Thursday, January 30, 2020

पाक साफ संतों की ‘नापाक‘ हरकत

श्री कामदगिरि की परिक्रमा का अतिक्रमण साफ करने का दावा करने वाले प्रशासन की बिरजाकुंड के पास प्राचीन बीहर पर कब्जा करने वाले को क्लीन चिट 

संदीप रिछारिया

सीएम योगीजी के आदेश व श्रद्वालुओं की बढ़ती संख्या को लेकर प्रशासन ने अब श्रीकामदगिरि परिक्रमा पथ पर बसी खोही बस्ती की जमीन को खाली कराकर चौड़ीकरण कराने के लिए पूरी तरह से कमर कस ली है। राजस्व व वन विभाग ने लगभग एक सैकड़ा लोगों को नोटिस देकर दस दिनों में जमीन खाली करने के आदेश दिए हैं। जिलाधिकारी की बैठक के बाद जहां एक
ओर जमीनों पर रह रहे लोग परेशान हैं, वहीं तमाम अतिक्रमण किए हुए स्थानों पर संत समाज द्वारा अतिक्रमण किए जाने को लेकर स्थानीय लोगों में तीखी नाराजगी भी है। वैसे पर्वत की तरफ अस्थायी व स्थायी निर्माण कर रहने वाले लोगों के भी दो मत हैं। पट्टों की जमीन पर भूमिधरी होने के बाद तमाम लोग अदालतों के आदेश लेकर मुआवजा की मांग कर रहे हैं तो बहुत से लोग इस कार्यवाही को गलत बता रहे हैं।
परिक्रमा मार्ग पर दुकान लगाकर गुजर बसर करने वाली अंशु, दादू, पप्पू जैसे तमाम दुकानदार कहते हैं कि हमारा अतिक्रमण तो सामने प्रशासन को दिखाई दे रहा है, पर संत समाज का अतिक्रमण नहीं दिखाई दे रहा है। बिरजा कुंड के पास निर्मोही अखाड़ा ने कब्जा कर पहले छोटी कुटिया बनाई और धीरे धीरे रामधुन बैठाकर मंहिदर का निर्माण किया। चाहद्दी बनाकर पर्यटन विभाग के दो शेडों को अपने सीमा के अंदर कर पूरी तरह से कब्जा कर लिया और राजाओं की बनाई पुरानी बेशकीमती चार मंजिला बीहर को पूरी तरह से गायब करने के लिए बाहर कमरे इत्यादि बना दिए। पट्टे की जमीन को भूमिधरी और फिर उस जमीन पर प्राचीन बनी बीहर का कब्जा प्रशासन को केवल इसलिए नहीं दिखाई दे रहा है क्योंकि वहां से जुड़े एक महंत प्रशासन के बहुत नजदीकी हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यह प्रशासन की दोगली नीति नही चल पाएगी। इसको लेकर आंदोलन किया जाएगा व कोर्ट की शरण ली जाएगी। जब प्रशासन कहता है कि हजार साल पुराना पट्टा भी अवैध है तो फिर इस पट्टे को क्यों नही खारिज किया जा रहा है। क्यों प्राचीन बीहर व पर्यटन विभाग द्वारा बनवाए गए शेडों को यात्रियों की सुविधा के लिए खोला जा रहा है।
 उप जिलाधिकारी कर्वी ने बताया कि प्राचीन बीहर होने जानकारी मिली है। इसकी पूरी जांच कराकर विधिक कार्यवाही की जाएगी। 

