Thursday, December 23, 2010

जेहि पर विपदा परत है सोई आवत यहि देश

यूपी और एमपी के अधिसंख्य प्रत्याशी चुनाव से पहले और बाद में हाजिरी लगाते हैं भगवान कामतानाथ के दरबार में।

चित्रकूट में रम रहे रहिमन अवध नरेश, जेहि पर विपदा परत है सोई आवत यहि देश।' शहंशाह जलालुद्दीन अकबर के नवरत्नों में एक रहे भक्तिकाल के महान कवि अब्दुल रहीम खानखाना ने उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के मिलनस्थल चित्रकूट को अपने प्रवासकाल में विपत्ति निवारण करने के स्थान के रूप में वर्णित किया था, जो आज भी सर्वथा सही है। आज भी यहां क्या आम और क्या खास, सभी लोग इसी आस से लाइन लगाते हैं।
इसी संदर्भ में संत तुलसीदास रचित श्री रामचरितमानस की पंक्तियां 'कामदगिरि भए राम प्रसादा, अवलोकत अपहरद विषादा' उस सत्य को परिभाषित कर देती हैं, जो कि आजकल लोकसभा के चुनाव मैदान में उतरने वाले हर प्रत्याशी के दिलों से होकर गुजर रहा है। उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में बंटे बुंदेली भूभाग के अठारह जिलों के साथ ही सेंट्रल यूपी में चुनाव के मैदान में अपनी दावेदारी ठोंकने के उद्देश्य से उतरे प्रत्याशी कम से कम दो बार तो यहां पर आकर अपनी हाजिरी जरूर लगाते हैं। इन दो प्रदेशों के साथ ही राजस्थान और बिहार के तमाम ऐसे राजनेता भी हैं, जो अपनी पहचान छिपाकर भगवान कामता नाथ के दरबार में हाजिरी लगाकर चले जाते हैं।
प्राचीन श्री कामतानाथ मुखार बिंद के पुजारी प्रेम चंद्र मिश्र बताते हैं कि यहां पर चुनाव के दौरान अथवा चुनाव के बाद राजनेताओं का आना नया नहीं है। इस धर्म क्षेत्र में आने वाला प्रत्येक वीआईपी इस मंदिर में आकर मत्था जरूर टेकता है। इसके साथ ही वह पांच किलोमीटर की परिक्रमा भी लगाता है। चुनाव के पहले प्रत्याशी टिकट के लिये व टिकट मिलने के बाद जीत के लिये मनौती मांगते है। चुनाव जीतने के बाद लोग भंडारे भी करते हैं।
जगद्गुरु स्वामी राम भद्राचार्य जी महाराज कहते हैं कि चित्रकूट केवल विपत्तियों को हरने वाला स्थान नही बल्कि मनुष्य को नई सोच देने वाला स्थान भी है। भगवान राम को भी राक्षसों के विनाश के लिये नई सोच यहीं से मिली थी। चुनावों के दौरान नेताओं का आगमन तो उनकी स्वयं के कार्य की सिद्धि के लिये होता है, उनकी मनवांछित कामनायें प्रभु पूरी भी करते हैं।
इस स्थान की सबसे खास बात यह है कि यहां किया वादा आपको निभाना भी पड़ता है। चित्रकूट के राजवंश के हेमराज जू चौबे 'नन्हे भइया' कहते हैं, ''स्वामी कामतानाथ ऐसे देव हैं जो उपेक्षा बर्दाश्त नहीं करते। मनवांछित फल देने के साथ ही पदच्युत करने के भी कई उदाहरण सामने है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, रक्षा मंत्री जार्ज फर्नाडिस इसी कोप के शिकार हो चुके हैं!''
[संदीप रिछारिया]

