लेकर चुनाव में भाग्य अजमाने वाले हर प्रत्याशी ने बनवाने का वादा किया, जो चुनावी जीत तक सीमित रहा। इस बार के विधानसभा चुनाव के दौरान सड़क नहीं तो वोट नहीं का नारा दे ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार की घोषणा कर दी, तो प्रशासन के हाथ पैर फूल गए। प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और आश्वासन दे किसी तरह ग्रामीणों को मनाया। अफसोस रहा कि विधायक साध्वी निरंजन ज्योति ने विधानसभा में समस्या को लेकर प्रश्न उठाया व सपा जिलाध्यक्ष ज्ञान सिंह ने सरकार से गुजारिश की तो सड़क की स्वीकृति होने के साथ रकम भी मिल गई, लेकिन अभी तक टेंडर नहीं निकाले जा सके हैं।

इधर कैथी गांव का हाल तो और बुरा था। केन और चंद्रावल नदी के दोआबा में बसा 6 हजार आबादी का गांव प्रशासनिक लापरवाही का नमूना है। ग्रामीण पिछले पांच दशकों से हर नेता के वादे सुनते और वोट देकर यह सोचते कि शायद अबकी कुछ उद्धार हो जाए, पर बात बनी नही। हार थक कर वह गांव के शिव मंदिर में राम का नाम लेने बैठ गए। अधिकारी पहुंचे, भाजपा व कांग्रेस के नेता पहुंचे। आधे गांव को बिजली मिली, भैंस बांधे जाने वाले अस्पताल को नर्स मिली पर नही मिल सकी ,चंद्रावल नदी में नंगे खड़े पुल को सड़क, हां इस आंदोलन की एक प्रमुख बात भोला दर्जी की कुर्बानी भी रही। जिसे पूरा गांव श्री राम नाम संकीर्तन आंदोलन का शहीद पूरा गांव मानता है।

क्या कहते हैं जन नेता

कैथी व बेरी की समस्या को विधानसभा में उठाने के साथ ही लगातार इन समस्याओं को सुलझाने की लड़ाई लड़ती रहूंगी।

विधायक साध्वी निरंजन ज्योति।

बेरी की सड़क के लिए तमाम लिखा पढ़ी कर सड़क निर्माण की रकम मंगवाई है। कैथी गांव अभी तक व्यस्तता के कारण नहीं जा सका। अब कैथी में प्रभारी मंत्री को लेकर जाउंगा और गांव वालों की समस्या का निदान करुंगा।

ज्ञान सिंह यादव, सपा जिलाध्यक्ष।

दोनों स्थानों की समस्याओं को सुलझाने का प्रयास लगातार जारी है। जल्द ही बेरी गांव की सड़क के टेंडर आ जाएंगे, व कैथी के मार्ग के लिए भी शासन से स्वीकृति आ जाएगी।

रमेश चंद्र श्रीवास्तव, अपर जिलाधिकारी।

Wednesday, April 3, 2013

दिन ललित बसंती आनै लगे.

संदीप रिछारिया,महोबा: अज्ञानता से हमें तार दे मां . से बढ़ती हुई बात जब देश के हृदय स्थल बुंदेलखंड में आती है तो फिर कवि का हृदय यहां की भाषा को भी सर्वोपरि कुछ इस प्रकार बना देता है 'हिंदी के माथे की बिंदी बुंदेली की धर गए.ईसुरी जग में जो जस कर गए, फागुन में जस भर गए'। ज्ञान की देवी की आराधना करने के लिए तो सभी आतुर रहते हैं, पर झांसी जिले के मऊरानीपुर कस्बे के समीप मेंढ़की गांव में जन्में पं. ईसुरी प्रसाद की आराधना अलग ही तरह की थी। ज्ञान की देवी की आराधना का मुख्य आधार प्रेम की उपासना करने को मानने वाले इस सुकवि ने बुंदेली धरा पर स्थानीय भाषा में जिन चौकड़ियों को इजाद किया वह आज आम जन मानस के लिए उपासना का माध्यम बनी हुई हैं। फागुन मास का आरंभ बसंत पंचमी से होने के कारण इस जनकवि आशुकवि की अभिव्यक्ति मां सरस्वती के प्रति कुछ इस तरह से सामने आती है 'मईया लाज राख ले मेरी, सुमिरत होय न देरी, बल बुद्धि विद्या मोहै दीजे, शरण पड़ा मैं तेरी, भूले बरन मिला दे दुर्गा, सुनो दीन की टेरी, ईसुर पड़ो चरनन में तेरे, जिन पे हाथ धरैं री '। आशुकवि के उल्लास भरे गीतों की उपासना करने वाले स्थानीय गायक छेदा लाल यादव बताते हैं कि उनकी रचित लगभग पचास हजार चौकड़ियों का संग्रह उनके पास है। यह सभी रचनाएं जीवन की हर विधा को समर्पित हैं। वैसे ईसुरी फागों (होली गीत) के सर्वमान्य कवि हैं। बुंदेलखंड के उप्र व मध्य प्रदेश के इलाके में बसंत हो या फिर होली बिना ईसुरी की फाग के त्यौहार पूरा ही नही होता। बताया कि उनका जन्म मेंढ़की, जिला झांसी में दुर्गा प्रसाद अड़जरिया के घर हुआ था। उनका विवाह सीगोंन जिला महोबा में हुआ था, पर उनकी मुख्य कर्मभूमि रही इसी जिले का गांव बधौरा। यहां पर वह जमींदार के पास कारिंदा के रूप में रहे। उन्होंने अधिकतर रचनाएं यहीं पर की थीं।

वह बताते हैं कि 'अब रिपु आई बसंत बहारन, पान फूल फल डारन, हारन हद्द पहारन पारन,धावल धाम जल ढारन'। वह नई पीढ़ी द्वारा अब अपने ईसुरी को बिसरा देने के कारण वह चिंतित हैं। कहते हैं कि जहां लाखों रूपए प्रतिवर्ष विकास के तमाम कामों के लिए सरकार खर्च कर रही है। वहीं बुंदेली फागों के इस अमिट हस्ताक्षर का नाम कोई नही लेता। कहा कि उन्हें इस बात का सुकूं हमेशा रहेगा कि उन्होंने राष्ट्रपति भवन में केवल ईसुरी की फाग गाने के कारण जाने का मौका मिला और वह नए बच्चों को इससे परिचित कराने का काम भी कर रहे हैं। लेकिन अब नई पीढ़ी को हमारे पुराने इस कवि के जानने और समझने के लिए जिला प्रशासन के साथ ही अन्य समाजसेवियों को पहल करनी चाहिए।

Monday, March 28, 2011

खुद अपने हाथों लिख रहे मेहनतकश अपनी तकदीर

क्रासर- सूखी सिंघन नदी में निकला पानी


चित्रकूट, संवाददाता: भय, भूख और भ्रष्टाचार को सहने की बेबसी से जब ग्रामाणों ने आगे निकलकर सोचा तो एक नई इबारत लिख डाली। मानव और पशुओं की सूखती काया को जीवनदान देने का काम खुद अपने ही हाथों कर डाला। बरगढ़ के पास गांव सत्यनारायण नगर के भौंटी कैमहाई के पास सूखी पड़ी सिंघन नदी को एक बार फिर जिंदा कर दिया गया। लगभग साठ मीटर दूरी पर तीन फिट गहरी व सोलह फिट दूरी की नदी को बहते देख जितनी प्रसन्नता गांव वालों को हो रही है उससे ज्यादा प्रसन्नता वहां पर पहुंचे पुलिस अधीक्षक डा. तहसीलदार सिंह को हुई। वे अपने आपको रोक न पाये और खुद ही फावड़ा लेकर श्रमदान करने के लिये जुट गये। इस दौरान काम कर रहे ग्रामीणों में भी काफी उत्साह आ गया और वे भी प्रेरणा गीत गाकर उमंग के साथ काम में जुट गये। इसके बाद पुलिस अधीक्षक ने वहीं पर चौपाल लगाकर ग्रामीणों के साथ बातचीत की। ग्रामीणों ने उन्हें जानकारी दिया कि विकास खंड के छितैनी गांव में पिछले तीन माह से फ्रांस के अलेक्सिस व अमेरिका के जैफ फ्री मैन बरसात के पानी की एक-एकबूंद को बचाने के लिये ग्रामीणों को समझाने का काम कर रहे हैं। वे यहां पर सर्वोदय सेवा आश्रम द्वारा लाये गये हैं। पिछले दिनों जब पानी की कमी के कारण दिक्कतें बढ़ी और पलायन होने लगा तो आश्रम के अभिमन्यु सिंह ने जलपुरूष राजेन्द्र सिंह द्वारा पानी की कमी वाले राजस्थान में सूखी नदी को जिंदा करने की कथा सुनाई। ग्रामीणों में उत्साह भरा कि अगर वे चाहे तो यहां पर भी ऐसा हो सकता है। पानी की कमी के कारण बेबसी का सामना करने वाले मेहनतकशों ने कमर कसी और फावड़ा लेकर नदी में खुदाई प्रारंभ कर दी। देखते ही देखते नदी की सिल्ट हटी और जलस्रोत फूटने लगे। ग्रामीणों के साथ ही सर्वोदय सेवा आश्रम के संतोष, अखिलेश, कमलेश, रीतू, बबलू व भीमसेन आदि तो खुशी के मारे नाचने लगे। ग्रामीणों ने बताया कि पांच गांवों के लोग इस नदी से कभी पानी पीने आया करते थे अब फिर से पशुओं व सिंचाई के लिये पानी मिल सकेगा।
सर्वोदय सेवा आश्रम के मंत्री अभिमन्यु सिंह ने बताया कि अभी तो यह शुरुआत है अब जनसहयोग से बरगढ़ क्षेत्र की नेवादा, कितहाई, मेडना, मौना व मादा नदी को पुर्नजीवित करने का काम किया जायेगा। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी ने सभी नदियों में खुदाई के काम को मनरेगा से करवाने के आदेश दिये है। इससे तो सभी ग्रामीणों में बड़ी आशा का संचार हुआ है पर यहां पर तो पिछले पन्द्रह दिनों में ग्रामीणों ने लगभग साठ मीटर नदी खोद डाली है पर बीडीओ के आने के बाद भी ग्राम प्रधान ने इसे प्रस्ताव में शामिल नही किया है। बल्कि रविवार को ही ग्राम प्रधान काम कर रहे मजदूरों को लालच देकर सड़क बनाने के काम के लिये ले गये हैं।