Tuesday, January 28, 2020

ब्रह्मपुरी,,,,,मानव जन्म का पहला स्थल चित्रकूट,,,,,भाग दो

पुराणों में स्वर्ग से भी ज्यादा सुंदर स्थान बताया गया है
संदीप रिछारिया
चित्रकूट के स्थानों में ब्रह्मपुरी का प्रधान स्थान है । सैकड़ों चित्रकूट वासी श्रद्धालु ब्रह्मपुरी की प्रतिदिन प्रदक्षिणा करते है । वृहद् रामायण तो यहाँ तक कहती है -
नार्यावर्त समादेशो न बह्म सदृशी पुरी ।
न राघव समोदेवः क्वापि ब्रह्माण्डगोलके ।।
अर्थात- इस ब्रह्माण्ड में न तो आर्यावर्त जैसा देश है, न ब्रह्मपुरी जैसी पुरी है, न श्री राम जैसा देवता ही है ।
स्वर्गलोकादधिकं रम्यं नास्ति ब्रह्माण्ड गोलोके
स्वर्गलोक से रम्य कोई भी स्थान नहीं होता पर यह ब्रह्मपुरी स्वर्ग से भी अधिक रम्य है । वर्णन है -
स्वर्गलोकाद्रमणीय च पुरी ब्रह्म प्रतिष्ठिता
अधिक क्या  जब प्रभु श्री राम ने पर्णशाला का निर्माण
इसी पुरी के मध्य किया तब उससे रमणीय होगा ही क्या...... 
निर्वाणी अखाड़े के महंत स्वामी सत्यप्रकाश दास जी स्पस्ट रूप से इस तथ्य को कहते है कि चित्रकूट में यज्ञ वेदी मन्दिर में स्थित ब्रह्मा जी द्वारा बनाया गया हवनकुंड सतयुग से लेकर आज भी जाग्रत अवस्था में है। यहाँ पर आकर दर्शन करने वालो के पापो का नाश होता है व सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

Monday, January 27, 2020

चित्रकूट में मौजूद है सृष्टि के आरंभ का स्‍थान ब्रह़मपुरी -- भाग एक

आइये हम आपको परिचित कराते हैं आपके डीएनए से 

- चित्रकूट में बना था मानव का पहला डीएनए
- सप्तऋषियों के साथ वेद, पुराण, निगम, आगम व देवी सरस्वती को उत्पन्न किया था प्रजापति ब्रहमा जी ने