Friday, November 26, 2010

शूटिंग में पदक के लिए होगी मशक्कत

धर्मनगरी की वादियों में शूटिंग रेंज स्थापित करने की पहल

चित्रकूट, संवाददाता: जल्द ही धर्मनगरी की वादियों में बंदूकों के गरजने की आवाजें आम हो जाएंगी। चौंकिये मत, यह बंदूक की आवाजें डाकुओं और पुलिस के बीच मुठभेड़ की नही बल्कि ओलंपिक का तमगा अपनी धरती पर लाने के लिये होंगी। नेशनल कैडिट कोर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के उपमहानिदेशक बिग्रेडियर आर विनायक ने चित्रकूट के शांत वातावरण को शूटिंग के अनुरुप पाकर यहां पर शूटिंग रेंज स्थापित किये जाने के प्रस्ताव पर अपनी सैद्धान्तिक मुहर लगाते हुये कहा कि उनका सपना तो अगला ओलंपिक का पदक चित्रकूट के बच्चे के हाथ में देखकर पूरा होगा।
दीन दयाल शोध संस्थान के उद्यमिता विद्या पीठ में जागरण से बात करते हुये बिग्रेडियर ने कहा कि नेशनल कैडिट कोर भविष्य बनाता नही बल्कि बच्चों को भविष्य के लिये तैयार करता है। इस समय देश भर में तेरह लाख कैडिट हैं अगले पांच सालों में दो लाख कैडिटों के लिये और भी एनसीसी में आने के अवसर बन रहे हैं। चित्रकूट के आयुर्वेदिक कालेज में भी एनसीसी की यूनिट के लिये जल्द ही सीनियर डिवीजन की एनसीसी की स्वीकृति कर दी जायेगी।
उन्होंने गर्व के साथ बताया कि मध्य प्रदेश के राज्यपाल, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री समेत सुषमा स्वराज्य, जया बच्चन, फारुक अब्दुला जैसी तमाम हस्तियां नेशनल कैडिट कोर के सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में जल्द ही 5 फेस में 10 नयी यूनिटों को खोले जाने का काम प्रारंभ किया जायेगा। इसका शुभारंभ रींवा जिले से होगा। इससे यह फायदा होगा कि जो विद्यालय एनसीसी की प्रतीक्षा सूची में चल रहे हैं उनको भी अपने छात्रों को एनसीसी का प्रशिक्षण दिलाने का मौका मिल जायेगा। रींवा संभाग के सीओ लेफ्टीनेंट कर्नल एसआर सिंह ने कहा कि सन् 1971 के बाद इतना बड़ा विस्तार पहली बार किया जा रहा है। चित्रकूट में जल्द ही फायरिंग रेंज बनाने का काम प्रारंभ कर दिया जायेगा।

एक सोच से बदल गई गांव की तस्वीर

 'हिम्मते मर्दा तो मदद-ए-खुदा' अगर धर्मस्थली से सटे हुए खुटहा गांव में नजर डाले तो आजादी के बाद काफी सालों तक यह गांव भी बुंदेलखंड के अन्य गांवों की तरह ही बदहाल था पर समय के बदलाव को अंगीकार करने के साथ ही जब खेती के विविधीकरण के प्रयोगों को धरातल पर काम जब स्व. देवी प्रसाद शुक्ला ने किया तो न केवल अपनी किस्मत के दरवाजे खोले बल्कि अपने गांव के साथ ही आसपास के गांवों की किस्मत को भी बदल दिया। आज इस गांव की कुल 200 हेक्टेयर की जमीन में से आधी जमीन सब्जी उत्पादन कर सोना उगलने का काम कर रही है। लगभग तीस साल पहले हुये हुये सब्जी उत्पादन के प्रयोग ने न केवल इस गांव मे क्रांति ला दी बल्कि आसपास के गांवों को भी मेहनत करने की एक नई राह दिखा दी।
समाजसेवी व उन्नतशील किसान शिव कुमार शुक्ला कहते हैं कि इस गांव में पहले भी खेती होती थी जो वर्षा के जल पर आधारित थी। सबसे पहले पिता जी ने कुएं पर रहट लगवाया, तो आधे गांव के खेत रहट से सींचे जाते थे उसके पास डीजल पम्प आया और बाद में जिले का पहला टयूब बेल भी उनके यहां पर ही लगा। इसके साथ ही उन्होंने हर खेत की मेड पर पक्की नालियों का निर्माण कराया। खेती के लिये बीजों को बाहर से लाकर जब अपने खेतों के साथ दूसरे किसानों को दिया तो फिर बदलाव की बयार बह चली। धीरे-धीरे एक बीघा से दस बीघा और फिर कहानी सौ हेक्टेयर तक आ पहुंची। आज गांव में हर किस्म की सब्जी, मसाले व रवी, खरीफ व जायद की सभी फसलों के साथ ही फलों का उत्पादन किया जा रहा है।
कहते हैं किसान
उन्नतशील किसान राकेश नायक कहते हैं कि सब्जी उत्पादन के साथ अन्य फसलों के उत्पादन करने का मूलमंत्र जब इस गांव के लोगों को मिला तो सबने मिलकर मेहनत की और अब इस गांव में हर कामगार के पास साल भर का काम है। एक एकड़ वाला किसान भी सब्जी उत्पादन कर अपने परिवार को अच्छी तरह से पाल रहा है। उन्नतशील किसान राम राज यादव, राम लाल, मइयादीन यादव और अशोक कुमारी कहती है कि खेती का सबसे बड़ा मूलमंत्र मेहनत है। रासायनिक खादों के भरोसे न रहकर शून्य बजट के साथ जैविक करने वाले ये किसान साफ तौर पर कृषि विविधीकरण के हर प्रयोगों को बड़ी ही बारीकी से देखकर उसे अंगीकार करने का प्रयास भी करते हैं।
कहते हैं अधिकारी
जिला कृषि अधिकारी हर नाथ सिंह कहते हैं कि खेती के प्रयोग करने का काम जिले के कई किसान कर रहे हैं। पाठा के क्षेत्र में जहां अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान ने एक नई क्रांति लाने का काम किया है वहीं धर्मस्थली के सटे खुटहा गांव में शिव कुमार शुक्ला का नि:संदेह ही स्वागत योग्य है। उनके ज्ञान का फायदा न केवल उनके गांव के लोगों को हो रहा है बल्कि आसपास के गांव वाले भी इसका फायदा उठा रहे हैं।