जल्द ही जिले की हर नदी में होगा पानी

चित्रकूट, संवाददाता: बरदहा, ओहन, गेडुवा व बाल्मीकि के साथ ही जिले की अन्य सभी नदियों पर एक बार फिर सिंघन नदी की तरह ही पानी आने की प्रबल संभावना का जन्म हो चुका है। जहां बरगढ़ इलाके में नेबादा, कितहाई, मेडना, मौना आदि नदियों पर तो लोग खुद ही पहल कर अपने मेहनतकश हाथों से पानी निकालने का काम प्रारंभ करने वाले हैं वहीं जिलाधिकारी ने भी अपनी ओर से सभी नदियों और नालों को पुर्नजीवन देने के लिये मनरेगा से उन्हें मजदूरी दिये जाने के आदेश जारी कर दिये हैं।

हो सकता है कि आने वाली गर्मी में बंधोईन के आगे दम तोड़ चुकी मंदाकिनी को पुर्नजीवन मिल जाये। जिलाधिकारी दलीप कुमार गुप्ता द्वारा मंदाकिनी सहित जिले कीअन्य सभी नदियों और नालों को मनरेगा के द्वारा खुदाई व सफाई कराने के सभी खंड विकास अधिकारियों को दिये गये आदेश के बाद तो लोगों में खुशी का संचार हुआ है।
वैसे एक नहीं लगभग आधा दर्जन नदियों और दर्जनों नालों वाले इस जिले में इधर गर्मी ने दस्तक दी तो उधर गंभीर जल संकट ने अपने पैर फैलाने प्रारंभ कर दिये हैं। लेकिन पेयजल को लेकर हाहाकार मचे इसके पहले ही जिलाधिकारी ने खुद बढ़कर ऐसी पहल कर डाली है जिससे आने वाले में जल संकट को न केवल दूर किया जायेगा बल्कि पेयजल की उपलब्धता को लेकर जिले की दशा और दिशा दोनो बदल सकती है।
मामला जिले के प्रमुख नदी मंदाकिनी के साथ ही अन्य नदियों और नालों की जल धाराओं के टूटने का है। जिलाधिकारी दलीप कुमार गुप्ता ने इसका उपाय सरकारी और
गैरसरकारी दोनो स्तरों पर खोज लिया है। उन्होंने जिले के समस्त खंड विकास अधिकारियों को बैठक कर आने वाले दिनों में पाठा के साथ ही पूरे जिले में आने वाले जल संकट की भयावहता से परिचित कराते हुये कहा कि वे लोग अपने -अपने इलाकों की नदियों और नालों पर मजदूरों से खुदाई करवाना प्रारंभ करवा दें जिससे नदी की सिल्ट के साफ होने के साथ ही दबे पड़े जल स्रोत भी सामने आ सकें।
जिलाधिकारी ने जागरण से बातचीत में कहा कि नदियां जीवनदायिनी हैं। इसलिये ही इन्हें भारतीय संस्कृति में मां का दर्जा दिया गया है। अगर समय रहते इन पर ध्यान नही दिया गया तो ये गंदगी की आगोश में आकर विलुप्त हो सकती हैं। जिलाधिकारी कहते हैं कि मंदाकिनी सहित सभी नदियों और नालों पर खुदाई का काम करवाया जायेगा। सिल्ट साफ होने पर लगभग हर नदी में जलस्रोत अपने आप खुल जायेगे और इलाके से पानी की कमी दूर होगी।







Sunday, March 6, 2011

केंद्र सरकार से चित्रकूट का वैभव बचाने की अपील

 राष्ट्रीय रामायण मेले के 38 वें संस्करण के शाम की विद्वत गोष्ठी विद्वानों ने चित्रकूट को ही समर्पित कर इसके अलग स्वायत्तशाषी राज्य बनाये जाने की वकालत की।

बांदा से आये हिंदी के विद्वान डा. चंद्रिका प्रसाद दीक्षित ललित ने कहा कि चित्रकूट की संस्कृति तो सिंधु घाटी की सभ्यता से पुरानी है। इसे काल के अंतराल में बांटने का काम कोई कर ही नही सकता। आवश्कता तो इस क्षेत्र में अभी और उत्खनन के कार्य करके पुराने रहस्यों को उजागर करने की है। उन्होंने अद्भुत, अनोखे और अलौकिक इस परिक्षेत्र को राज्यों की मांग के बीच पिसने के कारण बर्बादी की कगार पर पहुंचने की बात कहते हुये कहा कि चित्रकूट में उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश है चित्रकूट सबका है। इसे सबका रहने दिया जाये। केंद्र सरकार इसे सीधे अपने संरक्षण में लेकर इसका समुचित विकास करे तभी पूरे विश्व को यहां के बारे में सही जानकारी मिल सकेगी व उसका फायदा मिलेगा।
उन्होंने कविता के रूप में परिभाषित करते हुये कहा कि 'ऋषि राम रहीम जहां पर पैयस्वनी का जल है, संस्कृतियों के संगम वाला चित्रकूट स्थल है।' यह सृष्टि का सार्वभौमिक महत्व का अरण्य तीर्थ है। इसकी प्राकृतिक संपदा इसकी सौन्दर्य छवियां विश्व में सर्वाधिक मनोहारी है। चित्रकूट की संस्कृति जनवादी लोक व्यापी एवं त्याग तपस्या पर आधारित रही है। सिंधु घाटी की सभ्यता से प्राचीन पयस्वनी घाटी की सभ्यता या चित्रकूट की सभ्यता अनुसंधान का विषय है। यहां की आग्नेय घाटी ज्वालामुखी, जल उद्गम्य श्रोत, पर्वतों से निकलने वाली जल धारायें झरने सभी कुछ आदिम और नैसर्गिक रूप को अभी भी सुरक्षित हैं। ऐसे में आवश्यकता है चित्रकूट को स्वायत्तशाषी क्षेत्र बना देने की। जो राजनीति से सर्वथा मुक्त हो। जिसका भूगोल, इतिहास, संस्कृति, भाषाई सौहार्द एवं इस धरती में आने वाले विभिन्न संप्रदायों एवं मत-मतान्तरों से ऊपर उठकर एक सर्वव्यापी संस्कृति का स्वर प्राणवान हो सके। चित्रकू ट की संस्कृति जोड़ने वाली है तोड़ने वाली नही, राम राज्य की मूल परिकल्पना लोक तंत्र की अवधारणा के बीच सबसे पहले इस धरती पर अवतरित हुई। जहां राज सत्ता पर चरित्र की विजय हुई जहां राम राज्य मुकुट उतारकर नंगे पांव परिभ्रमण करते हैं जहां आकांक्षाओं के अनुरूप दलितों, नारियों और वनवासियों की पीड़ा को अपनत्व प्रदान करते हैं। यही वह संस्कृति का स्थान है जो चित्रकूट को विश्व के सबसे प्रथम स्वतंत्र और सर्वोपरि महत्व प्रदान करती है।
अयोध्या से पधारे संत फलाहारी महराज ने कहा कि राम दलितों और निर्धनों के सम्बल बनकर चित्रकूट में आये। रामायण मेला के आयोजन के लिये डा. लोहिया ने चित्रकूट को इसलिये चुना कि वे यहां से एक लोक संस्कृति का नया संदेश दे सकें। जब तक जनता का मनोबल ऊंचा नहीं होगा और शोषण से मुक्ति नही मिलेगी तब तक हमारा प्रयास चलता रहेगा।
मेरठ के डा. सुधाकराचार्य ने कहा कि रामेश्वरम की स्थापना में जिन पत्थरों के तैरने का प्रसंग आता है वे वास्तव में पत्थरों को काट-काट कर बीच में पोला कर करके पम्पन पुल के रूप में बनाया गया था। जहा पर बीच में शिलाओं को जोड़कर बनाया गया।
अमरोहा के डा. राम अवध शास्त्री ने कहा कि राम कथा का नया संदर्भ ग्रहण किया जाना चाहिये। लखनऊ की विद्या विदुषी ने लोक गाथाओं में फैले हुये मां सीता के चरित्र को रेखांकित करते हुये कहा कि सीता ने कई बार राम का प्रतिरोध करने का मन बनाया। जब तक नारियों और बेटियों को समान दर्जा नही दिया जाता तब तक रामायण की कथा का कोई मूल्य नही है। अयोध्या से आये डा. हरि प्रसाद दुबे, गौहाटी से डा. देवेन्द्र चंद्र दास, तिरूपति से आये डा. आर उस त्रिपाठी, भागलपुर से आयी डा. राधा सिंह, बांदा के डा. सीताराम विश्वबंधु, बांदा से आये रस नायक, आगरा से डा. सरोज गुप्ता, डा. ओम प्रकाश शर्मा, ग्वालियर श्री लाल पचौंरी, भोपाल से अवधेश कुमार शुक्ला आदि विद्वानों ने अपने विचार रखे।
एक दूसरी विद्वत गोष्ठी में वृन्दावन से आये दामोदर शर्मा, कानपुर से आये डा. यतीन्द्र तिवारी, मेरठ के नरेन्द्र कुमार, चित्रकूट की डा. कुसुम सिंह, डा. प्रज्ञा मिश्र, डा. मानस मुक्ता यशुमति ने भी श्री राम चरित मानस के नायक राम के विभिन्न स्वरूपों को सामने लाने का प्रयास किया।
संचालन डा. सीताराम विश्वबंधु ने किया।