- मनु व सतरूपा थे पहले पुरूष व स्त्री 

संदीप रिछारिया 
डीएनए यानि डी-आक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल, यह अब ऐसा शब्द है जिससे लगभग सभी लोग परिचित हो चुके हैं। वास्तव में यह हमारे उन गुणसूत्रों का पता देता है कि हमारी जड़े कहां से जुड़ी हैं और हमारी मूल आदतें क्या हैं। आधुनिक विज्ञान की यह खोज 1953 में अंग्रेजी वैज्ञानिक जेम्स वाॅटसन और फ्रान्सिस क्रिक ने की। लेकिन हम आपको यह बताते हैं कि आपकी जड़े मूलरूप कैसे और कहां से जुड़ी हैं। कहां है आपकी पितृधरती और कौन है आपके गुणसूत्रों के प्रथम संवाहक। अगर आप हिंदू धर्म को मानने वाले हैं तो आपको थोड़ा सजगता के साथ याद करना होगा। किसी भी पूजा या अनुष्ठान में संकल्प करते समय जब पुरोहित आपसे आपका नाम लेने के लिए बोलते हैं तो साथ में गोत्र का उच्चारण करने के लिए भी आदेश देते हैं। वास्तव में यह गोत्र रूपी शब्द ही आपके डीएनए का पहला श्रोत है। गोत्र का मतलब आप सप्त में से किसी एक उस ऋषि के वंशज हैं, जिन्हें प्रजापिता ने धरती पर अवतरित किया था।
अब सवाल उठता है कि परमपिता ने उन्हें कहां और किसी प्रकार उत्पन्न किया था। इसका जवाब यह है कि त्रिदेवों (ब्रहमा, विष्णु व महेश ) द्वारा पूजित यह धरती सृष्टि आरंभ के पूर्व से ही अपने आपमें अनोखी रही है। त्रिदेवों ने मंत्रणा कर जब सृष्टि के आरंभ के लिए योजना बनाई तो निर्णय लिया गया कि इसकी शुरूआत चित्रकूट की पावन धरती से ही होगी। क्योंकि आने वाले समय में यही एक मात्र ऐसी धरती होगी, जहां पर स्वयं महादेव के राज में ब्रहमा व विष्णु की पूजा होगी। ब्रहमाजी ने योेजना के अनुसार श्री हरि विष्णु के चरण कमलों से विश्व की पहली नदी पयस्वनी ( दूध के समान ) को प्रकट किया और स्वयं रामार्चा रूपी यज्ञ में लग गए। समयानांतर के बाद मन से मारीच, नेत्रों से अत्रि, मुख से अंगिरा, कान से पुलस्त, नाभि से तुलह, हाथ से कृतु, त्वचा से भ्रगु, प्राण से वशिष्ठ, अंगूठे से दक्ष तथा गोद से नारद उत्पन्न हुए। इसी प्रकार दाएं स्तन से धर्म, पीठ से अधर्म, हृदय से काम, दोनों भौहों के बीच से क्रोध, मुख से सरस्वती, नीचे के होठ से लोभ, लिंग से समुद्र, छाया से कर्दम ऋषि, प्रकट हुए। उनके पूर्व मुख से ऋग्वेद, दक्षिण से यजुर्वेद, पश्चिम से सामवेद और उत्तर मुख से अथर्ववेद की ऋचाएं निकलीं। इसके बाद उन्होंने आयुर्वेद, धनुर्वेद, गन्धर्ववेद तथा स्थापत्व आदि उप वेदों की रचना की। उन्होंने अपने मुख से इतिहास पुराण उत्पन्न किया और फिर योग विद्या, दान, तप, सत्य, धर्म की रचना की। उनके हृदय से ओंकार,अन्य अंगों से वर्ण,स्वर, छंद आदि क्रीडा के सात स्वर निकले। इसके बाद ब्रहमा जी को लगा कि सृष्टि में वृद्वि नहीं हो रही है तो उन्होंने अपने शरीर को दो भागों में विभक्त कर दिया। जिसका नाम का औैर या हुए। का से पुरूष व या से स्त्री की उत्पत्ति हुई। पुरूष का नाम मनु व स्त्री का नाम सतरूपा रखा गया। 
आज के परिवेश में चित्रकूट में ब्रहमा जी का वह मंदिर यज्ञवेदी के रूप् में रामघाट के उपर विद्यमान है। यहां पर उनका बनाया हवन कुंड भी है। चित्रकूट के अलावा ब्रहमा जी की पूजा पुष्कर में होती है। इसके पीछे भी तमाम अंर्तकथाएं हैं। कोई अंर्तकथा शिव जी के श्राप को बताती है तो कोई अंर्तकथा विष्णु के श्राप को। लेकिन सार्वभौमिक सत्य यह है कि हर एक व्यक्ति का पहला डीएनए चित्रकूट की धरती पर आज भी विद्यमान है।
कैसे खोजें अपना डीएनए 
डीएनए को पता लगाने के संदर्भ में आचार्य नवलेश दीक्षित जी आसान सा जवाब देते हैं। लगभग हर हिंदू जब पूजा पाठ में बैठता है तो उससे पुरोहित नाम व गोत्र का उच्चारण करने को बोलते हैं। गोत्र ही उनके डीएनए का मुख्य बिंदु है। आपको अपने डीएनए की सत्यता पता लगानी है तो अपने गोत्र के ऋषि व उनके वंशजों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी करें, उनके आदतों व लक्षणों को देखकर आप अपने आप ही सत्य से भिज्ञ हो जाएंगे। 

