Thursday, April 4, 2013

अब नीचे वाले नहीं, ऊपर वाले भगवान से करेंगे फरियाद

हमीरपुर, निज प्रतिनिधि : अकल्पनीय पर बिलकुल सच. छह हजार की आबादी वाले भरूआ सुमेरपुर ब्लाक के गांव कैथी व उसके छह मजरों ने आजादी के बाद से अब तक घरों में बिजली के बल्ब एक बार 28 साल पहले जलते देखा है। इतना ही नहीं बच्चे भी यहां अस्पताल में कम जर्जर सड़क पर ज्यादा पैदा होते हैं। गांव के हालात ऐसे कि लगता नहीं कि यहां के निवासी आजाद देश के नागरिक हों। गांव के लिए लेखपाल, सचिव ही सबसे बड़े अधिकारी बने हैं। स्कूल में एक अध्यापक के ऊपर पांच सौ बच्चों की जिम्मेदारी है तो विद्यालय की इमारत में ही पुलिस ने चौकी खोल डाली है। छह साल पहले गांव में जाने के लिए चंद्रावल नदी पर पुल का निर्माण प्रारंभ हुआ तो ग्रामीणों को लगा कि चलो अब सड़क बन जाने से मुश्किलें आसान होंगी पर ऐसा हो न सका। विकास की किरण के इस गांव तक पहुंचने से पहले ही समय रथ में फंसकर वह दम तोड़ देती है। इसलिए अब ग्रामीणों ने अपनी राह खुद चुन ली है। उन्होंने स्थानीय स्तर के अधिकारियों से गुहार लगाने से तौबा करने के बाद कहा कि अब वे सीधे ऊपर वाले से बात करेंगे। गांव के अरिमर्दन सिंह कहते हैं कि जब कहावत है कि 'हारे को हरिनाम' तो अब हम सिस्टम से लड़कर हार चुके हैं। अब हमारे सामने भगवान का नाम लेने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं है। भगवान का नाम लेने के पीछे की मंशा स्पष्ट करते हुए वह कहते हैं कि संघर्ष पिछले दो दशक से ज्यादा समय से सुविधाओं को पाने के लिए जिलास्तरीय अधिकारियों के साथ चल रहा है। अब गांव के पुराने मंदिर में सभी स्त्री पुरुष मिलकर राम धुन गाएंगे और यह मंगल कामना करते हैं कि जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हमारे यज्ञ की पूर्णाहुति करेंगे तभी हम उठेंगे। कहा कि मुख्यमंत्री से भी उनकी कोई मांग नहीं है। वह तो मुख्यमंत्री को केवल अपना गांव दिखाना चाहते हैं।

रविवार को गांव के मंदिर में सैकड़ों लोगों ने हाथ उठाकर शपथ ली कि जब तक मुख्यमंत्री यहां पर आकर रामधुन में साथ नहीं देंगे वह लोग नहीं उठेंगे। मंदिर में राम बहादुर यादव, विकास शिवहरे, अवधेश, राम विलास सिंह, जितेन्द्र सिंह चौहान, उम्मेद सिंह, वासुदेव निषाद, रामदास कुटार, खुशी राम, शिव चरन आदि लोग मौजूद रहे।

गांव की प्रमुख समस्याएं

खंभे व तार खिंचे होने के बाद बिजली 28 साल से नहीं

अधूरा बना पुल

गांव के लिए सड़क ही नहीं

विद्यालय में 500 बच्चों पर केवल एक अध्यापक

अस्पताल में ताला बंद

No comments:

Post a Comment