यूपी और एमपी के अधिसंख्य प्रत्याशी चुनाव से पहले और बाद में हाजिरी लगाते हैं भगवान कामतानाथ के दरबार में।
चित्रकूट में रम रहे रहिमन अवध नरेश, जेहि पर विपदा परत है सोई आवत यहि देश।' शहंशाह जलालुद्दीन अकबर के नवरत्नों में एक रहे भक्तिकाल के महान कवि अब्दुल रहीम खानखाना ने उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के मिलनस्थल चित्रकूट को अपने प्रवासकाल में विपत्ति निवारण करने के स्थान के रूप में वर्णित किया था, जो आज भी सर्वथा सही है। आज भी यहां क्या आम और क्या खास, सभी लोग इसी आस से लाइन लगाते हैं।
इसी संदर्भ में संत तुलसीदास रचित श्री रामचरितमानस की पंक्तियां 'कामदगिरि भए राम प्रसादा, अवलोकत अपहरद विषादा' उस सत्य को परिभाषित कर देती हैं, जो कि आजकल लोकसभा के चुनाव मैदान में उतरने वाले हर प्रत्याशी के दिलों से होकर गुजर रहा है। उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में बंटे बुंदेली भूभाग के अठारह जिलों के साथ ही सेंट्रल यूपी में चुनाव के मैदान में अपनी दावेदारी ठोंकने के उद्देश्य से उतरे प्रत्याशी कम से कम दो बार तो यहां पर आकर अपनी हाजिरी जरूर लगाते हैं। इन दो प्रदेशों के साथ ही राजस्थान और बिहार के तमाम ऐसे राजनेता भी हैं, जो अपनी पहचान छिपाकर भगवान कामता नाथ के दरबार में हाजिरी लगाकर चले जाते हैं।
प्राचीन श्री कामतानाथ मुखार बिंद के पुजारी प्रेम चंद्र मिश्र बताते हैं कि यहां पर चुनाव के दौरान अथवा चुनाव के बाद राजनेताओं का आना नया नहीं है। इस धर्म क्षेत्र में आने वाला प्रत्येक वीआईपी इस मंदिर में आकर मत्था जरूर टेकता है। इसके साथ ही वह पांच किलोमीटर की परिक्रमा भी लगाता है। चुनाव के पहले प्रत्याशी टिकट के लिये व टिकट मिलने के बाद जीत के लिये मनौती मांगते है। चुनाव जीतने के बाद लोग भंडारे भी करते हैं।
जगद्गुरु स्वामी राम भद्राचार्य जी महाराज कहते हैं कि चित्रकूट केवल विपत्तियों को हरने वाला स्थान नही बल्कि मनुष्य को नई सोच देने वाला स्थान भी है। भगवान राम को भी राक्षसों के विनाश के लिये नई सोच यहीं से मिली थी। चुनावों के दौरान नेताओं का आगमन तो उनकी स्वयं के कार्य की सिद्धि के लिये होता है, उनकी मनवांछित कामनायें प्रभु पूरी भी करते हैं।
इस स्थान की सबसे खास बात यह है कि यहां किया वादा आपको निभाना भी पड़ता है। चित्रकूट के राजवंश के हेमराज जू चौबे 'नन्हे भइया' कहते हैं, ''स्वामी कामतानाथ ऐसे देव हैं जो उपेक्षा बर्दाश्त नहीं करते। मनवांछित फल देने के साथ ही पदच्युत करने के भी कई उदाहरण सामने है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, रक्षा मंत्री जार्ज फर्नाडिस इसी कोप के शिकार हो चुके हैं!''
[संदीप रिछारिया]
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