Sunday, January 26, 2020

प्लान, बैठक और निर्देशों में सिमट रहा चित्रकूट का विकास

 फिर जिलाधिकारी ने दिए तीन दिन में अतिक्रमण हटाने के निर्देश 
- पहली बार 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने परिक्रमा पथ का अतिक्रमण हटाने के दिए थे निर्देश 
- दिन भर दो पहिया व चार पहिया वाहनों के परिक्रमा पथ पर दौड़ने से श्रद्वालुओं को होती है परेशानी 
संदीप रिछारिया
 भविष्य के विकसित पर्यटन क्षेत्र के विकास का ताना बाना अब तेजी से बुना जा रहा है। प्रधानमंत्री का कार्यक्रम बार-बार चित्रकूट आने का बनता और कैंसिल हो रहा है। भाजपा के मंत्रियों और नेताओं के मुंह से लगातार मोदी और योगी की यह तारीफ निकल रही है कि चित्रकूट का उन्हें ध्यान है, इसका विकास सर्वोपरि है। पिछले तीन सालों से डिफकेंस काम्रीडोर व एक्सप्रेस वे का हल्ला है। भारत माला प्रोजेक्ट, रामवन पथ गमन का भी शोर बहुत किया गया, पर अभी तक किसी भी प्रोजेक्ट का प्रारंभ जमीन पर नही हो सका। अलबत्ता अधिकारियों व नेताओं के मुंह से जमीन खरीदने की बात जरूर सुनी और सुनाई जाती है।
चित्रकूट के वास्तविकता में विकास की बात की जाए तो यह काम सबसे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने किया था। पांच दिवसीय चित्रकूट प्रवास के पहले ही उन्होंने तमाम ऐसेे काम 2005 में करवा दिए थे जिसकी कल्पना भी उस समय करना बेमानी थी। इसके बाद विकास के तमाम सोपानों को आगे बढाने का काम उनके पुत्र अखिलेश यादव ने किया। वर्तमान परिक्रमा पथ का स्वरूप मुलायम सिंह यादव का है, जबकि रोप वे व शिवरामपुर, बेडीपुलिया व भरतकूप से आने वाली सुन्दर फोन लेन सड़कें बनाने काम अखिलेश यादव ने किया था। यह बात दीगर है कि अब उन्हीं कामों को योगी जी अपना बताकर वाहवाही लूट रहे हैं।
वैसे चित्रकूट को और ज्यादा मनोरम बनाने का दावा मुख्यमंत्री जी का है, वे लगातार प्रयास कर भी रहे हैं। लखनउ के अधिकारी भी लगातार बैठकें कर निर्देश देकर अपने नंबर बढवाने का काम कर भी देते हैं, स्थानीय स्तर पर भी अधिकारियों ने यही काम करने का इरादा कर रखा है। लगातार बैठक, निर्देश का क्रम चल रहा है, पर कहीं पर भी वास्तविकता में काम होता नही दिखाई दे रहा है। यही हाल पुलिस व्यवस्था का है। अमावस्या पर दुकानदारों को हडकाने के अलावा पुलिस के पास कोई काम नही है। दिन ीार परिक्रमा पथ पर चार पहिया वदो पहिया वाहन दौड़ते रहते हैं। लोगों व बंदरों को घायल करते रहते हैं। रविवार की सुबह रानीपुर भटट में मिनरल वाटर सप्लाई करने वाली एक गाड़ी ने बरहा के हनुमान जी के समीप परिक्रमा पथ पर एक अंधे साधू व चार महिलाओं को घायल करने का काम किया। इस दौरान जब भागकर वहा पर प्रधानपति अरूण त्रिपाठी पहुंचे और उन्होंने उससे कहा कि आप परिक्रमा पथ के अंदर अपनी चार पहिया गाड़ी लेकर कैसे आए तो उन्होंने एक पूर्व सांसद का नाम लेकर धौस दिखाने का प्रयास किया। काफी देर की बतरसी के बाद जब पूर्व सांसद को फोन लगाया गया तो उन्होंने उसको पहचानने से इंकार कर दिया।
परिक्रमा पथ के अतिक्रमण को हटाने के नाम पर कई बार नोटिस जारी की गई। अस्थायी नोटिस जारी करने के नाम पर परिक्रमा पथ पर ब्रेंचों में छोटा मोटा सामान रखकर बेंचने वालों को पुलिस व राजस्व कर्मियों की प्रताडना का शिकार लगातार होना पड़ रहा है। परिक्रमा पथ के किनारे लगातार अवैध रूप से पक्के निर्माण हो रहे हैं उन पर किसी का भी ध्यान नही जाता। जलेबी वाली गली हो या फिर खोही के अंदर की रोड पक्के निर्माणों से रास्ता संकरा होता जा रहा है। सफाई की व्यवस्था भी लचर है। सूरज उगने के बाद ही सफाई कर्मी काम पर आतेे और साफ करते हैं।
अधिकारियों से बात करने पर निर्देश देने की बात सामने आती है। हैरत की बात यह है कि राज्य मंत्री लोक निर्माण विभाग चित्रकूट होने पर प्रतिदिन परिक्रमा लगाते हैं और तमाम ऐसी समस्याएं उन्हें दिखाई नही देती। इसको लेकर स्थानीय जनसमुदाय का रूख उनके प्रति अच्छा नही है। संत त्यागी जी महराज कहते हैं कि परिक्रमा पथ पर वाहन किसी भी हालत में चलने नही देना चाहिए। यहां पर बाजारीवाद बहुत बढ़ गया है। चार पहिया व दो पहिया से परिक्रमा लगाने के लिए अलग से पथ का निर्माण कराना चाहिए। पुलिस को चाहिए कि हर 100 मीटर में एक जवान की डयूटी लगाए और वह जवान दो पहिया व चार पहिया वाहन चालकों का चालान करने के साथ ही वाहनों को जब्त करने का भी काम करे। इस नियम का कड़ाई से पालन करने पर ही परिेक्रमा पथ पर वाहनों का प्रवेश बंद हो पाएगा।





