Monday, February 17, 2020

लुप्त पयस्वनी को जीवांत बनाने को सब जुटें- साध्वी कात्यायिनी

संदीप रिछारिया

- रामकथा मन्दाकिनी चित्रकूट चित चारु,तुलसी सुभग स्नेह वन श्री रघुवीर विहारु।

चित्रकूट। श्री

रामजन्म भूमि के लिए लंबे समय तक संघर्ष करने वाले मणिराम छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास से सन्यास की दीक्षा व वर्तमान श्री राम जन्मभूमि मन्दिर न्यास के प्रमुख सदस्य युगपुरुष स्वामी परमानंद जी की शिष्या साध्वी कात्यासनी गिरि ने विश्व की पहली नदी पयस्वनी के पावन स्रोत ब्रह्मकुंड के ऊपर स्थापित प्राचीन शनि मंदिर प्रांगण में श्री रामकथा का शुभारंभ किया।
उन्होंने कथा की शुरुवात करते हुए रामकथा का चित्रकूट से सम्बंध परिभाषित करते हुए कहा कि चित्रकूट के कण कण में राम जी कथा विधमान है। उन्होंने ब्रह्मकुंड के बारे में बताते हुये कहा कि यह कथा अभी केवल पयस्वनी में मौजूद दिव्य आत्माओ को सुना रहे है। पयस्वनी की धारा सूख गई है,इसे जीवनदान देने के लिए हमे सबको स्वार्थ से ऊपर आना होगा, सभी को जुटना होगा। उन्होंने कहा कि स्वार्थ में  व्यक्ति अपने आपने रमने लगता है,वह किसका क्या  नुकसान कर रहा है,उसे पता नही चलता। रोज पूजा करने वाला भी मन्दाकिनी पयस्वनी का नुकसान कर रहा है।सभी लोग एक साथ आये तो पयस्वनी जीवित होगी। रामकथा ऐसा माध्यम है,जिससे सभी जुड़ेंगे और सभी जीवनदायिनी नदियों व जलस्रोतों को जीवन देने का काम करेंगे। रामकथा की शुरुवात 7 श्लोको से होने को परिभाषित किया। इस दौरान भारी मात्रा में साधू संत व स्थानीय लोग मौजूद रहे।कथा के आयोजक शनि मंदिर के सत्ता महराज व अखिलेश अवस्थी है। कथा में विशेष सहयोग स्वामी धर्मदास जी व महराज गंगासागर जी का है।

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