डा. लोहिया की परिकल्पना से भटक गया रामायण मेला

संदीप रिछारिया, चित्रकूट : धर्म दीर्घकालीन राजनीति है। राजनीति अल्प कालीन धर्म। धर्म का काम है अच्छा करें और उसकी स्तुति करें। राजनीति का काम है बुराई से लड़े और उसकी निंदा करे। किंतु जब धर्म अच्छाई न कर केवल स्तुति भर करता है तो वह निष्प्राण हो जाता है और राजनीति जब बुराई से लड़ती नही तो वह कलंकित हो जाती है। पर यह सही है कि धर्म और राजनीति का अविवेकी मिलन दोनो को भ्रष्ट कर देता है। किसी एक धर्म को किसी एक राजनीति से नही मिलना चाहिये। इससे संप्रदायिक कट्टरता पनपती है। यह बातें चित्रकूट में रामायण मेला की कल्पना करने वाले समाजवादी आंदोलन के नायक डा. राम मनोहर लोहिया ने अपने घोषणा पत्र में लिखी थी। घोषणा पत्र में भले ही डा. लोहिया ने इसे राजनीति से सर्वथा अलग बताते हुये साफ तौर पर लिखा था कि रामायण मेले की पृष्ठभूमि में कोई राजनीतिक चाल नहीं है।

उनके शब्द थे कि 'मैं एक बात और स्पष्ट कर दूं कि चित्रकू ट के इस रामायण मेला से दल विशेष का संबंध नही है और न ही मेरी पार्टी सोसलिस्ट पार्टी से। हां सोसलिस्ट कार्यकर्ता जनहित का काम समझकर वैयक्तिक रूप में इसमें विशेष कार्य करें, उसी प्रकार वैयक्तिक रूप में कांग्रेस, कम्युनिष्ट व जनसंघ आदि पार्टियों से सम्बद्ध व्यक्ति भी रामायण मेला को कार्यान्वित करने में रूचि लें और सहयोग करें।'
कम्युनिष्टों से आज तक मेले में सहयोग लेने की कभी जरूरत नहीं समझी गई जबकि यहां के
सांसद और विधायक के पद पर कई बार भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी के लोग विद्यमान रहे। जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी के विपरीत जिसकी सरकार उसकी खुशामद के रूप मे यहां मामला चलता रहा। कांग्रेस के बाद भाजपा, सपा और बसपा के नेताओं को सरकारों के हिसाब से वरीयता दी गई। पिछले तीन सालों में रामायण मेला बसपा मय ही रहा। कुछ इसी तरह का हाल इस साल भी रहा। उद्घाटन सत्र पर पूर्व स्वागताध्यक्ष पूर्व सांसद भीष्म देव दुबे के पुत्र प्रदुम्न दुबे के अलावा मंच पर बसपा के अलावा किसी दूसरी पार्टी का कोई नेता नजर नहीं आया।
राष्ट्रीय रामायण मेले के 38 साल के सफरनामे पर भी नजर डाली जाये जो इस बात की पुष्टि होती है कि एक बार प्रधानमंत्री के रूप में मोरार जी देसाई तो विदेश मंत्री के रूप में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के अलावा राज्यपालों व राज्यमंत्रियों, कुलपतियों ने समय-समय पर उद्घाटन और समापन किया। जबकि सत्ता से अलग रही दूसरी पार्टियों के राजनेताओं और जिला स्तर के नेताओं को भी इस विशेष सम्मेलन में वरीयता नही दी गई। इस बार के आयोजन में उद्घाटन सत्र से लेकर अभी तक के कार्यक्रमों में बसपा नेताओं के अलावा सपा व भाजपा के नेताओं की मौजूदगी उस महामहोत्सव के दौरान बिल्कुल नहीं दिखी जिसे चित्रकूट का विकास का पर्याय माना जाता है।
गौरतलब है कि जब डा. लोहिया ने राष्ट्रीय रामायण मेला का पूरा कार्यक्रम तैयार कर घोषणा पत्र इसके आयोजकों को समर्पित किया था उनके जेहन में इस बात को लेकर बात साफ थी कि आने वाला समय चित्रकूट का होगा। रामायण मेला अगर उत्तरोत्तर प्रगति करता गया तो इससे चित्रकूट का विकास होगा। भौतिक संसाधन बढे़गे और यहां की गरीबी भी दूर होगी। पर क्या वास्तविकता में ऐसा हो पाया है?
सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष राजबहादुर यादव, कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष पुष्पेन्द्र सिंह, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष लवकुश चतुर्वेदी व सपा नेता कमल सिंह मौर्या इस मुद्दे पर एक राय होकर कहते हैं कि रामायण मेला से वास्तव में चित्रकूट को एक नई पहचान मिली है पर यह तो अब पूरी तरह से वंशवाद का अखाड़ा बन गया है। यहां साल भर में शादियों, राम व भागवत कथाओं व अन्य आयोजनों के जरिये लाखों की आमदनी होने के बावजूद इसके संचालकों द्वारा मेले के आयोजन के लिये धनाभाव या सरकार की ओर से अनुदान कम मिलने की बात कहना हास्यास्पद लगता है। आयोजक धनाभाव बताकर अच्छे कार्यक्रम निरस्त कर लोगों की भावनाओं पर तुषाराघात कर रहे हैं।

Saturday, March 5, 2011

केंद्र सरकार से चित्रकूट का वैभव बचाने की अपील

राष्ट्रीय रामायण मेले के 38 वें संस्करण के शाम की विद्वत गोष्ठी विद्वानों ने चित्रकूट को ही समर्पित कर इसके अलग स्वायत्तशाषी राज्य बनाये जाने की वकालत की।