Thursday, January 23, 2020

चमत्कार: बिना पार्किंग के खड़ी होती है हजारों गाड़ियां







विश्व प्रसिद्व धार्मिकस्थल चित्रकूट का तेजी से गौरव बढ़ाने का काम अब सरकार कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा घोषित व बिड कराई गई फोर लेन सड़कें लगभग तैयार हो चुकी हैं। हैरत की बात यह है कि चित्रकूट महायोजना 2020 में जहां बेडीपुलिया से लेकर सीतापुर पर्यटक तिराहे तक के क्षेत्र को होटलों व लाॅजों के लिए घोषित किया गया था, वहीं होटल व लाॅजों के चलाने के लिए कुछ नियमन भी तय किए गए थे। इनमें सबसे प्रमुख नियम पार्किंग का था। 


 लेकिन सदियों से चित्रकूट में आने वाले यात्रियों के वाहन खड़े करने के लिए प्रशासन ने कभी भी वाहन पार्किंग स्टैंड के लिए विचार नही किया। पिछले दस सालों में चित्रकूट में होटलों व लाॅजों की संख्या में तो तेजी से वृद्वि हुई है, पर किसी भी होटल या लाॅज वाले ने पार्किंग का निर्माण सही रूप में नही करवाया है। चित्रकूट में प्रतिदिन आने वाले सैकड़ों चार पहिया व छह पहिया वाहन सडक के किनारे और सड़कों पर ही पार्क होते दिखाई देते हैं। हैरत की बात यह है कि 6 मई 1997 को चित्रकूट के जिला बनने के बाद अभी तक दर्जनों जिलाधिकारी आकर चले गए और किसी ने भी उप्र क्षेत्र में पार्किंग के विषय में नही सोचा और न ही प्रस्ताव किया। 
गौरतलब है कि साल की 12 अमावस्या में लगभग 10 अमावस्या भारी भीड वाली होती है। जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्वालु आते हैं और हजारों की संख्या में वाहन, इन वाहनों को मठ मंदिर या होटल लाॅजों के बाहर खडा होता आराम से देखा जा सकता है। वैसे अब तो रामायण मेला परिसर के पास व अन्य स्थानों पर यात्रियों के द्वारा की जाने वाली अराजकता को आराम से देखा जा सकता है, ज बवह बीच सडक पर ही कब्जा कर खाना इत्यादि बनाना प्रारंभ कर देते हैं। प्रशासन मेला के समय एक दो दिन के लिए लोगों के खेतों पर अस्थायी तौर पर स्टैंडों का निर्माण करा देता है, लेकिन यह व्यवस्था लगातार होनी चाहिए। सूत्रों बताते हैं कि चित्रकूट में अभी तक तमाम जमीनें ग्राम समाज व सरकारी पड़ी हैं, जिन पर अवैध कब्जे हैं। लेकिन भूमाफियाओं के चलते उन पर कभी भी किसी निर्माण के लिए प्रशासनिक अधिकारी तैयार नही हुए।

कानपुर से आए अनुज दीक्षित, राजू सराफ आदि लोगों ने कहा कि होटलों में रूकने के बाद भी पार्किंग की व्यवस्था न होना अत्यंत दुखदायी है। कामदगिरि मुख्य द्वार पर तो मध्य प्रदेश की नगर पंचायत के लोग सड़क पर वाहन खडा कराकर पार्किंग शुल्क वसूल लेते हैं। ऐसा नही होना चाहिए। लोगों ने कहा कि मप्र में कामतानाथ, अनुसुइया, गुप्त गोदावरी, स्फटिक शिला में हर जगह अलग -अलग पार्किंग का पैसा लिया जा रहा है। यह भी गलत है। लोगों ने चित्रकूट जैसे अलौकिक आभा वाले धार्मिक पर्यटन क्षेत्र को दो प्रदेशों में बंटा होना भी गलत बताया। कहा कि इसे मुक्त क्षेत्र घोषित होना चाहिए। 

Sunday, January 19, 2020

राहू के प्रकोप से ग्रसित है धर्मनगरी की कुंडली

 ! 