Monday, November 8, 2010

अब कर्वी से चित्रकूट जाना होगा आसान

चित्रकूट, संवाददाता: कर्वी से होकर धर्मनगरी जाने वालों के लिये खुशखबरी। अरसे से बदहाल सड़क के दिन बहुर गये हैं। नयागांव से डिलौरा तक की सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ हो चुका है। इससे अब कर्वी से छोटे वाहनों से बेड़ी होकर चित्रकूट जाने में चार किलोमीटर के फासले की बचत संभव हो जायेगी।

सब कुछ ठीक रहा तो आजादी के पहले जिस सड़क से होकर हमारे पुरखे धर्मनगरी जाया करते थे चार माह बाद हम उस पर गाड़ियों पर बैठकर जा सकेंगे। उत्तर प्रदेश के बाद मध्य प्रदेश ने भी अब पहल कर कर्वी से नयागांव की दूरी को कम करने का प्रयास किया है। नगर पंचायत की इस पहल का स्वागत तरौंहा, डिलौरा लोहसरिया आदि गांवों के साथ ही स्थानीय लोग कर रहे हैं। पुरानी बाजार के महिला चिकित्सालय चौराहे से होकर धर्मनगरी कुछ ही समय बाद सीधे जाने लायक हो जायेगी। इससे धर्मनगरी पहुंचने में लोगों को चार किलोमीटर का फासला कम हो जायेगा। उल्लेखनीय है कि बांदा से कर्वी होकर इलाहाबाद जाने वाली सड़क बनने के पहले राजशाही समय में धर्मनगरी की यात्रा पैदल ही हुआ करती थी। उस समय ज्यादातर लोग पैदल ही चित्रकूट जाया करते थे। यह यात्रा कर्वी के पुरानी बाजार से प्रारंभ होकर धुस मैदान, तरौंहा, डिलौरा होते हुये मध्य प्रदेश के इलाके में प्रवेश कर नयांगाव से पहुंचती थी। नयागांव से धर्मनगरी का प्रारंभ हो जाती है। वैसे इसके पूर्व उत्तर प्रदेश के जिला प्रशासन ने पहल करते हुये तरौंहा के बाद डिलौरा तक की सड़क बनाकर डामरीकरण करवा दिया था।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बनने वाली सड़क लगभग ढाई किलोमीटर की होगी और इसमें बीच में एक पुल भी बनाया जायेगा। नगर पंचायत अध्यक्ष नीलांशु चतुर्वेदी ने बताया कि अभी मध्य प्रदेश के इलाके में पड़ने वाले पुल का टेंडर हुआ है और दीपावली के बाद सड़क का भी काम प्रारंभ करा दिया जायेगा। इससे पूर्व की दिशा से आने वाले वाहनों को बेड़ी पुलिया जाने की जरुरत नही पड़ेगी। अगर उत्तर प्रदेश की तरफ से साथ मिला तो भविष्य में इसको मुख्य मार्ग में तब्दील कर दिया जायेगा।