बांदा से आये हिंदी के विद्वान डा. चंद्रिका प्रसाद दीक्षित ललित ने कहा कि चित्रकूट की संस्कृति तो सिंधु घाटी की सभ्यता से पुरानी है। इसे काल के अंतराल में बांटने का काम कोई कर ही नही सकता। आवश्कता तो इस क्षेत्र में अभी और उत्खनन के कार्य करके पुराने रहस्यों को उजागर करने की है। उन्होंने अद्भुत, अनोखे और अलौकिक इस परिक्षेत्र को राज्यों की मांग के बीच पिसने के कारण बर्बादी की कगार पर पहुंचने की बात कहते हुये कहा कि चित्रकूट में उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश है चित्रकूट सबका है। इसे सबका रहने दिया जाये। केंद्र सरकार इसे सीधे अपने संरक्षण में लेकर इसका समुचित विकास करे तभी पूरे विश्व को यहां के बारे में सही जानकारी मिल सकेगी व उसका फायदा मिलेगा।
उन्होंने कविता के रूप में परिभाषित करते हुये कहा कि 'ऋषि राम रहीम जहां पर पैयस्वनी का जल है, संस्कृतियों के संगम वाला चित्रकूट स्थल है।' यह सृष्टि का सार्वभौमिक महत्व का अरण्य तीर्थ है। इसकी प्राकृतिक संपदा इसकी सौन्दर्य छवियां विश्व में सर्वाधिक मनोहारी है। चित्रकूट की संस्कृति जनवादी लोक व्यापी एवं त्याग तपस्या पर आधारित रही है। सिंधु घाटी की सभ्यता से प्राचीन पयस्वनी घाटी की सभ्यता या चित्रकूट की सभ्यता अनुसंधान का विषय है। यहां की आग्नेय घाटी ज्वालामुखी, जल उद्गम्य श्रोत, पर्वतों से निकलने वाली जल धारायें झरने सभी कुछ आदिम और नैसर्गिक रूप को अभी भी सुरक्षित हैं। ऐसे में आवश्यकता है चित्रकूट को स्वायत्तशाषी क्षेत्र बना देने की। जो राजनीति से सर्वथा मुक्त हो। जिसका भूगोल, इतिहास, संस्कृति, भाषाई सौहार्द एवं इस धरती में आने वाले विभिन्न संप्रदायों एवं मत-मतान्तरों से ऊपर उठकर एक सर्वव्यापी संस्कृति का स्वर प्राणवान हो सके। चित्रकू ट की संस्कृति जोड़ने वाली है तोड़ने वाली नही, राम राज्य की मूल परिकल्पना लोक तंत्र की अवधारणा के बीच सबसे पहले इस धरती पर अवतरित हुई। जहां राज सत्ता पर चरित्र की विजय हुई जहां राम राज्य मुकुट उतारकर नंगे पांव परिभ्रमण करते हैं जहां आकांक्षाओं के अनुरूप दलितों, नारियों और वनवासियों की पीड़ा को अपनत्व प्रदान करते हैं। यही वह संस्कृति का स्थान है जो चित्रकूट को विश्व के सबसे प्रथम स्वतंत्र और सर्वोपरि महत्व प्रदान करती है।
अयोध्या से पधारे संत फलाहारी महराज ने कहा कि राम दलितों और निर्धनों के सम्बल बनकर चित्रकूट में आये। रामायण मेला के आयोजन के लिये डा. लोहिया ने चित्रकूट को इसलिये चुना कि वे यहां से एक लोक संस्कृति का नया संदेश दे सकें। जब तक जनता का मनोबल ऊंचा नहीं होगा और शोषण से मुक्ति नही मिलेगी तब तक हमारा प्रयास चलता रहेगा। मेरठ के डा. सुधाकराचार्य ने कहा कि रामेश्वरम की स्थापना में जिन पत्थरों के तैरने का प्रसंग आता है वे वास्तव में पत्थरों को काट-काट कर बीच में पोला कर करके पम्पन पुल के रूप में बनाया गया था। जहा पर बीच में शिलाओं को जोड़कर बनाया गया।
अमरोहा के डा. राम अवध शास्त्री ने कहा कि राम कथा का नया संदर्भ ग्रहण किया जाना चाहिये। लखनऊ की विद्या विदुषी ने लोक गाथाओं में फैले हुये मां सीता के चरित्र को रेखांकित करते हुये कहा कि सीता ने कई बार राम का प्रतिरोध करने का मन बनाया। जब तक नारियों और बेटियों को समान दर्जा नही दिया जाता तब तक रामायण की कथा का कोई मूल्य नही है। अयोध्या से आये डा. हरि प्रसाद दुबे, गौहाटी से डा. देवेन्द्र चंद्र दास, तिरूपति से आये डा. आर उस त्रिपाठी, भागलपुर से आयी डा. राधा सिंह, बांदा के डा. सीताराम विश्वबंधु, बांदा से आये रस नायक, आगरा से डा. सरोज गुप्ता, डा. ओम प्रकाश शर्मा, ग्वालियर श्री लाल पचौंरी, भोपाल से अवधेश कुमार शुक्ला आदि विद्वानों ने अपने विचार रखे।
एक दूसरी विद्वत गोष्ठी में वृन्दावन से आये दामोदर शर्मा, कानपुर से आये डा. यतीन्द्र तिवारी, मेरठ के नरेन्द्र कुमार, चित्रकूट की डा. कुसुम सिंह, डा. प्रज्ञा मिश्र, डा. मानस मुक्ता यशुमति ने भी श्री राम चरित मानस के नायक राम के विभिन्न स्वरूपों को सामने लाने का प्रयास किया।
संचालन डा. सीताराम विश्वबंधु ने किया।





Thursday, February 3, 2011

स्‍वामी कामतानाथ जी महाराज

चित्रकूट के घाट पर..

