क्या आप चित्रकूटधाम परिक्षेत्र के निवासी है और आप बुन्देलखण्ड राज्य का समर्थन करते है तो आपके लिए कुछ प्रश्न है?
@ चित्रकूटधाम परिक्षेत्र 84 कोस में फैला विस्तृत क्षेत्र है।इसका केंद्र बिंदु श्री कामदगिरि है।इसकी सीमाएं पूर्व पश्चिम उत्तर व दक्षिण 66 किलोमीटर प्रत्येक है।
@चित्रकूटधाम परिक्षेत्र की सीमाएं बांदा,फतेहपुर,कोशाम्बी,रीवा,सतना,छतरपुर जिलों में है। इसमे बांदा शहर व सतना शहर पूरे आते है।
@ चित्रकूटधाम परिक्षेत्र में किसी स्थान पर बुंदेली भाषा और पहनावा उपयोग में नही लाया जाता है।
अब सवाल उठता है कि बुन्देलखण्ड क्या है और चित्रकूटधाम से अलग कैसे है.
तो जानिए,,चित्रकूटधाम की धरती अनादि है। परमपिता ब्रह्मा ने यहां पर सृष्टि के निर्माण के लिए यज्ञ किया और ऋषि,देवता,मानव प्रकट किये।
चित्रकूटधाम का सबसे पहला उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है।इसमे महाराज कसु को चित्रकूट का पहला भूपति बताया गया है।
🚩अब जानिए बुन्देलखण्ड का जन्म और आंदोलन का हाल
👉देश 15 अगस्त 1947 को एक समझौते के बाद अंग्रेजो ने 99 साल की लीज पर भारतीयों ( कांग्रेस के कुछ नेताओं को सौपा) महात्मा गांधी ने इसे गणतंत्र के रूप में स्थापित करने के लिए सरदार पटेल को लगाया।सरदार पटेल ने देश की लगभग सभी देशी रियासतों का विलय करवाया। नेहरू जी ने जम्मू और कश्मीर को अपने पास रखा,जबकि गोवा की मुक्ति 1971 में हो सकी।
👉 स्वतंत्रता के बाद ही यह निर्णय लिया गया कि देश का विकास छोटे छोटे प्रांत बनाकर किया जा सकता है,,इसलिए डॉक्टर फणिक्कर को इस काम मे लगाया गया।
वैसे 1948 में ही विंध्य प्रदेश की रचना हो चुकी थी। यह राज्य कुल 8 वर्ष तक अस्तित्व में रहा और चित्रकूटधाम परिक्षेत्र के 4 जिले सतना,रीवा,छतरपुर और पन्ना) के कई भाग इसके अंतर्गत आते थे। 1956 में इसका अस्तित्व समाप्त कर इसे मध्य प्रदेश में जोड़ दिया गया।
👉डॉक्टर फडीककर रिपोर्ट 1951 में आई और भाषाई आधार पर राज्यो का निर्माण किया गया। इस दौरान मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले को राजधानी बनाकर विंध्य प्रदेश बनाकर चरखारी निवासी कामता प्रसाद सक्सेना को मुख्यमंत्री बनाया गया।
👉आखिर क्यों नही आंदोलन सफल
बुन्देखण्ड राज्य निर्माण के लिए बड़ा आंदोलन शुरू करने का श्रेय शंकर लाल महरोत्रा को जाता है। उन्होंने बुन्देलखण्ड मुक्ति मोर्चा बनाया था। इसके बाद बुन्देलखण्ड एकीकृत पार्टी सहित दर्जनो पार्टियां व संगठन बने।
👉 क्यो सफल नही आंदोलन
दो प्रदेशो के विभिन्न जिलों में जाकर मोर्चा के कुछ नेताओं ने आंदोलन खड़ा करने का काम किया। विंध्य प्रदेश के लोगो ने कभी अपने को बुंदेली नही माना,इसलिए सतना जैसे जिलों में कभी मोर्चा के अस्तित्व नही रहा,ऐसे ही चित्रकूट, बांदा,हमीरपुर को भी बुंदेली नेता अपना भाग बताते रहे,पर यहां पर बुंदेली भाषा चलन में न होने के कारण स्थानीय लोग इस आंदोलन से नही जुड़ सके।
अब आंदोलन का हाल
बुन्देलखण्ड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शंकर लाल महरोत्रा अपने जीवन काल मे ही ललितपुर के रहने वाले फ़िल्म स्टार राजा बुंदेला को लेकर आये, बुंदेला ने इसके लिए शिद्दत से प्रयास भी किये। उन्होंने हर उस दरवाजे को खटखटाया जो उनकी राज्य निर्माण में मदद कर सकता था,वह राज्य की आवाज बुलंद करने के लिए चुनाव भी लड़े ,,,लगभग सभी पार्टियों की खाक छानने के बाद बुन्देलखण्ड विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष के रूप में काम कर रहे है।
क्रमशः।
संदीप रिछारिया
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