मंदिर निर्माण को संतों ने भरी हुंकार

चित्रकूट, संवाददाता: निर्माेही अखाड़े के गोलोकवासी महंत श्री राम आसरे दास जी महाराज की द्वितीय पुण्य तिथि पर जुटे संतों ने हुंकार भरते हुए कहा कि श्री रामलला का मंदिर तो उसी जमीन पर ही बनेगा। मंदिर के बगल में मस्जिद बनने से विवाद कभी खत्म नहीं हो सकता। केंद्र सरकार को सोमनाथ मंदिर की तरह ही कानून बना भव्य मंदिर बनवाने में सहयोग करना चाहिये। निर्माेही अखाडे़ के महंत ओंकार दास महाराज ने कहा कि यह मामला हिन्दू समाज की अस्मिता का है। अभी तो मामला सौहार्द से निपटाने के प्रयास हो रहे हैं पर अगर बात न बनी तो सुप्रीम कोर्ट का रास्ता ही अपनाया जायेगा। अगर मंदिर के बगल में मस्जिद बनी तो विवाद कभी खत्म नही होगा। जब मुस्लिम भाई यह मानते हैं कि वास्तव में वही स्थान की जन्म भूमि है तो फिर बची जमीन को छोड़कर उससे दूर कहीं भी मस्जिद का निर्माण कर लें। हिंदू समाज उसमें पूरी तरह से सहयोग करेगा। विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र सिंह पंकज के विचार भी कुछ इसी तरह के थे। उन्होंने पूज्य संत राम आसरे दास को याद करते हुए उनसे जुड़े संस्मरण सुनाये। कहा कि केंद्र सरकार की मंशा राम जन्म भूमि मामले को निपटाने की कतई नहीं है। वह तो मामले को और ज्यादा लटकाना चाहती थी। इसीलिए रमेश चंद्र त्रिपाठी को एक बार फिर खड़ा किया। इस पर व्यंग्य करते हुए कहा कि जो व्यक्ति पिछले उन्नीस सालों में कोर्ट नहीं पहुंचा वह फिर से कैसे खड़ा किया गया यह तो अब सभी जान गये हैं। विहिप के केंद्रीय मंत्री उमाशंकर ने भी कहा कि वैसे तो परिषद इस मामले में नहीं जुड़ी है लेकिन वह प्रयास कर रही है कि निर्मोही अखाड़ा और श्री रामलला के सरवराकार एक साथ कोर्ट में पैरवी करें और पूरी की पूरी जमीन इनमें से किसी एक को मिले। जिससे श्री राम लला का भव्य मंदिर बने।
श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करने वालों में रामायणी कुटी के महंत राम हृदय दास, संतोषी अखाड़े के महंत राम जी दास, खाकी अखाड़े के महंत अनूप दास, डा. कौशलेंद्र दास ब्रह्मचारी, राम चंद्र दास, रुप नारायण दास व विहिप के प्रांतीय मंत्री अवध बिहारी मिश्र, धर्माचार्य संत प्रमुख अशोक तिवारी, जुगराज धर द्विवेदी जबलपुर, शैलेन्द्र त्रिपाठी भोपाल, शैलेन्द्र त्रिपाठी, प्रांतीय संयोजक बजरंग दल, अतुल द्विवेदी प्रांतीय गौरक्षा प्रमुख देवेन्द्र राठौर अयोध्या, भोले जी, मुन्ना पुजारी रहे। इसके साथ चित्रकूट परिक्षेत्र के सभी प्रमुख महंत व संत समेत तमाम सम्मानित जन मौजूद रहे।

विहिप जल्द जायेगी जनता के द्वार

जनता के सामने श्री रामलला की जमीन के ऐतिहासिक, पुरातात्विक व धार्मिक साक्ष्य रखेगी