प्रागैतिहासिक काल की गुफाओं, झरनों, उच्च शैल शिखरों व हैरान करने वाली कंदराओं के बीच चित्रकूट आज भी विश्वयुगीन समस्याओं के समाधान के केंद्र के रुप में विख्यात है। कर्मकांडीय ब्राहमण हों या फिर राजसत्ता भोगने वाले- सभी यहां आकर नैसर्गिक प्राकृतिक हास्य को देखकर अपनी सुधबुध खो बैठते हैं। शैव, शाक्य, वैष्णव, जैन, प्रणामी संप्रदाय के साथ ही बौद्धों की श्रद्धा का केंद्र चित्रकूट आज भी अपने अतीत के वैभव को जीता सा दिखाई देता है। मुगलिया सल्तनत के दौरान शहंशाह अकबर के दरबार के नौरत्नों में से प्रमुख संगीत सम्राट तानसेन व राजा बीरबल का संबंध भी यहां से रहा है। भक्तिकाल के प्रमुख कवि अब्दुल रहीम खानखाना ने तो अपने बुरे दिनों में यहां पर आकर भाड भूजनें का काम भी किया है। उनके लिखे- चित्रकूट में रम रहे रहिमन अवध नरेश, जापर विपदा परत है सो आवत यहि देश, को आज कौन नही जानता।
धार्मिक स्थल
स्वामी कामतानाथ का मंदिर व परिक्रमा: मान्यताओं के अनुसार आदिकाल में पर्वत से निकलकर प्रभु कामदनाथ विग्रह के रूप में प्रकटे। मानवी काया के अनुसार उनके मुख पर दांत भी हैं। सात शालीग्राम रूपी दांतों में पांच का पूजन रोजाना किया जाता है। साढे पांच किलोमीटर की परिक्रमा मुख्य द्वार से प्रारंभ होती है। चारों दिशाओं में चार द्वार हैं जिनमें विग्रह विराजमान हैं। इसके साथ ही अलौकिक छटायुक्त पर्वत के चारों ओर शनि मंदिर, महलों वाले मंदिर के पीछे गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा लगाया गया पीपल का वृक्ष, उनके द्वारा लिखी गई रामचरितमानस की हस्तलिखित प्रति, मां पयस्वनी का उद्गम स्थल, ब्रह्मकुंड, साक्षी गोपाल, कामधेनु, भरत मिलाप, रामबन पथ गमन स्थल ,लक्ष्मण पहाडी, स्वर्गाश्रम पीलीकोठी, बरहा के हनुमान जी, सरयू धारा आदि स्थान यहां पर देखने योग्य हैं।
मंदाकिनी के घाट:
 वैसे तो मंदाकिनी अनुसुइया के जंगलों से निकलती हैं। लेकिन इसके बहाव के स्थानों पर अलग-अलग घाट अपनी अलग विशेषताओं के कारण प्रसिद्ध हैं। टाठी घाट जंगलों के मध्य स्थित देवरहा बाबा की साधना का स्थल माना जाता है। यहां की धारा में थाली घूमने लगती है। सर्वाधिक लोकप्रिय स्थल राघव प्रयाग घाट व रामघाट, भरत घाट है। राघव प्रयाग घाट पर सरयू व पयस्वनी का संगम है। यहां पर राम ने अपने पिता दशरथ का पिंड तर्पण किया था। इसके साथ ही यहां पर चित्रकूट के क्षेत्राधिपति स्वयं शंकर स्वामी मत्स्यगयेन्द्र नाथ के विग्रह के रूप में विराजमान हैं। इसके साथ ही स्फटिक शिला पर राम ने मां जानकी का पुष्पों से श्रंगार किया था। यह विशालकाय शिला आज भी अपने पूरे वैभव के साथ मौजूद है। इसके साथ ही जानकीकुंड, पंचवटी घाट, प्रमोदवन घाट, सूरजकुंड का घाट जहां मां मंदाकिनी पश्चिम मुखी हो जाती हैं देखने योग्य हैं।
अनुसुइया आश्रम: महर्षि कर्दम की पुत्री और महर्षि अत्रि की पत्नी महासती अनुसुइया का विशाल गुरुकुल वाला स्थान धर्मनगरी से लगभग 15 किलोमीटर दूर है। यहां पर नैसर्गिक प्राकृतिक सुषमा से युक्त पर्वत व झरनों के साथ सुगंधित जडी बूटियों के पहाड लोगों का मन मोह कर एक नया उत्साह प्रकट करते हैं। यहां पर योगिनी शिला, हनुमान मंदिर, वनवासी राम मंदिर, परमहंस आश्रम आदि दर्शनीय हैं। इसके साथ ही मां मंदाकिनी की सैकडों धाराओं को यहां से निकलते देखा जा सकता है।
अमरावती: राम अपने कुल के पहले चित्रकूट आने वाले वनवासी नही थे। इस बात का प्रमाण आम के वृक्षों की अमराई वाले अमरावती में दिखाई देता है। दृष्टांतों के आधार पर राम की दसवीं पीढी के पूर्वज अयोध्या नरेश महाराज अम्बरीश ने यहां पर आकर कठोर तप किया था। यह स्थान अनुसुइया आश्रम से लगभग तीन किलोमीटर दूर जंगलों के बीच में दुर्गम है।
भभका उद्गम: यह स्थान भी अनुसुइया आश्रम से लगभग दो किलोमीटर दूर झूरी नदी का उद्गम स्थल है। यह स्थान गुरु गोरखनाथ की प्राचीन तपस्या स्थली माना जाता है।
गुप्त गोदावरी: प्रकृति की अनमोल धरोहर गुप्त गोदावरी ऐसा स्थान है जहां पर आकर पर्यटक अपनी सुधबुध खो देता है। प्रकृति की विलक्षण कारीगरी वाली गुफाओं में नक्काशी देखते ही बनती है। एक गुफा तो सूखी है। यहां पर गोदावरी मां के साथ ही अन्य देवता गण स्थापित है और यहां पर राजा इंद्र का पुत्र जयंत खटखटा चोर के रूप में आज भी लटका हुआ है। गोदावरी धारा की विशाल जलराशि वाली दूसरी गुफा से जल निकलकर बाहर कुंड के बाद दिखाई नही देता इसका रहस्य अभी सामने नही आया है।
हनुमान धारा: रामघाट से तीन किलोमीटर दूर पर्वत श्रेणी पर विराजमान हनुमान के हाथों से निकलने वाली धारा का दृश्य अत्यंत मनोहारी है। इसके स्थान के ठीक ऊपर सीता रसोई है। हनुमान धारा के नीचे नरसिंह धारा, पंचमुखी हनुमान मंदिर है। रामघाट से हनुमान धारा जाने के बीच में ही वनदेवी नामक विलक्षण स्थान है।
और भी हैं विलक्षण स्थान
जहां चित्रों के कूट चित्रकूट के दस किलोमीटर के क्षेत्रफल में तमाम मंदिरों के समूह हैं। वहीं धार्मिक, ऐतिहासिक और प्रागैतिहासिक काल के तमाम स्थान अवलोकनीय है।
वाल्मीकि आश्रम लालापुर: महर्षि वाल्मीकि की तपस्थली लालापुर चित्रकूट से इलाहाबाद जाने के रास्ते पर मिलती है। झुकेही से निकली तमसा नदी इस आश्रम के समीप से बहती हुई सिरसर के समीप यमुना में मिल जाती है। पूरी पहाडी पर अलंकृत स्तंभ और शीर्ष वाले प्रस्तर खंड बिखरे पडे हैं जिनसे इस स्थल की प्राचीनता का बोध होता है। इस गुफा में श्वेतवर्ण से अंकित ब्राही लिपि भी मिल चुकी है। चंदेलकालीन आशांबरा देवी का मंदिर इसी स्थान पर है और कहा जाता है कि यही पर स्वामी प्राणनाथ को दिव्य ज्ञान की अनुभूति हुई थी। उन्होंने बाद में पन्ना नगरी में जाकर प्रणामी संप्रदाय की शुरुआत की।
रसियन: चित्रकूट से इलाहाबाद जाते समय मऊ से उत्तर दिशा में 14 किलोमीटर दूर रसियन नामक स्थान पडता है। चौरासी हजार देवताओं की साधनास्थली के बारे में कहा जाता है कि पूज्य देवरहा बाबा ने यहां पर उग्र तप किया था। वैसे यह स्थान चित्रकूट धाम का प्रवेश द्वार भी माना जाता है। बाणासुर की धर्मपत्‍‌नी बरहा के नाम पर गांव का नाम ही बरहा कोटरा रख दिया गया था। प्रख्यात शिव मंदिर के ध्वंसावशेष यहां पर बिखरे पडे दिखाई देते हैं। इस मंदिर का सूक्ष्म अलंकरण और भव्य वास्तुकला विस्मित कर देती है। पुरातत्वविद बाणासुर के दुर्ग के पास बने बांध के ध्वंसावशेषों को सिंधु काल की सभ्यता के समकालीन बताते हैं। मन को विस्मित कर देने वाले इस स्थान पर जाते ही अद्भुत शांति का अनुभव होता है। वैसे यहां पर पास ही पहाडी पर आदि काल के मानव-निर्मित शैल चित्रों के साथ ही बौद्ध मूर्तियों के भग्नावशेष भी देखने योग्य हैं। जाने का दुर्गम रास्ता और शासन के ध्यान न देने के कारण पौराणिक, ऐतिहासिक और धार्मिक स्थान लगभग उपेक्षित सा ही है।
बांकेसिद्ध, कोटितीर्थ, देवांगना: चित्रकूट की पंचकोसी यात्रा का प्रथम पडाव अनुसुइया के भ्राता सांख्यदर्शन के प्रणेता महर्षि कपिल का स्थान बांकेसिद्ध के नाम से प्रसिद्ध है। इस गुफा में जहां बीस हजार वर्ष पूर्व के शैल चित्र विद्यमान हैं जो अब मानव भूलों के कारण अंतिम सांसे ले रहे हैं। साल भर गंधक युक्त झरनों और विशेष किस्म के फूलों से सुशोभित इस स्थान को चित्रकूट का हृदय कहा जाता है। देवांगना में भी झरने और पुष्पों की लताओं से लदे पेड दर्शनीय है कोटितीर्थ और पंपासर में हनुमान मंदिर आज भी लाखों लोगों की आस्था का केंद्र हैं। इसके आगे पर्वतीय मार्ग पर सरस्वती नदी, यमतीर्थ, सिद्धाश्रम, गृधाश्रम, मणिकर्णिका आश्रम इत्यादि हैं। पास ही मध्य में चंद्र, सूर्य, वायु, अग्नि और वरुण तीर्थ मिलते हैं। इन पांच देवताओं के यहां पर निवास करने के कारण इसे पंचतीर्थ कहते हैं और कुछ ही दूरी पर ब्रह्मपद तीर्थ है।
मडफा: चित्रकूट से बीस किलोमीटर दूर घुरेटनपुर के पास पर्वत पर भगवान शंकर अपने पंचमुखी रूप में सशरीर विद्यमान हैं। किंवदती के अनुसार ऋषि मांडव्य की इस तपस्थली में महाराज दुष्यंत की पत्‍‌नी शकुंतला ने पुत्र भरत को जन्म दिया था। चंदेलकालीन वैभवशाली नगर के ध्वंशावशेष यहां पर बिखरे पडे दिखाई देते हैं। जैन धर्म के प्रर्वतक आदिनाथ के साथ ही अन्य जैन मूर्तियां यहां अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही हैं। अत्रि आश्रम: महर्षि वाल्मीकि और महाकवि कालीदास ने इस स्थान का काफी रोचक वर्णन अपने ग्रंथों में किया है। चित्रकूट से लगभग 15 किलोमीटर दूर दक्षिण में मंदाकिनी के किनारे अत्रि-अनुसुइया और उनके पुत्र चंद्रमा, दत्तात्रेय व दुर्वासा के स्थान हैं। यहां पर पाए जाने वाले शैलचित्र इसे पुराप्राचीन काल का घोषित करते हैं। मंदाकिनी नदी के उत्तरी किनारे पर भवनों के ध्वंसावशेष मिलते हैं जो कुलपति कण्व के आश्रम के माने जाते हैं। इस आश्रम की निकटवर्ती पहाडियों पर काफी मात्रा में शैलाश्रय और उनमें रामकथाश्रित शैलचित्र प्राप्त हुए हैं। सप्तर्षियों में सम्मिलित महर्षि अत्रि का विद्यापीठ प्राचीन भारत के महान विद्यापीठों में गिना जाता है। यहां से दंडकारण्य की सीमा प्रारंभ हो जाती है और तीन मील दूर एक झरना और हनुमान जी की मूर्ति प्रतिष्ठित है यहीं पर विराध कुंड है।
शरभंग आश्रम: सतना के वीरसिंहपुर से लगभग 12 किलोमीटर दूर यह स्थान राम और ऋषि शरभंग के अद्भुत मिलन का स्थल है। यहीं पर भगवान विष्णु से कुपित होकर ऋषि ने अपने शरीर का हवन किया था। यहां पर दो दिव्य कुंड हैं जो ऋषि शरभंग के तप बल की पुष्टि करती है। विराध कुंड की गहराई मापने के कई प्रयास हो चुके हैं पर अभी तक इसमें सफलता नही मिली है।
राजापुर: यमुना के किनारे बसी गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज की जन्म स्थली। राम बोला से तुलसीदास जी ने जब रत्नावली के द्वारा ज्ञान प्राप्त किया तो चित्रकूट में आकर गुरु से दीक्षा लेकर रामचरितमानस के साथ ही अनेक ग्रंथ अपने आराध्य राम के बारे में लिख डाले। यहां पर उनके द्वारा स्थापित संकटमोचन हनुमान मंदिर व उनके द्वारा पूजित लगभग 15 किलोमीटर दूर नांदी के हनुमान जी का मंदिर दर्शनीय है। वैसे पहाडी के पास ही साईपुर में दाता साई का मंदिर व स्थान दर्शनीय है। यहां पर हिंदू और मुस्लिम एकता को बढाने वाला मेला लगता है।
कैसे पहुंचे
चित्रकूट के लिए कर्वी निकटतम रेलवे स्टेशन है। यह दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बनारस, लखनऊ, भोपाल, जबलपुर व रायपुर से सीधा जुडा हुआ है। चित्रकूट से 30 किलोमीटर दूर माणिकपुर जंक्शन भी है। यहां से देश के अन्य भागों के लिए ट्रेने मिलती हैं। इसके साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग 76 पर कर्वी का बस स्टाप है यहां से लखनऊ, बनारस, कानपुर, इलाहाबाद आदि स्थानों के लिए सीधी बस सेवा है। वैसे जानकीकुंड में भी अन्तर्राज्यीय बस स्टैंड हैं। यहां से सतना, रीवा, जबलपुर, पन्ना, मैहर आदि के लिए बसें मिलती हैं। निकटतम हवाई अड्डा खजुराहो, लखनऊ व बनारस हैं। इसके अलावा टैक्सी सेवा हर समय यहां पर मिलती है।
कहां रुकें
चित्रकूट में रुकने के लिए वैसे तो तमाम धर्मशालाएं, लॉज और यात्री निवास हैं। इनमें प्रमुख उप्र और मप्र के टूरिस्ट बंगले, जयपुरिया स्मृति भवन, कामदगिरि भवन, विनोद लाज, पंचवटी ,रामदरबार होटल आदि हैं। वैसे हर मठ और मंदिर ने भी अपने गेस्ट हाउस बना रखे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार का विश्राम गृह कर्वी में जबकि मप्र सरकार का विश्राम गृह सिरसावन में है।
घूमने का मौसम
वैसे तो वर्ष भर यहां पर घूमने का मौसम रहता है। पर जुलाई से लेकर मार्च-अप्रैल तक का समय पर्यटकों व दर्शनार्थियों के लिए ज्यादा मुफीद बताया जाता है।
सुतीक्षण आश्रम: वीरसिंहपुर से 10 किलोमीटर दूर यह स्थान शातकर्णी ऋषि के पंचाप्सर तीर्थ और शरभंग आश्रम के मध्य स्थित है। सुतीक्षण के भाई अगस्त्य ऋषि का आश्रम यहां से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित है। इस स्थान को ब्रह्म लोक के समान पवित्र कहा गया है।
सरहट: चित्रकूट से तीस किलोमीटर दूर मानिकपुर के पास सरहट नामक स्थान पर प्राचीनतम शैलचित्र भारी संख्या में मौजूद हैं। ये तीस हजार साल पुराने बताए जाते हैं। सरहट के पास ही बांसा चूहा, खांभा, चूल्ही में भी इस तरह के शैलचित्र मिलते हैं। सरहट के 20 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में करपटिया में 40 शिलाश्रयों का समूह दर्शनीय है।
भरतकूप व रामशैया: चित्रकूट से लगभग 15 किलोमीटर दूर इस स्थान पर राम के राज्याभिषेक के लिए लाए गए सभी नदियों व सरोवर के पवित्र जल को एक कुंए में डाल दिया गया था। यह स्थान दर्शनीय है। यहीं पास में रामशैया नामक स्थान भी है। कहा जाता है कि यहां पर राम ने चित्रकूट में पर्दापण करने के बाद पहली रात्रि का विश्राम किया था। शिवरामपुर के पास पथरौंडी गांव की पहाडी पर भी दाता साई का स्थान है। यहां के बारे में मान्यता है कि जो भी संत इस गद्दी पर विराजमान होता है वह अपनी पूरी जिंदगी पहाड से नीचे नही उतरता। सूरजकुंड: सूर्य भगवान के तप्त वेग के प्रभाव से जहां मंदाकिनी भी पश्चिम मुखी होकर बहने लगती है। सूर्य का प्रभाव यहां पर पत्थरों में नजर आता है। अपने ताप से बचने के लिए ब्राह्मणों को छाता और जूता दान देने की प्रक्रिया की शुरुआत करने वाला स्थान।
धारकुंडी: चित्रकूट से लगभग पचास किलोमीटर दूर जंगलों के मध्य दिव्य स्थान। यहां पर अघमर्षण कुंड पर महाभारत काल में धर्मराज युधिष्ठिर द्वारा यक्ष के प्रश्नों के उत्तर देने के साथ ही स्थानीय जाति की राजकुमारी हिडिंबा का विवाह भीम के साथ होने की कथा कही जाती है। गंधक के साथ ही अन्य जडी बूटियों से मिश्रित झरने के पानी के स्नान व सेवन को चर्म रोगों से मुक्ति का साधन भी माना जाता है।
अन्य दर्शनीय स्थान
बाला जी का मंदिर: चित्रकूट में मंदाकिनी के किनारे शहंशाह औरंगजेब के द्वारा बनवाया गया बाला जी का मंदिर दर्शनीय है।
गणेश बाग: मुंबई में बेसिन की संधि के बाद यहां की जागीर मराठों को देने के बाद उनके वंशज अमृतराय द्वारा बनवाया गया शिल्प का अद्भुत नमूना, इसे मिनी खजुराहो के नाम से भी जाना जाता है। यहां की सात खंडों की बावली भी दर्शनीय है।
तरौंहा का किला व झारखंडी मां का मंदिर: सुर्की राजवंश की अमर कहानी कहता यह किला कर्वी के तरौंहा में स्थित है। वैसे अब तो यह किला बदहाल है पर यहां की वादियों में इतिहास का पूरा एक अध्याय सांस लेता है। बीरबल हों या तानसेन दोनो ही यहां के सुर्की सम्राट राजा राम कृष्ण जूदेव के दरबार से दिल्ली गए थे। यहीं पर मां झारखंडी देवी का मंदिर भी है जिसके बारे में कहा जाता है कि यह देश के 51 शक्तिपीठों में एक है।
चर का सोमनाथ मंदिर: सोमनाथ के मंदिर की तर्ज पर नाम पर बना शिल्प कला का अद्भुत नमूना। यहां पर शिव लिंग के अनेक प्रकार लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। इसके साथ ही दशरथ घाट व कलवलिया का शिव मंदिर भी दर्शनीय है।
चित्रकूट में यहां-यहां पडे राम चरण
जिले के प्रवेश द्वार मुरका नामके गांव का माना जाता है। यहां पर सर्वप्रथम राम के चरण पडे। इसके बाद ऋषियन व सीतापहाडी पर विश्राम करने के बाद व यमुना नदी के गरौली घाट पर आए। यहां पर तेहि अवसर एक तापस आवा वाली घटना हुई। रामनगर के कुमार द्वय तालाब पर स्नान करने के बाद रैपुरा पहुंचे। कहा जाता है कि यहां पर श्रीराम ने अयोध्या से निकलने के बाद पांचवी रात्रि का विश्राम किया। चित्रकूट में प्रवास के दौरान उन्होंने मांडव्य ऋषि के आश्रम मडफा, भरतकूप, अमरावती, विराध कुंड, पुष्करणी सरोवर, मांडकर्णी आश्रम, श्रद्धा पहाड सहित अन्य स्थानों का भ्रमण किया।
लुप्तप्राय स्थान: सुभद्रक कुंड, सर्वतोभद्र कुंड, मणि भद्रक तीर्थ, आर्वे आश्रम, काम स्थान, मंडल तीर्थ, गौरी देवी स्थान, योगिना देवी, भार्गव तीर्थ, सावित्री देवी, दिव्य साकेत, महामाया पीठ, शीतला पीठ, मारकुंडी, वन देवी, हंस तीर्थ, फलकी वन, तुंगारण्य, व्यास कुंड, सारंग ऋषि आश्रम, ब्रहस्पति कुंड।
विशेष स्थान: मारकुंडी के निकट पर्वतों के बीच में चट्टानों से निर्झरित होती विशाल जलराशि जब विशालकाय कुंड में गिरती है तो उसे देखकर लोग आश्चर्यचकित रह जाते हैं। शबरी प्रपात के नाम से विख्यात विशाल कुंड और झरना बाहर से आने वाले पर्यटकों का मन मोह लेता है। यह स्थान शासन की उपेक्षा के चलते अभी ज्यादा ख्याति अर्जित नही कर सका है। अगर इस स्थान पर शासन स्तर पर ध्यान दिया जाए तो यह विशेष स्थान न केवल बाहर से आने वालों के लिए एक विशेष स्थान सिद्ध होगा बल्कि गरीब ग्रामवासियों के लिए रोजगार के साधन मुहैया कराने का भी बडा काम करेगा।
इन स्थानों के अतिरिक्त तमाम और स्थान चित्रकूट के ऊपर लिखे गए लगभग पांच सौ ग्रंथों व पुस्तकों में हैं जिनके बारे में अब जानकारी नही मिलती है।