- प्रधानमंत्री बनने के बाद एक बार भी मोदी नहीं आए चित्रकूट
- पिछले साल दो बार कैंसिल हो चुके हैं केंद्रीय मंत्रियों के कार्यक्रम 

संदीप रिछारिया 

गौरतलब है कि पिछली एनडीए सरकार में चित्रकूट को विकसित बनाने के लिए रक्षा कोॅरीडोर व बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे की सौगात दी गई थी। घोषणा की गई थी कि यहां पर गोली से लेकर गोला तक का निर्माण करने के लिए रक्षा की इकाइयां लगेगीं। पहाडी के पास 3000 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण भी कर लिया गया। इसी प्रकार बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे को चित्रकूट जनपद के भरतकूप से प्रारंभ होकर बांदा, महोबा, हमीरपुर, उरई होते हुए औरैया जनपद में लखनउ- दिल्ली एक्सप्रेस वे से मिलना था। इसके लिए भी जमीन का अधिग्रहण होने के बाद 4 कंपनियों को बिड भी हो चुकी है।
वैसे तो प्रधानमंत्री का कार्यक्रम चित्रकूट की धरती पर आने का पिछले लगभग एक साल से बन रहा है, लेकिन शायद यह धर्मनगरी का दुर्भाग्य है कि उनका आना यहां पर अभी तक नहीं हो पाया है।
                                                                                                                                                                   
जगदगुरू रामभद्राचार्य जी महराज के उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास जी महराज कहते हैं कि चित्रकूट की कुंडली में कोई दोष नही है। तिथि, वार, लग्‍न और नक्षत्र जब तक पूर्ण रूप से ि‍किसी के साथ नही होते, तब तक कोई मंगल कार्य नही होता।
जब तक किसी व्यक्ति का भाग्य का उदय नही होता, तब तक चित्रकूट उसे नही बुलाता। जब तिथि, वार, ग्रह, नक्षत्र आदि सब अनुकूल होंगे तो प्रधानमंत्री जी हों या फिर अन्य विशेष महानुभाव चित्रकूट अवश्य आएंगे।

श्री कामदगिरि प्रमुख द्वार के संत मदनदास महराज कहते हैं कि  वैसे तो चित्रकूट का दोहा है कि जेहि पर विपदा
 परत है, सो आवत यहि देश। लेकिन देश काल रीति के हिसाब से दोहों का अर्थ बदल जाता है। हम दूसरे मायने में यहभी कह सकते हैं कि चित्रकूट और मोदी जी के ग्रह आपस में नही मिल पा रहे हैं, जिससे उनका आना यहां पर हो सके। हमारी इच्छा है कि जल्द ही उनके चित्रकूट आने का संयोग बनेगा और यहां का विकास तेजी से होगा। हम तो यही आशा कर सकते हैं कि वह यहां पर जल्‍द आएं और धर्मनगरी के विकास की इबारत बडे स्‍तर पर लिखने की शुरूआत हो। हमारी मंगलकामना है ि‍कि जल्‍द ही इस तरह का सुयोग हो और श्री मोदी जी यहां पर पधारें।
 
जिलाधिकारी शेषमणि पांडेय कहते हैं कि ये तो संयोग है। वह देश के सर्वोच्च पद पर बैठे राजनेता है । कार्यक्रम की मौखिक सूचना आई थी। हमने तैयारियां भी की थीं। इसके लिए भरतकूप क्षेत्र में तैयारियां भी कर ली गईं थी। लेकिन औपचारिक सूचना नही आने पर तैयारियां को रोक दिया गया। जब भी उनका कार्यक्रम बनेगा, फिर से सूचना आएगी और उनके स्‍वागत के लिए पूरा प्रबंध किया जाएगा।

Tuesday, November 14, 2017

शास्‍त्र ही नहीं शस्‍त्र की धनी भी है यह धरती,, हनुमानधारा में शहीद हुए थे हजारों संत