चित्रकूट, संवाददाता: अभी तो हाईकोर्ट के माध्यम से आधे संघर्ष पर जीत हासिल की है। आगे का संघर्ष और भी ज्यादा कठिन है। लेकिन जब खुद ही राम लला अपनी पैरवी कर रहे हैं तो फिर चिंता किस बात की। लेकिन केंद्र सरकार को चाहिये कि अपना मुख और मुखौटा एक करे और हिंदुओं की जमीन को हिंदुओं को कानून बनाकर सौंप दे। जिससे पूर्व विश्व के सामने पुरुषों में सबसे उत्तम मर्यादा के स्वरूप श्री राम लला सरकार का भव्य मंदिर का निर्माण हो सके।
यह विचार गोलोकवासी निर्मोही अखाड़े के श्री महंत स्वामी राम आसरे दास जी महाराज की दूसरी पुण्य तिथि पर आये विश्व हिंदू परिषद के नेताओं ने जागरण से विशेष बातचीत में व्यक्त किये। राष्ट्रीय धर्माचार्य प्रमुख अशोक तिवारी ने सीधे तौर पर कहा कि जब श्री राम लला खुद ही अपने पक्षकार हैं तो फिर मामला गड़बड़ कैसे हो सकता है। परिषद का काम तो निर्मोही अखाड़ा व श्री राम लला की तरफ से पैरवी करने वालों को एक साथ सुप्रीम कोर्ट में खड़ा करने की है। इस दिशा में प्रयास जारी भी है। उन्होंने कहा कि अब जल्द ही जनता की अदालत के सामने हाई कोर्ट के द्वारा दिये गये फैसले के समय बताई गई पूरी सच्चाई को लाया जायेगा। जब ऐतिहासिक, धार्मिक और पुरातात्विक सभी तरह के साक्ष्य श्री राम मंदिर के समर्थन में अपनी गवाही दे रहे हैं तो फिर तैंतीस प्रतिशत जमीन को मुस्लिम समाज को देना कहां का उचित है। उन्होंने कहा कि फैसला आने के पहले विहिप और बजरंग दल के नेताओं को जेल में भेजना और नजरबंद कर देना कहां का उचित था। हिंदू की मानसिकता दंगा फैलाने या लड़ाई झगड़े की नही होती।
बजरंग दल के प्रांतीय संयोजक शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी हिंदुओं के पक्ष में ही आयेगा। सुलह समझौते का प्रयास चल रहा है पर मुस्लिम नेताओं का तो अपना ही राग है। जब कोर्ट ने उनके मामले को ही खारिज कर दिया तो अब वे जाने क्यों हल्ला मचा रहे हैं। जबलपुर से आये जुगराजधर द्विवेदी, भोपाल से आये बिहारी लाल, प्रांतीय गौरक्षा प्रमुख अतुल द्विवेदी व अवध बिहारी मिश्र ने भी अपने विचार कुछ इसी अंदाज में दिये।

आईआईएम छात्रों ने नानाजी के जीवांत मानव दर्शन को देखा

चित्रकूट, संवाददाता: एकात्म मानव दर्शन की राह पर चलकर जब नानाजी देशमुख ने गांवों के लोगों को स्वावलंबन के सहारे रास्ते पर लाने का काम किया तो हालात बदलने लगे। देखते ही देखते न केवल गांवों में खुशहाली आने लगी और लोगों का मेहनत करने के प्रति समर्पण बढ़ने लगा। इस मॉडल को देखने के लिये मंगलवार को इंदौर के आईआईएम से छात्रों के दल ने दीन दयाल शोध संस्थान के विभिन्न प्रकल्पों को देखा और खुले मन से तारीफ की।

प्रो. वैभव भदौरिया के नेतृत्व में आये छात्रों ने कृषि विज्ञान केंद्र मझगंवा, कृष्णा देवी वनवासी बालिका आवासीय विद्यालय, उद्यमिता विद्या पीठ, राम दर्शन, गुरुकुल संकुल, नन्ही दुनिया और आरोग्य धाम द्वारा आयोजित गतिविधियों को देखा।
संस्थान के प्रधान सचिव डा. भरत पाठक ने कहा कि आप लोगों की प्रबंधन की यह पढ़ाई सिर्फ पैसा कमाने का साधन न बने बल्कि समाज और राष्ट्र की चिंता करते हुये राष्ट्र के विकास में भागीदारी का माध्यम बने।
जेपी फाउंडेशन की निदेशक डा. नंदिता पाठक ने युवा शक्ति को अपने अतीत से प्रेरणा लेते हुये राष्ट्र के हितों को साधकर जुटने की बात कही।