लेख व फोटो: संदीप रिछारिया
दैनिक जागरण यात्रा से साभार
दिनांक 30 .1. 11

Thursday, December 23, 2010

जेहि पर विपदा परत है सोई आवत यहि देश

यूपी और एमपी के अधिसंख्य प्रत्याशी चुनाव से पहले और बाद में हाजिरी लगाते हैं भगवान कामतानाथ के दरबार में।

चित्रकूट में रम रहे रहिमन अवध नरेश, जेहि पर विपदा परत है सोई आवत यहि देश।' शहंशाह जलालुद्दीन अकबर के नवरत्नों में एक रहे भक्तिकाल के महान कवि अब्दुल रहीम खानखाना ने उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के मिलनस्थल चित्रकूट को अपने प्रवासकाल में विपत्ति निवारण करने के स्थान के रूप में वर्णित किया था, जो आज भी सर्वथा सही है। आज भी यहां क्या आम और क्या खास, सभी लोग इसी आस से लाइन लगाते हैं।
इसी संदर्भ में संत तुलसीदास रचित श्री रामचरितमानस की पंक्तियां 'कामदगिरि भए राम प्रसादा, अवलोकत अपहरद विषादा' उस सत्य को परिभाषित कर देती हैं, जो कि आजकल लोकसभा के चुनाव मैदान में उतरने वाले हर प्रत्याशी के दिलों से होकर गुजर रहा है। उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में बंटे बुंदेली भूभाग के अठारह जिलों के साथ ही सेंट्रल यूपी में चुनाव के मैदान में अपनी दावेदारी ठोंकने के उद्देश्य से उतरे प्रत्याशी कम से कम दो बार तो यहां पर आकर अपनी हाजिरी जरूर लगाते हैं। इन दो प्रदेशों के साथ ही राजस्थान और बिहार के तमाम ऐसे राजनेता भी हैं, जो अपनी पहचान छिपाकर भगवान कामता नाथ के दरबार में हाजिरी लगाकर चले जाते हैं।
प्राचीन श्री कामतानाथ मुखार बिंद के पुजारी प्रेम चंद्र मिश्र बताते हैं कि यहां पर चुनाव के दौरान अथवा चुनाव के बाद राजनेताओं का आना नया नहीं है। इस धर्म क्षेत्र में आने वाला प्रत्येक वीआईपी इस मंदिर में आकर मत्था जरूर टेकता है। इसके साथ ही वह पांच किलोमीटर की परिक्रमा भी लगाता है। चुनाव के पहले प्रत्याशी टिकट के लिये व टिकट मिलने के बाद जीत के लिये मनौती मांगते है। चुनाव जीतने के बाद लोग भंडारे भी करते हैं।
जगद्गुरु स्वामी राम भद्राचार्य जी महाराज कहते हैं कि चित्रकूट केवल विपत्तियों को हरने वाला स्थान नही बल्कि मनुष्य को नई सोच देने वाला स्थान भी है। भगवान राम को भी राक्षसों के विनाश के लिये नई सोच यहीं से मिली थी। चुनावों के दौरान नेताओं का आगमन तो उनकी स्वयं के कार्य की सिद्धि के लिये होता है, उनकी मनवांछित कामनायें प्रभु पूरी भी करते हैं।
इस स्थान की सबसे खास बात यह है कि यहां किया वादा आपको निभाना भी पड़ता है। चित्रकूट के राजवंश के हेमराज जू चौबे 'नन्हे भइया' कहते हैं, ''स्वामी कामतानाथ ऐसे देव हैं जो उपेक्षा बर्दाश्त नहीं करते। मनवांछित फल देने के साथ ही पदच्युत करने के भी कई उदाहरण सामने है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, रक्षा मंत्री जार्ज फर्नाडिस इसी कोप के शिकार हो चुके हैं!''
[संदीप रिछारिया]