आदिकाल से धर्म की ध्वजा को विश्व में फैलाने वाला 'चित्रकूट' खुद में अबूझ पहेली है। तप और वैराग्य के साथ स्वतंत्रता की चाह में अपने प्राण का न्योछावर करने वालों के लिये यह आदर्श भूमि सिद्ध होती है। राम-राम की माला जपने वाले साधुओं ने वैराग्य की राह में रहते हुये मातृभूमि का कर्ज चुकाने के लिये अंग्रेजों की सेना के साथ दो-दो हाथ कर लड़ते-लड़ते मरना पसंद किया। लगभग तीन हजार साधुओं के रक्त के कण आज भी हनुमान धारा के पहाड़ में उस रक्तरंजित क्रांति की गवाह हैं।
बात 1857 की है। पूरे देश में अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल बज चुका था। यहां पर तो क्रांति की ज्वाला की पहली लपट 57 के 13 साल पहले 6 जून को मऊ कस्बे में छह अंग्रेज अफसरों के खून से आहुति ले चुकी थी।
एक अप्रैल 1858 को मप्र के रीवा जिले की मनकेहरी रियासत के जागीरदार ठाकुर रणमत सिंह ने लगभग तीन सौ साथियों को लेकर नागौद में अंग्रेजों की छावनी में आक्रमण कर दिया। मेजर केलिस को मारने के साथ वहां पर कब्जा जमा लिया। इसके बाद 23 मई को सीधे अंग्रेजों की तत्कालीन बड़ी छावनी नौगांव का रुख किया। पर मेजर कर्क की तगड़ी व्यूह रचना के कारण यहां पर वे सफल न हो सके। रानी लक्ष्मीबाई की सहायता को झांसी जाना चाहते थे पर उन्हें चित्रकूट का रुख करना पड़ा। यहां पर पिंडरा के जागीरदार ठाकुर दलगंजन सिंह ने भी अपनी 1500 सिपाहियों की सेना को लेकर 11 जून को 1958 को दो अंग्रेज अधिकारियों की हत्या कर उनका सामान लूटकर चित्रकूट का रुख किया। यहां के हनुमान धारा के पहाड़ पर उन्होंने डेरा डाल रखा था, जहां उनकी सहायता साधु-संत कर रहे थे। लगभग तीन सौ से ज्यादा साधु क्रांतिकारियों के साथ अगली रणनीति पर काम कर रहे थे। तभी नौगांव से वापसी करती ठाकुर रणमत सिंह भी अपनी सेना लेकर आ गये। इसी समय पन्ना और अजयगढ़ के नरेशों ने अंग्रेजों की फौज के साथ हनुमान धारा पर आक्रमण कर दिया। तत्कालीन रियासतदारों ने भी अंग्रेजों की मदद की। सैकड़ों साधुओं ने क्रांतिकारियों के साथ अंग्रेजों से लोहा लिया। तीन दिनों तक चले इस युद्ध में क्रांतिकारियोंको मुंह की खानी पड़ी। ठाकुर दलगंजन सिंह यहां पर वीरगति को प्राप्त हुये जबकि ठाकुर रणमत सिंह गंभीर रूप से घायल हो गये। करीब तीन सौ साधुओं के साथ क्रांतिकारियों के खून से हनुमानधारा का पहाड़ लाल हो गया।
महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग के अधिष्ठाता डा. कमलेश थापक कहते हैं कि वास्तव में चित्रकूट में हुई क्रांति असफल क्रांति थी। यहां पर तीन सौ से ज्यादा साधु शहीद हो गये थे। साक्ष्यों में जहां ठाकुर रणमत ंिसह के साथ ही ठाकुर दलगंजन सिंह के अलावा वीर सिंह, राम प्रताप सिंह, श्याम शाह, भवानी सिंह, सहामत खां, लाला लोचन सिंह, भोला बारी, कामता लोहार, तालिब बेग आदि के नामों को उल्लेख मिलता है वहीं साधुओं की मूल पहचान उनके निवास स्थान के नाम से अलग हो जाने के कारण मिलती नहीं है। उन्होंने कहा कि वैसे इस घटना का पूरा जिक्र आनंद पुस्तक भवन कोठी से विक्रमी संवत 1914 में राम प्यारे अग्निहोत्री द्वारा लिखी गई पुस्तक 'ठाकुर रणमत सिंह' में मिलता है।
भाइयो यह पुरानी स्‍टोरी है जो मैं आप सभी की विशेष जानकारी के लिए पोस्‍ट कर रहा हूं। आगे भी इस तरह की पुरानी स्‍टोरियां आप सभी को मिलती रहेंगी।