Friday, November 26, 2010

शूटिंग में पदक के लिए होगी मशक्कत

धर्मनगरी की वादियों में शूटिंग रेंज स्थापित करने की पहल

चित्रकूट, संवाददाता: जल्द ही धर्मनगरी की वादियों में बंदूकों के गरजने की आवाजें आम हो जाएंगी। चौंकिये मत, यह बंदूक की आवाजें डाकुओं और पुलिस के बीच मुठभेड़ की नही बल्कि ओलंपिक का तमगा अपनी धरती पर लाने के लिये होंगी। नेशनल कैडिट कोर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के उपमहानिदेशक बिग्रेडियर आर विनायक ने चित्रकूट के शांत वातावरण को शूटिंग के अनुरुप पाकर यहां पर शूटिंग रेंज स्थापित किये जाने के प्रस्ताव पर अपनी सैद्धान्तिक मुहर लगाते हुये कहा कि उनका सपना तो अगला ओलंपिक का पदक चित्रकूट के बच्चे के हाथ में देखकर पूरा होगा।
दीन दयाल शोध संस्थान के उद्यमिता विद्या पीठ में जागरण से बात करते हुये बिग्रेडियर ने कहा कि नेशनल कैडिट कोर भविष्य बनाता नही बल्कि बच्चों को भविष्य के लिये तैयार करता है। इस समय देश भर में तेरह लाख कैडिट हैं अगले पांच सालों में दो लाख कैडिटों के लिये और भी एनसीसी में आने के अवसर बन रहे हैं। चित्रकूट के आयुर्वेदिक कालेज में भी एनसीसी की यूनिट के लिये जल्द ही सीनियर डिवीजन की एनसीसी की स्वीकृति कर दी जायेगी।
उन्होंने गर्व के साथ बताया कि मध्य प्रदेश के राज्यपाल, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री समेत सुषमा स्वराज्य, जया बच्चन, फारुक अब्दुला जैसी तमाम हस्तियां नेशनल कैडिट कोर के सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में जल्द ही 5 फेस में 10 नयी यूनिटों को खोले जाने का काम प्रारंभ किया जायेगा। इसका शुभारंभ रींवा जिले से होगा। इससे यह फायदा होगा कि जो विद्यालय एनसीसी की प्रतीक्षा सूची में चल रहे हैं उनको भी अपने छात्रों को एनसीसी का प्रशिक्षण दिलाने का मौका मिल जायेगा। रींवा संभाग के सीओ लेफ्टीनेंट कर्नल एसआर सिंह ने कहा कि सन् 1971 के बाद इतना बड़ा विस्तार पहली बार किया जा रहा है। चित्रकूट में जल्द ही फायरिंग रेंज बनाने का काम प्रारंभ कर दिया जायेगा।

एक सोच से बदल गई गांव की तस्वीर

 'हिम्मते मर्दा तो मदद-ए-खुदा' अगर धर्मस्थली से सटे हुए खुटहा गांव में नजर डाले तो आजादी के बाद काफी सालों तक यह गांव भी बुंदेलखंड के अन्य गांवों की तरह ही बदहाल था पर समय के बदलाव को अंगीकार करने के साथ ही जब खेती के विविधीकरण के प्रयोगों को धरातल पर काम जब स्व. देवी प्रसाद शुक्ला ने किया तो न केवल अपनी किस्मत के दरवाजे खोले बल्कि अपने गांव के साथ ही आसपास के गांवों की किस्मत को भी बदल दिया। आज इस गांव की कुल 200 हेक्टेयर की जमीन में से आधी जमीन सब्जी उत्पादन कर सोना उगलने का काम कर रही है। लगभग तीस साल पहले हुये हुये सब्जी उत्पादन के प्रयोग ने न केवल इस गांव मे क्रांति ला दी बल्कि आसपास के गांवों को भी मेहनत करने की एक नई राह दिखा दी।
समाजसेवी व उन्नतशील किसान शिव कुमार शुक्ला कहते हैं कि इस गांव में पहले भी खेती होती थी जो वर्षा के जल पर आधारित थी। सबसे पहले पिता जी ने कुएं पर रहट लगवाया, तो आधे गांव के खेत रहट से सींचे जाते थे उसके पास डीजल पम्प आया और बाद में जिले का पहला टयूब बेल भी उनके यहां पर ही लगा। इसके साथ ही उन्होंने हर खेत की मेड पर पक्की नालियों का निर्माण कराया। खेती के लिये बीजों को बाहर से लाकर जब अपने खेतों के साथ दूसरे किसानों को दिया तो फिर बदलाव की बयार बह चली। धीरे-धीरे एक बीघा से दस बीघा और फिर कहानी सौ हेक्टेयर तक आ पहुंची। आज गांव में हर किस्म की सब्जी, मसाले व रवी, खरीफ व जायद की सभी फसलों के साथ ही फलों का उत्पादन किया जा रहा है।
कहते हैं किसान
उन्नतशील किसान राकेश नायक कहते हैं कि सब्जी उत्पादन के साथ अन्य फसलों के उत्पादन करने का मूलमंत्र जब इस गांव के लोगों को मिला तो सबने मिलकर मेहनत की और अब इस गांव में हर कामगार के पास साल भर का काम है। एक एकड़ वाला किसान भी सब्जी उत्पादन कर अपने परिवार को अच्छी तरह से पाल रहा है। उन्नतशील किसान राम राज यादव, राम लाल, मइयादीन यादव और अशोक कुमारी कहती है कि खेती का सबसे बड़ा मूलमंत्र मेहनत है। रासायनिक खादों के भरोसे न रहकर शून्य बजट के साथ जैविक करने वाले ये किसान साफ तौर पर कृषि विविधीकरण के हर प्रयोगों को बड़ी ही बारीकी से देखकर उसे अंगीकार करने का प्रयास भी करते हैं।
कहते हैं अधिकारी
जिला कृषि अधिकारी हर नाथ सिंह कहते हैं कि खेती के प्रयोग करने का काम जिले के कई किसान कर रहे हैं। पाठा के क्षेत्र में जहां अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान ने एक नई क्रांति लाने का काम किया है वहीं धर्मस्थली के सटे खुटहा गांव में शिव कुमार शुक्ला का नि:संदेह ही स्वागत योग्य है। उनके ज्ञान का फायदा न केवल उनके गांव के लोगों को हो रहा है बल्कि आसपास के गांव वाले भी इसका फायदा उठा रहे हैं।

Monday, November 8, 2010

अब कर्वी से चित्रकूट जाना होगा आसान

चित्रकूट, संवाददाता: कर्वी से होकर धर्मनगरी जाने वालों के लिये खुशखबरी। अरसे से बदहाल सड़क के दिन बहुर गये हैं। नयागांव से डिलौरा तक की सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ हो चुका है। इससे अब कर्वी से छोटे वाहनों से बेड़ी होकर चित्रकूट जाने में चार किलोमीटर के फासले की बचत संभव हो जायेगी।

सब कुछ ठीक रहा तो आजादी के पहले जिस सड़क से होकर हमारे पुरखे धर्मनगरी जाया करते थे चार माह बाद हम उस पर गाड़ियों पर बैठकर जा सकेंगे। उत्तर प्रदेश के बाद मध्य प्रदेश ने भी अब पहल कर कर्वी से नयागांव की दूरी को कम करने का प्रयास किया है। नगर पंचायत की इस पहल का स्वागत तरौंहा, डिलौरा लोहसरिया आदि गांवों के साथ ही स्थानीय लोग कर रहे हैं। पुरानी बाजार के महिला चिकित्सालय चौराहे से होकर धर्मनगरी कुछ ही समय बाद सीधे जाने लायक हो जायेगी। इससे धर्मनगरी पहुंचने में लोगों को चार किलोमीटर का फासला कम हो जायेगा। उल्लेखनीय है कि बांदा से कर्वी होकर इलाहाबाद जाने वाली सड़क बनने के पहले राजशाही समय में धर्मनगरी की यात्रा पैदल ही हुआ करती थी। उस समय ज्यादातर लोग पैदल ही चित्रकूट जाया करते थे। यह यात्रा कर्वी के पुरानी बाजार से प्रारंभ होकर धुस मैदान, तरौंहा, डिलौरा होते हुये मध्य प्रदेश के इलाके में प्रवेश कर नयांगाव से पहुंचती थी। नयागांव से धर्मनगरी का प्रारंभ हो जाती है। वैसे इसके पूर्व उत्तर प्रदेश के जिला प्रशासन ने पहल करते हुये तरौंहा के बाद डिलौरा तक की सड़क बनाकर डामरीकरण करवा दिया था।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बनने वाली सड़क लगभग ढाई किलोमीटर की होगी और इसमें बीच में एक पुल भी बनाया जायेगा। नगर पंचायत अध्यक्ष नीलांशु चतुर्वेदी ने बताया कि अभी मध्य प्रदेश के इलाके में पड़ने वाले पुल का टेंडर हुआ है और दीपावली के बाद सड़क का भी काम प्रारंभ करा दिया जायेगा। इससे पूर्व की दिशा से आने वाले वाहनों को बेड़ी पुलिया जाने की जरुरत नही पड़ेगी। अगर उत्तर प्रदेश की तरफ से साथ मिला तो भविष्य में इसको मुख्य मार्ग में तब्दील कर दिया जायेगा।

मंदिर निर्माण को संतों ने भरी हुंकार

चित्रकूट, संवाददाता: निर्माेही अखाड़े के गोलोकवासी महंत श्री राम आसरे दास जी महाराज की द्वितीय पुण्य तिथि पर जुटे संतों ने हुंकार भरते हुए कहा कि श्री रामलला का मंदिर तो उसी जमीन पर ही बनेगा। मंदिर के बगल में मस्जिद बनने से विवाद कभी खत्म नहीं हो सकता। केंद्र सरकार को सोमनाथ मंदिर की तरह ही कानून बना भव्य मंदिर बनवाने में सहयोग करना चाहिये। निर्माेही अखाडे़ के महंत ओंकार दास महाराज ने कहा कि यह मामला हिन्दू समाज की अस्मिता का है। अभी तो मामला सौहार्द से निपटाने के प्रयास हो रहे हैं पर अगर बात न बनी तो सुप्रीम कोर्ट का रास्ता ही अपनाया जायेगा। अगर मंदिर के बगल में मस्जिद बनी तो विवाद कभी खत्म नही होगा। जब मुस्लिम भाई यह मानते हैं कि वास्तव में वही स्थान की जन्म भूमि है तो फिर बची जमीन को छोड़कर उससे दूर कहीं भी मस्जिद का निर्माण कर लें। हिंदू समाज उसमें पूरी तरह से सहयोग करेगा। विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र सिंह पंकज के विचार भी कुछ इसी तरह के थे। उन्होंने पूज्य संत राम आसरे दास को याद करते हुए उनसे जुड़े संस्मरण सुनाये। कहा कि केंद्र सरकार की मंशा राम जन्म भूमि मामले को निपटाने की कतई नहीं है। वह तो मामले को और ज्यादा लटकाना चाहती थी। इसीलिए रमेश चंद्र त्रिपाठी को एक बार फिर खड़ा किया। इस पर व्यंग्य करते हुए कहा कि जो व्यक्ति पिछले उन्नीस सालों में कोर्ट नहीं पहुंचा वह फिर से कैसे खड़ा किया गया यह तो अब सभी जान गये हैं। विहिप के केंद्रीय मंत्री उमाशंकर ने भी कहा कि वैसे तो परिषद इस मामले में नहीं जुड़ी है लेकिन वह प्रयास कर रही है कि निर्मोही अखाड़ा और श्री रामलला के सरवराकार एक साथ कोर्ट में पैरवी करें और पूरी की पूरी जमीन इनमें से किसी एक को मिले। जिससे श्री राम लला का भव्य मंदिर बने।
श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करने वालों में रामायणी कुटी के महंत राम हृदय दास, संतोषी अखाड़े के महंत राम जी दास, खाकी अखाड़े के महंत अनूप दास, डा. कौशलेंद्र दास ब्रह्मचारी, राम चंद्र दास, रुप नारायण दास व विहिप के प्रांतीय मंत्री अवध बिहारी मिश्र, धर्माचार्य संत प्रमुख अशोक तिवारी, जुगराज धर द्विवेदी जबलपुर, शैलेन्द्र त्रिपाठी भोपाल, शैलेन्द्र त्रिपाठी, प्रांतीय संयोजक बजरंग दल, अतुल द्विवेदी प्रांतीय गौरक्षा प्रमुख देवेन्द्र राठौर अयोध्या, भोले जी, मुन्ना पुजारी रहे। इसके साथ चित्रकूट परिक्षेत्र के सभी प्रमुख महंत व संत समेत तमाम सम्मानित जन मौजूद रहे।

विहिप जल्द जायेगी जनता के द्वार

जनता के सामने श्री रामलला की जमीन के ऐतिहासिक, पुरातात्विक व धार्मिक साक्ष्य रखेगी

चित्रकूट, संवाददाता: अभी तो हाईकोर्ट के माध्यम से आधे संघर्ष पर जीत हासिल की है। आगे का संघर्ष और भी ज्यादा कठिन है। लेकिन जब खुद ही राम लला अपनी पैरवी कर रहे हैं तो फिर चिंता किस बात की। लेकिन केंद्र सरकार को चाहिये कि अपना मुख और मुखौटा एक करे और हिंदुओं की जमीन को हिंदुओं को कानून बनाकर सौंप दे। जिससे पूर्व विश्व के सामने पुरुषों में सबसे उत्तम मर्यादा के स्वरूप श्री राम लला सरकार का भव्य मंदिर का निर्माण हो सके।
यह विचार गोलोकवासी निर्मोही अखाड़े के श्री महंत स्वामी राम आसरे दास जी महाराज की दूसरी पुण्य तिथि पर आये विश्व हिंदू परिषद के नेताओं ने जागरण से विशेष बातचीत में व्यक्त किये। राष्ट्रीय धर्माचार्य प्रमुख अशोक तिवारी ने सीधे तौर पर कहा कि जब श्री राम लला खुद ही अपने पक्षकार हैं तो फिर मामला गड़बड़ कैसे हो सकता है। परिषद का काम तो निर्मोही अखाड़ा व श्री राम लला की तरफ से पैरवी करने वालों को एक साथ सुप्रीम कोर्ट में खड़ा करने की है। इस दिशा में प्रयास जारी भी है। उन्होंने कहा कि अब जल्द ही जनता की अदालत के सामने हाई कोर्ट के द्वारा दिये गये फैसले के समय बताई गई पूरी सच्चाई को लाया जायेगा। जब ऐतिहासिक, धार्मिक और पुरातात्विक सभी तरह के साक्ष्य श्री राम मंदिर के समर्थन में अपनी गवाही दे रहे हैं तो फिर तैंतीस प्रतिशत जमीन को मुस्लिम समाज को देना कहां का उचित है। उन्होंने कहा कि फैसला आने के पहले विहिप और बजरंग दल के नेताओं को जेल में भेजना और नजरबंद कर देना कहां का उचित था। हिंदू की मानसिकता दंगा फैलाने या लड़ाई झगड़े की नही होती।
बजरंग दल के प्रांतीय संयोजक शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी हिंदुओं के पक्ष में ही आयेगा। सुलह समझौते का प्रयास चल रहा है पर मुस्लिम नेताओं का तो अपना ही राग है। जब कोर्ट ने उनके मामले को ही खारिज कर दिया तो अब वे जाने क्यों हल्ला मचा रहे हैं। जबलपुर से आये जुगराजधर द्विवेदी, भोपाल से आये बिहारी लाल, प्रांतीय गौरक्षा प्रमुख अतुल द्विवेदी व अवध बिहारी मिश्र ने भी अपने विचार कुछ इसी अंदाज में दिये।

आईआईएम छात्रों ने नानाजी के जीवांत मानव दर्शन को देखा

चित्रकूट, संवाददाता: एकात्म मानव दर्शन की राह पर चलकर जब नानाजी देशमुख ने गांवों के लोगों को स्वावलंबन के सहारे रास्ते पर लाने का काम किया तो हालात बदलने लगे। देखते ही देखते न केवल गांवों में खुशहाली आने लगी और लोगों का मेहनत करने के प्रति समर्पण बढ़ने लगा। इस मॉडल को देखने के लिये मंगलवार को इंदौर के आईआईएम से छात्रों के दल ने दीन दयाल शोध संस्थान के विभिन्न प्रकल्पों को देखा और खुले मन से तारीफ की।

प्रो. वैभव भदौरिया के नेतृत्व में आये छात्रों ने कृषि विज्ञान केंद्र मझगंवा, कृष्णा देवी वनवासी बालिका आवासीय विद्यालय, उद्यमिता विद्या पीठ, राम दर्शन, गुरुकुल संकुल, नन्ही दुनिया और आरोग्य धाम द्वारा आयोजित गतिविधियों को देखा।
संस्थान के प्रधान सचिव डा. भरत पाठक ने कहा कि आप लोगों की प्रबंधन की यह पढ़ाई सिर्फ पैसा कमाने का साधन न बने बल्कि समाज और राष्ट्र की चिंता करते हुये राष्ट्र के विकास में भागीदारी का माध्यम बने।
जेपी फाउंडेशन की निदेशक डा. नंदिता पाठक ने युवा शक्ति को अपने अतीत से प्रेरणा लेते हुये राष्ट्र के हितों को साधकर जुटने की बात कही।